12-01-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए विकारों का दान जरूर देना है, देही-अभिमानी बनना है, मम्मा बाबा कहते हो तो लायक बनो।''

प्रश्नः-

आस्तिक बने हुए बच्चे भी किस एक बात के कारण नास्तिक बन जाते हैं?

उत्तर:-

देह-अभिमान के कारण, जो कहते हम सब कुछ जानते हैं।

पुरानी चाल छोड़ते नहीं।

ज्ञान की गोली लगने के बाद फिर माया की गोली खाते रहते।

मैं आत्मा हूँ, देही-अभिमानी बनना है, इस बात को भूलने से आस्तिक बने हुए भी नास्तिक बन जाते हैं।

ईश्वरीय गोद से मर जाते हैं।

 

गीत:-आज नहीं तो कल...



  • ओम् शान्ति।
  • वह भी घड़ी है, यह बेहद की घड़ी है।
    • उसमें भी क्वार्टर, हाफ और फुल दिखाया है, इसमें भी ऐसे है।
    • 4 हिस्से हैं।
    • 15-15 मिनट मिले हुए हैं।
    • वैसे यह फिर एक से शुरू करेंगे।
    • इसमें आधाकल्प है दिन, आधाकल्प है रात।
    • जैसे नक्शे में देखा - नार्थ पोल में 6 मास रात होती है तो जरूर साउथ पोल में 6 मास दिन होगा।
    • यहाँ भी ब्रह्मा का दिन आधाकल्प तो ब्रह्मा की रात आधा-कल्प।
  • दुनिया वाले यह नहीं जानते कि यह ड्रामा का चक्र है, जिसको कल्प वृक्ष भी कहा जाता है, इनकी आयु कितनी है।
    • नाम ही है कल्प वृक्ष, इतनी आयु वाला बड़ा वृक्ष तो कोई होता नहीं इसलिए इनकी भेंट बनेन ट्री से की जाती है।
    • उनका भी फाउन्डेशन सड़ गया है, बाकी झाड़ खड़ा है इसलिए गाया भी जाता है कि एक टांग टूट गई है, बाकी 3 पैर पर खड़े हैं।
    • दुनिया में यह कोई नहीं जानते आधाकल्प दिन और आधाकल्प रात अथवा आधाकल्प ज्ञान और आधाकल्प भक्ति।
    • वह आधा-आधा नहीं कर सकते।
    • सतयुग को बहुत टाइम दे दिया है तो आधा-आधा नहीं हो सकता।
    • कोई हिसाब ही नहीं रहता।
  • मनुष्य आस्तिक और नास्तिक अक्षर का भी अर्थ नहीं समझते।
    • आधा कल्प सृष्टि आस्तिक रहती है, आधा कल्प नास्तिक रहती है।
    • वह आस्तिक-पने का वर्सा बाप से मिलता है।
  • कोई भी नहीं जानते तो शिवरात्रि कब होती है।
    • टाइम तो होना चाहिए ना, जबकि बाप आकर रात को दिन बनावे।
    • बाबा को ही आकर भक्ति का फल दे भक्ति से छुड़ाना है।
    • परमपिता परमात्मा को आना भी जरूर है।
    • पुकारते हैं पतित-पावन आओ।
  • पतित-पावन कौन है - यह नहीं जानते, इसलिए उनको नास्तिक कहा जाता है।
    • जानने वालों में भी नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार हैं।
    • यहाँ रहने वाले भी एक्यूरेट न जानने कारण आश्चर्यवत सुनन्ती, कथन्ती, भागन्ती हो जाते हैं।
  • बाबा का पहला-पहला फरमान है - पवित्रता का।
    • बहुत सेन्टर्स हैं जहाँ विकारी मनुष्य भी अमृत पीने जाते हैं, धारणा कुछ भी नहीं कर सकते।
    • विकारों को भी नहीं छोड़ते।
    • जो अमृत छोड़ विष पीते हैं उनको भस्मासुर कहा जाता है।
    • काम चिता पर चढ़ भस्म हो जाते हैं, देवता बनते नहीं।
    • पहले विकारों का दान देना चाहिए।
    • दान दें तब बाबा मम्मा कहने लायक हों।
    • क्रोध भी कम नहीं।
    • क्रोध में आकर पहले तो गाली देते हैं फिर मारने भी शुरू कर देते हैं।
    • एक दो का खून भी कर देते हैं।
    • अखबारों में ऐसे समाचार बहुत छपते हैं।
    • बाबा से वर्सा लेना है तो इन विकारों से, जिनसे दुर्गति हुई है, उसका दान जरूर देना पड़े।
  • बाबा कहते हैं बच्चे तुमको अशरीरी बन चलना है, यह देह-भान छोड़ो।
    • कितना समय तुम देह-अभिमानी रहे हो।
    • सतयुग में तुम आत्म-अभिमानी थे।
    • तुम समझते थे हम आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेते हैं।
    • वहाँ माया होती नहीं इसलिए दु:ख की बात नहीं रहती।
    • यहाँ तो बड़ा आदमी बीमार पड़े तो अखबार में पड़ जाता है।
    • कितना उनको बचाने की कोशिश करते हैं।
      • देखो, इस समय पोप का कितना मान है।
  • परन्तु इस समय सब हैं नास्तिक।
    • गॉड फादर को जानते ही नहीं तो नास्तिक कहेंगे ना।
    • कोई बाप को 5-7 बच्चे हो तो बच्चे कहेंगे क्या कि यह बाप हमारा सर्वव्यापी है।
    • यह बाप भी कहते हैं मैं रचयिता हूँ, यह मेरी रचना है।
    • रचना में रचयिता व्यापक कैसे हो सकेगा।
  • कितनी सहज बात है, फिर भी समझते नहीं हैं इसलिए बाप समझाते रहते हैं पहले नास्तिक से आस्तिक बनाओ जो कहे तो बरोबर परमपिता परमात्मा हमारा बाप है, उनसे वर्सा लेना है।
    • कन्या दान में जो पैसे देते हैं, उसको भी वर्सा कहेंगे।
    • सुख का वर्सा कौन देते, दु:ख का वर्सा कौन देते, यह नहीं जानते।
  • भारतवासी स्वर्ग को ही भूल गये हैं।
    • नाम भी लेते हैं, कहते हैं फलाना स्वर्ग में गया, परन्तु समझते नहीं।
    • बाप कहते हैं बिल्कुल तुच्छ बुद्धि हैं।
    • गाते हैं पतित-पावन आओ, परन्तु अपने को पतित समझते थोड़ेही हैं।
  • बाप कहते हैं पहले अल्फ पर समझाओ।
    • परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है!
    • जब कहे हम नहीं जानते, बोलो, बाप को नहीं जानते हो!
    • लौकिक बाप तो शरीर का रचयिता हुआ, परमपिता परमात्मा तो आत्माओं का बाप है।
    • तो क्या तुम बाप को नहीं जानते हो?
    • कितनी सहज बात है।
    • परन्तु बच्चों की बुद्धि में नहीं बैठती।
    • नहीं तो सर्विस करने लग पड़ें।
    • परमपिता परमात्मा से क्या सम्बन्ध है?
    • प्रजापिता ब्रह्मा से क्या सम्बन्ध है?
    • वह है परमपिता, यह है प्रजापिता।
    • प्रजापिता तो जरूर फिर यहाँ होगा ना।
    • प्रजापिता ब्रह्मा का नाम सुना है?
    • निराकार परमात्मा ने सृष्टि कैसे रची?
    • तो प्रजापिता है साकार, उनके बच्चे बी.के. भी जरूर होंगे।
    • बच्चे ही वर्से के लायक बनेंगे।
      • परन्तु
  • अच्छे-अच्छे बच्चे भी युक्ति से समझाते नहीं हैं।
    • नई-नई बातें बाबा समझाते हैं फिर भी बच्चे अपनी ही पुरानी चाल चलते रहते हैं।
    • नई धारणा नहीं करते हैं।
    • देह-अभिमान रहता है।
  • कहते हैं हम सब कुछ जानते हैं, परन्तु पहली बात न जानने के कारण ही फारकती दे देते हैं।
    • आस्तिक से नास्तिक बन जाते हैं।
    • ईश्वरीय गोद में आकर फिर मर जाते हैं।
    • बाबा मम्मा कहते भी फिर देखो मरते कैसे हैं।
    • गोली लगी माया की अथवा देह-अभिमान की और यह मरा।
    • यह है ज्ञान की गोली, वह है माया की गोली।
    • माया ऐसी गोली लगा देती है जो आना ही छोड़ देते हैं।
    • तुम पाण्डवों की युद्ध माया से है।
  • बाप समझाते हैं, मुझे ज्ञान सागर कहते हैं।
    • ज्ञान सागर से ज्ञान गंगायें निकली हैं या पानी की?
    • वहाँ गंगा का चित्र भी देवी का दिखाते हैं, फिर भी बुद्धि में नहीं आता यह कौन हैं?
    • देवी-देवता तो किसको अमृत पिला न सकें।
  • यज्ञ हमेशा ब्राह्मणों द्वारा रचा जाता है।
    • यज्ञ में फिर लड़ाई की बात कहाँ से आई?
    • यह बातें सेन्सीबुल बच्चे ही समझते हैं।
    • बुद्धू तो भूल जाते हैं।
  • स्कूल में भी नम्बरवार तकदीरवान होते हैं।
    • भल स्कूल में 12 मास बैठे रहें परन्तु पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते तो पढ़ नहीं सकते।
    • बाप तो आत्माओं को पढ़ाते हैं।
    • वह तो मनुष्यों को पढ़ाते हैं।
    • बाप कहते हैं हे आत्मा सुनती हो?
    • और कोई आत्मा से बात नहीं कर सकते।
    • बाप कहते हैं लकी सितारे समझते हो?
    • तुमको पढ़ाता हूँ।
  • आत्मा ही करती और कराती है।
    • करनकरावनहार आत्मा भी है तो परमात्मा भी है।
    • जैसे आत्मा, आत्मा से कराती है वैसे परमात्मा बाप आत्माओं से कराते हैं।
    • बाप कहते हैं मैं तुम आत्माओं से अच्छा काम कराता हूँ।
  • सभी को बाप का परिचय देना है।
    • पहले-पहले यह प्रश्नावली उठाओ।
    • वह है पारलौकिक परमपिता परमात्मा, वह है लौकिक पिता।
    • आत्मा और शरीर अलग है ना।
    • शरीर का पिता लौकिक बाप, आत्माओं का पिता परमपिता परमात्मा।
    • वह है बड़ा बाबा।
    • सब भगत उनको ही याद करते हैं।
    • सर्व का पतित-पावन वह है।
    • आजकल तो अनेक गुरू हैं, जो जगतगुरू नाम रखाते हैं।
  • जगत-अम्बायें भी बहुत निकली हैं
    • यह है सब झूठ।
    • झूठ में सच का पता मुश्किल पड़ता है।
    • बड़े-बड़े नाम रख बैठे हैं।
    • परन्तु सच तो छिप न सके।
    • कहते हैं - सच तो बिठो नच।
    • डांस करते रहो।
    • डांस तो मशहूर है।
    • तुम आस्तिक बन गये, धारणा की तो स्वर्ग में तुम डांस करना।
    • देवतायें ही डांस करेंगे।
  • पतित दुनिया है नर्क।
    • तो नर्क को स्वर्ग अथवा पावन दुनिया, यह गुरू साधू लोग थोड़ेही बनायेंगे।
    • इसको कहा जाता है कुम्भी पाक नर्क।
    • स्वर्ग को कहा जाता है शिवालय।
  • पहले तो यह लिखवा लो कि परमपिता परमात्मा हमारा बाप है, उसने प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा ही ब्राह्मणों की रचना रची है।
    • हम शिवबाबा के पोत्रे ठहरे।
    • वर्सा भी वही देंगे।
    • ज्ञान सागर भी वही है।
    • अविनाशी ज्ञान रत्न ब्रह्मा द्वारा देते हैं।
    • पहले ब्रह्मा को मिलते हैं फिर मुख वंशावली को मिलते हैं।
  • स्कूल में भी कोई-कोई पीछे आने वाले भी तीखे निकल जाते हैं क्योंकि पढ़ाई अच्छी करते हैं।
    • यहाँ भी अच्छी रीति पढ़ना और पढ़ाना है।
    • जो आप समान न बनावे, तो जरूर उनमें कुछ न कुछ खामियां हैं इसलिए धारणा नहीं होती।
  • काम विकार का अगर सेमी नशा भी होगा तो धारणा मुश्किल होगी।
    • लिखते हैं बाबा काम का तूफान बहुत तंग करता है।
    • बेताला बना देता है।
    • बाप कहते हैं बच्चे काम महाशत्रु है, उनको योगबल से जीतो।
    • कल्प पहले भी तुमने जीता है।
    • बाप की गद्दी पर बैठे हो।
    • उनके पीछे रॉयल घराना भी है।
    • सिर्फ एक जन्म पवित्र बनने से इतना ऊंच बन जायेंगे।
    • पवित्र न रहने से बहुत घाटा पड़ जायेगा।
  • मौत सामने खड़ा है।
    • एक्सीडेंट आदि कितने होते रहते हैं।
    • रजोप्रधान के समय इतना मौत नहीं होता है।
    • अब तो पाम्प है।
    • आगे इतनी मशीनें आदि नहीं थी।
    • आगे लड़ाई कोई स्टीम्बर अथवा एरोप्लेन से थोड़ेही होती थी।
    • यह तो सब अब निकले हैं।
    • यहाँ थे नहीं।
  • पहले सतयुग में थे तो फिर संगम पर ही होना चाहिए।
    • जो सुख फिर तुमको स्वर्ग में मिलना है।
    • एरोप्लेन जो बनाते हैं वह भी वहाँ होंगे।
    • प्रजा में भी कोई न कोई आ जायेंगे।
    • संस्कार ले जायेंगे फिर आकर बनायेंगे।
    • अभी बनाते हैं विनाश के लिए फिर सुख के काम में आयेंगे।
    • वहाँ तो फुलप्रूफ होंगे।
    • माया की पाम्प से विनाश होगा।
    • विनाश तो जरूर होना है ना।
  • ब्राह्मणों द्वारा यज्ञ भी रचा हुआ है, इसमें सारी पुरानी दुनिया स्वाहा हो जायेगी।
    • ब्राह्मणों द्वारा ही यज्ञ रचते हैं, मिलता भी ब्राह्मणों को है।
    • ब्राह्मण वर्ण ही सो देवता वर्ण बनता है।
    • शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण बनाते हैं।
    • ब्राह्मण फिर देवता बनते हैं।
    • कितनी सीधी बात है, परन्तु बच्चों पर बड़ा वन्डर लगता है जो इतनी सहज बात भी कई बच्चे धारण नहीं कर सकते हैं।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप के साथ सदा सच्चे रहना है।
    • विकारों का दान देकर फिर भस्मासुर नहीं बनना है।
    • पवित्रता का फरमान जरूर पालन करना है।
  • 2) विकारों के सूक्ष्म नशे को योगबल से समाप्त करना है।
    • पढ़ाई अच्छी रीति पढ़नी और पढ़ानी है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021-22)
  • मंजिल को सामने रख ब्रह्मा बाप को फालो करते हुए फर्स्ट नम्बर लेने वाले तीव्र पुरुषार्थी भव
  • तीव्र पुरुषार्थी के सामने सदा मंजिल होती है।
  • वे कभी यहाँ वहाँ नहीं देखते।
  • फर्स्ट नम्बर में आने वाली आत्मायें व्यर्थ को देखते हुए भी नहीं देखती, व्यर्थ बातें सुनते हुए भी नहीं सुनती।
  • वे मंजिल को सामने रख ब्रह्मा बाप को फालो करती हैं।
  • जैसे ब्रह्मा बाप ने अपने को करनहार समझकर कर्म किया, कभी करावनहार नहीं समझा, इसलिए जिम्मेवारी सम्भालते भी सदा हल्के रहे।
  • ऐसे फालो फादर करो।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
  • जो बात अवस्था को बिगाड़ने वाली है - उसे सुनते हुए भी नहीं सुनो।

    • लवलीन स्थिति का अनुभव करो
    • बाप का बच्चों से इतना प्यार है जो रोज़ प्यार का रेसपान्ड देने के लिए इतना बड़ा पत्र लिखते हैं। यादप्यार देते हैं और साथी बन सदा साथ निभाते हैं, तो इस प्यार में अपनी सब कमजोरियां कुर्बान कर समान स्थिति में स्थित हो जाओ।