05-01-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - तुम्हें अभी नया जीवन मिला है, पुराना जीवन बदल गया है क्योंकि तुम अब ईश्वरीय सन्तान बने हो, तुम्हारी प्रीत एक बाप से है''

प्रश्नः-

ब्राह्मण जो देवता बनने वाले हैं, उनकी मुख्य निशानी क्या होगी?

उत्तर:-

वह ब्रह्मा की मुख वंशावली ब्राह्मण सभी एक मत वाले होंगे।

उनमें कभी मतभेद नहीं हो सकता, आपस में फूट नहीं पड़ सकती।

लौकिक में जो ब्राह्मण कहलाते उनमें तो अनेक मतें होती हैं।

कोई अपने को पुश्करनी कहलाते, कोई सारसिद्ध।

तुम ब्राह्मण एक बाप की मत से देवता बनते हो।

देवताओं में भी कभी फूट नहीं पड़ती।

 

गीत:- जिस दिन से मिले हम तुम...



  • ओम् शान्ति।
  • जब जीव आत्मायें और परमात्मा अथवा बच्चे और बाप मिलते हैं तो नई प्रीत हो जाती है क्योंकि और संग प्रीत टूट जाती है।
    • जैसे कन्या की पहले तो पियर घर से प्रीत होती है।
    • सगाई होने से नई प्रीत जुटती है।
    • उनके लिए सारा ससुर घर नया होता है।
    • नई दुनिया की नई प्रीत जुटती है तो सारे नये परिवार से प्रीत जुट जाती है।
  • अब गायन भी है - आत्मायें परमात्मा अलग रहे बहुकाल.... यह सुन्दर मेला है नया।
    • यह घर नया, यह सम्बन्ध नया।
    • तुम जानते हो - हम हैं ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारियाँ।
    • शूद्र कुमार और कुमारियाँ अब नहीं हैं।
  • ब्रह्मा और ब्रह्माकुमार कुमारियों का आपस में कितना लव है क्योंकि यह हो गये ईश्वरीय सन्तान।
    • ईश्वर तो है निराकार।
    • उनके साथ लव तो साकार में चाहिए ना।
    • निराकार को कैसे लव करेंगे।
    • आत्मा शरीर से अलग हो जाती है तो लव नहीं होता।
    • आत्मा और परमात्मा जब साकार में मिलें तब लव हो।
    • निराकार रूप में भल गाते रहते हैं -तुम मात-पिता.. तुम आओ तो तुम्हारी कृपा से हमको सुख घनेरे मिलें।
    • पतित-पावन आओ... गाते हैं ना।
  • बरोबर भारत महान था तो अथाह सुख था।
    • उसका नाम ही था सुखधाम, यह है दु:खधाम और जहाँ आत्मायें रहती हैं वह है शान्तिधाम।
    • वहाँ तो आत्मायें पवित्र ही रहती हैं।
    • अपवित्र कोई आत्मा रह नहीं सकती।
  • तुमको अब बाप मिला है तो नया जीवन मिला है।
    • पुराना जीवन बदल अब नया जीवन बना रहे हैं।
    • अपने बाप से बेहद सुख का वर्सा ले रहे हैं।
  • सुख घनेरे भारत में ही होते हैं - स्वर्ग में।
    • और शान्ति घनेरी होती है निर्वाणधाम में, जहाँ तुम्हारा और हमारा घर है।
    • तो समझाना चाहिए हम आत्मायें शान्तिधाम की रहने वाली हैं।
    • बाप भी वहाँ का रहने वाला है।
  • वह हमारे मुआफिक जन्म-मरण के चक्र में नहीं आते हैं।
    • है वह भी आत्मा, परन्तु परम आत्मा है, परमधाम में रहने वाले हैं।
    • हम आत्मायें भी परमधाम में रहने वाले परमपिता परमात्मा के बच्चे थे।
    • घर तो हम सबका वही है।
    • घर भी सबको याद है।
  • कोई मरता है तो कहते हैं फलाना पार निर्वाण गया।
    • वह है वाणी से परे स्थान।
    • सूर्य चांद की जहाँ गम नहीं, हम वहाँ के रहवासी हैं।
    • अब बाबा को याद करते रहते हैं।
    • जब बाप आते हैं तो नई बातें फिर से सुनाते हैं।
  • मनुष्य इस ड्रामा को जान जायें तो बोलें - हम जो कदम उठाते हैं सेकण्ड बाई सेकेण्ड नया है।
    • बेहद का ड्रामा फिरता रहता है।
    • तो बाप आकर नई बातें सुनाते हैं।
  • तुम बच्चों को त्रिकालदर्शी, त्रिनेत्री बना रहा हूँ।
    • बाप ब्रह्माण्ड का मालिक है तो त्रिलोकी का भी मालिक है ना क्योंकि तीनों ही लोकों की नॉलेज देते हैं।
    • तुम त्रिलोकी के मालिक नहीं बनते हो।
    • तुम विश्व के मालिक महाराजा-महारानी बनते हो।
    • त्रिलोकी अर्थात् तीनों लोकों को जाना जाता है।
    • मालिक तो एक लोक स्वर्ग का बनते हो।
    • तो यह हैं नई-नई बातें।
  • बाबा के बच्चे बनते ही हैं वर्सा लेने के लिए।
    • कोई को भी यह समझाना बड़ा सहज है।
    • पूछो भगवान से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है?
  • भगवान तो है स्वर्ग का रचयिता।
    • मात-पिता है।
    • भगवान को कभी नर्क अथवा दु:खधाम का रचयिता नहीं कहेंगे।
    • परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा स्वर्ग की स्थापना करते हैं।
    • जरूर नई दुनिया स्वर्ग ही रचेंगे।
  • परमात्मा ब्रह्मा द्वारा पहले ब्राह्मण धर्म रचते हैं, उनको राजयोग सिखलाते हैं

    जो फिर ब्राह्मण से देवता बनते हैं।
    • तो ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण फिर विष्णु द्वारा दैवी धर्म होगा।
    • इस समय तुम ब्राह्मण बनकर फिर क्षत्रिय भी बनते हो।
    • विष्णु धर्म में जाते हो।
    • अभी ईश्वरीय धर्म अथवा ब्राह्मण धर्म में आये हो फिर भविष्य दैवी धर्म में जायेंगे।
    • ब्राह्मण धर्म भी चाहिए ना।
  • प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा मुख वंशावली ब्राह्मण रचे, वह ठहरे बच्चे।
    • संन्यासी भी मुख से रचते हैं।
    • परन्तु वह बच्चे नहीं रचते, वह फालोअर्स रचते हैं।
    • उनको वंश नहीं कहा जाता।
    • मुख से कहते हैं तुम हमारे फालोअर्स हो।
    • वंश को तो वर्सा मिले।
    • यह तो तुम बच्चे जानते हो दिन-प्रतिदिन ब्रह्मा मुख वंशावली की वृद्धि होती जायेगी।
    • बी.के. बहुत होते जायेंगे।
    • जितने देवतायें बनने होंगे, उतने ब्राह्मण जरूर बनेंगे।
  • परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा मनुष्यों को ब्राह्मण सो देवता बनाते हैं, तो जरूर स्वर्ग के मालिक होंगे।
    • उनके लिए ही गायन है मनुष्य से देवता.. तो यह बाबा आकर नई-नई बातें सुनाते हैं।
    • नई दुनिया के लिए नई बातें होने कारण शास्त्रों में कहाँ भी यह बातें नहीं हैं इसलिए मनुष्य मूँझते हैं।
  • तुम्हारी यह है ईश्वरीय सम्प्रदाय।
    • परन्तु जो ईश्वरीय सन्तान बनकर फिर ईश्वर को फारकती दे देते वह फिर आसुरी सम्प्रदाय बन पड़ते हैं।
    • एक बारी मम्मा बाबा कहा, ज्ञान सुना तो उनको वर्सा जरूर मिलेगा।
    • मम्मा बाबा कहते रहते हैं।
    • लिखते भी हैं पिताश्री, मातेश्वरी।
    • प्रजापिता ब्रह्मा तो मशहूर है ना!
    • शिवबाबा भी नामीग्रामी है।
    • आत्मा कहती है गॉड फादर।
  • बाप कहते हैं - मैं पहले-पहले प्रजापिता ब्रह्मा को एडाप्ट करता हूँ।

    • यह ब्रह्मा की एडाप्शन सब ब्राह्मण हैं।
    • तो नई रचना हुई ना।
    • जरूर बहुत होंगे।
    • इतने सब विष से थोड़ेही पैदा हो सकते।
    • गाया भी जाता है प्रजापिता ब्रह्मा और जगदम्बा।
    • ब्रह्मा भी एक, विष्णु भी एक, लक्ष्मी-नारायण भी एक, जगदम्बा भी एक होती है।
    • इन ही फीचर्स वाला फिर कभी नहीं देखेंगे।
    • हर एक मनुष्य फिर कल्प बाद ही उसी फीचर्स में देखा जा सकता है।
    • यहाँ तो एक ही को बहुत फीचर्स में बना देते हैं।
  • यहाँ बहुतों के नाम राधेकृष्ण हैं।
    • परन्तु समझते थोड़ेही हैं।
    • राधे-कृष्ण तो स्वर्ग के फर्स्ट प्रिन्स, प्रिन्सेज का नाम है।
    • हम तो पतित हैं, हम कैसे यह नाम रख सकते हैं।
    • तो शिवबाबा यह नई-नई बातें सुनाते हैं, नई दुनिया के लिए यह नई बातें, नया ज्ञान है।
  • बाप कहते हैं - हमने ही कल्प पहले भी नई बातें सुनाई थी।
    • अब फिर सुना रहे हैं।
    • तुम अभी सुन रहे हो।
    • तुम देवी-देवता बन जायेंगे तो फिर यह ज्ञान खलास हो जायेगा।
    • इतनी ऊंची चढ़ाई है।
  • यह भी गाया हुआ है आश्चर्यवत् अपने बाप के बनन्ती, सुनन्ती, औरों को सुनावन्ती फिर भी अहो माया भागन्ती हो जाते हैं।
    • फिर किसको यह कह भी नहीं सकते कि बी.के. के पास चलो।
    • यह भी ड्रामा में नूँध है।
    • नथिंगन्यू।
    • बहुत आते और जाते रहेंगे।
    • भट्ठी में बैठे हुए भी माया से हारकर भागन्ती हो गये।
    • स्वर्ग में तो आयेंगे जैसा पुरुषार्थ किया है वैसा पद पायेंगे।
    • अपने लिए वा अपने सम्बन्धी आदि के लिए कोई पूछे तो बता सकते हैं।
    • खुद भी समझ सकते हैं कि इस हालत में क्या पद होगा!
  • बाप बैठ समझाते हैं - देहली में सब धर्मों की कान्फ्रेन्स होती है, अब कान्फ्रेन्स करते हैं कि सृष्टि पर शान्ति कैसे स्थापन हो या आपस में मिलकर एक कैसे हो जाएं!
    • एक तो हो न सकें।
    • रिलीजस हेड की कान्फ्रेन्स है परन्तु उनको तो पता नहीं है कि धर्म नम्बरवार कैसे हैं।
    • पहला नम्बर धर्म कौन सा है?
    • रिलीजस हेड्स माना जिस-जिस ने धर्म स्थापन किया वह हेड्स आयें।
    • जैसे चीफ मिनिस्टर्स की कान्फ्रेन्स होती है तो उसमें कलेक्टर वा जज आदि नहीं आ सकते।
    • गवर्नर्स की आपस में कान्फ्रेन्स होगी तो गवर्नर्स ही आयेंगे।
    • हाँ करके गवर्नर अपने प्राइवेट पोट्री आदि को साथ में ले आयें।
    • विचार करना चाहिए कि यह सब धर्म नम्बरवार कैसे स्थापन होते हैं?
  • सबसे बड़ा धर्म कौन सा है?
    • आदि सनातन तो देवी-देवता धर्म ही था।
    • उस धर्म का हेड कहाँ?
    • वह धर्म किसने स्थापन किया?
    • कृष्ण तो अभी है नहीं।
    • नहीं तो फिर कृष्ण को मानने वाले चाहिए।
    • वह हैं वल्लभाचारी।
    • तो जरूर हमारा देवी-देवता धर्म था, वह फिर हिन्दू धर्म कह देते हैं।
    • परन्तु हिन्दू धर्म तो है नहीं।
    • देवता धर्म का भी अभी कोई है नहीं।
    • तो धर्मों के हेड्स आने चाहिए।
    • साथ में भल पोट्री आदि को भी ले आयें।
    • मुख्य धर्म तो हैं ही 4, उनके हेड्स चाहिए।
    • देवी-देवता का हेड कौन?
    • गाते तो हैं गॉडेज आफ नॉलेज सरस्वती, प्रजापिता ब्रह्मा ... तो जरूर यही बड़े होंगे।
    • वह भी समझेंगे ब्रह्मा से ब्राह्मण धर्म हुआ।
    • परन्तु यह नहीं जानते कि यह ब्राह्मणों को कैसे पढ़ाकर देवता बनाते हैं।
  • वह ब्राह्मण लोग भी कहते हैं।
    • हम ब्रह्मा की सन्तान हैं परन्तु कैसे पैदा हुए, यह नहीं जानते।
    • फिर ब्राह्मणों में भी कोई पुश्करनी, कोई सारसिद्ध, कोई कैसे हैं।
  • यहाँ तो ब्रह्मा के बच्चे ब्राह्मण ही ब्राह्मण हैं और कोई फूट इनमें पड़ती नहीं है।
    • दूसरे ब्राह्मणों में फूट पड़ती है, इनमें नहीं।
    • न कभी देवताओं में फूट पड़ती है।
    • सूर्यवंशी सब सूर्यवंशी, मतभेद की बात नहीं।
    • फूट में कितना नुकसान हो जाता है।
    • तो बाप से तुम यह नई-नई बातें सुनते हो ना।
    • कोई गीत नहीं गाते हैं, नॉलेज देते हैं नये प्रकार की।
    • सारे सृष्टि चक्र की नॉलेज देते हैं जो धारण करनी है।
  • ऐसा जो बाप टीचर गुरू, उनको फारकती दे पढ़ाई थोड़ेही छोड़ देनी चाहिए।
    • पढ़ाई छोड़ी गोया बाप को छोड़ा, स्टूडेन्ट नहीं तो बच्चे भी नहीं।
    • बाप को छोड़ा गोया वर्से को गँवाया।
    • पतित-पावन एक ही बाप है।
  • बाप कहते हैं - अब कयामत का समय है, सबको वापिस जाना है - हिसाब-किताब चुक्तू कर।
    • सोना आग में डालते हैं, तो प्योर हो जाता है।
    • अब आग तो सारी दुनिया को लगनी है परन्तु इस आग में पावन नहीं हो सकेंगे।
    • इसमें योगबल की बात है या तो फिर सजायें खाकर शरीर छोड़ेंगे, हिसाब-किताब चुक्तू होगा।
    • पाप का हिसाब-किताब चुक्तू कर फिर पावन होकर वापिस जाना है।
    • वापिस जाने का भी समय यह है।
    • महाभारत की लड़ाई भी है।
    • होली भी मनाते हैं।
    • रावणराज्य खत्म हो जाना है फिर रामराज्य में तो बहुत थोड़े होते हैं।
    • अभी रावणराज्य में तो बहुत हैं।
    • यह सब आत्मायें कहाँ जायेंगी?
    • जरूर लिबरेटर भी चाहिए।
  • बाप कहते हैं - मैं सबको ले जाऊंगा, सबकी ज्योति जगाकर ले जाऊंगा।

    • फिर उन्हों को अपना-अपना पार्ट बजाना है।
    • तुम जानते हो हम देवी-देवता धर्म में आयेंगे।
    • मुक्तिधाम में जाकर फिर वापिस चले आयेंगे।
    • 84 जन्म भोगेंगे।
    • सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी.. बनेंगे।
    • सारा चक्र बुद्धि में आ गया है।
  • आत्मा बता सकती है कि आओ तो हम आपको शिवबाबा का आक्यूपेशन बतायें।
    • बच्चों के सिवाए तो कोई बता न सके।
    • वह कहेंगे परमात्मा तो निराकार है, उनका फिर आक्यूपेशन क्या बतायेंगे!
    • अरे वह पतित-पावन है तो जरूर पावन बनाने उनको आना है ना।
    • कैसे राजयोग सिखलाते हैं, ब्रह्मा द्वारा कैसे देवी-देवता धर्म की स्थापना होती है, वह हम बता सकते हैं।
  • तो बाबा बैठ सब बातें समझाते हैं, बच्चों को ही समझायेंगे।
    • कल्प पहले जिन्होंने पढ़ा है वह पढ़ते हैं, नहीं पढ़ सकते तो भागन्ती हो जाते हैं।
    • नई बात नहीं।
    • फिर भी बाबा का हमेशा बच्चों पर लव रहता है।
    • बिचारा फिर भी आकर बाप से पूरा वर्सा ले।
    • परन्तु तकदीर में नहीं होगा तो क्या कर सकते?
    • बाप का तो लव है ना क्योंकि भक्ति मार्ग में भी बाप को बहुत याद करते हैं।
  • जो भी देवी-देवता धर्म वाले होंगे वह जरूर याद करते होंगे।
    • आधाकल्प खूब याद करते हैं।
    • आत्मा ने सुख पाया है तो दु:ख में बाप को याद करेगी।
    • वह जास्ती भक्ति कर पुजारी से फिर पूज्य बनते हैं।
    • जो देवी-देवता थे, उनका ही सैपलिंग लग रहा है।
  • तो कान्फ्रेन्स आदि जब कहाँ भी होती हैं तो उसमें मुख्य धर्म वालों को बुलाना पड़े।
    • बी.के. को बुलायें तो वह पूरी राय देंगे।
    • प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे ब्रह्माकुमार कुमारियां ही पूरी राय दे सकते हैं कि क्या करना है।
    • तुम पीस चाहते हो परन्तु पीस तो निर्वाणधाम में ही होती है।
    • अभी तो दु:खधाम है, अनेक धर्म हैं।
    • एक धर्म था तो सुख-शान्ति सब कुछ था।
    • अभी यह विनाश तो जरूर होगा, इसमें तो खुश होना चाहिए, स्वर्ग के गेट खुल रहे हैं।
    • ऐसे-ऐसे बच्चियों को समझाना पड़े। समझा।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) कभी भी बाप को वा पढ़ाई को छोड़ वर्सा नहीं गँवाना है। एक मत हो रहना है।
  • 2) सज़ाओं से छूटने के लिये योगबल से पुराने सब हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021-22)
  • ट्रस्टी पन की स्मृति से निमित्त समझ हर कार्य करने वाले डबल लाइट भव
  • निमित्तपन का भाव बोझ को सहज खत्म कर देता है।
  • मेरी जिम्मेवारी है, मेरे को ही सम्भालना है, मेरे को ही सोचना है....तो बोझ होता है।
  • जिम्मेवारी बाप की है और बाप ने ट्रस्टी अर्थात् निमित्त बनाया है इस स्मृति से डबल लाइट बन उड़ती कला का अनुभव करते रहो।
  • जहाँ मेरा है वहाँ बोझ है इसलिए कभी किसी भी कार्य में जब बोझ महसूस हो तो चेक करो कि कहीं गलती से तेरे के बजाए मेरा तो नहीं कहते।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021-22)
  • हर बोल में आत्मिक भाव और शुभ भावना हो तो कोई भी बोल व्यर्थ नहीं जा सकता।

  • लवलीन स्थिति का अनुभव करो
  • जैसे कोई सागर में समा जाए तो उस समय सिवाय सागर के और कुछ नज़र नहीं आयेगा। ऐसे आप बच्चे सर्व-गुणों के सागर में समा जाओ। बाप में नहीं समाना है, लेकिन बाप की याद में, स्नेह के सागर में समा जाना है।
  •