24-12-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - बाप तुम्हें स्मृति दिलाते हैं तुम पावन थे, फिर 84 जन्म लेते-लेते पतित बने हो अब फिर से पावन बनो“
प्रश्नः-
बेसमझ से समझदार बनने वाले बच्चों से बाप कौन सी बात पूछकर किस पुरुषार्थ की राय देते हैं?
उत्तर:-
बच्चे, हमने तुमको कितना धन दिया था, तुम्हारे पास अनगिनत धन था, फिर तुमने इतना सब कहाँ गंवाया?
तुम इतने इनसालवेन्ट कैसे बने?
भारत जो सोने की चिड़िया था वह ऐसा कैसे बन गया?
अब बाप राय देते हैं बच्चे फिर से पुरुषार्थ कर, राजयोग सीखकर तुम स्वर्ग का मालिक बनो।
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ओम् शान्ति।
- बच्चे यहाँ किसको याद करते हैं?
- अपने बेहद के बाप को।
- वह कहाँ है?
- उनको पुकारा जाता है ना पतित-पावन.... आजकल संन्यासी भी कहते हैं पतित-पावन सीताराम...... अर्थात् हम पतितों को पावन बनाने वाले आओ।
- यह तो बच्चे समझते हैं - पावन, नई दुनिया सतयुग को, पतित पुरानी दुनिया कलियुग को कहा जाता है।
- अभी तुम कहाँ बैठे हो?
- कलियुग के अन्त में इसलिए पुकारते हैं बाबा आकर हमको पतित से पावन बनाओ।
- हम कौन हैं?
- अहम् आत्मा।
- आत्मा को ही पावन बनना है।
- आत्मा पवित्र बनती है तो फिर शरीर भी पवित्र मिलता है।
- आत्मा पतित है तो फिर शरीर भी पतित है।
- यह शरीर तो मिट्टी का पुतला है।
- आत्मा तो अविनाशी है।
- आत्मा इन आरगन्स द्वारा कहती है, पुकारती है - हम बहुत पतित बन गये हैं हमको आकर पावन बनाओ।
- बाप पावन बनाते हैं, 5 विकारों रूपी रावण पतित बनाते हैं।
- पावन सतयुग को, पतित कलियुग को कहा जाता है।
- अभी तुमको बाप ने स्मृति दिलाई है - तुम पावन थे।
- फिर ऐसे-ऐसे 84 जन्म लिए हैं, अभी बहुत जन्मों के अन्त के भी अन्त में हो।
- 84 जन्म पूरे हुए हैं।
- यह तो मनुष्य सृष्टि रूपी झाड़ है, मैं इनका बीजरूप हूँ।
- मुझे बुलाते हैं - हे परमपिता परमात्मा, जो गॉड फादर लिबरेटर और गाइड भी है।
- हर एक अपने लिए कहते हैं मुझे छुड़ाओ भी और पण्डा बनकर शान्तिधाम ले जाओ।
- संन्यासी आदि भी कहते हैं स्थाई शान्ति कैसे मिले?
- अब शान्तिधाम तो है मूलवतन।
- जहाँ से फिर आत्मायें पार्ट बजाने आती हैं।
- वहाँ सिर्फ आत्माएं हैं, शरीर नहीं हैं।
- आत्मायें नंगी अर्थात् शरीर बिगर रहती हैं।
- वह है शान्तिधाम अथवा निर्विकारी दुनिया, जहाँ आत्माएं रहती हैं।
- बच्चों को सीढ़ी पर भी समझाया है - कैसे हम सीढ़ी नीचे उतरते आये हैं।
- 84 जन्म लगे हैं।
- यह 84 जन्म है मैक्सीमम।
- फिर कोई एक जन्म भी लेते हैं।
- एक से 84 तक हैं।
- आत्माएं ऊपर से आती ही रहती हैं।
- अभी बाप कहते हैं मैं आया हूँ पावन बनाने।
- बच्चे चिट्ठी लिखते हैं तो एड्रेस लिखते हैं - शिवबाबा केअरआफ ब्रह्मा बाबा।
- शिवबाबा है आत्माओं का बाप और ब्रह्मा को कहा जाता है आदि देव, एडम, दादा।
- दादा में बाप आते हैं, कहते हैं तुमने मुझे बुलाया है - हे पतित-पावन आओ।
- आत्माओं ने इस शरीर द्वारा बुलाया है।
- मुख्य है तो आत्मा ना!
- यह है ही दु:खधाम।
- यहाँ देखो तो अचानक बैठे-बैठे अकाले मृत्यु भी हो जाती है।
- छोटे बच्चे भी मर पड़ते हैं।
- सतयुग में अकाले मृत्यु कभी होती नहीं।
- यहाँ तो बैठे-बैठे मर जाते हैं।
- वहाँ ऐसी कोई बीमारी आदि नहीं होती।
- नाम ही है स्वर्ग।
- कितना अच्छा नाम है।
- नाम कहने से ही दिल खुश हो जाती है - सतयुग, हेविन, पैराडाइज़।
- क्रिश्चियन भी कहते हैं - क्राइस्ट से 3000 वर्ष पहले पैराडाइज़ था।
- यहाँ भारतवासियों को तो यह पता भी नहीं है, क्योंकि उन्होंने बहुत सुख देखा है तो दु:ख भी बहुत देख रहे हैं।
- तमोप्रधान बने हैं।
- 84 जन्म भी उन्हों के ही हैं।
- आधाकल्प बाद और धर्म वाले आते हैं।
- अभी तुम समझते हो आधाकल्प देवी-देवता थे तो और कोई धर्म नहीं था।
- फिर त्रेता में रामराज्य हुआ तो भी इस्लामी, बौद्धी नहीं थे।
- मनुष्य तो घोर अन्धियारे में हैं।
- कह देते दुनिया की आयु लाखों वर्ष है इसलिए मनुष्य समझते हैं कलियुग तो अभी छोटा बच्चा है।
- तुम अभी समझते हो कलियुग की आयु पूरी हुई है।
- फिर सतयुग आयेगा इसलिए तुम आए हो बाप से स्वर्ग का वर्सा लेने।
- तुम सब स्वर्गवासी थे।
- बाप आते ही हैं स्वर्ग स्थापन करने।
- बाकी सब शान्तिधाम, घर चले जाते हैं।
- यहाँ आकर पार्टधारी बनते हैं।
- शरीर बिगर तो आत्मा बोल न सके।
- वहाँ शरीर न होने कारण आत्मा शान्त रहती है।
- उनको मूल-वतन, शान्तिधाम कहा जाता है।
- यह बातें शास्त्रों में हैं नहीं।
- शास्त्र तो मनुष्यों ने बनाये हैं।
- सतयुग में यह होते नहीं।
- भक्ति ही नहीं करते इसलिए शास्त्रों की भी दरकार नहीं रहती।
- देवतायें भक्ति करते नहीं, बाद में फिर देवताओं की भक्ति मनुष्य करते हैं।
- वह है ही देवताओं की दुनिया, यह है मनुष्यों की दुनिया।
- देवताओं का राज्य था, अभी नहीं है।
- कोई को पता नहीं कि कहाँ गये?
- इन लक्ष्मी-नारायण की डिनायस्टी थी, यह नॉलेज अभी तुमको मिलती है।
- और कोई मनुष्य में यह नॉलेज होती नहीं।
- बाप ही आकर मनुष्यों को यह नॉलेज देते हैं, जिससे मनुष्य देवता बन जाते हैं।
- तुम यहाँ आते ही हो मनुष्य से देवता बनने।
- देवतायें कभी अशुद्ध खान-पान बीड़ी आदि पीते नहीं।
- वह हैं देवतायें।
- यहाँ हैं सब मनुष्य।
- वह पावन, यह पतित।
- बाप बैठ आत्मा से बात करते हैं।
- आत्मा ही सुनती है इन आरगन्स द्वारा।
- शास्त्रों में यह बातें नहीं हैं।
- सतयुग में रावण होता ही नहीं है।
- दु:ख का नाम नहीं।
- फिर धीरे-धीरे दु:ख शुरू होता है।
- फिर तुम्हारे पास अथाह धन रहता है।
- भक्ति-मार्ग में तुम मन्दिर बनाते हो।
- पहले-पहले होता है सोमनाथ का मन्दिर।
- बड़े-बड़े हीरे-जवाहरात थे तुम्हारे पास।
- उनकी कोई कीमत कर नहीं सकते।
- मुख्य है सोमनाथ का मन्दिर।
- परन्तु राजायें तो सब अपना-अपना मन्दिर बनाते होंगे क्योंकि उन्हों को पूजा करनी होती है।
- पूजा पहले-पहले होती है शिव की।
- सोमनाथ भी शिव को कहा जाता है।
- सोमनाथ अर्थात् सोमरस पिलाने वाला।
- ज्ञान अमृत है ना।
- बाप बैठ समझाते हैं।
- बाप को ही ट्रुथ कहा जाता है।
- बाप कहते हैं - मैं ही आकर भारत को सचखण्ड बनाता हूँ।
- तुम सभी देवतायें कैसे बन सकते हो।
- वह भी तुमको सिखलाता हूँ।
- शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा कार्य कराते हैं।
- ब्रह्मा हो गया सांवरा क्योंकि बहुत जन्मों के अन्त का यह जन्म है ना!
- यह फिर गोरा बनेगा।
- कृष्ण का चित्र भी गोरा और सांवरा है ना!
- म्युज़ियम में बड़े अच्छे-अच्छे चित्र हैं, जिस पर तुम अच्छी रीति समझा सकते हो।
- तुम जानते हो हम शान्तिधाम अपने घर जाते हैं, वहाँ के हम रहने वाले हैं।
- फिर यहाँ आकर पार्ट बजाते हैं।
- बच्चों को पहले-पहले तो यह निश्चय होना चाहिए कि यह कोई साधू-सन्त आदि नहीं पढ़ाते हैं।
- यह तो सिन्ध का रहने वाला था परन्तु इनमें जो प्रवेश कर बोलते हैं वह है ज्ञान का सागर।
- उनको कोई नहीं जानते हैं।
- कहते भी हैं - ओ गॉड फादर, परन्तु उनका नाम, रूप, देश, काल क्या है, यह कोई नहीं जानते।
- फिर कह देते हैं सर्वव्यापी है।
- अरे परमात्मा कहाँ है?
- कहेंगे वह तो घट-घट के वासी हैं, सबके अन्दर है।
- अब हरेक के घट-घट में तो हरेक की आत्मा बैठी है।
- परमात्मा बाप को तो बुलाते हैं बाबा आकर हम पतितों को पावन बनाओ।
- तुम मुझे बुलाते हो यह धंधा, यह सेवा कराने लिए।
- हम छी-छी को आकर शुद्ध बनाओ।
- पतित दुनिया में हमको निमन्त्रण देते हो।
- बाप तो पावन दुनिया देखते ही नहीं।
- पतित दुनिया में ही तुम्हारी सेवा करने आये हैं।
- अब यह रावण राज्य विनाश हो जायेगा।
- तुम जो राजयोग सीखते हो, वहाँ जाकर राजाओं का राजा बनते हो।
- तुमको अनगिनत बार बनाया है।
- पहले-पहले है ब्राह्मण कुल, प्रजापिता ब्रह्मा भी गाया जाता है ना।
- जिसको एडम, आदि देव कहा जाता है।
- यह कोई को पता नहीं है।
- बहुत हैं जो आकर सुनकर फिर माया के वश हो जाते हैं।
- पुण्यात्मा बनते-बनते पाप आत्मा बन जाते हैं।
- माया बड़ी जबरदस्त है, सबको पाप आत्मा बना देती है।
- यहाँ कोई भी पवित्र, पुण्य आत्मा है नहीं।
- पवित्र आत्मायें देवी-देवतायें ही थे।
- जब सभी पतित बन जाते हैं तब बाप को बुलाते हैं।
- अभी है ही रावण राज्य, पतित दुनिया।
- इनको कहा ही जाता है कांटों का जंगल।
- सतयुग है गॉर्डन ऑफ फ्लावर्स।
- मुगल गॉर्डन में कितने फर्स्टक्लास अच्छे-अच्छे फूल होते हैं।
- अक के भी फूल मिलेंगे।
- परन्तु उनका अन्तर कोई नहीं समझते हैं।
- शिव के ऊपर अक का फूल क्यों चढ़ाते हैं?
- यह भी बाप समझाते हैं।
- मैं जब पढ़ाता हूँ तो उनमें कोई फर्स्टक्लास फूल है, कोई मोतिये का, कोई रतन-ज्योत का, कोई अक के भी हैं।
- नम्बरवार तो हैं ना।
- तो इनको कहा ही जाता है दु:खधाम, मृत्युलोक।
- सतयुग है अमरलोक।
- नई दुनिया बनाने वाला है ही बाप।
- उनको ही नॉलेजफुल कहा जाता है।
- वह चैतन्य बीज-रूप है।
- उनको ज्ञान का सागर कहा जाता है।
- ऐसे नहीं कि सबके अन्दर को जानते हैं, अन्तर्यामी है।
- यह मनुष्य झूठ बोलते हैं।
- बाकी ज्ञान सागर ठीक है।
- चैतन्य बीजरूप है।
- सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जानते हैं इसलिए ज्ञान का सागर कहा जाता है।
- सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान तुम बच्चों को दे रहे हैं।
- सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग.. यह चक्र फिरता ही रहता है।
- संगमयुग पर दुनिया चेंज होती है।
- अभी तुम संगमयुग पर खड़े हो और तुम राजयोगी हो।
- बाप बैठ पढ़ाते हैं।
- बाप के जो बच्चे बनते हैं वह राजयोग सीखते हैं।
- पहले-पहले मुख्य बात यह समझने की है - बाबा, बाबा भी है फिर सुप्रीम टीचर भी है, सुप्रीम फादर भी है।
- अभी तुमको शिवबाबा पढ़ाते हैं।
- यह तुम्हारा सतगुरू भी है।
- तुम सबको वापिस ले जायेंगे, जिसको शिव की बरात कहा जाता है।
- सब भक्तों को भगवान पढ़ाकर स्वर्गवासी बना देते हैं।
- यह बातें कोई शास्त्रों में नहीं हैं।
- शास्त्र तो इस दादा ने बहुत पढ़े हैं।
- बाप नहीं पढ़ते हैं।
- बाप तो खुद सद्गति दाता है।
- उनको तो कोई शास्त्र पढ़ने की दरकार नहीं।
- करके सिर्फ रेफर करते हैं सो भी सिर्फ गीता को।
- सर्व शास्त्रमई शिरोमणी गीता भगवान ने गाई है।
- परन्तु भगवान किसको कहा जाता है यह भारतवासी नहीं जानते।
- बाप को सर्वव्यापी कह देते हैं तो यह जैसे डिफेम करते हैं।
- बाप की इन्सल्ट करते हैं इसीलिए पतित बन जाते हैं।
- फिर पावन कौन बनाये?
- जिसको इतना डिफेम किया है वही आकर पावन बनाते हैं।
- कहते हैं मैं निष्काम सेवा करता हूँ।
- तुमको विश्व का मालिक बनाता हूँ।
- मैं नहीं बनता हूँ।
- स्वर्ग में मुझे याद भी नहीं करते हो।
- दु:ख में सिमरण सब करे, सुख में करे न कोई।
- इनको दु:ख का और सुख का खेल कहा जाता है।
- स्वर्ग में और कोई धर्म होता ही नहीं।
- वह सब आते ही हैं बाद में।
- क्रिश्चियन लोग खुद कहते हैं 3 हज़ार वर्ष पहले स्वर्ग था, और कोई धर्म नहीं था।
- हम आत्माएं शान्तिधाम में थी।
- यह बातें कोई शास्त्रों में नहीं हैं।
- बाप इस ज्ञान से सद्गति करते हैं जिसका नाम गीता रखा है।
- बाप को बुलाते हैं आकर यहाँ से स्वर्ग में ले चलो।
- तो पुरानी दुनिया का विनाश हो जायेगा।
- नैचुरल कैलेमिटीज़, तूफान आयेंगे बहुत जोर से।
- बाप आकर बेसमझ को समझदार बनाते हैं।
- बाप कहते हैं हमने तुमको कितना धन दिया था।
- अनगिनत धन था फिर इतना सब कहाँ गंवाया?
- बेहद का बाप पूछते हैं - कहाँ किया?
- तुम इतने इनसालवेन्ट कैसे बन गये?
- आधाकल्प से धन गंवाते-गंवाते तुम इनसालवेन्ट बन पड़े हो।
- भारत जो सोने की चिड़िया था, सो अब क्या बन गया है!
- पतित-पावन बाप आये हैं, राजयोग सिखा रहे हैं।
- वह है हठयोग, यह है राजयोग।
- यह राजयोग तो दोनों के लिए है।
- वह तो सिर्फ पुरुष ही सीखते हैं।
- अब बाप कहते हैं - पुरुषार्थ कर स्वर्ग का मालिक बनकर दिखाना है।
- इस पुरानी दुनिया का तो विनाश होना ही है।
- बाकी थोड़ा समय है, लड़ाईयाँ भी शुरू हो जायेंगी।
- एटॉमिक बॉम्बस शुरू तब करेंगे जब तुम्हारी कर्मातीत अवस्था होगी और स्वर्ग में जाने लायक बनेंगे, तब तक बनाते रहेंगे।
- बाप फिर भी बच्चों को कहते हैं - याद की यात्रा करते रहो, इसमें ही माया विघ्न डालती है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधें बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) देवता बनना है इसलिए खान-पान बड़ा शुद्ध रखना है।
- अशुद्धि को त्याग देना है।
- 2) फर्स्टक्लास फूल बनना है।
- स्वर्ग में जाने के लिए पूरा-पूरा लायक बनना है।
- कर्मातीत अवस्था बनाने के लिए पुरुषार्थ करना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- श्रेष्ठ कर्म द्वारा सिमरण योग्य बनने वाले योगयुक्त, युक्तियुक्त भव
- आपका एक-एक कर्म जितना श्रेष्ठ होगा उतना ही श्रेष्ठ आत्माओं में सिमरण किये जायेंगे।
- भक्ति में नाम का सिमरण करते हैं, लेकिन यहाँ जो श्रेष्ठ आत्मायें हैं उनके गुणों और कर्मो को मिसाल बनाने के लिए सिमरण करते हैं।
- तो आप श्रेष्ठ कर्मो के आधार पर सिमरण योग्य बनते जायेंगे, इसके लिए योगयुक्त बनो।
- योगयुक्त बनने से हर संकल्प, शब्द वा कर्म युक्तियुक्त अवश्य होगा, उनसे अयुक्त कर्म वा संकल्प हो ही नहीं सकता - यह भी कनेक्शन है।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- निमित्त और निर्माणचित्त - यही सच्चे सेवाधारी के लक्षण हैं।
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