20-12-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - तुम जो भी सुनते हो उस पर विचार सागर मंथन करो तो बुद्धि में सारा दिन यह ज्ञान टपकता रहेगा''

प्रश्नः-

यहाँ का कौन सा हुनर नई दुनिया की स्थापना में काम आयेगा?

उत्तर:-

यहाँ जो साइंस का हुनर है - जिससे एरोप्लेन, मकान आदि बनाते हैं, यह संस्कार वहाँ भी साथ ले जायेंगे।

यहाँ भल ज्ञान न लें लेकिन वहाँ यह हुनर साथ जायेगा।

तुम अभी सतयुग से लेकर कलियुग अन्त तक की हिस्ट्री-जॉग्राफी जानते हो।

तुम्हें पता है कि इन आंखों से जो कुछ पुरानी दुनिया का देखते हैं, वह सब अभी खत्म होना है।

 

गीत:- तूने रात गॅवाई सो के...


  • ओम् शान्ति।
  • बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं।
  • हूबहू जैसे 5 हजार वर्ष पहले समझाया था, वैसे फिर भी समझा रहे हैं कि पुरानी दुनिया का विनाश और नई दुनिया सतयुग की स्थापना कैसे होती है।
  • अभी है पुरानी दुनिया और नई दुनिया का संगमयुग।
  • बाप ने समझाया है नई दुनिया सतयुग से लेकर अब कलियुग अन्त तक क्या-क्या हो रहा है!
  • क्या-क्या सामग्री है!
  • क्या-क्या देखते हो!
  • यज्ञ, तप, दान-पुण्य आदि क्या करते हैं।
  • यह जो कुछ देखने में आता है यह कुछ भी रहना नहीं है।
  • पुरानी कोई भी चीज़ रहने वाली नहीं है।
  • जैसे पुराना मकान तोड़ते हैं तो उनमें जो मार्बल के पत्थर आदि अच्छी चीज़ें होती हैं, वह रख देते हैं।
  • बाकी तोड़ फोड़ देते हैं।
  • तुम बच्चे जानते हो यह पुराना सब खत्म होना है।
  • बाकी यह जो साइंस का हुनर है, वह कायम रहेगा।
  • तुम सब जानते हो कि यह सृष्टि चक्र कैसे फिरता है।
  • सतयुग से कलियुग अन्त तक क्या-क्या होता है।
  • यह साइंस भी एक विद्या है, उनसे एरोप्लेन, बिजली आदि सब कुछ बने हैं।
  • पहले यह नहीं था, अब बना है।
  • दुनिया तो चलती रहती है।
  • भारत है अविनाशी खण्ड, प्रलय तो होती नहीं।
  • यह साइंस जिससे अभी इतना सुख मिलता है, वह हुनर भी वहाँ रहता है।
  • सीखी हुई चीज़ें दूसरे जन्म में भी काम आती हैं।
  • कुछ न कुछ रहता है।
  • यहाँ भी अर्थक्वेक जहाँ होती है तो फिर जल्दी में सारा नया बना देते हैं।
  • वहाँ नई दुनिया में विमान आदि बनाने वाले भी होंगे।
  • सृष्टि तो चलती ही रहती है।
  • यह बनाने वाले फिर भी आयेंगे।
  • अन्त मती सो गति होगी।
  • भल उन्हों में यह ज्ञान नहीं है परन्तु वह आयेंगे जरूर और आकर नई-नई चीज़ें बनायेंगे।
  • यह ख्यालात अभी तुम्हारी बुद्धि में हैं।
  • यह सब खत्म हो जायेंगे, बाकी सिर्फ भारत खण्ड ही रहेगा।
  • तुम वारियर्स हो।
  • अपने लिए योगबल से स्वराज्य की स्थापना कर रहे हो।
  • वहाँ सब कुछ नया होगा।
  • तत्व भी जो तमोप्रधान हैं वह सतोप्रधान बन जायेंगे।
  • तुम भी नई पवित्र दुनिया में जाने के लिए अब पवित्र बन रहे हो।
  • तुम जानते हो हम बच्चे यह सीखकर बहुत होशियार हो जायेंगे।
  • बहुत मीठे फूल बन जायेंगे।
  • तुम कोई को भी यह बातें सुनाते हो तो वह बहुत खुश होते हैं।
  • जो जितना अच्छी रीति समझाते हैं, उन पर बहुत खुश होते हैं।
  • कहते हैं यह समझाते तो बहुत अच्छा हैं, परन्तु जब ओपीनियन लिखने लिए कहते हैं तो कहते हैं विचार करेंगे।
  • इतने में हम कैसे लिख दें।
  • एक बार सुनने से बाप से योग कैसे रखें, यह सीख नहीं सकते।
  • अच्छा तो लगता है।
  • तुम यह जरूर समझाते होंगे कि अब पुरानी दुनिया का विनाश होना है।
  • पापों का बोझा सिर पर बहुत है।
  • यह पतित दुनिया है, पाप बहुत किये हुए हैं।
  • रावणराज्य में सब पतित हैं तब तो पतित-पावन बाप को बुलाते हैं।
  • यह ज्ञान अभी तुमको है।
  • सतयुग में यह कोई नहीं जानते कि इनके बाद त्रेता आयेगा।
  • वहाँ तो प्रालब्ध भोगते हैं।
  • अब तुम बच्चे कितने बुद्धिवान बनते हो, जानते हो हमको रूहानी बाप पढ़ाते हैं।
  • बाबा है वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी, वह है शास्त्रों की अथॉरिटी।
  • उन शास्त्र पढ़ने वालों को आलमाइटी नहीं कहा जाता है।
  • यह सब भक्ति मार्ग के शास्त्र हैं।
  • बाकी यह जो बाबा तुमको पढ़ा रहे हैं, यह हैं नई दुनिया के लिए नई बातें।
  • तो तुम बच्चों को बहुत खुशी होनी चाहिए।
  • बुद्धि में सारा दिन यह ज्ञान टपकता रहे।
  • स्टूडेन्ट जो पढ़ते हैं उसको फिर रिवाइज़ भी करते हैं, जिसको ही विचार सागर मंथन कहा जाता है।
  • तुम यह समझते हो कि बाबा हमको बेहद की पढ़ाई अथवा सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का सारा राज़ बैठ समझाते हैं, जिसको तुम्हारे सिवाए कोई समझ नहीं सकते इसलिए तुमको बहुत खुशी होनी चाहिए।
  • तुम बहुत बड़े आदमी हो।
  • तुमको पढ़ाने वाला भी ऊंचे ते ऊंचा बाप है।
  • तो तुमको सदैव खुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए।
  • सदैव बुद्धि में यह बातें रिवाइज करो कि पहले-पहले हम पावन थे।
  • फिर 84 जन्म ले पतित बन गये, अब ड्रामा प्लैन अनुसार बाबा पावन बना रहे हैं।
  • साधू-सन्त सब कहते हैं कि हम रचता बाप और रचना के आदि मध्य अन्त को नहीं जानते।
  • तुम जानते हो क्राइस्ट फिर अपने समय पर आयेगा।
  • क्रिश्चियन का जैसे सारी पृथ्वी पर राज्य था, अब सब अलग-अलग हो गये हैं, आपस में लड़ झगड़ रहे हैं।
  • अब कहते हैं एक राज्य एक भाषा हो।
  • मतभेद न हो, यह कैसे हो सकता है।
  • अब तो आपस में लड़ झगड़ कर और ही पक्के हो गये हैं।
  • अभी यह तो हो नहीं सकता जो सबकी एक देवताई मत हो जाए।
  • भल कहते हैं रामराज्य चाहिए परन्तु समझते कुछ नहीं हैं।
  • तुमको भी पहले कुछ पता नहीं था।
  • अभी तुम ब्राह्मण बने हो, तुम जानते हो कि हमारा युग ही अलग है।
  • इस संगमयुग पर ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण धर्म की स्थापना होती है।
  • तुम ब्राह्मण हो राजऋषि।
  • तुम पवित्र भी हो और शिव-बाबा से राज्य प्राप्त करते हो।
  • वह योग रखते हैं ब्रह्म से, एक बाप से नहीं रखते।
  • कोई किससे रखते, कोई किससे।
  • कोई किसका पुजारी, तो कोई किसका।
  • यह किसको पता ही नहीं कि ऊंचे ते ऊंचा कौन है इसलिए बाप ने कहा है यह सब हैं आसुरी सम्प्रदाय, तुच्छ बुद्धि।
  • रावण के मुरीद हैं।
  • तुम अभी शिवबाबा के बने हो।
  • तुमको बाप से वर्सा मिलता है नई दुनिया सतयुग का।
  • बाप कहते हैं - हे आत्मायें तुमको अब तमोप्रधान से सतोप्रधान जरूर बनना है इसलिए सिर्फ मुझे याद करो।
  • कितनी सहज बात है।
  • गीता में कृष्ण का नाम डाल दिया है फिर उनको द्वापर युग में ले गये हैं।
  • भूल तो भारी की है परन्तु यह बातें उनकी ही बुद्धि में बैठेंगी जो स्थाई यहाँ आते रहेंगे।
  • मेले में आते तो ढेर हैं उनमें से देखो सैपलिंग कैसे लगता है।
  • अनेक धर्म वाले आते हैं, उसमें भी जास्ती हिन्दू धर्म वाले आते हैं, जो देवी-देवताओं के पुजारी होंगे।
  • आपेही पूज्य आपेही पुजारी...इसका भी अर्थ समझाना पड़ता है।
  • मेले प्रदर्शनी में इतना अधिक समझा नहीं सकते।
  • कोई तो 4-5 मास आते हैं, समझते हैं।
  • कोई थोड़ा अच्छी रीति समझते हैं।
  • तुम जितने जास्ती प्रदर्शनी मेले आदि करेंगे उतने बहुत आयेंगे।
  • समझेंगे ज्ञान बड़ा अच्छा है, जाकर समझें।
  • सेन्टर पर इतने चित्र नहीं होते हैं।
  • प्रदर्शनी में बहुत चित्र होते हैं।
  • तुम समझाते हो - तो अच्छा भी उन्हों को लगता है परन्तु बाहर जाने से माया का वायुमण्डल है, अपने धन्धेधोरी में लग जाते हैं।
  • अभी यह पुरानी दुनिया खत्म हो नई बनेगी और बाबा हमारे लिए स्वर्ग की बादशाही स्थापन कर रहे हैं।
  • नई दुनिया में हम जाकर नये महल बनायेंगे।
  • ऐसे नहीं नीचे से महल निकल आयेंगे।
  • पहली-पहली मुख्य यह बात निश्चय करनी है कि वह हमारा बाप भी है, टीचर भी है।
  • मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है।
  • उनमें सारी नॉलेज है, तब तो महिमा गाते हैं ज्ञान का सागर...वह बीज जड़ होता है।
  • वह बोल न सके।
  • यह चैतन्य है।
  • बाप ने तुमको सारी नॉलेज दी है जो औरों को अच्छी रीति समझानी है।
  • मेले वा प्रदर्शनी में ढेर आते हैं।
  • निकलते कोटों में कोई हैं।
  • 7-8 दिन आकर फिर गुम हो जाते हैं।
  • ऐसे करते-करते कोई न कोई निकल आयेगा।
  • समय थोड़ा है, विनाश सामने खड़ा है।
  • कर्मातीत अवस्था को पाना है जरूर।
  • पतित से पावन होने के लिए याद बहुत जरूरी है।
  • अपनी सम्भाल करनी है।
  • मुझे सतोप्रधान बनना है - यह चिंता लगी रहे क्योंकि सिर पर जन्म-जन्मान्तर का बोझा है।
  • रावण राज्य होने से सीढ़ी उतरते ही आये हो।
  • अब योगबल से चढ़ना है।
  • रात दिन यही फिकरात रहे कि मुझे सतोप्रधान बनना है और सृष्टि चक्र की नॉलेज भी बुद्धि में चाहिए।
  • स्कूल में भी यह रहता है कि हम फलानी-फलानी सबजेक्ट में पास हो जायें, इसमें मुख्य सब्जेक्ट है याद की।
  • सृष्टि के आदि मध्य अन्त का भी ज्ञान चाहिए।
  • तुम्हारी बुद्धि में सारा सीढ़ी का ज्ञान है कि अब हम बाबा की याद से सतयुगी सूर्यवंशी घराने की सीढ़ी चढ़ते हैं।
  • 84 जन्म लेते सीढ़ी उतरते आये, अब फट से चढ़ जाना है।
  • गायन है ना - सेकेण्ड में जीवनमुक्ति।
  • इस जन्म में ही बाप से जीवनमुक्ति का वर्सा लेकर सो देवता बन जायेंगे।
  • बाबा कहते हैं बच्चे तुम ही सूर्यवंशी थे, फिर चन्द्रवंशी, वैश्य वंशी बने।
  • अभी तुमको ब्राह्मण बनाता हूँ।
  • ब्राह्मण हैं चोटी।
  • ऊंचे ते ऊंचा परमपिता परमात्मा आकर ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय तीन धर्मों की स्थापना करते हैं।
  • तुम जानते हो अभी हम ब्राह्मण वर्ण में हैं।
  • फिर देवता वर्ण में आयेंगे।
  • बच्चों को रोज़ कितना बुद्धि में ज्ञान भरते रहते हैं, जिसको धारण करना है।
  • नहीं तो आप समान कैसे बनायेंगे।
  • सूर्यवंशी घराने में बहुत थोड़े आयेंगे, जो अच्छी रीति पढ़ेंगे और पढ़ायेंगे।
  • इस समय तुम्हारी गत मत दुनिया से बिल्कुल न्यारी है।
  • जैसे कहते हैं ईश्वर की गत मत न्यारी है।
  • तुम्हारे सिवाए कोई भी बाप से योग लगाते नहीं हैं।
  • प्रदर्शनी में आते हैं फिर चले जाते हैं।
  • वह बन जाते हैं प्रजा।
  • बाकी जो अच्छी रीति पढ़ेंगे, पढ़ायेंगे वह अच्छा पद पा सकते हैं।
  • फिर तुम्हारी यह मिशनरी भी जोर भरती जायेगी।
  • बहुतों को कशिश होगी, आते रहेंगे।
  • नई बात को फैलने में समय तो लगता है ना।
  • चित्र भी फट से बहुत बन जायेंगे।
  • दिन-प्रतिदिन मनुष्य भी वृद्धि को पाते जाते हैं।
  • तुम जानते हो यह जो बाम्ब्स आदि की लड़ाई लगेगी फिर क्या हाल होगा।
  • दिन-प्रतिदिन दु:ख अपार होता जायेगा।
  • आखरीन यह दु:ख की दुनिया खत्म होगी।
  • टोटल विनाश नहीं होगा।
  • शास्त्रों में गायन है यह भारत अविनाशी खण्ड है।
  • तुम जानते हो हमारा यादगार हूबहू आबू में है।
  • उस पर समझाना चाहिए, वह है जड़ यादगार।
  • यहाँ प्रैक्टिकल स्थापना हो रही है।
  • राजयोग सीख रहे हो वैकुण्ठ के लिए।
  • देलवाड़ा मन्दिर कितना अच्छा बना हुआ है।
  • हम भी यहाँ आकर बैठे हैं।
  • पहले से ही हमारा यादगार बना हुआ है।
  • तुम स्वर्ग की राजाई पाने के लिए यहाँ बैठे हो।
  • कहते हैं बाबा हम आपसे राज्य लेकर ही छोड़ेंगे।
  • जो अच्छी तरह सारा दिन सिमरण करते और कराते होंगे, खुशी भी उन्हों को रहेगी।
  • स्टूडेन्ट खुद समझते हैं - हम पास होंगे वा नहीं।
  • लाखों करोड़ों में से स्कालरशिप कितने थोड़ों को मिलती है।
  • मुख्य हैं 8 सोने के फिर 108 चांदी के, बाकी 16000 तॉम्बे के।
  • जैसे देखो पोप मेडल्स देते थे तो सबको सोने का थोड़ेही देंगे।
  • कोई को सोने का, कोई को चांदी का।
  • माला भी ऐसे बनती है।
  • तुम चाहते हो गोल्डन प्राइज लेवें।
  • चांदी की लेने से चन्द्रवंशी में आ जायेंगे।
  • बाबा कहते हैं मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे और कोई उपाय ही नहीं है।
  • यही फुरना रखो पास होने का।
  • लड़ाई का थोड़ा जास्ती हंगामा होगा फिर जोर से पुरुषार्थ करने लग पड़ेंगे।
  • इम्तहान के टाइम स्टूडेन्ट भी गैलप करने पुरुषार्थ में लग जाते हैं।
  • यह बेहद का स्कूल है।
  • प्रदर्शनी पर खूब प्रैक्टिस करते रहो।
  • प्रोजेक्टर से इतने प्रभावित नहीं होते हैं, जितना प्रदर्शनी देख वन्डर खाते हैं।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) पुरानी दुनिया का विनाश हो उसके पहले अपनी कर्मातीत अवस्था बनानी है, याद में रह सतोप्रधान बनना है।
  • 2) सदा यही खुशी रहे कि हमें पढ़ाने वाला स्वयं ऊंचे ते ऊंचा बाप है।
    • पढ़ाई अच्छी रीति पढ़नी और पढ़ानी है।
    • सुनकर विचार सागर मंथन करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • निर्विकारी वा फरिश्ते स्वरूप की स्थिति का अनुभव करने वाले आत्म-अभिमानी भव
  • जो बच्चे आत्म-अभिमानी बनते हैं वह सहज ही निर्विकारी बन जाते हैं।
  • आत्म-अभिमानी स्थिति द्वारा मन्सा में भी निर्विकारीपन की स्टेज का अनुभव होता है।
  • ऐसे निर्विकारी, जिन्हें किसी भी प्रकार की इम्प्युरिटी वा 5 तत्वों की आकर्षण आकर्षित नहीं करती - वही फरिश्ता कहलाते हैं।
  • इसके लिए साकार में रहते हुए अपनी निराकारी आत्म-अभिमानी स्थिति में स्थित रहो।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • जीवन में अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करने के लिए विशेष अमृतवेले एकान्तप्रिय बनो।