16-12-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - तुम अभी 21 जन्मों के लिए विश्व के मालिक बनते हो, अभी तुम्हारे पर ब्रहस्पति की अविनाशी दशा है''

प्रश्नः-

सच्चे सेवाधारी बच्चों की बुद्धि में कौन सी बात सदैव याद रहती है?

उत्तर:-

धन दिये धन ना खुटे... वह सदैव दान करते ही रहते हैं।

उनकी बुद्धि में रहता है कि हम अपना ही कल्याण करते हैं।

बाप भी साक्षी होकर देखते हैं कि कौन-कौन अपनी जीवन ऊंच बनाते हैं और कौन पास होंगे।

ज्ञान में मैनर्स भी बहुत अच्छे चाहिए।

कभी छोटी-छोटी बात में फंक नहीं होना चाहिए।

 

गीत:- तुम्हीं हो माता, पिता तुम्हीं हो...


  • ओम् शान्ति।
  • गुडमार्निंग बच्चों को।
  • आज है गुरूवार।
  • तुम बच्चों के लिए यह वृक्षपति डे वा ब्रहस्पतिवार है उत्तम।
  • सप्ताह में सबसे उत्तम दिन यह है।
  • वृक्षपति का नाम गाया हुआ है।
  • ब्रहस्पति की दशा बैठी हुई है।
  • वृक्षपति बाबा फिर से हमको अपना बेहद सुख का वर्सा दे रहे हैं।
  • बेहद का संन्यास भी करवाते हैं, निवृत्ति मार्ग वालों का तो हद का संन्यास है।
  • सबको संन्यास करना है।
  • बाप कहते हैं आगे चलकर तो बहुत ही सुनेंगे।
  • पतित-पावन बाप, जो गाइड और लिबरेटर है, वह कहते हैं मैं आया हूँ सबको मुक्तिधाम में वापिस ले चलने के लिए।
  • भक्ति मार्ग में मुक्ति के लिए ही पुरूषार्थ करते हैं।
  • भक्ति में कितना समय रहना पड़ता है।
  • जो भक्ति के बाद भक्ति का फल मिले।
  • यह तुम्हारे सिवाए कोई नहीं जानते हैं।
  • तुम बच्चे जानते हो कि पूरे 2500 वर्ष लगते हैं।
  • यह भी ड्रामा में नूँध है।
  • यह बना-बनाया खेल है।
  • हर एक अपना-अपना पार्ट बजाते रहते हैं।
  • तुम भी कल्प-कल्प यही पार्ट बजाते हो।
  • कितनी खुशी की बात है।
  • हमारे ऊपर ब्रहस्पति की दशा बैठी हुई है।
  • हम 21 जन्मों के लिए स्वर्ग के मालिक बनते हैं।
  • अब हमारी चढ़ती कला है।
  • नर्क मुर्दाबाद, स्वर्ग जिंदाबाद होता है।
  • सुख-दु:ख का खेल भी तुम बच्चों के लिए है।
  • बाप कहते हैं यह आदि सनातन देवी-देवता धर्म बहुत सुख देने वाला है।
  • वह है ही नई दुनिया।
  • वहाँ खानियां भी नई होंगी।
  • जो कुछ वहाँ पैदाइस होती है, सब कुछ नया होगा।
  • पुरानी चीज़ हो जाने पर वह सत (सार) नहीं रहता।
  • तो अब दुनिया में भी कोई सार नहीं है।
  • बाप को कहते हैं सर्वशक्तिमान।
  • तो क्या शक्ति दिखलाते हैं?
  • वह तो तुम बच्चे ही जानते हो।
  • पतित-पावन सद्गति दाता, लिबरेटर बाप आकर तुमको इतनी शक्ति देते हैं।
  • अनेक धर्मों का विनाश कराए एक धर्म, एक राज्य की स्थापना करना, क्या यह शक्ति का काम नहीं है?
  • यह ऊंच कार्य तुम बच्चों द्वारा करवाते हैं।
  • तुमको कितनी शक्ति मिलेगी जो कि तुम्हारे सब पाप कट जायेंगे और तुम पुण्य आत्मा बन जायेंगे।
  • जितनी जो मेहनत करेगा उतना ऊंच पद पायेगा।
  • फिर भी स्वर्ग के लायक तो बन ही जायेंगे।
  • पहले न्यु वर्ल्ड थी, अब है ओल्ड वर्ल्ड।
  • यह भी समझते नहीं हैं, बिल्कुल ब्लाइन्ड फेथ है।
  • तुम बच्चे जानते हो - पहले हम बुद्धिहीन थे, गाया भी हुआ है अन्धे की औलाद अन्धे।
  • सब भगवान को ढूँढते ही रहते हैं, ठोकरें खाते रहते हैं।
  • मिलता कुछ भी नहीं है।
  • बहुत मेहनत करते हैं।
  • कोई तो बिचारे प्राण भी त्याग देते हैं।
  • देवताओं को राज़ी करने के लिए बलि भी चढ़ाते हैं।
  • उनको फिर महाप्रसाद समझते हैं।
  • अब गऊ हत्या के लिए एनाउन्स करते हैं।
  • समझते हैं गऊ माता है, दूध देती है।
  • ऐसे तो बकरियां भी दूध देती हैं, उनकी रक्षा क्यों नहीं करते?
  • तो कहते हैं कृष्ण का गऊ के साथ प्यार था।
  • अब ऐसी बात नहीं है।
  • बाप समझाते हैं तुम तो सतयुग के प्रिन्स प्रिन्सेज थे, फिर 84 जन्म लेकर आए तमोप्रधान बने हो।
  • अब फिर पुरुषार्थ कर सतोप्रधान प्रिन्स-प्रिन्सेज बनना है।
  • यह है ही डबल ताजधारी प्रिन्स-प्रिन्सेज बनने की पाठशाला।
  • भल गीता पाठशालायें तो बहुत हैं, परन्तु वहाँ यह नहीं सुनाते हैं कि तुम स्वर्ग में प्रिन्स-प्रिन्सेज कृष्ण जैसे बनेंगे।
  • ऐसे कोई गीता पाठी बताते हैं क्या?
  • यहाँ तो बाप बतलाते हैं, यह इम्तहान है ही प्रिन्स-प्रिन्सेज बनने का।
  • उनमें भी बहुत नम्बर हैं।
  • 16108 की माला गाई जाती है, सिर्फ 108 थोड़ेही होंगे।
  • अभी तो अनगिनत मनुष्य हैं।
  • वह कम तो होने ही हैं।
  • तुम कोई-कोई बातें अखबार में भी डाल सकते हो, यह जो गऊ हत्या के लिए भूख हड़ताल आदि कर रहे हैं, यह कल्प पहले भी किया था।
  • नथिंगन्यु।
  • इस समय परमात्मा को पुकारते हैं - हमको पावन दुनिया में ले चलो।
  • अब कैसे ले चलेंगे, यह तो तुम बच्चे ही जानते हो।
  • परन्तु वह दैवीगुण अभी आये नहीं हैं।
  • दैवीगुणों की धारणा बहुत ही कम है।
  • ज्ञान तो बहुतों को अच्छा भी लगता है।
  • समझते हैं बी.के. पवित्र रहते हैं, सादगी में रहते हैं।
  • जेवर आदि नहीं पहनते हैं परन्तु चलन भी अच्छी चाहिए।
  • जो घर में भी रहते हैं वह कब पति को वा माँ बाप को नहीं कह सकते कि हमको अच्छे जेवर, अच्छे कपड़े लेकर दो।
  • नहीं, क्योंकि तुम जानते हो कि अभी हम वनवाह में बैठे हैं।
  • यह पुराना शरीर, यह वस्त्र छोड़ हम विष्णुपुरी में जा रहे हैं।
  • शिवबाबा हमारा पतियों का पति, गुरूओं का गुरू है तभी तो सब उनको याद करते हैं कि हे पतित-पावन आओ।
  • वही आकर सबको सद्गति देते हैं।
  • सिक्ख लोग भी कहते हैं अकालमूर्त।
  • सत श्री अकाल।
  • आत्मा को कभी काल नहीं खाता है।
  • शरीर तो विनाश हो जाता है।
  • आत्मा तो विनाश होती नहीं है।
  • तो उस सतगुरू, अकाल मूर्त को याद करते हैं कि आकर हमको सद्गति दो।
  • अकाल घर में ले चलो, जहाँ से हम आये हैं।
  • तो तुम बच्चों को यह समझाना है कि सतगुरू अकालमूर्त वह एक ही है फिर तुम अपने को गुरू कैसे कहलाते हो?
  • बाप समझाते हैं यह भक्ति मार्ग के अथाह गुरू हैं।
  • ज्ञान सागर तो एक ही बाप है।
  • उनसे तुम नदियां निकलती हो।
  • यह बातें बाबा ही समझाते हैं।
  • बेहद का बाप बेहद का वर्सा देते हैं।
  • लौकिक टीचर भी पढ़ाई का वर्सा देते हैं।
  • अब बाबा आकर कहते हैं मामेकम् याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
  • सिर पर पापों का बोझा है ना।
  • बाप को याद करने से बुद्धि गोल्डन बनेगी।
  • अभी तो सबकी बुद्धि छी-छी, आइरन एज है।
  • मूर्ति के आगे जाकर कहते हैं हम छी-छी हैं।
  • आप वाह-वाह हो।
  • तुम ही पावन ऊंच थे।
  • तुम ही पतित बन नीचे आये हो।
  • नाटक ही भारत पर है।
  • 84 जन्मों की कहानी भी तुमसे ही लगती है।
  • जो कृष्ण की राजधानी में पहले आयेंगे वही पूरे 84 जन्म लेंगे।
  • यह भी किसको मालूम नहीं है कि अब स्वर्ग, कृष्णपुरी स्थापन हो रही है।
  • तुम क्लीयर कर लिख सकते हो कि हम योगबल से भारत को श्रेष्ठाचारी बना देंगे।
  • बर्थ कन्ट्रोल के लिए इतना माथा मारते हैं परन्तु यह तो बाप का ही काम है।
  • विनाश के बाद बाकी 9 लाख ही रह जायेंगे।
  • इसमें बाप कोई खर्चा नहीं करते हैं।
  • न कोई दुआ आदि की बात है।
  • परन्तु इस पुरानी दुनिया का विनाश होना ही है।
  • यह है संगम।
  • गाया भी हुआ है कि ब्रह्मा द्वारा स्थापना तो जरूर यहाँ ही चाहिए ना।
  • तो ब्रह्मा को बिठाया है।
  • लोग कहते हैं दादा को क्यों बिठाया है?
  • कोई को भी बिठायेंगे तो कहेंगे फलाने को क्यों बिठाया है!
  • ब्रह्मा तो बिल्कुल साधारण है।
  • सबसे बड़ा तो ब्रह्मा ही हो सकता है।
  • बात तो बिल्कुल सिम्पुल है।
  • परन्तु कितना समझाना पड़ता है।
  • भगवान आते ही हैं पतित शरीर और पतित दुनिया में।
  • पावन शरीर तो यहाँ किसका हो न सके।
  • सीढ़ी के चित्र में भी दिखाया है कि कांटों के जंगल में खड़े हैं।
  • यह पतित दुनिया है ना।
  • भगवान आते ही हैं पतित साधारण तन में, फिर उनका नाम ब्रह्मा रखा है।
  • यह सब बातें बुद्धि में रखनी हैं।
  • अनेक प्रकार के लोग प्रश्न पूछते हैं।
  • सीढ़ी का चित्र समझाने वालों की बुद्धि बड़ी अच्छी चाहिए।
  • परन्तु जिनका यहाँ आने का पार्ट ही नहीं है, वह आकर फालतू प्रश्न करेंगे।
  • 84 का चक्र गाया भी हुआ है।
  • सो भी सब तो ले नहीं सकते।
  • जो पूज्य हैं वही पुजारी बनते हैं।
  • ज्ञान तो बिल्कुल सहज है।
  • सिर्फ बाबा को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे और तुम देवी-देवता बन जायेंगे।
  • ब्राह्मण ही फिर देवता बनेंगे।
  • विराट रूप का चित्र, गोला, सीढ़ी, त्रिमूर्ति यह चित्र आपस में कनेक्शन रखते हैं।
  • बाप कितनी समझाने की युक्ति बताते हैं।
  • कोई तो धारणा करते हैं।
  • कोई तो एक कान से सुन दूसरे से निकाल भी देते हैं।
  • तुम बच्चों की बुद्धि में है कि हमारी किंगडम स्थापन हो रही है।
  • तुम हो अब संगमयुग पर।
  • संगम का ही गायन है कि आत्मा परमात्मा अलग रहे बहुकाल।
  • हम ही पहले सतयुग में आते हैं।
  • बाकी सब शान्तिधाम में होते हैं।
  • पहले वही आयेंगे जो कल्प पहले आये होंगे और जो अच्छी रीति पढ़ेंगे।
  • जो अच्छी रीति नहीं पढ़ेंगे वह पिछाड़ी में आयेंगे।
  • सब हिसाब-किताब है।
  • यह बातें सर्विसएबुल बच्चों की बुद्धि में बैठेंगी।
  • गाया भी हुआ है धन दिये धन ना खुटे..।
  • दान नहीं करते तो गोया पढ़ते नहीं।
  • बाप देखते हैं कौन भारत के रूहानी सेवाधारी हैं।
  • जैसेकि वह अपना ही कल्याण करते हैं।
  • बाप पढ़ाई भी पढाते हैं।
  • साक्षी होकर देखते भी हैं कि कौन-कौन अपना ऊंच जीवन बनाते हैं और कौन पास होंगे।
  • तुम भी देखते हो कि सबसे ऊंच सर्विसएबुल कौन हैं?
  • प्रदर्शनी में भी उन बच्चों को ही बुलाते हैं।
  • कोई तो ऐसे ही चले जाते हैं।
  • जाकर देखें, अनुभव करें।
  • इस ज्ञान में मैनर्स भी अच्छे चाहिए।
  • फँक भी नहीं होना चाहिए।
  • एक छुईमुई की बूटी होती है, हाथ लगाने से मुरझा जाती है।
  • कितनी वन्डरफुल बूटी है।
  • दूसरी है संजीवनी बूटी, जो पहाड़ों पर होती है।
  • वास्तव में बाबा आकर तुमको संजीवनी बूटी देते हैं कि मन्मनाभव।
  • बाकी शास्त्रों में तो क्या-क्या लिख दिया है।
  • तुम ही नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार महावीर महावीरनियां हो।
  • तुम भी माया पर विजय पाते हो।
  • तुम हो इनकागनीटो वारियर्स।
  • बड़े से बड़ी हिंसा है काम कटारी चलाना।
  • दूसरा नम्बर है; क्रोध करना, कडुवा बोलना - यह भी हिंसा है।
  • बच्चों को तो सदैव खुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए।
  • जो बच्चे सर्विस में तत्पर हैं, उनमें भी माताओं का नाम आगे है।
  • तुम हो शिव शक्ति सेना।
  • गवर्नर ने भी कहा कि मातायें जो कार्य कर रहीं हैं, यह बहुत अच्छा है।
  • परन्तु यहाँ तो यह दोनों के लिए ज्ञान है।
  • हाँ माताओं की मैजारिटी है।
  • यह थोड़ेही कि प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सिर्फ कुमारियां ही हुई।
  • कुमार भी तो हैं ना।
  • जब दोनों ज्ञान लेवें तब तो प्रवृत्ति ठीक चले।
  • जिसके घर में बच्ची होती है तो समझते हैं लक्ष्मी आई।
  • जहाँ बच्ची नहीं होती तो समझते हैं यह घर निभागा है।
  • देखो, लक्ष्मी की पूजा करते हैं, स्त्री को घर का श्रृंगार माना जाता है।
  • लक्ष्मी है तो उनके साथ नारायण भी होगा।
  • आजकल माताओं का बहुत रिगॉर्ड रखते हैं।
  • सबसे जास्ती रिगॉर्ड तो बाप ही आकर रखते हैं।
  • पहले लक्ष्मी फिर नारायण।
  • आजकल मिस्टर और मिसेज अक्षर निकाल श्री नाम रख दिया है।
  • यह है माया की मत।
  • और कोई खण्ड में श्री अक्षर नहीं है।
  • श्री क्राइस्ट कभी नहीं कहेंगे।
  • श्रीमत है ही एक भगवान की, जो श्रीमत से आकर श्रेष्ठाचारी बनाते हैं।
  • तुम बच्चों को तो बहुत पुरूषार्थ करना चाहिए।
  • परन्तु कोई देह-अभिमान में आकर अपना पद भ्रष्ट कर देते हैं।
  • इस समय सब देह-अभिमानी हैं।
  • और कोई पाठशाला ऐसे हो नहीं सकती जहाँ कि आत्माओं को बैठ परमात्मा पढ़ाते हो।
  • अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।
  • कोई का भी ड्रामा में ऐसा पार्ट नहीं है।
  • आत्मा में ही सारा अविनाशी पार्ट भरा हुआ है - 84 जन्मों का।
  • सीढ़ी का चित्र तो क्लीयर कर देता है।
  • यह तुम जानते हो कि जिसने 84 जन्म लिये होंगे वही आयेंगे।
  • बाकी के लिए ऐसे ही समझना है कि पिछाड़ी में आने वाले हैं।
  • अब बच्चों को बहुत ही समझदार बनना है।
  • अच्छी रीति पढ़ना है।
  • जो अच्छी रीति पढ़ेंगे और फिर पढ़ायेंगे, वही ऊंच पद पायेंगे।
  • बाप समझानी तो बहुत अच्छी देते हैं कि देह सहित सबको भूलो।
  • अपने को आत्मा समझो।
  • इस पुरानी दुनिया को भूल जाना है, सिर्फ एक बाप को याद करना है।
  • याद से ही बाप का वर्सा पायेंगे।
  • आजकल ईशारा भी करते हैं कि भगवान को याद करो तो जरूर एक ही बाप है ना।
  • बाकी सब बच्चे हैं।
  • ऊंचे ते ऊंचा है ही शिवबाबा फिर ब्रह्मा, विष्णु, शंकर फिर जगत अम्बा.. भक्ति मार्ग का पसारा (विस्तार) है झाड़।
  • ज्ञान है बीज।
  • अच्छा! मीठे मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) इस समय स्वयं को वनवाह में समझना है।
    • अच्छे कपड़े, अच्छे जेवर पहनने का शौक छोड़ देना है।
  • सादगी में रहते हुए चलन बहुत रॉयल रखनी है।
  • 2) छुईमुई कभी नहीं बनना है।
    • मुख से कड़ुवे बोल नहीं बोलने हैं।
    • संजीवनी बूटी से माया जीत बनना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • साकार बाप समान अपने हर कर्म को यादगार बनाने वाले आधारमूर्त और उद्धारमूर्त भव
  • जैसे साकार बाप ने अपना हर कर्म यादगार बनाया ऐसे आप सभी का हर कर्म यादगार तब बनेगा जब स्वयं को आधारमूर्त और उद्धारमूर्त समझकर चलेंगे।
  • जो अपने को विश्व परिवर्तन के आधारमूर्त समझते हो, उनका हर कर्म ऊंचा होता है और वृत्ति-दृष्टि में जब सर्व के कल्याण की भावना रहती है तो हर कर्म श्रेष्ठ हो जाता है।
  • ऐसे श्रेष्ठ कर्म ही यादगार बनते हैं।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • सत्यता की शक्ति को धारण करने के लिए सहनशील बनो।