15-12-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - ऊंच पद का आधार पढ़ाई और याद की यात्रा पर है इसलिए जितना चाहो उतना गैलप कर लो"

प्रश्नः-

कौन सा गुह्य राज़ पहले-पहले नहीं समझाना है? क्यों?

उत्तर:-

ड्रामा का जो गुह्य राज़ है, वह पहले-पहले नहीं समझाना है क्योंकि कई मूँझ जाते हैं।

कहते हैं ड्रामा में होगा तो आपेही राज्य मिलेगा।

आपेही पुरुषार्थ कर लेंगे।

ज्ञान के राज़ को पूरा न समझ मतवाले बन जाते हैं।

यह नहीं समझते कि पुरुषार्थ बिना तो पानी भी नहीं मिलेगा।

 

गीत:- भोलेनाथ से निराला...


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे रूहानी बच्चों प्रति गुडमार्निंग।
  • बाबा ने इतने भभके से बच्चों से गुडमार्निंग की।
  • बच्चों ने रेसपान्ड नहीं किया।
  • बच्चों को तो और ही जास्ती आवाज से बोलना चाहिए।
  • रूहानी बाप रूहानी बच्चों से गुडमार्निंग करते हैं।
  • बच्चे भी जानते हैं कि हम इस शरीर द्वारा रूहानी बाप को गुडमार्निंग करते हैं।
  • तो बच्चों को इतना हुल्लास से कहना चाहिए ना - वाह बाबा!
  • आखिर वह दिन आया आज, जिसको सारी दुनिया पुकारती रहती वह बाप सम्मुख हमसे गुडमार्निंग कर रहे हैं।
  • फिर जब सतोप्रधान बन जायेंगे तो पतित-पावन को याद नहीं करेंगे।
  • अभी तमोप्रधान हैं तभी याद करते हैं कि हे पतित-पावन आओ, आकर हमको पावन बनाओ।
  • अब तुम जानते हो कि बरोबर पतित-पावन बाबा को ही आना पड़ता है।
  • वही सुप्रीम फादर, गॉड फादर है।
  • क्राइस्ट को सुप्रीम फादर तो नहीं कहेंगे।
  • क्राइस्ट को सन आफ गॉड मानते हैं।
  • सबसे सुप्रीम वह एक ही है।
  • यह भी समझते हैं कि वह गॉड फादर ही इन पैगम्बरों को भेजते हैं।
  • यह भी जरूर है कि पतितों को पावन बनाने सुप्रीम फादर को ही आना है।
  • अब वह तो है निराकार।
  • कहते भी हैं कि ब्रह्मा द्वारा स्थापना कराते हैं।
  • यह भी किसको पता नहीं कि ब्रह्मा और विष्णु का आपस में क्या सम्बन्ध है।
  • निराकार को मुख जरूर चाहिए इसलिए इनको भागीरथ भी कहा जाता है।
  • मुख द्वारा ही तो समझायेंगे ना।
  • डायरेक्शन देते हैं कि मनमनाभव।
  • तो मुख द्वारा कहेंगे ना।
  • इसमें प्रेरणा की तो बात हो नहीं सकती।
  • बाप तो ब्रह्मा द्वारा बैठ सब वेदों शास्त्रों का सार समझाते हैं।
  • हर चीज़ का सार निकालते हैं ना।
  • गाते हैं तुम मात-पिता हम बालक तेरे...तो वही इसमें प्रवेश कर तुमको नॉलेज देते हैं।
  • कितनी समझने की बातें हैं।
  • प्रजापिता ब्रह्मा को भी पिता कहते हैं।
  • तो माता कहाँ?
  • बाप बैठ समझाते हैं कि यह प्रजापिता भी है तो माता भी है।
  • मैं तो सभी आत्माओं का बाप हूँ।
  • मुझे ही गॉड फादर कहते हैं।
  • भारतवासी पुकारते भी हैं तुम मात-पिता... परन्तु अर्थ कुछ भी नहीं जानते।
  • निराकार को माता कैसे कह सकते।
  • वह इसमें प्रवेश कर एडाप्ट करते हैं।
  • तो यह ब्रह्मा माता बन जाती है।
  • इन द्वारा ही दैवी रचना रचते हैं।
  • यह भी एडाप्टेड मदर है।
  • वह फादर है।
  • इसको फिर नंदीगण, बैल भी दिखाते हैं।
  • गाय को कभी भी नहीं दिखाते।
  • यह बहुत वन्डरफुल बातें हैं।
  • कोई-कोई नये आते हैं तो डिटेल में सुनाना पड़ता है।
  • नहीं तो इन बातों को वह समझ नहीं सकेंगे।
  • कोई शुरूड बुद्धि होते हैं तो झट समझ जाते हैं।
  • 30 वर्ष वाले से भी मास वाले तीखे चले जाते हैं इसलिए ऐसे नहीं समझना चाहिए कि हम तो बहुत देरी से आये हैं।
  • बाप कहते हैं बच्चे पुरुषार्थ करो।
  • जैसे कॉलेज में आने वाले पढ़ाई कर गैलप कर लेते हैं।
  • यहाँ भी ऐसे है।
  • सारा मदार पढ़ाई और याद पर है।
  • बच्चे जानते हैं कि मूलवतन में तो आत्मायें सतोप्रधान होती हैं।
  • तमोप्रधान आत्मायें तो वहाँ जा नहीं सकती।
  • फिर सब एक्टर अपने-अपने पार्ट अनुसार स्टेज पर आते हैं।
  • ड्रामा ही ऐसा बना हुआ है।
  • हद के ड्रामा में तो 50-60 एक्टर होंगे।
  • यहाँ तो कितना बड़ा बेहद का ड्रामा है।
  • बाबा ने हमारी बुद्धि का ताला खोल दिया है।
  • तो अब समझते हैं कि यह लक्ष्मी-नारायण विश्व के मालिक थे, कितने साहूकार थे।
  • आधाकल्प विश्व के मालिक थे।
  • उसको कहा जाता है अद्वेत राज्य।
  • वहाँ है ही एक धर्म।
  • वह है रामराज्य, यह है रावण राज्य।
  • रामराज्य में विकार होते ही नहीं।
  • वास्तव में इसको ईश्वरीय राज्य कहेंगे।
  • ईश्वर को राम नहीं कहा जाता।
  • बहुत लोग राम-राम की माला जपते हैं परन्तु याद तो भगवान को करते हैं।
  • नाम राम का राइट है क्योंकि यह तो कोई जानते नहीं कि ईश्वर का नाम रूप क्या है?
  • मनुष्य तो बहुत मूँझे हुए हैं।
  • रावण कौन है - यह नहीं जानते।
  • रावण को जलाने पर कितना खर्चा करते हैं।
  • आगे दशहरा दिखाने के लिए बाहर वालों को भी बुलाते थे।
  • साइंस का भी देखो अभी कितना जोर है।
  • यह साइंस सुख के लिए भी है तो दु:ख के लिए भी है।
  • सुख तो इससे अल्पकाल का ही मिलता है।
  • इससे ही इस दुनिया का विनाश होता है।
  • तो यह दु:ख हुआ ना।
  • तुम्हारी है साइलेन्स पावर।
  • उन्हों की है साइंस पावर।
  • तुम साइलेन्स से अपने स्वधर्म में रहते हो तो पवित्र बन जाते हो।
  • याद से विकर्म विनाश होते हैं।
  • तुम योगबल से राजाई लेते हो, इसमें लड़ाई आदि की बात नहीं।
  • तुम बाबा से राजाई का वर्सा पाते हो।
  • बाहुबल की तो बात ही अलग है।
  • कल्प-कल्प तुम बच्चे ही पतित से पावन बनते हो फिर पावन से पतित बनेंगे।
  • यह ड्रामा है हार जीत का।
  • परन्तु यह बातें सबकी बुद्धि में नहीं बैठेंगी।
  • सब तो सतयुग में आयेंगे नहीं।
  • बेहद का बाप अपने बच्चों को ही समझाते हैं।
  • दूसरे धर्म वाले आते ही बाद में हैं।
  • यह पुरानी दुनिया है, दैवी धर्म का फाउन्डेशन ही सड़ गया है।
  • बाकी ऐसे नहीं कहेंगे कि फाउन्डेशन था ही नहीं।
  • था मगर अब नहीं है।
  • प्राय: गुम हो गया है।
  • अब अनेक धर्म हैं, इनको रावण राज्य कहते हैं।
  • कहते हैं विष्णु की नाभी से ब्रह्मा निकला।
  • कोई से भी पूछो कि इस चित्र का अर्थ बताओ क्या है?
  • तो बता नहीं सकेंगे।
  • आत्मा तो एक ही है।
  • उनको कहेंगे विष्णु।
  • विष्णुपुरी भी दिखाते हैं।
  • यह है संगम, ब्रह्मापुरी।
  • प्रजापिता ब्रह्मा तो जरूर चाहिए।
  • ब्राह्मण हैं चोटी।
  • यह विराट रूप का चित्र भी खास भारतवासियों के लिए है और भारत में फिर बहुत धर्म वाले रहते हैं, इसलिए इनको वैरायटी धर्मों का झाड़ भी कहा जाता है।
  • यह है मनुष्य सृष्टि का झाड़, परन्तु इसमें वैरायटी धर्म हैं।
  • पहले डिटीज्म फिर इस्लामिज्म, यह है ब्राह्मण।
  • इस संगम का तो किसको पता नहीं है।
  • यह है पुरुषोत्तम संगमयुग।
  • पुरुषोत्तम ब्राह्मण धर्म, जबकि सोशल सर्विस करते हैं।
  • तुम बच्चों को रूहानी सोशल वर्कर कहा जाता है।
  • सोशल वर्कर भारत में बहुत हैं, उन्हों को भी सिखाते हैं कि नम्रता भाव से सेवा करो।
  • जो पक्के कांग्रेसी थे वह तो झाडू आदि भी लगाते थे।
  • मेहतर आदि का काम भी किया करते थे।
  • आगे जो पक्के थे वह चीनी के बर्तन में खाना नहीं खाते थे।
  • जो पास्ट हुआ वह ड्रामा है।
  • वही रिपीट होगा।
  • इन बातों को समझते नहीं तो मूँझते हैं इसलिए ड्रामा का राज़ शुरू में किसी को समझाना नहीं है।
  • कहेंगे अगर ड्रामा में नूँध होगा तो हमको आपेही राज्य मिलेगा और पुरुषार्थ भी आपेही करेंगे।
  • ऐसे मतवाले भी होते हैं।
  • ज्ञान के राज़ों को पूरा समझते ही नहीं हैं।
  • अरे पुरुषार्थ बिना तो पानी भी नहीं मिलेगा।
  • आपेही थोड़ेही पानी आकर मुँह में पड़ जायेगा।
  • बाप आते ही हैं पतितों को पावन बनाने।
  • वह आकर सहज रास्ता बताते हैं कि आत्मा को पावन बनाने के लिए मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
  • बाप ही पावन बनाने के लिए श्रीमत देते हैं, मुझे याद करो।
  • परन्तु वह निराकार है तो जरूर साकार में आकर श्रीमत देंगे।
  • बाप कहते हैं - यह मेरा शरीर भी मुकरर है।
  • यह बदली हो नहीं सकता।
  • यह भी नूँध है।
  • गाया भी जाता है परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा स्वर्ग की स्थापना कराते हैं।
  • यह भगवानुवाच है ना।
  • तो बोलने लिए मुख चाहिए।
  • प्रेरणा से थोड़ेही पढ़ाई होती है।
  • बाप आकर इन द्वारा डायरेक्शन देते हैं।
  • यह चित्र आदि इस ब्रह्मा ने थोड़ेही बनाये हैं।
  • यह भी तो पुरुषार्थी है ना।
  • यह कोई नॉलेजफुल नहीं है।
  • यह तो भक्तिमार्ग में था।
  • भक्तों का उद्धार तो भगवान को ही करना है।
  • भक्ति का फल आकर देते हैं।
  • तुम बच्चों को मनुष्य से देवता बनाते हैं।
  • बाप इसमें प्रवेश कर राजयोग सिखलाते हैं, इनका नाम है शिवबाबा।
  • वह कहते हैं मेरा यह जन्म दिव्य अलौकिक है
  • । मेरा आने का पार्ट एक ही बार संगम पर है।
  • ऐसे भी नहीं कि तुम्हारी आत्मा के बुलाने पर आता हूँ।
  • जब मेरे आने का समय होता है - तो एक सेकेण्ड भी नीचे-ऊपर नहीं होता है।
  • एक्यूरेट टाइम पर आ जाता हूँ।
  • मुझे आरगन्स ही कहाँ हैं जो तुम्हारी पुकार सुनूँगा।
  • यह ड्रामा बना बनाया है।
  • जब समय होता है तो आकर पतितों को पावन बनाता हूँ।
  • ऐसे नहीं कि हमारी रड़ियाँ कोई भगवान सुनते हैं।
  • बहुत बच्चे बाबा को बोलते हैं कि बाबा आप तो जानी-जानन-हार हो, बताओ हम इम्तहान में पास होंगे।
  • यह काम होगा?
  • बाबा कहते हैं अरे हम तो आते ही हैं पतितों को पावन बनाने का रास्ता बताने।
  • मेरा जो पार्ट होगा, वही बजाऊंगा।
  • जो नहीं सुनाने का है वह तो सुनाऊंगा नहीं।
  • मैं यह बातें बताने थोड़ेही आता हूँ।
  • मैं भी ड्रामा के बन्धन में बांधा हुआ हूँ।
  • हर एक का पार्ट ड्रामा में नूँधा हुआ है।
  • जो निश्चयबुद्धि नहीं हैं वह स्वर्ग में चलने के लायक नहीं।
  • और वह बातें भी ऐसी ही करेंगे।
  • बाकी जो सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी घराने की आत्मायें हैं, उन्हों को तो बाबा से जरूर आकर सुनना है और वर्सा लेना है।
  • बाकी जो जास्ती पुरूषार्थ नहीं करते हैं वह भी स्वर्ग में तो आयेंगे जरूर।
  • लेकिन सज़ा खाकर कोई पद पा लेंगे।
  • कहते तो बहुत हैं बाबा हम तो सूर्यवंशी बनेंगे, नारायण बनेंगे।
  • परन्तु बच्चों को पुरुषार्थ भी इतना करना चाहिए।
  • बाबा को फालो करने की भी ताकत चाहिए।
  • फालो फादर कहते हैं तो इनको देखो यह कैसे सरेन्डर हुआ।
  • सब कुछ ईश्वर अर्थ अर्पण कर दिया।
  • ईश्वर अर्थ सब कुछ देकर अपना ममत्व मिटा देना चाहिए।
  • पहले भट्ठी से बहुत निकले, अब ऐसे थोड़ेही भट्ठी हो सकती है।
  • इस कार्य में मातायें, कन्यायें आगे जाती हैं।
  • इसमें भी कन्यायें तीखी जाती हैं।
  • देह और देह के सम्बन्धों को भूल जाना है क्योंकि अब घर चलना है।
  • अब बाप कहते हैं मुझे याद करो।
  • अब नाटक पूरा होता है, बाकी समय थोड़ा है।
  • जैसे आशिक माशूक होते हैं।
  • यह बाबा माशूक है, आशिक नहीं है।
  • बाप कहते हैं - तुम पतित बने हो तो याद भी तुमको करना है।
  • मैं थोड़ेही पतित बना हूँ, जो तुमको याद करूँ।
  • मैं तो युक्ति बताता हूँ उस पर चलो।
  • इस दुनिया से ममत्व मिटाते जाओ।
  • अब तो वापिस जाना है।
  • यह बुद्धि में ज्ञान है।
  • यह शरीर भी पुराना है।
  • सतयुग में निरोगी शरीर मिलेगा।
  • फिर हम गोरे बन जायेंगे।
  • सांवरे से गोरा कैसे बनते हैं, यह भी तुम ही जानते हो।
  • राम को भी काला बनाया है।
  • शिव का लिंग भी काला बनाया है।
  • वह तो कभी काला बनता नहीं है।
  • वह एवर प्योर है, उनको तो सफेद बनाना चाहिए।
  • बाबा कहते हैं - चित्र ऐसे-ऐसे बनाओ जो देखने से आकर्षण करें।
  • अखबारों में कितने चित्र पड़ते हैं।
  • तुम्हारे नहीं पड़ते हैं।
  • बाबा तुम बच्चों को तो बेअक्ल से अक्लमंद बनाते हैं।
  • इस लक्ष्मी-नारायण को अक्लमंद किसने बनाया?
  • बाप ने योग द्वारा ऐसा बनाया।
  • तुम बच्चों को यह नॉलेज मिली है वह फैलाना है, विचार सागर मंथन करना है।
  • गवर्मेन्ट कितना पब्लिक के लिए खर्चा करती है।
  • यहाँ जो तुम बच्चों का सो बाप का और जो बाप का वह तुम बच्चों का।
  • बाप कहते हैं - मैं हूँ निष्काम सेवाधारी।
  • मैं तो दाता हूँ।
  • यह ख्याल नहीं करना चाहिए कि हम शिवबाबा को देते हैं।
  • शिवबाबा 21 जन्म के लिए विश्व का मालिक बनाते हैं।
  • यह बाप लेता नहीं, देता है।
  • बाबा तो दाता है।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) जैसे ब्रह्मा बाप सरेन्डर हुआ, ऐसे फालो फादर करना है।
    • अपना सब कुछ ईश्वर अर्थ कर ट्रस्टी बन ममत्व मिटा देना है।
  • 2) लास्ट आते भी फास्ट जाने के लिए याद और पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • पुराने संस्कार रूपी अस्थियों को सम्पूर्ण स्थिति के सागर में सामने वाले समान और सम्पूर्ण भव
  • बाप समान वा सम्पूर्ण बनने के लिए सृष्टि की कयामत के पहले अपनी कमजोरियों और कमियों की कयामत करो।
  • कोई भी उलझन का नाम निशान न रहे ऐसा अपने को उज्जवल बनाओ।
  • जैसे जन्म परिवर्तन के बाद पुराने जन्म की बातें भूल जाती हैं ऐसे पुरानी बातों को, पुराने संस्कारों को भस्म करो, अस्थियों को भी सम्पूर्ण स्थिति के सागर में समा दो तब कहेंगे समान और सम्पूर्ण।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • विस्तार को सार में समाने की जादूगरी सीख लो तो बाप समान बन जायेंगे।