-
-
ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने गीत सुना।
- यह गीत तुम्हारे लिए हीरे जैसा है और जिन्होंने बनाया है उन्हों के लिए कौड़ी जैसा है।
- वह तो जैसे तोते मुआफिक गाते हैं।
- अर्थ कुछ भी जानते नहीं हैं। तुम अर्थ समझते हो।
- अब वह दिन आया है जबकि कलियुग बदल सतयुग या पतित दुनिया बदल पावन दुनिया होनी है।
- मनुष्य पुकारते भी हैं कि हे पतित-पावन आओ।
- पावन दुनिया में कोई पुकारेंगे नहीं।
- तुम इस गीत के अर्थ को अच्छी तरह जानते हो, वो लोग नहीं जानते।
- तुम जानते हो भक्ति कल्ट आधाकल्प चलता है।
- जब से रावण का राज्य शुरू होता है तब से भक्ति शुरू हो जाती है।
- सीढ़ी उतरनी पड़ती है।
- यह राज़ बच्चों की बुद्धि में बैठा हुआ है।
- अब तुम जानते हो भारतवासी जो 16 कला सम्पूर्ण थे, वही 14 कला बने हैं।
- जरूर 16 कला जो बने होंगे वही 14 कला बनेंगे ना।
- नहीं तो कौन बनेंगे!
- तुम 16 कला थे अब फिर बन रहे हो, फिर कलायें घटती जायेंगी।
- दुनिया की भी कला घटती है।
- मकान जो पहले सतोप्रधान है वह तो तमोप्रधान जरूर होना है।
- तुम जानते हो सतोप्रधान दुनिया सतयुग को, तमोप्रधान दुनिया कलियुग को कहा जाता है।
- सतोप्रधान वाले ही तमोप्रधान बने हैं क्योंकि 84 जन्म लेने पड़ते हैं।
- दुनिया नई सो पुरानी जरूर होती है इसलिए चाहते भी हैं नई दुनिया, नया राज्य हो।
- नई दुनिया में किसका राज्य था - यह भी कोई को पता नहीं है।
- तुमको इस सतसंग से सब कुछ पता पड़ता है।
- सच्चा-सच्चा सतसंग इस समय यह है जो फिर भक्ति मार्ग में इनका गायन चलता है।
- तो कहेंगे ना - यह तो परम्परा से चला आया है।
- परन्तु तुम जानते हो सच्चा-सच्चा सतसंग यह तुम्हारा है।
- बाकी जो भी हैं वह सब हैं झूठ संग।
- वह वास्तव में सतसंग हैं ही नहीं।
- उनसे तो गिरना ही होता है।
- यह सतसंग का सबसे बड़ा त्योहार है।
- एक सत बाप के साथ संग होता है।
- बाकी और कोई भी सत बोलते ही नहीं हैं।
- यह है ही झूठ खण्ड।
- झूठी माया, झूठी काया... पहले-पहले झूठ ईश्वर के लिए कह देते हैं कि वह सर्वव्यापी है।
- अल्फ को ही झूठ बना दिया है।
- तो तुम्हें पहले-पहले परिचय देना है बाप का।
- वह तो उल्टा परिचय दे देते हैं।
- झूठ तो झूठ सच की रत्ती भी नहीं।
- यह ज्ञान की बातें हैं।
- ऐसे नहीं कि पानी को पानी कहना झूठ है।
- यह है ज्ञान और अज्ञान की बात।
- ज्ञान एक ही ज्ञान सागर बाप देते हैं, जिसको रूहानी ज्ञान कहा जाता है।
- सतयुग में झूठ होता नहीं।
- रावण आकर सचखण्ड को झूठ खण्ड बना देते हैं।
- बाप कहते हैं - मैं कोई सर्वव्यापी थोड़ेही हूँ।
- सच तो मैं ही बताता हूँ।
- मैं आकर सत मार्ग अर्थात् सचखण्ड में जाने का मार्ग बताता हूँ।
- मैं तो ऊंचे ते ऊंचा तुम्हारा बाप हूँ।
- आता ही हूँ तुमको वर्सा देने।
- तुम बच्चों के लिए मैं सौगात ले आता हूँ।
- मेरा नाम ही है हेविनली गॉड फादर।
- हेविन हथेली पर ले आते हैं।
- स्वर्ग में होती है स्वर्गवासी देवताओं की बादशाही।
- अभी तुमको स्वर्गवासी बना रहे हैं।
- सच्चा तो एक ही बाप है इसलिए बाप कहते हैं हियर नो ईविल, सी नो ईविल... यह सब मरे पड़े हैं।
- कब्रिस्तान है, इनको देखते भी नहीं देखना है।
- तुमको लायक बनना है - नई दुनिया के लिए।
- इस समय सब पतित हैं।
- गोया स्वर्ग के लायक नहीं हैं।
- बाप कहते हैं - तुमको रावण ने नालायक बनाया है।
- आधाकल्प के लिए फिर बाप आकर लायक बनाते हैं।
- तो उनकी श्रीमत पर चलना पड़े, फिर जवाबदारी सारी उन पर है।
- बाप ने सारी दुनिया को पावन बनाने की जवाबदारी उठाई है।
- वह जो मत देंगे वह कल्प पहले वाली ही देंगे, इसमें मूँझना नहीं चाहिए।
- जो पास्ट हुआ, कहेंगे ड्रामानुसार हुआ।
- बात ही खलास।
- श्रीमत कहती है यह करो, तो करना चाहिए।
- वह जवाबदार खुद हैं क्योंकि वही कर्मों का दण्ड दिलाते हैं तो उनकी बात को मानना चाहिए।
- कहते हैं मीठे बच्चे गृहस्थ व्यवहार में रहते यह अन्तिम जन्म पवित्र रहो।
- इस मृत्युलोक में यह हमारा अन्तिम जन्म है।
- यह बात जब समझें तब ही पावन बन सकें।
- बाप आते ही तब हैं जब पतित दुनिया का विनाश होना है।
- पहले स्थापना फिर विनाश अक्षर भी अर्थ सहित लिखना पड़े।
- ऐसे नहीं स्थापना, पालना, विनाश।
- अभी तुम बच्चे जानते हो हम पढ़ करके ऊंच पद पायेंगे।
- यह बुद्धि में हड्डी रहना चाहिए।
- कई बच्चे हैं जो भल समझाते अच्छा हैं परन्तु हड्डी वह सुख किसको है नहीं।
- तोते मिसल याद करते हैं ना।
- तुम्हारी बुद्धि में भी हड्डी धारणा होनी चाहिए।
- तुम जानते हो यह जो भी शास्त्र हैं, भक्ति मार्ग के हैं इसलिए समझाया जाता है, अब जज करो सत्य क्या है।
- सत्य-नारायण की कथा तुमको एक बारी बाप ही सुनाते हैं।
- बाप कभी झूठ बोल न सके।
- बाप ही सचखण्ड की स्थापना करते हैं।
- सच्ची कथा सुनाते हैं, इसमें झूठ हो न सके।
- बच्चों को यह निश्चय होना चाहिए कि हम किसके साथ बैठे हैं।
- बाप हमको अपने साथ योग लगाना सिखलाते हैं।
- सच्ची अमरकथा अथवा सत्य नारायण की कथा सुना रहे हैं, जिससे हम नर से नारायण बन रहे हैं।
- जिसका फिर भक्ति मार्ग में गायन चलता है।
- यह बुद्धि में रहना चाहिए।
- हमको कोई मनुष्य नहीं पढ़ाते हैं।
- हम आत्माओं को रूहानी बाप पढ़ाते हैं।
- शिवबाबा जो हम आत्माओं का बाप है वह हमको पढ़ाते हैं।
- शिवबाबा के सम्मुख अब हम बैठे हैं।
- मधुबन में आते हैं तो नशा चढ़ता है।
- यहाँ तुमको रिफ्रेशमेंट मिलती है, तुम रियलाइज करते हो तो यहाँ थोड़ा समय भी आने से रिफ्रेश हो जाते हैं।
- बाहर में तो गोरखधन्धा आदि रहता है।
- बाप कहते हैं - हे आत्मायें, बाप आत्माओं से बात करते हैं
- बाप भी है निराकार, उनको कोई जानते नहीं।
- न ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को जानते।
- चित्र तो सबके पास हैं।
- कागज का चित्र देख कोई तो फाड़ देते हैं।
- कोई तो फिर देखो कितना दूर-दूर जाकर कितनी पूजा आदि करते हैं।
- चित्र तो घर में भी रखे हैं ना।
- फिर इतना दूर जाकर भटकने से क्या फायदा।
- अभी तुम बच्चों को यह ज्ञान मिला है, इसलिए वह फालतू लगता है।
- कृष्ण तो यहाँ भी गोरा या सांवरा पत्थर का बन सकता है।
- फिर जगन्नाथ-पुरी में क्यों जाते हैं!
- इन बातों को भी तुम जानते हो तो कृष्ण को श्याम सुन्दर क्यों कहते हैं?
- आत्मा तमोप्रधान होने से काली बन जाती है।
- फिर आत्मा पवित्र होने से सुन्दर बन जाती है।
- यही भारत गोल्डन एज था, 5 तत्वों की भी नेचुरल ब्युटी रहती है।
- शरीर भी ऐसे सुन्दर बनते थे।
- अभी तत्व भी तमोप्रधान होने के कारण शरीर भी ऐसे सांवरे, कोई टेढ़ा, कोई लूला लंगड़ा आदि बनते रहते हैं, इनको कहा जाता है नर्क।
- यह तो माया का पाम्प है।
- विलायत में बत्तियां ऐसी हैं जो रोशनी होती है, बत्तियां नहीं दिखाई पड़ती हैं।
- वहाँ भी ऐसे रोशनी होती है।
- विमान आदि तो वहाँ भी होते हैं।
- साइंस घमण्डी भी यहाँ आयेंगे।
- फिर वहाँ भी यह एरोप्लेन आदि सब बनेंगे।
- तुम जितना नजदीक आते जायेंगे तो तुमको सब साक्षात्कार होगा।
- बिजली के कारीगर आदि यह सब आकर नॉलेज लेंगे।
- थोड़ी भी नॉलेज ली तो प्रजा में आयेंगे।
- हुनर साथ ले जाते हैं तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।
- हाँ तुम्हारे मुआफिक कर्मातीत अवस्था को तो नहीं पायेंगे।
- बाकी आत्मा हुनर तो ले जायेगी ना।
- टेलीवीजन आदि पर दूर बैठे देखते रहेंगे।
- दिन-प्रतिदिन मुसाफिरी करना मुश्किल हो जायेगी।
- दुनिया में क्या-क्या इन्वेन्शन कर चीज़ें निकालते हैं।
- नेचुरल कैलेमिटीज में भी इतने मरते हैं, फ्लड आदि भी होंगी।
- समुद्र भी उछल खायेगा।
- समुद्र को भी सुखाया है ना।
- अभी तुम बच्चे जानते हो इस दुनिया में क्या-क्या है, फिर नई दुनिया में क्या-क्या होगा।
- सिर्फ भारत खण्ड ही होगा।
- सो भी छोटा होगा।
- बाकी सब चले जायेंगे परमधाम में।
- बाकी टाइम कितना बचा है, यह कुछ भी नहीं होगा।
- तुम अपनी राजधानी स्थापन कर रहे हो।
- तुम्हारे लिए पुरानी दुनिया के विनाश की पहले से ही नूँध है।
- इस छी-छी दुनिया में तुम बाकी थोड़े रोज़ हो।
- फिर अपनी नई दुनिया में चले जायेंगे।
- यह सिर्फ तुम याद करते रहो तो भी खुशी में रहेंगे।
- तुम्हारी बुद्धि में है यह सब खलास होने का है।
- यह सब इतने खण्ड रहेंगे नहीं।
- प्राचीन भारत खण्ड ही रहेगा।
- भल गृहस्थ व्यवहार में रहो।
- काम आदि करते रहो, बुद्धि में बाबा की याद रहे।
- तुमको यह मनुष्य से देवता बनने का कोर्स उठाना है।
- गृहस्थ व्यवहार में रहते, नौकरी करते बाप को और चक्र को याद करो।
- एकान्त में बैठकर विचार सागर मंथन करो।
- कुदरती आपदायें आयेंगी जिससे सारी दुनिया खत्म हो जायेगी।
- सतयुग में बहुत थोड़े मनुष्य रहते हैं।
- वहाँ कैनाल्स आदि की दरकार नहीं।
- यहाँ तो कितने कैनाल्स खोदते हैं।
- नदियां तो अनादि हैं।
- सतयुग में जमुना का कण्ठा होगा।
- वहाँ सब मीठे पानी के ऊपर महल होंगे।
- यह बाम्बे होगी नहीं।
- इनको कोई नई बाम्बे थोड़ेही कहेंगे।
- तुम हर एक बच्चे को समझना है कि हम स्वर्ग के लिए राजाई स्थापन कर रहे हैं फिर यह नर्क रहेगा ही नहीं।
- रावण पुरी खत्म हो जायेगी।
- रामपुरी स्थापन हो जायेगी।
- तमोप्रधान पृथ्वी पर देवतायें पैर धर न सकें।
- जब चेन्ज होगी तब पाँव धरेंगे इसलिए लक्ष्मी को जब बुलाते हैं तो सफाई आदि करते हैं।
- लक्ष्मी का आह्वान करते हैं, चित्र रखते हैं।
- परन्तु उनके आक्यूपेशन का किसको पता नहीं है इसलिए आइडल-प्रस्थी कहा जाता है।
- पत्थर की मूर्ति को भगवान कह देते हैं।
- इन सब बातों को तुम बच्चे अभी समझते हो।
- परमात्मा ही बैठ समझाते हैं।
- आत्मा, आत्मा को समझा न सके।
- आत्मा कैसे और क्या-क्या पार्ट बजाती है, वह भी तुम अभी समझा सकते हो।
- बाबा आकर रियलाइज कराते हैं कि आत्मा क्या चीज़ है।
- मनुष्य तो न आत्मा को, न परमात्मा को जानते हैं।
- तो उनको क्या कहेंगे।
- मनुष्य होते हुए चलन जैसे जानवर मिसल है।
- अभी तुमको ज्ञान मिला है।
- सीढ़ी पर किसको समझाना तो बड़ा सहज है।
- सो भी हड्डी समझाना चाहिए।
- हम भारतवासी जो देवी-देवता धर्म वाले थे, वह कैसे सतोप्रधान बने फिर सतो रजो तमो में आये।
- यह सब बातें धारण करनी होती हैं तब ही विचार सागर मंथन होगा।
- धारणा ही नहीं होगी तो विचार सागर मंथन हो न सके।
- सुना और धन्धे में लग जाते हैं।
- विचार सागर मंथन करने का टाइम नहीं।
- नहीं तो तुम बच्चों को रोज़ पढ़ना है और उस पर विचार सागर मंथन करना है।
- मुरली तो कहाँ भी मिल सकती है।
- विशाल बुद्धि होने से प्वाइंट को समझ लेते हैं।
- बाबा रोज़ समझाते हैं।
- किसको समझाने के लिए प्वाइंट्स तो बहुत हैं।
- गंगा पर भी तुम जाकर समझा सकते हो।
- सर्व का सद्गति दाता बाबा है या पानी की गंगा।
- तुम क्यों मुफ्त में पैसा बरबाद करते हो।
- अगर गंगा स्नान से पावन बन सकते हैं तो गंगा पर बैठ जाओ।
- बाहर निकलते ही क्यों हो।
- बाप तो कहते हैं श्वाँसों श्वाँस मुझे याद करो।
- यही योग अग्नि है।
- योग अर्थात् याद। समझानी तो बहुत है।
- परन्तु कोई सतोप्रधान बुद्धि हैं तो झट समझ जाते हैं।
- कोई रजो कोई तमो बुद्धि भी हैं।
- यहाँ क्लास में नम्बरवार नहीं बिठाया जाता है।
- नहीं तो हार्टफेल हो जायें।
- ड्रामा प्लैन अनुसार किंगडम पूरी स्थापन हो रही है।
- फिर सतयुग में थोड़ेही बाप पढ़ायेगा।
- बाप की पढ़ाई का एक ही समय है फिर भक्ति मार्ग में झूठी बातें बनाते हैं।
- वन्डर तो यह है जो पूरे 84 जन्म लेते हैं, उनका नाम गीता पर डाल दिया है और जो पुनर्जन्म रहित है उनका नाम गुम कर दिया है।
- तो 100 प्रतिशत झूठ हो गया ना।
- बच्चों को बहुतों का कल्याण करना है।
- तुम्हारा सब कुछ है गुप्त।
- यहाँ तुम ब्रह्माकुमार कुमारियां अपने लिए स्वर्ग की सूर्यवंशी चन्द्रवंशी राजधानी स्थापन कर रहे हो।
- यह भी किसकी बुद्धि में नहीं आयेगा।
- तुम्हारे में भी भूल जाते हैं तो दूसरे फिर क्या जानेंगे।
- तुम यह नहीं भूलो तो सदैव खुशी में रहो।
- भूलने से ही घुटका खाते हो।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) हड्डी (जिगरी) सुख का अनुभव करने के लिए बाप जो पढ़ाते हैं, उसे बुद्धि में धारण करना है।
- 2) इस कब्रिस्तान को देखते भी नहीं देखना है।
- हियर नो ईविल, सी नो ईविल...।
- नई दुनिया के लायक बनना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- कम्बाइन्ड रूप की सेवा द्वारा आत्माओं को समीप सम्बन्ध में लाने वाले कम्बाइन्ड रूपधारी भव
- सिर्फ आवाज द्वारा सेवा करने से प्रजा बनती जा रही है लेकिन आवाज से परे स्थिति में स्थित हो फिर आवाज में आओ, अव्यक्त स्थिति और फिर आवाज - ऐसे कम्बाइन्ड रूप की सेवा वारिस बनायेगी।
- आवाज द्वारा प्रभावित हुई आत्मायें अनेक आवाज सुनने से आवागमन में आ जाती हैं लेकिन कम्बाइन्ड रूपधारी बन कम्बाइन्ड रूप की सेवा करो तो उन पर किसी भी रूप का प्रभाव पड़ नहीं सकता।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- साधनों में बेहद के वैराग्यवृत्ति की साधना मर्ज होने न दो।
|