09-12-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हें राजयोग सिखलाने, बाप के सिवाए कोई भी देहधारी तुम्हें राजयोग सिखला नहीं सकता''
प्रश्नः-
तीव्र भक्ति करने से कौन सी प्राप्ति होती है, कौन सी नहीं?
उत्तर:-
कोई तीव्र भक्ति करते हैं तो दीदार हो जाता है।
बाकी सद्गति तो किसी की होती नहीं।
वापस कोई भी जाता नहीं।
बाप के बिना वापिस कोई भी ले नहीं जा सकता।
तुम इस बने बनाये ड्रामा को जानते हो।
तुम्हें आत्मा का यथार्थ ज्ञान है।
आत्मा ही स्वर्गवासी और नर्कवासी बनती है।
-
- ओम् शान्ति।
- रूहानी बच्चों प्रति रूहानी बाप ने ओम् शान्ति का अर्थ भी समझाया है।
- ओम् को अहम् अर्थात् मैं भी कहा जाता है।
- मैं आत्मा, मेरा शरीर दो चीज़ें हैं।
- यह आत्मा ने कहा ओम् शान्ति अर्थात् शान्ति मेरा स्वधर्म है।
- आत्मा का निवास स्थान है शान्तिधाम अथवा परमधाम।
- वह है निराकारी दुनिया।
- यह है साकारी मनुष्यों की दुनिया।
- मनुष्य में आत्मा है और यह शरीर 5 तत्वों का बना हुआ है।
- आत्मा अविनाशी है, वह कब मरती नहीं।
- अब आत्मा का बाप कौन?
- शरीर का बाप तो हर एक का अलग-अलग है।
- बाकी सभी आत्माओं का बाप एक ही है परमपिता परमात्मा, उनका असली नाम है शिव।
- पहले-पहले कहते हैं; शिव परमात्माए नम: फिर कहेंगे ब्रह्मा देवताए नम:, विष्णु देवताए नम:।
- उन्हों को भगवान नहीं कह सकते।
- सबसे ऊंच हैं निराकार परमात्मा।
- फिर हैं सूक्ष्म देवतायें, यहाँ सभी मनुष्य हैं।
- अब प्रश्न उठता है कि आत्मा का रूप क्या है?
- भारत में शिव की पूजा करते हैं, शिवकाशी, शिवकाशी कहते हैं।
- वे लोग लिंग बनाते हैं, कोई बड़ा बनाते, कोई छोटा लेकिन जैसे आत्मा का रूप है वैसे परमात्मा का रूप है।
- परम आत्मा उसको मिलाकर परमात्मा कहते हैं।
- परमात्मा के लिए कोई कहते वह अखण्ड ज्योति स्वरूप है, कोई कहते ब्रह्म है।
- अब बाप समझाते हैं जैसे तुम आत्मा बिन्दी हो वैसे मेरा रूप भी बिन्दी है।
- जब रूद्र पूजा करते हैं तो उसमें लिंग ही बनाते हैं।
- शिव का बड़ा लिंग बाकी सालिग्राम छोटे-छोटे बनाते हैं।
- मनुष्यों को न यथार्थ आत्मा का ज्ञान है, न परमात्मा का।
- तो वह मनुष्य बाकी क्या रहा।
- सबमें 5 विकार प्रवेश हैं।
- देह-अभिमान में आकर एक दो को काटते रहते हैं।
- यह विकार हैं ही दु:ख देने वाले।
- कोई मर गया तो दु:ख हुआ।
- यह भी कांटा लगा।
- कोई भी मनुष्य को न आत्मा का, न परमात्मा का रियलाइजेशन है।
- सूरत मनुष्य की सीरत विकारी है इसलिए कहा जाता है रावण सम्प्रदाय क्योंकि है ही रावण राज्य।
- सब कहते भी हैं हमको रामराज्य चाहिए।
- गीता में भी अक्षर है कौरव सम्प्रदाय, पाण्डव सम्प्रदाय और यादव सम्प्रदाय।
- अभी तुम बच्चे राजयोग सीख रहे हो।
- राजयोग श्रीकृष्ण सिखला न सके।
- वह है सतयुग का प्रिन्स।
- उनकी महिमा है सर्वगुण सम्पन्न... हर एक का कर्तव्य, महिमा अलग-अलग है।
- प्रेजीडेण्ट का कर्तव्य अलग, प्राइम मिनिस्टर का कर्तव्य अलग।
- अभी यह तो ऊंचे ते ऊंचा बेहद का बाप है।
- इनके कर्तव्य को भी मनुष्य ही जानेंगे, जानवर थोड़ेही जानेंगे।
- मनुष्य जब तमोप्रधान बन जाते हैं तो एक दो को गाली देते हैं।
- यह है ही पुरानी दुनिया कलियुग, इसको नर्क कहा जाता है।
- विशस वर्ल्ड कहा जाता है।
- सतयुग को वाइसलेस वर्ल्ड कहा जाता है।
- आत्मा इन आरगन्स द्वारा कहती है हमको रामराज्य चाहिए।
- हे पतित-पावन आप आकर पावन बनाओ, शान्तिधाम, सुखधाम में ले जाओ।
- बाप समझाते हैं दु:ख सुख का खेल बना हुआ है।
- माया ते हारे हार, माया ते जीते जीत।
- जिसकी पूजा करते हैं उनके आक्यूपेशन को बिल्कुल ही नहीं जानते हैं।
- इसको कहा जाता है अन्धश्रद्धा अथवा गुड़ियों की पूजा।
- जैसे बच्चे गुड़िया बनाकर खेलपाल कर फिर तोड़ देते हैं।
- शिव परमात्माए नम: कहते हैं, परन्तु अर्थ नहीं जानते।
- शिव तो है ऊंचे ते ऊंचा बाप।
- ब्रह्मा को भी प्रजापिता कहते हैं।
- प्रजा माना ही मनुष्य सृष्टि।
- शिव है आत्माओं का बाप।
- सभी को दो बाप हैं।
- परन्तु सभी आत्माओं का बाप शिव है, उनको दु:ख हर्ता सुख कर्ता कहा जाता है, कल्याणकारी भी कहते हैं।
- देवताओं की फिर महिमा गाते हैं आप सर्वगुण सम्पन्न... हम नींच पापी... हमारे में कोई गुण नाही।
- बिल्कुल तुच्छ बुद्धि हैं।
- देवतायें स्वच्छ बुद्धि थे।
- यहाँ हैं सब विकारी पतित, इसलिए गुरू करते हैं।
- गुरू वह जो सद्गति करे।
- गुरू किया ही जाता है वानप्रस्थ में।
- कहते हैं हम भगवान के पास जाने चाहते हैं।
- सतयुग में वानप्रस्थ अवस्था कहते नहीं हैं।
- वहाँ यह मालूम रहता है कि हमको एक शरीर छोड़ दूसरा लेना है।
- यहाँ मनुष्य गुरू करते हैं मुक्ति में जाने के लिए।
- परन्तु जाता कोई भी नहीं है।
- यह गुरू लोग सब भक्ति मार्ग के हैं।
- शास्त्र भी सभी भक्ति मार्ग के हैं।
- यह बाप समझाते हैं।
- बाप एक ही है, वही भगवान है।
- मनुष्य को भगवान कैसे कह सकते।
- यहाँ तो सभी को भगवान कहते रहते हैं।
- सांई बाबा भी भगवान, हम भी भगवान, तुम भी भगवान।
- पत्थर भित्तर सबमें भगवान, तो पत्थरबुद्धि ठहरे ना।
- तुम भी पहले पत्थरबुद्धि, नर्कवासी थे।
- अभी तुम हो संगमयुगी।
- महिमा सारी संगमयुग की है।
- पुरूषोत्तम मास मनाते हैं ना।
- परन्तु उसमें कोई उत्तम पुरूष बनते नहीं।
- तुम अभी मनुष्य से देवता कितने उत्तम पुरूष बनते हो।
- बाप कहते हैं - मैं कल्प के संगमयुगे भारत को पुरूषोत्तम बनाने आता हूँ।
- यह भी बच्चों को समझाया है जैसे आत्मा बिन्दी है वैसे परमपिता परमात्मा भी बिन्दी है।
- कहते हैं भ्रकुटी के बीच में चमकता है - अज़ब सितारा।
- आत्मा सूक्ष्म है।
- उनको बुद्धि से जाना जाता है।
- इन आंखों से देखा नहीं जा सकता।
- दिव्य दृष्टि से देख सकते हैं।
- समझो कोई तीव्र भक्ति करते हैं, उससे दीदार होता है।
- परन्तु उनसे मिला क्या?
- कुछ नहीं।
- दीदार से सद्गति तो हो न सके।
- सद्गति दाता, दु:ख हर्ता सुख कर्ता तो एक ही बाप है।
- यह दुनिया ही विकारी है।
- साक्षात्कार से कोई स्वर्ग में नहीं जाते।
- शिव की भक्ति की, दीदार हुआ फिर क्या हुआ?
- वापिस तो बाप बिगर कोई ले नहीं जा सकते।
- यह है बना बनाया ड्रामा।
- कहते हैं बनी बनाई बन रही... परन्तु अर्थ जरा भी नहीं जानते।
- आत्मा का भी ज्ञान नहीं है।
- वह तो कहते हैं हर एक आत्मा 84 लाख जन्म लेती है।
- उसमें एक मनुष्य जन्म दुर्लभ होता है।
- परन्तु ऐसी कोई बात है नहीं।
- मनुष्य का तो बड़ा पार्ट चलता है।
- मनुष्य ही स्वर्गवासी और मनुष्य ही नर्कवासी बनते हैं।
- भारत ही सबसे ऊंच खण्ड था, लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
- वहाँ तो बहुत थोड़े मनुष्य थे।
- एक धर्म एक मत थी।
- भारत सारे विश्व का मालिक था और कोई धर्म नहीं था।
- यह है पढ़ाई।
- यह कौन पढ़ाता है?
- भगवानुवाच कि मैं तुमको इस राजयोग द्वारा राजाओं का भी राजा बनाता हूँ।
- भगवान ने किसको गीता सुनाई।
- गीता से फिर क्या हुआ?
- यह किसको मालूम नहीं है।
- गीता के बाद है महाभारत।
- गीता में राजयोग है।
- भगवानुवाच मामेकम् याद करो तो तुम्हारे पाप भस्म होंगे।
- मनमनाभव का अर्थ ही यह है कि बाप कहते हैं तुम जो सूर्यवंशी पूज्य थे, वह फिर पुजारी शूद्रवंशी बन गये हो।
- विराट रूप का अर्थ भी तुम बच्चे ही जानते हो।
- विराट रूप में जो दिखाते हैं उसमें ब्राह्मणों को गुम कर दिया है।
- ब्राह्मण तो बहुत गाये जाते हैं।
- प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान हैं ना।
- बाप ब्रह्मा द्वारा ही रचना रचते हैं।
- एडाप्ट करते हैं।
- अब तुम हो ऊंच ब्राह्मण।
- तुमको रचने वाला है ऊंचे ते ऊंचा भगवान, जो सबका बाप है।
- ब्रह्मा का भी वह बाप है।
- सारी रचना का वह बाप है।
- रचना हो गई सब ब्रदर्स।
- वर्सा बाप से मिलता है, न कि भाई से।
- शिव जयन्ती भी मनाई जाती है।
- आज से 5 हजार वर्ष पहले ब्रह्मा तन में शिवबाबा आया था।
- देवी-देवता धर्म स्थापन किया था।
- ब्राह्मण ही राजयोग सीखे थे।
- वह तुम अब सीख रहे हो।
- भारत पहले शिवालय था।
- शिवबाबा ने शिवालय (स्वर्ग) रचा और भारतवासी ही स्वर्ग में राज्य करते थे।
- अब कहाँ राज्य करते हैं?
- अब पतित दुनिया नर्क है।
- यह कोई समझते नहीं तो हम नर्कवासी हैं।
- कहते हैं फलाना मरा स्वर्गवासी हुआ तो अपने को नर्कवासी समझना चाहिए।
- बाप कहते हैं - मैंने तुम बच्चों को स्वर्गवासी बनाया था जिसको 5 हजार वर्ष हुए।
- पहले तुम बहुत साहूकार थे, सारे विश्व के मालिक थे तो ऐसा जरूर गॉड ने ही बनाया होगा।
- भगवानुवाच, मैं तुमको राजाओं का राजा बनाता हूँ तो जरूर राजा भी बनेंगे तो प्रजा भी बनेंगे।
- आधाकल्प है दिन, स्वर्ग, आधाकल्प है रात, नर्क।
- अब ब्रह्मा तो एक बार आयेगा ना।
- बाप है सबका रूहानी पण्डा।
- वह सभी को वापिस ले जाते हैं।
- वहाँ से फिर मृत्युलोक में नहीं आयेंगे।
- अन्धों की लाठी एक ही बाप है।
- बाप समझाते हैं बच्चे इस रावण राज्य का विनाश होना है।
- यह वही महाभारत लड़ाई है।
- मनुष्य तो कुछ भी नहीं समझते।
- भारतवासी आपेही पूज्य आपेही पुजारी बनते हैं।
- सीढ़ी उतरते-उतरते वाम मार्ग में चले जाते हैं तो पुजारी बन जाते हैं।
- पहले हम सब पूज्य सूर्यवंशी थे फिर दो कला कम चन्द्रवंशी हुए फिर उतरते-उतरते पुजारी बने हैं।
- पहले-पहले पूजा होती है शिव की, उसको अव्यभिचारी पूजा कहा जाता है।
- अब बाप कहते हैं - एक निराकार बाप को याद करो और कोई भी देहधारी को याद नहीं करना है।
- बुलाते ही हैं कि हे पतित-पावन आकर हमको पावन बनाओ तो मेरे बिगर और कोई कैसे पावन बना सकते हैं।
- सीढ़ी में दिखाया है कि कलियुग के अन्त में क्या है।
- 5 तत्वों की भक्ति करते हैं।
- साधू-संन्यासी, ब्रह्म की साधना करते हैं।
- स्वर्ग में यह कोई भी होते नहीं।
- यह सारा ड्रामा भारत पर ही बना हुआ है।
- 84 जन्म लेंगे।
- यहाँ भक्ति मार्ग की कोई दन्त कथायें नहीं हैं।
- यह तो पढ़ाई है।
- यहाँ तो यह शिक्षा मिलती है कि एक बाप को याद करो।
- ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को भी याद नहीं करना है।
- कोई भी देहधारी को याद नहीं करना है।
- तुम बच्चे भी कहते हो हमारा तो एक शिवबाबा दूसरा न कोई।
- बाप भी कहते हैं बच्चे गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र बनो।
- पतित-पावन मुझ एक बाप को ही कहते हैं।
- मनुष्य गुरू कैसे बन सकते हैं।
- खुद ही वापिस नहीं जा सकते तो औरों को कैसे ले जा सकते हैं।
- न कोई ज्योति ज्योत में समाते हैं।
- सब पार्ट बजाने वाले यहाँ पुनर्जन्म में हैं।
- तुम सब हो सजनियां, एक साज़न को याद करते हो।
- वह है रहमदिल, लिबरेटर।
- यहाँ दु:ख है तभी तो उनको याद करते हैं।
- सतयुग में तो कोई भी याद नहीं करते।
- बाप कहते हैं हमारा पार्ट ही संगमयुग पर है।
- बाकी युगे-युगे अक्षर रांग लिख दिया है।
- इस कल्याणकारी पुरुषोत्तम युग का किसको भी पता नहीं है।
- पहली मुख्य बात है बाप को जानना।
- नहीं तो बाप से वर्सा कैसे लेंगे?
- रचना से वर्सा मिल नहीं सकता।
- बाप ने ब्रह्मा द्वारा एडाप्ट किया है।
- मनुष्य यह नहीं जानते कि इतनी बड़ी प्रजा कैसे पैदा की होगी?
- प्रजापिता है ना।
- सरस्वती माँ है या बेटी है?
- यह भी किसको पता नहीं है।
- माँ तो तुम्हारी गुप्त है।
- शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा तुमको एडाप्ट करते हैं।
- अब तुम हो राजऋषि।
- ऋषि अक्षर पवित्रता की निशानी है।
- संन्यासी हैं हठयोगी, वह राजयोग सिखला न सकें।
- गीता भी जो सुनाते हैं वह भक्ति मार्ग की है।
- कितनी गीतायें बना दी हैं।
- बाप कहते हैं - बच्चे मैं संस्कृत में तो नहीं पढ़ाता हूँ, न श्लोक आदि की बात है।
- तुमको राजयोग आकर सिखलाता हूँ, जिस राजयोग से तुम पावन बन पावन दुनिया के मालिक बन जाते हो।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) कभी किसी भी देहधारी को याद नहीं करना है।
- मेरा तो एक शिवबाबा दूसरा न कोई, यह पाठ पक्का करना है।
- 2) बाप समान रूहानी पण्डा बनकर सबको घर का रास्ता बताना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- सदा बिज़ी रहने की विधि द्वारा व्यर्थ संकल्पों की कम्पलेन को समाप्त करने वाले सम्पूर्ण कर्मातीत भव
- सम्पूर्ण कर्मातीत बनने में व्यर्थ संकल्पों के तूफान ही विघ्न डालते हैं।
- इस व्यर्थ संकल्पों की कम्पलेन को समाप्त करने के लिए अपने मन को हर समय बिज़ी रखो, समय की बुकिंग करने का तरीका सीखो।
- सारे दिन में मन को कहाँ-कहाँ बिजी रखना है - यह प्रोग्राम बनाओ।
- रोज़ अपने मन को 4 बातों में बिज़ी कर दो:
- 1-मिलन (रूहरिहान) 2-वर्णन (सर्विस) 3-मगन और 4-लगन।
- इससे समय सफल हो जायेगा और व्यर्थ की कम्पलेन खत्म हो जायेगी।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- सफलता को परमात्म बर्थराइट समझने वाले ही सदा प्रसन्न-चित रह सकते हैं।
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