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- ओम् शान्ति।
- यह जो इस समय मनुष्य का जीवन है इनको अमूल्य कहा जाता है।
- बच्चे भी समझते हैं और बाप भी समझाते हैं कि यह तुम्हारा अन्तिम मनुष्य का जन्म है, यह बहुत वैल्युबुल है।
- इनका मूल्य कोई कर नहीं सकता।
- वैसे यह टाइम भी बहुत वैल्युबुल है।
- तुम बच्चे जानते हो अब कौड़ी से हीरे जैसा वा बेगर से प्रिन्स, इनसालवेन्ट से 100 प्रतिशत सालवेन्ट बन रहे हैं।
- यह तुम्हारा मनुष्य तन बहुत वैल्युबुल है जबकि बाप के बच्चे बने हो।
- और मनुष्यों का वैल्युबुल नहीं है।
- तुम बच्चों को इस समय अपना श्वाँस व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए।
- कैसे सफल करना चाहिए सो तो बाप समझाते हैं।
- श्वाँसों श्वाँस याद करो बाप को।
- मनुष्य भक्ति मार्ग में तो अनेक प्रकार के सिमरण करते हैं।
- वह है अनेकों की व्यभिचारी याद।
- तुम बच्चे एक के सिवाए और किसी को याद नहीं करते हो।
- समझते हो हमारा श्वाँस व्यर्थ न जाये।
- श्वाँसों श्वाँस कोशिश कर बाबा को याद करना है।
- ऐसे डायरेक्शन मिलते हैं।
- इसमें कोई जाप आदि नहीं करना है।
- हमारा स्वधर्म ही है आवाज से परे रहना।
- इस शरीर द्वारा हम पार्ट बजाते हैं।
- आत्मा असुल शान्तिधाम की रहने वाली है।
- यह भी हमारे सिवाए कोई कह न सके कि हम असुल शान्तिधाम के रहने वाले हैं।
- कोई पूछे तुम कहाँ के रहने वाले हो तो तुम कहेंगे हम आत्मा तो शान्तिधाम की रहने वाली हैं।
- बाकी यहाँ के लिए पूछते हो तो यहाँ हम फलानी जगह रहने वाले हैं।
- शान्तिधाम से यहाँ आकर शरीर लेकर पार्ट बजाना ही है।
- अभी यह है इस मृत्युलोक का अन्तिम जन्म, इसमें श्वाँस व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए।
- वो लोग बहुत फास्ट (व्रत) रखते हैं।
- उनको कहना है क्यों तुम टाइम वेस्ट करते हो, इससे ऊंचे ते ऊंचे बाप को याद करो।
- यह भी तुम जैसे जीवघात करते हो।
- आत्म-घात नहीं कहेंगे क्योंकि आत्मा का घात कभी नहीं होता।
- कहा जाता है जीवघाती, महापापी।
- इस समय अपने शरीर को तकलीफ देना - यह भी तो महापाप है।
- तुम कह सकते हो कि इस समय तुम महान पुण्य आत्मा बन सकते हो, इस पुरूषार्थ से।
- उन्हों को तो यह पता नहीं है कि बाप यहाँ आया हुआ है।
- यह बापदादा है ना।
- शिवबाबा ब्रह्मा दादा।
- प्रजापिता ब्रह्मा तो मशहूर है।
- वह तो कह सकते हैं ना कि क्यों ऐसे वैल्युबुल शरीर का घात करते हो।
- इससे तो मनमनाभव, बाप को याद करो तो जीवनमुक्ति मिलेगी अथवा कोई द्वारा मैसेज भी भेज सकते हो।
- देहली वाले बच्चे भी भेज सकते हैं कि इस समय यह दुनिया बदल रही है।
- इस पुरुषार्थ से तुमको जीवनमुक्ति मिल सकती है।
- देखते हो; सामने महाभारत लड़ाई भी है इसलिए बच्चों को एक भी श्वाँस वेस्ट नहीं करना चाहिए।
- सारा कल्प सीढ़ी नीचे उतरते-उतरते एकदम तमोप्रधान बन गये हैं।
- अब फिर सतोप्रधान बनना है, इसमें मेहनत लगती है।
- मासी का घर नहीं है।
- जनक को एक सेकेण्ड में जीवनमुक्ति कैसे मिली?
- वह भी तुम जानते हो और लिख सकते हो।
- जीवनमुक्ति एक सेकेण्ड में बिना कौड़ी खर्चा मिल सकती है।
- यह मृत्युलोक का लास्ट जन्म है।
- अमरलोक में है जीवनमुक्ति, मृत्युलोक में है जीवन बन्ध।
- यह भागवत में भी गाया हुआ है।
- यह भी एक कहानी बना दी है कि जनक को ज्ञान देने वाला कोई मिल न सका।
- परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा ज्ञान देते हैं, इसको ही ब्रह्मा ज्ञान कहा जाता है।
- ब्रह्मा को भी जरूर किसी ने दिया होगा ना।
- ज्ञान सागर तो परमपिता परमात्मा है, वह ब्रह्मा द्वारा आकर देते हैं।
- त्रिमूर्ति चित्र द्वारा तुम अच्छी तरह समझा सकते हो।
- कोई भी अन्दर आते हैं तो उनसे पूछो बोर्ड पढ़ा, क्या लिखा हुआ है।
- बी.के. प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे ठहरे।
- प्रजापिता को सिर्फ कुमारियां ही होंगी क्या?
- जरूर कुमार भी होंगे।
- तो हमारी यह फैमली हो गई।
- ब्रह्मा बाप है, ब्रह्मा किसका बच्चा?
- शिवबाबा का।
- इन द्वारा स्थापना कर रहे हैं।
- यह फैमली की फैमली भी है, पाठशाला की पाठशाला भी है।
- सर्व का सद्गति दाता तो एक ही बाप है।
- वही यह दुनिया स्थापन कर रहे हैं।
- तो जरूर डेविल वर्ल्ड खत्म होगा।
- राईज़ और फाल भारत का होता है।
- भारत ही हेविन से हेल एकदम ऊंच से नीच बनता है।
- हेविन माना नई दुनिया।
- बुद्धिवान जो होंगे, वह समझेंगे बरोबर आदि सनातन देवी-देवता धर्म था।
- तुम लिखते भी हो कि डिटीज्म कैसे स्थापन हो रहा है, एक सेकेण्ड में जीवन-मुक्ति कैसे मिलती है..., आकर समझो।
- अभी यह पुरानी दुनिया है, वह बदलकर नई दुनिया बन रही है इसलिए यह अन्तिम जन्म बहुत वैल्युबुल है, इनका बहुत महत्व है।
- जबकि हम बाबा से वर्सा लेते हैं और आदि सनातन देवी-देवता धर्म वाले ही आकर वर्सा लेंगे।
- अगर नहीं लेते हैं तो समझना चाहिए
- यह 84 जन्म लेने वाला, सूर्यवंशी में आने वाला नहीं है।
- पिछाड़ी में आयेंगे।
- जिनकी फुल ज्योत जगती है वह सतयुग में आयेंगे।
- पीछे दिन-प्रतिदिन कम ताकत वाले होंगे।
- महान सौभाग्यशाली ही एक्यूरेट नई दुनिया में आयेंगे।
- रहना तो नये मकान में चाहिए।
- 10-12 वर्ष के बाद जाकर रहे, ऐसा कच्चा पुरूषार्थ क्यों करना चाहिए।
- मम्मा बाबा नई दुनिया में महाराजा महारानी बनते हैं तो हम भी क्यों न बनें।
- सर्विस को बढ़ायें।
- बच्चों का यह ख्याल चलना चाहिए।
- बाप कहते हैं - मैं तुमको आज बहुत गुह्य बातें सुनाता हूँ।
- बाप को जान लिया तो जीवनमुक्ति का हकदार तो बन ही जायेंगे।
- ज्ञान का विनाश तो होता नहीं।
- कई मनुष्य तो अच्छी रीति समझते भी हैं।
- कोई तो कुछ नहीं समझते, ऐसे ही देखकर चले जाते हैं।
- कोई कहकर भी जाते हैं हम जरूर आयेंगे।
- परन्तु माया फिर भुला देती है।
- माया बिल्ली कम नहीं है।
- गुल बकावली का एक खेल भी दिखाते हैं।
- यह भी मिसाल तुम्हारे लिए है।
- बाप ही समझाते हैं।
- यहाँ तुम आये हो माया पर जीत पहन जगतजीत बनने।
- इस पर कहानी बनी हुई है।
- तुम योगबल में रहते हो, माया पर जीत पाने लिए।
- परन्तु माया बिल्ली पासा फिरा देती है।
- गुलबकावली, अल्लाह अवलदीन यह इस समय की बातें हैं।
- अल्लाह ही अवलदीन, देवता धर्म की स्थापना करते हैं।
- हातमताई का खेल भी इस समय का है।
- बाप को न याद करने से माया आ जाती है।
- जो कुछ हो चुका है, उनकी बैठ बाद में कहानियां बनाते हैं।
- जो होने वाला है, वह तो कुछ बता नहीं सकते।
- पास्ट में जो कुछ हुआ है उसका ड्रामा बनाते हैं।
- कंस वध, अमृत मंथन, किसम-किसम के खेल बनाते हैं।
- वह बिचारे यह नहीं जानते कि यह बेहद का ड्रामा है।
- तुम जानते हो यह अनादि अविनाशी ड्रामा है।
- मनुष्य तो कुछ भी नहीं जानते कि यह ड्रामा कितने वर्ष का है।
- भल कहते हैं हिस्ट्री रिपीट होती है।
- परन्तु समझते नहीं हैं।
- बाप किसम-किसम के राज़ समझाते हैं कि बुद्धि में यह बैठे कि हमारा यह अन्तिम जन्म बड़ा वैल्युबुल है।
- इसमें टाइम वेस्ट नहीं करना चाहिए।
- हथ कार डे दिल यार डे...दिल तो आत्मा में है ना।
- आत्मा ही कहती है - मुझे तंग नहीं करो।
- मेरी दिल को दु:खी नहीं करो।
- बुद्धि समझती है, जज करती है - यह हमको सुख देते हैं, यह दु:ख देते हैं।
- आत्मा शरीर के बिना तो कह न सके।
- आत्मा ही सब कुछ सीखती है।
- संस्कार आत्मा में भरते हैं।
- अभी तुमको परमपिता परमात्मा सिखला रहे हैं।
- तुम जानते हो बाप ज्ञान का सागर है, पतित-पावन है।
- वह भारत के लिए सौगात ले आते हैं वैकुण्ठ की इसलिए गाया हुआ है, सर्व के सद्गति दाता।
- उनका बर्थ प्लेस भारत है।
- सोमनाथ का मन्दिर भी यहाँ ही है।
- शिवबाबा आया था तब तो उनका यादगार मन्दिर बनाया है।
- वह कब आये, क्या करके गये, यह नहीं जानते।
- लक्ष्मी-नारायण थे फिर कहाँ गये वह थोड़ेही समझते हैं कि वह इस पतित दुनिया में हैं।
- सतोप्रधान थे फिर चक्र लगाकर तमोप्रधान बने हैं।
- नाम रूप तो बदल जाता है ना।
- हर जन्म में फीचर्स बदल जाते हैं।
- यह बना बनाया ड्रामा है, इसमें जरा भी फ़र्क नहीं पड़ सकता।
- फीचर्स एक न मिलें दूसरे से।
- बाबा को बच्चों पर रहम पड़ता है कि बच्चे अपने बाप को जान लेवें।
- मालूम तो पड़ता है ना।
- बी.के. वृद्धि को पाते रहेंगे एक दिन यह भी आयेगा, जो फेरा पहनते रहेंगे।
- तुम्हारी प्रदर्शनी में सब आयेंगे।
- दिन-प्रतिदिन नाम बाला होता जाता है।
- बाबा ओपीनियन की भी किताब छपाते हैं।
- वह भी काम में आयेगी।
- बहुतों को भेज देनी पड़ेगी।
- बच्चे जो सर्विसएबुल हैं, उनको सारा दिन ख्यालात रखने पड़ते हैं।
- वह झट कहेंगे भल बी.के. आकर मिल सकती हैं।
- भूख हड़ताल रखते हैं तो 10-12 दिन के बाद कमजोर हो जाते हैं।
- फिर इतनी बात नहीं कर सकते।
- तुम्हारी बात को समझेंगे और कहेंगे कि बरोबर जीवनमुक्ति पाने का यही ठीक रास्ता है।
- सर्व का सद्गति दाता तो एक ही बाप है।
- सब हैं भक्ति मार्ग के गुरू।
- गुरू तो बहुत हो गये हैं ना।
- स्त्री का पति भी गुरू है।
- कथा सुनाने वाले को भी गुरू कहते हैं।
- यह सब समझने की बातें हैं।
- बच्चों का माथा बहुत विशाल होना चाहिए सर्विस के लिए।
- बाप को याद कर रावण पर विजय पानी है।
- श्वाँस व्यर्थ नहीं गँवाना है।
- जो समय बरबाद करते रहते हैं उनको बेसमझ कहा जाता है।
- बाप कहेंगे - किसका जीवन हीरे जैसा बनाने तुम सर्विस नहीं करते हो!
- कितना वेस्ट ऑफ टाइम, वेस्ट ऑफ एनर्जी करते हो।
- कुछ भी समझते नहीं, इसलिए पत्थरबुद्धि कहा जाता है।
- इसमें सारी योग की बात है।
- बाप को याद करो और वर्सा ले लो।
- यह अर्थ कभी कोई समझ न सके।
- वह तो ब्रह्म को याद करते हैं।
- बाप कहते हैं - मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
- ब्रह्म कोई पतित-पावन है क्या?
- पतित-पावन तो परमपिता परमात्मा है।
- ब्रह्म कैसे हो सकता।
- बिचारे बहुत भूले हुए हैं।
- बाप बच्चों को फिर भी कहते हैं बच्चे टाइम वेस्ट नहीं करो।
- बाबा को याद करो।
- बाबा जानते हैं कई बच्चे दिन-रात बहुत टाइम वेस्ट करते हैं।
- सारा दिन कुछ भी पुरुषार्थ नहीं करते हैं।
- बाबा अपना मिसाल भी बताते हैं।
- भोजन पर बैठते हैं तो भी बाबा को याद करते हैं।
- हम दोनों इकट्ठे खाते हैं।
- शरीर में दो आत्मायें हैं ना।
- याद करते-करते फिर भूल जाता हूँ, और-और ख्यालात आ जाते हैं।
- इनके ऊपर जवाबदारी बहुत है।
- बहुत ही ख्यालात आते हैं इसलिए बाबा कहते हैं तुम जास्ती याद में रह सकते हो, इनको तो मेहनत करनी पड़ती है।
- हमेशा समझो शिवबाबा समझाते हैं।
- उनको याद करो, ब्रह्मा को याद करने से शिवबाबा भूल जायेगा।
- बच्चों को पहले तो अपना ही कल्याण करना है, फिर दूसरे का।
- कई तो ऐसे हैं दूसरों का कल्याण करते रहते हैं, अपना करते नहीं हैं।
- औरों को आप समान बनाते खुद फिर गुम हो जाते हैं।
- वन्डर है ना।
- यह भी तुम समझते हो।
- तुम अनुभव भी सुनाते हो और कोई सतसंग आदि में थोड़ेही समझाते हैं।
- यहाँ भी नम्बरवार धारणा होती है।
- यह नॉलेज बुद्धि में धारण की जाती है।
- गाते हैं भर दो झोली।
- यह नॉलेज तो बुद्धि में भरी जायेगी वा झोली में?
- पारसबुद्धि और पत्थरबुद्धि गाया जाता है।
- तुम्हारा यह जीवन बहुत अमूल्य है।
- इसमें पुरूषार्थ की बहुत जरूरत है।
- गृहस्थ व्यवहार में रहकर सब कुछ करना है।
- सरकमस्टांश देखे जाते हैं।
- भल कुमार है, देखा जाता है सर्विस अच्छी कर सकते हैं तो छुड़ा भी लेते हैं।
- हर एक का सरकमस्टांश देखकर फिर राय दी जाती है।
- सर्जन नब्ज देखने बिना राय दे न सकें।
- यह है अविनाशी सर्जन।
- आत्मा को मनमनाभव का इन्जेक्शन लगाते हैं।
- इनका यह एक ही इन्जेक्शन है जो 21 जन्म के लिए एवरहेल्दी बना देते हैं।
- प्रजापिता ब्रह्मा के कितने ढेर बच्चे हैं, कितना बड़ा गृहस्थी है।
- यह है बेहद का गृहस्थ व्यवहार।
- यह शिवबाबा का रथ है ना, तो कितनी आमदनी होती है।
- बाप कहते हैं - मैं इस रथ में बैठ नॉलेज देता हूँ, नहीं तो कैसे दूँगा।
- कृष्ण तो होता ही है सतयुग आदि में।
- वही आत्मा सांवरी बनी है, तो इनके बहुत जन्मों के अन्त में प्रवेश करता हूँ इसलिए भाग्यशाली रथ गाया हुआ है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) अपना तथा दूसरों का जीवन हीरे जैसा बनाने की सेवा करते रहना है।
- टाइम, मनी, एनर्जी बरबाद नहीं करना है।
- 2) दूसरों का कल्याण करने के साथ-साथ अपना भी कल्याण करना है।
- बुद्धि रूपी झोली में ज्ञान रत्न धारण कर दान भी करना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- प्रालब्ध की इच्छा को त्याग अच्छा पुरुषार्थ करने वाले श्रेष्ठ पुरूषार्थी भव
- श्रेष्ठ पुरुषार्थी उन्हें कहा जाता है जो पुरुषार्थ की प्रालब्ध को भोगने की इच्छा नहीं रखते।
- जहाँ इच्छा है वहाँ स्वच्छता खत्म हो जाती है और सोचता (सोचने वाले) बन जाते हैं।
- जो यहाँ ही प्रालब्ध भोगने की इच्छा रखते हैं वह अपनी भविष्य कमाई जमा होने में कमी कर देते हैं इसलिए इच्छा के बजाए अच्छा शब्द याद रखो।
- श्रेष्ठ पुरुषार्थी सदा फ्लोलेस बनने का पुरुषार्थ करते हैं, किसी भी बात में फेल नहीं होते।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- साधन कमल पुष्प बनकर यूज़ करो क्योंकि ये आपके कर्मयोग का फल हैं।
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