06-12-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - दान में दी हुई चीज़ कभी भी वापिस नहीं लेना, वापिस लेंगे तो आशीर्वाद के बदले श्राप मिल जायेगा''

प्रश्नः-

कौन सा निश्चय पक्का हो जाए तो किसी भी विरोध का सामना कर सकते हैं?

उत्तर:-

अगर निश्चय हो जाए कि हमको भगवान मिला है, उसे याद कर हमें विकर्म विनाश करने हैं, विश्व की बादशाही लेनी है तो सब आपोजीशन खत्म हो जायेंगे।

सामना करने की शक्ति आ जायेगी।

निश्चय की कमी है तो मूँझ जाते हैं।

फिर ज्ञान को छोड़ भक्ति में लग जाते हैं।

 

गीत:- तुम्हें पाके हमने जहान पा लिया है...


  • ओम् शान्ति।
  • यह गीत कौन सुनते हैं?
    • बच्चे सुनते हैं वही अर्थ को भी समझते हैं।
    • प्रजा भी जो सुनती है वह भी विश्व का मालिक बनती है।
    • जैसे भारतवासी सब कहते हैं हमारा भारत, वैसे वहाँ भी यथा राजा रानी तथा प्रजा, सब समझते हैं विश्व के मालिक हैं।
  • जैसे यूरोपवासी आये तो वह भी कहते थे हम हिन्दुस्तान के मालिक हैं।
    • उस समय फिर हिन्दुस्तानी नहीं कहेंगे कि हम हिन्दुस्तान के मालिक हैं।
    • वह गुलाम थे।
    • राजाई सारी उन्हों के हाथ में थी।
  • फिर हमारा राज्य भाग्य रावण ने छीना।
    • अभी हमको अपना राज्य चाहिए।
    • यह पराया राज्य है।
    • गाया भी जाता है दूरदेश के रहने वाले।
    • अब तुम अपना राज्य ले रहे हो।
    • तुम कोई के लिए लड़ते नहीं हो।
    • अपने लिए ही तुम सब कुछ करते हो।
  • वह सेना लड़ती है अपने प्रेजीडेंट वा प्राइम मिनिस्टर के लिए।
    • बड़े आदमी तो वह बनते हैं ना।
    • उनको नशा अच्छा रहता है फिर भी अभी कहते हैं ना - भारत हमारा है।
    • परन्तु भारतवासियों को यह पता नहीं है कि यह कोई हमारा राज्य नहीं है।
    • यह रावण का राज्य है, जिसमें हम रह रहे हैं।
    • रामराज्य में ऐसे नहीं कहेंगे कि यह पराया है।
    • अभी भारत पर रावण का पूरा राज्य है।
  • राम का राज्य था, देवताओं का राज्य था, अभी नहीं है।
    • तुम जानते हो 5 हजार वर्ष के बाद हम राज्य ले रहे हैं।
    • किससे?
    • परमात्मा बाप से।
    • राम अक्षर कहने से लोग मूँझते हैं इसलिए बेहद का बाप कहना ठीक है।
  • बाप अक्षर बहुत मीठा है।
    • बाप ही वर्सा याद दिलाते हैं।
    • एक बाप के सिवाए और सब कुछ भूल जाना है।
    • हम आत्मायें बाप से वर्सा ले रही हैं।
    • बाप आकर तुमको आत्म-अभिमानी बनाते हैं।
  • हम आत्मा हैं।
    • आत्मा कितनी छोटी महीन है।
    • उसमें 84 जन्मों का पार्ट भरा हुआ है।
    • यह मोटी बुद्धि वाले मनुष्य नहीं जानते हैं।
    • न समझा सकते हैं।
    • बाबा से वर्सा ले रहे हैं, कितना सहज है।
    • परन्तु माया भुला देती है इसलिए बच्चों को मेहनत करनी पड़ती है।
    • इसमें कोई हथियार, बारूद की बात नहीं।
    • न कोई ड्रिल आदि सीखनी है, न कोई शास्त्र आदि उठाना है।
    • सिर्फ बाबा को याद करना है।
    • बाप जो सुनाते हैं वह धारण करना है।
    • हम अपना राज्यभाग्य ले रहे हैं।
  • जैसे नाटक में एक्टर पार्ट बजाकर फिर कपड़े बदली कर अपने घर जाते हैं, वैसे तुम्हारी बुद्धि में भी है कि अब नाटक पूरा होने वाला है।
    • अब अशरीरी बनकर घर जाना है।
    • हम हर 5 हजार वर्ष के बाद पार्ट बजाते हैं।
    • आधाकल्प राज्य करते, आधाकल्प गुलाम बन जाते।
    • बच्चों को कोई जास्ती तकलीफ नहीं देते हैं।
    • बुद्धि में सिर्फ याद रहनी चाहिए।
    • पुरुषार्थ कर जितना हो सके यह भूलना नहीं चाहिए।
    • अब नाटक पूरा होता है।
    • बाकी थोड़ा समय है, हमको जाना है।
    • ऐसे-ऐसे अपने साथ बातें करते-करते तुम पावन बन वापिस चले जायेंगे।
  • हर एक बच्चा जान सकता है कि मैं बाबा को कितना याद करता हूँ।
    • चाहे कोई चार्ट लिखे या न लिखे।
    • परन्तु बुद्धि में तो रहता है ना।
    • तो सारे दिन में हमने क्या-क्या किया?
    • जैसे व्यापारी लोग अपनी मुरादी सम्भालते हैं, रात्रि को।
    • यह भी व्यापार है।
    • रात्रि को सोने के समय जांच करते हैं सारे दिन में बाप को कितना याद किया?
    • कितनों को बाप का परिचय दिया?
    • जो होशियार होते हैं उनका धन्धा अच्छा चलता है।
    • बुद्धू होगा तो धन्धा भी ऐसे ही चलेगा।
    • यह तो अपनी कमाई करनी है।
    • बाप सिर्फ कहते हैं - मुझे याद करो, चक्र को याद करो तो चक्रवर्ती राजा बनेंगे।
  • इसमें टू मच आशायें नहीं होनी चाहिए।
    • गांव में रहने वालों को आशायें कम रहती हैं, साहूकारों को बहुत होती हैं।
    • वह अपनी गरीबी में ही खुश रहते हैं।
    • रोटला खाने पर हिर जाते हैं (सूखी रोटी खाने की आदत पड़ जाती है)।
    • साहूकारों में इच्छायें बहुत होती हैं।
    • माँ बाप को ही तंग कर देते हैं।
    • बाबा अनुभवी है।
    • गरीबों पर रहम भी आता है।
    • गरीब देखेंगे, इतना बड़ा आदमी ज्ञान सुनता है तो हम भी सुनें।
  • चित्र तो बाबा ने बहुत बनवाये हैं।
    • कोई कहते हैं हमको सर्विस चाहिए।
    • बाबा कहते हैं पहले तुम होशियार बनो फिर सर्विस पर जाओ क्योंकि आजकल भक्ति का भी जोर है।
    • एक तरफ समझाओ, दूसरे तरफ गुरूओं की चकरी चलती है।
    • वह डरा देते हैं - तुम अगर भक्ति नहीं करेंगे तो तुमको फल कैसे मिलेगा?
    • भक्ति से तो भगवान मिलता है।
    • जब तक इस ज्ञान में पक्का हो जाए, पूरा निश्चय हो जाए कि हमको भगवान मिला है, वह हमको कहते हैं कि मुझे याद करो तो विकर्म विनाश हो जायें।
    • जब यह पक्का निश्चय जम जाये तब ही किससे सामना कर सकें।
    • तुम्हारे से ही आपोजीशन है।
    • तुम एक बात कहते वह दूसरी बात कहते।
  • दुनिया में बहुत मठ-पंथ हैं, जहाँ मनुष्य जाकर कुछ न कुछ सुनकर आते हैं।
    • गीता का भी भिन्न-भिन्न अर्थ सुनाते हैं, तो मनुष्य फँस पड़ते हैं।
    • संन्यासी कभी गृहस्थियों को नहीं कहेंगे कि विकार में नहीं जाओ।
    • अगर वह कहें भी कि निर्विकारी बनो फिर क्या होगा?
    • एम-आब्जेक्ट तो कुछ है नहीं।
    • उल्टा रास्ता बताने वाले दुनिया में बहुत हैं।
  • सच्चा रास्ता बताने वाले हैं थोड़े।
    • उन पर भी माया का बहुत वार होता है।
    • दिल कहेगी कि पवित्र बनें परन्तु माया बुद्धि को फिराती रहेगी।
    • बहुत खराब ख्यालात लाती रहेगी।
    • माया की लड़ाई है बहुत।
    • चलते-चलते तूफान बहुत आते हैं।
    • अगर कोई भी विकार का भूत अन्दर होगा तो दिल को खाता रहेगा।
    • कोई को कहेगा क्रोध का दान दो और खुद क्रोध करते रहेंगे तो लोग कहेंगे तुम खुद क्रोध करते रहते हो फिर हमको कैसे कहते हो?
    • तो क्रोध को भी छोड़ना ही पड़े।
    • क्रोध कोई छिपाकर तो नहीं किया जाता है।
    • क्रोध में तो आवाज बहुत होता है।
    • आपस में लड़ते हैं।
    • एक दो को गाली देते हैं।
    • बाबा देखते हैं - क्रोध का भूत निकलता ही नहीं है।
    • कोई-कोई यहाँ सम्मुख बाबा के होते भी क्रोध कर लेते हैं।
    • बहुतों में क्रोध का भूत आ जाता है, यह बहुत खराब है।
    • तंग करते हैं।
    • बाबा तो फिर प्यार से समझाते हैं।
    • अगर नाम बदनाम करेंगे तो फिर पद भी भ्रष्ट कर देंगे।
  • यह तो समझाना चाहिए कि तुमने 5 विकार बाबा को दान दिये हैं तो फिर वापस क्यों लेते हो।
    • अगर फिर क्रोध कर लिया तो ग्रहण छूटेगा नहीं।
    • वह फिर वृद्धि को पाता है।
    • बाप की आशीर्वाद के बदले श्राप मिल जाता है क्योंकि बाप के साथ धर्मराज भी है।
    • यह भी ड्रामा में नूँध है।
    • क्रोध करना यह भी पाप है, जिनमें 5 विकार हैं उनको पाप आत्मा कहा जाता है।
    • सतयुग में हैं सब पुण्य आत्मा।
    • वहाँ कोई पाप नहीं करते।
    • अभी जन्म-जन्मान्तर के पापों का बोझा सिर पर बहुत है।
    • पहले योगबल से कट करना है।
    • माया बड़ी खराब है।
    • लोभ बहुतों में है।
    • कपड़े का, जूते का, पाई पैसे की बात का लोभ है, तो झूठ बोलते रहते हैं।
    • यह सब लोभ की निशानियां हैं।
  • यहाँ तो सब कुछ मिलता है।
    • बाहर में तो घर-घर में खिट-खिट लगी हुई है।
    • संग भी बहुत खराब है।
    • पति ब्राह्मण, तो स्त्री शूद्र।
    • स्त्री ब्राह्मणी तो पति शूद्र।
    • घर में ही हंस और बगुले, बहुत खिटपिट रहती है।
    • अपने को शान्त रखने की युक्ति रखनी होती है।
  • घरबार छोड़ना भी बाबा एलाउ नहीं करते।
    • ऐसे बहुत आश्रम हैं जहाँ बाल बच्चों सहित जाकर रहते हैं, फिर खिटपिट तो सब जगह होती होगी।
    • शान्ति कहाँ भी नहीं है।
    • सच्ची-सच्ची शान्ति, सुख, पवित्रता 21 जन्मों के लिए तुम बच्चों को अब मिल रही है।
    • ऐसी मत और कोई दे न सके।
  • बाबा कहते हैं मैं कितना दूरदेश से आता हूँ सर्विस करने।
    • तुमको भी सर्विस करनी है।
    • प्रदर्शनी, मेले में बहुत नहीं समझ सकते।
    • भल गवर्नर ओपनिंग करते हैं, परन्तु यह थोड़ेही बुद्धि में आता है कि इन्हों को परमात्मा पढ़ाते हैं ब्रह्मा द्वारा, जिससे विश्व का वर्सा मिलता है।
    • सिर्फ कहते हैं अच्छा है।
    • मातायें अच्छा कर्तव्य कर रही हैं, श्रेष्ठाचारी बना रही हैं।
    • भल यह भी लिखते हैं कि मैं मानता हूँ कि गीता भगवान ने गाई है।
    • लिख दिया परन्तु बुद्धि में थोड़ेही बैठता है, न पुरुषार्थ चलता है समझने का।
  • तुम्हारी बुद्धि में है कि शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा कहते हैं कि मुझे याद करो तो तुम यह लक्ष्मी-नारायण बनेंगे।
    • यह पैगाम सबको सुनाना है।
    • तुम पैगम्बर के बच्चे हो और जो भी आते हैं, वह धर्म स्थापक हैं।
    • तुम सबको यह मैसेज सुनाओ कि बाबा स्वर्ग नई दुनिया की स्थापना कर रहे हैं।
  • बाबा कहते हैं अगर तुम मुझे याद करेंगे और पवित्र रहेंगे तो तुम भी स्वर्ग के मालिक बन जायेंगे।
    • घड़ी-घड़ी यह ख्यालात khayalat चलने चाहिए।
    • कच्ची अवस्था होने के कारण धन्धे-धोरी में जाते हैं तो सब कुछ भूल जाता है।
    • फिर जो कुछ महावाक्य सुनते हैं, वह भी व्यर्थ नहीं जाते हैं।
    • एक-एक रत्न कम नहीं है।
    • एक रत्न भी स्वर्ग का मालिक बना सकता है।
    • गाते भी हैं भारत हमारा बहुत ऊंच देश है।
    • तुम जानते हो हमारा भारत जो स्वर्ग था, वह अब नर्क बना है।
  • अब फिर बाबा कहते हैं मामेकम् याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
    • प्रजा तो ढेर बनती जाती है।
    • वृद्धि भी होती रहती है।
    • सेन्टर्स खुलते ही रहते हैं।
  • बाप भी कहते हैं गांव में जाकर सर्विस करो।
    • ऐसे बहुत गांव हैं जहाँ मिलकर क्लास करते हैं।
    • फिर बाबा को पत्र लिखते हैं।
    • तुम बच्चों का काम है ब्राह्मण धर्म को बढ़ाना, ताकि सब मनुष्य देवता बन जायें।
    • यहाँ वाला जो होगा वह और सतसंगों में नहीं फँसेगा।
  • यहाँ मुख्य बात है पवित्रता की।
    • इस पर ही बाप बच्चों के, स्त्री पुरुष के, पुरुष स्त्री के दुश्मन बन जाते हैं।
    • गवर्मेन्ट भी कहती है यह क्या करते?
    • यह क्यों होता है?
    • परन्तु धर्म में इन्टरफियर तो कर नहीं सकते।
    • स्व-राज्य तो स्थापन कर ही लेंगे।
  • पहले जो लड़ाई लगी है और इसमें रात-दिन का फ़र्क है।
    • यह बाम्ब्स आदि पहले नहीं थे।
    • तुम जानते हो हमारे राज्य में लड़ाई का नाम-निशान भी नहीं होगा।
    • सतयुग-त्रेता सुख, द्वापर-कलियुग दु:ख।
    • नई दुनिया और पुरानी दुनिया।
    • दुनिया एक ही है, सिर्फ नई और पुरानी बनती है।
    • अब पुरानी दुनिया विनाश हो नई बनने वाली है।
    • यह पुरानी दुनिया अब कोई काम की नहीं रही है फिर नई दुनिया चाहिए।
  • देहली में कितने बार नये महल बने होंगे।
    • जो आते हैं वह तोड़-फोड़कर फिर अपना नया बनाते हैं, यादगार के लिए।
    • जब बड़ी लड़ाई लगेगी तो यह सब टूट फूट जायेगा।
    • फिर नई दुनिया में नये महल बनायेंगे।
      • फिर
  • जितना जो पढ़ेगा उतना ऊंच पद पायेगा।
    • कोई अच्छा पढ़ते हैं कोई कम।
    • यह तो चलता रहता है।
  • तुम बच्चे यह पक्का याद रखो कि हमने अब 84 जन्म पूरे किये हैं।
    • अब हमको घर जाना है।
    • यह पुराना शरीर छोड़ हम अपने घर जायें, ऐसी पक्की अवस्था हो जाए फिर और क्या चाहिए।
    • ऐसी अवस्था में कोई शरीर भी छोड़े तो बहुत ऊंच कुल में जन्म लेंगे।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) अपनी कमाई जमा करने के लिए बाप और चक्र को याद करते रहना है।
    • माया की चकरी में कभी नहीं आना है।
    • टू मच आशायें नहीं रखनी हैं।
  • 2) मनुष्यों को देवता बनाने के लिए अपने ब्राह्मण धर्म को बढ़ाना है।
    • गांव-गांव में जाकर सेवा करनी है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • बार-बार हार खाने के बजाए बलिहार जाने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान् विजयी भव
  • स्वयं को सदा विजयी रत्न समझकर हर संकल्प और कर्म करो तो कभी भी हार हो नहीं सकती।
  • मास्टर सर्वशक्तिमान् कभी हार नहीं खा सकते।
  • यदि बार-बार हारhaar होती है तो धर्मराज की मार खानी पड़ेगी और हार खाने वालों को भविष्य में हार बनाने पड़ेंगे, द्वापर से अनेक मूर्तियों को हार पहनाने पड़ेंगे इसलिए हार खाने के बजाए बलिहार हो जाओ, अपने सम्पूर्ण स्वरूप को धारण करने की प्रतिज्ञा करो तो विजयी बन जायेंगे।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • “कब'' शब्द कमजोरी सिद्ध करता है इसलिए “कब'' करेंगे नहीं, अब करना है।