30-11-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - सवेरे-सवेरे उठ बाप को याद करो तो सतोप्रधान बन जायेंगे, अमृतवेले का समय बहुत अच्छा है''

प्रश्नः-

आज्ञाकारी बच्चों की निशानियाँ क्या होंगी?

उत्तर:-

आज्ञाकारी बच्चे - ऊंचे ते ऊंचे बाप के महावाक्यों को सिर पर रखेंगे अर्थात् अपने जीवन में धारण करेंगे।

उनकी चलन बड़ी रॉयल होगी।

वे बड़े धैर्यवत होंगे।

उन्हें विश्व के मालिकपन का गुप्त नशा होगा।

आज्ञाकारी बच्चे अपने किसी भी कर्म से बापदादा की इनसल्ट नहीं होने देंगे।

इनसल्ट करने वाले अर्थात् अवज्ञा करने वाले बच्चे बहुत डिससर्विस करते हैं।

आज्ञाकारी बच्चे सदा फालो फादर करते, कभी उल्टा काम नहीं करते।

 

गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन...


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने दो अक्षर सुने।
    • अब बच्चे तो इनका अर्थ समझ ही गये हैं कि बाप यहाँ है।
    • बाप बैठ राइट बात समझाते हैं क्योंकि हर एक बात मनुष्य जो कहते हैं ज्ञान के बारे वा ईश्वर के साथ मिलने के बारे में, वह है रांग।
    • अब गीत के अक्षर सुने - छोड़ भी दे आकाश सिंहासन... लेकिन आकाश सिंहासन क्या है, यह कोई को पता नहीं है।
    • पतित-पावन को तो आना ही है।
    • कोई कहते हैं भगवान है नहीं।
    • कोई कहते सब भगवान ही भगवान हैं।
    • आयेगा क्यों?
    • यह तो तुम बच्चों ने जाना है कि बाप आया है फिर यह गायन आदि सब भक्ति मार्ग का सुनना अच्छा नहीं लगता।
    • पतित-पावन आकर अपना परिचय देकर, रचना के आदि-मध्य-अन्त का राज़ समझाते हैं।
    • बाकी दुनिया में यह बातें कोई समझ नहीं सकते।
  • यहाँ भी कितनी मत के आदमी हैं।
    • कहते हैं मनुष्य पवित्र बनें, यह हो नहीं सकता।
    • सो जरूर जब तक भगवान न आये तब तक पवित्र कैसे बन सकते।
    • परमात्मा ही आकर शिक्षा देते हैं और टैम्पटेशन भी देते हैं कि इसमें प्राप्ति कितनी भारी है।
  • तुम जानते हो बाप कहते हैं - मेरा बनकर श्रीमत पर नहीं चलेंगे तो सजा खानी पड़ेगी।
    • जैसे बाप सगीर बच्चों की चलन ठीक नहीं देखते हैं तो चमाट मार देते हैं, यह बाप चमाट तो नहीं मारते।
    • सिर्फ समझाते हैं - प्रतिज्ञा ब्लड से भी लिखकर देते हैं, फिर भी हार जाते हैं।
    • मनुष्यों को पता ही नहीं तो पवित्र बनने से क्या मिलता है।
  • पतित किसको कहा जाता है।
    • बाप समझाते हैं जो विकार में जाते हैं - वह हैं पतित।
    • मनुष्य समझते हैं विकार छोड़ना इम्पासिबुल है।
    • बोलो, देवी-देवतायें तो सम्पूर्ण निर्विकारी थे।
    • चित्र दिखाने चाहिए।
    • यह निर्विकारी दुनिया थी ना।
    • पवित्रता थी तो भारत कितना साहूकार था, शिवालय था।
  • मनुष्यों को यह फुरना रहता है कि विकार बिगर दुनिया कैसे बढ़ेगी।
    • अरे गवर्मेन्ट तंग हो गई है कि दुनिया बढ़े नहीं फिर भी हर वर्ष कितने मनुष्य बढ़ते रहते हैं।
    • कम होना तो बहुत मुश्किल है।
  • यहाँ बेहद का बाप कहते हैं अगर तुम पवित्र बनेंगे तो हम तुमको स्वर्ग का मालिक बनायेंगे।
    • आमदनी बहुत भारी है।
    • बच्चे जानते हैं बरोबर माया जीत बनने से हम जगत जीत बनेंगे।
    • रावण को जीत रामराज्य पायेंगे।
    • वहाँ यह विकार हो नहीं सकते।
    • उन्हों को तुमने जीत लिया ना।
    • यह बातें कोई मुश्किल समझते हैं, कहते हैं इसके बिगर दुनिया कैसे चलेगी!
    • ऐसी-ऐसी जो बातें करे तो समझना चाहिए यह आदि सनातन धर्म का नहीं है।
    • जहाँ भी तुम भाषण करते हो - तो बोलो भगवानुवाच, भगवान कहते हैं काम महाशत्रु है, उन पर जीत पहनने से तुम जगतजीत बनेंगे।
    • समझानी बड़ी सीधी है।
    • परन्तु फिर भी वह समझते नहीं, या समझाने वालों में अक्ल नहीं है।
  • बाबा तो समझते हैं बच्चे रूपये में 5 आना भी मुश्किल सीखे हैं या तो खुद पूरे योगी नहीं बने हैं तो ताकत नहीं मिलती।
    • याद से ही ताकत मिलती है, बाबा सर्वशक्तिमान् अथॉरिटी है ना।
    • योग हो तो शक्ति भी मिले।
    • योग तो बहुत बच्चों का बिल्कुल कम है।
    • सच भी कोई लिखते नहीं।
    • याद का चार्ट नोट करें सो भी मुश्किल है।
    • टीचर्स ही चार्ट नहीं रखती तो स्टूडेन्ट कैसे रखेंगे।
    • बहुत स्टूडेन्ट योग में बहुत तीखे हैं।
  • मुख्य बात है बाप को याद करना है।
    • योग अक्षर शास्त्रों का है।
    • मनुष्य सुनकर मूँझ जाते हैं।
    • कहते हैं योग सिखाओ।
    • अरे योग कोई सीखने का थोड़ेही है।
    • सुबह सवेरे-सवेरे उठ आपेही याद करना है, इसमें टीचर की क्या दरकार है जो बैठ सिखावे इसलिये याद अक्षर ठीक है।
    • योग सीखने की बात नहीं।
    • यह आदत नहीं डालनी चाहिए।
    • बाप कहते हैं - अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो सतोप्रधान बन जायेंगे।
    • अमृतवेले याद करना अच्छा है।
    • भक्ति भी सवेरे उठकर करते हैं।
    • यह भी तो बाप को याद करता है।
    • याद क्यों करते हैं?
    • क्योंकि बाप से वर्सा मिलना है।
    • भल भक्ति मार्ग में शिव को याद करते हैं परन्तु उनको यह मालूम नहीं कि शिव से क्या मिलना है।
    • यह सिर्फ तुम बच्चे ही जानते हो।
    • अब बाप श्रीमत देते हैं कि अपना कल्याण करने के लिए मुझे याद करो।
    • याद से ही शक्ति आती है।
    • शक्ति से विकर्म विनाश होंगे।
  • ज्ञान से विकर्म विनाश नहीं होंगे।
    • ज्ञान से पद मिलेगा।
    • पतित से पावन बनते हैं याद से।
    • बहुत बच्चे इसमें फेल्युअर हैं।
    • बहुत अच्छे महारथी 5 आना भी मुश्किल याद करते हैं।
    • कोई तो एक पैसा भी याद नहीं करते, इसमें बड़ी मेहनत है।
    • समझानी तो झट सीख जाते हैं परन्तु बेड़ा पार तब हो जब याद में रहे।
    • तब ही जन्म-जन्मान्तर के विकर्म विनाश हों, फिर पुण्य आत्मा बन जायेंगे।
  • बाप को बुलाते हैं - आकर हमें पतित से पावन बनाओ।
    • पावन तो ढेर बनते हैं परन्तु ऊंच वर्सा वह पायेंगे जो याद में अच्छी रीति रहेंगे।
    • तुम्हारे से, जो बांधेलियाँ हैं वह जास्ती याद करती हैं।
    • याद से ही विकर्म विनाश हो सकते हैं।
    • तो जब कोई कहे कि पवित्र रहना इम्पासिबुल है तो फिर उनसे बात भी नहीं करनी चाहिए।
    • निर्विकारी भारत था तो सतोप्रधान था, परन्तु साहूकारों की बुद्धि में यह ज्ञान बैठना ही मुश्किल है क्योंकि याद में ही मेहनत है।
  • बाप कहते हैं - गृहस्थ व्यवहार में रहते उनसे भी तोड़ निभाओ।
    • वास्तव में कायदे बहुत कड़े हैं।
    • तुम जन्म-जन्मान्तर तो पाप आत्माओं को दान देते पाप आत्मा बनते रहे।
    • अभी तुम पाप आत्मा को पैसा दे नहीं सकते, परन्तु दादे का वर्सा है तो देना पड़ता है इसलिए बाप कहते हैं पहले सब (लौकिक के) काम उतार फिर सरेन्डर हो जाओ।
    • ऐसा भी कोटों में कोई निकलता है।
    • बड़ी भारी मंजिल है।
    • फालो फादर करना है।
    • नष्टोमोहा होना कोई मासी का घर नहीं है, बड़ी मेहनत है।
    • विश्व का मालिक बनना; प्राप्ति कितनी भारी है।
    • कल्प-कल्प जो विश्व का मालिक बनें, वही फिर भी बनते हैं।
    • ड्रामा का राज़ भी थोड़ों की बुद्धि में बैठता है।
    • साहूकार तो मुश्किल उठ सकते हैं।
    • गरीब तो झट कह देते हैं - बाबा यह सब कुछ आपका है फिर उन्हों को सर्विस भी करनी है।
  • पावन बनने के लिए याद भी चाहिए।
    • नहीं तो बहुत सजा खानी पड़ेगी।
    • सजा खाई तो पद भी कम हो जायेगा।
    • सजा खाते वह हैं जो याद नहीं करते हैं।
    • ज्ञान कितना भी उठायें, उससे विकर्म विनाश नहीं होंगे।
    • मोचरा खाकर फिर थोड़ा पद पाना - वह कोई वर्सा थोड़ेही है।
  • बाप से तो पूरा वर्सा लेने के लिए बाप का आज्ञाकारी बनना चाहिए।
    • ऊंच ते ऊंच बाप के महावाक्य सिर पर रखने चाहिए।
    • कृष्ण की आत्मा भी इस समय वर्सा ले रही है।
    • इन लक्ष्मी-नारायण के बहुत जन्मों के अन्त में हम फिर से उन्हों को पढ़ाकर वर्सा देते हैं।
  • तुम्हारे में भी प्रिन्स प्रिन्सेज बनने वाले होंगे ना।
    • रॉयल घराने वालों की चलन बहुत धैर्यवत होती है।
    • गुप्त नशा रहता है।
  • बाबा कितना साधारण रहता है।
    • जानते हैं बाकी थोड़ा समय है।
    • मेरे को तो जाकर विश्व महाराजन बनना है।
    • यह भी पतित थे।
    • यह तो बाबा का रथ है, तब यहाँ संदली पर बैठना पड़ता है।
    • नहीं तो बाबा कहाँ बैठे।
    • यह भी तुम्हारे जैसा स्टूडेन्ट है।
    • पढ़ते हैं।
  • बहुत बच्चे हैं - बाप को पहचानते नहीं हैं।
    • बाप के साथ धर्मराज भी है।
    • बाप कहते हैं मेरी आज्ञा नहीं मानी, मेरी इनसल्ट की तो धर्मराज बहुत सजायें देगा।
    • डायरेक्ट हमारी अथवा हमारे बच्चे की तुम अवज्ञा करते हो।
    • बाप का एक ही सिकीलधा बच्चा है।
    • प्यार तो है ना।
    • इनकी इनसल्ट करते तो कितनी सजायें खानी पड़ेंगी।
  • थोड़ी आफतें आने दो फिर देखो कितने भागते हैं।
    • तुम सब भागे हो, इसने जादू आदि कुछ नहीं किया।
    • जादूगर शिवबाबा है।
  • बहुत हैं - जिनको यह भी ध्यान नहीं आता है कि इनमें शिवबाबा आते हैं।
    • शिवबाबा के आगे हम कुछ उल्टा कर देंगे तो बाप कहेगा यह नालायक बच्चा है।
    • इसमें डबल है ना इसलिए तार में लिखते हैं - बापदादा।
    • परन्तु इस पर भी बच्चे समझते नहीं हैं कि बापदादा इकट्ठा कैसे हैं।
  • बाप, दादा द्वारा वर्सा देते हैं।
    • आपेही बात छेड़नी चाहिए।
    • तुम जानते हो बापदादा कौन है?
    • भल कोई पूछे कि तुम बापदादा किसको कहते हो?
    • बाप-दादा एक का नाम हो न सके।
    • तो बच्चों को युक्ति से समझाना चाहिए।
    • जब तुम किसको समझाओ तब उनकी बुद्धि में बैठे कि शिवबाबा दादा द्वारा वर्सा देते हैं।
  • अब विनाश तो होना है।
    • उनसे पहले राजयोग सिखा रहे हैं, आप भी सीखो।
  • आधाकल्प जिस बाप को पुकारा है वह आया है नॉलेज देने।
    • फिर भी कहते है - फुर्सत नहीं है समझने की।
    • तो कहेंगे आप देवी-देवता धर्म के नहीं हो।
    • आपकी तकदीर में स्वर्ग के सुख नहीं हैं।
    • बाकी यहाँ कोई माथा आदि तो टेकना नहीं है।
    • संन्यासियों के आगे चरणों में जरूर गिरेंगे।
    • यह तो गुप्त है ना।
  • आगे चलकर बहुत प्रभाव निकलेगा।
    • उस समय भीड़ बहुत होगी।
    • भीड़भाड़ में कितने मनुष्य मर जाते हैं।
    • प्राइम-मिनिस्टर आदि का दर्शन करने कितनी भीड़ खड़ी हो जाती है।
    • यहाँ कितना गुप्त बैठे हैं, बच्चों के साथ।
    • यहाँ देखेंगे किसको?
    • इनके लिए तो जानते हैं जौहरी था।
  • शास्त्रों में भी है - ब्रह्मा द्वारा मनुष्य सृष्टि रची कैसे?
    • बाप कहते हैं - मैं इनमें प्रवेश कर रचता हूँ।
    • यह भी लिखा हुआ है परन्तु पत्थरबुद्धि समझते नहीं।
    • बाप आकर बच्चों को पतित से पावन बनाए ट्रांसफर करते हैं।
    • बाकी कोई नई रचना थोड़ेही रचते हैं।
    • यह है पतितों को पावन बनाने की युक्ति।
  • विराट रूप का चित्र जरूर होना चाहिए।
    • चित्र बड़ा होगा तो समझाने में भी सहज होगा।
    • पत्थरबुद्धि से पारसबुद्धि बनाना, कोई सहज बात थोड़ेही है।
    • कोई तो बिल्कुल ऐसे तवाई मिसल देखकर चले जाते हैं।
    • प्रजा बनने वाला होगा तो भी कुछ न कुछ बुद्धि में बैठेगा।
    • हम सो ब्राह्मण, सो हम देवता, हम सो का अर्थ बाबा ने कितना अच्छा समझाया है।
  • वह कहते आत्मा सो परमात्मा। बस।
    • यहाँ तुम जानते हो हम आत्मा हैं ही।
    • हम आत्मा पहले ब्राह्मण फिर हम सो देवता, हम सो क्षत्रिय... बनते हैं।
    • हम कितने वर्णो वाले बनते हैं!
    • 84 का चक्र लगाते हैं।
    • बाकी जो बाद में आते हैं - उनके लगभग कितने जन्म होंगे!
    • हिसाब निकाल सकते हो।
  • चित्र बहुत अच्छे बाबा की दिलपसन्द बनने चाहिए।
    • दो चार अच्छे बच्चे होने चाहिए, जो चित्र बनाने में मदद करें।
    • बाबा खर्चा देने के लिए तैयार हैं, फिर हुण्डी आपेही बाबा भरायेगा।
    • बाबा कहते हैं मुख्य चित्र ट्रांसलाइट के बनने चाहिए।
    • मनुष्य देख खुश होंगे।
    • सारी प्रदर्शनी ऐसी बननी चाहिए।
    • परन्तु बच्चों को खड़ा करने के लिए बाबा को मेहनत करनी पड़ती है।
  • बाप की याद है मुख्य।
    • याद से ही तुम पतित से पावन सृष्टि के मालिक बन जायेंगे।
    • और कोई उपाय नहीं।
    • चलते-फिरते बाबा को याद करो।
    • चक्र को याद करना है।
  • तुम्हारा स्वभाव बड़ा रॉयल चाहिए।
    • चलते-चलते कोई को लोभ, कोई को मोह पकड़ लेता है।
    • कोई दिलपसन्द चीज़ पर हिरे हुऐ हैं, नहीं मिलेगी तो बीमार हो जायेंगे।
    • इस कारण आदत कोई भी रखनी नहीं चाहिए।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) अपना कल्याण करने लिए बाप की आज्ञा माननी है।
    • बापदादा की कभी भी अवज्ञा नहीं करनी है।
    • कोई भी लोभ, मोह की आदत नहीं रखनी है।
  • 2) अपना स्वभाव बहुत रॉयल बनाना है।
    • सवेरे-सवेरे अमृतवेले उठ बाप को याद करने का अभ्यास करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • अपनी मूर्त से बाप और शिक्षक की सूरत को प्रत्यक्ष करने वाले अनुभवी मूर्त भव
  • अपने असली पोजीशन में ठहरना - यही याद की यात्रा है, जो हूँ, जिसका हूँ - उसमें स्थित रहो, इसी असली स्वरूप के निश्चय और अनेक बार के विजय की स्मृति से सदा नशे की स्थिति के सागर में लहराते रहेंगे।
  • जब सुख दाता के बच्चे हैं तो दु:ख की लहर आ कैसे सकती, सर्वशक्तिवान के बच्चे शक्तिहीन हो कैसे सकते!
  • इसी पोजीशन के अनुभवों में रहो तो आपकी मूर्त से बाप वा शिक्षक की सूरत स्वत: प्रत्यक्ष होगी।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • सत्यवादी वह है जिसके चेहरे और चलन में दिव्यता हो।