23-11-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - इस ड्रामा में तुम हीरो हीरोइन पार्टधारी हो, सारे कल्प में तुम्हारे जैसा हीरो पार्ट और किसी का भी नहीं''
प्रश्नः-
मनुष्य से देवता बनने का इम्तहान कौन पास कर सकता है?
उत्तर:-
जो फॉलो फादर कर बाप समान पवित्र बनते वही यह इम्तहान पास कर सकते हैं।
21 जन्मों का बेहद का वर्सा मिलता है तो जरूर थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।
अभी मेहनत नहीं की तो कल्प-कल्पान्तर नहीं करेंगे फिर ऊंच पद कैसे पायेंगे।
पवित्र बनेंगे तो अच्छा पद पायेंगे।
नहीं तो सजायें खानी पड़ेंगी।
-
- ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे रूहानी बच्चों से बाबा सम्मुख बात कर रहे हैं।
- बच्चे समझते होंगे हमारे साथ बेहद का बाप बात कर रहे हैं।
- जो सबसे अति मीठा है।
- बाप भी मीठा होता है, टीचर भी मीठा होता है क्योंकि दोनों से वर्सा मिलता है।
- गुरू से भक्ति का वर्सा मिलता है।
- यहाँ तो एक से ही तीनों मिलते हैं।
- खुशी भी होती है।
- तुम उनके सम्मुख बैठे हो।
- तुम जानते हो बेहद का बाप जिसको पतित-पावन कहा जाता है, वही मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है।
- वह बीज जड़ होता है। यह है चैतन्य।
- इनको सत चित आनंद स्वरूप कहा जाता है फिर उनकी महिमा भी है।
- वह ज्ञान का सागर है परन्तु उससे नॉलेज क्या मिलती है, यह किसको पता नहीं है।
- तुम जानते हो जिन्हों को बाप नॉलेज दे रहे हैं, वही भक्ति मार्ग में इनके मन्दिर, शास्त्र आदि बनाते हैं।
- यह भी तुम जानते हो कि बरोबर हर 5 हजार वर्ष के बाद यह कल्प का संगम आता है।
- इसको कहा जाता है रूहानी अविनाशी पुरुषोत्तम संगमयुग।
- यूँ तो उत्तम पुरुष बहुत ही होते हैं।
- परन्तु वह एक जन्म में उत्तम पुरुष बनते हैं, फिर मध्यम कनिष्ट हो पड़ते हैं।
- यह लक्ष्मी-नारायण देखो कितने उत्तम पुरुष हैं।
- यह हैं पुरुषोत्तम और पुरुषोत्तमनी।
- ऐसा उत्तम दोनों को किसने बनाया?
- गाया जाता है ऊंच ते ऊंच भगवान है, वह ऊपर में रहते हैं।
- मनुष्य सृष्टि में ऊंचे ते ऊंच यह विश्व महाराजा महारानी हैं।
- ऊंचे ते ऊंच भारत में राज्य करते थे।
- अब यह राज्य उन्होंने कैसे पाया!
- यह किसको पता नहीं।
- ऐसा बाप जो तुमको इतना ऊंच बनाते हैं, वह कितना मीठा लगना चाहिए।
- उनकी मत पर चलना चाहिए।
- ऐसा ऊंचा विश्व का मालिक बनाने वाला बाप पढ़ाते कैसे साधारण रीति से हैं।
- यह भी तुम जानते हो कि बेहद का बाप भारत में आता है।
- शिव जयन्ती भी मनाते हैं।
- भारत को आकर स्वर्ग बनाते हैं।
- अब स्मृति आई है कि हम स्वर्गवासी 84 जन्म भोग नर्कवासी बने हैं।
- फिर बाबा आया हुआ है स्वर्गवासी बनाने।
- अब बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम्हारी आत्मा तमोप्रधान से सतोप्रधान बनेगी।
- सतोप्रधान बनने बिगर वापिस कोई जा नहीं सकते।
- नहीं तो सजा खानी पड़ेगी।
- सज़ा भी आत्मा को मिलती है ना।
- गर्भ जेल में शरीर धारण कराए फिर सजा देते हैं।
- बच्चों को बहुत दु:ख भोगना पड़ता है।
- त्राहि-त्राहि करते हैं।
- कहते हैं फिर पाप नहीं करूँगा।
- तुम बच्चों को तो गर्भ जेल में जाना नहीं है।
- वहाँ गर्भ महल है क्योंकि पाप होता नहीं।
- यहाँ रावणराज्य में पाप होता है तब तो राम राज्य माँगते हैं।
- परन्तु यह जानते नहीं रावण राज्य क्या चीज़ है।
- जलाते हैं तो खत्म होना चाहिए।
- फिर-फिर जलाते हैं, गोया मरा नहीं है।
- फिर यह सब करने से फायदा क्या?
- वो लोग जाकर लंका लूटकर आते हैं।
- एक झाड़ को बीमारी होती है, उसको सोना समझ ले आते हैं।
- वास्तव में तुम इस समय रावण पर जीत पाते और गोल्डन एज के मालिक बनते हो।
- अजमेर में बैकुण्ठ का मॉडल बनाया है।
- अब तुम जानते हो बाबा आया है बच्चों को फिर से स्वर्ग का मालिक बनाने।
- हीरे जवाहरों के महलों में हम राज्य करेंगे।
- अभी तुम बच्चे योगबल से निर्विकारी सतोप्रधान बनते हो।
- आत्मा सम्पूर्ण निर्विकारी बन फिर चली जायेगी शान्ति-धाम, वहाँ दु:ख की बात नहीं।
- बाबा ने समझाया है इस नाटक में तुम्हारा सबसे बड़ा मुख्य पार्ट है हीरो हीरोइन का।
- राज्य लेना और गँवाना - यह खेल है।
- हीरो हीरोइन तुम हो।
- हीरो का अर्थ है मुख्य पार्टधारी।
- तुम गोल्डन एज में पवित्र गृहस्थ आश्रम में रहते थे।
- आइरन एज में अपवित्र गृहस्थ व्यवहार है।
- अब बाबा गोल्डन एज में ले जायेगा।
- वहाँ लक्ष्मी-नारायण सूर्यवंशियों का राज्य होगा।
- वह पुनर्जन्म ले चन्द्रवंशी में आयेंगे, वृद्धि होती रहेगी।
- अब कितने करोड़ हो गये हैं।
- अब कहते हैं बर्थ कम हो।
- जिनको एक दो बच्चा होगा वह थोड़ेही बन्द करेंगे।
- अब तुम तो इतला कर सकते हो कि पापूलेशन कम कराना यह तो बाप के ऊपर है।
- बाप जानते हैं जास्ती मनुष्य होंगे तो मरेंगे।
- मैं आया हूँ सबको खलास कर एक धर्म की स्थापना करने।
- वहाँ 9 लाख होंगे। छू मन्त्र हुआ ना।
- कलियुग रूपी रात पूरी होकर दिन शुरू हो जायेगा।
- बर्थ कन्ट्रोल पर कितना खर्चा करते हैं।
- बाप का कोई खर्चा नहीं।
- नेचुरल कैलेमिटीज होगी, सब खत्म हो जायेगा, ड्रामा में नूँध है।
- वह लोग जो प्लैन बना रहे हैं, वह भी ड्रामा में नूँध है।
- यूरोपवासी यादव, भारतवासी कौरव और पाण्डव।
- वह सब एक तरफ, इस तरफ दो भाई-भाई हैं।
- भारत में भाई-भाई हैं।
- जो अभी कलियुग में भाई-भाई हैं तुम अब निकल आये हो संगम पर।
- कौरव और पाण्डव एक ही घर के थे।
- आत्मा असुल में भाई-भाई है।
- तुम आत्माओं से ही पहले-पहले बाबा मिला है।
- रेस में जो पहले-पहले जाते हैं वह इनाम लेते हैं।
- तुम्हारी है याद की दौड़।
- यह कोई शास्त्र में नहीं है।
- बाप कहते हैं मेरे साथ योग रखो।
- यह योग की यात्रा इस समय ही होती है।
- यह यात्रा और कोई सिखला न सके।
- सतयुग में न रूहानी योग, न जिस्मानी योग होता - वहाँ दरकार ही नहीं।
- यह इस समय तुम्हारी बुद्धि में बैठता है।
- ड्रामा में एक-एक सेकेण्ड का एक्ट समझाया है, इसको स्वदर्शन चक्र कहा जाता है।
- वास्तव में स्वदर्शन चक्रधारी अभी तुम बनते हो।
- 84 जन्मों का अथवा सृष्टि चक्र का नॉलेज तुमको है।
- स्व माना आत्मा।
- आत्मा को यह ज्ञान है तो अभी तुम बच्चे स्वदर्शन चक्रधारी बने हो।
- हम तुमको कहेंगे रूहानी बच्चों।
- स्वदर्शन चक्रधारी ब्राह्मण कुल भूषण।
- इन अक्षरों का अर्थ कोई नया समझ नहीं सकता।
- यह अलंकार तुमको नहीं देते हैं क्योंकि तुमसे कई भागन्ती हो जाते हैं।
- अभी तुम्हारी बुद्धि में 84 का चक्र है।
- अब नम्बरवन में जायेंगे।
- पहले घर जाकर फिर देवता बनेंगे।
- फिर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बनेंगे।
- कितनी समझ की बात है।
- इतना भी कोई याद करे तो अहो सौभाग्य।
- बाकी थोड़ा समय है फिर हम स्वर्ग में जायेंगे।
- बाकी शास्त्रों में तो बहुत दन्त कथायें लिख दी हैं।
- कृष्ण जो सभी का प्यारा है, उनके लिए भी लिख दिया है सर्प ने डसा, यह हुआ..।
- कृष्ण, राधे से भी प्यारा लगता है क्योंकि मुरली बजाई है।
- यह वास्तव में है ज्ञान की बात।
- तुम इस समय ज्ञान-ज्ञानेश्वरी हो।
- फिर पढ़कर राज-राजेश्वरी बनती हो।
- यह है एम आब्जेक्ट।
- तुमसे कोई पूछते हैं यहाँ का उद्देश्य क्या है?
- बोलो, मनुष्य से देवता बनना।
- हम सो देवता थे।
- 84 जन्मों बाद शूद्र बनें, अब फिर ब्राह्मण बने हैं, फिर देवता बनेंगे।
- पढ़ाने वाला ज्ञान का सागर परमात्मा है, न कि कृष्ण।
- यह राजयोग कोई भी सिखला न सके।
- तुम कहते हो बाबा हम कल्प-कल्प आपसे आकर राज्य-भाग्य लेते हैं।
- यह भी तुम जानते हो।
- इस महाभारी लड़ाई से ही स्वर्ग के गेट खुलने वाले हैं।
- बाबा आकर राजयोग सिखलाते हैं तो जरूर स्वर्ग चाहिए।
- नर्क खत्म होना चाहिए।
- यह महाभारी लड़ाई शास्त्रों में है।
- (खाँसी आई) यह किसको होती है?
- शिवबाबा को या ब्रह्मा बाबा को? (ब्रह्मा को) यह कर्मभोग है।
- अन्त तक होता रहेगा।
- जब तक सम्पूर्ण बन जायें फिर यह शरीर भी नहीं रहेगा।
- तब तक कुछ न कुछ होता रहेगा, इसको कर्मभोग कहा जाता है।
- सतयुग में कर्मभोग होता नहीं।
- कोई बीमारी आदि होती नहीं।
- हम एवरहेल्दी-एवरवेल्दी बनते हैं।
- सदैव हर्षित रहते हैं क्योंकि बेहद के बाप से वर्सा मिलता है।
- फिर आधाकल्प के बाद दु:ख शुरू होता है।
- सो भी जब भक्ति व्यभिचारी हो जाती है तब दु:ख जास्ती होता है, तब त्राहि-त्राहि करते हैं और फिर विनाश होता है।
- अब तुम सम्मुख सुनते हो तो कितना मजा आता है।
- जानते हो यह हमारा सच्चा बाप, सच्चा टीचर, सच्चा सतगुरू है।
- यह महिमा एक ही निराकार बाप की है।
- वह है ऊंचे ते ऊंचा भगवान।
- उस बाप को याद करो तो ऊंच पद पायेंगे।
- यह कोई साधू-सन्त महात्मा तो तख्त पर नहीं बैठता है।
- कभी पाँव पड़ने भी नहीं देते हैं।
- बाप कहते हैं - मैं तुम्हारा ओबीडियन्ट सर्वेन्ट हूँ।
- मुझे पैर कहाँ हैं?
- तुम माथा किसको टेकेंगे?
- बहुत गुरूओं को माथा टेकते-टेकते तुम्हारी टिप्पड़ ही घिस गई है।
- जो भक्तिमार्ग में होता है वह ज्ञान मार्ग में हो न सके।
- भक्ति मार्ग में कहते हैं हे राम... बाप कहते हैं यहाँ कोई आवाज नहीं करना है।
- अपने को आत्मा समझ गुप्त बाप को याद करना है।
- हे शिव..... भी कहना नहीं है।
- तुमको आवाज से परे जाना है।
- बच्चे को अन्दर में बाप याद रहता है।
- आत्मा जानती है कि यह हमारा बाबा है।
- तुमको अन्दर गुप्त याद करना है, इसको अजपा याद कहा जाता है।
- जाप नहीं करना है।
- माला अन्दर फेरो या बाहर फेरो।
- बात एक ही है।
- अन्दर फेरना कोई गुप्त नहीं।
- गुप्त बात है - अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना।
- वह शिवबाबा यह प्रजापिता ब्रह्मा।
- तुमको डबल इंजन मिलती है, श्रृंगारने लिए।
- इनकी आत्मा भी श्रृंगार रही है।
- फिर सब चलेंगे पियर घर।
- वहाँ से फिर ससुरघर विष्णुपुरी में आयेंगे।
- यह है डबल पियर घर अलौकिक, वो लौकिक वह पारलौकिक।
- इस अलौकिक बाप को कोई जानते नहीं, तब कहते हैं इस दादा को क्यों बिठाया है।
- यह किसको पता नहीं है कि इस तन से परमात्मा पढ़ाते हैं।
- यह बहुत जन्मों के अन्त में पूज्य से पुजारी बने हैं।
- राजा से रंक बने हैं।
- बाबा समझाते हैं - इस तन में मैं प्रवेश करता हूँ।
- फिर भी किसकी बुद्धि में बैठता नहीं।
- मन्दिरों में बैल रख दिया है।
- अब शंकर तो है सूक्ष्मवतन वासी।
- सूक्ष्मवतन में बैल आदि तो होते ही नहीं।
- बैल अर्थात् मेल।
- भागीरथ को मेल दिखाते हैं।
- मनुष्य तो बिल्कुल बेसमझ बन पड़े हैं।
- बाप कहते हैं - रावण ने बेसमझ बनाया है।
- खुद कहते हैं रामराज्य चाहिए।
- अब रामराज्य तो सतयुग में होता है।
- कलियुग में रावण राज्य।
- राम और रावण भारत में होता है।
- शिव जयन्ती भी भारत में मनाते हैं, रावण जयन्ती नहीं मनाते क्योंकि दुश्मन है।
- जयन्ती उसकी मनाई जाती है जो सुख देता है।
- अब शिवबाबा आकर ज्ञान सुनाते हैं और रावण पर जीत पहनाते हैं।
- अब तुम जानते हो रावण क्या चीज़ है!
- कब आते हैं!
- एक्यूरेट हिसाब बताया जाता है।
- यह बातें अच्छी रीति धारण करो।
- भूलो मत।
- ज्ञान सागर के पास बादल बनकर आये हो।
- भरकर वर्षा बरसानी है, धारणा बड़ी अच्छी चाहिए।
- यहाँ तुम सम्मुख बैठे हो।
- भासना आती है हम बेहद बाप के सम्मुख, घर में बैठे हैं।
- ब्राह्मण कुल भूषण भी हैं।
- मम्मा बाबा भी हैं।
- बाबा हमको टीचर के रूप में पढ़ा रहे हैं।
- सतगुरू के रूप में साथ ले जायेंगे।
- वो गुरू लोग ले नहीं जाते।
- गुरू का काम है फॉलोअर्स को साथ ले जाना।
- वास्तव में वह फॉलोअर्स भी हैं नहीं।
- वह संन्यासी, वह गृहस्थी तो फॉलोअर्स कैसे ठहरे।
- तुम शिवबाबा को भी फॉलो करते हो, ब्रह्मा बाबा को भी फॉलो करते हो।
- जैसे यह बनते हैं, तुम भी बनते हो।
- हम आत्मा पवित्र बन बाबा के पास चली जायेंगी।
- बाबा कहते हैं मामेकम् याद करो।
- सच्चे-सच्चे फॉलोअर्स तुम हो।
- बाप कहते हैं - मैं आया हूँ तुमको ले जाने के लिए।
- अब ज्ञान-चिता पर बैठो तो ले जाऊंगा।
- सतयुग में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था, उस समय और सब धर्म शान्तिधाम में थे।
- यह बातें बड़ी सहज हैं।
- बाबा के फॉलोअर्स बनो।
- जितना पवित्र बनेंगे, अच्छा पद पायेगे, नहीं तो सजा खानी पड़ेगी।
- जाना तो जरूर है 21 जन्मों का वर्सा मिलता है तो क्यों नहीं मेहनत करनी चाहिए।
- अब मेहनत नहीं की तो कल्प-कल्पान्तर नहीं करेंगे।
- फिर ऊंच पद कैसे पायेंगे।
- यह बड़ा बेहद का क्लास है।
- एक ही इम्तहान है।
- मनुष्य से देवता बनना है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) एक बाप का सच्चा-सच्चा फॉलोअर बन पूरा-पूरा पवित्र बनना है।
- 21 जन्मों का वर्सा लेने का पुरुषार्थ करना है।
- 2) मुख से “हे शिवबाबा'' भी नहीं कहना है।
- आवाज़ से परे जाना है।
- अपने को आत्मा समझ अन्दर में बाप को याद करना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- स्थूल वा सूक्ष्म में हर फरमान को पालन करने वाले सम्पूर्ण फरमानबरदार भव
- स्थूल फरमान पालन करने की शक्ति उन्हीं बच्चों में आ सकती है जो सूक्ष्म फरमान पालन करते हैं।
- सूक्ष्म और मुख्य फरमान है निरन्तर याद में रहो वा मन-वचन-कर्म से पवित्र बनो।
- संकल्प में भी अपवित्रता व अशुद्धता न हो।
- यदि संकल्प में भी पुराने अशुद्ध संस्कार टच करते हैं तो सम्पूर्ण वैष्णव वा सम्पूर्ण पवित्र नहीं कहेंगे इसलिए कोई एक संकल्प भी फरमान के सिवाए न चले तब कहेंगे सम्पूर्ण फरमानबरदार।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- बाप को जानकर दिल से बाबा कहना यह सबसे बड़ी विशेषता है।
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