22-11-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - अभी तुम संगमयुग पर हो, तुम्हें इस पुरानी कलियुगी दुनिया का कोई भी ख्याल नहीं आना चाहिए।''

प्रश्नः-

बाप ने बच्चों को श्रेष्ठ कर्म करने की वा कर्मो को सुधारने की विधि क्या बताई है?

उत्तर:-

अपने कर्मो को सुधारने के लिए सच्चे बाप से सदा सच्चे रहो, यदि कभी भूल से भी कोई उल्टा कर्म हो जाए तो उसे बाबा को फौरन लिख दो।

सच्चाई से बाबा को सुनायेंगे तो उसका असर कम हो जायेगा। नहीं तो वृद्धि होती रहेगी।

बाबा के पास समाचार आयेगा तो बाबा उसे सुधारने की श्रीमत देंगे।

 

  • ओम् शान्ति।
  • शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा बच्चों से पूछ रहे हैं कि बच्चे तुम यहाँ सवेरे से बैठे क्या कर रहे हो?
  • तुम स्टूडेन्ट तो हो ही।
  • तो जरूर यहाँ बैठे यह ख्याल करते होंगे कि हमको शिवबाबा पढ़ाने आये हैं।
  • इस पढ़ाई से हम सूर्यवंशी बनेंगे क्योंकि तुम राजयोग सीख रहे हो।
  • विष्णुपुरी का मालिक बनने के लिए, इस ख्याल में बैठे हो या किसको जिम्मेवारी, बाल-बच्चे, धन्धा-धोरी आदि याद आता है?
  • बुद्धि में यह रहना चाहिए कि यह है गीता पाठशाला, हमको भगवान पढ़ाते हैं और हम लक्ष्मी-नारायण अथवा उनके कुटुम्ब के भाती बनेंगे।
  • यह है राजयोग।
  • बच्चों की बुद्धि में रहना चाहिए कि हम बाबा से डायरेक्ट सुनकर सूर्यवंशी घराने के भाती बनेंगे।
  • लक्ष्मी-नारायण का चित्र सामने खड़ा है, हमारा राज्य होगा।
  • दुनिया में लोगों को मालूम नहीं है कि स्वर्ग किसको कहा जाता है।
  • तुम बच्चे कहते हो कि हम अभी बाबा से स्वराज्य विद्या, स्वर्ग की सीख रहे हैं।
  • हम ही स्वर्ग के मालिक बनने वाले हैं।
  • यह अन्दर में सुमिरण करना है।
  • जैसे स्कूल में स्टूडेन्ट की बुद्धि में रहता है कि हम बैरिस्टर-इन्जीनियर आदि बनने के लिए पढ़ रहे हैं।
  • तुमको इतना भी याद रहता है वा भूल जाते हो?
  • तुम ऊंच ते ऊंच भगवान के स्टूडेन्ट हो।
  • तुमको ऊंच ते ऊंच देवता बनाने के लिए बाप पढ़ा रहे हैं, तुम उनके बच्चे हो।
  • आत्मायें इस शरीर द्वारा अपने भविष्य मर्तबे को याद कर रही हैं या शरीर के सम्बन्धी, जिस्मानी मिलकियत, धन्धा-धोरी याद करती हैं?
  • यहाँ जब आते हो तो यह समझना चाहिए कि हमको बेहद का बाप पढ़ाने आता है - बेहद का मालिक बनाने।
  • फिर राजा-रानी बनो या प्रजा!
  • मालिक तो बनते हैं ना।
  • नई दुनिया में है ही सूर्यवंशी घराना।
  • यह तो समझते हो ना कि हम अपनी राजाई करेंगे।
  • बाबा जानते हैं कि बच्चों को बाहर रहते, घरबार, खेती-बाड़ी में रहते इतनी बाबा की याद नहीं रह सकती।
  • तो यहाँ जब आते हो तो सब ख्यालात छोड़कर आओ।
  • तुम अभी उस कलियुगी दुनिया में हो ही नहीं, अब तुम संगम पर हो।
  • कलियुग को छोड़ दिया है, बाहर में कलियुग है।
  • मधुबन जो खास है, यह है संगम इसलिए मधुबन का गायन है।
  • यहाँ इस मुरली का ही सिमरण करना है।
  • जो सुनते हो वह रिपीट करो और विचार सागर मंथन करो।
  • जितना समय मिले चित्रों के आगे आकर बैठ जाओ।
  • इन्हों को देखते और पढ़ते रहो।
  • ब्राह्मणियाँ जो ले आती हैं उन पर बहुत जिम्मेवारी है।
  • बहुत ओना रखना चाहिए।
  • जैसे टीचर्स को ओना रहता है - हमारे स्कूल से अगर कम पास होंगे तो इज्जत जायेगी।
  • जब स्कूल से बहुत पास होते हैं तो वह टीचर अच्छा माना जाता है।
  • ब्राह्मणियों को स्टूडेन्ट पर ध्यान देना चाहिए।
  • यहाँ तुम जैसे संगम पर आये हो, जहाँ डायरेक्ट बाबा सुनाते हैं।
  • यहाँ का प्रभाव बहुत अच्छा है।
  • अगर यहाँ घरघाट, धन्धा याद पड़ा तो बाबा समझेंगे यह साधारण प्रजा बनेगा।
  • आये थे राजा बनने के लिए परन्तु.... नहीं तो बच्चों को अन्दर में बहुत खुशी होनी चाहिए।
  • चित्र भी तुमको बहुत मदद करते हैं।
  • लोग अष्ट देव-ताओं के और गुरूओं के चित्र घर में रखते हैं, याद के लिए।
  • परन्तु उन्हों को याद करने से मिलता कुछ भी नहीं।
  • भक्ति मार्ग में जो कुछ करते, नीचे ही उतरते आये हो।
  • तुम बच्चों को ऊंच जाने का पुरुषार्थ करना है।
  • घर में शिव-बाबा का चित्र रख दो तो घड़ी-घड़ी याद आयेगी।
  • पहले तुम हनूमान को, कृष्ण को, राम को याद करते थे।
  • अब शिवबाबा सम्मुख कहते हैं कि मुझे याद करो।
  • त्रिमूर्ति का चित्र बड़ा अच्छा है, यह चित्र सदैव पॉकेट में रख दो।
  • घड़ी-घड़ी देखते रहो तो याद रहेगी।
  • बाबा भगत था तो लक्ष्मी-नारायण का फोटो पॉकेट में रखता था।
  • गद्दी के नीचे साथ-साथ रखता था, उनसे मिला कुछ नहीं।
  • अब बाबा से बहुत प्राप्ति हो रही है, उनको ही याद करना है, इसमें माया सामना करती है।
  • ज्ञान तो भल बहुत सुनते सुनाते हैं, इसमें तीखे जाते हैं, ऐसे नहीं कहते कि 84 का चक्र भूल जाता है।
  • ऐसे भी नहीं यहाँ रहने वाले जास्ती याद करते हैं।
  • नहीं, यहाँ रहते भी कई हैं जो धूलछांई को याद करते रहते हैं।
  • जिस बाप से हम गोरे बनने आये हैं उनको जानते ही नहीं।
  • माया का परछाया बहुत पड़ जाता है।
  • मूल बात है याद की।
  • बाबा जानते हैं बहुत अच्छे-अच्छे बच्चे भी याद में नहीं रहते हैं।
  • योग में रहने से ही देह-अभिमान कम होगा, बहुत मीठे रहेंगे।
  • देह-अभिमान होने से मीठे नहीं बनते, बिगड़ते रहते हैं।
  • बाबा सबके लिए नहीं कहते।
  • कोई सपूत भी हैं, सपूत उनको समझा जाता है जो योग में रहते हैं।
  • उनसे कोई भी उल्टी-सुल्टी बात नहीं होगी।
  • मित्र सम्बन्धी आदि सबको भूल जायेंगे।
  • हम नंगे (अशरीरी) आये थे, अब अशरीरी बन घर जाना है।
  • अभी तुम बच्चों को ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है जिससे तुम अपने घर को जानते हो, राजधानी को भी जानते हो।
  • यह भी तुम बच्चे जानते हो शिवबाबा कोई काला लिंग नहीं है।
  • जैसे वह दिखाते हैं, वह तो बिन्दी मिसल है।
  • यह भी हम जानते हैं।
  • अभी हम घर जायेंगे, वहाँ हम अशरीरी रहते हैं।
  • अब हमको अशरीरी बनना है।
  • अपने को आत्मा समझ पतित-पावन बाप को याद करना है।
  • यह तो समझाया जाता है आत्मा अविनाशी है।
  • उसमें 84 जन्मों का पार्ट नूँधा हुआ है, उसका अन्त होता नहीं।
  • थोड़ा समय मुक्तिधाम में जाकर फिर पार्ट में आना है।
  • तुम ऑलराउन्ड पार्ट बजाते हो, यह सदैव याद रहना चाहिए।
  • अभी हमको घर जाना है।
  • बाबा को याद करने से हम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे।
  • यहाँ धन्धा-धोरी को याद नहीं करना है।
  • यहाँ तुम पूरे सगंमयुग पर हो।
  • अभी तुम बोट में बैठे हो।
  • कोई बीच में उतर जाते हैं फिर फँस मरते हैं।
  • इस पर भी शास्त्रों में एक कहानी है।
  • अब तुम जानते हो उस पार जा रहे हैं, खिवैया शिव-बाबा है।
  • कृष्ण को खिवैया वा बागवान नहीं कहेंगे।
  • शिव भगवानुवाच है।
  • पतित-पावन शिवबाबा है।
  • कृष्ण की तरफ बुद्धि जा न सके।
  • मनुष्यों की बुद्धि तो भटकती रहती है, बाबा आकर भटकने से छुड़ाते हैं।
  • सिर्फ कहते हैं अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करो तब ही तुम स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
  • यह बातें भूलनी नहीं चाहिए।
  • यहाँ से तुम बहुत रिफ्रेश होकर जाते हो।
  • अनुभव भी सुनाते हो, बाबा, हम फिर वैसे के वैसे हो जाते हैं।
  • मित्र सम्बन्धी आदि का मुँह देखते हैं, लुभायमान हो जाते हैं।
  • तुम बच्चे आशिक हो, काम काज करते माशूक को याद करो तब ऊंच पद पायेंगे।
  • अगर अभी पुरुषार्थ नहीं करेंगे तो सिंगल ताज भी नहीं मिलेगा।
  • यहाँ बच्चे जब आते हैं तो टाइम वेस्ट नहीं करना चाहिए।
  • और तो कुछ यहाँ है नहीं।
  • सिर्फ देलवाड़ा मन्दिर तुम्हारा यादगार है, वह तुम देख सकते हो।
  • ऊपर में बैकुण्ठ खड़ा है।
  • झाड़ भी तुम्हारा क्लीयर है।
  • नीचे राजयोग में बैठे हो, ऊपर राजाई खड़ी है।
  • हूबहू जैसे दिलवाला मन्दिर बना हुआ है।
  • तुम जानते हो शिवबाबा हमको फिर से ज्ञान देकर स्वर्ग का मालिक बना रहे हैं।
  • इस कलियुग का विनाश होना है।
  • यह आदि देव, आदि नाथ कौन हैं।
  • तुम सबके आक्यूपेशन को जानते हो ना।
  • इस समय की चर्चा फिर भक्ति मार्ग में चलती है।
  • त्योहार, व्रत सब इस समय के हैं।
  • सच्चा व्रत है मन्मनाभव।
  • बाकी निरजल रखना, खाना नहीं खाना, यह कोई व्रत नहीं है।
  • दुनिया में इस समय माया का पाम्प बहुत है।
  • पहले यह बिजली, गैस आदि नहीं थी फिर निकली है।
  • 100 वर्ष हुए हैं, इसमें मनुष्य फँस मरे हैं।
  • कहते हैं हमारे लिए स्वर्ग यहाँ ही है।
  • माया का इतना जोर है जो बाप को बिल्कुल ही याद नहीं करते हैं, कहते हैं तुम चलकर देखो - हम कैसे स्वर्ग में बैठे हैं।
  • अब स्वर्ग के आगे तो यह कुछ भी नहीं है।
  • कहाँ स्वर्ग, कहाँ नर्क।
  • स्वर्ग की एक भी चीज़ यहाँ हो नहीं सकती।
  • वहाँ हर चीज़ सतोप्रधान होगी।
  • गायें भी फर्स्टक्लास होंगी।
  • तुम भी फर्स्टक्लास बनते हो तो तुम्हारा फर्नीचर, खान-पान आदि सब फर्स्टक्लास होता है।
  • सूक्ष्मवतन में फल आदि देखकर आते हो ना।
  • नाम ही रखते हैं शूबीरस।
  • दुनिया वालों को यह भी मालूम नहीं कि स्वर्ग है कहाँ?
  • वहाँ सब कुछ सतोप्रधान होता है।
  • यह मिट्टी आदि वहाँ नहीं पड़ती।
  • दु:ख की कोई बात ही नहीं है।
  • परन्तु बच्चों को यह नशा अजुन चढ़ता नहीं है कि बाबा हमको स्वर्ग का मालिक बनाने के लिए यह पढ़ाई पढ़ा रहे हैं।
  • चित्र कितने क्लीयर हैं।
  • चित्र बनने में समय तो लगता है।
  • बाबा सब कुछ सर्विस अर्थ बनवाते ही रहते हैं।
  • परन्तु कोई तो अपने धन्धे-धोरी में इतना फॅसे हुए हैं जो बाबा को याद भी नहीं करते हैं।
  • प्रदर्शनी के चित्रों की मैगजीन भी है, वह भी पढ़नी चाहिए।
  • गीता के जो नियमी होते हैं, वह कहाँ भी जायेंगे तो गीता जरूर पढ़ेंगे।
  • अब तुमको सच्ची गीता चित्रों सहित मिली है।
  • अब अच्छी तरह मेहनत करनी चाहिए।
  • नहीं तो ऊंच पद पा नहीं सकेंगे।
  • फिर हाय-हाय करनी पड़ेगी, जब साक्षात्कार होगा।
  • इम्तहान पूरा हुआ फिर दूसरे क्लास में नम्बरवार बैठ जाते हैं।
  • यहाँ भी जब साक्षात्कार हो जायेगा तो नम्बरवार रुद्र माला फिर विजय माला में जायेंगे।
  • स्कूल में कोई बच्चे नापास होते हैं तो कितने दु:खी हो जाते हैं।
  • तुम्हारी है कल्प कल्पान्तर की बाज़ी।
  • कई बच्चे पूरी मैगजीन पढ़ते नहीं हैं।
  • बच्चों को मैंगजीन पढ़कर सर्विस करनी चाहिए।
  • लिखते हैं बाबा फलानी को बदली कर दो।
  • अच्छी ब्राह्मणी भेज दो।
  • कोई-कोई ब्राह्मणी के साथ इतना प्यार हो जाता है, ब्राह्मणी बदली होने से गिर पड़ते हैं।
  • सेन्टर पर आना ही छोड़ देते हैं।
  • कोई उल्टा काम हो जाए तो सच्चाई से फौरन बाबा को लिखना चाहिए तो पाप का असर कम हो जायेगा।
  • नहीं तो वृद्धि होती जायेगी।
  • बाबा सुधारने के लिए कहते हैं परन्तु कोई को सुधरना नहीं है तो पाप कर्म करना छोड़ते ही नहीं हैं।
  • तकदीर में नहीं है तो बाबा को सच्चा समाचार नहीं देते हैं।
  • बाबा के पास रिपोर्ट आने से सुधारने की कोशिश करेंगे।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) अशरीरी बनने का पूरा-पूरा अभ्यास करना है। कोई भी उल्टी-सुल्टी बात नहीं करनी है। बहुत मीठा बनना है। किसी बात में भी बिगड़ना नहीं है। 2) मुरली का सिमरण करना है। जो सुनते हो उस पर विचार सागर मंथन करना है। मन्मनाभव का व्रत रखना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • सदा फरमान के तिलक को धारण कर फर्स्ट प्राइज़ लेने वाले फरमानवरदार भव
  • जिन बच्चों के मस्तक पर फरमानबरदारी की स्मृति का तिलक लगा हुआ है, एक संकल्प भी फरमान के बिना नहीं करते उन्हें फर्स्ट प्राइज़ प्राप्त होती है।
  • जैसे सीता को लकीर के अन्दर बैठने का फरमान था, ऐसे हर कदम उठाते हुए, हर संकल्प करते हुए बाप के फरमान की लकीर के अन्दर रहो तो सदा सेफ रहेंगे।
  • कोई भी प्रकार के रावण के संस्कार वार नहीं करेंगे और समय भी व्यर्थ नहीं जायेगा।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • किसी से भी लगाव है तो वह लगाव पुरूषार्थ में अलबेला अवश्य बनायेगा।