11-11-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे बच्चे - यही पढ़ाई है जो तुम्हें नर से नारायण, नारी से लक्ष्मी बनाती है, इसलिए पढ़ाई पर बहुत-बहुत ध्यान देना है''

प्रश्नः-

बाप द्वारा बच्चों को कौन सा वर्सा मिलता है जो किसी तीर्थ या जंगल में जाने से नहीं मिल सकता?

उत्तर:-

बाप द्वारा बच्चों को सुख-शान्ति-सम्पत्ति का वर्सा मिलता है, जो कहीं भी नहीं मिल सकता है।

मनुष्य शान्ति के लिए जंगल में जाते हैं, परन्तु तुम जानते हो शान्ति तो हम आत्माओं का स्वधर्म है।

 

गीत:- तुम्हें पाके हमने जहाँ पा लिया ...


  • ओम् शान्ति।
  • बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं क्योंकि तुम अभी धनके बने हो।
  • बाकी जो भी मनुष्यमात्र हैं, वह निधनके हैं।
  • धनी एक बाप को ही कहा जाता है।
  • घर में जब लड़ते हैं तो कहा जाता है - तुम्हारे कोई धनीधोणी नहीं है क्या?
  • अभी सारी दुनिया के मनुष्य मात्र लड़ते झगड़ते रहते हैं।
  • एक दो का खून भी कर देते हैं।
  • बाप ही आकर समझाते हैं - यह काम तो महाशत्रु है, जिससे सभी आदि-मध्य-अन्त दु:ख पाते हैं।
  • तुम बच्चे जानते हो - अभी हम बेहद बाप से बेहद सुख का वर्सा ले रहे हैं।
  • मनुष्य भल कहते हैं हमको शान्ति चाहिए, परन्तु शान्ति क्या है, कहाँ से मिलती है, क्या जंगल में जाने से शान्ति मिलेगी?
  • सुख-शान्ति कब और कौन देते, तीर्थो पर किसलिए जाते?
  • यह भी कोई जानता नहीं।
  • सिर्फ सुना है कि भक्ति करने से भगवान मिलेगा।
  • जानते भगवान को भी नहीं।
  • बाप कहते हैं मैं आकर तुम बच्चों को सुख-शान्ति देता हूँ।
  • अब सुख-शान्ति, सम्पत्ति किसके पास नहीं है।
  • देने वाले को भी कोई जानता नहीं।
  • बाप आकर समझाते हैं तुम गाते भी हो, दु:ख हर्ता सुख कर्ता।
  • गांधी जी भी पुकारते थे कि हे पतित-पावन आकर पावन बनाओ।
  • गाते हैं पतित-पावन सीताराम, परन्तु अर्थ का पता नहीं।
  • भक्ति क्यों करते, उससे क्या मिलेगा।
  • कुछ भी जानते नहीं।
  • यह भक्ति की भी ड्रामा में नूँध है।
  • द्वापर से रावणराज्य शुरू होता है।
  • मनुष्य यह नहीं जानते कि रावण क्या चीज़ है!
  • कब तक रावण को जलाते रहेंगे!
  • भल उनका जन्म कब हुआ, रावण के भी बुत को बनाकर जलाते हैं।
  • आत्मा कभी जलती नहीं।
  • यह सब बातें तुम बच्चे ही जानते हो।
  • आज से 5 हजार वर्ष पहले भारत स्वर्ग था।
  • इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
  • लक्ष्मी-नारायण को ही भगवती-भगवान कहा जाता है।
  • फिर त्रेता में राम का राज्य था।
  • उन्हों को यह राज्य कैसे मिला, फिर वह राज्य कहाँ गया, यह कोई नहीं जानते अर्थात् रचना के आदि-मध्य-अन्त को कोई जानता नहीं।
  • तुम इस नॉलेज से स्वर्ग के मालिक बनते हो।
  • स्कूल में पढ़ाई से कोई वकील, जज बनते हैं, लक्ष्मी-नारायण नहीं।
  • यह किस पढ़ाई से पद पाया!
  • यह किसको पता नहीं।
  • भगवानुवाच मैं तुमको राजयोग सिखलाता हूँ।
  • ऐसा कोई नहीं होगा जो कहे कि मैं तुमको यह बनाता हूँ।
  • तुम बच्चे जानते हो यह लक्ष्मी-नारायण की डिनायस्टी इस पढ़ाई से बनी है।
  • दुनिया इन बातों को नहीं जानती।
  • सतयुग के लिए भी कह देते लाखों वर्ष, तो यह कैसे जाने कि लक्ष्मी-नारायण कहाँ गये?
  • देख भी रहे हैं कि भारत में ही लक्ष्मी-नारायण के बहुत चित्र हैं।
  • ढेर मन्दिर बने हुए हैं। समझते हैं इनसे हमको धन मिलेगा।
  • महालक्ष्मी से हर दीपमाला पर धन मांगते हैं, परन्तु साथ में जरूर नारायण भी होगा।
  • दीपमाला पर पूजा करेंगे फिर उन्हों की अल्पकाल सुख की भावना पूरी होती है तो समझते हैं लक्ष्मी से धन मिलता है।
  • वास्तव में लक्ष्मी-नारायण दोनों हैं।
  • लक्ष्मी, महालक्ष्मी कोई अलग-अलग नहीं हैं, यह बातें मनुष्य नहीं जानते।
  • बाबा ही समझाते हैं।
  • आजकल मनुष्य तो कह देते ईश्वर पत्थर भित्तर में है।
  • बाप कहते हैं सब पत्थरबुद्धि हैं।
  • पारसबुद्धि तो सतयुग में हैं।
  • जब लक्ष्मी-नारायण का राज्य था तो सोने हीरे के महल थे।
  • 5 हजार वर्ष की बात है।
  • शास्त्रों में कल्प की आयु लाखों वर्ष लिख दिया है।
  • बाप कहते हैं - यह भक्ति मार्ग से सीढ़ी नीचे उतरनी पड़ती है।
  • ड्रामा अनुसार जब दुर्गति को पायें तब मैं आऊं और आकर नई दुनिया बनाऊं।
  • अभी तुम बच्चे नई दुनिया के मालिक बनने के लिए राजयोग सीख रहे हो।
  • तुम जानते हो इस महाभारत लड़ाई से पुरानी दुनिया का विनाश होगा।
  • यह ड्रामा बना बनाया है।
  • सतयुग में देवी-देवताओं का राज्य था।
  • उनको 5 हजार वर्ष हुए।
  • 2500 वर्ष सूर्यवंशी चन्द्रवंशी राजधानी चली।
  • बाकी द्वापर से रावणराज्य शुरू हुआ।
  • मनुष्य पतित बनते जाते हैं।
  • परन्तु उन्हों को यह पता नहीं तो हमको पतित किसने बनाया?
  • हम पावन थे, पतित कैसे बनें?
  • बाप आकर समझाते हैं।
  • रावणराज्य शुरू होने से तुम पतित बनते जाते हो।
  • रावण के जन्म को अभी 2500 वर्ष हुए।
  • शिवबाबा के जन्म को 5 हजार वर्ष हुए।
  • उनको राम, उनको रावण राज्य कहा जाता है।
  • वास्तव में राम कहना नहीं चाहिए।
  • आजकल मनुष्यों के नाम रामचन्द्र, कृष्ण चन्द्र रखते हैं।
  • 5 हजार वर्ष पहले भारत सोने की चिड़िया थी।
  • उनको गोल्डन एजड वर्ल्ड कहा जाता है।
  • बैकुण्ठ था, परन्तु कहाँ था यह नहीं जानते।
  • आत्मा क्या है, परमात्मा क्या है, सृष्टि क्या है।
  • कुछ भी नहीं जानते।
  • तब उनको कहा जाता है तुच्छ बुद्धि।
  • ऋषि मुनि रचता और रचना के आदि मध्य अन्त को नहीं जानते।
  • तब तो कहते हैं नेती-नेती, न बाप को, न वर्से को जानते।
  • बाप द्वारा जो वर्सा विश्व की राजाई मिलती है उनको भी नहीं जानते।
  • अभी सारे सृष्टि के आदि मध्य अन्त को तुम जानते हो, तो तुम डबल आस्तिक ठहरे।
  • लोगों को तो यह भी मालूम नहीं कि शान्ति किससे और कहाँ से मिलेगी।
  • संन्यासियों के पास जाकर कहते हैं हमको शान्ति चाहिए।
  • अब हमको शान्ति यहाँ कहाँ से आ सकती है?
  • कर्म तो करना है ना?
  • शान्ति तो मिलेगी - शान्तिधाम में।
  • अगर घर में एक अशान्त होगा तो भी सारे घर को अशान्त कर देगा।
  • शान्ति मिलती है - स्वीट होम में।
  • फिर वहाँ से हम आत्माओं को बाप भेज देते हैं पार्ट बजाने के लिए नई दुनिया में।
  • बाप दोज़क में थोड़ेही भेजेगा।
  • शान्तिधाम से सुखधाम में जायेंगे।
  • तुम बच्चे जानते हो यह भगवान की पाठशाला है।
  • यह कोई सतसंग नहीं है।
  • यहाँ भगवानुवाच है बच्चों प्रति।
  • निराकार शिवबाबा शरीर में प्रवेश कर तुम बच्चों से बात करते हैं।
  • आत्मा भी शरीर में है ना।
  • आत्मा को जब कर्मेन्द्रियाँ मिलती हैं तब बोलती हैं, सुनती हैं।
  • अब आत्माओं को बाप बैठ पढ़ाते हैं, परमात्मा को बुलाते हैं हे पतित-पावन...हे सद्गति दाता, लिबरेटर, गाइड परन्तु यह नहीं जानते कि कैसे लिबरेट कर फिर गाइड बनकर कहाँ ले जायेंगे।
  • सिर्फ चिल्लाते रहते हैं।
  • अब गाड फादर आया है।
  • तुम बच्चों को गाइड कर रहे हैं।
  • खुद तुमको शान्तिधाम में ले जाते।
  • फिर तुम आपेही सुखधाम में चले जायेंगे।
  • बाप एक ही बार आकर सबका गाइड बनता है।
  • फिर नई दुनिया में बाप गाइड नहीं करेंगे।
  • इस समय मनुष्य सब पतित होने के कारण यह नहीं जानते कि हम वापिस घर कैसे जायें, उड़ नहीं सकते।
  • भक्ति बहुत करते हैं, वहाँ जाने के लिए।
  • परन्तु यह नहीं जानते कि हम पतित हैं इसलिए जा नहीं सकते।
  • पतित-पावन बाप आकर जब पावन बनाये तब हम जा सकें।
  • अब बाप पावन बनने की तुमको युक्ति बताते हैं, सबको पतित से पावन बनना ही है।
  • अभी कितने ढेर मनुष्य हैं।
  • सतयुग में जब देवताओं का राज्य है तो 9 लाख नये झाड़ में होते हैं।
  • पहले थोड़े पत्ते होते हैं ना।
  • फिर बड़ा होता जाता है।
  • पहले एक ही धर्म वाले हैं।
  • तुम अभी अपने को नर्कवासी नहीं समझेंगे, बाकी सब हैं नर्कवासी।
  • परन्तु अपने को समझते नहीं हैं।
  • इस समय सूरत तो सबकी मनुष्य की हैं, सीरत बन्दर जैसी है।
  • बड़े-बड़े राजायें भी लक्ष्मी-नारायण के चरणों में झुकते हैं।
  • अब वह कोई पतित को पावन बनाने वाले नहीं हैं अथवा वह कोई रहमदिल थोड़ेही हैं।
  • जब कोई दु:खी हों तो उन पर रहम किया जाए।
  • रहमदिल एक बाप ही है।
  • बाप ही आकर पत्थर बुद्धियों को पारसबुद्धि बनाते हैं।
  • अभी तुम देवता बन रहे हो।
  • यह है ही नर से नारायण बनने की पाठशाला।
  • यह राजयोग है।
  • ऋषि मुनि यह नहीं जानते कि गीता का राजयोग किसने सिखाया।
  • गीता को बिल्कुल खण्डन कर दिया है।
  • समझते हैं - कृष्ण ने राजयोग सिखाया था।
  • कहते हैं कृष्ण भगवानुवाच मनमनाभव।
  • अब कृष्ण तो परमात्मा है नहीं।
  • वह तो सतयुग का प्रिन्स है।
  • जो ही संगमयुग पर राजयोग सीखकर राजाई प्राप्त करते हैं।
  • उनको फिर भगवान बना दिया है।
  • ढेर मनुष्य गीता सुनते हैं।
  • परन्तु एक को भी पता नहीं कि गीता का भगवान शिव है, न कि कृष्ण है। कह देते हैं सब एक ही हैं।
  • ऐसे मनुष्यों से भी माथा मारना पड़ता है।
  • 63 जन्मों से समझते आये हैं कि कृष्ण भगवान है।
  • द्वापर से शास्त्र बने हैं।
  • जरूर पहले-पहले गीता बनी होगी।
  • यह शास्त्र सब हैं भक्ति मार्ग के।
  • ज्ञान मार्ग का एक भी शास्त्र नहीं है।
  • गीता है नम्बरवन।
  • बाद में यह वेद उपनिषद बने हैं।
  • वह भी गीता के सब बाल बच्चे हैं।
  • वह पढ़ते-पढ़ते नीचे उतरते आये हैं।
  • अब 84 जन्म पूरे हुए।
  • अब चलना है - पहले नम्बर पर।
  • अब तुम फिर सतयुगी लक्ष्मी-नारायण बनने के लिए यहाँ पढ़ने आये हो।
  • सब तो लक्ष्मी-नारायण नहीं बनेंगे, यह राजधानी स्थापन हो रही है।
  • परन्तु किसने राजधानी स्थापन की, यह किसकी बुद्धि में नहीं आयेगा।
  • कलियुग में इतने ढेर मनुष्य हैं जो खाने के लिए अनाज भी नहीं मिलता और सतयुग में सिर्फ लक्ष्मी-नारायण की राजधानी होगी।
  • यहाँ देखो कितने धर्म हैं।
  • सामने महाभारी महाभारत लड़ाई भी खड़ी है, फिर भी मनुष्यों की आंखे नहीं खुलती हैं।
  • तो यह महाभारी लड़ाई कल्प पहले भी लगी थी, उनके बाद क्या हुआ, कुछ नहीं जानते।
  • यह सब बातें तुम ब्राह्मण ब्राह्मणियाँ ही जानते हो।
  • तुमको बाप ने ब्रह्मा द्वारा एडाप्ट किया है।
  • भगवान तुमको पढ़ाकर यह लक्ष्मी-नारायण बनाते हैं, तो अच्छी तरह पढ़ना चाहिए।
  • सिर्फ बाप को और नई दुनिया को याद करो तो तुम नई दुनिया में चले जायेंगे।
  • फिर अगर अच्छी तरह पढ़ेंगे और पढ़ायेंगे तो राजा रानी बन सकते हैं।
  • जितनी रूहानी सर्विस करेंगे।
  • तुम हो रूहानी सोशल वर्कर।
  • बाकी सारी दुनिया है जिस्मानी सोशल वर्कर।
  • तुम आत्माओं को बाप रोज़ ज्ञान देते हैं।
  • आत्माओं की सेवा करते हैं ना।
  • उनको कहा जाता है आत्माओं की सेवा, जो सिखलाते भी हैं स्प्रीचुअल फादर।
  • यह है मनुष्य को देवता बनाने की पाठशाला।
  • बनेंगे भी जरूर।
  • जब तुम पढ़कर तैयार हो जायेंगे और विनाश शुरू होगा फिर तुम भी जायेंगे।
  • कहते हैं ना - राम गयो, रावण गयो...सिर्फ थोड़े रह जाते हैं जो फिर अदली-बदली होते रहते हैं।
  • फिर तुम आयेंगे स्वर्ग में।
  • तुम्हारे लिए अब नई दुनिया स्थापन हो रही है, तुम स्वर्गवासी बनने के लिए पढ़ रहे हो।
  • यह नर्क है।
  • अब तुम हो संगम पर।
  • अभी तुम ब्राह्मण ब्राह्मणियाँ नहीं बनेंगे तो वर्सा ले नहीं सकेंगे।
  • वर्सा ब्राह्मणों को मिलता है, जो एक बाप के सिवाए और कोई भी देहधारी को याद नहीं करते हैं।
  • बाकी कुछ न कुछ सुना तो प्रजा में आ जायेंगे।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) रूहानी सोशल वर्कर बन पढ़ना और पढ़ाना है।
    • बाप के साथ-साथ आने वाली नई दुनिया को भी याद करना है।
  • 2) बाप समान रहमदिल बन सबको पारसबुद्धि बनाने की सेवा करनी है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • साधनों को यूज़ करते हुए साधना को अपना आधार बनाने वाले सिद्धि स्वरूप भव
  • कोई भी पुरानी दुनिया के आकर्षणमय दृश्य, अल्पकाल के सुख के साधन यूज़ करते वा देखते हो तो उन साधनों के वशीभूत हो जाते हो।
  • साधनों के आधार पर साधना ऐसे है जैसे रेत के फाउण्डेशन पर बिल्डिंग, इसलिए किसी भी विनाशी साधन के आधार पर अविनाशी साधना न हो।
  • साधन निमित्तमात्र हैं और साधना निर्माण का आधार है, इसलिए साधना को महत्व दो तो साधना सिद्धि को प्राप्त करायेगी।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • किसी भी कमजोरी का अंश है तो वंश पैदा हो जायेगा और परवश बना देगा।