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ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने गीत का अर्थ समझा।
- बचपन 3 प्रकार का है।
- एक लौकिक बचपन, दूसरा है निवृत्ति मार्ग का, वह भी घरबार छोड़ जीते जी मरकर गुरू के अथवा संन्यासियों के बनते हैं।
- वह उनका बाप नहीं है।
- वह गुरू के बनते हैं, उनके साथ रहते हैं।
- वह भी जीते जी मरकर जाए गुरू के बनते हैं, जंगल में चले जाते हैं।
- तीसरा है - तुम्हारा यह वन्डरफुल मरजीवा जन्म।
- एक मात-पिता को छोड़ दूसरे मात-पिता के बनते हो।
- यह है रूहानी मात-पिता।
- तुम्हारा यह मरजीवा जन्म है।
- ईश्वरीय गोद में रूहानी जन्म।
- तुम्हारे से अब रूहानी बाप बात कर रहे हैं।
- वह सब हैं जिस्मानी बाप।
- यह है रूहानी बाप इसलिए गाते हैं बाप का बनकर, मरजीवा बनकर फिर यह भूल न जाना।
- शिवबाबा है ऊंचे ते ऊंचा भगवान।
- जब कोई गीता आदि पर डिबेट करते हैं तो पहले-पहले यह बात पूछनी है तो ऊंचे ते ऊंचा भगवान कौन है?
- ब्रह्मा देवता नम:, विष्णु देवता नम: कहते हैं फिर कहते हैं शिव परमात्माए नम:... वह सभी धर्म वालों का बाप है।
- पहले-पहले यह बात समझानी है - वह ऊंचे ते ऊंचा बाप एक है।
- ब्रह्मा, विष्णु को कोई गॉड फादर नहीं कहेंगे।
- पहले यह पक्का कराओ कि गॉड फादर एक है, वह निराकार है, जिसको क्रियेटर भी कहते हैं।
- पतित-पावन भी कहते हैं।
- बाप से तो जरूर वर्सा मिलेगा।
- यह ख्याल करो, बेहद के बाप से वर्सा किसको मिला।
- बाप है नई दुनिया का रचने वाला।
- उनका नाम है शिव।
- शिव परमात्मा नम: कहते हैं, उनकी जयन्ती भी मनाते हैं।
- वही पतित-पावन, रचयिता, नॉलेजफुल है फिर सर्वव्यापी की बात उड़ जाती है।
- उनकी महिमा है कर्तव्य पर।
- पास्ट में जो कर्तव्य करके जाते हैं, उनकी महिमा गाई जाती है।
- ऊंचे ते ऊंचा है बाप।
- उनको लिबरेटर भी कहते हैं, रहमदिल, दु:ख हर्ता सुख कर्ता भी कहते हैं, गाइड भी कहते हैं।
- कोई नये स्थान पर जाते हैं तो गाइड को साथ ले जाते हैं।
- विलायत से आते हैं तो उनको गाइड यहाँ का देते हैं।
- सब कुछ दिखलाने के लिए।
- तीर्थ यात्रा पर ले जाने वाले पण्डे होते हैं।
- अब बाप को गाइड कहते हैं तो जरूर गाइड किया होगा।
- सर्वव्यापी कहने से सारी बात खत्म हो जाती है।
- पहले-पहले समझाओ कि सबका बाप एक है।
- सर्वशास्त्रमई शिरोमणी है गीता, वह है भगवान की गाई हुई।
- उनको सिद्ध कर लिया तो उनके बाल बच्चे सब झूठे सिद्ध हो जायेंगे।
- पहले-पहले सच्ची गीता का सार सुनाना चाहिए।
- शिव भगवानुवाच।
- अब शिवबाबा के चरित्र क्या होंगे?
- वह तो सिर्फ कहते हैं, मैं इस शरीर का आधार ले तुमको पतित से पावन बनाने का रास्ता बताता हूँ।
- बच्चों को राजयोग सिखलाने आता हूँ, इसमें चरित्र क्या करेंगे।
- यह तो बुजुर्ग है।
- सिर्फ आकर बच्चों को पढ़ाते हैं।
- पतित को पावन बनाने राजयोग सिखलाते हैं।
- तुम सतयुग में जाकर राज्य करेंगे।
- तुमको वर्सा मिलता है, बाकी सब आत्मायें मुक्तिधाम, निराकारी दुनिया में होंगी।
- यह बिल्कुल सहज बात है।
- भारत में देवी-देवताओं का राज्य था।
- एक ही धर्म था।
- अभी कलियुग में कितने ढेर मनुष्य हैं, वहाँ बहुत थोड़े होते हैं।
- परमपिता परमात्मा एक धर्म की स्थापना, अनेक धर्मों का विनाश कराने आते हैं।
- बाकी सब शान्तिधाम में चले जायेंगे।
- वहाँ अपवित्र आत्मा कोई रह नहीं सकती।
- उनका नाम ही है पतित-पावन, सर्व का सद्गति दाता।
- यह है पुरानी दुनिया, आइरन एज।
- सतयुग को कहा जाता है गोल्डन एज।
- जो देवताओं के पुजारी हैं, वह सहज सब कुछ समझ जायेंगे।
- जो पूज्य हैं वही पुजारी बनते हैं।
- तो पहले बाबा का परिचय देना है, हम उनके बच्चे हैं, यह भूलो नहीं।
- भूलेंगे तो रोना पड़ेगा।
- कुछ-कुछ माया की चोट लग जायेगी।
- देही-अभिमानी बनना है।
- हम आत्माओं को वापिस बाप के पास जाना है।
- इतने ढेर मनुष्य मरेंगे फिर कौन किसके लिए रोयेगा?
- भारत में सबसे जास्ती रोते हैं।
- पहले 12 मास या हुसैन, या हुसैन... करते हैं।
- छाती पीटते रहते हैं।
- यह है मृत्युलोक की रसम-रिवाज, तुमको अब सारी अमरलोक की रसम-रिवाज सिखला रहे हैं।
- तुमको अब सारी पुरानी दुनिया से वैराग्य है।
- बाप कहते हैं - मामेकम् याद करो।
- यह सब खत्म हो जाने वाले हैं।
- अब हम जा रहे हैं वापिस, नाटक पूरा होता है।
- नाटक में सभी एक्टर्स हैं फिर मोह किसमें रखेंगे।
- समझते हैं इनको जाकर दूसरा पार्ट बजाना है।
- रोने की क्या दरकार है।
- हर एक का पार्ट नूँधा हुआ है।
- जैसे बाप ज्ञान का सागर, आनंद का सागर, प्यार का सागर है तो बाप को फालो कर ऐसा बनना है।
- सागर से नदियां निकलती हैं।
- सब नम्बरवार हैं।
- कोई अच्छी वर्षा करते हैं, खूब आप समान बनाते हैं।
- अन्धों की लाठी बनते हैं।
- बाप को तो बहुत मददगार चाहिए।
- बाप कहते हैं - तुम अन्धों की लाठी बनो।
- सबको रास्ता बताओ।
- सिर्फ एक ब्राह्मणी को थोड़ेही अन्धों की लाठी बनना है।
- तुम सबको बनना है।
- तुमको ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है, इसको कहा जाता है तीसरा नेत्र मिलने की कथा।
- दिव्य नेत्र है आत्मा के लिए।
- मनुष्य तो कुछ भी समझते नहीं।
- बिल्कुल तुच्छ बुद्धि हो गये हैं।
- भारतवासी यह नहीं जानते कि हमारा धर्म किसने स्थापन किया।
- बाप का जन्म भी यहाँ ही होता है।
- शिव जयन्ती भी मनाते हैं।
- फिर सर्वव्यापी कैसे हो सकता।
- बाप और रचना को दुनिया में कोई नहीं जानते।
- ऋषि मुनि सब नेती-नेती करते गये।
- एक ही बड़ी भूल की है जो परमात्मा को सर्वव्यापी कह दिया है।
- तुम सिद्ध कर बताओ कि वह सर्व का बाप है, पतित-पावन, लिबरेटर है।
- पुरानी दुनिया से नई दुनिया में ले जाते हैं।
- वहाँ दु:ख की बात नहीं होती।
- शास्त्रों में तो क्या-क्या लिख दिया है।
- लक्ष्मी-नारायण के लिए भी कहते हैं - क्या वहाँ उनको विकार बिना बच्चा पैदा होगा?
- अरे कहा ही जाता है सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी, वाइसलेस वर्ल्ड।
- इनको कहा जाता है विशश वर्ल्ड, फिर कैसे कहते हो वहाँ भी विकार होगा।
- पहले-पहले जब तक बाप को नहीं जाना है तो कुछ समझ न सकें।
- सर्वव्यापी की बहुत भारी भूल है।
- उस भूल से निकलें तब जब बाप को जानें।
- निश्चय करें कि बाबा हम आपके फिर से बने हैं, आपसे राज्य-भाग्य लेने के लिए।
- शास्त्रों में तो क्या-क्या लिख दिया है।
- लक्ष्मी-नारायण को दिखाते हैं सतयुग में और बचपन के राधे-कृष्ण को फिर द्वापर में ले गये हैं।
- अब कृष्ण तो था स्वर्ग का प्रिन्स।
- फिर कृष्ण के जन्म बाई जन्म फीचर्स तो बदलते जाते हैं।
- एक जैसे फीचर्स तो कभी हो न सकें।
- ऐसे थोड़ेही कृष्ण फिर उन्हीं फीचर्स से द्वापर में आ सकता है, इम्पासिबुल है।
- तुम जानते हो हम असुल में वहाँ के (मूलवतन के) रहवासी हैं, वह हमारा स्वीट साइलेन्स होम है, जिसके लिए भक्ति करते हैं।
- कहते हैं हमको शान्ति चाहिए।
- आत्मा को आरगन्स मिले हैं पार्ट बजाने के लिए, फिर शान्ति में कैसे रहेंगे।
- शान्ति के लिए ही हठयोग सीखते हैं, गुफाओं में जाते हैं।
- एक मास कोई गुफा में बैठा तो क्या उनके लिए वह शान्तिधाम है।
- तुम जानते हो अब हम शान्तिधाम में जाकर फिर सुखधाम में आयेंगे, पार्ट बजाने।
- वो लोग कहते हैं जो सुखी हैं उनके लिए स्वर्ग है, जो दु:खी हैं उनके लिये नर्क है।
- तुम जानते हो स्वर्ग नई दुनिया और नर्क पुरानी दुनिया को कहा जाता है।
- भगवानुवाच, यह भक्ति, यज्ञ-तप, दान-पुण्य आदि करना - यह सब है भक्ति मार्ग, इनमें कोई सार नहीं।
- सतयुग त्रेता को ब्रह्मा का दिन कहा जाता है।
- ब्रह्मा का दिन सो तुम ब्राह्मणों का दिन, फिर तुम्हारी रात शुरू होती है।
- तुम पहले-पहले सतयुग में जाते हो फिर तुम ही चक्र में आते हो।
- ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र तुम ही बनते हो।
- तुम कहते हो शिव भगवानुवाच और वह कहते हैं कृष्ण भगवानुवाच।
- फर्क लम्बा है।
- वह पूरे 84 जन्म लेते हैं।
- उनके साथ सारी सूर्यवंशी सम्प्रदाय पुनर्जन्म लेते-लेते अब फिर अन्त में राज्य भाग्य ले रहे हैं।
- तुम बच्चे जो समझते हो, उनको ही मज़ा आता है।
- नये को मज़ा नहीं आयेगा।
- तुम किसकी निंदा नहीं करते हो, बाप तुम्हें कितना सहज समझाते हैं।
- यहाँ तुम बाबा के संग बैठे हो तो अच्छा समझते हो।
- बाहर जाने से संग में पता नहीं क्या हाल होगा।
- संगदोष बहुत खराब है।
- स्वर्ग में ऐसी बातें... होती नहीं।
- उनका नाम ही है स्वर्ग, बैकुण्ठ, सुखधाम।
- शास्त्रों में तो लिख दिया है कि वहाँ भी असुर थे।
- अब तुमको मालूम पड़ा है कि हम विश्व के मालिक थे, वहाँ जमीन आसमान कोई में भी पार्टीशन नहीं रहता।
- अभी तो कितने पार्टीशन हैं।
- अपनी-अपनी हदें डालते रहते हैं।
- दुनिया में कितने झगड़े होते हैं।
- तो जब कोई भी आये तो पहले-पहले उनको समझाओ कि बाप कौन है, भगवान किसको कहा जाता है?
- ब्रह्मा, विष्णु, शंकर हैं देवतायें।
- भगवान एक होता है, 10 नहीं होते।
- कृष्ण भगवान हो न सके।
- भगवान कैसे हिंसा सिखलायेंगे।
- भगवानुवाच - काम महाशत्रु है, उन पर जीत पाने के लिए प्रतिज्ञा करो।
- राखी बाँधो।
- यह अभी की बात है।
- जो कुछ पास्ट हो गया है वह फिर भक्ति मार्ग में होगा।
- दीपमाला पर महालक्ष्मी की पूजा करते हैं।
- यह थोड़ेही किसको पता है कि लक्ष्मी-नारायण दोनों ही इकट्ठे हैं।
- लक्ष्मी को धन कहाँ से मिलेगा?
- कमाई करने वाला तो पुरुष होता है ना।
- नाम लक्ष्मी का गाया हुआ है।
- पहले लक्ष्मी पीछे नारायण।
- वह फिर महालक्ष्मी को अलग समझ लेते हैं।
- उनको 4 भुजा दिखाते हैं।
- दो स्त्री की, दो पुरुष की।
- परन्तु वह इन बातों को जानते नहीं हैं।
- तुम अब डीटेल में जानते हो।
- तो गीत सुना - बचपन के दिन भुला न देना।
- आत्मा कहती है - बाबा हमको अब स्मृति आई है।
- सवेरे-सवेरे उठकर बाप से बातें करनी चाहिए।
- अमृतवेले बाप को याद करना अच्छा है ना।
- शाम के टाइम एकान्त में जाकर बैठो।
- भल आपस में स्त्री-पुरुष इकट्ठे हो तो भी यह बातें करते रहो।
- शिवबाबा ब्रह्मा के तन से क्या कहते हैं।
- हम जब पूज्य बनते हैं तो बाबा को याद नहीं करते थे।
- जब पुजारी बनते हैं तो बाप को याद करते हैं।
- ऐसी-ऐसी बातें करनी चाहिए, जो कोई सुने तो वन्डर खाये।
- आधाकल्प हम काम चिता पर बैठ जलकर भस्म हो गये थे, कब्रदाखिल हो गये थे।
- अब हमको ज्ञान चिता पर बैठना है, स्वर्ग में जाना है।
- यह पुरानी दुनिया है।
- भारतवासी समझते हैं यह स्वर्ग है।
- अरे स्वर्ग तो सतयुग में होता है।
- स्वर्ग में देवी-देवताओं का राज्य था।
- यहाँ तो माया का पाम्प है।
- अब बाबा कहते हैं संगदोष में आकर कहाँ मर नहीं जाना।
- नहीं तो बहुत पछतायेंगे।
- इम्तहान की रिजल्ट जब निकलती है तो सबको मालूम पड़ जाता है।...
- आगे बच्चियां ध्यान में जाकर सब कुछ सुनाती थी कि यह रानी बनेंगी, यह दासी।
- फिर बाबा ने बन्द कराया।
- पिछाड़ी में सब कुछ मालूम पड़ जायेगा कि हमने बाप की कितनी सर्विस की!
- कितनों को आप समान बनाया!
- वह सब याद आयेगा, साक्षात्कार होगा, बिना साक्षात्कार के धर्मराज भी सजा दे न सके।
- बच्चों को बार-बार समझाया है मामेकम् याद करो।
- बाप आकर मीठे-मीठे झाड़ का सैपलिंग लगाते हैं।
- वो गवर्मेन्ट झाड़ों का सैपलिंग लगाती है।
- उत्सव मनाते हैं।
- यहाँ नई दुनिया का सैपलिंग लग रहा है।
- तो ऐसे बाप को भूलो मत।
- बाप की सर्विस में लग जाओ, नहीं तो अन्त में बहुत पछताना पड़ेगा।
- अभी वर्सा नहीं लिया तो कल्प-कल्पान्तर का हिसाब हो जायेगा, इसलिए पुरुषार्थ फुल करना है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) जैसे बाप ज्ञान का, आनंद का, प्यार का सागर है ऐसे बाप समान बनना है और आप समान बनाने की सेवा करनी है।
- सबको ज्ञान का तीसरा नेत्र देना है।
- 2) ऐसा कोई भी संग नहीं करना है जो पछताना पड़े।
- संगदोष बहुत खराब है इसलिए अपनी सम्भाल करनी है।
- बाप से वर्सा लेने का पूरा पुरुषार्थ करना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- दिव्य गुणों के आह्वान द्वारा अवगुणों को समाप्त करने वाले दिव्यगुणधारी भव
- जैसे दीपावली पर श्रीलक्ष्मी का आह्वान करते हैं, ऐसे आप बच्चे स्वयं में दिव्यगुणों का आह्वान करो तो अवगुण आहुति रूप में खत्म होते जायेंगे।
- फिर नये संस्कारों रूपी नये वस्त्र धारण करेंगे।
- अब पुराने वस्त्रों से जरा भी प्रीत न हो।
- जो भी कमजोरियां, कमियां, निर्बलता, कोमलता रही हुई है - वो सब पुराने खाते आज से सदाकाल के लिए समाप्त करो तब दिव्यगुणधारी बनेंगे और भविष्य में ताजपोशी होगी।
- उसी का ही यादगार यह दीपावली है।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- सरल याद के लिए सरलता का गुण धारण करो, संस्कारों को सरल बनाओ।
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