02-11-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - तुम्हें मन्सा-वाचा-कर्मणा एक्यूरेट बनना है, क्योंकि तुम देवताओं से भी ऊंच ब्राह्मण चोटी हो''
प्रश्नः-
सबसे गुप्त और महीन बात कौन सी है जो बच्चे भी मुश्किल ही समझ सकते हैं?
उत्तर:-
शिवबाबा और ब्रह्मा बाबा का भेद समझना - यह सबसे गुप्त और महीन बात है।
इसमें कई बच्चे मूँझ जाते हैं।
यह राज़ स्वयं बाप बतलाते हैं कि मैं सवेरे-सवेरे इस तन द्वारा तुम बच्चों को पढ़ाता हूँ, बाकी ऐसे नहीं कि मैं कोई सारा दिन इन पर सवारी करता हूँ।
-
-
ओम् शान्ति।
- रूहानी बाप रूहानी बच्चों को समझाते हैं।
- बच्चे कौन हैं? ब्राह्मण।
- यह कभी भूलो मत कि हम ब्राह्मण हैं, देवता बनने वाले हैं।
- वर्णो को भी याद करना होता है।
- यहाँ तुम आपस में ब्राह्मण ही ब्राह्मण हो।
- ब्राह्मणों को बेहद का बाप पढ़ाते हैं।
- यह ब्रह्मा नहीं पढ़ाते हैं।
- शिवबाबा पढ़ाते हैं।
- ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मणों को ही पढ़ाते हैं।
- शूद्र से ब्राह्मण बनने बिना देवता बन नहीं सकते।
- वर्सा तो शिवबाबा से मिलता है।
- शिवबाबा तो सभी का बाप है।
- इस ब्रह्मा को ग्रैन्ड फादर कहा जाता है।
- लौकिक बाप तो सबको होते ही हैं।
- पारलौकिक बाप को भक्ति मार्ग में याद करते हैं।
- अब तुम बच्चे समझते हो - यह अलौकिक बाप है, जिसको कोई नहीं जानते हैं।
- भल ब्रह्मा का मन्दिर है।
- यहाँ भी प्रजापिता आदि देव का मन्दिर है।
- उनको महावीर भी कहते हैं, कोई दिलवाला भी कहते हैं।
- परन्तु वास्तव में दिल लेने वाला है शिवबाबा, न कि ब्रह्मा।
- सभी आत्माओं को सदा सुखी करने वाला, खुशी देने वाला एक ही बाप है।
- यह भी सिर्फ तुम बच्चे ही जानते हो।
- दुनिया में तो मनुष्य कुछ भी नहीं जानते।
- हम ब्राह्मण ही शिवबाबा से वर्सा ले रहे हैं।
- तुम भी घड़ी-घड़ी भूल जाते हो।
- याद है बड़ी सहज।
- योग अक्षर संन्यासियों ने रखा है।
- तुम तो बाप को याद करते हो।
- योग तो कॉमन अक्षर है, इनको योग आश्रम भी नहीं कहेंगे।
- बच्चे और बाप बैठे हैं।
- बच्चों का फ़र्ज है - बेहद के बाप को याद करना।
- हम ब्राह्मण हैं, दादे से वर्सा लेते हैं ब्रह्मा द्वारा इसलिए शिवबाबा कहते हैं - जितना हो सके याद करते रहो।
- चित्र भी भल याद रखो।
- याद तो रहेगी, हम ब्राह्मण हैं, बाप से वर्सा लेते हैं।
- ब्राह्मण कब अपनी जाति को भूलते हैं क्या?
- तुम शूद्रों के संग में आने से ब्राह्मणपना भूल जाते हो।
- ब्राह्मण तो देवताओं से भी ऊंच हैं क्योंकि तुम ब्राह्मण नॉलेजफुल हो।
- भगवान को जानी-जाननहार कहते हैं ना।
- इसका अर्थ यह नहीं कि सबके दिल में क्या है - वह बैठ देखता है।
- नहीं, उनको सृष्टि के आदि मध्य अन्त की नॉलेज है।
- वह बीजरूप है।
- बीज झाड़ के आदि मध्य अन्त को जानते हैं।
- तो ऐसे बाप को बहुत-बहुत याद करना है।
- इनकी आत्मा भी उस बाप को याद करती है।
- वह बाप कहते हैं - यह (ब्रह्मा) भी मुझे याद करेंगे तब यह पद पायेंगे।
- तुम भी याद करेंगे तो पद पायेंगे।
- पहले-पहले तुम बिना शरीर (अशरीरी) आये थे।
- फिर अशरीरी बनकर वापिस जाना है।
- और सब देह के सम्बन्धी तुमको दु:ख देने वाले हैं, उनको क्यों याद करते हो
- ! जबकि मैं तुमको मिला हूँ।
- मैं तुमको नई दुनिया में ले जाने आया हूँ।
- वहाँ कोई दु:ख नहीं।
- वह है दैवी सम्बन्ध।
- यहाँ पहले दु:ख होता है - स्त्री और पुरूष के सम्बन्ध में, क्योंकि विकारी बनते हैं।
- तुमको मैं अब उस दुनिया के लायक बनाता हूँ, जहाँ विकार की बात ही नहीं रहती।
- यह काम महाशत्रु गाया हुआ है, जो आदि मध्य अन्त दु:ख देते हैं।
- क्रोध के लिए ऐसे नहीं कहेंगे कि यह आदि मध्य अन्त दु:ख देते हैं।
- नहीं, काम को जीतना है, वही आदि मध्य अन्त दु:ख देते हैं।
- पतित बनाते हैं।
- पतित अक्षर विकार पर पड़ता है।
- इस दुश्मन पर जीत पानी है।
- तुम जानते हो हम सतयुग के देवी-देवता बन रहे हैं।
- जब तक यह निश्चय नहीं तब तक कुछ पा नहीं सकेंगे।
- बाप समझाते हैं - बच्चों को मन्सा-वाचा-कर्मणा एक्यूरेट बनना है।
- मेहनत है।
- दुनिया में यह किसको भी पता नहीं कि तुम भारत को स्वर्ग बनाते हो।
- आगे चलकर समझेंगे, चाहते भी हैं कि वन वर्ल्ड, वन राज्य, वन रिलीजन, वन भाषा हो।
- तुम समझा सकते हो - आज से 5 हजार वर्ष पहले एक राज्य, एक धर्म था, जिसको स्वर्ग कहा जाता है।
- रामराज्य, रावणराज्य को भी कोई नहीं जानते।
- तुम भी नहीं जानते थे।
- अब तुम स्वच्छ बुद्धि बने हो, नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार।
- बाप बैठ तुमको समझाते हैं तो जरूर बाप की मत पर चलो।
- बाप कहते हैं - पुरानी दुनिया में रहते कमल फूल समान पवित्र रहो।
- मुझे याद भी करते रहो।
- बाप आत्माओं को समझाते हैं।
- आत्माओं को ही पढ़ाने आया हूँ, इन आरगन्स द्वारा।
- यह तो पुरानी छी-छी दुनिया, छी-छी शरीर है।
- तुम ब्राह्मण पूजा के लायक नहीं हो, गायन लायक हो।
- पूजन लायक देवतायें हैं।
- तुम श्रीमत पर विश्व को स्वर्ग बनाते हो इसलिए तुम्हारा गायन है, पूजा नहीं हो सकती।
- गायन जरूर तुम ब्राह्मणों का है, न कि देवताओं का।
- बाप तुमको ही शूद्र से ब्राह्मण बनाते हैं।
- देवताओं की आत्मा और शरीर दोनों पवित्र हैं।
- अब तुम्हारी आत्मा पवित्र होती जाती है।
- शरीर पवित्र नहीं है।
- अब तुम ईश्वर की मत पर भारत को स्वर्ग बना रहे हो।
- तुम भी स्वर्ग के लायक बन रहे हो।
- सतोप्रधान जरूर बनना है।
- सिर्फ तुम ब्राह्मण ही हो जिसको बाप बैठ पढ़ाते हैं।
- ब्राह्मणों का झाड़ वृद्धि को पाता रहेगा।
- ब्राह्मण जो पक्के बन जायेंगे वही जाकर देवता बनेंगे।
- यह नया झाड़ है, माया के तूफान भी लगते हैं।
- सतयुग में कोई तूफान नहीं लगेगा।
- यहाँ माया बाबा की याद में रहने नहीं देती है।
- हम जानते हैं बाबा की याद से ही तमोप्रधान से सतोप्रधान बने हैं।
- सारा मदार है याद पर।
- भारत का प्राचीन योग भी मशहूर है ना।
- विलायत वाले चाहते हैं, प्राचीन योग आकर कोई सिखाये।
- अब योग दो प्रकार का है - एक हैं हठयोगी, दूसरे हैं राजयोगी।
- तुम हो राजयोगी।
- वह तो बहुत दिन से चले आते हैं।
- राजयोग का अब तुमको पता पड़ा है।
- संन्यासी क्या जानें राजयोग से।
- बाप ने आकर बताया है - राजयोग मैं ही आकर सिखाता हूँ, कृष्ण तो सिखला न सके।
- यह भारत का ही प्राचीन योग है, सिर्फ गीता में मेरे बदले कृष्ण का नाम डाल दिया है।
- कितना फ़र्क हो गया है।
- शिव जयन्ती होती है तो तुम्हारे बैकुण्ठ की भी जयन्ती होती है, जिसमें कृष्ण का राज्य है।
- तुम जानते हो शिवबाबा की जयन्ती है तो गीता की भी जयन्ती है, बैकुण्ठ की भी जयन्ती हो रही है।
- तुम पवित्र बन जायेंगे, कल्प पहले मुआफिक स्थापना हो रही है तो शिवबाबा की जयन्ती सो स्वर्ग की जयन्ती, बाबा ही आकर स्वर्ग की स्थापना करते हैं।
- अब बाप कहते हैं मुझे याद करो।
- याद न करने से माया कुछ न कुछ विकर्म करा देती है।
- याद नहीं किया और लगी चमाट।
- याद में रहने से चमाट नहीं खायेंगे।
- यह बॉक्सिंग होती है।
- तुम जानते हो हमारा दुश्मन कोई मनुष्य नहीं है, रावण दुश्मन है।
- शादी करने के बाद कुमार-कुमारी भी पतित बनने से एक दो के दुश्मन बन जाते हैं।
- शादी में लाखों रूपये खर्च करते हैं।
- बाप कहते हैं - शादी है बरबादी।
- अब पारलौकिक बाप ने आर्डीनेन्स निकाला है कि बच्चे यह काम महाशत्रु है, इन पर जीत पहनो और पवित्रता की प्रतिज्ञा करो।
- कोई भी पतित न बने।
- जन्म-जन्मान्तर तुम पतित बने हो इस विकार से, इसलिए काम महाशत्रु कहा जाता है।
- बाप तो बहुत अच्छी रीति समझाते हैं।
- तुमने 84 जन्म कैसे लिए हैं।
- अब वापिस जाना है।
- तुमको तो बड़ा ही शुद्ध अहंकार होना चाहिए।
- हम आत्मायें बाप की मत पर चल भारत को स्वर्ग बना रहे हैं।
- हम ही फिर स्वर्ग में राज्य करेंगे।
- जितनी मेहनत करेंगे उतना पद पायेंगे।
- चाहे राजा-रानी बनो, चाहे प्रजा बनो।
- राजा-रानी कैसे बनते हैं वह भी देख रहे हो।
- फालो फादर गाया जाता है।
- वह अब की बात है। लौकिक सम्बन्ध के लिए नहीं कहा जाता है।
- यह बाप मत देते हैं, मामेकम् याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
- तुम समझते हो हम अच्छी मत पर चलते हैं, बहुतों की सेवा करते हैं।
- बच्चे बाप के पास आते हैं तो शिवबाबा भी रिफ्रेश करते हैं तो यह भी रिफ्रेश करते हैं।
- यह भी तो सीखते हैं ना।
- शिवबाबा कहते हैं मैं आता हूँ सवेरे को।
- अच्छा फिर कोई मिलने आते हैं तो क्या यह ब्रह्मा नहीं समझायेंगे।
- ऐसे कहेंगे क्या कि बाबा आप आकर समझाओ मैं नहीं समझाऊंगा।
- यह बड़ी गुप्त गुह्य बातें हैं ना।
- मैं तो सबसे अच्छा समझा सकता हूँ।
- तुम ऐसे क्यों समझते हो कि शिवबाबा ही समझाते हैं।
- यह नहीं समझाते होंगे।
- यह भी जानते हो कल्प पहले इसने समझाया है तब तो यह पद पाया है।
- मम्मा भी समझाती थी ना।
- वह भी ऊंच पद पाती है।
- वहाँ बाबा को सूक्ष्म वतन में देखते हैं तो बच्चों को फॉलो करना है।
- सरेन्डर होते भी गरीब हैं।
- साहूकार तो सरेन्डर हो न सकें।
- गरीब ही कहते हैं - बाबा यह सब कुछ आपका है।
- शिवबाबा तो दाता है, वह कभी लेता नहीं।
- बच्चों को कहते हैं यह सब कुछ तुम्हारा है।
- अपने लिए महल यहाँ या वहाँ नहीं बनाता हूँ।
- तुमको ही स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ।
- अब इन ज्ञान रत्नों से झोली भरनी है।
- मन्दिर में जाकर कहते हैं झोली भर दो।
- परन्तु किस प्रकार की, किस चीज़ की झोली भर दो?
- अब झोली भरने वाली तो लक्ष्मी है जो पैसा देती है।
- शिव के पास तो जाते नहीं।
- कृष्ण के लिए कहते हैं कि गीता सुनाई।
- परन्तु कृष्ण के लिए नहीं कहते झोली भर दो।
- शंकर के पास जाकर कहते हैं।
- समझते हैं शिव और शंकर एक हैं।
- शंकर तो झोली खाली करने वाला है, हमारी झोली तो कोई खाली नहीं कर सकता।
- विनाश तो होना ही है।
- गाया हुआ भी है रूद्र ज्ञान यज्ञ से विनाश ज्वाला निकली।
- परन्तु ऐसे कोई समझते थोड़ेही हैं।
- तुम बच्चों को गृहस्थ व्यवहार में भी रहना है।
- धन्धा भी करना है।
- बाप हर एक की नब्ज देख राय देते हैं क्योंकि बाप समझते हैं मैं कहूँ और कर न सकें, ऐसी राय ही क्यों दूँ।
- नब्ज देखकर ही राय देते हैं।
- इनके पास तो आना पड़े।
- वह पूरी राय देंगे।
- सबको पूछना चाहिए - बाबा इस हालत में हमको क्या करना चाहिए!
- अब क्या करें?
- बाप स्वर्ग में तो ले जाते हैं।
- तुम जानते हो हम स्वर्गवासी तो बनने वाले हैं, अब हम नर्कवासी हैं।
- अब तुम न नर्क में हो, न स्वर्ग में हो।
- जो-जो ब्राह्मण बनते हैं उनका लंगर इस छी-छी दुनिया से उठ चुका।
- तुम कलियुगी दुनिया से किनारा अब छोड़ चुके हो।
- कोई ब्राह्मण तीखा जा रहा है, कोई याद की यात्रा में कम।
- कोई हाथ छोड़ देते हैं तो घुटका खाकर डूब मरते हैं अर्थात् फिर कलियुग में चले जाते हैं।
- तुम जानते हो खिवैया अब हमको ले जा रहे हैं।
- वह यात्रा तो अनेक प्रकार की है।
- तुम्हारी यात्रा एक ही है, यह बिल्कुल ही न्यारी यात्रा है।
- हाँ, तूफान आते हैं जो याद को तोड़ देते हैं।
- इस याद की यात्रा को अच्छी रीति पक्का करो, मेहनत करो।
- तुम कर्मयोगी हो।
- जितना हो सके हथ कार डे, दिल यार डे।
- आधाकल्प से तुम आशिक बन माशूक को याद करते आये हो।
- बाबा हमको यहाँ बहुत दु:ख है, अब हमको सुखधाम का मालिक बनाओ।
- याद की यात्रा में रहेंगे तो तुम्हारे पाप खलास हो जायेंगे।
- तुमने ही स्वर्ग का वर्सा पाया था, अब गँवाया है।
- भारत स्वर्ग था तब कहते हैं प्राचीन भारत।
- भारत को बहुत मान देते हैं, सबसे बड़ा भी है, सबसे पुराना भी है।
- यह तो तुम जानते हो विनाश सामने खड़ा है।
- जो अच्छी रीति समझते हैं उन्हों के अन्दर में बहुत खुशी रहती है।
- प्रदर्शनी में कितने आते हैं।
- अहमदाबाद में देखो कितने साधू-सन्त आदि हर प्रकार के आये।
- कहते हैं तुम तो सत्य कहती हो।
- परन्तु हमको बाप से वर्सा लेना है, यह थोड़ेही बुद्धि में बैठता है।
- यहाँ से बाहर निकले खलास।
- अभी तुम जानते हो कि बाप हमको स्वर्ग में ले जाते हैं।
- वहाँ न गर्भ जेल, न वह जेल होगी।
- फिर कभी जेल का मुँह देखने को नहीं मिलेगा।
- दोनों जेल नहीं रहेंगी।
- यहाँ यह सब है माया का पाम्प।
- आजकल हर एक बात क्वीक होती है।
- मौत भी क्वीक होती रहती है।
- सतयुग में ऐसे कोई उपद्रव होते ही नहीं हैं।
- यहाँ मौत भी जल्दी, तो दु:ख भी बहुत होंगे।
- सब खलास हो जायेंगे।
- सारी धरती नई हो जायेगी।
- सतयुग में देवी-देवताओं की राजधानी थी, सो जरूर फिर होगी।
- आगे चल देखना क्या होता है!
- बहुत भयंकर सीन है।
- तुम बच्चों ने साक्षात्कार किया है।
- बच्चों के लिए मुख्य है याद की यात्रा।
- यह है चढ़ती कला की यात्रा।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों का नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) सदा इसी स्मृति में रहना है कि हम ब्राह्मण हैं।
- हम ब्राह्मणों को ही भगवान पढ़ाते हैं।
- हम अभी ब्राह्मण सो देवता बन रहे हैं।
- 2) ज्ञान रत्नों से अपनी झोली भरकर दान करना है।
- इस कलियुगी पतित दुनिया का किनारा छोड़ देना है।
- माया के तूफानों से डरना नहीं है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- पावरफुल स्थिति द्वारा रचना की सर्व आकर्षणों से दूर रहने वाले मास्टर रचयिता भव
- जब मास्टर रचयिता, मास्टर नॉलेजफुल की पावरफुल स्थिति वा नशे में स्थित रहेंगे तब रचना की सर्व आकर्षणों से परे रह सकेंगे क्योंकि अभी रचना और भी भिन्न-भिन्न रंग-ढंग, रूप रचेगी इसलिए अभी बचपन की भूलें, अलबेलेपन की भूलें, आलस्य की भूलें, बेपरवाही की भूलें जो रही हुई हैं - उन्हें भूल कर अपने पावरफुल, शक्ति-स्वरूप, शस्त्रधारी स्वरूप, सदा जागती ज्योति स्वरूप को प्रत्यक्ष करो तब कहेंगे मास्टर रचयिता।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- मन की स्थिति में ऐसा हार्ड बनो जो कोई भी परिस्थिति उसे पिघला न दे।
| |