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ओम् शान्ति।
- बाप को, सभी रूहानी बच्चों को साथ-साथ जो भी सृष्टि भर में जीव आत्मायें हैं, उन सब जीव आत्माओं को वापिस ले जाना ही है क्योंकि अब अन्धियारी रात पूरी होती है।
- पुरानी दुनिया पूरी हो नई दुनिया की स्थापना हो रही है।
- दुनिया तो है परन्तु पुरानी से नई होती है।
- सतयुग आदि में बरोबर आदि सनातन देवी-देवता धर्म ही था।
- अब वह सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी नहीं हैं।
- बाप समझाते हैं उन्हों ने पुनर्जन्म लेते-लेते अब 84 जन्म पूरे किये हैं।
- इस समय सब पार्टधारी तमोप्रधान हो गये हैं।
- चाहते भी हैं रामराज्य, नई दुनिया, नई देहली चाहिए।
- जैसे बच्चे कहते हैं ना - हमको फलानी नई चीज़ चाहिए।
- यह भी कहते हैं बाबा नई दुनिया के लिए हमको नये वस्त्र चाहिए।
- दीपमाला पर मनुष्य नये वस्त्र पहनते हैं।
- कृष्ण जयन्ती पर नये वस्त्र पहनने की बात नहीं रहती।
- खास दीपमाला पर नये वस्त्र पहनने के लिए खरीददारी आदि बहुत करते हैं।
- दीपमाला पर ज्योत जगाते हैं।
- तुम्हारी अब ज्योत जगी है, तुम्हें फिर औरों की भी ज्योत जगानी है।
- उन्हों की है भक्ति मार्ग की दीपमाला, तुम्हारी है ज्ञान की दीपमाला।
- तुमको कोई कपड़े आदि नहीं बदलने हैं।
- तुम्हारी जब पूरी ज्योत जग जायेगी तो फिर नई दुनिया में नये वस्त्र मिलेंगे।
- बाप कहते हैं मैं सबको ले जाऊंगा।
- कोई चाहे वा न चाहे।
- बुलाते भी हैं - हे पतित-पावन आओ।
- वह फिर कहते हैं लिबरेटर आओ।
- कोई किस भाषा में कहते हैं, कोई किस भाषा में।
- मैं कल्प-कल्प आकर सबको ले जाता हूँ।
- सतयुग में तो बहुत थोड़े मनुष्य होते हैं।
- अब कितने ढेर पार्टधारी हैं।
- यह हैं जीव आत्मायें।
- शरीर को जीव कहा जाता है।
- ऐसे नहीं कि जीव कहता है कि मैं एक आत्मा छोड़ दूसरा लेता हूँ।
- नहीं, आत्मा कहती है मैं एक शरीर छोड़ दूसरा लेता हूँ।
- परन्तु यह भी किसको पता नहीं है कि हम 84 जन्म लेते हैं।
- ऐसे भी नहीं सबको 84 जन्म मिलते हैं।
- सबका अपना हिसाब है।
- जो पहले-पहले आते हैं वह जरूर जास्ती जन्म लेंगे।
- जास्ती से जास्ती 84 जन्म।
- कम से कम एक जन्म भी होता है।
- यह बाप बैठ समझाते हैं, सबको तो नहीं पढ़ायेंगे।
- परन्तु सबको साथ जरूर ले जायेंगे।
- ड्रामा प्लैन अनुसार मैं बाँधा हुआ हूँ ले जाने के लिए।
- दुनिया यह नहीं जानती कि पुरानी दुनिया खत्म होने वाली है।
- बाप आकर जरूर नई दुनिया की स्थापना करेंगे।
- मनुष्य को रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त का रिचंक मात्र भी नॉलेज नहीं है।
- हाँ, भक्ति मार्ग का पता है।
- भक्ति मार्ग की रसम-रिवाज अलग, ज्ञान मार्ग की रसम-रिवाज बिल्कुल ही अलग है।
- यह तो हो नही सकता कि सतयुग से कलियुग तक भक्ति ही हो।
- गाया भी जाता है ज्ञान दिन, भक्ति रात।
- अन्धियारी रात में मनुष्य धक्के खाते हैं।
- बाप कहते हैं ठिक्कर भित्तर में भी जाकर मुझे ढूँढते हैं।
- कोई हनूमान का साक्षात्कार करते, कोई गणेश का साक्षात्कार करते।
- अब वह सब भगवान तो नहीं हैं।
- मेरा अपना शरीर तो कोई है नहीं।
- माया रावण ने सबको बुद्धू बना दिया है।
- भारतवासियों को यह भी पता नहीं कि राम राज्य किसको कहा जाता है।
- यह ध्यान में भी आता है कि लक्ष्मी-नारायण का राज्य इस दुनिया पर था।
- सिर्फ कह देते हैं - रामराज्य चाहिए।
- राम कोई रघुपति वाला नहीं।
- उनके लिए शास्त्रों में बहुत उल्टी बातें लिख दी हैं।
- मनुष्य मौत से कितना डरते हैं।
- लाइफ को बचाने के लिए दुआयें माँगते रहते हैं।
- अभी तो ढेर मरने वाले हैं।
- उनके लिए क्या कहेंगे!
- बाप को बुलाया ही इसलिए है कि बाबा हमको पावन दुनिया में ले चलो।
- शान्तिधाम में शरीरों को तो नहीं ले जाऊंगा।
- वहाँ तो आत्मायें जायेंगी।
- यह तो पुराना छी-छी शरीर है।
- भंभोर को आग लगनी है, इसलिए आग का गोला (बाम्ब्स) बना रहे हैं।
- अब वह कहते हैं - बाम्ब्स न बनायें।
- अब इतनी भी समझ नहीं है तो जिनके पास जास्ती बाम्ब्स होंगे, वह जरूर शक्तिशाली हो जायेंगे।
- फिर दूसरे अपने को बचा कैसे सकेंगे, अगर बाम्ब्स न बनायें तो।
- अब वह जब सब समुद्र में डालें तब वह भी बनाना बंद करें।
- परन्तु समुद्र से भी बादल पानी खींचता है, वह बरसात पड़ेगी तो सारा नुकसान हो जायेगा।
- खेती आदि जल जायेगी इसलिए ड्रामा में युक्ति रची हुई है।
- पहले ये बाम्ब्स नहीं थे, अब निकले हैं इसलिए यह सारी धम-धम मच रही है।
- अब यह तुम जानते हो - यह सब है भावी।
- तुम्हारे में भी बहुतों को विनाश की भावी का निश्चय नहीं है।
- अगर होता तो योग में बहुत अच्छी तरह रहते।
- योगबल से विश्व की बादशाही लेनी है।
- तुम्हारा सब कुछ गुप्त है, सिखलाने वाला भी गुप्त है।
- इन ऑखों से देखने में नहीं आते हैं।
- अब तुमने आत्मा को रियलाइज किया है कि मुझ आत्मा में 84 जन्मों का पार्ट भरा हुआ है।
- अहम् आत्मा अविनाशी हैं।
- यह है अति गुह्य बात।
- अखबार में भी लिखा है कि आत्मा क्या है जो शरीर में रहती है?
- यह कोई बताये तो उनको लाखों रूपया मिल सकता है।
- आत्मा क्या है, कहाँ से आती है?
- कैसे पार्ट बजाती है?
- यह कोई भी नहीं जानते।
- कोई कहते बुदबुदा है, कोई कहते ब्रह्म-तत्व बड़ी ज्योति है, उसमें आत्मायें लीन हो जायेंगी।
- अनेक प्रकार की बातें करते रहते हैं।
- तुम जानते हो आत्मा बिन्दी समान है।
- उसमें पार्ट बजाने की नूँध है।
- यह ड्रामा अनादि बना बनाया है, उनका कभी विनाश नहीं होता है।
- आत्मा भी अविनाशी है।
- उनको वही पार्ट बजाना है।
- फ़र्क नहीं पड़ सकता।
- यह सब बातें उनकी बुद्धि में बैठेंगी, जिनके कल्प पहले बैठी होंगी।
- बाबा कहते हैं - इतने ढेर मनुष्यों को मैं कैसे पढ़ाऊंगा।
- हाँ, इतना बच्चे समझेंगे कि बाप कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
- सबको पैगाम मिलेगा, बाप यह मन्त्र देते हैं सबके लिए।
- बाबा समझाते हैं तुम बच्चों को दैवीगुण धारण करने हैं।
- अवगुणों को छोड़ना है।
- देह-अभिमान को छोड़ो।
- फिर भी छोड़ते नहीं हैं।
- उन बिचारों को क्या मिलेगा?
- एक दो से प्यार से नहीं चलते हैं।
- तुमको बहुत मीठा बनना है।
- बाप प्यार का सागर है।
- तुम भी उनके बच्चे हो तो तुमको बहुत प्यारा बनना है।
- कभी कोई कितना भी गुस्सा करे, स्तुति-निंदा आदि सब कुछ सहन करना है।
- कोई देवाला मारता है तो समझते हैं - बाबा अब सहायता करे।
- अरे यह तो तुम्हारा कर्मभोग है, सो तो तुमको सहन करना है।
- बाप इसमें क्या करे।
- बाप आया हुआ है सब आत्माओं को ले जाने।
- यह भी तुम बच्चे ही जानते हो।
- दुनिया में सब घोर अन्धियारे में हैं।
- भक्तिमार्ग में जरूर भक्तों का मान होना चाहिए।
- शंकराचार्य आदि यह सब भगत हैं।
- उन्हों को कहेंगे पवित्र भगत।
- भक्ति कल्ट तो है ना।
- जो पवित्र रहते हैं, उन्हों के बड़े-बड़े अखाड़े बने हुए हैं।
- उनका मान कितना है।
- रिलीजस किताबों का भी बहुत मान है।
- उनको बड़ी-बड़ी परिक्रमा दिलाते हैं।
- भक्ति का मान बहुत है।
- ज्ञान का किसको पता भी नहीं है।
- तुम जब देवता बनते हो तो तुम्हारी कितनी महिमा होती है।
- ऐसा कोई नहीं होगा जिनके माँ बाप किसी न किसी मन्दिर आदि में नहीं जाते होंगे।
- कुछ न कुछ भक्ति के चिन्ह घर में जरूर होते हैं।
- हे भगवान कहना, यह भी भक्ति मार्ग है।
- अब तुम बेहद बाप के बने हो।
- यह बाप, यह दादा, इसलिए त्रिमूर्ति के चित्र पर समझाना बड़ा अच्छा है।
- भल कोई कहे दादा को क्यों रखा है?
- अरे प्रजापिता ब्रह्मा तो जरूर यहाँ चाहिए ना।
- यह तो झाड़ में नीचे तपस्या में बैठे हैं।
- परन्तु वह बदलते रहते हैं।
- यह जो मुख्य हैं वह सदैव कायम हैं।
- इसमें बच्चों को बहुत मीठा बनना है।
- चलन बड़ी रॉयल होनी चाहिए।
- बात कम करनी चाहिए।
- पहले-पहले बाप का परिचय देना है।
- जास्ती तीक-तीक करना फालतू है।
- बहुत थोड़ा बोलो।
- तुमने भी भक्ति मार्ग में बहुत बोला है, रड़ी मारी है।
- कितने धक्के खाये हैं।
- अब तुमको सिम्पल समझाते हैं - सिर्फ बाबा को याद करो तो योगबल से विश्व के मालिक बन सकते हो।
- आगे चल यह पता पड़ेगा, नम्बरवार कौन-कौन क्या बनते हैं।
- प्रजा का हिसाब थोड़ेही निकालेंगे।
- वह तो लाखों करोड़ों हो जायेंगे।
- जो ब्राह्मण बनेंगे वही सूर्यवंशी चन्द्रवंशी बनेंगे।
- आगे चलकर बहुत याद करने लग पड़ेंगे।
- जब मौत सामने आयेगा फिर वैराग्य आयेगा।
- यह वही महाभारत लड़ाई है।
- सभी आत्मायें हिसाब-किताब चुक्तू कर जायेंगी, इसको कयामत का समय कहा जाता है।
- इतने सब शरीर खत्म होंगे।
- नेचुरल कैलेमिटीज होनी है, यह भी ड्रामा में नूँध है।
- नई बात नही हैं।
- फैमन ( अकाल) के कारण मनुष्य भूखों मरते हैं।
- बाप जानते हैं मेरे बच्चे बहुत दु:खी हैं।
- सबको दु:खों से छुड़ाकर वापिस ले जाऊंगा।
- बाप कहते हैं - यह सब आपस में लड़ेंगे।
- मक्खन फिर भी तुमको मिलना है, सारे विश्व के तुम मालिक बनते हो।
- मुख में चन्द्रमा का साक्षात्कार करते थे ना!
- मुख में यह विश्व का गोला आ जाता है।
- तुम प्रिन्स प्रिन्सेज बनते हो।
- सारी सृष्टि जैसे तुम्हारी मुट्ठी में है।
- मुख में भी, मुट्ठी में भी दिखाते हैं।
- अब स्वर्ग का गोला तुम्हारे मुख में है।
- तुम जानते हो योगबल से हम विश्व के मालिक बनते हैं।
- योग से हेल्थ और ज्ञान से वेल्थ मिलती है।
- तुम चक्रवर्ती राजा बनते हो।
- परन्तु बच्चों को इतना कदर नहीं है - पढ़ाई का।
- भल बदली हो जाती है परन्तु बाप कहते हैं कहाँ भी रहो लेकिन पढ़ो जरूर।
- पवित्र रहो, खान-पान शुद्ध रखो।
- सबसे तोड़ भी निभाना है।
- यह दुनिया दु:ख देने वाली है।
- मुख्य है काम कटारी चलाना, वह भी मुश्किल छोड़ते हैं।
- कुछ कहो तो ट्रेटर बन जाते हैं।
- फिर अबलाओं पर कितने विघ्न आते हैं।
- यह आर्य समाजी तो अभी आये हैं।
- पिछाड़ी की टाली है।
- देवताओं को मानने वाले नहीं हैं।
- महावीर, हनूमान का नाम है, वीरता दिखाई है।
- जैनियों ने भी महावीर नाम रख दिया है।
- अभी अर्थ तो तुम समझते हो।
- तुम बच्चे भी महावीर हो जो रावण पर जीत पाते हो।
- यह है सारी योगबल की बात।
- तुम बाप को याद करते हो, उससे तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
- फिर शान्ति-सुख में चले जायेंगे।
- यह पैगाम सबको देना है।
- यह स्थापना बड़ी वन्डरफुल है, इनको कोई नहीं जानते।
- तुम्हारे में भी नम्बरवार हैं।
- कोई भी अन्दर विकार नहीं होने चाहिए।
- आत्मा को बाप ज्ञान दे रहे हैं।
- आत्मा विकारी बनती है, सब कुछ आत्मा ही करती है।
- तो अब बाप की श्रीमत पर पूरा चलना चाहिए।
- सतगुरू के सम्मुख रहकर निंदा कराई तो ठौर नहीं पा सकेंगे।
- कोई भी पाप करना यह निंदा हुई।
- टीचर की मत पर नहीं चलेंगे तो ठौर नहीं पायेंगे, नापास हो जायेंगे।
- टीचर की शिक्षा लेते रहेंगे तो पास विद् ऑनर होंगे।
- वह हैं हद की बातें, यह हैं बेहद की बातें।
- भगवान कौन है, दुनिया में यह किसको मालूम नहीं है।
- माया भी सतो रजो तमो होती है।
- अब माया भी तमोप्रधान है।
- देखो, क्या-क्या करते रहते हैं।
- कोई में बुद्धि नहीं है कि हम किसको आग लगाते हैं।
- यह भी ड्रामा में नूँध है।
- जो कुछ होता है ड्रामा अनुसार होता है।
- यादवों का प्लैन, कौरवों का प्लैन और पाण्डवों का प्लैन, क्या-क्या करत भये।
- पाण्डवों को ऊंच ते ऊंच प्लैन बताने वाला है बाप।
- नई दुनिया में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
- अभी पुरानी दुनिया का विनाश होना है।
- तुम मोस्ट बीलव्ड बाप से मोस्ट बीलव्ड बच्चे वर्सा ले रहे हो।
- बाप बिगर कोई कह न सके कि हम तुमको साथ ले जायेंगे।
- वह कह देते सब परमात्मा ही परमात्मा हैं।
- फिर यह कहना आयेगा कैसे।
- यह सब बातें तुम बच्चे ही जानते हो और न जाने कोई।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) विनाश की भावी को जान पूरा-पूरा श्रीमत पर चलना है।
- याद के बल से विश्व की बादशाही लेने का पुरुषार्थ करना है, अपनी जगी हुई ज्योत से सबकी ज्योत जगाकर सच्ची दीपावली मनानी है।
- 2) स्तुति-निंदा सब कुछ सहन करते हुए बाप समान प्यार का सागर बनना है।
- चलन बड़ी रॉयल रखनी है।
- बात बहुत कम करनी है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- ईश्वरीय कुल की स्मृति द्वारा माया का सामना करने वाले सदा समर्थ स्वरूप भव
- किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करनी है तो पहले स्मृति द्वारा समर्थी स्वरूप बनो।
- समर्थी आने से माया का सामना करना सहज हो जायेगा।
- जैसी स्मृति होती है वैसा स्वरूप बन जाता है इसलिए सदा पावरफुल स्मृति रहे - कि जब तक यह ईश्वरीय जन्म है तब तक हर सेकण्ड, हर संकल्प, हर कार्य ईश्वरीय सेवा पर हूँ।
- हमारा यह ईश्वरीय कुल है, यह स्मृति की सीट सर्व कमजोरियों को समाप्त कर देगी।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- सत्य समय प्रमाण स्वयं सिद्ध होता है उसे सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं।
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