26-10-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे बच्चे - तुम जिसकी आज तक महिमा गाते थे, वही अब तुम्हारे सामने हाज़िर है, इसलिए सदैव खुशी में नाचते रहो, किसी बात का ग़म न हो''

प्रश्नः-

पुरुषार्थी बच्चे अपने दिल के अन्दर कौन सी जांच अवश्य करेंगे?

उत्तर:-

अभी तक मुझ आत्मा में कोई छोटा-मोटा काँटा तो नहीं है?

काम का काँटा सबसे तीखा है।

क्रोध का काँटा भी बहुत खराब है।

देवतायें क्रोधी नहीं होते इसलिए मीठे बच्चे कोई काँटा हो तो निकाल दो।

अपने आपको घाटे में मत डालो।

 

गीत:- तुम मात पिता...


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने अपने बाप की महिमा सुनी।
  • वह गाते रहते हैं, यहाँ तुम प्रैक्टिकल में उस बाबा का वर्सा ले रहे हो।
  • तुम जानते हो बाबा हमारे द्वारा भारत को स्वर्ग बना रहे हैं।
  • जिनके द्वारा बना रहे हैं, जरूर वही सुखधाम का मालिक बनेंगे।
  • बच्चों को तो बहुत खुशी रहनी चाहिए।
  • बाबा की महिमा अपरमअपार है, उससे हम वर्सा पा रहे हैं।
  • अभी तुम बच्चों पर बल्कि सारी दुनिया पर ब्रहस्पति की दशा है।
  • अभी यह तुम ब्राह्मण ही जानते हो।
  • भारत खास और दुनिया आम, सब पर ब्रहस्पति की दशा बैठी है क्योंकि अब 16 कला सम्पूर्ण बनते हो।
  • इस समय तो कोई कला नहीं है।
  • बच्चों को बहुत खुशी रहनी चाहिए।
  • ऐसे नहीं यहाँ खुशी है, बाहर जाने से गुम हो जाए।
  • जिसकी महिमा गाते रहते हो वह अब तुम्हारे पास हाज़िर है।
  • बाबा समझाते हैं कि 5 हजार वर्ष पहले भी राजाई देकर गया था।
  • अभी तुम देखेंगे आहिस्ते-आहिस्ते सब पुकारते रहेंगे।
  • तुम्हारे भी स्लोगन निकलते रहेंगे।
  • जैसे कोई कहते हैं एक धर्म हो, एक राजाई हो, एक भाषा हो।
  • वे भी आत्मायें कहती हैं ना।
  • आत्मा जानती है बरोबर भारत में एक राजधानी देवी-देवताओं की थी।
  • यह खुशबू फैलती जायेगी।
  • तुम खुशबू डालते जाते हो।
  • ड्रामा प्लैन अनुसार लड़ाई के भी आसार सामने खड़े हैं।
  • यह कोई नई बात नहीं है।
  • भारत को 16 कला सम्पूर्ण जरूर बनना है।
  • तुम जानते हो हम इस योगबल से 16 कला सम्पूर्ण बन रहे हैं।
  • कहते हैं ना - दे दान तो छूटे ग्रहण।
  • बाप भी कहते हैं विकारों का, अवगुणों का दान दो।
  • यह रावण राज्य है ना।
  • बाप आकर इनसे छुड़ाते हैं, इसमें भी काम विकार बड़ा भारी अवगुण है।
  • तुम देह-अभिमानी बन पड़े हो।
  • अब देही-अभिमानी बनना पड़े।
  • शरीर का भी भान छोड़ना पड़े।
  • इन बातों को तुम बच्चे ही समझते हो, दुनिया नहीं जानती।
  • भारत जो 16 कला सम्पूर्ण था, सम्पूर्ण देवताओं का राज्य था।
  • इन लक्ष्मी-नारायण की राजधानी थी।
  • भारत स्वर्ग था।
  • अब 5 विकारों का ग्रहण लगा हुआ है, इसलिए बाप कहते हैं दे दान तो छूटे ग्रहण।
  • यह काम विकार ही गिराने वाला है इसलिए बाप कहते हैं यह दान दो तो 16 कला सम्पन्न बन जायेंगे।
  • नहीं देंगे तो नहीं बनेंगे।
  • आत्माओं को अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है ना।
  • यह भी तुम्हारी बुद्धि में है।
  • तुम्हारी आत्मा में कितना पार्ट है।
  • तुम विश्व का राज्य भाग्य लेते हो।
  • यह बेहद का ड्रामा है, अथाह एक्टर्स हैं।
  • इसमें फर्स्टक्लास एक्टर्स हैं यह लक्ष्मी-नारायण, उन्हों का नम्बरवन पार्ट है।
  • विष्णु सो ब्रह्मा सरस्वती फिर ब्रह्मा सरस्वती सो विष्णु बनते हैं।
  • यह 84 जन्मों का चक्र कैसे लगाते हैं, वह सारा बुद्धि में आ जाता है।
  • व्यापारी लोग चौपड़ा रखते हैं तो उस पर स्वास्तिका निकालते हैं।
  • गणेश की पूजा करते हैं। यह है बेहद का चौपड़ा।
  • स्वास्तिका में 4 भाग होते हैं।
  • जैसे पुरी में चावल का हाण्डा रखते हैं।
  • वह पक जाता है तो 4 भाग हो जाते हैं।
  • वहाँ चावल का ही भोग लगता है।
  • अभी तुम बच्चों को कौन पढ़ा रहे हैं?
  • मोस्ट बिलवेड बाप आकर तुम्हारा सर्वेन्ट बना है, तुम्हारी सेवा करते हैं।
  • मनुष्य तो कह देते आत्मा निर्लेप है।
  • अभी तुम जानते हो - आत्मा में 84 जन्मों का पार्ट है ही।
  • उनको फिर निर्लेप कहना कितना रात-दिन का फर्क हो जाता है।
  • जब यह कोई अच्छी रीति मास डेढ़ बैठ समझेंगे तब प्वाइंट्स बुद्धि में बैठेंगी।
  • दिन-प्रतिदिन प्वाइंट्स बहुत निकलती रहती हैं।
  • यह है जैसे कस्तूरी।
  • शास्त्रों में तो कुछ भी सार नहीं है।
  • बाबा कहते हैं - वह अब बुद्धि से निकाल दो।
  • ज्ञान सागर एक मैं ही हूँ।
  • जब पूरा निश्चय बैठता है तो समझते हैं - बरोबर यह सब भक्तिमार्ग के लिए है।
  • परमपिता परमात्मा ही आकर दुर्गति से सद्गति करते हैं।
  • सीढ़ी पर भी क्लीयर दिखाना है।
  • भक्ति मार्ग शुरू होता है तो रावण राज्य शुरू होता है।
  • अभी गीता एपीसोड रिपीट हो रहा है।
  • बाप कहते हैं - मैं कल्प-कल्प, कल्प के संगमयुगे आता हूँ।
  • उन्होंने फिर कच्छ मच्छ अवतार कह दिया है।
  • 24 अवतार कह देते हैं।
  • बाबा कहते हैं - अब तुम पर ब्रहस्पति की दशा है।
  • मैंने तुमको स्वर्ग का मालिक बनाया।
  • अब रावण ने राहू की दशा बिठा दी है।
  • अब फिर बाप आये हैं स्वर्ग का मालिक बनाने।
  • तो अपने को घाटा नहीं डालना चाहिए।
  • व्यापारी लोग अपना खाता हमेशा ठीक रखते हैं।
  • घाटा डालने वाले को अनाड़ी कहा जाता है।
  • अब तो यह सबसे बड़ा व्यापारी है।
  • कोई बिरला व्यापारी व्यापार करे।
  • यही अविनाशी व्यापार है और व्यापार तो सब मिट्टी में मिल जाने वाले हैं।
  • अभी तुम्हारा सच्चा व्यापार हो रहा है।
  • बाप है बेहद का सौदागर, रत्नागर... और ज्ञान का सागर कहा जाता है।
  • प्रदर्शनी में देखो कितने आते हैं।
  • सेन्टर में कोई मुश्किल आयेंगे।
  • भारत तो बहुत लम्बा चौड़ा है ना।
  • सब जगह तुमको जाना है।
  • पानी की गंगायें तो सारे भारत में नहीं हैं।
  • यह भी तुमको समझाना पड़े कि पानी की गंगा कोई पतित-पावनी नहीं है।
  • तुम ज्ञान गंगाओं को जाना पड़ेगा।
  • चारों तरफ प्रदर्शनी मेले करते रहेंगे।
  • दिन-प्रतिदिन चित्र भी अच्छे-अच्छे बनते रहेंगे।
  • शोभनिक चित्र ऐसे हों जो देखने से ही खुशी आ जाए कि यह तो ठीक समझाते हैं।
  • अब लक्ष्मी-नारायण की राजधानी स्थापन हो रही है।
  • अभी ब्राह्मण धर्म की स्थापना हो रही है।
  • यह ब्राह्मण ही देवी-देवता बनते हैं।
  • तुम अभी पुरुषार्थ कर रहे हो तो दिल में अपने से पूछते रहो कि हमारे में कोई छोटा-मोटा काँटा तो नहीं है!
  • काम का काँटा तो नहीं है!
  • क्रोध का छोटा सा काँटा वह भी बहुत खराब है।
  • देवतायें क्रोधी नहीं होते हैं।
  • दिखाते हैं शंकर की ऑख खुलने से विनाश हो जाता है।
  • यह भी एक कलंक लगाया है।
  • विनाश तो होना ही है।
  • सूक्ष्मवतन में शंकर को कोई सर्प आदि थोड़ेही हो सकते हैं।
  • वहाँ धरती ही कहाँ जो सर्प आदि निकलें।
  • आसमान में थोड़ेही सर्प घूमेंगे।
  • सूक्ष्मवतन और मूलवतन में बाग बगीचे सर्प आदि कुछ भी नहीं होते।
  • यह सब यहाँ होते हैं।
  • स्वर्ग भी यहाँ ही होता है।
  • इस समय मनुष्य काँटे मिसल हैं, इसलिए इनको काँटों का जंगल कहा जाता है।
  • सतयुग है फूलों का बगीचा।
  • तुम देखते हो - बाबा कैसे बगीचा बनाते हैं।
  • मोस्ट ब्युटीफुल बनाते हैं।
  • सबको हसीन बनाते हैं।
  • खुद तो एवर हसीन है।
  • सब सजनियों को अर्थात् बच्चों को हसीन बनाते हैं।
  • रावण ने बिल्कुल काला बना दिया है।
  • अब तुम बच्चों को खुशी होनी चाहिए - हमारे ऊपर ब्रहस्पति की दशा बैठी है।
  • आधा समय दु:ख, आधा समय सुख हो, इससे फायदा ही क्या?
  • नहीं, 3 हिस्सा सुख है।
  • यह ड्रामा बना हुआ है।
  • बहुत लोग पूछते हैं कि ड्रामा ऐसा क्यों बनाया है?
  • अरे यह तो अनादि है ना।
  • क्यों बना, यह प्रश्न उठ नहीं सकता।
  • यह अनादि अविनाशी बना बनाया ड्रामा है।
  • बनी बनाई बन रही... किसको मोक्ष नहीं मिल सकता।
  • यह तो अनादि सृष्टि चली आती है, चलती रहेगी।
  • प्रलय होती नहीं।
  • बाबा नई दुनिया बनाते हैं, परन्तु इसमें गुंजाइस कितनी है।
  • जब मनुष्य पतित दु:खी होते हैं तब ही बुलाते हैं।
  • बाबा आकर सबकी काया कल्पवृक्ष समान बनाते हैं।
  • तुम्हारी आत्मा पवित्र बन जाती है तो शरीर भी पवित्र मिलेगा।
  • तो बाप तुम्हारी काया कल्पतरू बनाते हैं।
  • आधाकल्प कब तुम्हारी अकाले मृत्यु नहीं होगी।
  • तुम काल पर जीत पाते हो।
  • तुम बच्चों को बहुत पुरूषार्थ करना चाहिए।
  • जितना ऊंच पद पायें उतना अच्छा है।
  • पुरुषार्थ तो हर एक जास्ती कमाई के लिए करते हैं।
  • लकड़ी वाले भी कहेंगे हम जास्ती लकड़ी ले जायें तो जास्ती कमाई होगी।
  • कोई तो ठगी से भी कमाई करते हैं।
  • वहाँ ऐसे कोई दु:ख की बात नहीं होती।
  • अब तुम बाप से कितना वर्सा लेते हो।
  • अपनी जांच करनी चाहिए कि हम स्वर्ग में जाने लायक हैं? (नारद का मिसाल) शास्त्रों में तो बहुत बातें लिख दी हैं।
  • यह तीर्थ यात्रा आदि सब छोड़ो।
  • गीत भी है ना - चारों तरफ लगाये फेरे फिर भी.... अब बाप तुमको कितनी अच्छी यात्रा सिखलाते हैं, इसमें कोई तकलीफ नहीं।
  • सिर्फ बाप कहते हैं मामेकम् याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
  • बहुत अच्छी युक्ति तुमको सुनाता हूँ।
  • बच्चे सुनते हो!
  • यह मेरा लोन लिया हुआ रथ है।
  • इस बाप को कितनी खुशी होती है।
  • हमने बाप को अपना शरीर लोन में दिया है।
  • बाप हमको विश्व का मालिक बनाते हैं।
  • नाम भी है भागीरथ।
  • तुम जानते हो बाम्बस आदि तैयार हो रहे हैं।
  • आग लगनी है।
  • रावण का बुत भी बनाते हैं, मारने लिए।
  • यहाँ मारने आदि की तो बात नहीं।
  • कहाँ मारने आदि की बात, कहाँ यह रावणपुरी खत्म हो रही है।
  • तुम बच्चे रामपुरी में चलने के लिए पुरूषार्थ कर रहे हो।
  • तो पूरा पुरुषार्थ करना है, काँटा नहीं बनना है।
  • तुम ब्राह्मण ब्राह्मणियाँ हो।
  • सबका आधार मुरली पर है।
  • मुरली तुमको नहीं मिलेगी तो तुम क्या करेंगे।
  • ऐसे नहीं कि सिर्फ एक ब्राह्मणी को ही मुरली सुनानी है।
  • कोई भी मुरली पढ़कर सुना सकते हैं।
  • बोलना चाहिए - आज तुम सुनाओ।
  • अब तो समझाने के लिए चित्र भी अच्छे बने हैं।
  • यह मुख्य चित्र तो अपनी दुकान में रख बहुतों का कल्याण करो।
  • उस सौदे के साथ-साथ यह सौदा भी करो।
  • यह बाबा के अविनाशी ज्ञान रत्नों का दुकान है।
  • बाबा कोई मना नहीं करते हैं कि मकान आदि नहीं बनाओ।
  • भल बनाओ।
  • पैसा तो मिट्टी में मिल जायेगा।
  • इससे क्यों नहीं मकान बनाकर आराम से रहो।
  • पैसे काम में लगाने चाहिए।
  • मकान भी बनाओ, खाने के लिए भी रखो, दान-पुण्य भी करो।
  • कश्मीर का राजा मरा तो अपनी प्राइवेट प्रापर्टी जो थी वह सब आर्य समाजियों को दान में दे गया।
  • अपने धर्म के लिए करते हैं ना।
  • यहाँ तो वह कोई बात नहीं।
  • सब बच्चे हैं, दान आदि की बात नहीं।
  • वह है हद का दान।
  • मैं तो तुमको विश्व की बादशाही देता हूँ।
  • ड्रामा अनुसार भारतवासी ही राज्य भाग्य लेंगे।
  • भक्ति मार्ग में व्यापारी लोग कुछ न कुछ धर्माऊ जरूर निकालते हैं।
  • उसका भी दूसरे जन्म में अल्पकाल के लिए मिलता है।
  • अब तो मैं डायरेक्ट आया हूँ तो तुम इस कार्य में लगाओ।
  • मुझे तो कुछ नहीं चाहिए।
  • शिवबाबा को अपने लिए मकान बनाना है क्या!
  • यह सब ब्राह्मणों का है।
  • गरीब, साहूकार सब इकट्ठे रहते हैं।
  • तो यह सब बच्चों का ही है।
  • देखा जाता है घर में यह कैसे आराम से रहते हैं, तो वह प्रबन्ध देना पड़े इसलिए कहते हैं सबकी खातिरी करो।
  • कोई चीज़ न हो तो मिल सकती है।
  • बाप को तो बच्चों पर लव रहता है।
  • इतना लव और कोई का रह नहीं सकता।
  • बच्चों को कितना समझाते हैं - पुरुषार्थ करो औरों के लिए भी युक्ति रचो।
  • इसमें चाहिए सिर्फ 3 पैर पृथ्वी, जिसमें बच्चियाँ समझाती रहें।
  • कोई बड़े आदमी का हाल हो, बोलो हम जरूरी चित्र रख देते हैं।
  • एक दो घण्टा सुबह शाम क्लास करके चले जायेंगे।
  • खर्चा सब हमारा, नाम तुम्हारा होगा।
  • बहुत आकर कौड़ी से हीरे जैसा बनेंगे।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) अविनाशी बाप से सच्चा-सच्चा अविनाशी व्यापार करना है।
    • उस सौदे के साथ इस सौदे में भी समय देना है।
    • ज्ञान गंगा बन सबको पावन बनाना है।
  • 2) ब्राह्मण जीवन का आधार मुरली है जो प्यार से सुननी और सुनानी है।
    • अन्दर कोई भी काँटा हो तो उसे निकाल देना है।
    • अवगुणों का दान करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • सहनशीलता के गुण द्वारा कठोर संस्कार को भी शीतल बनाने वाले सन्तुष्टमणी भव
  • जिसमें सहनशीलता का गुण होता है वह सूरत से सदैव सन्तुष्ट दिखाई देता है, जो स्वयं सन्तुष्ट मूर्त रहते हैं वह औरों को भी सन्तुष्ट बना देते हैं।
  • सन्तुष्ट होना माना सफलता पाना।
  • जो सहनशील होते हैं वह अपनी सहनशीलता की शक्ति से कठोर संस्कार वा कठिन कार्य को शीतल और सहज बना देते हैं।
  • उनका चेहरा ही गुणमूर्त दिखाई देता है।
  • वही ड्रामा की ढाल पर ठहर सकते हैं।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • जो वाणी द्वारा नहीं बदलते उन्हें शुभ वायब्रेशन द्वारा बदल सकते हो।