23-10-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन




"मीठे बच्चे - रावण की मत पर कोई भी विकर्म मत करो, पतितों को पावन बनने का रास्ता बताओ''

प्रश्नः-

सयाने सेन्सीबुल बच्चे कौन सा पुरुषार्थ करते हुए एक श्रीमत का ध्यान अवश्य रखेंगे?

उत्तर:-

सेन्सीबुल बच्चे ऊंच पद पाने के लिए निरन्तर याद में रहने का पुरुषार्थ करते हुए सदैव इस श्रीमत का ध्यान रखेंगे कि हमको निमित्त बन अनेक आत्माओं का कल्याण करना है।

जो बहुतों का कल्याण करते हैं, उनका कल्याण स्वत: ही हो जाता है।

 

गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ...


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चों की बुद्धि में अभी नई दुनिया और पुरानी दुनिया दोनों हैं क्योंकि बच्चे जानते हैं पुरानी दुनिया का विनाश अभी होने वाला है और नई दुनिया बाप ही रचते हैं।
  • बच्चे जानते हैं शिव की जयन्ती भी मनाते हैं, रात्रि भी मनाते हैं।
    • दोनों अक्षर का अर्थ दुनिया में कोई नहीं जानते।
    • शिव जयन्ती अर्थात् शिव का जन्म।
    • अब यह तो मनुष्य का जन्म मनाते हैं, शिव का जन्म तो होता ही नहीं।
    • समझते नहीं कि जन्म कैसे लेते हैं।
    • श्रीकृष्ण का तो गाया हुआ है कि उनका जन्म हुआ है।
    • शिव जयन्ती के लिए कोई वर्णन ही नहीं है।
  • गाया हुआ भी है परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा स्थापना करते हैं।
    • क्या ऊपर सूक्ष्मवतन में बैठ किसको प्रेरणा करते हैं?
    • यह तो हो नहीं सकता।
    • याद तो करते ही हैं पतित-पावन बाप को।
    • जब बाप खुद आकर समझाये तब मनुष्यों की बुद्धि में बैठे।
    • यह ड्रामा में होने कारण, बाप को आना ही है संगम पर।
    • तुम बच्चे जानते हो कि बाप आया हुआ है, परन्तु अभी तक ऐसा कोई मुश्किल ही समझते हैं, यह ओपीनियन में कोई नहीं लिखते हैं कि बरोबर परमात्मा ब्रह्मा द्वारा भारत को फिर से श्रेष्ठाचारी, सतयुगी दुनिया बना रहे हैं।
    • यथार्थ रीति कोई समझते नहीं हैं कि बाप आया हुआ है।
    • स्वर्ग की राजाई का वर्सा दे रहे हैं।
    • राजयोग सिखला रहे हैं।
    • हजारों आते हैं फिर कोई ठहरते हैं, उनसे भी आते-आते फिर घटते जाते हैं।
    • कितने तमोप्रधान बुद्धि बने हैं, जो इतनी सहज बात समझ नहीं सकते।
  • बाप कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो जाएं।
    • यह योग अग्नि है, जिससे तुम सतोप्रधान बन जायेंगे।
    • कोई भी विकर्म नहीं करो।
    • विकर्म कराने वाला है रावण, उनकी मत पर नहीं चलो।
    • कोई को दु:ख न दो।
  • बाप आया है पतितों को पावन बनाने।
    • बाबा कहते हैं तुम्हारा भी यही धन्धा है।
    • रात-दिन यही चिंतन करो।
    • हम पतितों को पावन बनने का रास्ता कैसे बतायें!
    • रास्ता बहुत सहज है।
    • योगबल से ही हम सतोप्रधान बनेंगे।
    • यह है अविनाशी सर्जन की दवाई।
    • यह कोई मन्त्र आदि नहीं है।
    • यह तो बाप को सिर्फ याद करना है।
    • कितना क्लीयर समझाते हैं।
    • कल्प-कल्प यह समझाया था।
  • गाते भी हैं ज्ञान, भक्ति, वैराग्य।
    • वैराग्य किसका?
    • इस पुरानी छी-छी दुनिया का।
    • पुरानी दुनिया में बिल्कुल पाप आत्मा बन गये हैं।
  • कहते भी हैं पतित-पावन, लिबरेटर आओ।
    • लिबरेट किससे करना है?
    • दु:ख से।
    • रावण राज्य से।
    • रावण को अंग्रेजी में ईविल (शैतान) कहते हैं।
    • तो कहते हैं शैतान राज्य से मुक्त कर घर ले चलो।
    • हमारा गाइड बन साथ ले चलो।
    • जैसे कोई जेल से छुड़ाए बहुत प्यार से घर में ले जाते हैं।
    • बेहद का बाप सब बच्चों को खातिरी देते हैं - तुमको हम जेल से छुड़ाने आया हूँ।
    • मेले, प्रदर्शनी में भी यह मॉडल रूप में दिखाया गया है।
    • कैसे सब जेल में पड़े हैं फिर भी मनुष्य कुछ समझते थोड़ेही हैं।
  • बाप कितना सहज रीति समझाए विश्व का मालिक बनाते हैं।
    • कहते हैं मुझे याद करो तो तुम्हारे पाप कट जायेंगे।
    • तुम सतयुग के मालिक बन जायेंगे।
    • कितना सहज है।
    • कोई भी धर्म वाला समझ जाए।
    • बताना चाहिए, फलाना धर्म कब स्थापन होता है!
    • अन्त में सभी आत्मायें अपने-अपने सेक्शन में चली जायेंगी।
    • फिर शुरू होगा देवी-देवता धर्म।
    • ब्रह्मा द्वारा स्थापना, यह लिखा हुआ है।
  • त्रिमूर्ति का चित्र है नम्बरवन।
    • त्रिमूर्ति और गोला इस चित्र पर बिल्कुल क्लीयर समझाया जा सकता है।
    • यह भी समझाया है एक है शान्तिधाम, दूसरा है सुखधाम और यह है दु:खधाम।
  • इस दु:खधाम से चाहिए वैराग्य।
    • अब भक्ति की रात पूरी हुई, सतयुग त्रेता का दिन शुरू होता है।
    • बाप कहते हैं - अब पुरानी दुनिया खत्म होनी है इसलिए इससे वैराग्य चाहिए।
    • वह है हद का वैराग्य, यह है बेहद का वैराग्य।
  • वह संन्यासी आदि कोई नई दुनिया नहीं रचते हैं, क्रियेटर बाप है ना।
    • उनको कहा जाता है हेविनली गॉड फादर, हेविन स्थापन करने वाला।
    • दूसरा कोई तो है नहीं।
    • पढ़ाई है सतयुगी राजधानी प्राप्त करने के लिए।
  • ज्ञान सागर आकर ज्ञान देते हैं।
    • ज्ञान सागर, पतित-पावन उनको ही कहा जाता है।
    • नॉलेज काहे का?
    • क्या बैरिस्टर सर्जन का नॉलेज?
  • परमात्मा को सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का नॉलेज है।
    • उसमें सब नॉलेज आ जाती है - बैरिस्टरी, इन्जीनियरी आदि सबका मूल माखन है गॉडली नॉलेज।
    • वह जिस्मानी नॉलेज पढ़ना, इन्जीनियर आदि बनना कोई बड़ी बात नहीं है।
    • यह तो तुम जानते हो, सतयुगी नई दुनिया की जो रसम-रिवाज होगी, वही वहाँ चलेगी।
    • हमने जैसे कल्प पहले महल आदि बनाये थे, वही रिपीट करेंगे, उसको कहा ही जाता है सतयुग।
    • वहाँ की रसम-रिवाज को मनुष्य नहीं जानते।
    • वहाँ कैसे हीरे जवाहरों के महल बनते हैं।
  • वह गाये ही जाते हैं 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी।
    • जो रसम-रिवाज होगी उस अनुसार राजाई चलेगी।
    • वह ड्रामा में नूँध है, आत्मायें अपना पार्ट बजायेंगी।
    • मकान कैसे बनायेंगे, कैसे रहेंगे।
    • वह सब नूँध है।
    • जैसे इस पुरानी दुनिया की चलती है वैसे उस दुनिया की चलेगी।
    • यहाँ हैं असुर, वहाँ हैं देवता।
    • शास्त्रों में यह बातें कुछ नहीं हैं।
  • ज्ञान और भक्ति, गाते भी रहते हैं - ब्रह्मा का दिन, ब्रह्मा की रात।
    • ब्रह्मा का ही नाम लेते हैं, विष्णु का नहीं।
    • ब्रह्मा ही विष्णु हो जाते हैं।
    • ब्रह्मा-सरस्वती विष्णु के दो रूप लक्ष्मी-नारायण हैं इसलिए बाबा ने समझाया है कि लक्ष्मी-नारायण ही 84 जन्म बाद यह बनते हैं।
  • राजयोग की तपस्या करते ही यहाँ हैं, सूक्ष्मवतन में नहीं।
    • यज्ञ आदि भी यहाँ रचा जाता है।
    • बाप समझाते हैं यह अन्तिम यज्ञ है फिर सतयुग त्रेता में कोई यज्ञ नहीं होता।
    • किसम-किसम के यज्ञ रचते हैं, बरसात नहीं हुई तो यज्ञ रचेंगे।
    • कोई भी दु:ख आता है तो यज्ञ रचते हैं, समझते हैं यज्ञ से दु:ख टल जायेंगे।
    • यह तो सबसे बड़ा यज्ञ है, जिस ज्ञान यज्ञ से सारी सृष्टि के दु:ख टल जाते हैं।
    • यह है राजस्व अश्वमेध अविनाशी ज्ञान यज्ञ।
    • सब इसमें स्वाहा हो जायेंगे।
    • कितनी अच्छी रीति समझाया जाता है।
  • देहली में मण्डप बनाए मेला किया है, यह भी अच्छा है।
    • मण्डप बनाने में कोई देरी थोड़ेही लगती है।
    • यह जो हाल के लिए इतना हैरान होना पड़ता है, इससे तो अपना मण्डप ले लो।
    • छोटे-छोटे गांव के लिए तो छोटा मण्डप भी बना लो।
    • गांव आदि में बत्ती आदि न हो तो दिन में भी प्रदर्शनी हो सकती है।
    • अपना ही सामान हो, लोन पर क्यों लेवें!
    • बाप डायरेक्शन दे रहे हैं - प्रदर्शनी कमेटी को।
    • वाटरप्रूफ मण्डप बना लेवे।
    • भल बरसात पड़े, हर्जा नहीं।
    • बाबा जब देहली गया था तो ठण्डी में भी मण्डप में जाकर भाषण करते थे।
    • ठण्डी के लिए तो सबको गर्म कपड़े हैं।
    • प्रदर्शनी के लिए तो कितने भी मण्डप बना सकते हो।
    • कोई विघ्न न डाले, अच्छा इन्शोरेन्स कर दो।
    • सर्विस तो करनी होती है ना।
    • समझाना भी है, बाप का पूरा परिचय देना है।
    • अभी तो हम बाप के साथ हैं।
  • ज्ञान सागर बाप से हमें ज्ञान मिल रहा है।
    • सतयुग में ज्ञान की दरकार नहीं रहती।
    • बाप कहते हैं - मैं सद्गति के लिए आया हूँ फिर रावण से दुर्गति होती है।
    • सद्गति दाता तो एक बाप ही है।
  • कितना क्लीयर समझाया जाता है।
    • परन्तु खुद समझते नहीं सिर्फ कह देते हैं - यह मनुष्यों के लिए बहुत अच्छा है।
    • बाकी खुद समझें उसके लिए फुर्सत नहीं।
    • बड़े-बड़े लोगों को भी कितना जाए समझाते हैं।
    • सिर्फ यह समझो कि बाप कैसे श्रेष्ठाचारी दुनिया बनाते हैं।
    • श्रेष्ठाचारी बनाना बाप का काम है, तब तो बाप को पुकारते हैं।
    • गाते रहते हैं दु:ख हरो, सुख दो।
    • यह भी समझते हैं बाप आयेगा तो हम बलिहार जायेंगे।
    • श्रीमत पर एक्यूरेट चलेंगे।
    • फिर भी बाप की श्रीमत पर चलते नहीं।
  • मनुष्यों को तो पता नहीं भगवान क्या चीज़ है।
    • सर्वव्यापी कह देते हैं।
    • अरे पतित-पावन भगवान तो एक है ना।
    • वह सर्वव्यापी कैसे होगा?
    • फिर तो सब भगवान कहलायें।
    • भगवान कोई छोटा बड़ा थोड़ेही होता है।
    • प्रदर्शनी में यह भी दिखाया है - कोई मांस खाते हैं, कोई लड़ते हैं.... क्या यह सब भगवान करते हैं?
    • उस समय मनुष्य खुश होकर चले जाते हैं, बाहर गये फिर वहाँ की वहाँ रही।
    • सिर्फ प्रजा बनती है।
  • राजा बनने के लिए कितना माथा मारते हैं।
    • हाथ सब उठाते हैं - राजा बनने के लिए, फिर 5-7 रोज़ के बाद देखो तो हैं ही नहीं।
    • माया कितनी जबरदस्त है, झट फँसा देती है।
    • राजधानी स्थापन करना कितना डिफीकल्ट है।
    • धर्म स्थापन करने में डिफीकल्टी नहीं है।
    • वहाँ कोई असुरों के विघ्न थोड़ेही पड़ते हैं।
    • यहाँ बच्चे कहते शादी नहीं करेंगे तो बाप कहता शादी तो जरूर करनी है।
    • शादी बिगर दुनिया कैसे चलेगी।
    • अरे शादी न करना तो अच्छा है ना।
    • शादी नहीं करेंगे तो बच्चे भी नहीं होंगे।
    • बर्थ कन्ट्रोल हो जायेगा।
    • बाप समझाते हैं, अब जो करेगा सो पायेगा।
    • आगे चलकर बहुत जल्दी-जल्दी बनेंगे।
    • तुम बच्चे जानते हो जैसे कल्प पहले स्थापना हुई थी वैसे ही होगी।
  • जो दिन बीता वह कल्प पहले मुआफिक, रात को सोते हैं, ख्याल चलता है - आज सारा दिन जो पास हुआ वह ड्रामा अनुसार, फिर कल जो होना होगा सो ड्रामा अनुसार होगा।
    • सिवाए तुम्हारे और किसको भी पता नहीं कि यह ड्रामा है।
    • उसका आदि-मध्य-अन्त क्या है!
    • कुछ पता नहीं।
    • तुमको मालूम है - तुम पुरुषार्थ करते हो और तो सब घोर अन्धियारे में हैं।
    • जो कुछ पार्ट चलता है वह ड्रामा अनुसार।
    • आज यहाँ बैठे हो और कल बीमार हो जाते, वह भी कहेंगे ड्रामा अनुसार भोगना भोगनी है।
    • कल्प-कल्प ऐसे होगा।
    • ड्रामा बुद्धि में है इसलिए कोई फिकरात नहीं होती है।
    • विघ्न पड़ते हैं, काम में देरी पड़ती है - समझते हैं कल्प-कल्प देरी पड़ी होगी।
    • आसार ऐसे मालूम पड़ते हैं।
  • ऊंच पद पाने के लिए पुरुषार्थ बहुत करना है।
    • देखना है कि हम ऊपर चढ़ रहे हैं?
    • बाबा की सर्विस करते हैं कि एक जगह पर खड़े हैं?
    • हम कोई का कल्याण करते हैं?
    • बहुतों का कल्याण करेंगे तो हमारा भी कल्याण होगा।
  • इम्तहान जब पूरा हो जायेगा फिर सब मालूम पड़ जायेगा कि हम यह पद पायेंगे।
    • कल्प-कल्पान्तर की बाजी है।
    • फिर पिछाड़ी में बहुत पछतायेंगे कि हमने इतना समय पुरुषार्थ क्यों नहीं किया?
    • बाबा की श्रीमत पर क्यों नहीं चले?
    • बाबा सिर्फ कहते हैं मनमनाभव, बस।
    • कितने प्यार से कहते हैं बच्चे मुझे याद करो।
    • औरों को भी रास्ता बताने की सर्विस करो।
    • क्यों नही पुरुषार्थ कर ऊंच पद पाना चाहिए!
    • उनको कहेंगे सयाने सेन्सीबुल बच्चे।
    • पढ़ाने वाला भी समझते हैं कि यह श्रीमत पर नहीं चलते हैं, किसका कल्याण नहीं करते हैं तो जरूर पद भी कम मिलेगा।
  • जितना बहुतों को रास्ता बतायेंगे, उतना ऊंच पद पायेंगे।
    • अपने लिए सर्विस करनी है, जो करेगा सो पायेगा।
    • तो पुरुषार्थ करना चाहिए कि हम क्यों नहीं ऐसी सर्विस करें।
    • कहाँ प्रदर्शनी होती है तो वहाँ हॉफ पे पर भी जाकर सर्विस करते हैं।
    • कोई तो फुल पे भी छोड़कर सर्विस करते हैं।
    • बाबा कहते बाल-बच्चों के लिए कुछ चाहिए तो भेज दें।
    • शरीर निर्वाह तो चाहे हजार से करें, चाहे 10 रूपये से करें।
    • पैसा कोई के पास बहुत है तो लाखों रूपया भी खर्चा होता है।
    • बाबा तो कहते भल तुम घास काटते हो, सिर्फ बाप को याद करो तो 21 जन्मों के लिए स्वर्ग का मालिक बन जायेंगे।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों की नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) सब फिकरातों से छूटने के लिए ड्रामा को बुद्धि में यथार्थ रीति रखना है।
    • जो बीता कल्प पहले मुआफिक।
  • 2) रात-दिन यही चिंतन करना है कि हम पतितों को पावन बनाने का रास्ता कैसे बतायें!
    • श्रीमत पर अपना और दूसरों का कल्याण करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • सर्विस वा पुरूषार्थ में सफलता प्राप्त करने वाले डबल ताजधारी भव
  • संगमयुग पर सदा स्वयं को डबल ताजधारी समझकर चलो - एक लाइट अर्थात् प्युरिटी का ताज और दूसरा - जिम्मेवारियों का ताज।
  • प्युरिटी और पावर - लाइट और माइट का क्राउन धारण करने वालों में डबल फोर्स सदा कायम रहता है।
  • ऐसी डबल फोर्स वाली आत्मायें सदा शक्तिशाली रहती हैं।
  • उन्हें सर्विस वा पुरूषार्थ में सदा सफलता प्राप्त होती है।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • दिव्य गुणों के आधार पर मन-वचन और कर्म करना ही दिव्यता है।