22-10-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - माया से डरो मत, भल कितना भी भुलाने की कोशिश करे लेकिन थको नहीं, अमृतवेले उठ याद में रहने का पूरा-पूरा पुरुषार्थ करो''
प्रश्नः-
पुरुषार्थ में आगे नम्बर कौन से बच्चे लेते हैं?
उत्तर:-
जो बाप पर पूरा-पूरा बलि चढ़ते हैं अर्थात् कुर्बान जाते हैं, सबसे आगे वही जाते।
बाप पर बच्चे कुर्बान जाते और बच्चों पर बाप कुर्बान जाते।
तुम अपना कखपन, पुराना तन-मन-धन बाप को देते और बाप तुम्हें विश्व की बादशाही देता इसलिए उसे गरीब निवाज़ कहा जाता है।
गरीब भारत को ही दान देने बाप आये हैं।
गीत:-
नयनहीन को राह दिखाओ....
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- ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे अति मीठे, ऐसे कहेंगे ना!
- बेहद का बाप और बेहद का प्यार है।
- कहते हैं मीठे सिकीलधे बच्चों ने गीत सुना।
- राह एक बाप ही दिखाते हैं।
- भक्ति मार्ग में राह बतलाने वाला कोई है नहीं।
- वहाँ ही ठोकरें खाते रहते हैं।
- अभी भल राह मिली है फिर भी माया बाप के साथ बुद्धियोग लगने नहीं देती है।
- समझते भी हैं एक बाप को याद करने से हमारे सब दु:ख दूर हो जायेंगे, फिकरात की कोई बात नहीं रहेगी, फिर भी भूल जाते हैं।
- बाप कहते हैं - अपने को आत्मा समझ मुझ पतित-पावन बाप को याद करो।
- बाप ज्ञान का सागर है ना।
- वही गीता ज्ञान दाता है।
- स्वर्ग की बादशाही अथवा सद्गति देते हैं।
- कृष्ण को ज्ञान का सागर नहीं कह सकते।
- सागर एक ही होता है।
- इस धरती के चारों तरफ सागर ही सागर है।
- सारा सागर एक ही है।
- फिर उनको बांटा गया है।
- तुम विश्व के मालिक बनते हो तो सारा सागर, धरनी के मालिक तुम बनते हो।
- ऐसे कोई कह न सके, यह हमारा टुकड़ा है।
- हमारी हद के अन्दर न आओ।
- यहाँ तो सागर में भी टुकड़े-टुकड़े कर दिये हैं।
- तुम समझते हो सारा विश्व ही भारत था, जिसके तुम मालिक थे।
- गीत भी है बाबा आपसे हम विश्व की बादशाही लेते हैं जो कोई छीन न सके।
- यहाँ देखो पानी के ऊपर भी लड़ाई है।
- एक दो को पानी देने के लिए लाखों रूपया देना पड़ता है।
- तुम बच्चों को सारे विश्व की राजाई कल्प पहले मिसल मिल रही है।
- बाप ने ज्ञान का तीसरा नेत्र दिया है।
- ज्ञान दाता है ही परमपिता परमात्मा।
- इस समय आकर ज्ञान देते हैं।
- सतयुग में लक्ष्मी-नारायण के पास यह ज्ञान नहीं होगा।
- हाँ, ऐसे कहेंगे आगे जन्म में ज्ञान लेकर यह बने हैं।
- तुम ही थे।
- तुम कहते हो बाबा आप वही हो।
- आपने हमको विश्व का मालिक बनाया था।
- बाप कहते हैं - मेरी मत कोई लम्बी चौड़ी नहीं है।
- वह पढ़ाई कितनी लम्बी चौड़ी होती है।
- यह तो बहुत सहज है।
- रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त को तुम जानकर औरों को बताते रहते हो।
- कैसे 84 का चक्र लगाया है।
- अभी वापिस जाना है बाप के पास।
- यह भी बाप ने बतलाया है - माया के तूफान बहुत आयेंगे, इनसे डरो मत।
- सुबह को उठकर बैठेंगे, बुद्धि और-और ख्यालातों में चली जायेगी।
- दो मिनट भी याद नहीं रहेगी।
- बाप कहते हैं थकना नहीं है।
- अच्छा एक मिनट याद रही फिर कल बैठना, परसों बैठना।
- अन्दर में यह पक्का जरूर करो कि हमें याद करना है।
- अगर कोई विकार में जाता होगा फिर तो बहुत तूफान आयेंगे।
- पवित्रता ही मुख्य है।
- आज यह दुनिया पतित वेश्यालय है।
- कल पावन शिवालय होगा।
- जानते हो यह पुराना शरीर है।
- बाप को याद करते रहेंगे तो कोई भी समय शरीर छूट जाए तो स्वर्ग में चलने लायक बन जायेंगे।
- बाप से कुछ न कुछ ज्ञान तो सुना है ना।
- ऐसे भी हैं जो यहाँ से भागन्ती हो गये हैं फिर भी आकर अपना वर्सा ले रहे हैं।
- यह भी समझाया है अन्त मती सो गति होगी।
- समझो कोई शरीर छोड़ते हैं, संस्कार ज्ञान के ले जाते हैं तो छोटेपन में ही इस तरफ उनको खींच होगी।
- भल आरगन्स छोटे हैं, बोल नहीं सकते परन्तु खींच लेंगे।
- छोटेपन से ही संस्कार अच्छे होंगे।
- सुखदाई बनेंगे।
- आत्मा को ही बाप सिखलाते हैं ना।
- जैसे बाप मिलेट्री वालों का मिसाल समझाते हैं।
- संस्कार ले जाते हैं तो लड़ाई में फिर भरती हो जाते हैं।
- जैसे शास्त्र पढ़ने वाले संस्कार ले जाते हैं तो छोटेपन में ही शास्त्र कण्ठ हो जाते हैं।
- उनकी महिमा भी निकलती है।
- तो यहाँ से जो जाते हैं तो छोटेपन में महिमा निकलती है।
- आत्मा ही ज्ञान धारण करती है ना।
- बाकी रहा हुआ हिसाब-किताब चुक्तू करना पड़ता है।
- स्वर्ग में तो आयेंगे ना।
- बाप के पास आकर मालेकम् सलाम करेंगे।
- प्रजा तो ढेर बनेगी।
- बाप से तो वर्सा लेंगे।
- पिछाड़ी में कहा है ना - अहो प्रभू तेरी लीला...
अभी तुम समझते हो - अहो बाबा आपकी लीला ड्रामा प्लैन अनुसार ऐसी है।
- बाबा आपका एक्ट सभी मनुष्य मात्र से न्यारा है।
- जो बाप की अच्छी सर्विस करते हैं उनको फिर इनाम भी बड़ा अच्छा मिलता है।
- विजय माला में पिरोये जाते हैं।
- यह है रूहानी ज्ञान, जो बाप रूह, रूहों को देते हैं।
- मनुष्य तो सब शरीरों को ही याद करेंगे, कहेंगे शिवानन्द, गंगेश्वरानंद... आदि यह ज्ञान देते हैं।
- यहाँ तो कहेंगे निराकार शिवबाबा ज्ञान देते हैं।
- मैं ऊंच ते ऊंच हूँ।
- मुझ आत्मा का नाम है शिव।
- शिव परमात्माए नम: कहते हैं।
- फिर ब्रह्मा विष्णु शंकर को कहेंगे देवताए नम:, यह भी रचना है, उनसे कोई वर्सा नहीं मिल सकता।
- तुम आपस में भाई-भाई हो।
- भाई को याद करने से वर्सा नहीं मिलेगा।
- यह (ब्रह्मा दादा) भी तुम्हारा भाई है, स्टूडेन्ट है ना।
- पढ़ रहे हैं, इससे वर्सा नहीं मिलेगा।
- यह खुद ही वर्सा पा रहे हैं शिवबाबा से।
- पहले यह सुनते हैं।
- बाप को कहता हूँ बाबा हम तो आपका पहला-पहला बच्चा हूँ।
- आप से हम कल्प-कल्प वर्सा लेते हैं।
- कल्प-कल्प आपका रथ बनता हूँ।
- शिव का रथ ब्रह्मा।
- ब्रह्मा द्वारा विष्णुपुरी की स्थापना।
- तुम ब्राह्मण भी मददगार हो फिर तुम मालिक बनेंगे।
- अभी तुम जानते हो हम 5 हजार वर्ष पहले मुआफिक बाप द्वारा राज्य भाग्य लेते हैं, जिन्होंने कल्प पहले राज्य भाग्य लिया है, वही आयेंगे।
- हर एक के पुरुषार्थ से पता लग जाता है - कौन महाराजा-महारानी बनेंगे, कौन प्रजा बनेंगे।
- पिछाड़ी में तुमको सब साक्षात्कार होगा।
- सारा पुरुषार्थ पर मदार है।
- कुर्बान भी होना होता है।
- बाप कहते हैं - मैं गरीब निवाज हूँ।
- तुम गरीब ही मुझ पर कुर्बान होते हो।
- दान हमेशा गरीबों को ही दिया जाता है।
- समझो कोई कॉलेज बनवाते हैं, वह कोई गरीबों को दान नहीं होता।
- वह कोई ईश्वर अर्थ होता नहीं है, परन्तु दान तो करते हैं ना।
- कॉलेज खोलते हैं तो उनका फल मिलता है।
- दूसरे जन्म में अच्छा पढ़ेंगे।
- यह आशीर्वाद मिलती है।
- भारत में ही सबसे जास्ती दान-पुण्य होता है।
- इस समय तो बहुत दान होता है।
- तुम बाप को दान करते हो।
- बाप तुमको दान करते हैं।
- तुमसे कखपन ले तुमको विश्व की बादशाही देते हैं।
- इस समय तुम तन-मन-धन सब बाप को दान में देते हो।
- वे लोग तो मरते हैं तो विल करके जाते हैं।
- फलाने आश्रम को देना या यह आर्यसमाज ले लेवे।
- वास्तव में दान गरीबों को देना होता है, जो भूखे होते हैं।
- अभी भारत गरीब है ना।
- स्वर्ग में भारत कितना साहूकार होता है।
- तुम जानते हो वहाँ जितना अनाज धन आदि तुम्हारे पास होता है उतना और कोई के पास नहीं हो सकता।
- वहाँ तो कुछ भी पैसा नहीं लगेगा।
- मुट्ठी चावल दान करते हैं, तो रिटर्न में 21 जन्मों के लिए महल मिल जाते हैं।
- जागीर भी मिलेगी।
- अभी तत्व भी तमोप्रधान होने कारण दु:ख देते हैं, वहाँ तत्व सतोप्रधान होते हैं।
- तुम जानते हो - सतयुग में कौन-कौन आयेंगे।
- फिर द्वापर में फलाने-फलाने आयेंगे।
- कलियुग के अन्त में छोटी-छोटी टालियाँ मठ पंथ आदि निकलते रहते हैं ना।
- अभी तुम्हारी बुद्धि में झाड़, ड्रामा आदि की नॉलेज है।
- बाप के पार्ट को भी जानते हो।
- महाभारत लड़ाई में दिखाते हैं - 5 पाण्डव बचे।
- अच्छा फिर क्या हुआ?
- जरूर जो राजयोग सीखे वही जाकर राज्य करेंगे ना।
- आगे तुम भी कुछ जानते थोड़ेही थे।
- बाबा भी गीता आदि पढ़ते थे।
- नारायण की भक्ति करते थे।
- गीता के साथ भी बहुत प्यार था।
- ट्रेन में जाते थे तो भी गीता पढ़ते थे।
- अब देखते हैं कुछ भी समझा नहीं, डिब्बी में ठिकरी।
- भक्तिमार्ग में जो कुछ करते आये परन्तु उद्वार तो हुआ नहीं।
- दुनिया में तो कितना झगड़ा है।
- यहाँ भी तो सब पवित्र बन न सकें, इसलिए झगड़ा पड़ता है।
- बाप शरण लेते भी हैं फिर कहते हैं बीमारी उथलेगी जरूर।
- बच्चे आदि याद पड़ेंगे, इसमें नष्टोमोहा होना पड़े।
- समझना है हम मर गये।
- बाप के बने गोया इस दुनिया से मरे।
- फिर शरीर का भान नहीं रहता।
- बाप कहते हैं - देह सहित जो भी सम्बन्ध हैं, उनको भूल जाना है।
- इस दुनिया में जो कुछ देखते हो वह जैसे कुछ भी है नहीं।
- यह पुराना शरीर भी छोड़ना है।
- हमको जाना है घर।
- घर जाकर फिर आकर नया सुन्दर शरीर लेंगे।
- अभी श्याम हैं फिर सुन्दर बनेंगे।
- भारत अभी श्याम है, फिर सुन्दर बनेगा।
- अभी भारत है कांटों का जंगल।
- सब एक दो को काटते रहते हैं।
- कोई बात पर बिगड़ पड़ते हैं तो गाली देते हैं, लड़ पड़ते हैं।
- तुम बच्चों को घर में भी बहुत मीठा बनना है।
- नहीं तो मनुष्य कहेंगे इसने तो 5 विकार दान दिये हैं फिर क्रोध क्यों करते।
- शायद क्रोध दान नहीं दिया है।
- बाप कहते हैं - बच्चे झोली में 5 विकार दान में दे दो तो तुम्हारा ग्रहण छूट जाए।
- चन्द्रमा को ग्रहण लगता है ना।
- तुम भी अब सम्पूर्ण बनते हो तो बाप कहते हैं यह विकार दान में दे दो।
- तुमको स्वर्ग की बादशाही मिलती है।
- आत्मा को बाप से वर्सा मिलता है।
- आत्मा कहती है इस पुरानी दुनिया में बाकी थोड़ा टाइम है।
- काम उतार देना है।
- ख्यालात कोई भी उतार देने चाहिए।
- बाबा जानते हैं अनेक प्रकार के ख्यालात आयेंगे।
- धन्धे के ख्यालात आयेंगे।
- भक्ति मार्ग में भक्ति करते समय ग्राहक, धंधाधोरी याद पड़ता है तो फिर अपने को चुटकी से काटते हैं।
- हम नारायण की याद में बैठा हूँ फिर यह बातें याद क्यों आई!
- तो यहाँ भी ऐसे होता है।
- जब इस रूहानी सर्विस में अच्छी रीति लग जाते हैं तो फिर समझाया जाता है - अच्छा छोड़ो धन्धेधोरी को।
- बाबा की सर्विस में लग जाओ।
- कहते हैं छोड़ो तो छूटे ।
- देह-अभिमान छोड़ते जाओ।
- सिर्फ बाप को याद करो तो बन्दर से मन्दिर लायक बन जायेंगे।
- भ्रमरी का, कछुओं का भी सब मिसाल बाप देते हैं जो फिर भक्ति मार्ग में वो लोग दृष्टान्त देते हैं।
- अभी तुम जानते हो कीड़े कौन हैं।
- तुम हो ब्राह्मणियाँ।
- तुम भूँ-भूँ करती हो।
- यह दृष्टान्त अभी का है।
- वह बता न सकें।
- त्योहार आदि सब इस समय के हैं।
- सतयुग त्रेता में कोई त्योहार होता नहीं।
- यह सब है भक्ति मार्ग के।
- अब देखो कृष्ण जयन्ती थी।
- कृष्ण मिट्टी का बनाया, उनकी पूजा की फिर जाकर लेक में डुबो दिया।
- अभी तुम समझते हो यह क्या करते हैं।
- यह है अन्धश्रद्धा।
- तुम किसको समझायेंगे, वह समझेंगे नहीं।
- कोई को बीमारी आदि हुई तो कहेंगे देखो तुमने कृष्ण की पूजा छोड़ दी है इसलिए यह हाल हुआ है।
- ऐसे बहुत ही आश्चर्यवत सुनन्ती, कथन्ती भागन्ती हो जाते हैं इसलिए ब्राह्मणों की माला बन नहीं सकती।
- ऊंच ते ऊंच यह ब्राह्मण कुल भूषण हैं।
- परन्तु उनकी माला बन नहीं सकती।
- तुम्हारी बुद्धि में है यह शिवबाबा की माला है फिर हम जाकर सतयुग में नम्बरवार विष्णु की माला के दाने बनेंगे।
- तुम्हारा एक-एक अक्षर ऐसा है जो कोई समझ न सके।
- बाप पढ़ाते रहते हैं।
- वृद्धि को पाते रहते हैं।
- प्रदर्शनी में कितने आते हैं।
- कहते भी हैं हम आकर समझेंगे फिर गये घर में और खलास।
- वहाँ की वहाँ रही।
- कहते हैं प्रभू से मिलने के लिए राह बहुत अच्छी बताते हैं।
- परन्तु हम उस पर चलें, वर्सा लेवें यह बुद्धि में नहीं आता।
- बहुत अच्छी सेवा कर रही हैं ब्रह्माकुमारियाँ।
- बस, अरे तुम भी समझो ना।
- जिस्मानी सेवा करते रहते हो।
- अब यह रूहानी सेवा करो।
- सोसाइटी की सेवा तो सभी मनुष्य करते रहते हैं।
- मुफ्त में तो कोई सेवा नहीं करते।
- नहीं तो खायेंगे कहाँ से।
- अभी तुम बच्चे बहुत अच्छी सेवा करते हो।
- तुमको भारत के लिए बहुत तरस रहता है।
- हमारा भारत क्या था फिर रावण ने किस गति में लाया है।
- अब हम बाप की श्रीमत पर चल वर्सा जरूर लेंगे।
- अभी तुम जानते हो हम हैं संगमयुगी, बाकी सब हैं कलियुगी।
- हम उस पार जा रहे हैं।
- जो बाप की याद में अच्छी रीति रहेंगे वह ऐसे बैठे-बैठे याद करते-करते शरीर छोड़ देंगे।
- बस फिर आत्मा वापिस आयेगी नहीं।
- बैठे-बैठे बाप की याद में गया।
- यहाँ हठयोग आदि की कोई बात नहीं।
- जैसे देखते हो ध्यान में बैठे-बैठे चले जाते हैं, वैसे तुम बैठे-बैठे यह शरीर छोड़ देंगे।
- सूक्ष्मवतन जाकर फिर बाप के पास चले जायेंगे।
- जो याद के यात्रा की बहुत मेहनत करेंगे वह ऐसे शरीर छोड़ देंगे।
- साक्षात्कार हो जाता है।
- जैसे शुरू में तुमको बहुत साक्षात्कार हुए वैसे पिछाड़ी में भी तुम बहुत देखेंगे।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) मन्दिर लायक बनने के लिए देह-अभिमान छोड़ देना है। रूहानी सेवा में लग जाना है।
- 2) अब घर जाने का समय है इसलिए जो भी हिसाब-किताब है, धन्धे धोरी के ख्यालात हैं, उन्हें उतार देना है।
- याद के यात्रा की मेहनत करनी है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- योगयुक्त स्थिति द्वारा सूक्ष्म व कड़े बंधनों को क्रास करने वाले बन्धनमुक्त भव
- योगयुक्त की निशानी है - बन्धनमुक्त।
- योगयुक्त बनने में सबसे बड़ा अन्तिम बंधन है - स्वयं को समझदार समझकर श्रीमत को अपने बुद्धि की कमाल समझना अर्थात् श्रीमत में अपनी बुद्धि मिक्स करना, जिसे बुद्धि का अभिमान कहा जाता है।
- 2-जब कभी कोई कमजोरी का इशारा देता है अथवा बुराई करता है - यदि उस समय जरा भी व्यर्थ संकल्प चला तो भी बंधन है।
- जब इन बंधनों को क्रास कर हार-जीत, निंदा-स्तुति में समान स्थिति बनाओ तब कहेंगे सम्पूर्ण बन्धनमुक्त।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- पहले सोचना फिर करना - यही ज्ञानी तू आत्मा का गुण है।
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