20-10-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - तुम्हें योगबल से रावण दुश्मन पर जीत पानी है, मनुष्य से देवता बनने के लिए दैवीगुण धारण करने हैं''
प्रश्नः-
सभी बच्चे बाप की श्रीमत पर एक जैसा नहीं चलते हैं - क्यों?
उत्तर:-
क्योंकि बाप जो है, उसको सभी ने एक जैसा पहचाना नहीं है।
जब पूरा पहचानेंगे तब श्रीमत पर चलेंगे।
2- माया दुश्मन श्रीमत पर चलने से रोक लेती है इसलिए बच्चे बीच-बीच में अपनी मत चला देते हैं।
फिर कहते बाबा माया के तूफान आते हैं, आपकी याद भूल जाती है।
बाबा कहते बच्चे - रावण माया से डरो मत।
जोर से पुरूषार्थ करो तो वह थक जायेगी।
गीत:-
न वह हमसे जुदा होंगे...
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- ओम् शान्ति।
- तुम सिंगल आत्मा हो।
- हर एक कहेंगे ओम् शान्ति।
- यह डबल है इनको दो बार कहना पड़े - ओम् शान्ति, ओम् शान्ति।
- अब बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं - तुम यहाँ युद्ध के मैदान में बैठे हो।
- ऐसे नहीं कि जैसे वो लोग आपस में लड़ते हैं।
- ऐसे तो घर-घर में लड़ते-झगड़ते रहते हैं।
- मैजारिटी की बात की जाती है।
- नम्बरवन है देह-अभिमान, सेकेण्ड है काम।
- अभी तुम याद के बल से 5 विकारों रूपी रावण पर जीत पाते हो।
- याद का बल है तो तुम गिरेंगे नहीं।
- तुम्हारी एक रावण से ही युद्ध है।
- वहाँ तो अनेक प्रकार की बातें होती हैं।
- यहाँ एक ही बात है।
- तुम्हारी युद्ध है ही रावण के साथ।
- तुमको सिखलाने वाला कौन है?
- पतित-पावन भगवान।
- वह है ही पतित से पावन बनाने वाला।
- पावन अर्थात् देवता, तुम विश्व के मालिक बनते हो।
- यह कोई मनुष्य समझते नहीं कि रावण द्वारा तुम पतित बने हो।
- बाप ने समझाया है इस समय सारी दुनिया में रावण का राज्य है।
- वैसे रामराज्य होता है सतयुग, त्रेता में।
- तो भी सारी दुनिया में कहेंगे।
- परन्तु वहाँ इतने मनुष्य नहीं होते।
- तुम विश्व का राज्य ले रहे हो योगबल से।
- ऐसे भी नहीं यहाँ बैठते हो तब ही बाप को याद करना है वा स्वदर्शन चक्र फिराना है, बस।
- यह तो हर वक्त बुद्धि में रहना चाहिए।
- हमने स्वर्ग में आधाकल्प राज्य किया फिर रावण का श्राप मिलने से उतरते हैं।
- उतरने में टाइम तो लगता है।
- 84 पौढ़ी (सीढ़ी) उतरनी पड़ती हैं।
- चढ़ती कला में पौढ़ियाँ तो हैं नहीं, अगर पौढ़ियां हों तो सेकेण्ड में जीवनमुक्ति कैसे कहा जाए?
- कहाँ तुमको 2500 वर्ष उतरने में लगते हैं और कहाँ तुम थोड़े ही वर्षों में चढ़ती कला में आ जाते हो।
- तुम्हारा है योगबल।
- उनका है बाहुबल।
- द्वापर से लेकर उतरते हैं फिर बाहुबल शुरू होता है।
- सतयुग में मारने की बात हो नहीं सकती।
- कृष्ण के लिए जो दिखाया है - उखरी से बांधा।
- ऐसी कोई बात हो नहीं सकती।
- वहाँ बच्चा कभी चंचल होता नहीं।
- वह तो सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण होता है।
- कृष्ण को कितना याद करते आते हैं।
- अच्छी चीज़ की याद आती है ना।
- जैसे दुनिया में 7 वन्डर्स हैं तो मनुष्यों को याद आते हैं, देखने जाते हैं।
- आबू में अच्छे ते अच्छी क्या चीज़ है, जो मनुष्य देखने आते हैं?
- रिलीजस आदमी तो आते ही हैं मन्दिर देखने।
- भक्ति मार्ग में तो मन्दिर बहुत होते हैं।
- सतयुग त्रेता में कोई मन्दिर होता नहीं।
- मन्दिर बाद में बनते हैं, यादगार के लिए।
- सतयुग में त्योहार आदि कोई होते नहीं।
- दीपावली भी ऐसे नहीं होती।
- हाँ, तख्त पर बैठते हैं तो कारोनेशन डे मनाते हैं।
- वहाँ तो ज्योत सबकी जगी हुई होती है।
- तुम्हारे पास एक गीत भी है - नवयुग आया... यह सिर्फ तुमको पता है हम नवयुग अर्थात् सतयुग के लिए, देवी-देवता बनने के लिए पुरुषार्थ कर रहे हैं।
- पढ़ाई तो पूरी रीति पढ़नी चाहिए।
- जहाँ जीना है ज्ञान अमृत पीना है।
- यह नॉलेज है सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जानना है।
- इसमें कोई भाषा आदि नहीं सीखी जाती है।
- सिर्फ बाप को याद करना है और स्वदर्शन चक्र फिराना है, बस।
- यहाँ तुम बैठे हो।
- स्वदर्शन चक्रधारी हो।
- बुद्धि में है - हमारा 84 जन्मों का चक्र पूरा हुआ।
- अब पुराना शरीर, पुराना सम्बन्ध छोड़कर नया लेना है।
- विष्णुपुरी का मालिक बनने के लिए बाबा पुरूषार्थ करा रहे हैं।
- दुनिया में और सब हैं आसुरी सम्प्रदाय।
- भगवानुवाच - यह वही गीता का युग चल रहा है।
- यह है कल्प-कल्प का संगमयुग।
- बाप कहते हैं - मैं इस कल्प के संगमयुग पर आता हूँ।
- मैं वही गीता का भगवान हूँ।
- यहाँ आता हूँ नई दुनिया स्वर्ग रचने, मैं द्वापर में कैसे आऊंगा।
- यह एक बड़ी भूल है।
- कोई छोटी कोई बड़ी भूल होती है।
- यह बड़े ते बड़ी भूल है।
- शिव भगवान जो पुनर्जन्म रहित है, उनके बदले 84 जन्म लेने वाले का नाम लिख दिया है।
- तुम अभी जानते हो कि श्रीकृष्ण तो ऐसे कह न सके कि मामेकम् याद करो।
- सब धर्म वाले थोड़ेही उनको मानेंगे।
- शिव तो निराकार है।
- तुम शिव शक्ति सेना हो।
- शिवबाबा के साथ योग लगाकर शक्ति लेते हो।
- इसमें मेल-फीमेल की बात नहीं।
- तुम आत्मायें सब ब्रदर्स हो।
- सभी बाप से शक्ति ले रहे हो।
- वर्सा बाप ही देगा ना।
- वह बाप ही सर्वशक्तिमान् है।
- इन लक्ष्मी-नारायण को भी कहेंगे सर्वशक्तिमान् क्योंकि सारे विश्व के मालिक हैं।
- उन्होंने यह राज्य कैसे पाया?
- अभी भारत तो क्या सारी दुनिया में रावण राज्य है।
- कोई राजायें होते हैं तो मालूम होता है, उनके बड़ों ने यह राजाई की है, जो चलती आती है।
- यह तो सतयुग आदि से चले हैं तो जरूर आगे जन्म में ऐसा पुरुषार्थ किया होगा।
- पतित राजाई मिलती है दान-पुण्य करने से।
- यहाँ तो इस संगम पर ज्ञान और योगबल से 21 जन्म के लिए राज्य पाते हो।
- तुम जानते हो यह पुरानी दुनिया सारी विनाश होनी है।
- यह देह भी नहीं रहेगी, इसलिए अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है।
- बाबा-बाबा कहना सीखो।
- जैसे जिस्मानी बच्चों को सिखाया जाता है तो वह उसी बाप को याद करते हैं।
- अभी रूहानी बाप तुम बच्चों को कहते हैं हे बच्चे, यह नई बात है।
- बाप कहते हैं - अब मुझ रूहानी बाप को याद करो क्योंकि वापिस घर चलना है।
- आत्मा तो अविनाशी है, शरीर विनाशी है तो ताकत वाला कौन ठहरा?
- शरीर आत्मा के आधार पर चलता है।
- आत्मा चली जाती है तो शरीर को आग में जलाना पड़ता है।
- आत्मा तो है ही अविनाशी।
- वह बिन्दी की बिन्दी ही है।
- उस आत्मा को कोई भी नहीं जानते हैं।
- भल करके कोई को साक्षात्कार होता है फिर भी क्या!
- उनको तो यह पता ही नहीं है कि आत्मा जो बिन्दी है, उनमें 84 जन्मों का अविनाशी पार्ट भरा हुआ है।
- यह बातें तुम्हारी ही बुद्धि में हैं।
- राजयोग सिखलाने वाला है ही वह बाप।
- बाकी बैरिस्टर, वकील, इन्जीनियर आदि तो चले आते हैं।
- यहाँ बनना है मनुष्य से देवता।
- हैं वह भी मनुष्य परन्तु उनको देवता कहा जाता है।
- देवता अर्थात् दैवी गुण धारण करने वाले।
- तुमको पुरुषार्थ कर ऐसा दैवीगुणों वाला बनना है।
- यह है एम आबजेक्ट।
- तुम जानते हो इन देवताओं में कौन से गुण हैं!
- ऐसा हमको बनना है।
- प्रजा भी होगी ना।
- प्रजा ढेर की ढेर बनती है।
- बाकी राजा-रानी बनने में मेहनत लगती है।
- जो मेहनत बहुत करेंगे वह राजा-रानी बनेंगे।
- जो बहुतों को नॉलेज देंगे, वह हर एक अपनी दिल से समझ सकते हैं।
- आत्मा कहती है - हम बेहद बाप का बन ही जाऊंगा।
- उन पर वारी जाऊंगा, कुर्बान जाऊंगा।
- जो कुछ मेरे पास है सब वारी जाऊंगा।
- ईश्वर को तो देते हैं ना।
- आप आयेंगे तो हम कुर्बान जायेंगे।
- उसके बदले आपसे नया तन-मन-धन लेंगे।
- मन नया कैसे लेंगे?
- आत्मा को नया (पवित्र) बनायेंगे।
- फिर शरीर भी नया लेंगे।
- राजधानी भी लेंगे।
- अब तुम ले रहे हो ना।
- आत्मा कहती है हे बाबा इस शरीर सहित आपकी हूँ।
- बाबा हम आपकी शरण आता हूँ।
- सब रावण राज्य में बहुत दु:खी हुए हैं इसलिए बाबा अब इससे लिबरेट कर अपनी राजधानी में ले चलो।
- शिवबाबा तो मिल गया तो बाकी क्या!
- तुम जानते हो कि शिवबाबा की श्रीमत से स्वर्ग बनता है।
- आसुरी रावण की मत से नर्क बनता है।
- अब फिर से स्वर्ग बनना है, श्रीमत से।
- जरूर जो कल्प पहले आये होंगे वही आयेंगे।
- श्रीमत से ऊंच बनेंगे।
- रावण मत पर चलने से गिर पड़ेंगे।
- तुम्हारी अब होती है चढ़ती कला, बाकी सबकी उतरती कला है।
- कितने अनेक धर्म हैं।
- सतयुग में एक देवी-देवता धर्म ही था।
- अब वह प्राय:लोप हो गया है।
- (बड के झाड़ का मिसाल)
तुम जानते हो देवी-देवता धर्म की निशानियाँ तो हैं।
- बरोबर देवी-देवताओं का राज्य था।
- 5 हजार वर्ष की बात है।
- तुम सिद्ध कर बतलाते हो यह 5 हजार वर्ष का चक्र है।
- इसमें 4 युग हैं।
- हर एक युग की आयु 1250 वर्ष है।
- उन्होंने तो लाखों वर्ष लगा दिये हैं।
- बहुत फर्क होने के कारण किसकी बुद्धि में बैठता नहीं है।
- समझते हैं जैसे और-और संस्थायें हैं वैसे यह भी बी.के. की संस्था है।
- यह गीता को उठाते हैं।
- अब गीता तो कृष्ण भगवान ने गाई।
- यह दादा तो जवाहरी बैठा है, तो मनुष्य मूँझेंगे ना।
- बाप कहते हैं - मैं जो हूँ, जैसा हूँ, इस समय तक कोई ने मुझे जाना नहीं है।
- पिछाड़ी में तुम पूरी रीति जानेंगे।
- अभी तक नम्बरवार जाना है, तब तो श्रीमत पर चलना बड़ा मुश्किल समझते हैं।
- अच्छे-अच्छे बच्चे भी श्रीमत पर नहीं चलते।
- रावण चलने नहीं देता।
- अपनी मत चला देते हैं।
- थोड़े हैं जो श्रीमत पर पूरा चलने वाले हैं।
- आगे चल पूरा पहचानेंगे तब श्रीमत पर चलेंगे।
- मैं जो हूँ, जैसा हूँ, वह आगे चल समझेंगे।
- अभी समझते जाते हैं।
- पूरा समझ लें तो बाकी क्या चाहिए!
- रहना भी अपने गृहस्थ में है परन्तु दुश्मन माया ऐसी है जो श्रीमत पर चलने से रोक लेती है।
- कहते हैं बाबा माया के तूफान बहुत आते हैं।
- माया आपकी याद भुला देती है।
- हाँ पुरुषार्थ जोर से करते-करते फिर आखरीन माया भी थक जायेगी।
- माला भी 8 की है।
- मुख्य 8 रत्न हैं।
- 8 तो हैं - जोड़ी।
- नवाँ रत्न बीच में शिवबाबा को रखते हैं।
- कोई लाल बनाते हैं, कोई सफेद।
- अब शिवबाबा तो है बिन्दी।
- बिन्दी लाल नहीं होती।
- बिन्दी तो सफेद ही होती है।
- वह बहुत सूक्ष्म है।
- दिव्य दृष्टि के सिवाए कोई देख न सके।
- डाक्टर आदि कितनी कोशिश करते हैं देखने की।
- परन्तु देख न सकें क्योंकि अव्यक्त चीज़ है ना इसलिए पूछा जाता है - तुम कहते हो हम आत्मा हैं, अच्छा आत्मा को कब देखा है?
- अपने को ही नहीं देख सकते तो बाप को कैसे देख सकेंगे।
- आत्मा को जानना है कि कैसे उनमें पार्ट भरा हुआ है।
- यह बिल्कुल ही कोई नहीं जानते।
- 84 के बदले 84 लाख कह देते हैं।
- बाप आकर बच्चों को भी सब बातें समझाते हैं।
- आज का भारत क्या है, कल का भारत क्या होगा!
- महाभारत लड़ाई भी है।
- गीता का ज्ञान भी दिया है, यह रूद्र यज्ञ भी है।
- सब धर्मो का विनाश, एक धर्म की स्थापना हो रही है।
- यह शिवबाबा का भण्डारा है, इससे तुमको पवित्र भोजन मिलता है।
- ब्राह्मण-ब्राह्मणियाँ ही बनाते हैं, इसलिए इनकी महिमा अपरमअपार है।
- इससे तुम पवित्र बन पवित्र दुनिया का मालिक बनते हो, इसलिए पवित्र भोजन अच्छा है।
- जितना तुम ऊंच होते जायेंगे उतना भोजन भी शुद्ध तुमको मिलेगा।
- योगयुक्त कोई भोजन बनाये तो बल बहुत मिल जाए, वह भी आगे चल मिलेगा।
- सर्विसएबुल बच्चे जो सेन्टर पर रहते हैं, वह अपने ही हाथों से भोजन बनाकर खायें तो भी उसमें बहुत बल मिल सकता है।
- जैसे पतिव्रता स्त्री, पति के बिगर किसी को याद नहीं करती।
- ऐसे तुम बच्चे भी याद में रहकर बनाओ, खाओ तो बहुत बल मिलेगा।
- बाबा की याद में रहने से तुम विश्व की बादशाही लेते हो।
- बाबा राय तो देते हैं परन्तु अभी किसकी बुद्धि में नहीं आता।
- आगे चल हो सकता है - कहेंगे हम अपने हाथ से योगयुक्त हो भोजन बनाते हैं, तो सबका कल्याण हो जाए।
- बाप बच्चों को हर प्रकार की मत देते हैं ना।
- त्रिमूर्ति चित्र सामने रखा हो।
- वर्सा शिवबाबा से लेना है।
- कुछ न कुछ युक्ति करते रहो।
- बाबा अपना मिसाल देते हैं - भक्ति मार्ग में हम नारायण के चित्र को बहुत प्यार करते थे।
- बस उनको याद करने से आंसू आ जाते थे क्योंकि उस समय वैराग्य था।
- छोटेपन में वृत्ति वैराग्य की थी।
- यह हैं फिर बेहद की बातें।
- फिर भी कहते हैं मनमनाभव।
- योग में रहने से ही तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बनेंगे।
- याद में रहने का फुरना रखना है।
- श्रीमत मिलती है, बाप कहते हैं याद करो।
- मैं सृष्टि का रचयिता हूँ तो तुम भी नई दुनिया के मालिक बनेंगे ना।
- नहीं तो सजा भी खायेंगे और पद भी भ्रष्ट हो जायेगा।
- मरने के पहले बच्चों को यह फुरना रखना है कि हम सतोप्रधान कैसे बनें।
- बाप को याद तो जरूर करना है।
- यह है बड़े ते बड़ा फुरना।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) योगयुक्त हो अपने हाथ से भोजन बनाना और खाना है।
- पवित्र दुनिया में जाने के लिए पवित्र भोजन खाना है।
- उसमें ही बल है।
- 2) नया तन-मन-धन प्राप्त करने के लिए पुराना सब कुछ बाप पर वारी कर देना है।
- इस शरीर सहित बाप पर पूरा-पूरा कुर्बान जाना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- अपने श्रेष्ठ व्यवहार द्वारा सर्व आत्माओं को सुख देने वाली महान आत्मा भव
- जो महान आत्मायें होती हैं उनके हर व्यवहार से सर्व आत्माओं को सुख का दान मिलता है।
- वह सुख देते और सुख लेते हैं।
- तो चेक करो कि महान आत्मा के हिसाब से सारे दिन में सबको सुख दिया, पुण्य का काम किया।
- पुण्य अर्थात् किसको ऐसी चीज़ देना जिससे उस आत्मा से आशीर्वाद निकले।
- तो चेक करो कि हर आत्मा से आशीर्वाद मिल रही है।
- किसी को भी दु:ख दिया वा लिया तो नहीं!
- तब कहेंगे महान आत्मा।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- करने के बाद सोचना ही पश्चाताप का रूप है।
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