-
- ओम् शान्ति। मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने गीत सुना।
- रूहानी बाप ने कहा, यहाँ तुम बच्चों को आत्म-अभिमानी हो बैठना होता है।
- परमपिता परमात्मा और बच्चे अभी आकर मिले हैं।
- इसको कहा जाता है आत्माओं और परमपिता परमात्मा का इस सृष्टि पर मेला।
- यह मेला एक ही बार होता है।
- आधाकल्प सतयुग त्रेता में कोई बुलाते ही नहीं।
- तुम बच्चे सुखी रहते हो, जो सुख तुम आत्मायें अभी पा रही हो।
- तुम पहले सतोप्रधान थे, अभी तमोप्रधान पतित बन पड़े हो फिर बाप पावन बनाते हैं।
- जब पुजारी बनते हो तो दु:खी होते हो।
- 5 विकारों के कारण ही दु:ख होता है।
- जितना-जितना सीढ़ी उतरते जाते हो उतना दु:खी होते जाते हो।
- अभी तुम बच्चे जानते हो दु:ख के पहाड़ गिरने हैं।
- इस पुरानी दुनिया का अब विनाश होना है।
- तुम्हारी बुद्धि जानती है - बाबा है निराकार, वह टीचर बनकर हम सालिग्रामों को पढ़ाते हैं।
- कहते हैं बच्चों, हम फिर से तुमको विश्व का मालिक बनाने आया हूँ।
- 5 हजार वर्ष पहले भी तुम स्वर्ग के मालिक थे, याद है ना।
- संगम पर ही तुमको बनाया था।
- अभी फिर तुमको मनुष्य से देवता, बैकुण्ठ स्वर्ग का मालिक बनाने आया हूँ।
- तुमको यह वर्सा दिया था फिर तुमको 84 जन्म लेने पड़े।
- अभी तुम्हारे 84 जन्म पूरे हुए हैं।
- अभी मैं आया हूँ, फिर तुमको पहले नम्बर जन्म से शुरू करना है।
- मैं तुम्हारा बाप तुमको पढ़ाता भी हूँ।
- अब बाप पढ़ाने की फी बच्चों से लेगा?
- बच्चों से फी कैसे लेंगे!
- एक पाई भी फी नहीं लेता हूँ।
- कितना दूर परमधाम से आता हूँ तुमको पढ़ाने।
- यह नौकरी करने रोज़ आता हूँ।
- कोई की नौकरी दूर कहाँ होती है तो रोज़ आना-जाना होता है ना।
- तुम जानते हो बाबा ज्ञान का सागर है, जो हमको सृष्टि के आदि मध्य अन्त का ज्ञान देते हैं।
- भगवानुवाच - मैं निराकार परमात्मा हूँ, न कि कृष्ण।
- तुम जिस कृष्ण को भगवान समझते हो, वह भगवान हो न सके।
- वह तो पूरे 84 जन्म लेते हैं।
- भगवान को अपना शरीर नहीं है।
- जैसे तुम आत्मा हो वह भी आत्मा है।
- परन्तु सिर्फ आत्मा कहने से तो सबके साथ मिल जायेंगे इसलिए मुझे परम आत्मा कहते हैं।
- ड्रामा प्लैन अनुसार मुझ आत्मा का नाम शिव है।
- मैं हूँ निराकार।
- मुझे बुलाते ही हैं - शिवबाबा।
- असुल मेरा नाम एक ही है।
- बाकी भिन्न-भिन्न नाम रख दिये हैं।
- मेरा नाम कोई रूद्र है नहीं।
- न कृष्ण ने कोई यज्ञ रचा है।
- यह सब है झूठ।
- मैं ही आकर तुमको सच बतलाता हूँ।
- तुमको सच-सच नर से नारायण बनाने मैं आया हूँ।
- मेरा घर बहुत दूर है।
- यहाँ आकर इस शरीर द्वारा तुमको पढ़ाता हूँ।
- सारा दिन इसमें बैठता नहीं हूँ।
- चक्र लगाता रहता हूँ।
- मेरी ग्लानी करने के कारण तुम बहुत दु:खी, महान पतित बन गये हो।
- ब्रह्मा को भी कोई आदि देव कहते, कोई एडम कहते, कोई महावीर कहते, तुम प्रजापिता कहते हो।
- तुमने मुझे आधाकल्प याद किया है, इसलिए मुझे इस पराये देश में आना पड़ा है।
- सब पतित दु:खी हैं।
- आरफन्स हैं।
- धनी-धोरी है नहीं।
- आरफन को पढ़ाने के लिए गवर्मेन्ट फी नहीं लेती है।
- यह तो बहुत बड़ी रूहानी गवर्मेन्ट है।
- बेहद के बाप को कोई जानते नहीं हैं।
- कितने जप-तप, दान-पुण्य आदि करते हैं।
- पूछा जाता है यह क्यों करते हो?
- तो कहेंगे इससे भगवान के पास पहुँच जायेंगे।
- कोई जप-तप करने से पहुँचेगा, कोई शास्त्र पढ़ने से।
- बाप कहते हैं - ऐसे तो है नहीं।
- भक्ति करते-करते तो तुम और ही पतित बन गये हो।
- पंख टूट गये हैं।
- तुम उड़ नहीं सकते हो, जब तक तुम्हारे में ज्ञान-घृत न पड़े।
- घृत अथवा पेट्रोल खत्म हो जाने से ज्योत बुझ गई है।
- फिर मैं आकर भरता हूँ।
- तुम जानते हो - बाबा आया हुआ है।
- यहाँ तुम खुशी में रहते हो।
- घर में जाने से तुम भूल जाते हो।
- तुमसे मैं इस पढ़ाई की फी नहीं लेता हूँ।
- तुम कहेंगे यह चावल मुट्ठी देते हैं।
- यह चावल मुट्ठी तो तुम भक्ति मार्ग में देते आये हो, जिसका रिटर्न फिर दूसरे जन्म में मिलता है।
- अभी तो तुम जानते हो - बाप सम्मुख बैठे हैं, फ्री पढ़ाते हैं क्योंकि जानते हैं इन्हों के पास रखा ही क्या है।
- तो बाप थोड़ेही तुमसे कुछ लेंगे।
- उस पढ़ाई में तो कितना खर्चा करना पड़ता है।
- कितने इम्तहान पास करने पड़ते हैं।
- मैं तो एक ही पढ़ाई पढ़ाता हूँ।
- स्कूल में जो आते जाते हैं, उनको एड करता जाता हूँ।
- हाँ जो लेट आते हैं, उनको थोड़ी मेहनत जास्ती करनी पड़ती है।
- उनके बदले में फिर देरी से आने वालों को अच्छी प्वाइंटस मिलती हैं।
- जो जल्दी-जल्दी पढ़ते उनको कुछ घाटा नहीं है।
- नई-नई अच्छी प्वाइंट्स मिलने से पुरानों से भी तीखे जाते हैं।
- बाप कहते हैं - शुरू में जो आये वह कितने भागन्ती हो गये।
- अच्छा हुआ जो तुम देरी से आये सो फिर तुमको गुह्य ते गुह्य प्वाइंट्स मिलती हैं।
- बाप कहते हैं - जिस्मानी पढ़ाई भी पढ़ो।
- शरीर निर्वाह अर्थ धन्धा धोरी भल करो सिर्फ मुझे याद करो और चक्र को याद करो।
- यह भूलना नहीं चाहिए।
- यह तो समझते हो ना कि अब हमारे 84 जन्मों का अन्त है।
- बाप समझाते हैं मुझे याद करो तो तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे।
- याद तो तुम बाप को भी करते हो, पति को भी करते हो।
- अब मैं तुम्हारा पतियों का पति, बापों का बाप हूँ, टीचर भी हूँ।
- मैं तुम्हारा सब कुछ हूँ।
- सुख देने वाला हूँ।
- वह पतित सम्बन्धी आदि तो तुमको दु:ख ही देंगे।
- सतयुग में कोई किसको दु:ख नहीं देते।
- अब मैं आया हूँ सतयुग का राज्य-भाग्य देने।
- तुम जानते हो इस संगम पर ही बाप से हम वर्सा लेते हैं।
- अब जितना तुम पढ़ेंगे।
- पढ़ाई भी बहुत सहज है।
- यह है ही सहज ज्ञान, सहज याद।
- मौत भी सामने खड़ा है।
- मैं आया हूँ तुम सबको ले जाने इसलिए मुझे कालों का काल भी कहते हैं।
- यह भी कहते हैं कि इनको काल खा गया।
- काल शरीर को खाता है, आत्मा को तो खा न सके।
- आत्मा तो एक शरीर छोड़ दूसरा जाकर लेती है।
- पार्ट बजाती है।
- अभी तुम जानते हो एक ही धक से यह सब खलास हो जायेगा, मौत ऐसा होना है जो कोई किसके लिए रोयेगा नहीं।
- सभी को वापिस जाना ही है।
- रोते तब हैं जबकि पुनर्जन्म फिर फिर दु:ख की दुनिया में ही लेते हैं।
- तुम बाप को बुलाते भी इसलिए ही हो कि बाबा हमको अपने साथ ले जाओ।
- तो अब बाबा आया हुआ है, जो भी मनुष्य मात्र हैं सबको ले जाते हैं।
- विनाश होगा तो सब मरेंगे।
- रहेगा कोई नहीं।
- गवर्मेन्ट अपना प्लैन बना रही है।
- मनुष्य सृष्टि तो बढ़ती ही जाती है।
- छोटी-छोटी टाल टालियों में भी कितने पत्ते निकल आते हैं।
- झाड़ तो बढ़ेगा ही।
- परन्तु उनकी आयु भी जरूर है।
- कल्प वृक्ष की आयु कोई लाखों वर्ष थोड़ेही हो सकती है।
- अभी बाप तुमको पढ़ा रहे हैं, पूज्य देवी-देवता बनाने के लिए।
- पहले-पहले बाप तुमको ही मिलता है और धर्म वाले तो आते ही पिछाड़ी में हैं।
- सतयुग में तुम आते हो।
- पढ़ाता भी तुमको हूँ।
- सिर्फ कहता हूँ पावन दुनिया में चलना है तो विकार में मत जाओ।
- फिर भी तुम मानते क्यों नहीं हो, विष बिगर तुम रह नहीं सकते हो?
- मेरी मत पर नहीं चलेंगे तो ऊंच पद भी नहीं पायेंगे।
- तुम्हारी आश ही थी कृष्णपुरी में जाने की।
- तो कृष्ण की राजधानी में जायेंगे वा प्रजा में?
- कृष्ण के साथ खेल-पाल प्रिन्स-प्रिन्सेज ही करेंगे।
- प्रजा थोड़ेही करेगी।
- यह मम्मा बाबा भी पढ़ रहे हैं।
- तुम जानते हो यह राधे-कृष्ण फिर स्वयंवर के बाद लक्ष्मी-नारायण बनेंगे।
- राजाई वालों की ही माला बनती है ना।
- 8 दाने में आओ, अच्छा 8 में नहीं तो 108 में तो आओ।
- कम से कम 16108 में तो आओ।
- यह है ही राजयोग।
- बाप की श्रीमत पर चलना चाहिए।
- घर के भातियों को भी समझाओ।
- बाप तुमको समझाते हैं, औरों को समझाने के लिए।
- पुरानी दुनिया का विनाश होना ही है।
- महाभारत की लड़ाई भी प्रसिद्ध है जबकि भगवान आया था।
- भगवान ने ही आकर राजयोग सिखलाया था, स्वर्ग की स्थापना और नर्क का विनाश हुआ, यह समय वही है।
- फिर राजधानी स्थापन हो जायेगी।
- सतयुग में दूसरा धर्म होता ही नहीं।
- भारत कितना सिरताज था, कितना साहूकार था, क्रिश्चियन लोग सब यहाँ से ही साहूकार हुए हैं।
- सोमनाथ के मन्दिर से भी कितना माल ले गये, ऊंट भरकर।
- यह तो एक मन्दिर की बात है।
- भारत में बहुत मन्दिर थे।
- बाप सारे झाड़ का राज़ समझाते हैं।
- मैं बीज ऊपर में हूँ।
- यह उल्टा झाड़ है ना।
- नॉलेजफुल मैं हूँ।
- तुम मुझे पुकारते ही हो पतित-पावन आओ।
- फिर भी कह देते नाम रूप से न्यारा है।
- रावण ने सबको एकदम बेसमझ बना दिया है।
- अब तुमको स्मृति आई है, हमारा बाप कौन है।
- यह चक्र कैसे फिरता है।
- सबकी समझ तो एक नहीं होती।
- एक की समझ न मिले दूसरे से।
- एक के फीचर्स न मिले दूसरे से।
- तो अब तुम बच्चों को बाप का बनना चाहिए ना।
- वह बाप भी है, टीचर भी तो सतगुरू भी है।
- तुम जानते हो यह फी कुछ लेते नहीं हैं।
- बिगर कौड़ी खर्चा तुमको 21 जन्मों के लिए राजाई मिल जाती है।
- तुम भक्ति मार्ग में ईश्वर अर्थ कुछ देते थे तो दूसरे जन्म में तुमको मिलता था।
- अभी तो मैं डायरेक्ट आकर भारत को स्वर्ग बनाता हूँ।
- इसमें जो कुछ खर्चा लगता है, वह बच्चों का ही लगता है।
- बच्चों को ही कहेंगे खर्चा करना है।
- इस एक ब्रह्मा को अच्छी तरह पकड़ा खर्चा करने के लिए।
- इनमें प्रवेश कर इनसे सब कुछ कराया।
- यह तो झट स्वाहा हो गया।
- सब कुछ जो इनके पास था, सब दे दिया।
- बाबा बोले, बेगर बन जाओ तो फिर ऐसा प्रिन्स बनाऊंगा, साक्षात्कार करा दिया।
- ख्याल आया - अब यह क्या करेंगे।
- विनाश होना ही है।
- बाबा ने कहा बन्दर मुआफिक मुट्ठी बन्द नहीं करो, खोल दो।
- झट खोल दी।
- नहीं तो इतने बच्चों का खर्चा कैसे चलता।
- बच्चू बादशाह, पीरू वजीर यह हो गया।
- एक को ही पैसे के लिए पकड़ लिया।
- तुम बच्चों की भट्ठी बननी थी।
- स्कूल भी बने थे।
- अभी तुम होशियार हो फिर औरों को भी पढ़ाते हो।
- तुम कितनों का कल्याण करते हो।
- बाप है ही कल्याणकारी, सबको नर्क से निकाल स्वर्ग में ले जाते हैं।
- अब जितना पुरुषार्थ करेंगे उतना ऊंच पद पायेंगे।
- प्रजा के लिए भी प्रदर्शनियों आदि की युक्तियाँ और भी निकलती रहेंगी।
- ढेर प्रजा बनती जायेगी।
- राजा-रानी तो थोड़े होते हैं।
- प्रजा तो करोड़ों के अन्दाज में होती है ना।
- किंग क्वीन तो एक है।
- वहाँ लड़ाई झगड़ा आदि होता नहीं।
- बच्चे जानते हैं - अब तो मौत सामने खड़ा है।
- जितना योग में रहेंगे उतना पाप आत्मा से पुण्य आत्मा बनेंगे और कोई उपाय है नहीं।
- सपूत बच्चे माँ-बाप को फालो करते हैं।
- बाप पावन बने, बच्चा न बने तो वह कपूत बच्चा ठहरा ना।
- इसमें तो नष्टोमोहा बनना होता है।
- मेरा तो एक शिवबाबा दूसरा न कोई।
- वर्सा भी उनसे मिलेगा।
- अब बाप से वर्सा पाना है नई दुनिया का, तो पतित मत बनो।
- पावन बनने बिगर नई दुनिया में जा नहीं सकेंगे।
- जन्म-जन्मान्तर के पाप किये हुए हैं, उनकी सज़ा भोगनी पड़ती है।
- जैसेकि 63 जन्मों के पापों की सजा मिलती है।
- गर्भजेल में भी सजा भोगते हैं।
- सतयुग में कोई जेल आदि होती नहीं है।
- है ही स्वर्ग।
- अब बाप साधारण तन में आये हैं, इसलिए बाप को पहचानते नहीं हैं।
- बाप के साथ योग लगाने से ही आत्मा पावन बनेगी।
- बाप कहते हैं - मैं पतित दुनिया, पतित शरीर में आता हूँ फिर इनको नम्बरवन पावन बनाता हूँ।
- तत त्वम्।
- तुम भी पावन बनते हो।
- तुम बाप के बच्चे बने हो।
- प्रजापिता ब्रह्मा के भी बच्चे हो इसलिए बापदादा कहा जाता है।
- बाप समझाते हैं अब टाइम बहुत थोड़ा है।
- शरीर पर भरोसा नहीं है।
- बाप को याद करते रहो, स्वदर्शन चक्रधारी बनो।
- सारा दिन यही बातें ख्याल में रहे।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) पूरा-पूरा नष्टोमोहा बनना है।
- एक शिवबाबा दूसरा न कोई, यह पाठ पक्का करना है।
- सपूत बच्चा बन मात-पिता को फालो करना है।
- 2) बिगर कौड़ी खर्चे पढ़ाई से 21 जन्मों की राजाई मिलती है तो बहुत लगन से पढ़ाई पढ़नी है।
- स्वदर्शन चक्रधारी बनना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- सर्व खजानों से भरपूर बन अपने चेहरे द्वारा सेवा करने वाले सच्चे सेवाधारी भव
- जो बच्चे सर्व खजानों से सदा सम्पन्न वा भरपूर रहते हैं उनके नयनों वा मस्तक द्वारा ईश्वरीय नशा दिखाई देता है।
- उनका चेहरा ही सेवा करता है।
- जिसके पास जास्ती अथवा कम जमा होता है तो वह भी उनके चेहरे से दिखाई देता है।
- जैसे कोई ऊंच कुल का होता है तो उनके चेहरे से वह झलक और फलक दिखाई देती है।
- ऐसे आपकी सूरत हर संकल्प हर कर्म को स्पष्ट करे तब कहेंगे सच्चे सेवाधारी।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- समय और संकल्प के खजाने की बचत कर जमा का खाता बढ़ाओ।
|