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- ओम् शान्ति।
- सालिग्रामों प्रति शिव भगवानुवाच।
- रूहानी बच्चों प्रति रूहानी बाप समझा रहे हैं।
- अभी तुम बच्चे जान गये हो कि हमको यहाँ आत्मा समझकर बैठना है।
- सारी दुनिया में एक भी ऐसा मनुष्य नहीं होगा जो अपने को आत्मा समझते हो।
- आत्मा क्या है, यही नहीं जानते तो परमात्मा को फिर कैसे जानेंगे।
- बाप द्वारा ही तुमको आत्मा की समझानी मिलती है कि मूल क्या चीज़ है।
- मनुष्यों को कुछ भी पता न होने के कारण कितना दु:खी हैं।
- तुम बच्चे जानते हो इस ड्रामा अथवा सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष की आयु 5 हजार वर्ष है।
- जैसे आम का बीज है, वह चैतन्य होता तो समझाता कि हम बीज हैं, हमसे यह झाड़ ऐसे निकला।
- परन्तु वह है जड़।
- चैतन्य झाड़ एक ही है।
- शुरू से लेकर अन्त तक इस सारे झाड़ का तुमको ज्ञान मिला हुआ है।
- नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार समझ सकते हो।
- बाप कहते हैं मैं इस मनुष्य सृष्टि का बीज सत चित आनंद स्वरूप हूँ।
- मुझे ज्ञान का सागर कहा जाता है।
- यह निराकार के लिए महिमा है।
- तुम जानते हो बाप की यह महिमा सबसे न्यारी है।
- मनुष्य तो बाप की महिमा को बिल्कुल ही नहीं जानते।
- भल यह लक्ष्मी-नारायण आदि देवतायें हैं।
- उन्हों को भी यह नॉलेज नहीं है।
- यह ड्रामा का ज्ञान तुमको मिला है।
- तुम जानते हो यह सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है फिर देवता बनेंगे तो यह ज्ञान रहेगा नहीं।
- वन्डर है ना।
- तुम इस ड्रामा के एक्टर्स हो ना।
- तुमको रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान है।
- बाकी न शूद्र वर्ण को, न देवता वर्ण को यह ज्ञान है।
- ऐसे नहीं कि ज्ञान परम्परा चलता है।
- जैसे त्योहारों के लिए कहते हैं परम्परा से चलते आये हैं।
- अभी तुम समझते हो सतयुग में तो इन त्योहारों को कोई जानते ही नहीं।
- वहाँ कुछ भी याद नहीं रहेगा।
- वहाँ तो राज्य करते हैं।
- तुम हर एक की बुद्धि का ताला खुला हुआ है।
- मुख्य क्रियेटर, डायरेक्टर, प्रिन्सीपल एक्टर को तुम जानते हो।
- तुमको कितनी अच्छी नॉलेज मिलती है, इस नॉलेज को जो नहीं जानते हैं, वह हैं बेसमझ।
- तुम भी बेसमझ थे।
- अब देवता बन रहे हो।
- यह नॉलेज जिसकी बुद्धि में टपकती रहेगी उनको अपार खुशी होगी।
- तुम्हारे सिवाए कोई नहीं जो यह नॉलेज समझ सके।
- गॉड फादर को ही वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी, नॉलेजफुल कहा जाता है, नॉलेज किसकी है?
- सभी वेदों शास्त्रों, सृष्टि के आदि मध्य अन्त की नॉलेज उसको है।
- शास्त्रों में भी रचता और रचना की नॉलेज नहीं है, तब तो ऋषि मुनि आदि कहते आये हैं हम रचता और रचना को नहीं जानते हैं।
- समझाने वाला एक ही है तो और कोई जानेंगे कैसे।
- यह नॉलेज सिवाए तुम बच्चों के कोई दे न सके।
- तुमको देने वाला फिर है बाप।
- वह कितना बड़ा नॉलेजफुल है।
- कितना तुम मर्तबा पाते हो।
- कितनी खुशी होनी चाहिए।
- हम बेहद के बाप की सन्तान हैं।
- ज्ञान से बुद्धि भरपूर होनी चाहिए।
- ऐसी कोई चीज़ नहीं जिसको तुम नहीं जानते हो।
- अभी तुम मास्टर नॉलेजफुल बन रहे हो।
- जो आत्मा तमोप्रधान बनी है वह बाप को याद करते-करते सतोप्रधान बन जायेगी।
- नम्बरवार तो होते हैं ना।
- कोई की तमो से रजो बुद्धि बनी होगी, कोई की रजो से सतो बनी होगी।
- अभी सतोप्रधान बुद्धि किसकी है नहीं।
- सतोप्रधान जब बन जायेगी तब तुम्हारी कर्मातीत अवस्था हो जायेगी।
- फिर तो नई दुनिया चाहिए - राज्य करने के लिए।
- यह यज्ञ जब पूरा होता है तब इसमें सारी पुरानी दुनिया की आहुति पड़ जाती है।
- फिर पढ़ाई भी पूरी हो जाती है - नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार।
- जैसे स्कूल में स्टूडेन्ट समझते हैं हम यह इम्तहान पास कर फिर उस क्लास में ट्रांसफर होंगे।
- तुम्हारी भी जब कर्मातीत अवस्था होगी तो इस मृत्युलोक से ट्रांसफर हो अमरपुरी में चले जायेंगे।
- तुम जानते हो - अभी यहाँ से ट्रॉसफर होने का है।
- पवित्र होकर अमरलोक में चले जायेंगे।
- असुल हम शान्तिधाम के रहवासी थे फिर पार्ट बजाते-बजाते अमरलोक से मृत्युलोक में आकर पहुँचे हैं।
- तो यह सारी नॉलेज बुद्धि में रहने से खुशी रहेगी।
- सिवाए नॉलेज के और कुछ सूझेगा ही नहीं।
- अभी हम पढ़कर नई दुनिया के मालिक बनेंगे, यह भी समझाना चाहिए।
- यहाँ हैं ही पतित।
- देवता तो कोई है नहीं।
- मनुष्य से देवता कौन बनायेगा?
- बाप ही बना सकते हैं।
- अभी तुम समझा सकते हो बरोबर स्वर्ग था, जिसमें लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
- उसकी स्थापना किसने की?
- हेविनली गॉड फादर ने पैराडाइज स्थापन किया।
- जहाँ देवी-देवता राज्य करेंगे तो और कोई धर्म नहीं होगा।
- यह बड़ा बेहद का नाटक है।
- तुम चैतन्य हो ना।
- जानते हो इस झाड़ का बीज ऊपर में है।
- बाप भी इप्रैसिबुल अविनाशी है।
- तुम भी इप्रैसिबुल हो।
- अभी सारा झाड़ जड़जड़ीभूत अवस्था को पाया है।
- इस समय सब मनुष्य काँटें मिसल बन गये हैं।
- काँटों का जंगल है ना।
- सब एक दो को दु:ख देने वाले हैं।
- बाप ही बागवान है, उनको खिवैया भी कहते हैं।
- तुम भी बोट चलाने सीख रहे हो।
- हर एक की नईया पार कैसे हो, सो तुमको बैठ समझाते हैं।
- नईया कोई शरीर नहीं है।
- नईया आत्मा और शरीर दो चीज़ की बनी हुई है।
- गाते भी हैं नईया मेरी पार लगाओ।
- अभी आत्मा भी पतित है तो शरीर भी पतित है।
- अब पार कैसे हो, और कहाँ जाये?
- अभी तुम मूलवतन, सूक्ष्मवतन ...सतयुग से लेकर कलियुग तक सब राज़ों को जान गये हो।
- फिर भी बुद्धि में यह क्यों नहीं रहता!
- तुम भूल क्यों जाते हो?
- सदैव बुद्धि में यह टपकता रहे तो तुम खुशी में रहेंगे, फिकर से फारिग हो जायेंगे।
- तुम जानते हो बाबा आया हुआ है, हमको ले जाने।
- जो नॉलेज बाप में है वह हमको दे रहे हैं।
- यह हैं बिल्कुल नई बातें, जो बाप के सिवाए और कोई समझा नहीं सकते।
- निराकार बाप साकार द्वारा सुनाते हैं।
- तुम भी इस शरीर के द्वारा सुनते हो।
- तो बाप तुम बच्चों को भी आप समान बनाते हैं।
- जो बाप की महिमा वह तुम्हारी भी होनी चाहिए।
- कोई फ़र्क नहीं है।
- सिर्फ बाप कहते हैं - हम जन्म-मरण में नहीं आता हूँ, तुम जन्म-मरण में आते हो।
- तुम मुझे कहते हो ज्ञान का सागर, सुख का सागर... तो जरूर मैं तुमको ज्ञान दूँगा, कल्प-कल्प देता हूँ।
- तुम समझ गये हो बरोबर 84 का चक्र खाए अभी हम अन्त में हैं।
- फिर बाप हमको पहला नम्बर में ले जाते हैं।
- यह नॉलेज है ना।
- नॉलेज है सोर्स आफ इनकम।
- जो जितना-जितना पढ़ता है, उनकी इनकम वैसी होती है।
- यह नॉलेज भी है, धन्धा भी है।
- तुम कूड़ा-किचड़ा देते हो बाबा को।
- जब कोई मरता है तो करनीघोर को देते हैं ना।
- यहाँ तुमको जीते जी देना है।
- वास्तव में बात अभी की है।
- बाप कहते हैं - तुम्हारे पास जो कुछ है, मरने से पहले दे दो।
- तुम ट्रस्टी बन जाओ।
- नहीं तो तुम्हारे पास जो पड़ा होगा वह अन्त में याद आयेगा।
- जैसे कोई साहूकार आदमी है, वह ज्ञान नहीं लेंगे।
- उनकी साहूकारी भी एक जन्म के लिए है ना।
- शरीर तो छोड़ ही देंगे, पता नहीं कर्मो अनुसार कहाँ जाकर जन्म लेंगे।
- तुम तो जानते हो हम अभी जितना पुरुषार्थ करेंगे उतना प्रालब्ध पायेंगे।
- इस समय हैं सब जिस्मानी सर्विस करने वाले।
- रूहानी सर्विस को कोई जानते ही नहीं।
- सुप्रीम रूह आकर तुमको नॉलेज समझाते हैं।
- वह है सुख का सागर, दु:ख हर्ता सुख कर्ता।
- उनकी शिव जयन्ती भी मनाते हैं, परन्तु बुद्धि में नहीं आता है।
- अभी तुम्हारी बुद्धि में यह ज्ञान है कि बाबा हमको फिर 5 हजार वर्ष बाद आकर सुनायेंगे।
- सतयुग में यह ज्ञान नहीं होगा तो कलियुग में फिर कहाँ से आयेगा।
- दुनिया में यह कोई नहीं जानते कि लक्ष्मी-नारायण का मन्दिर हम क्यों बनाते हैं।
- यह कौन थे, इन्हों को यह राज्य किसने दिया?
- यह कर्मो का फल है ना।
- बाप बैठ अभी तुमको कर्म, अकर्म, विकर्म की गति समझाते हैं।
- भगवानुवाच है ना।
- गीता से ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना होती है।
- वहाँ मनुष्य थोड़े होते हैं।
- बाकी सब जरूर मुक्ति को पाते होंगे।
- महाभारत लड़ाई भी लिखी हुई है, बहुत आफतें आयेंगी।
- नेचुरल कैलेमिटीज़ आयेगी।
- पुरानी दुनिया खत्म होगी।
- यह वही बाम्बस, मिसाइल्स हैं, यह वही विनाश का समय है जबकि भगवान ने आकर रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा था, जिससे विनाश ज्वाला निकली।
- भगवान यज्ञ रचते हैं सुख-शान्ति के लिए।
- बाकी दु:ख अशान्ति का जरूर विनाश होना चाहिए।
- इस ईश्वरीय ज्ञान यज्ञ में सारी सृष्टि स्वाहा हो जायेगी।
- यह बातें तुम्हारी बुद्धि में हैं।
- हम ब्राह्मण हैं।
- इस शिवबाबा के यज्ञ में हम ब्राह्मण सर्वेन्ट हैं।
- हम हैं सच्चे-सच्चे मुख वंशावली ब्राह्मण।
- तुम बच्चों को बाप जो मुख से कहे वह मानना चाहिए।
- श्रीमत पर ही हमको चलना है।
- यह भी तुम जानते हो श्री-श्री शिवबाबा की मत पर हम श्रेष्ठ बनकर माला के दाने बनेंगे।
- माला के दाने कहा जाता है सिजरे को।
- सिजरा होता है ना फिर वह बढ़ता जाता है।
- बाबा ने खुद सिजरा बनाया है, यह भी सिजरा है।
- ऊपर में है निराकारी शिवबाबा, फिर हैं आत्मायें।
- निराकारी सिजरा फिर साकारी होता है।
- पहले-पहले नम्बर में है प्रजापिता, वह जिस्मानी वह रूहानी।
- रूहानी बाप आकर प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा रचते हैं।
- कहते भी हैं पतित दुनिया को आकर पावन बनाओ।
- प्रलय तो कभी होती नहीं।
- वर्ल्ड की हिस्ट्री जॉग्राफी रिपीट होती है।
- पुरानी दुनिया सो फिर नई बनती है।
- अभी तुम पुरूषार्थ कर रहे हो नई दुनिया के लिए।
- यह बेहद की नॉलेज बेहद का बाप ही देते हैं।
- हद का वर्सा होते भी बेहद के बाप को याद करते हैं।
- हे भगवान कहते हैं ना।
- जब कोई मरते हैं तो कहते हैं - गॉड फादर को याद करो तो दो फादर सिद्ध होते हैं ना।
- सभी आत्मायें ब्रदर्स हैं।
- आत्मा ही पुकारती है हे दु:ख हर्ता सुख कर्ता, हे लिबरेटर आओ, हमको घर जाने के लिए गाइड करो।
- हमको घर याद है परन्तु जा नहीं सकते क्योंकि माया ने पंख तोड़ डाले हैं।
- कोई घर वापिस जा नहीं सकते।
- अभी तुमको अपनी ज्योत को आपेही जगाना है।
- बाप को याद करने से घृत पड़ जायेगा।
- ज्योत एकदम बुझ नहीं सकती।
- कोई मरता है तो दीवा जगाते हैं।
- खास वहाँ एक मुकरर रखते हैं कि इसमें घृत डालते जाओ, नहीं तो अन्धियारा हो जाए।
- अभी तो तुमको योगबल से घृत डालना है तो घोर अन्धियारे से सोझरा, दीप माला हो जायेगी।
- दीपमाला सतयुग में होगी।
- यहाँ नहीं।
- उत्सव जो भी मनाये जाते हैं, उनका भी रहस्य तुमने समझा है।
- वह तो कुछ भी समझते नहीं।
- फिर भी समझाया जाता है यह राखी आदि है पवित्रता में रहने के लिए।
- मनुष्यों को ज्ञान का इन्जेक्शन ऐसी युक्ति से लगाना चाहिए जो फील करें कि बरोबर हम तो भ्रष्टाचारी हैं।
- श्रेष्ठाचारी बाप ही बनाते हैं।
- बाप कहते हैं - मनमना-भव - तो तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे।
- युक्ति से तीर लगाना चाहिए, बात करने की ताकत चाहिए।
- अभी तुम सर्वशक्तिमान बाप से शक्ति पाए माया पर जीत पाते हो।
- फिर तुम्हें राज्य-भाग्य मिल सकता है, सिवाए बाप के और कोई जीत पहना न सके।
- बाप कहते हैं देखो - बच्चे तुमको क्या से क्या बनाता हूँ।
- अब ऐसे बाप को निरन्तर याद जरूर करना है तो विकर्म विनाश होंगे।
- बाप कहते हैं - मामेकम् याद करो तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।
- जैसा चिंतन किया जाता है वैसा बन जाते हैं, तो बाप कहते हैं मुझे याद करते-करते तुम भी बन जायेंगे।
- याद से विकर्म भी विनाश होंगे और अपने घर वापिस चले जायेंगे।
- यह नॉलेज सोर्स आफ इनकम है।
- हेल्थ वेल्थ है तो हैप्पी भी है।
- वहाँ कितनी बड़ी आयु होती है।
- योगेश्वर कृष्ण को नहीं कहेंगे।
- योगेश्वर तुम हो।
- ईश्वर तुमको योग सिखा रहे हैं।
- यह राजयोग है।
- योग लगाकर तुम राज्यभाग्य पाते हो।
- ईश्वर तुमको योग सिखाए राजाई का वर्सा देते हैं।
- तुमको राज्य किसने दिया?
- बाप ने।
- बाप कहते हैं - अल्फ को याद करो।
- बाप और वर्से को याद करो तो पाप कटते जायेंगे।
- यह तो बहुत सहज है।
- तुम्हारी बुद्धि में कितना ज्ञान है।
- भगवान के बच्चे मास्टर गॉड ठहरे।
- बाप के पास बैठ थोड़ेही जाना है।
- हमको तो पार्ट बजाना है, इसमें देही-अभिमानी बनना है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) बाप जो ज्ञान देते हैं, उसका ही सदैव मंथन करना है।
- युक्ति से बातें करनी है।
- बहुत प्यार से समझाना है।
- 2) अपने पास जो कुछ है वह जीते जी बाप को देकर ट्रस्टी बन एक बाप को याद करना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- अपने सर्वश्रेष्ठ पोजीशन की खुमारी द्वारा अनेक आत्माओं का कल्याण करने वाले अथॉरिटी स्वरूप भव
- हम आलमाइटी अथॉरिटी के बच्चे हैं - यह है सर्वश्रेष्ठ पोजीशन, इस पोजीशन की खुमारी में रहो तो माया की अधीनता समाप्त हो जायेगी।
- इसी अथॉरिटी का स्वरूप बनने से किसी भी आत्मा का कल्याण कर सकते हो।
- जो सदा इस खुमारी में रहते हैं वो सदाकाल का राज्य भाग्य प्राप्त करते हैं।
- यही अथॉरिटी सदा कायम रखो तो विश्व आपके आगे झुकेगी, आप किसी के आगे झुक नहीं सकते।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- करावनहार बाप की स्मृति से मैं पन को समाप्त करो।
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