16-10-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे बच्चे - अपनी बुद्धि को ज्ञान मंथन में बिजी रखो तो सब फिकरातों से फारिग हो जायेंगे, सदा खुशी बनी रहेगी''

प्रश्नः-

जो अपने को शिवबाबा के यज्ञ का सर्वेन्ट समझते हैं उनकी निशानी सुनाओ?

उत्तर:-

शिवबाबा इस ब्रह्मा मुख से जो कुछ बोलेंगे, उसे वह फौरन मान लेंगे।

जो कहे - उसे मानना, इसको ही श्रीमत कहा जाता है।

श्री-श्री शिवबाबा की मत पर चलने से ही तुम श्रेष्ठ बनते हो।

श्रेष्ठ बनना माना विजय माला में आना।

 

गीत:- ओम् नमो शिवाए.....


  • ओम् शान्ति।
  • सालिग्रामों प्रति शिव भगवानुवाच।
  • रूहानी बच्चों प्रति रूहानी बाप समझा रहे हैं।
  • अभी तुम बच्चे जान गये हो कि हमको यहाँ आत्मा समझकर बैठना है।
  • सारी दुनिया में एक भी ऐसा मनुष्य नहीं होगा जो अपने को आत्मा समझते हो।
  • आत्मा क्या है, यही नहीं जानते तो परमात्मा को फिर कैसे जानेंगे।
  • बाप द्वारा ही तुमको आत्मा की समझानी मिलती है कि मूल क्या चीज़ है।
  • मनुष्यों को कुछ भी पता न होने के कारण कितना दु:खी हैं।
  • तुम बच्चे जानते हो इस ड्रामा अथवा सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष की आयु 5 हजार वर्ष है।
  • जैसे आम का बीज है, वह चैतन्य होता तो समझाता कि हम बीज हैं, हमसे यह झाड़ ऐसे निकला।
  • परन्तु वह है जड़।
  • चैतन्य झाड़ एक ही है।
  • शुरू से लेकर अन्त तक इस सारे झाड़ का तुमको ज्ञान मिला हुआ है।
  • नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार समझ सकते हो।
  • बाप कहते हैं मैं इस मनुष्य सृष्टि का बीज सत चित आनंद स्वरूप हूँ।
  • मुझे ज्ञान का सागर कहा जाता है।
  • यह निराकार के लिए महिमा है।
  • तुम जानते हो बाप की यह महिमा सबसे न्यारी है।
  • मनुष्य तो बाप की महिमा को बिल्कुल ही नहीं जानते।
  • भल यह लक्ष्मी-नारायण आदि देवतायें हैं।
  • उन्हों को भी यह नॉलेज नहीं है।
  • यह ड्रामा का ज्ञान तुमको मिला है।
  • तुम जानते हो यह सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है फिर देवता बनेंगे तो यह ज्ञान रहेगा नहीं।
  • वन्डर है ना।
  • तुम इस ड्रामा के एक्टर्स हो ना।
  • तुमको रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान है।
  • बाकी न शूद्र वर्ण को, न देवता वर्ण को यह ज्ञान है।
  • ऐसे नहीं कि ज्ञान परम्परा चलता है।
  • जैसे त्योहारों के लिए कहते हैं परम्परा से चलते आये हैं।
  • अभी तुम समझते हो सतयुग में तो इन त्योहारों को कोई जानते ही नहीं।
  • वहाँ कुछ भी याद नहीं रहेगा।
  • वहाँ तो राज्य करते हैं।
  • तुम हर एक की बुद्धि का ताला खुला हुआ है।
  • मुख्य क्रियेटर, डायरेक्टर, प्रिन्सीपल एक्टर को तुम जानते हो।
  • तुमको कितनी अच्छी नॉलेज मिलती है, इस नॉलेज को जो नहीं जानते हैं, वह हैं बेसमझ।
  • तुम भी बेसमझ थे।
  • अब देवता बन रहे हो।
  • यह नॉलेज जिसकी बुद्धि में टपकती रहेगी उनको अपार खुशी होगी।
  • तुम्हारे सिवाए कोई नहीं जो यह नॉलेज समझ सके।
  • गॉड फादर को ही वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी, नॉलेजफुल कहा जाता है, नॉलेज किसकी है?
  • सभी वेदों शास्त्रों, सृष्टि के आदि मध्य अन्त की नॉलेज उसको है।
  • शास्त्रों में भी रचता और रचना की नॉलेज नहीं है, तब तो ऋषि मुनि आदि कहते आये हैं हम रचता और रचना को नहीं जानते हैं।
  • समझाने वाला एक ही है तो और कोई जानेंगे कैसे।
  • यह नॉलेज सिवाए तुम बच्चों के कोई दे न सके।
  • तुमको देने वाला फिर है बाप।
  • वह कितना बड़ा नॉलेजफुल है।
  • कितना तुम मर्तबा पाते हो।
  • कितनी खुशी होनी चाहिए।
  • हम बेहद के बाप की सन्तान हैं।
  • ज्ञान से बुद्धि भरपूर होनी चाहिए।
  • ऐसी कोई चीज़ नहीं जिसको तुम नहीं जानते हो।
  • अभी तुम मास्टर नॉलेजफुल बन रहे हो।
  • जो आत्मा तमोप्रधान बनी है वह बाप को याद करते-करते सतोप्रधान बन जायेगी।
  • नम्बरवार तो होते हैं ना।
  • कोई की तमो से रजो बुद्धि बनी होगी, कोई की रजो से सतो बनी होगी।
  • अभी सतोप्रधान बुद्धि किसकी है नहीं।
  • सतोप्रधान जब बन जायेगी तब तुम्हारी कर्मातीत अवस्था हो जायेगी।
  • फिर तो नई दुनिया चाहिए - राज्य करने के लिए।
  • यह यज्ञ जब पूरा होता है तब इसमें सारी पुरानी दुनिया की आहुति पड़ जाती है।
  • फिर पढ़ाई भी पूरी हो जाती है - नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार।
  • जैसे स्कूल में स्टूडेन्ट समझते हैं हम यह इम्तहान पास कर फिर उस क्लास में ट्रांसफर होंगे।
  • तुम्हारी भी जब कर्मातीत अवस्था होगी तो इस मृत्युलोक से ट्रांसफर हो अमरपुरी में चले जायेंगे।
  • तुम जानते हो - अभी यहाँ से ट्रॉसफर होने का है।
  • पवित्र होकर अमरलोक में चले जायेंगे।
  • असुल हम शान्तिधाम के रहवासी थे फिर पार्ट बजाते-बजाते अमरलोक से मृत्युलोक में आकर पहुँचे हैं।
  • तो यह सारी नॉलेज बुद्धि में रहने से खुशी रहेगी।
  • सिवाए नॉलेज के और कुछ सूझेगा ही नहीं।
  • अभी हम पढ़कर नई दुनिया के मालिक बनेंगे, यह भी समझाना चाहिए।
  • यहाँ हैं ही पतित।
  • देवता तो कोई है नहीं।
  • मनुष्य से देवता कौन बनायेगा?
  • बाप ही बना सकते हैं।
  • अभी तुम समझा सकते हो बरोबर स्वर्ग था, जिसमें लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
  • उसकी स्थापना किसने की?
  • हेविनली गॉड फादर ने पैराडाइज स्थापन किया।
  • जहाँ देवी-देवता राज्य करेंगे तो और कोई धर्म नहीं होगा।
  • यह बड़ा बेहद का नाटक है।
  • तुम चैतन्य हो ना।
  • जानते हो इस झाड़ का बीज ऊपर में है।
  • बाप भी इप्रैसिबुल अविनाशी है।
  • तुम भी इप्रैसिबुल हो।
  • अभी सारा झाड़ जड़जड़ीभूत अवस्था को पाया है।
  • इस समय सब मनुष्य काँटें मिसल बन गये हैं।
  • काँटों का जंगल है ना।
  • सब एक दो को दु:ख देने वाले हैं।
  • बाप ही बागवान है, उनको खिवैया भी कहते हैं।
  • तुम भी बोट चलाने सीख रहे हो।
  • हर एक की नईया पार कैसे हो, सो तुमको बैठ समझाते हैं।
  • नईया कोई शरीर नहीं है।
  • नईया आत्मा और शरीर दो चीज़ की बनी हुई है।
  • गाते भी हैं नईया मेरी पार लगाओ।
  • अभी आत्मा भी पतित है तो शरीर भी पतित है।
  • अब पार कैसे हो, और कहाँ जाये?
  • अभी तुम मूलवतन, सूक्ष्मवतन ...सतयुग से लेकर कलियुग तक सब राज़ों को जान गये हो।
  • फिर भी बुद्धि में यह क्यों नहीं रहता!
  • तुम भूल क्यों जाते हो?
  • सदैव बुद्धि में यह टपकता रहे तो तुम खुशी में रहेंगे, फिकर से फारिग हो जायेंगे।
  • तुम जानते हो बाबा आया हुआ है, हमको ले जाने।
  • जो नॉलेज बाप में है वह हमको दे रहे हैं।
  • यह हैं बिल्कुल नई बातें, जो बाप के सिवाए और कोई समझा नहीं सकते।
  • निराकार बाप साकार द्वारा सुनाते हैं।
  • तुम भी इस शरीर के द्वारा सुनते हो।
  • तो बाप तुम बच्चों को भी आप समान बनाते हैं।
  • जो बाप की महिमा वह तुम्हारी भी होनी चाहिए।
  • कोई फ़र्क नहीं है।
  • सिर्फ बाप कहते हैं - हम जन्म-मरण में नहीं आता हूँ, तुम जन्म-मरण में आते हो।
  • तुम मुझे कहते हो ज्ञान का सागर, सुख का सागर... तो जरूर मैं तुमको ज्ञान दूँगा, कल्प-कल्प देता हूँ।
  • तुम समझ गये हो बरोबर 84 का चक्र खाए अभी हम अन्त में हैं।
  • फिर बाप हमको पहला नम्बर में ले जाते हैं।
  • यह नॉलेज है ना।
  • नॉलेज है सोर्स आफ इनकम।
  • जो जितना-जितना पढ़ता है, उनकी इनकम वैसी होती है।
  • यह नॉलेज भी है, धन्धा भी है।
  • तुम कूड़ा-किचड़ा देते हो बाबा को।
  • जब कोई मरता है तो करनीघोर को देते हैं ना।
  • यहाँ तुमको जीते जी देना है।
  • वास्तव में बात अभी की है।
  • बाप कहते हैं - तुम्हारे पास जो कुछ है, मरने से पहले दे दो।
  • तुम ट्रस्टी बन जाओ।
  • नहीं तो तुम्हारे पास जो पड़ा होगा वह अन्त में याद आयेगा।
  • जैसे कोई साहूकार आदमी है, वह ज्ञान नहीं लेंगे।
  • उनकी साहूकारी भी एक जन्म के लिए है ना।
  • शरीर तो छोड़ ही देंगे, पता नहीं कर्मो अनुसार कहाँ जाकर जन्म लेंगे।
  • तुम तो जानते हो हम अभी जितना पुरुषार्थ करेंगे उतना प्रालब्ध पायेंगे।
  • इस समय हैं सब जिस्मानी सर्विस करने वाले।
  • रूहानी सर्विस को कोई जानते ही नहीं।
  • सुप्रीम रूह आकर तुमको नॉलेज समझाते हैं।
  • वह है सुख का सागर, दु:ख हर्ता सुख कर्ता।
  • उनकी शिव जयन्ती भी मनाते हैं, परन्तु बुद्धि में नहीं आता है।
  • अभी तुम्हारी बुद्धि में यह ज्ञान है कि बाबा हमको फिर 5 हजार वर्ष बाद आकर सुनायेंगे।
  • सतयुग में यह ज्ञान नहीं होगा तो कलियुग में फिर कहाँ से आयेगा।
  • दुनिया में यह कोई नहीं जानते कि लक्ष्मी-नारायण का मन्दिर हम क्यों बनाते हैं।
  • यह कौन थे, इन्हों को यह राज्य किसने दिया?
  • यह कर्मो का फल है ना।
  • बाप बैठ अभी तुमको कर्म, अकर्म, विकर्म की गति समझाते हैं।
  • भगवानुवाच है ना।
  • गीता से ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना होती है।
  • वहाँ मनुष्य थोड़े होते हैं।
  • बाकी सब जरूर मुक्ति को पाते होंगे।
  • महाभारत लड़ाई भी लिखी हुई है, बहुत आफतें आयेंगी।
  • नेचुरल कैलेमिटीज़ आयेगी।
  • पुरानी दुनिया खत्म होगी।
  • यह वही बाम्बस, मिसाइल्स हैं, यह वही विनाश का समय है जबकि भगवान ने आकर रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा था, जिससे विनाश ज्वाला निकली।
  • भगवान यज्ञ रचते हैं सुख-शान्ति के लिए।
  • बाकी दु:ख अशान्ति का जरूर विनाश होना चाहिए।
  • इस ईश्वरीय ज्ञान यज्ञ में सारी सृष्टि स्वाहा हो जायेगी।
  • यह बातें तुम्हारी बुद्धि में हैं।
  • हम ब्राह्मण हैं।
  • इस शिवबाबा के यज्ञ में हम ब्राह्मण सर्वेन्ट हैं।
  • हम हैं सच्चे-सच्चे मुख वंशावली ब्राह्मण।
  • तुम बच्चों को बाप जो मुख से कहे वह मानना चाहिए।
  • श्रीमत पर ही हमको चलना है।
  • यह भी तुम जानते हो श्री-श्री शिवबाबा की मत पर हम श्रेष्ठ बनकर माला के दाने बनेंगे।
  • माला के दाने कहा जाता है सिजरे को।
  • सिजरा होता है ना फिर वह बढ़ता जाता है।
  • बाबा ने खुद सिजरा बनाया है, यह भी सिजरा है।
  • ऊपर में है निराकारी शिवबाबा, फिर हैं आत्मायें।
  • निराकारी सिजरा फिर साकारी होता है।
  • पहले-पहले नम्बर में है प्रजापिता, वह जिस्मानी वह रूहानी।
  • रूहानी बाप आकर प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा रचते हैं।
  • कहते भी हैं पतित दुनिया को आकर पावन बनाओ।
  • प्रलय तो कभी होती नहीं।
  • वर्ल्ड की हिस्ट्री जॉग्राफी रिपीट होती है।
  • पुरानी दुनिया सो फिर नई बनती है।
  • अभी तुम पुरूषार्थ कर रहे हो नई दुनिया के लिए।
  • यह बेहद की नॉलेज बेहद का बाप ही देते हैं।
  • हद का वर्सा होते भी बेहद के बाप को याद करते हैं।
  • हे भगवान कहते हैं ना।
  • जब कोई मरते हैं तो कहते हैं - गॉड फादर को याद करो तो दो फादर सिद्ध होते हैं ना।
  • सभी आत्मायें ब्रदर्स हैं।
  • आत्मा ही पुकारती है हे दु:ख हर्ता सुख कर्ता, हे लिबरेटर आओ, हमको घर जाने के लिए गाइड करो।
  • हमको घर याद है परन्तु जा नहीं सकते क्योंकि माया ने पंख तोड़ डाले हैं।
  • कोई घर वापिस जा नहीं सकते।
  • अभी तुमको अपनी ज्योत को आपेही जगाना है।
  • बाप को याद करने से घृत पड़ जायेगा।
  • ज्योत एकदम बुझ नहीं सकती।
  • कोई मरता है तो दीवा जगाते हैं।
  • खास वहाँ एक मुकरर रखते हैं कि इसमें घृत डालते जाओ, नहीं तो अन्धियारा हो जाए।
  • अभी तो तुमको योगबल से घृत डालना है तो घोर अन्धियारे से सोझरा, दीप माला हो जायेगी।
  • दीपमाला सतयुग में होगी।
  • यहाँ नहीं।
  • उत्सव जो भी मनाये जाते हैं, उनका भी रहस्य तुमने समझा है।
  • वह तो कुछ भी समझते नहीं।
  • फिर भी समझाया जाता है यह राखी आदि है पवित्रता में रहने के लिए।
  • मनुष्यों को ज्ञान का इन्जेक्शन ऐसी युक्ति से लगाना चाहिए जो फील करें कि बरोबर हम तो भ्रष्टाचारी हैं।
  • श्रेष्ठाचारी बाप ही बनाते हैं।
  • बाप कहते हैं - मनमना-भव - तो तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे।
  • युक्ति से तीर लगाना चाहिए, बात करने की ताकत चाहिए।
  • अभी तुम सर्वशक्तिमान बाप से शक्ति पाए माया पर जीत पाते हो।
  • फिर तुम्हें राज्य-भाग्य मिल सकता है, सिवाए बाप के और कोई जीत पहना न सके।
  • बाप कहते हैं देखो - बच्चे तुमको क्या से क्या बनाता हूँ।
  • अब ऐसे बाप को निरन्तर याद जरूर करना है तो विकर्म विनाश होंगे।
  • बाप कहते हैं - मामेकम् याद करो तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।
  • जैसा चिंतन किया जाता है वैसा बन जाते हैं, तो बाप कहते हैं मुझे याद करते-करते तुम भी बन जायेंगे।
  • याद से विकर्म भी विनाश होंगे और अपने घर वापिस चले जायेंगे।
  • यह नॉलेज सोर्स आफ इनकम है।
  • हेल्थ वेल्थ है तो हैप्पी भी है।
  • वहाँ कितनी बड़ी आयु होती है।
  • योगेश्वर कृष्ण को नहीं कहेंगे।
  • योगेश्वर तुम हो।
  • ईश्वर तुमको योग सिखा रहे हैं।
  • यह राजयोग है।
  • योग लगाकर तुम राज्यभाग्य पाते हो।
  • ईश्वर तुमको योग सिखाए राजाई का वर्सा देते हैं।
  • तुमको राज्य किसने दिया?
  • बाप ने।
  • बाप कहते हैं - अल्फ को याद करो।
  • बाप और वर्से को याद करो तो पाप कटते जायेंगे
  • यह तो बहुत सहज है।
  • तुम्हारी बुद्धि में कितना ज्ञान है।
  • भगवान के बच्चे मास्टर गॉड ठहरे।
  • बाप के पास बैठ थोड़ेही जाना है।
  • हमको तो पार्ट बजाना है, इसमें देही-अभिमानी बनना है।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप जो ज्ञान देते हैं, उसका ही सदैव मंथन करना है।
    • युक्ति से बातें करनी है।
    • बहुत प्यार से समझाना है।
  • 2) अपने पास जो कुछ है वह जीते जी बाप को देकर ट्रस्टी बन एक बाप को याद करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • अपने सर्वश्रेष्ठ पोजीशन की खुमारी द्वारा अनेक आत्माओं का कल्याण करने वाले अथॉरिटी स्वरूप भव
  • हम आलमाइटी अथॉरिटी के बच्चे हैं - यह है सर्वश्रेष्ठ पोजीशन, इस पोजीशन की खुमारी में रहो तो माया की अधीनता समाप्त हो जायेगी।
  • इसी अथॉरिटी का स्वरूप बनने से किसी भी आत्मा का कल्याण कर सकते हो।
  • जो सदा इस खुमारी में रहते हैं वो सदाकाल का राज्य भाग्य प्राप्त करते हैं।
  • यही अथॉरिटी सदा कायम रखो तो विश्व आपके आगे झुकेगी, आप किसी के आगे झुक नहीं सकते।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • करावनहार बाप की स्मृति से मैं पन को समाप्त करो।