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- ओम् शान्ति। बच्चे बैठे हैं बाप की याद में।
- ऐसा तो कोई सतसंग नहीं, जहाँ कोई बैठे और कहे कि सब बच्चे बैठे हैं बाप की याद में।
- यह एक ही स्थान है।
- बच्चे जानते हैं बाबा ने डायरेक्शन दिया है कि जब तक जीते रहो तब तक बाप को याद करते रहो।
- यह पारलौकिक बाप ही कहते हैं - हे बच्चों।
- सब बच्चे सुन रहे हैं।
- न सिर्फ तुम बच्चे परन्तु सभी को कहते हैं।
- बच्चे बाप की याद में रहो तो तुम्हारे जन्म-जन्मान्तर के जो पाप हैं, जिसके कारण कट चढ़ी हुई है, वह सब निकल जायेगी और तुम्हारी आत्मा सतोप्रधान बन जायेगी।
- तुम्हारी आत्मा असुल थी ही सतोप्रधान फिर पार्ट बजाते-बजाते तमोप्रधान बन गई है।
- यह महावाक्य सिवाए बाप के कोई कह न सके।
- लौकिक बाप के करके दो-चार बच्चे होंगे।
- उन्हों को कहेंगे राम-राम कहो या पतित-पावन सीताराम कहो अथवा कहेंगे श्रीकृष्ण को याद करो।
- ऐसे नहीं कहेंगे हे बच्चों, अब मुझ बाप को याद करो।
- बाप तो घर में है।
- याद करने की बात ही नहीं।
- यह बेहद का बाप कहते हैं जीव की आत्माओं को।
- आत्मायें ही बाप के सामने बैठी हुई हैं।
- आत्माओं का बाप एक ही बार आते हैं, 5 हजार वर्ष के बाद आत्मायें और परमात्मा मिलते हैं।
- बाप कहते हैं मैं कल्प-कल्प आकर यह पाठ पढ़ाता हूँ।
- हे बच्चों, तुम मुझे याद करते आये हो - हे पतित-पावन आओ।
- मैं आता हूँ जरूर।
- नहीं तो याद कहाँ तक करते रहेंगे!
- लिमिट तो जरूर होगी ना!
- मनुष्यों को यह पता नहीं है कि कलियुग की लिमिट कब पूरी होती है।
- यह भी बाप को ही बताना पड़े।
- बाप बिगर तो कोई कहेंगे नहीं कि हे बच्चे, मुझे याद करो।
- मुख्य है ही याद की बात।
- रचना के चक्र को भी याद करना बड़ी बात नहीं है।
- सिर्फ बाप को याद करने में मेहनत लगती है।
- बाप कहते हैं - आधाकल्प है भक्ति मार्ग, आधाकल्प है ज्ञान मार्ग।
- ज्ञान की प्रालब्ध, तुमने आधाकल्प पाई है फिर आधाकल्प भक्ति की प्रालब्ध।
- वह है सुख की प्रालब्ध, वह है दु:ख की प्रालब्ध।
- दु:ख और सुख का खेल बना हुआ है।
- नई दुनिया में सुख, पुरानी दुनिया में दु:ख।
- मनुष्यों को इन बातों का कुछ भी पता नहीं है।
- कहते भी हैं हमारे दु:ख हरो, सुख दो।
- आधाकल्प रावण राज्य चलता है।
- यह भी किसको पता नहीं है सिवाए बाप के और कोई दु:ख मिटा नहीं सकता।
- शरीर की बीमारी आदि डॉक्टर मिटाते हैं, वह हो गया अल्पकाल के लिए।
- यह तो है स्थाई, आधाकल्प के लिए।
- नई दुनिया को स्वर्ग कहा जाता है।
- जरूर वहाँ सब सुखी होंगे।
- फिर बाकी इतनी सब आत्मायें कहाँ होंगी?
- यह कोई के भी ख्याल में आता नहीं है।
- तुम जानते हो यह नई पढ़ाई है, पढ़ाने वाला भी नया है।
- भगवानुवाच, मैं तुमको राजाओं का भी राजा बनाता हूँ।
- यह भी बरोबर है कि सतयुग में एक ही धर्म होता है तो जरूर बाकी सब विनाश हो जायेंगे।
- नई दुनिया और पुरानी दुनिया किसको कहा जाता है, सतयुग में कौन रहते हैं - यह भी अभी तुम जानते हो।
- सतयुग में एक आदि सनातन देवी-देवता धर्म का राज्य था। कल की तो बात है।
- यह कहानी है - 5 हजार वर्ष की।
- बाप बताते हैं 5 हजार वर्ष पहले भारत में इन देवी-देवताओं का राज्य था।
- वह 84 जन्म लेते-लेते अभी पतित बने हैं इसलिए अभी पुकारते हैं कि आकर पावन बनाओ।
- निराकारी दुनिया में तो सभी पावन आत्मायें ही रहती हैं।
- फिर नीचे आकर पार्ट बजाती हैं तो सतो रजो तमो में आती हैं।
- सतोप्रधान को निर्विकारी कहा जाता है।
- तमोप्रधान अपने को विकारी कहलाते हैं।
- समझते हैं यह देवी-देवतायें निर्विकारी थे, हम विकारी हैं इसलिए बाप कहते हैं - देवताओं के जो पुजारी हैं उन्हों को यह ज्ञान झट बुद्धि में बैठेगा क्योंकि देवता धर्म वाले हैं।
- अभी तुम जानते हो जो हम पूज्य थे, वही पुजारी बने हैं।
- जैसे क्रिश्चियन क्राइस्ट की पूजा करते हैं क्योंकि उस धर्म के हैं।
- तुम भी देवताओं के पुजारी हो तो उस धर्म के ठहरे।
- देवतायें निर्विकारी थे, वह अभी विकारी बने हैं।
- विकार के लिए ही कितने अत्याचार होते हैं।
- बाप कहते हैं - मुझे याद करने से तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे और तुम सदा सुखी बनेंगे।
- यहाँ हैं सदा दु:खी।
- अल्पकाल का सुख है।
- वहाँ तो सब सुखी होंगे।
- फिर भी पद में फ़र्क है ना।
- सुख की भी राजधानी है, दु:ख की भी राजधानी है।
- बाप जब आते हैं तो विकारी राजाओं की राजाई भी खत्म हो जाती है क्योंकि यहाँ की प्रालब्ध पूरी हो गई है।
- अभी तुम बच्चे जानते हो बाप की श्रीमत पर चलना है।
- बाप कहते हैं जैसे मैं शान्ति का सागर हूँ, प्यार का सागर हूँ, तुमको भी ऐसा बनाता हूँ।
- यह महिमा एक बाप की है।
- कोई मनुष्य की महिमा नहीं है।
- तुम बच्चे जानते हो बाप पवित्रता का सागर है।
- हम आत्मायें भी जब परमधाम में रहती हैं तो पवित्र हैं।
- यह ईश्वरीय नॉलेज तुम बच्चों के पास ही है और कोई जान न सके।
- जैसे ईश्वर ज्ञान का सागर है, स्वर्ग का वर्सा देने वाला है।
- उन्हें बच्चों को आप-समान भी जरूर बनाना है।
- पहले तुम्हारे पास बाप का परिचय नहीं था।
- अभी तुम जानते हो परमात्मा जिसकी इतनी महिमा है वह हमको ऐसा ऊंच बनाते हैं, तो अपने को ऐसा ऊंचा बनाना पड़े।
- कहते हैं ना - इनमें दैवीगुण बहुत अच्छे हैं, जैसा देवता....।
- किसका शान्त स्वभाव होता है, किसको गाली आदि नहीं देता है तो उनको अच्छा आदमी कहा जाता है।
- परन्तु वह बाप को, सृष्टि चक्र को नहीं जानते हैं।
- अब बाप आकर तुम बच्चों को अमरलोक का मालिक बनाते हैं।
- नई दुनिया का मालिक बाप बिगर कोई बना नहीं सकता।
- यह है पुरानी दुनिया, वह है नई दुनिया।
- वहाँ देवी-देवताओं की राजधानी होती है।
- कलियुग में वह राजधानी है नहीं।
- बाकी अनेक राजधानियाँ हैं।
- अब फिर अनेक राजधानियों का विनाश हो और एक राजधानी स्थापन होनी है।
- जरूर जब राजधानी नहीं हो तब बाप आकर स्थापन करे।
- सो तो सिवाए बाप के और कोई कर न सके।
- तुम बच्चों का बाप में कितना लव होना चाहिए।
- जो बाप कहेंगे सो करेंगे जरूर।
- एक तो बाप कहते हैं मुझे याद करो और सर्विस करो, दूसरों को रास्ता बताओ।
- देवी-देवता धर्म वाले जो होंगे उनको असर पड़ेगा जरूर।
- हम महिमा करते ही हैं एक बाप की।
- बाप में गुण हैं तो बाप ही आकर हमको गुणवान बनाते हैं।
- बाप कहते हैं बच्चे, बहुत मीठा बनो।
- प्यार से बैठ सबको समझाओ।
- भगवानुवाच मामेकम् याद करो तो मैं तुमको स्वर्ग का मालिक बनाऊंगा।
- तुम्हें अब वापस घर जाना है।
- पुरानी दुनिया का महाविनाश सामने खड़ा है।
- आगे भी महाभारी महाभारत लड़ाई लगी थी।
- भगवान ने राजयोग सिखाया था।
- अब अनेक धर्म हैं।
- सतयुग में एक धर्म था, जो अब प्राय:लोप हो गया है।
- अब बाप आकर अनेक धर्मो का विनाश कर, एक धर्म की स्थापना करते हैं।
- बाप समझाते हैं मैं यह यज्ञ रचता हूँ, अमरपुरी जाने के लिए तुमको अमर कथा सुनाता हूँ।
- अमरलोक जाना है तो मृत्युलोक का जरूर विनाश होगा।
- बाप है ही नई दुनिया का रचयिता।
- तो बाप को जरूर यहाँ ही आना पड़े।
- अब तो विनाश ज्वाला सामने खड़ी है।
- फिर समझेंगे तो आप सच कहते हो बरोबर यह वही महाभारत लड़ाई है।
- यह नामीग्रामी है तो जरूर इस समय भगवान भी है।
- भगवान कैसे आता है, यह तो तुम बता सकते हो।
- तुम सबको बताओ कि हमको तो डायरेक्ट भगवान समझाते हैं।
- वह कहते हैं तुम मुझे याद करो।
- सतयुग में तो सभी सतोप्रधान हैं, अभी तमोप्रधान हैं।
- अब फिर सतोप्रधान बनो तब मुक्ति-जीवनमुक्ति में जाओ।
- बाप कहते हैं - सिर्फ मेरी याद से ही तुम सतोप्रधान बन सतोप्रधान दुनिया का मालिक बन जायेंगे।
- हम रूहानी पण्डे हैं, यात्रा करते हैं - मनमनाभव की।
- बाप आकर ब्राह्मण धर्म, सूर्यवंशी चन्द्रवंशी धर्म स्थापन करते हैं।
- बाप कहते हैं - मुझे याद नहीं करेंगे तो जन्म-जन्मान्तर के पापों का बोझा उतरेगा नहीं।
- यह बड़े ते बड़ा फुरना है।
- कर्म करते, धन्धा करते मेरे आशिक मुझ माशूक को याद करो।
- हर एक को अपनी पूरी सम्भाल करनी है।
- बाप को याद करो।
- कोई पतित काम नहीं करो।
- घर-घर में बाप का सन्देश देते रहो कि भारत स्वर्ग था।
- लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
- अभी नर्क है।
- नर्क के विनाश के लिए यह वही महाभारत लड़ाई है।
- अब देही-अभिमानी बनो।
- बाप का फरमान है - मानो व न मानो।
- हम तो आये हैं तुमको सन्देश सुनाने।
- बाप का हुक्म है - सबको सन्देश सुनाओ।
- बाप से पूछते हैं कौन सी सर्विस करें, बाबा कहते हैं - सन्देश देते रहो।
- बाप को याद करो, राजधानी को याद करो।
- अन्त मती सो गति हो जायेगी।
- मन्दिरों में जाओ, गीता पाठशालाओं में जाओ।
- आगे चलकर तुमको बहुत मिलते रहेंगे।
- तुमको उठाना है देवी-देवता धर्म वालों को।
- बाप समझाते हैं बहुत-बहुत मीठे बनो।
- खराब चलन होगी तो पद भ्रष्ट हो जायेगा।
- कोई को दु:ख मत दो, टाइम बहुत थोड़ा है।
- बीलव्ड बाप को याद करो, जिससे स्वर्ग की राजाई मिलती है।
- कोई की मुरली नहीं चलती तो सीढ़ी के चित्र के सामने बैठ सिर्फ यह ख्याल करो - ऐसे-ऐसे हम जन्म लेते हैं, ऐसे चक्र फिरता रहता है.. तो आपेही वाणी खुल जायेगी।
- जो बात अन्दर आती है, वह बाहर जरूर निकलती है।
- याद करने से हम पवित्र बनेंगे और नई दुनिया में राज्य करेंगे।
- हमारी अब चढ़ती कला है।
- तो अन्दर खुशी होनी चाहिए।
- हम मुक्तिधाम में जाकर फिर जीवनमुक्ति में आयेंगे।
- बड़ी जबरदस्त कमाई है।
- धन्धाधोरी भल करो - सिर्फ बुद्धि से याद करो।
- याद की आदत पड़ जानी चाहिए।
- स्वदर्शन चक्रधारी बनना है।
- चलन खराब होगी तो फिर धारणा नहीं होगी।
- किसको समझा नहीं सकेंगे।
- कदम आगे बढ़ाने का पुरुषार्थ करना चाहिए।
- पीछे नहीं आना चाहिए।
- प्रदर्शनी में सर्विस करने से बहुत खुशी होगी।
- सिर्फ बताना है कि बाप कहते हैं मुझे याद करो।
- देहधारियों को याद करने से विकर्म बनेंगे।
- वर्सा देने वाला मैं हूँ।
- मैं सबका बाप हूँ।
- मैं ही आकर तुमको मुक्ति-जीवनमुक्ति में ले जाता हूँ।
- प्रदर्शनी मेले में सर्विस करने का बहुत शौक होना चाहिए।
- सर्विस में अटेन्शन देना चाहिए।
- आपेही बच्चों को ख्यालात आने चाहिए।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) एक बाप में ही पूरा लव रखना है।
- सबको सच्चा रास्ता बताना है।
- धन्धा आदि करते अपनी पूरी सम्भाल करनी है। एक की याद में रहना है।
- 2) सर्विस करने का बहुत-बहुत शौक रखना है।
- अपनी चलन को सुधारना है, स्वदर्शन चक्रधारी बनना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- करन-करावनहार की स्मृति द्वारा सहजयोग का अनुभव करने वाले सफलतामूर्त भव
- कोई भी कार्य करते यही स्मृति रहे कि इस कार्य के निमित्त बनाने वाला बैकबोन कौन है।
- बिना बैकबोन के कोई भी कर्म में सफलता नहीं मिल सकती, इसलिए कोई भी कार्य करते सिर्फ यह सोचो मैं निमित्त हूँ, कराने वाला स्वयं सर्व समर्थ बाप है।
- यह स्मृति में रख कर्म करो तो सहज योग की अनुभूति होती रहेगी।
- फिर यह सहजयोग वहाँ सहज राज्य करायेगा।
- यहाँ के संस्कार वहाँ ले जायेंगे।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- इच्छायें परछाई के समान हैं आप पीठ कर दो तो पीछे-पीछे आयेंगी।
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