09-10-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - मात-पिता को फालो कर तख्तनशीन बनो, इसमें कोई तकलीफ नहीं, सिर्फ बाप को याद करो और पवित्र बनो''

प्रश्नः-


गरीब-निवाज़ बाप अपने बच्चों का भाग्य बनाने के लिए कौन सी राय देते हैं?

उत्तर:-

बच्चे, शिवबाबा को तुम्हारा कुछ नहीं चाहिए। तुम भल खाओ, पियो, पढ़ो - रिफ्रेश होकर चले जाओ लेकिन चावल मुट्ठी का भी गायन है।

21 जन्मों के लिए साहूकार बनना है तो गरीब का एक पैसा भी साहूकार के 100 रूपये के बराबर है इसलिए बाप जब डायरेक्ट आते हैं तो अपना सब कुछ सफल कर लो।

 

गीत:- तुम्ही हो माता पिता तुम्हीं हो....


  • ओम् शान्ति।
  • गीत का अर्थ तो बच्चों ने समझा।
    • वह भल पुकारते हैं परन्तु समझते नहीं हैं।
    • तुम जानते हो वह हमारा बाप है।
    • वास्तव में सिर्फ वह तुम्हारा बाप नहीं लेकिन सबका बाप है।
    • यह भी समझने का है।
    • जो भी सभी आत्मायें हैं उन सभी का बाप परमात्मा जरूर है।
    • बाबा-बाबा कहने से वर्सा जरूर याद आता है।
  • बाप को याद करने से ही विकर्म विनाश होंगे।

    • बाप बच्चों को कहते हैं तुम्हारी आत्मा पतित बनी हुई है, अब उनको पावन बनाना है।
    • सभी का बाबा है तो बच्चे जरूर निर्विकारी होने चाहिए।
    • कोई समय सब निर्विकारी थे।
    • बाप खुद समझाते हैं जब श्री लक्ष्मी-नारायण का राज्य था तब सब निर्विकारी थे।
  • इतनी सब जो मनुष्य आत्मायें देखते हो वह भी निर्विकारी होंगी क्योंकि शरीर तो विनाश हो जायेगा बाकी आत्मायें जाकर निराकारी दुनिया में रहती हैं।

    • वहाँ विकार का तो नाम-निशान नहीं।
    • शरीर ही नहीं है।
    • वहाँ से ही सब आत्मायें आती हैं - इस दुनिया में पार्ट बजाने।
    • पहले-पहले भारतवासी आते हैं।
    • भारत में पहले-पहले इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था तो और सब धर्म वाले निराकारी दुनिया में थे।
    • इस समय सब साकारी दुनिया में हैं।
  • अभी बाप तुम बच्चों को निर्विकारी बनाते हैं, निर्विकारी देवी-देवता बनाने के लिए।

    • जब तुम देवी-देवता बन जाते हो तब तुम्हारे लिए जरूर नई दुनिया चाहिए।
  • पुरानी दुनिया खत्म होनी चाहिए।
    • शास्त्रों में महाभारत लड़ाई भी दिखाई हुई है।
    • दिखाते हैं बाकी 5 पाण्डव रहे वह भी पहाड़ पर गल गये।
    • कोई नहीं बचा।
    • अच्छा इतनी सब आत्मायें कहाँ गई?
    • आत्मा तो विनाश को पाती नहीं।
    • तो कहेंगे निराकारी, निर्विकारी दुनिया में गई।
    • बाप विकारी दुनिया से निराकारी, निर्विकारी दुनिया में ले जाते हैं।
    • तुम जानते हो बाप से तो जरूर वर्सा मिलना चाहिए।
    • अभी दु:ख बढ़ गया है।
  • इस समय हमको सुख-शान्ति दोनों चाहिए।
    • भगवान से सब मांगते हैं - हे भगवान हमको सुख दो, शान्ति दो।
    • हर एक मनुष्य पुरुषार्थ करता ही है धन के लिए।
    • पैसा है तो सुख है।
    • तुमको बेहद का बाप तो बहुत पैसा देते हैं।
    • तुम सतयुग में कितने धनवान थे।
    • हीरे जवाहरों के महल थे।
  • तुम बच्चे जानते हो हम बेहद के बाप से बेहद स्वर्ग का वर्सा लेने आये हैं।
    • सारी दुनिया तो नहीं आयेगी।
    • बाप भारत में ही आते हैं।
    • भारतवासी ही इस समय नर्कवासी हैं फिर स्वर्ग-वासी बाप बनाते हैं।
  • भक्ति में दु:ख के कारण बाप को जन्म-जन्मान्तर याद किया है।
    • हे परमपिता परमात्मा, हे कल्याणकारी दु:ख हर्ता, सुख कर्ता बाबा, उनको याद करते हैं तो जरूर वह आता भी होगा।
    • ऐसे ही मुफ्त में थोड़ेही याद करते हैं।
    • समझते हैं भगवान बाप आकर भक्तों को फल देगा।
    • सो तो सभी को देगा ना।
    • बाबा तो सबका है ना।
  • तुम जानते हो हम सुखधाम में जायेंगे।
    • बाकी सब शान्तिधाम में जायेंगे।
    • जब सुखधाम में हैं तो सुख-शान्ति सारी सृष्टि पर रहता है।
  • बाप का तो बच्चों पर लव रहता है ना।
    • और फिर बच्चों का भी माँ-बाप पर प्यार रहता है।
    • यह भी गाते हैं तुम मात-पिता...जिस्मानी मात-पिता होते हुए भी गाते हैं तुम मात-पिता.... तुम्हारी कृपा से सुख घनेरे।
    • लौकिक माँ-बाप के लिए तो ऐसे नहीं गाते हैं।
    • भल वह भी बच्चों को सम्भालते हैं, मेहनत करते हैं, वर्सा देते हैं।
    • सगाई कराते हैं।
    • फिर भी सुख घनेरे पारलौकिक मात-पिता ही देते हैं।
  • अभी तुम हो ईश्वरीय धर्म के बच्चे।
    • वह सब हैं आसुरी धर्म के बच्चे।
    • सतयुग में कभी कोई धर्म के बच्चे नहीं करते हैं।
    • वहाँ तो सुख ही सुख है।
    • दु:ख का नाम-निशान नहीं।
  • बाप कहते हैं - मैं आया हूँ 21 पीढ़ी के लिए तुमको स्वर्ग के सुख घनेरे देने।
    • अभी तुम जानते हो बेहद के बाप से हम स्वर्ग के घनेरे सुख पा रहे हैं।
    • यह दु:ख के सब बन्धन खलास हो जायेंगे।
    • सतयुग में है सुख का सम्बन्ध।
    • कलियुग में है दु:ख का बन्धन।
    • बाप सुख के सम्बन्ध में ले जाते हैं।
    • उनको कहा ही जाता है - दु:ख हर्ता सुख कर्ता।
  • बाप आकर बच्चों की सेवा करते हैं।
    • बाप कहते हैं - हम ओबीडियन्ट सर्वेन्ट हैं।
    • तुमने मुझे आधाकल्प याद किया है, हे बाबा आकर हमको सुख घनेरे दो।
    • अब मैं आया हूँ देने तो फिर श्रीमत पर चलना है।
  • यह मृत्युलोक सब खत्म हो जाने वाला है।
    • अमरलोक स्थापन होता है।
    • अमरपुरी में जाने के लिए अमरनाथ बाबा से तुम अमरकथा सुनते हो।
    • वहाँ तो कोई मरते नहीं।
    • मुख से कभी ऐसे नहीं कहेंगे फलाना मर गया।
    • आत्मा कहती है हम यह जड़जड़ीभूत शरीर छोड़कर नया लेता हूँ।
    • वह तो अच्छा हुआ ना।
    • वहाँ कोई बीमारी आदि होती नहीं।
    • मृत्युलोक का नाम नहीं।
    • मैं आया हूँ तुमको अमरपुरी का मालिक बनाने।
    • वहाँ जब तुम राज्य करेंगे तो मृत्युलोक का कुछ भी याद नहीं पड़ेगा।
    • नीचे उतरते-उतरते हम क्या बनेंगे, वह भी मालूम नहीं रहता।
    • नहीं तो सुख ही उड़ जाए।
  • यहाँ तो तुमको सारा चक्र बुद्धि में रखना है।

    • बरोबर स्वर्ग था, अब नर्क है तब तो बाप को बुलाते हैं।
    • तुम आत्मायें शान्तिधाम की रहने वाली हो।
    • यहाँ आकर पार्ट बजाती हो।
    • यहाँ से तुम संस्कार ले जायेंगे घर।
    • फिर वहाँ से आकर नया शरीर धारण कर राज्य करेंगे।
    • अभी तुमको निराकारी, आकारी और साकारी दुनिया का समाचार सुनाते हैं।
    • सतयुग में थोड़ेही यह पता पड़ेगा।
    • वहाँ तो सिर्फ राज्य करेंगे।
    • ड्रामा को अभी तुम जानते हो।
  • तुम्हारी आत्मा जानती है सतयुग के लिए हम पुरूषार्थ कर रहे हैं।
    • स्वर्ग में चलने लायक जरूर बनेंगे।
    • अपना भी कल्याण और दूसरों का भी कल्याण करेंगे।
    • फिर उन्हों की आशीर्वाद तुम्हारे सिर पर आती रहेगी।
    • तुम्हारा प्लैन देखो कैसा है।
  • इस समय सभी का अपना-अपना प्लैन है।
    • बाप का भी प्लैन है।
    • वो लोग डैम्स आदि बनाते हैं तो बिजली आदि पर कितने करोड़े रूपये खर्चा करते हैं।
    • बाप समझाते हैं अब वह सब हैं आसुरी प्लैन।
    • हमारा है ईश्वरीय प्लैन।
    • अब किसका प्लैन विजय को पायेगा?
    • वह तो आपस में ही लड़ पड़ेंगे।
    • सभी का प्लैन मिट्टी में मिल जायेगा।
    • वो कोई स्वर्ग की स्थापना तो नहीं करते हैं।
    • वो जो कुछ करते हैं दु:ख के लिए।
    • बाप का तो प्लैन है स्वर्ग बनाने का।
    • नर्कवासी मनुष्य नर्क में ही रहने के लिए प्लैन बनाते हैं।
    • बाबा का प्लैन स्वर्ग बनाने का चल रहा है।
    • तो तुमको कितनी न खुशी होनी चाहिए।
  • गाते भी हो तुम्हरी कृपा ते सुख घनेरे।
    • वह तो पुरुषार्थ कर लेना है ना।
    • बाप कहते हैं जो चाहिए सो लो।
    • चाहे विश्व के मालिक राजा रानी बनो, चाहे फिर दास-दासी बनो।
    • जितना पुरुषार्थ करेंगे।
  • बाप सिर्फ कहते हैं एक तो पवित्र बनो और हर एक को बाप का परिचय देते रहो।
    • अल्फ को याद करो तो बे बादशाही तुम्हारी।
    • बाप को याद करने में ही माया बहुत विघ्न डालती है।
    • बुद्धियोग तोड़ देती है।
    • बाप कहते हैं, जितना मुझे याद करेंगे तो पाप भी भस्म होंगे और ऊंच पद भी पायेंगे इसलिए भारत का प्राचीन योग मशहूर है।
  • बाप को लिबरेटर भी कहते हैं।
    • 21 जन्म के लिए बाप तुम्हें दु:ख से लिबरेट करते हैं।
    • भारतवासी सुखधाम में होंगे, बाकी सब शान्ति-धाम में होंगे।
    • निराकारी दुनिया और साकारी दुनिया का प्लैन दिखाने से झट समझ जायेंगे और धर्म वाले स्वर्ग में आ न सकें।
    • स्वर्ग में तो हैं ही देवी-देवतायें।
    • यह ड्रामा की नॉलेज बाप के सिवाए कोई समझा न सके।
  • बच्चे आते ही हैं बाप से वर्सा लेने।
    • सुख घनेरे तो हैं ही सतयुग में।
    • बाद में रावण राज्य होता है।
    • उसमें होते हैं दु:ख घनेरे।
    • अभी तुम समझते हो बाबा हमको सच्ची-सच्ची कथा सुनाकर अमरलोक में जाने लायक बनाते हैं।
  • अभी ऐसे कर्म करते हो तब तो 21 जन्मों के लिए धनवान बनते हो।
    • कहते भी हैं, धनवान भव, पुत्रवान भव.... वहाँ एक बच्चा, एक बच्ची तुमको जरूर होंगे।
    • आयुश्वान भव, तुम्हारी आयु भी 150 वर्ष होगी।
    • अकाले मृत्यु कभी होता नहीं।
    • यह बाप ही समझाते हैं।
  • तुम आधाकल्प हमको पुकारते आये हो।
    • संन्यासी ऐसे कहेंगे क्या?
    • वह क्या जानें!
    • बाप कितना प्यार से बैठ समझाते हैं।
  • बच्चे, यह एक जन्म अगर पावन बनेंगे तो 21 जन्म पावन दुनिया के मालिक बनेंगे।
    • पवित्रता में तो सुख है ना।
    • तुम पवित्र दैवी धर्म वाले थे।
    • अब अपवित्र बन दु:ख में आये हो।
    • स्वर्ग में निर्विकारी थे, अभी विकारी बनने से नर्क में दु:खी हुए हो।
    • बाप तो पुरूषार्थ करायेंगे ना।
    • स्वर्ग के महाराजा-महारानी बनो।
    • तुम्हारे बाबा मम्मा बनते हैं ना तो तुम भी पुरूषार्थ करो, इसमें मूँझने की कोई बात ही नहीं।
    • बाप तो किसको पांव पड़ने भी नहीं देते।
  • बाप समझाते हैं हमने तुमको सोने हीरे के महल दिये।
    • स्वर्ग का मालिक बनाया।
    • फिर आधाकल्प तुम भक्ति मार्ग में माथा घिसाते आये, पैसा भी देते आये।
    • वह सोने हीरे के महल सब कहाँ गये?
    • तुम स्वर्ग से उतरते-उतरते नर्क में आकर पड़े हो।
    • अब तुमको फिर स्वर्ग में ले जाता हूँ।
    • तुमको कोई तकलीफ नहीं देता हूँ।
  • सिर्फ मुझे याद करो और पवित्र बनो।
    • भल एक पैसा भी न दो।
    • खाओ, पियो, पढ़ो, रिफ्रेश हो चले जाओ।
    • बाबा तो सिर्फ पढ़ाते हैं।
    • पढ़ाई का पैसा कुछ नहीं लेते हैं।
    • कहते हैं बाबा हम देंगे जरूर, नहीं तो वहाँ महल आदि कैसे मिलेंगे।
    • भक्ति मार्ग में भी तुम ईश्वर अर्थ दान गरीबों को देते थे, फल भी ईश्वर देगा।
    • गरीब थोड़ेही देगा।
    • परन्तु वह मिलता है एक जन्म लिए।
    • अब तो बाबा आप डायरेक्ट आये हो।
    • हम यह थोड़े पैसे देते हैं, आप हमको 21 जन्म के लिए स्वर्ग में देना।
    • बाप सबको साहूकार बना देते हैं।
    • पैसे देते हो तो तुम्हारे ही रहने के लिए मकान आदि बनाते हैं।
    • नहीं तो यह सब कैसे बनेंगे।
    • बच्चे ही यह मकान आदि बनाते हैं ना।
    • शिवबाबा कहते हैं मुझे तो इनमें रहने का नहीं है।
    • शिवबाबा तो निराकार दाता है ना।
    • तुम देते हो तुमको 21 जन्मों के लिए फल देते हैं।
    • मैं तो तुम्हारे स्वर्ग में ही नहीं आऊंगा।
  • मुझे नर्क में आना पड़ता है, तुमको नर्क से निकालने के लिए।
    • तुम्हारे गुरू लोग तो और ही दुबन में फँसा देते हैं।
    • वह कोई सद्गति नहीं देते।
    • अब बाप आये है पवित्र दुनिया में ले चलने फिर ऐसे बाप को याद क्यों नहीं करते।
    • बाप कहते हैं - कुछ भी पैसा न दो सिर्फ मुझे याद करो तो पाप नाश होंगे और मेरे पास आ जायेंगे।
    • यह मकान आदि तुम बच्चों ने अपने लिए ही बनवाये हैं।
  • यहाँ चावल मुट्ठी का गायन है ना।
    • गरीब अपनी हिम्मत अनुसार जितना देते हैं उतना उनका भी बनता है।
    • जितना साहूकार का पद उतना गरीब का।
    • दोनों का एक हो जाता है।
    • गरीब के पास है ही 100 रूपया उनसे एक रूपया दे, साहूकार को बहुत है तो वह 100 दे, दोनों का एक ही फल होगा, इसलिए बाप को गरीब-निवाज़ कहा जाता है।
    • सबसे गरीब है भारत।
    • उनको ही मैं आकर साहूकार बनाता हूँ।
    • गरीब को ही दान दिया जाता है ना।
    • कितना क्लीयर कर बाबा समझाते हैं।
  • बच्चे अब मौत सामने खड़ा है, अब जल्दी-जल्दी करो।
    • याद की रफ्तार बढ़ाओ।
    • मोस्ट स्वीट बाबा को जितना याद करेंगे उतना वर्सा मिलेगा।
    • तुम बहुत धनवान बनेंगे।
    • बाप तुमको ऐसा नहीं कहते हैं कि माथा टेको।
    • मेले मलाखड़े में जाओ। नहीं।
  • घर में बैठे बाप और वर्से को याद करो। बस।
    • बाप है बिन्दी।
    • उनको परमपिता परमात्मा कहा जाता है।
    • सुप्रीम सोल, सबसे ऊंच ते ऊंच है।
    • बाप कहते हैं मैं भी बिन्दी हूँ, तुम भी बिन्दी हो।
    • सिर्फ भक्ति मार्ग के लिए मेरा बड़ा रूप बनाकर रखा है।
    • नहीं तो बिन्दी की पूजा कैसे करें।
    • उनको कहते भी हैं शिवबाबा।
    • किसने कहा?
    • अभी तुम कहते हो कि शिवबाबा हमें वर्सा दे रहे हैं।
    • वन्डर है ना।
    • 84 का चक्र फिरता रहता है।
    • अनेक बार तुमने वर्सा लिया है और लेते ही रहेंगे।
    • कितना अच्छी रीति बाप बैठ समझाते हैं।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) मौत सामने खड़ा है इसलिए अब याद की रफ्तार को बढ़ाना है।
    • सतयुगी दुनिया में ऊंच पद पाने का पूरा पुरुषार्थ करना है।
  • 2) अपना और दूसरों का कल्याण कर आशीर्वाद लेनी है।
    • पवित्र दुनिया में चलने के लिए पवित्र जरूर बनना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • नये जीवन की स्मृति से कर्मेन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने वाले मरजीवा भव
  • जो बच्चे पूरा मरजीवा बन गये उन्हें कर्मेन्द्रियों की आकर्षण हो नहीं सकती।
  • मरजीवा बने अर्थात् सब तरफ से मर चुके, पुरानी आयु समाप्त हुई।
  • जब नया जन्म हुआ, तो नये जन्म, नई जीवन में कर्मेन्द्रियों के वश हो कैसे सकते।
  • ब्रह्माकुमार-कुमारी के नये जीवन में कर्मेन्द्रियों के वश होना क्या चीज़ होती है - इस नॉलेज से भी परे।
  • शूद्र पन का जरा भी सांस अर्थात् संस्कार कहाँ अटका हुआ न हो।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • अमृतवेले दिल में परमात्म स्नेह को समा लो तो और कोई स्नेह आकर्षित नहीं कर सकता।