05-10-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - आत्मा और शरीर जो पतित और काले बन गये हैं, बाप की याद से इन्हें पावन बनाओ क्योंकि अब पावन दुनिया में चलना है''

प्रश्नः-


भगवान किन बच्चों को मिलता है, बाप ने कौन सा हिसाब बतलाया है?

उत्तर:-

जिन्होंने शुरू से भक्ति की है उन्हें ही भगवान मिलता है।

बाबा ने यह हिसाब बतलाया है कि सबसे पहले तुम भक्ति करते हो इसलिए तुम्हें ही पहले-पहले भगवान द्वारा ज्ञान मिलता है,

जिससे फिर तुम नई दुनिया में राज्य करते हो।

बाप कहते हैं तुमने आधाकल्प मुझे याद किया है अब मैं आया हूँ, तुम्हें भक्ति का फल देने।

 

गीत:- मरना तेरी गली में....


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चों ने गीत सुना।
    • जब कोई मरते हैं तो बाप के पास जन्म लेते हैं।
    • जानते हो हम आत्मायें हैं।
    • वह हो गई शरीर की बात।
    • एक शरीर छोड़ फिर दूसरे बाप के पास जाते हैं।
    • तुमने कितने साकारी बाप किये हैं।
  • असुल में हो निराकारी बाप के बच्चे।

    • तुम आत्मा परमपिता परमात्मा के बच्चे हो, रहने वाले भी वहाँ के हो, जिसको निर्वाणधाम वा शान्तिधाम कहा जाता है।
    • बाप भी वहाँ रहते हैं।
    • यहाँ तुम आकर लौकिक बाप के बच्चे बनते हो, तो फिर उस बाप को भूल जाते हो।
    • सतयुग में तुम सुखी बन जाते हो, तो उस पारलौकिक बाप को भूल जाते हो।
    • सुख में उस बाप का सिमरण नहीं करते हो।
    • दु:ख में याद करते हो और आत्मा याद करती है।
    • जब लौकिक बाप को याद करती है तो बुद्धि शरीर तरफ रहती है।
    • उस बाबा को याद करेंगे तो कहेंगे ओ बाबा, हैं दोनों बाबा।
    • राइट अक्षर बाप ही है।
    • वह भी फादर, यह भी फादर।
    • आत्मा रूहानी बाप को याद करती है तो बुद्धि वहाँ चली जाती है।
    • यह बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं।
  • अभी तुम जानते हो बाबा आया हुआ है, हमको अपना बनाया है।
    • बाप कहते हैं - पहले-पहले हमने तुमको स्वर्ग में भेजा।
    • तुम बहुत साहूकार थे फिर 84 जन्म ले ड्रामा प्लैन अनुसार अभी तुम दु:खी हो पड़े हो।
    • ड्रामानुसार यह पुरानी दुनिया खत्म होनी है।
    • तुम्हारी आत्मा और यह शरीर रूपी वस्त्र सतोप्रधान थे फिर गोल्डन एज से आत्मा सिलवर एज में आई तो शरीर भी सिलवर में आया फिर कॉपर एज में आये।
    • अभी तो तुम्हारी आत्मा बिल्कुल ही पतित हो गई है, तो शरीर भी पतित है।
    • जैसे 14 कैरेट का सोना कोई पसन्द नहीं करते हैं, काला पड़ जाता है।
    • तुम भी अभी काले आइरन एजेड बन गये हो।
    • अब आत्मा और शरीर जो ऐसे काले बन गये हैं तो फिर पवित्र कैसे बनें।
  • आत्मा पवित्र बनें तो शरीर भी पवित्र मिले।
    • वह कैसे होगा?
    • क्या गंगा स्नान करने से?
    • नहीं, पुकारते ही हैं - हे पतित-पावन आओ।
    • यह आत्मा कहती है तो बुद्धि पारलौकिक बाप तरफ चली जाती है।
  • हे बाबा, देखो बाबा अक्षर ही कितना मीठा है।
    • भारत में ही बाबा-बाबा कहते हैं।
    • अभी तुम आत्म-अभिमानी बन बाबा के बने हो।
    • बाबा कहते हैं मैंने तुमको स्वर्ग में भेजा था, नया शरीर धारण किया था।
    • अब तुम क्या बन गये हो।
    • यह बातें हमेशा अन्दर रहनी चाहिए।
    • बाबा को ही याद करना चाहिए।
    • याद सब करते हैं ना - हे बाबा, हम आत्मायें पतित बन गई हैं, अब आओ, आकर पावन बनाओ।
    • ड्रामा में यह भी पार्ट है, तब तो बुलाते हैं।
    • ड्रामा प्लैन अनुसार आयेंगे भी तब जब पुरानी दुनिया से नई बनती है।
    • तो जरूर संगम पर ही आयेंगे।
  • तुम बच्चों को निश्चय है - बीलव्ड मोस्ट बाबा है।
    • कहते भी हैं स्वीट, स्वीटेस्ट...अब स्वीट कौन है?
    • लौकिक सम्बन्ध में पहले फादर है, जो जन्म देते हैं।
    • फिर है टीचर।
    • टीचर से पढ़कर तुम मर्तबा पाते हो।
    • नॉलेज इज सोर्स आफ इनकम कहा जाता है।
    • ज्ञान है नॉलेज, योग है याद।
    • तो बेहद का किसको पता नहीं है।
    • चित्रों में क्लीयर दिखाया भी है, ब्रह्मा द्वारा स्थापना शिवबाबा कराते हैं।
  • कृष्ण कैसे राजयोग सिखायेगा।
    • राजयोग सिखलाते ही हैं सतयुग के लिए।
    • तो जरूर संगम पर बाप ने सिखाया होगा।
    • सतयुग की स्थापना करने वाला है बाबा।
    • ब्रह्मा द्वारा कराते हैं, करनकरावनहार है ना।
    • वो लोग तो त्रिमूर्ति ब्रह्मा कह देते हैं।
    • परन्तु ऊंच ते ऊंच शिव है ना।
    • वह साकार है, वह निराकार है।
  • सृष्टि भी यही है।
    • इस सृष्टि का ही चक्र फिरता है, रिपीट होता रहता है।
    • सूक्ष्मवतन की सृष्टि का चक्र नहीं गाया जाता है।
    • वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होती है।
    • गाते भी हैं सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग।
    • बीच में जरूर संगमयुग चाहिए।
    • नहीं तो कलियुग को सतयुग कौन बनाये!
    • नर्कवासियों को स्वर्गवासी बनाने बाप संगम पर ही आते हैं।
  • जितनी पुरानी दुनिया उतना दु:ख जास्ती।
    • आत्मा जितना तमोप्रधान बनती जाती है, उतना दु:खी होती है।
    • देवतायें हैं सतोप्रधान।
    • यह तो हाइएस्ट अथॉरिटी गॉड फादरली गवर्मेंन्ट है।
    • साथ में धर्मराज़ भी है।
  • बाप कहते हैं - तुम शिवालय में रहने वाले थे, अब है वेश्यालय।
    • तुम पावन थे अब पतित बने हो तो कहते हो हम तो पापी हैं।
  • आत्मा कहती है मुझ निर्गुण हारे में कोई गुण नाही।
    • कोई भी देवता के मन्दिर में जायेंगे तो उनके आगे ऐसे कहेंगे।
    • कहना चाहिए बाप के आगे।
    • उसको छोड़ ब्रदर्स को लगते हैं, यह देवतायें ब्रदर्स ठहरे ना।
    • ब्रदर्स से तो कुछ मिलना नहीं है।
    • भाइयों की पूजा करते-करते नीचे गिरते आये हैं।
  • अब तुम बच्चे जानते हो - बाप आया हुआ है, उससे हमको वर्सा मिलता है।
    • बाकी मनुष्य तो बाप को जानते ही नहीं।
    • सर्वव्यापी कह देते हैं।
    • कोई फिर कहते अखण्ड ज्योति तत्व है।
    • कोई कहते वह नामरूप से न्यारा है।
    • अरे तुम कहते हो अखण्ड ज्योति स्वरूप है, फिर नाम रूप से न्यारा कैसे कहते हो।
    • बाप को न जानने के कारण ही पतित बन पड़े हैं।
    • तमोप्रधान भी बनना ही है।
    • फिर जब बाप आये तब सबको पावन बनाये।
  • आत्मायें निराकारी दुनिया में सब बाप के साथ रहती हैं।

    • फिर यहाँ आकर सतो रजो तमो का पार्ट बजाती हैं।
    • आत्मा ही बाप को याद करती है।
    • बाप आते भी हैं, कहते हैं ब्रह्मा तन का आधार लेता हूँ, यह है भाग्यशाली रथ।
    • बिगर आत्मा रथ थोड़ेही होता है।
  • कहते हैं भागीरथ ने गंगा लाई।

    • अब यह बात तो हो नहीं सकती।
    • परन्तु कुछ भी समझते नहीं कि हम कहते क्या हैं!
    • अभी तुम बच्चों को समझाया है - यह है ज्ञान वर्षा।
    • इससे क्या होता है?
    • पतित से पावन बनते हैं।
    • गंगा जमुना तो सतयुग में भी होती हैं।
  • कहते हैं कृष्ण जमुना के कण्ठे पर खेलपाल करते हैं।

    • ऐसी कोई बातें हैं नहीं।
    • वह तो सतयुग का प्रिन्स है, उसकी बहुत सम्भाल से पालना होती है क्योंकि फूल है ना।
    • फूल कितने अच्छे सुन्दर होते हैं।
    • फूल से सभी आकर खुशबू लेते हैं।
    • काँटों से थोड़ेही खुशबू लेंगे।
  • अभी तो है ही काँटों की दुनिया।
    • जंगल को बाप आकर गॉर्डन ऑफ फ्लावर्स बनाते हैं इसलिए उनका नाम बबुलनाथ भी रख दिया है।
    • काँटों से फूल बनाते हैं इसलिए महिमा गाते हैं काँटों को फूल बनाने वाला बाबा।
    • अब तुम बच्चों का बाप के साथ कितना लव होना चाहिए।
    • अभी तुम जानते हो हम बेहद के बाप के बने हैं।
    • अभी तुम्हारा सम्बन्ध उनसे भी है तो लौकिक से भी है।
  • पारलौकिक बाप को याद करने से तुम पावन बनेंगे।

    • आत्मा जानती है, वह हमारा लौकिक बाप और यह पारलौकिक बाप है।
    • भक्ति मार्ग में भी आत्मा जानती है, वह हमारा लौकिक बाप और यह गॉड फादर।
    • अविनाशी बाप को याद करते हैं।
    • वह बाप कब आकर हेविन स्थापन करते हैं, यह किसको पता नहीं है।
    • बाप आते ही हैं पतितों को पावन बनाने।
    • तो जरूर संगम पर आयेंगे।
    • शास्त्रों में तो कल्प की आयु लाखों वर्ष लिखकर मनुष्यों को बिल्कुल घोर अन्धियारे में डाल दिया है।
  • कहते हैं जो बहुत भक्ति करते हैं उन्हें भगवान मिलता है।
    • तो सबसे जास्ती भक्ति करने वाले को जरूर पहले मिलना चाहिए।
    • बाप ने हिसाब भी बतलाया है।
    • सबसे पहले भक्ति तुम करते हो तुमको ही पहले-पहले भगवान द्वारा ज्ञान मिलना चाहिए, जो फिर तुम ही नई दुनिया में राज्य करो।
  • बेहद का बाप तुम बच्चों को ज्ञान दे रहे हैं, इसमें तकलीफ की कोई बात नहीं है।

    • बाप कहते हैं तुमने आधाकल्प याद किया है।
    • सुख में तो कोई याद करते ही नहीं।
    • अन्त में जब दु:खी हो जाते हैं तब हम आकर सुखी बनाते हैं।
    • अभी तुम बहुत बड़े आदमी बनते हो।
    • चीफ मिनिस्टर, प्राइम मिनिस्टर आदि के बंगले कितने फर्स्टक्लास होते हैं।
    • सारा फर्नीचर ऐसा फर्स्टक्लास होगा।
    • तुम तो कितने बड़े आदमी (देवता) बनते हो।
    • दैवी गुण वाले देवता स्वर्ग के मालिक बनते हो।
    • वहाँ तुम्हारे लिए महल भी हीरों जवाहरों के होते हैं।
    • वहाँ तुम्हारा फर्नीचर सोने जड़ित का फर्स्टक्लास होगा।
  • यह है रूद्र ज्ञान यज्ञ।
    • शिव को रूद भी कहते हैं।
    • जब भक्ति पूरी होती है तो भगवान रुद यज्ञ रचते हैं।
    • सतयुग में यज्ञ अथवा भक्ति की बात ही नहीं।
    • इस समय ही बाप यह अविनाशी रुद्र ज्ञान यज्ञ रचते हैं, जिसका फिर बाद में गायन चलता है।
    • भक्ति तो सदैव नहीं चलती रहेगी।
    • भक्ति और ज्ञान, भक्ति है रात, ज्ञान है दिन।
  • बाप आकर दिन बनाते हैं, तो बच्चों का भी बाप के साथ कितना लव होना चाहिए।
    • बाप हमको विश्व का मालिक बनाते हैं।
    • मोस्ट बीलव्ड बाबा है ना।
    • उनसे ज्यादा प्यारी वस्तु कोई हो न सके।
    • आधाकल्प से याद करते आये हैं।
    • बाबा आकर हमारे दु:ख हरो।
  • अब बाप आये हैं, समझाते हैं बच्चे, तुम्हें अपने गृहस्थ व्यवहार में रहना ही है।
    • यहाँ बाबा के पास कहाँ तक बैठेंगे।
    • साथ में तो परमधाम में ही रह सकते।
    • यहाँ तो नहीं रह सकते।
  • यहाँ तो नॉलेज पढ़ने की है।
    • नॉलेज पढ़ने वाले थोड़े होते हैं।
    • लाउड स्पीकर पर कभी पढ़ाई होती है क्या?
    • टीचर सवाल कैसे पूछेंगे?
    • लाउड स्पीकर पर रेसपान्ड कैसे दे सकेंगे?
    • इसलिए थोड़े-थोड़े स्टूडेन्ट को पढ़ाते हैं।
    • कॉलेज तो बहुत होते हैं फिर सबके इम्तहान होते हैं।
    • रिजल्ट निकलती है।
    • यहाँ तो एक बाप ही पढ़ाते हैं।
  • यह भी समझाना चाहिए कि दो बाप हैं - लौकिक और पारलौकिक।
    • दु:ख में सिमरण उस पारलौकिक बाप का करते हैं।
    • अब वह बाप आया हुआ है।
  • महाभारत लड़ाई भी सामने खड़ी है।

    • वह समझते हैं महाभारत लड़ाई में कृष्ण आया, यह तो हो न सके।
    • बिचारे मूँझे हुए हैं।
    • फिर भी कृष्ण, कृष्ण करते रहते हैं।
  • अब मोस्ट बीलव्ड शिव भी है तो कृष्ण भी है।

    • परन्तु वह है निराकार, वह है साकार।
    • निराकार बाप सभी आत्माओं का बाप है।
    • हैं दोनों मोस्ट बीलव्ड।
    • कृष्ण भी विश्व का मालिक है ना।
    • अभी तुम जज कर सकते हो कि जास्ती प्यारा कौन?
    • शिवबाबा ही ऐसा लायक बनाते हैं ना।
    • कृष्ण क्या करते हैं?
    • बाप ही तो उनको ऐसा बनाते हैं ना।
    • तो गायन भी जास्ती उस बाप का होना चाहिए ना।
  • बाप ने समझाया है - तुम सब पार्वतियाँ हो।
    • यह शिव अमरनाथ तुमको कथा सुना रहे हैं।
    • तुम ही सब अर्जुन हो, तुम ही सब द्रोपदियाँ हो।
  • इस विशश दुनिया को रावण राज्य कहा जाता है।
    • वह है वाइसलेस वर्ल्ड।
    • विकार की बात नहीं।
    • निराकार बाप विकारी दुनिया रचेंगे क्या?
    • विकार में ही दु:ख है।
  • संन्यासियों का है ही हठयोग, निवृति मार्ग।
    • कर्म संन्यास तो कभी होता ही नहीं।
    • वह तब हो जब आत्मा शरीर से अलग हो जाए।
    • गर्भ जेल में फिर कर्मो का हिसाब शुरू हो जाता है।
    • बाकी कर्म संन्यास कहना रांग है, हठयोग आदि बहुत सीखते हैं, गुफाओं में जाकर बैठते हैं।
    • आग से भी चले जाते हैं।
  • रिद्धि सिद्धि भी बहुत है।
    • जादूगरी से बहुत चीज़ें भी निकालते हैं।
    • भगवान को भी जादूगर, रत्नागर, सौदागर कहते हैं।
    • लेकिन उनसे कोई को गति सद्गति तो नहीं मिल सकती।
    • वह तो एक ही सच्चा सतगुरू आकर सबकी गति सद्गति करते हैं।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) कांटों से फूल बनाने वाला मोस्ट बीलव्ड एक बाप है, उसे बहुत लव से याद करना है।
    • खुशबूदार पावन फूल बन सबको सुख देना है।
  • 2) यह नॉलेज (पढ़ाई) सोर्स ऑफ इनकम है, इससे 21 जन्म के लिए तुम बहुत बड़े आदमी बनते हो इसलिए इसे अच्छी रीति पढ़ना और पढ़ाना है।
    • आत्म-अभिमानी बनना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • बापदादा को अपना साथी समझकर डबल फोर्स से कार्य करने वाले सहजयोगी भव
  • कोई भी कार्य करते बापदादा को अपना साथी बना लो तो डबल फोर्स से कार्य होगा और स्मृति भी बहुत सहज रहेगी क्योंकि जो सदा साथ रहता है उसकी याद स्वत: बनी रहती है।
  • तो ऐसे साथी रहने से वा बुद्धि द्वारा निरन्तर सत का संग करने से सहजयोगी बन जायेंगे और पावरफुल संग होने के कारण हर कर्तव्य में आपका डबल फोर्स रहेगा, जिससे हर कार्य में सफलता की अनुभूति होगी।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • महारथी वह है जो कभी माया के प्रभाव में परवश न हो।