04-10-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


मीठे बच्चे - "बाप को याद करने की भिन्न-भिन्न युक्तियाँ रचो, पुरुषार्थ कर चार्ट रखो, थको नहीं, तूफानों में अडोल रहो''

प्रश्नः-


बच्चों को अपना कौन सा अनुभव आपस में एक दो को सुनाना चाहिए?

उत्तर:-

हम बाप को कितना समय और कैसे याद करते हैं!

भोजन के समय बाप की याद रहती है या अनेक प्रकार के विचार आ जाते हैं!

बाबा कहते बच्चे ट्राई करके देखो।

भोजन पर बाप के सिवाए दूसरा कुछ याद तो नहीं आता है!

फिर आपस में एक दो को अनुभव सुनाओ।

2- कोई भी दर्दनाक सीन देखते हमारी स्थिति कैसी रही!

इसका भी अनुभव सुनाना चाहिए।

 

गीत:- लाख जमाने वाले....


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे बच्चे अब बेहद बाप को कैसे भूलेंगे, जिससे बेहद का वर्सा मिलता है।
    • जिसको आधाकल्प से याद करते थे।
    • यह तो समझाया है कि मनुष्य को कभी भगवान नहीं कहा जाता।
  • तो अब जबकि बेहद का बाप मिला है, उसकी याद में ही करामत है।
    • जितना पतित-पावन बाप को याद करेंगे, उतना पावन बनते जायेंगे।
    • तुम अपने को अब पावन कह नहीं सकते हो, जब तक अन्त हो।
    • जब सम्पूर्ण पावन बन जायेंगे तो यह शरीर छोड़ जाए सम्पूर्ण पवित्र शरीर लेंगे।
  • जब सतयुग में नया शरीर मिले तब सम्पूर्ण कहेंगे।

    • फिर रावण का खात्मा हो जाता है।
    • सतयुग में रावण की एफीजी नहीं बनाई जाती है।
    • तो तुम बच्चे जब बैठते हो, चलते-फिरते हो तो बुद्धि में यह याद रहे।
    • अब हमने 84 का चक्र पूरा किया है फिर नया चक्र शुरू होता है।
    • वह है ही नई पवित्र दुनिया, नया भारत नई देहली।
    • बच्चे जानते हैं पहले जमुना का कण्ठा है, जहाँ पर परिस्तान बनना है।
    • बच्चों को बहुत अच्छी रीति समझाया जाता है, पहले-पहले तो बाप को याद करो।
  • भगवान बाप पढ़ाते हैं।

    • वही बाप टीचर गुरू है, यह भला याद रखो।
  • बाबा ने यह भी समझाया था कि तुम बाजोली खेलते हो।
    • वर्णो का चित्र भी बहुत जरूरी है।
    • सबसे ऊपर है शिवबाबा फिर चोटी ब्राह्मण।
    • यह समझाने के लिए बाबा कहते हैं।
    • अच्छा यह बुद्धि में रखो कि हम 84 जन्मों की बाजोली खेलते हैं।
    • अब संगम है, बाप जास्ती समय नहीं रहते हैं।
    • फिर भी 100 वर्ष तो लगते हैं।
    • उथल पाथल पूरी हो फिर राज्य शुरू हो जाता है।
    • महाभारत लड़ाई तो वही है, जिसमें अनेक धर्म विनाश, एक आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना हो रही है।
    • तुम्हारी कलाबाजी तो वन्डरफुल है।
    • तुमको पता है फकीर लोग कलाबाजी खेलते, तीर्थों पर जाते हैं।
    • मनुष्यों की श्रद्धा तो रहती है ना।
    • तो उन्हों को कुछ न कुछ दे देते हैं।
    • परवरिश उन्हों की होती रहती है क्योंकि ऐसे मनुष्य अपने साथ क्या उठायेंगे।
    • बाबा तो इन सब बातों का अनुभवी है।
    • बाबा ने अनुभवी रथ लिया है।
    • गुरू भी किये।
    • देखा भी बहुत कुछ।
    • तीर्थ भी किये हैं।
    • अब बाबा कहते हैं बाजोली तो याद कर सकते हो।
  • हम अभी ब्राह्मण हैं फिर देवता, क्षत्रिय बनेंगे।
    • यह है सारी भारत की बात।
    • बाप ने ऐसे समझाया है और धर्म तो जैसे बाईप्लाट हैं।
    • बाप ने तुमको ही तुम्हारे 84 जन्मों की कहानी बताई है।
    • सेन्सीबुल जो हैं वह हिसाब से समझ सकते हैं।
    • इस्लामी आयेंगे तो एवरेज कितने जन्म लेंगे।
    • एक्यूरेट हिसाब की तो दरकार नहीं।
  • इन बातों में तो कोई फिकरात की बात नहीं।
    • सबसे जास्ती फिकर यह रहती है कि हम बाबा को याद करते रहें।
    • बस एक ही फिकर है, एक को याद करने का।
    • घड़ी-घड़ी माया और फिकरात में डाल देती है, इसमें माया फिकर में बहुत डालती है।
    • बच्चों को याद करना ही चाहिए।
    • अब हमको घर जाना है।
    • स्वीट होम किसको याद नहीं आयेगा।
  • मांगते भी हैं शान्ति देवा।

    • भगवान को कहते हैं - हमको शान्ति दो।
    • अब तुम बच्चे यह तो जानते हो यह पुरानी दुनिया खत्म हो जानी है।
    • यह भी तुम्हारी बुद्धि में है और मनुष्य तो घोर अन्धियारे में हैं।
    • शान्ति सतयुग में ही होती है।
    • एक धर्म, एक भाषा, रसम-रिवाज भी एक ही है।
    • वहाँ है ही शान्ति का राज्य।
    • अद्वैत की बात ही नहीं।
    • वहाँ तो एक ही राजाई होती है और सतोप्रधान हैं।
    • रावणराज्य है नहीं जो लड़ाई हो।
  • तो तुम बच्चों को खुशी का पारा चढ़ना चाहिए।
    • शास्त्रों में जो गायन है अतीन्द्रिय सुख गोप-गोपियों से पूछो।
    • गोप-गोपियाँ तो तुम हो ना।
    • तुम सम्मुख में बैठे हो।
    • तुम्हारे पास भी नम्बरवार हैं जिनको याद रहता है कि बाबा हमारा बाबा भी है, टीचर भी है, गुरू भी है।
    • यह तो वन्डर है ना।
    • लाइफ तक साथ देते हैं।
    • गोद में लिया और पढ़ाई शुरू कर देते।
    • तो यह याद रहने से भी खुशी बहुत रहेगी।
    • परन्तु माया फिर यह भी भुला देती है।
    • मनुष्यों को यह भी समझाना होता है, मनुष्य पूछते हैं बाकी थोड़ा समय कहते हो, क्या प्रूफ है?
    • बोलो, देखो इसमें लिखा हुआ है भगवानुवाच।
    • यज्ञ भी रचा हुआ है।
    • यह है ज्ञान यज्ञ।
    • अब कृष्ण तो यज्ञ रच न सकें।
  • बच्चों को यह भी बुद्धि में रहना चाहिए कि हम ब्राह्मण इस बेहद यज्ञ के हैं।

    • बाबा ने हमको निमित्त बनाया है।
    • जब तुम अच्छी रीति ज्ञान और योग की धारणा करते हो, आत्मा सम्पूर्ण बन जाती है तब इस भंभोर को आग लगेगी।
    • मनुष्यों को ही पता होता है ना कि यह बेहद का कर्मक्षेत्र है, जहाँ सभी आकर खेल करते हैं।
  • बनी बनाई बन रही... बाप कहते हैं बच्चे चिंता उनकी की जाए जो अनहोनी हो।
    • हो गया सो ड्रामा में था फिर उनका चिंतन काहे का करें।
    • हम ड्रामा को देखते हैं।
    • ड्रामा में जब कोई ऐसा दर्दनाक सीन होता है तो मनुष्य देखकर रोते हैं।
    • अब वह तो हुआ झूठा ड्रामा।
    • यह तो सच्चा ड्रामा है।
    • सच-सच करते हैं।
    • परन्तु तुमको कोई दु:ख के आंसू नहीं आने चाहिए।
    • साक्षी होकर तुमको देखना है।
    • जानते हो यह ड्रामा है, इसमें रोने की क्या दरकार है।
    • पास्ट इज़ पास्ट।
    • कब विचार भी नहीं करना चाहिए।
  • तुम आगे बढ़ते बाप को याद करते रहो और सबको रास्ता बताते रहो।
    • बाबा तो राय देते रहते हैं।
    • त्रिमूर्ति के चित्र तुम्हारे पास बहुत हैं।
    • क्लीयर लिखा हुआ है वह शिवबाबा यह वर्सा।
    • तुम बच्चों को यह चित्र देखने से बहुत खुशी होनी चाहिए।
  • बाबा से हमको विष्णुपुरी का वर्सा मिलता है।
    • पुरानी दुनिया तो खत्म होनी है।
    • बस यह चित्र सामने रख दो, इसमें खर्चा तो कुछ भी नहीं है।
    • झाड़ भी बहुत अच्छा है।
  • रोज़ सवेरे उठकर विचार सागर मंथन करो।
    • अपना टीचर आपेही बनकर पढ़ो।
    • बुद्धि तो सबको है।
    • चित्र अपने घर में रख दो।
    • हर एक चित्र में फर्स्टक्लास ज्ञान है।
  • कहते हैं विनाश होगा तो तुम्हारी बाप के साथ प्रीत है ना।
    • कहते भी हैं सतगुरू मिला दलाल के रूप में... तो तुम्हें कितनी अच्छी-अच्छी बातें समझने-समझाने के लिए मिली हैं।
  • फिर भी माया का पाम्प बहुत है।
    • 100 वर्ष पहले यह बिजली, गैस आदि थोड़ेही थी।
    • आगे वाइसराय आदि 4 घोड़े की, 8 घोड़े की गाड़ी में आते थे।
    • आगे साहूकार लोग गाड़ी में चढ़ते थे।
    • अब तो विमान आदि निकल पड़े हैं।
    • आगे यह कुछ नहीं था।
    • 100 वर्ष के अन्दर यह क्या हो गया है।
    • मनुष्य समझते हैं कि यही स्वर्ग है।
    • अब तुम बच्चे जानते हो स्वर्ग तो स्वर्ग है।
    • यह सब पाई पैसे की चीजें हैं, इनको आर्टीफिशल पाम्प कहा जाता है।
  • अब तुम बच्चों को यही एक फुरना चाहिए कि हम बाप को याद करें, जिसमें ही माया विघ्न डालती है।
    • बाबा अपना मिसाल भी बतलाते हैं।
    • भोजन खाता हूँ, बहुत कोशिश करता हूँ - याद में रह खाऊं फिर भी भूल जाता हूँ।
    • तो समझता हूँ बच्चों को तो मेहनत बहुत होती होगी।
    • अच्छा बच्चे तुम ट्राई करके देखो।
    • बाबा की याद में रहकर दिखाओ।
    • देखो सारा समय याद ठहर सकती है।
    • अनुभव सुनाना चाहिए।
    • बाबा सारा समय याद ठहर नहीं सकती है।
    • बहुत किसम-किसम की बातें याद आ जाती हैं।
    • बाबा खुद अपना अनुभव बताते हैं।
  • बाबा ने जिसमें प्रवेश किया यह भी पुरुषार्थी है, इन पर तो बड़े झंझट हैं।
    • बड़ा कहलाना, बड़ा दु:ख पाना।
    • कितने समाचार आते हैं।
    • विकारों के कारण कितना मारते हैं।
    • घर से निकाल देते हैं।
    • बच्चियाँ कहती हैं मैं ईश्वर की शरण में आई हूँ।
    • कितने विघ्न पड़ते हैं।
    • कोई के पास शान्ति नहीं है।
    • तुम बच्चों को खातिरी है।
    • अभी पुरुषार्थ कर श्रीमत पर चल शान्ति में रहते हो।
  • इस बाबा ने यहाँ भी कई ऐसे घर देखे हैं जहाँ आपस में मेल-मिलाप में बहुत रहते हैं।
    • सभी बड़ों की आज्ञा में चलते हैं।
    • कहते हैं हमारे पास तो जैसे स्वर्ग लगा पड़ा है।
    • अभी बाबा तुमको ऐसे स्वर्ग में ले जाते हैं।
    • जहाँ सब प्रकार के सुख हैं।
  • देवताओं का 36 प्रकार का भोजन गाया हुआ है।
    • अब तुम स्वर्ग का वर्सा बाप से लेते हो।
    • वहाँ तो कितने स्वादिष्ट वैभव खाते रहेंगे और पवित्र होंगे।
    • अब तुम उस दुनिया के मालिक बनते हो।
    • राजा-रानी, प्रजा में फ़र्क होगा ना।
    • आगे राजायें लोग बहुत भभके में रहते थे।
    • यह तो ठहरे पतित और रावण के राज्य में, तो विचार करो सतयुग में क्या होगा।
    • सामने चित्र लक्ष्मी-नारायण के रखे हैं।
  • कृष्ण के लिए झूठी बातें लिख बदनामी कर दी है।
    • झूठ माना झूठ, सच की रत्ती नहीं।
    • अब तुम समझते हो हम स्वर्ग के मालिक थे फिर 84 जन्म ले बिल्कुल शूद्र बुद्धि बन गये हैं।
    • क्या हाल हो गया है।
    • अब फिर पुरूषार्थ कर क्या बनते हो!
  • बाबा पूछते भी हैं ना कि तुम क्या बनेंगे?
    • तो सब हाथ उठाते हैं सूर्यवंशी बनेंगे।
    • हम तो मात-पिता को पूरा फालो करेंगे।
    • कम पुरूषार्थ थोड़ेही करेंगे।
  • सारी मेहनत याद और आप समान बनाने पर है इसलिए बाप कहते हैं जितना हो सके सर्विस करना सीखो।
    • है बहुत सहज।
    • यह शिवबाबा, यह विष्णुपुरी, लक्ष्मी-नारायण का राज्य होगा।
    • यह तो बहुत अनुभवी है।
    • सीढ़ी पर तुम समझा सकते हो।
    • तुम बच्चों को यह झाड़, चक्र देखने से ही बुद्धि में सारा ज्ञान आ जाना चाहिए।
    • यह जो लक्ष्मी-नारायण हैं इन्हों की राजधानी कहाँ चली गई!
    • किसने लड़ाई की!
    • जिससे हराया।
    • अब तो वह राज्य है नहीं।
    • इन ईश्वरीय बातों को कुछ नहीं जानते हैं।
  • तुम बच्चों को यह भी साक्षात्कार हुआ है।
    • कैसे गुफाओं, खानियों से जाकर सोने, हीरे आदि ले आते हैं।
    • यह साइंस तुम्हारे सुख के लिए होगी।
    • यहाँ है दु:ख के लिए, वहाँ एरोप्लेन भी फुलप्रूफ होंगे।
    • बच्चों ने शुरू-शुरू में यह सब कुछ साक्षात्कार किया हुआ है।
    • पिछाड़ी में भी तुम बहुत साक्षात्कार करेंगे।
    • यह भी तुमने साक्षात्कार किया है।
    • चोर लूटने आते हैं, फिर तुम्हारी शक्ति का रूप देख भाग जाते हैं।
    • वह सब बातें पिछाड़ी की हैं।
    • चोर लूटने तो आयेंगे, तुम बाप की याद में खड़े होंगे तो वह एकदम भाग जायेंगे।
  • अब बाप कहते हैं बच्चे खूब पुरुषार्थ करो।
    • मुख्य बात है पवित्रता की।
    • एक जन्म पवित्र बनना है।
    • मौत तो सामने खड़ा है।
  • कुदरती आपदायें बहुत कड़ी आयेंगी, जिसमें सब खत्म हो जाएं।

    • शिवबाबा इन द्वारा समझाते हैं, इनकी आत्मा भी सुनती है।
    • यह बाबा सब बतलाते हैं।
    • शिवबाबा को तो अनुभव नहीं है।
    • बच्चों को अनुभव होता है।
    • माया के तूफान कैसे आते हैं।
    • पहले नम्बर में यह है, तो इनको सब अनुभव होगा।
    • तो इसमें डरना नहीं है, अडोल रहना है।
  • बाप की याद में रहने से ही शक्ति मिलती है।

    • कोई बच्चे चार्ट लिखते हैं फिर चलते-चलते बन्द कर देते हैं।
    • बाबा समझ जाते है थक गया है।
    • पारलौकिक बाप जिससे इतना बड़ा वर्सा मिलता है ऐसे बाप को कभी पत्र भी नहीं लिखते हैं।
    • याद ही नहीं करते!
    • ऐसे बाप को तो कितना याद करना चाहिए।
    • शिवबाबा हम आपको बहुत याद करते हैं।
    • बाबा आपकी याद बिगर हम भला कैसे रह सकते हैं!
    • जिस बाप से विश्व की बादशाही मिलती है, ऐसे बाप को कैसे भूलेंगे।
    • एक कार्ड लिखा वह भी तो याद किया ना।
    • लौकिक बाप भी बच्चों को चिट्ठी लिखते हैं - नूरे रत्न.... स्त्री, पति को कैसे चिट्ठी लिखती है!
    • यहाँ तो दोनों सम्बन्ध हैं।
    • यह भी याद करने की युक्ति है।
  • कितना मीठा बाबा है!
    • हमसे क्या मांगते हैं?
    • कुछ भी नहीं।
    • वह तो दाता है, देने वाला है ना।
    • यह लेने वाला नहीं।
    • कहते हैं स्वीट चिल्ड्रेन मैं आया हूँ, भारत को खुशबूदार बगीचा बनाकर जाता हूँ।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) सूर्यवंशी बनने के लिए मात-पिता को पूरा-पूरा फालो करना है।
    • याद में रहने की और आप समान बनाने की मेहनत करनी है।
  • 2) पुरूषार्थ कर श्रीमत पर चल शान्त रहना है।
    • बड़ों की आज्ञा माननी है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • स्वयं को सेवाधारी समझकर झुकने और सर्व को झुकाने वाले निमित्त और नम्रचित भव
  • निमित्त उसे कहा जाता - जो अपने हर संकल्प वा हर कर्म को बाप के आगे अर्पण कर देता है।
  • निमित्त बनना अर्थात् अर्पण होना और नम्रचित वह है जो झुकता है, जितना संस्कारों में, संकल्पों में झुकेंगे उतना विश्व आपके आगे झुकेगी।
  • झुकना अर्थात् झुकाना।
  • यह संकल्प भी न हो कि दूसरे भी हमारे आगे कुछ तो झुकें।
  • जो सच्चे सेवाधारी होते हैं - वह सदैव झुकते हैं।
  • कभी अपना रोब नहीं दिखाते।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • अब समस्या स्वरूप नहीं, समाधान स्वरूप बनो।