30-09-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

 

"मीठे बच्चे - अभी यह रावण राज्य, पुरानी दुनिया खत्म हो नई दुनिया आ रही है इसलिए श्रीमत पर चल पवित्र बनो तो श्रेष्ठ देवी देवता बनेंगे।''

प्रश्नः-

बाप अपने बच्चों को सत्य नारायण की कथा सुनाते हैं, उस कथा का रहस्य क्या है?

उत्तर:-

उसका रहस्य है - बादशाही लेना और गँवाना।

अल्फ को अल्लाह मिला, तो गदाई छोड़ दी।

जो विश्व के मालिक थे वही 84 जन्म ले राजाई गँवा देते हैं फिर बाप उन्हें राजाई देते हैं।

पतित से पावन बनना, गदाई छोड़ राजाई लेना - यही सच्ची सत्य नारायण की कथा बाप सुनाते हैं।

 

गीत:- आखिर वह दिन आया आज...


  • ओम् शान्ति।
  • ओम् शान्ति का अर्थ तो रूहानी बाप ने समझाया है।
    • ओम् माना अहम् आत्मा हूँ और मेरा शरीर है।
    • आत्मा तो देखने में नहीं आती है।
    • यह समझ में आता है - मैं आत्मा हूँ, यह मेरा शरीर है।
    • आत्मा में ही मन-बुद्धि है।
    • शरीर में बुद्धि नहीं है।
    • आत्मा में ही संस्कार अच्छे वा बुरे रहते हैं।
    • मुख्य है आत्मा।
    • उस आत्मा को कोई देख नहीं सकते हैं।
    • शरीर को आत्मा देखती है।
    • आत्मा को शरीर नहीं देख सकता।
    • जान सकते हैं कि आत्मा निकल जाती है तो शरीर जड़ हो जाता है।
    • आत्मा देखी नहीं जाती है, शरीर देखा जाता है।
    • वैसे ही आत्मा का जो फादर है, जिसको ओ गॉड फादर कहते हैं, वह भी देखने में नहीं आते हैं।
    • उनको समझा जा सकता है, जाना जा सकता है।
    • आत्मायें सब ब्रदर्स हैं।
    • शरीर में आते हैं तो कहेंगे यह भाई-भाई हैं वा भाई-बहिन हैं।
    • आत्माओं का बाप है परमपिता परमात्मा।
    • जिस्मानी भाई-बहिन एक-दो को देख सकते हैं।
    • आत्माओं का बाप सभी का एक है, उनको देख नहीं सकते।
  • तो बाप आये हैं पुरानी दुनिया को नया बनाने।
    • नई दुनिया सतयुग थी, यह पुरानी दुनिया कलियुग है।
    • इनको अब बदलना है।
    • जैसे पुराना घर खत्म हो नया घर बनता है।
    • वैसे यह पुरानी दुनिया खलास होनी है।
    • सतयुग के बाद त्रेता, द्वापर, कलियुग फिर सतयुग आना जरूर है।
  • वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होनी है।

    • सतयुग में होता है देवी-देवताओं का राज्य।
    • आधाकल्प चलता है सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी।
    • उनको कहा जाता है लक्ष्मी-नारायण की डिनायस्टी, राम-सीता की डिनायस्टी।
    • तो यह सहज है ना।
    • फिर द्वापर, कलियुग में और धर्म आते हैं।
    • फिर देवी-देवतायें जो पवित्र थे, वह अपवित्र बन जाते हैं।
    • इनको कहा जाता है रावण राज्य।
  • रावण को वर्ष-वर्ष जलाते हैं, परन्तु जलता ही नहीं है।

    • यह है सबका बड़ा दुश्मन, इसलिए उनको जलाने की रसम पड़ गई है।
    • भारत का नम्बरवन दुश्मन है रावण और नम्बरवन दोस्त सदा सुख देने वाला है खुदा।
  • खुदा को दोस्त कहते हैं ना।
    • इस पर एक कहानी भी है तो खुदा है दोस्त।
    • रावण है दुश्मन।
    • खुदा दोस्त को कभी जलायेंगे नहीं।
    • रावण दुश्मन है इसलिए 10 शीश वाला रावण बनाकर उनको वर्ष-वर्ष जलाते हैं।
  • गांधी जी भी कहते थे हमें रामराज्य चाहिए।
    • रामराज्य में है सुख, रावण राज्य में है दु:ख।
  • अब यह कौन बैठ समझाते हैं?
    • पतित-पावन बाप, शिवबाबा ब्रह्मा दादा।
    • बाबा हमेशा सही करते हैं - बापदादा।
    • प्रजापिता ब्रह्मा भी तो सबका होगा, जिसको एडम कहा जाता है।
    • उनको ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर कहा जाता है।
    • मनुष्य सृष्टि में प्रजापिता हुआ।
    • प्रजा-पिता ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण फिर ब्राह्मण सो देवी-देवता बनते हैं।
    • देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बन जाते हैं, इनको कहा जाता है प्रजापिता ब्रह्मा, मनुष्य सृष्टि का बड़ा।
    • प्रजापिता ब्रह्मा के कितने ढेर बच्चे हैं।
    • बाबा-बाबा कहते रहते हैं।
    • यह है साकार बाबा।
    • शिवबाबा है निराकार बाबा।
    • गाया भी जाता है प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा नई मनुष्य सृष्टि रचते हैं।
  • यह है पतित दुनिया रावण राज्य।
    • अब रावण की आसुरी दुनिया खत्म हो जायेगी, उसके लिए यह महाभारत लड़ाई है।
    • फिर सतयुग में इस रावण दुश्मन को कोई जलायेंगे ही नहीं।
    • रावण होगा ही नहीं।
    • रावण ने ही यह दु:ख की दुनिया बनाई है।
    • ऐसे नहीं जिनके पास पैसे बहुत हैं, बड़े-बड़े महल आदि हैं वह स्वर्ग में हैं।
    • बाप समझाते हैं भल किसके पास करोड़ हैं, परन्तु शान्ति नहीं है, पैसे आदि तो सब मिट्टी में मिल जाने वाले हैं।
    • नई दुनिया में फिर नई खानियां निकलती हैं, जिससे नई दुनिया के महल आदि सारे बनाये जाते हैं।
    • यह पुरानी दुनिया अब खत्म होनी है।
  • सतयुग में है वाइसलेस सम्पूर्ण निर्विकारी।
    • वहाँ बच्चे योगबल से पैदा होते हैं।
    • विकार वहाँ होता ही नहीं।
    • न देह-अभिमान, न क्रोध, न काम।
    • 5 विकार होते ही नहीं इसलिए वहाँ कब रावण को जलाते ही नहीं।
  • यहाँ तो रावण राज्य है, इसलिए सब पुकारते हैं हे पतित-पावन आओ।
    • वह तो लिबरेटर भी है, सबका दु:ख हर्ता है।
    • अभी सब रावण राज्य में हैं।
    • बाप को आकर छुड़ाना पड़ता है।
    • अब बाप कहते हैं तुम पवित्र बनो।
    • यह पतित दुनिया खत्म होनी है, जो श्रीमत पर चलेंगे वह श्रेष्ठ देवी-देवता बनेंगे।
    • विनाश तो होगा, सब खत्म हो जायेंगे।
    • बाकी कौन बचेंगे?
    • जो श्रीमत पर पवित्र रहते हैं, वही बाप की मत पर चल विश्व की बादशाही का वर्सा पाते हैं।
    • इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था ना।
  • अभी तो रावण राज्य है जो खत्म होना है।
    • सतयुगी रामराज्य स्थापन होना है।
    • राम वह सीता वाला नहीं।
    • शास्त्रों में तो बहुत फालतू बातें लिख दी हैं।
    • लंका यह सारी दुनिया है, इसमें रावण का राज्य है।
  • भारत सोने की चिड़िया था सतयुग में।

    • जबकि दूसरा कोई राज्य ही नहीं था।
    • बाप भारत में आकर फिर से सोने की चिड़िया स्वर्ग बनाते हैं।
    • बाकी जो इतने धर्म हैं, सब खत्म हो जायेंगे।
    • समुद्र भी उछल मारेगा।
  • बाम्बे क्या था, एक छोटा सा गांवड़ा था।
    • अभी सतयुग की स्थापना होती है फिर बाम्बे आदि रहेगी नहीं।
  • सतयुग में बहुत थोड़े मनुष्य होते हैं।
    • कैपिटल देहली होती है, जहाँ लक्ष्मी-नारायण का राज्य होता है।
    • देहली सतयुग में परिस्तान थी।
    • देहली ही गद्दी थी।
    • रामराज्य में भी देहली ही कैपिटल रहती है।
    • परन्तु रामराज्य में हीरे जवाहरों के महल थे, अथाह सुख था।
  • बाप कहते हैं तुमने विश्व का राज्य गँवाया है, मैं फिर से देता हूँ।
    • तुम मेरी मत पर चलो।
    • श्रेष्ठ बनना है तो सिर्फ मुझे ही याद करो और किसी देहधारी को याद नहीं करो।
    • अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो तो तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे, तुम मेरे पास चले आयेंगे।
  • तुम मेरे गले की माला बन फिर विष्णु के गले की माला बन जायेंगे।
    • माला में ऊपर हूँ मैं।
    • फिर युगल है ब्रह्मा-सरस्वती।
    • वही सतयुग के महाराजा-महारानी बनते हैं।
    • उन्हों की फिर सारी माला है जो नम्बरवार गद्दी पर बैठते हैं।
  • मैं भारत को इन ब्रह्मा-सरस्वती और ब्राह्मणों द्वारा स्वर्ग बनाता हूँ।

    • जो मेहनत करते हैं, उन्हों के फिर यादगार बनते हैं।
  • आत्माओं का रहने का स्थान है परमधाम, जिसको ब्रह्माण्ड भी कहते हैं।

    • हम सब आत्मायें वहाँ स्वीट होम में रहने वाली हैं - बाप के साथ।
    • वह है शान्तिधाम, मनुष्य चाहते हैं - हम मुक्तिधाम में जायें।
    • परन्तु वापिस कोई जा नहीं सकते।
    • सबको पार्ट में आना ही है।
    • तब तक बाप तुमको तैयार करते रहते हैं।
    • तुम तैयार हो जायेंगे तो वहाँ जो भी आत्मायें हैं, वह सब आ जायेंगी, फिर खलास।
    • तुम जाकर नई दुनिया में राज्य करेंगे फिर नम्बरवार चक्र चलेगा।
  • गीत में भी सुना है ना, आखिर वह दिन आया आज।
    • भक्ति मार्ग में धक्के खाते रहते थे।
  • बाप है ज्ञान सूर्य।
    • ज्ञान सूर्य प्रगटा..... अभी तुम्हारी बुद्धि में सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान है।
    • जानते हो जो भारतवासी नर्कवासी हैं वह फिर स्वर्गवासी बनेंगे।
    • बाकी इतनी सब आत्मायें शान्तिधाम में चली जायेंगी।
  • समझाना बहुत थोड़ा है, अल्फ बाबा, बे बादशाही।
    • अल्फ द्वारा बादशाही मिल जाती है।
    • गदाई खत्म हो जाती है।
    • उसकी कहानी बाप बैठ समझाते हैं।
  • यह है सच्ची सत्य-नारायण की कथा।
    • बाकी सब हैं दन्त कथायें।
    • बाबा ही नर से नारायण बनने के लिए यह ज्ञान सुनाते हैं।
    • हिस्ट्री-जॉग्राफी है ना।
    • लक्ष्मी-नारायण का राज्य कब शुरू हुआ, कब तक चला।
    • तो कथा भी हुई ना!
    • जो विश्व पर राज्य करते थे, वह 84 जन्म लेकर बिल्कुल ही तमोप्रधान बन गये हैं।
    • अभी बाप कहते हैं - मैं वही राज्य फिर से स्थापन करता हूँ।
    • तुम कैसे पतित से पावन, पावन से पतित बनते हो - वह सारी हिस्ट्री-जॉग्राफी समझाते हैं।
    • पहले-पहले सूर्यवंशियों का राज्य फिर चन्द्रवंशियों का... उनके बाद दूसरे भी बौद्धी, इस्लामी फिर क्रिश्चियन आये।
    • फिर वह देवी-देवता धर्म जो था सो गुम हो गया।
    • फिर वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होगी।
  • शास्त्रों में ब्रह्मा की आयु 100 वर्ष दिखाई हुई है।
    • यह जो ब्रह्मा है, जिसमें बाप बैठ वर्सा देते हैं, इनका भी शरीर छूट जायेगा।
    • आत्माओं को बैठ जो आत्माओं का बाप है वह सुनाते हैं, वही पतित-पावन है।
  • मनुष्य; मनुष्य को पावन बना नहीं सकेंगे।
    • जो खुद ही मुक्त नहीं हो सकते वह औरों को फिर कैसे करेंगे।
    • वह तो सब भक्ति सिखलाने वाले अनेक गुरू हैं।
    • कोई कहेंगे फलाने की भक्ति करो, कोई कहेंगे शास्त्र सुनो।
    • अनेकानेक मत-मतान्तर हैं, इसलिए सब और ही बेसमझ बन गये हैं।
    • अब बाप आकर समझदार बनाते हैं।
  • यह लक्ष्मी-नारायण समझदार विश्व के मालिक थे ना।

    • अब कितने कंगाल बन गये हैं।
    • फिर शिवबाबा आकर नर्कवासी से स्वर्गवासी बनाते हैं।
    • बाप कितना अच्छी तरह से समझाते हैं कि यहाँ तकदीर जग जाए।
  • बाप आते ही हैं मनुष्य मात्र की तकदीर जगाने।
    • सब पतित दु:खी हैं ना।
    • सब त्राहि-त्राहि कर विनाश हो जायेंगे इसलिए बाबा कहते हैं त्राहि-त्राहि के पहले बेहद के बाप से कुछ वर्सा ले लो।
    • यह जो कुछ दुनिया में देखते हो वह सब खत्म हो जाना है।
  • फॉल आफ भारत, राइज़ ऑफ भारत।
    • यह भारत का ही खेल है।
    • राइज़ होगा सतयुग में।
    • अब कलयुग में फॉल होना है।
    • यह सब रावण राज्य का पाम्प है।
    • अब विनाश होना है।
    • फॉल आफ वर्ल्ड, राइज़ आफ वर्ल्ड।
    • सतयुग में कौन-कौन राज्य करते हैं, यह बाप बैठ समझाते हैं।
    • राइज़ आफ भारत, देवताओं का राज्य।
    • फाल आफ भारत, रावण का राज्य।
  • अभी नई दुनिया बन रही है।
    • पुरानी दुनिया खत्म हो जायेगी।
    • इसके पहले तुम पढ़ रहे हो, बाप से वर्सा लेने।
    • कितना सहज है।
    • यह है मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई।
  • संन्यासियों का है ही निवृति मार्ग।
    • वह धर्म ही अलग है।
    • वह तो गृहस्थ व्यवहार छोड़ चले जाते हैं,

      उनका है हद का संन्यास।
    • तुमको इस पुरानी दुनिया का संन्यास कर फिर यहाँ आना नहीं है।
  • यह भी अच्छी रीति समझाना है, कौन-कौन से धर्म कब आते हैं।
    • द्वापर के बाद ही और धर्म आते हैं।
    • पहले सुख भोगते हैं फिर दु:ख।
    • यह सारा चक्र बुद्धि में बिठाना होता है।
    • जब से तुम चक्र में आते हो महाराजा-महारानी बनते हो।
    • सिर्फ अल्फ और बे को समझाना है।
  • बाबा किसको विलायत में जाने की मना नहीं करते हैं।
    • यूँ तो सब चाहते हैं कि मृत्यु अपने देश में ही हो।
    • अब विनाश तो होना ही है, हंगामा इतना हो जायेगा जो विलायत से फिर आ भी नहीं सकेंगे इसलिए बाप समझाते हैं कि भारत भूमि सबसे उत्तम है, जहाँ बाप आकर अवतार लेते हैं।
  • शिव जयन्ती भी मनाई जाती है।
    • सिर्फ कृष्ण का नाम डालने से सारी महिमा ही खत्म हो गई है।
    • सर्व मनुष्य मात्र का लिबरेटर यहाँ आकर अवतार लेते हैं।
    • गॉड फादर ही है जो आकर लिबरेट करते हैं।
    • तो ऐसे बाप को नमन करना चाहिए, उनकी जयन्ती मनानी चाहिए।
    • परन्तु कृष्ण का नाम डालने से सारी वैल्यु गुम कर दी है।
    • नहीं तो भारत सबसे ऊंच तीर्थ है।
    • वह बाप यहाँ ही आकर सबको पावन बनाते हैं, तो यह सबसे बड़ा तीर्थ ठहरा।
    • सबको दुर्गति से छुड़ाय सद्गति देते हैं।
    • यह ड्रामा बना हुआ है।
  • अभी तुम आत्मायें जानती हो, हमारा बाबा इस अपने शरीर द्वारा यह राज़ समझा रहे हैं।

    • हम आत्मा इस शरीर द्वारा सुनती हैं।
    • आत्म-अभिमानी बनना है।
    • अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो कट निकलती जायेगी और पवित्र बन तुम बाप के पास आ जायेंगे।
  • जितना याद करेंगे उतना पवित्र बनेंगे,

    औरों को भी आप समान बनायेंगे तो बहुतों की आशीर्वाद मिलेगी।
    • ऊंच पद पा लेंगे इसलिए गाया जाता है सेकेण्ड में जीवनमुक्ति।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप के गले की माला बन विष्णु के गले में पिरोने के लिए सम्पूर्ण सतोप्रधान बनना है।
    • एक बाप की मत पर चलना है।
  • 2) ऐसी सेवा करनी है जो अनेक आत्माओं की आशीर्वाद मिलती रहे।
    • त्राहि-त्राहि होने के पहले बाप से पूरा-पूरा वर्सा लेना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • ताज और तिलक को धारण कर बापदादा के मददगार बनने वाले दिलतख्तनशीन भव
  • जब कोई तख्त पर बैठते हैं तो तिलक और ताज उनकी निशानी होती है।
  • ऐसे जो दिल तख्तनशीन हैं उनके मस्तक पर सदैव अविनाशी आत्मा की स्थिति का तिलक दूर से ही चमकता हुआ नज़र आता है।
  • सर्व आत्माओं के कल्याण की शुभ भावना उनके नयनों से वा मुखड़े से दिखाई देती है।
  • उनका हर संकल्प, वचन और कर्म बाप के समान होता है।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • सरल याद के लिए सरलता का गुण धारण करो, संस्कारों को सरल बनाओ।