27-09-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

 

"मीठे बच्चे - योगबल से ही तुम्हें अपने विकर्मो पर जीत पाकर विकर्माजीत बनना है''

प्रश्नः-

कौन सा ख्याल पुरुषार्थी बच्चों को भी पुरुषार्थ हीन बना देता है?

उत्तर:-

अगर किसी पुरुषार्थी को यह ख्याल आया कि अभी तो बहुत समय पड़ा है, पीछे गैलप कर लेंगे।

परन्तु बाप समझाते हैं बच्चे मौत का समय निश्चित थोड़ेही है, कल-कल करते मर जायेंगे तो कमाई क्या होगी इसलिए जितना हो सके श्रीमत पर अपना और दूसरों का कल्याण करते रहो।

समय का सोचकर पुरुषार्थ-हीन मत बनो।

 

गीत:- ओम् नमो शिवाए...


  • ओम् शान्ति।
  • यह तो बच्चों को समझाया गया है कि निराकार, साकार बिगर कोई कर्म कर नहीं सकते।
    • पार्ट बजा नहीं सकते।
    • रूहानी बाप आकर ब्रह्मा द्वारा रूहानी बच्चों को समझाते हैं।
  • योगबल से ही सतोप्रधान बनना है और विश्व का मालिक बनना है।
    • यह बच्चों की बुद्धि में है कि कल्प-कल्प बाप आकर राजयोग सिखाते हैं - ब्रह्मा द्वारा।
    • और आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना करते हैं अर्थात् मनुष्य को देवता बनाते हैं।
    • मनुष्य जो देवी-देवता थे, पावन थे सो अब बदल 84 जन्मों बाद पतित बन पड़े हैं, भारत जब पारसपुरी था तो पवित्रता सुख-शान्ति सब था।
    • यह 5 हजार वर्ष की बात है।
    • तिथि तारीख सहित बाप सारा हिसाब-किताब समझाते हैं।
    • इनसे ऊंच तो कोई है नहीं।
    • सृष्टि वा झाड़ जिसको कल्प वृक्ष कहते हैं, उनके आदि-मध्य-अन्त का राज़ भी बाप ही बैठ समझाते हैं।
    • भारत का जो देवी-देवता धर्म था, वह अब प्राय: लोप हो गया है।
    • सिर्फ चित्र जरूर हैं।
    • भारतवासी जानते हैं कि सतयुग में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
  • भल शास्त्रों में भूल कर दी है, जो कृष्ण को द्वापर में ले गये हैं।
    • बाप ही आकर भूले हुए को रास्ता बताते हैं।
    • उनको कहते हैं मुक्ति-जीवनमुक्ति का गाइड।
    • सर्व को मुक्ति-जीवनमुक्ति देने वाला एक ही है।
    • भारत जब जीवनमुक्त है तो बाकी सब आत्मायें मुक्तिधाम में हैं, इसलिए उनको कहा जाता है मुक्ति-जीवनमुक्ति दाता।
    • रचयिता एक ही है।
  • सृष्टि भी एक ही है, वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी भी एक ही है, जो रिपीट होती है।
    • सतयुग त्रेता, द्वापर, कलियुग.. फिर होता है संगमयुग।
    • कलियुग है पतित, सतयुग है पावन।
    • सतयुग होगा, तो पहले जरूर कलियुग का विनाश होगा।
    • विनाश के पहले स्थापना होगी।
    • सतयुग में स्थापना नहीं होगी।
    • भगवान आयेगा तब जब पतित दुनिया को पावन बनाना है।
    • अब बाप सहज युक्ति बताते हैं कि देह सहित देह के सब सम्बन्ध तोड़ देही-अभिमानी बन बाप को याद करो।
  • बाप है भक्तों को फल देने वाला।
    • भक्तों को ज्ञान देते हैं - पावन बनने के लिए।
    • सबको पावन बनाने वाला है योग।
    • ज्ञान सागर मुख से आकर ज्ञान सुनाते हैं।
    • पतितों को पावन बनाते हैं।
    • इस समय सब आत्मायें पतित बनी हुई हैं इसलिए बाप को बुलाते हैं क्योंकि बाप बिगर तो कोई पावन बना न सके।
    • अगर पतित-पावनी गंगा है तो फिर पतित-पावन सीताराम कहकर क्यों बुलाते हो।
    • बुद्धि कहती है कि परमपिता परमात्मा जरूर फिर नई दुनिया की स्थापना और पुरानी दुनिया के विनाश के लिए आयेगा।
    • कल्प वृक्ष की आयु भी होती है, जो चीज़ जड़ जड़ीभूत हो जाती है, उनको ही तमोप्रधान कहते हैं।
    • न्यु वर्ल्ड नहीं कहेंगे, यह है आइरन एजेड वर्ल्ड।
    • यह सब बातें बुद्धि में बिठाई जाती हैं औरों को समझाने के लिए।
  • घर-घर सन्देश देना है।
    • ऐसे नहीं कहना है कि परमात्मा आया है।
    • युक्ति से समझाना है, बोलो दो बाप हैं लौकिक और पारलौकिक।
    • दु:ख के समय पारलौकिक बाप को ही याद किया जाता है।
    • सुखधाम में कोई परमात्मा को याद नहीं करता।
    • सतयुग, लक्ष्मी-नारायण के राज्य में सुख शान्ति पवित्रता सब कुछ था।
    • बाप का वर्सा मिल गया फिर पुकारें क्यों?
    • वहाँ सुख ही सुख है।
  • बाप ने दु:ख के लिए दुनिया नहीं रची।
    • यह बना बनाया खेल है, जिनका पार्ट पिछाड़ी में है, 2-4 जन्म लेते हैं, बाकी समय शान्तिधाम में रहेंगे।
    • बाकी खेल से कोई निकल जाये, यह हो नहीं सकता।
    • एक दो जन्म लिया बाकी समय जैसे मोक्ष है, आत्मा पार्टधारी है।
    • कोई का ऊंचा पार्ट है, कोई का कम।
  • गाया हुआ है ईश्वर का अन्त कोई पा न सके।
    • ईश्वर ही आकर रचयिता और रचना के आदि-मध्य-अन्त का राज़ समझाते हैं।
    • बाप समझाते हैं मैं साधारण तन में प्रवेश करता हूँ।
    • मैं जिस तन में प्रवेश करता हूँ, यह अपने जन्मों को नहीं जानते हैं, मैं इनके 84 जन्मों की कहानी सुनाता हूँ, कोई भी पार्ट चेन्ज नहीं हो सकता।
    • यह बना बनाया खेल है।
  • यह किसकी बुद्धि में बैठता नहीं।
    • बुद्धि में तब बैठे जब पवित्र होकर समझें।
    • अच्छी रीति समझने के लिए 7 रोज़ भट्ठी में पड़े।
    • भागवत आदि भी 7 रोज़ रखते हैं।
    • कोई 7 दिन में अच्छी रीति समझ लेते हैं, कोई तो कह देते हैं कि हमारी बुद्धि में कुछ भी नहीं बैठा।
    • ऊंच पद नहीं पाना होगा तो बुद्धि में कैसे बैठेगा।
    • अच्छा फिर भी कल्याण तो हुआ ना।
    • प्रजा तो ऐसे ही बनती है, बाकी राज्य भाग्य लेने में मेहनत है।
  • बाप को याद करने से ही विकर्म विनाश होंगे।
    • अब करो वा न करो।
    • परन्तु बाप का डायरेक्शन है, प्यारी वस्तु को याद किया जाता है ना।
    • भक्ति मार्ग में भी कहते हैं कि हे पतित-पावन आओ।
    • अब वह मिला है।
    • कहते हैं मुझे याद करो तो कट उतर जायेगी।
    • बादशाही ऐसे ही थोड़ेही मिल जायेगी।
    • याद में ही थोड़ी मेहनत है।
    • बहुत याद करने वाले ही कर्मातीत अवस्था को पा लेते हैं।
    • पूरा याद न करने से विकर्म विनाश नहीं होंगे।
    • योगबल से ही विकर्माजीत बनना है।
    • लक्ष्मी-नारायण इतने पवित्र कैसे बनें?
    • जबकि कलियुग के अन्त में कोई भी पवित्र नहीं है।
  • इस समय गीता ज्ञान का एपीसोड रिपीट हो रहा है।
    • शिव भगवानुवाच, भूलें तो सबसे होती रहती हैं।
    • मैं आकर सबको अभुल बनाता हूँ।
    • भारत के जो भी शास्त्र हैं, यह सब हैं भक्ति मार्ग के।
    • बाप कहते हैं - मैने जो कुछ कहा था वह किसको भी पता नहीं है।
    • जिन्होंने मेरे द्वारा सुना, उन्होंने 21 जन्मों की प्रालब्ध पाई फिर ज्ञान प्राय: लोप हो जाता है।
    • तुम ही चक्र लगाए फिर यह ज्ञान सुन रहे हो।
  • तुम जानते हो हम सैपलिंग लगा रहे हैं, मनुष्य से देवता बनाने का।
    • यह है दैवी झाड़ का सैपलिंग।
    • वे लोग तो उन झाड़ों का कलम लगाते रहते हैं।
    • बाप आकर कान्ट्रास्ट बताते हैं।
  • तुम दिखाते भी हो कि उन्हों का क्या प्लैन है, तुम्हारा क्या प्लैन है।
    • वह फैमली प्लैनिंग करते हैं कि दुनिया बढ़े नहीं।
    • बाप तो बहुत अच्छी बात बताते हैं कि अनेक धर्म विनाश हो जायेंगे और देवी-देवता धर्म की फैमली स्थापन हो जायेगी।
    • सतयुग में एक ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म की फैमली थी और अनेक फैमलियाँ थी ही नहीं।
    • इस समय भारत में देखो कितनी फैमलीज़ हैं।
    • गुजराती फैमली, सिक्ख फैमली.. वास्तव में भारत की एक ही फैमली होनी चाहिए।
    • बहुत फैमली होंगी तो जरूर खिटपिट होगी।
    • फिर सिविलवार हो जाती है।
    • फैमली में भी सिविल-वार हो जाती है।
    • जैसे क्रिश्चियन की आपस में फैमली है तो उन्हों में भी दो भाई आपस में नहीं मिलते।
    • फ्रैक्शन हो जाती है।
    • पानी भी बाँटा जाता है।
    • सिक्ख धर्म वाले समझते हैं हम अपने धर्म की फैमली को जास्ती सुख देवें।
    • रग जाती है ना।
    • माथा मारते रहते हैं।
    • जब अन्त का समय आता है तब आपस में लड़ने लग पड़ते हैं।
  • विनाश तो होना ही है।
    • ढेर बाम्ब्स बनाते रहते हैं।
    • बड़ी लड़ाई जब लगी थी तो दो बाम्ब्स छोड़े थे।
    • अभी तो ढेर बनाये हैं।
    • समझ की बात है ना।
    • तुमको समझाना है कि यह वही महाभारत लड़ाई है।
    • बड़े-बड़े लोग भी कहते हैं अगर लड़ाई को बन्द नहीं किया तो सारी दुनिया को आग लग जायेगी।
    • तुम जानते हो आग तो लगनी ही है।
  • बाप आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना करते हैं।
    • राजयोग है ही सतयुग का।
    • जो देवता धर्म प्राय:लोप हो गया है वह फिर स्थापन करते हैं।
    • अब कलियुग है इनके बाद सतयुग चाहिए।
    • अब कलियुग विनाश के लिए यह महाभारी महाभारत लड़ाई है।
    • यह सब अच्छी रीति धारण कर समझाना है क्योंकि मनुष्य हैं आसुरी सम्प्रदाय, इसलिए खबरदारी रखनी है।
    • कल्प पहले मुआफिक जो विघ्न पड़ने होंगे वह पड़ेंगे जरूर।
    • यह बना-बनाया ड्रामा है।
    • हम बांधे हुए हैं।
  • याद की यात्रा कभी भूल नहीं जानी चाहिए।
    • गीत है ना - रात के राही थक मत जाना.... इनका अर्थ कोई समझ न सके।
    • रात पूरी हो दिन आने वाला है।
    • आधाकल्प पूरा हुआ, अब सुख शुरू होगा।
    • बाप ने मनमनाभव का अर्थ भी समझाया है, सिर्फ गीता में कृष्ण का नाम डालने से वह ताकत नहीं रही है।
  • कृष्ण को कभी सर्वशक्तिमान् नहीं कह सकते।
    • वह तो पूरे 84 जन्म लेते हैं इसलिए गीता में वह ताकत नहीं रही है।
    • अब हम सब मनुष्य-मात्र का कल्याण कर रहे हैं।
    • कल्याणकारी जो बनेगा उनको वर्सा मिलेगा।
    • याद की यात्रा बिगर कल्याण हो न सके।
  • इस समय सब विपरीत बुद्धि हैं।
    • कह देते हैं परमात्मा सर्वव्यापी है।
    • तुमको समझाना है कि वह बेहद का बाप है।
    • बेहद के बाप से ही भारतवासियों को बेहद का वर्सा मिला है।
    • भारतवासियों ने ही 84 जन्म लिए हैं।
    • अभी तुम प्रैक्टिकल में देखते हो कि ज्ञान तो तुम सुनते ही रहते हो।
  • दिनप्रतिदिन तुम्हारे पास बहुत नये-नये आते रहेंगे।
    • अब ही अगर बड़े-बड़े लोग आ जाएं फिर तो देरी न लगे।
    • झट आवाज निकल जाए।
    • हंगामा हो जाए इसलिए युक्ति से धीरे-धीरे चलता रहता है।
    • यह है ही गुप्त ज्ञान, किसको पता भी नहीं पड़ता कि यह क्या कर रहे हैं।
    • भक्ति में है दु:ख, ज्ञान में है सुख।
  • रावण के साथ तुम्हारी युद्ध कैसी है, यह तो तुम ही जानो और कोई जान न सके।
    • भगवानुवाच, तमोप्रधान से सतोप्रधान बनना है तो मुझे याद करो तो पाप विनाश हो जायेंगे।
    • पवित्र बनो तो साथ ले जायेंगे।
    • मुक्ति तो सबको मिलनी है।
    • सब रावणराज्य से मुक्त हो जायेंगे।
  • तुम कहते हो कि शिव शक्तियाँ ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ ही श्रेष्ठाचारी दुनिया स्थापन करेंगे।
    • परमपिता परमात्मा की श्रीमत पर कल्प पहले मुआफिक।
    • 5 हजार वर्ष पहले श्रेष्ठाचारी दुनिया थी, यह बुद्धि में बिठाना चाहिए।
    • मुख्य प्वाइंट्स जब बुद्धि में धारण होंगी तब याद की यात्रा में रहेंगे।
  • कोई समझते हैं अभी टाइम पड़ा है, पीछे पुरुषार्थ कर लेंगे।
    • परन्तु मौत का नियम थोड़ेही है।
    • कल मर जायें तो!
    • इसलिए ऐसे मत समझो अन्त में गैलप कर लेंगे।
    • यह ख्याल और ही गिरा देगा।
    • जितना हो सके पुरुषार्थ करते रहो।
  • श्रीमत पर हर एक को अपना कल्याण करना है, अपनी जाँच करनी है कि कितना बाप को याद करता हूँ और कितनी बाप की सर्विस करता हूँ।
    • रूहानी खुदाई खिदमतगार तुम हो ना।
    • तुम रूहों को सैलवेज करते हो।
    • रूह पतित से पावन कैसे बनें, उसकी युक्ति बताते हैं।
  • कृष्ण को याद करने से विकर्म विनाश नहीं होंगे।
    • वह तो प्रिन्स था, उसने प्रालब्ध भोगी, उनकी महिमा की भी दरकार नहीं है।
    • देवताओं की महिमा क्या करेंगे!
    • हाँ बर्थ डे तो सब मनाते हैं।
    • यह कॉमन बात है।
    • बाकी उन्होंने क्या किया, सीढ़ी तो उतरते ही आते हैं।
  • अच्छे वा बुरे मनुष्य तो होते हैं।
    • हर एक का पार्ट अपना-अपना है।
    • यह है बेहद की बात।
    • मुख्य टाल टालियां गिनी जाती हैं।
    • बाकी पत्ते तो अनेक हैं।
    • उनको कहाँ तक तुम गिनती करते रहेंगे।
  • बाप समझाते रहते हैं, बच्चे मेहनत करो, सबको बाप का परिचय दो तो बाप से बुद्धि योग जुट जाए।
    • बाप कहते हैं - सभी को कहो - पवित्र बनो तो मुक्तिधाम में चले जायेंगे।
  • दुनिया को थोड़ेही पता है कि महाभारत लड़ाई से क्या होगा।
    • यह यज्ञ रचा है क्योंकि नई दुनिया चाहिए।
    • हमारा यज्ञ पूरा होगा तो सब इस यज्ञ में स्वाहा होना है।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) सच्चा-सच्चा खुदाई खिदमतगार बन सभी रूहों को सैलवेज़ करने की सेवा करनी है।
    • सबका कल्याण करना है।
    • सबको बाप का परिचय देना है।
  • 2) प्यारे ते प्यारी वस्तु (बाप) को प्यार से याद करना है।
    • बने-बनाये ड्रामा पर अटल रहना है।
    • विघ्नों से घबराना नहीं है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • मैं पन के बोझ को समाप्त कर प्रत्यक्षफल का अनुभव करने वाले बालक सो मालिक भव
  • जब किसी भी प्रकार का मैं पन आता है तो बोझ सिर पर आ जाता है।
  • लेकिन जब बाप आफर कर रहे हैं कि सब बोझ मुझे दे दो आप सिर्फ नाचों, उड़ो...फिर यह क्वेश्चन क्यों - कि सर्विस कैसे होगी, भाषण कैसे करेंगे - आप सिर्फ निमित्त समझकर कनेक्शन पावर हाउस से जोड़कर बैठ जाओ, दिलशिकस्त नहीं बनो तो बापदादा सब कुछ स्वत: करा देंगे।
  • बालक सो मालिक समझकर श्रेष्ठ स्टेज पर स्थित रहो तो प्रत्यक्ष फल की अनुभूति करते रहेंगे।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • ज्ञान दान के साथ-साथ गुणदान करो तो सफलता मिलती रहेगी।