18-09-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - चैरिटी बिगन्स एट होम, अपने परिवार वालों को ज्ञान सुनाओ, अपने हमजिन्स का कल्याण करो''
प्रश्नः-
किस श्रीमत का पालन करने वाले बच्चे अपनी अवस्था को एकरस बना सकते हैं?
उत्तर:-
अवस्था को एकरस बनाने के लिए बाप की श्रीमत है बच्चे रोज़ सवेरे-सवेरे उठ बड़े प्यार से बाप को याद करो।
अपने को आत्मा समझो और बाबा जो सुनाते हैं उसे सुनो।
अगर याद नहीं करेंगे तो फालतू ख्यालात चलेंगे, व्यर्थ संकल्प आयेंगे इसलिए बाबा राय देते हैं बच्चे रोज़ सवेरे-सवेरे उठ अपने आपसे प्रतिज्ञा करो कि चलते-फिरते, खाते... भोजन बनाते एक बाबा को ही याद करेंगे।
गीत:-
महफिल में जल उठी शमा.....
|
-
- ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे बच्चे जानते हैं कि रूहानी बाप है सभी रूहों का बाप जो सबसे ऊंच ते ऊंच है, उनको ही शिवाए नम: कहते हैं।
- फादर भी कहते हैं, वह बाप स्वर्ग का रचयिता है, जिसको पतित-पावन, ज्ञान का सागर कहा जाता है।
- अब तुम समझते हो हम उनके साथ बैठे हैं।
- यह तुम बच्चों को समझाना है।
- जैसे कहीं पर एक गीता पाठशाला में एक कृष्ण का लम्बा चित्र 6 फुट का था।
- अब कृष्ण को वास्तव में छोटा ही दिखाते हैं फिर कहते हैं गीता का भगवान था।
- तो भला गीता कब सुनाई?
- बचपन में वा जब 6 फुट का हुआ तब सुनाई?
- राधे और कृष्ण की जोड़ी थी।
- राधे, कृष्ण की क्या लगती थी?
- राधे को भगवती और कृष्ण को भगवान कहते हैं।
- इन दोनों का क्या सम्बन्ध है, यह किसको पता नहीं है।
- कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया, परन्तु कब?
- जब तुम ऐसे-ऐसे प्रश्न पूछेंगे तो मनुष्य समझ जायेंगे कि यह तो सिवाए ब्रह्माकुमार-कुमारियों के और कोई पूछ नहीं सकते।
- कोई भी बड़े-बड़े राजायें आदि जो भी हैं वह संन्यासियों को देख पांव जरूर पड़ेंगे।
- किसी को भी पूछने की हिम्मत ही नहीं रहती।
- तुम तो हिम्मत रखते हो।
- कहेंगे ब्रह्माकुमारियों में इतना ज्ञान है जो बैठ करके रचता और रचना की इतनी नॉलेज देती हैं।
- उनकी बायोग्राफी सुनाती हैं।
- तुम पूछ सकते हो कि शिव जयन्ती मनाते हो, पूजा आदि भी करते हो तो जरूर वह कभी आया होगा तब तो शिव जयन्ती मनाई जाती है?
- वह कब आया?
- शिवबाबा तो है निराकार, उनको अपना शरीर नहीं है।
- शिव जयन्ती मनाते हैं तो जरूर शरीर में आया होगा?
- निराकार की जयन्ती कैसे हो सकती है?
- आत्मा तो अमर है।
- जयन्ती तब मनाई जाती जब मरे और जन्मे।
- आत्मा की जयन्ती नहीं होती।
- आत्मा तो अविनाशी है।
- ऐसे नहीं कहेंगे आत्मा की जयन्ती।
- शिव तो है निराकार, उनका चित्र लिंग का रखा जाता है।
- तुम बच्चों को यह ख्यालात रहने चाहिए।
- यहाँ से अपने घर, धन्धे-धोरी में जाने से यह बातें ही बुद्धि से निकल जाती हैं।
- चिंतन नहीं चलता।
- गुरूओं आदि की जंजीरों में भी बहुत फँसे हुए हैं।
- बात मत पूछो।
- अबलायें बहुत भोली होती हैं ना।
- तुम उनसे पूछ सकते हो - शिव जयन्ती मनाई जाती है परन्तु वह है कौन?
- उसने क्या आकर किया और कब आया?
- जयन्ती माना ही बर्थ।
- निराकार शिव का बर्थ मनाया, वह निराकार है तो उसका फिर बर्थ कैसे मनाया जाता है?
- किसमें आया?
- आत्मा शरीर में जाती है तो कहा जाता है बर्थ (जन्म) हो गया।
- आत्मा तो आत्मा ही है।
- शरीर में प्रवेश करती है तो कहेंगे आत्मा ने शरीर लिया है, पार्ट बजाने लिए।
- वह तो है निराकार।
- उसने जन्म कैसे लिया?
- किसमें आया?
- उनको तो परमात्मा कहा जाता है।
- यह किसको भी पता नहीं है।
- भल बहुत शास्त्र आदि पढ़े हैं, परन्तु कुछ भी पता नहीं है।
- अभी तुम ज्ञान से भरपूर हो।
- अभी तुमको ज्ञान ही सुनाना है।
- कोई-कोई दो-तीन वर्ष आते हैं फिर अज्ञान की प्रवेशता हो जाती है।
- बाबा फिर अज्ञान को निकाल ज्ञान की धारणा कराते हैं।
- अब तुम बच्चों को ज्ञान दिया जाता है।
- परन्तु पुरुष ज्ञान में, स्त्री अज्ञान में तो जैसे हंस बगुले बन जाएं इसलिए पहले तो स्त्री को ज्ञान देना चाहिए।
- स्त्री, पति को गुरू ईश्वर मानती है तो स्त्री को गुरू की आज्ञा माननी चाहिए ना।
- यह यहाँ की बात है।
- वहाँ तो आज्ञा मानने न मानने का सवाल ही नहीं।
- सब प्यार से चलते हैं।
- वहाँ ऐसी कोई बात होती ही नहीं, तो चैरिटी बिगन्स एट होम।
- स्त्री ज्ञान में आती है, पति नहीं आता तो क्या कर सकती है!
- भूँ-भूँ करनी है।
- बच्चों को भी भूँ-भूँ करना है।
- अपने हमजिन्स का कल्याण करें।
- उनको भी बतायें बाप को याद करो।
- अब लड़ाई सामने खड़ी है, बाबा आया हुआ है।
- मनुष्य पुकारते हैं हे पतित-पावन आओ।
- जबकि पतित दुनिया का विनाश होना है तो तुम फिर पतित क्यों बनते हो!
- माता ज्ञान में है तो माता का काम है अपने हमजिन्स का कल्याण करना।
- अभी तुम बाप से 21 जन्मों के लिए सारा राज्य लेते हो।
- तुमको कोई हाथ लगा न सके।
- तुम सारे विश्व के मालिक बनते हो।
- फ़र्क देखो कितना है।
- ऐसे वर्सा देने वाले को कितना याद करना चाहिए।
- यहाँ तो बहुत हैं जो सारे दिन में शिवबाबा को याद ही नहीं करते हैं।
- सारा दिन घर के, धन्धे धोरी के लफड़ों में ही रहते हैं।
- नहीं तो सवेरे उठ बाप को बहुत प्रेम से याद करना चाहिए।
- बाबा आपसे हम प्रतिज्ञा करते हैं।
- आपसे हम वर्सा जरूर लेंगे।
- बाबा आप कितने मीठे हो।
- आपकी याद से हमारे विकर्म विनाश होंगे।
- अन्दर में अपने से बात करना, उसको विचार सागर मंथन करना कहा जाता है।
- बाबा आपसे हम पूरा वर्सा लेकर ही छोड़ेंगे।
- अब हमको तमोप्रधान से सतोप्रधान जरूर बनना है, तब ही सतयुगी राज्य पायेंगे।
- बाबा आपको हम निरन्तर याद करेंगे।
- 63 जन्मों में हमने कितने पाप किये हैं।
- कितना सिर पर बोझा है इसलिए बाबा हम आपको बहुत याद करते हैं।
- बाबा हम खाना पकायेंगे, घूमने जायेंगे तो भी आपकी याद में रहेंगे।
- ऐसे-ऐसे बातें करते प्रतिज्ञा करेंगे तो विकर्म विनाश होते जायेंगे।
- बाबा हम भोजन बनायेंगे आपकी याद में।
- हमको सतोप्रधान जरूर बनना है।
- पता नहीं कल शरीर छूट जाए तो हम सतोप्रधान बनेंगे ही नहीं!
- मौत का डर है ना।
- बाबा हम जीते जी आपसे वर्सा जरूर लेंगे।
- फिर देखना चाहिए कि आज के सारे दिन में हमने कितना याद किया।
- कोई भी हालत में याद की यात्रा में जरूर रहना है।
- गृहस्थ व्यवहार में भी रहना है।
- युक्ति से चलना है।
- ऐसे-ऐसे तीव्र वेग से पुरुषार्थ में लग जाएं तो याद भी रहेगी और आयु भी बढ़ेगी।
- भविष्य में तुम्हारी आयु बढ़ेगी, याद नहीं करेंगे तो पद भी कम हो जायेगा।
- पुरुषार्थ कर बाप से वर्सा तो लेना है ना और स्वदर्शन चक्रधारी बनना है।
- जैसे हिन्दुओं को क्रिश्चियन बनाने के लिए नन्स बहुत फिरती रहती हैं।
- घरों में दुकानों में जाती हैं, सबको कहती हैं बाइबिल लो, यह लो।
- हमारे क्रिश्चियन धर्म में बहुत सुख है।
- उन्हों की भी मिशन है, बौद्धियों की भी मिशन है।
- हिन्दू लोग यह नहीं समझते कि यह क्या करते हैं!
- हमारे हिन्दू धर्म वालों को क्रिश्चियन बनाते रहते हैं।
- तुम कितना प्रदर्शनी में समझाते हो।
- भल ओपीनियन भी लिखकर देते हैं।
- घर में गये खलास।
- इसके लिए गाया हुआ है - बन्दरों के आगे रत्न रखो तो वह पत्थर समझ फेंक देंगे।
- तो यह भी अविनाशी ज्ञान रत्न पत्थर समझ फेंक देते हैं।
- यह भी कुछ समझते नहीं।
- हाँ, जो इस धर्म वाले होंगे उन्हों को ही टच होगा।
- बात बहुत सहज है।
- बाप स्वर्ग का रचयिता है।
- बाप भारत में आते भी एक ही बार हैं।
- बाप कहते हैं - तुम मुझ पतित-पावन बाप को बुलाते आये हो।
- अब मैं आया हूँ, तुमको स्वर्ग का मालिक बनाने।
- तुम कहते भी हो हम इस भ्रष्टाचारी सृष्टि को श्रेष्टाचारी बनाकर ही छोड़ेंगे।
- अभी तो सब नर्कवासी हैं।
- तुम अभी शिवबाबा की श्रीमत पर हो।
- शिव भगवानुवाच मैं तुमको स्वर्ग का मालिक, राजाओं का राजा बनाता हूँ।
- गीता में बड़ा अच्छा लिखा हुआ है, कहते हैं मैं इन साधुओं का भी उद्धार करने आता हूँ।
- तो यह उन्हों को भी सुनाना चाहिए ना।
- पुकारते भी हैं पतित-पावन सीताओं के राम।
- अब इसका अर्थ भी समझते नहीं।
- सब हैं भक्तियां अथवा सीतायें।
- वह पुकारती हैं हे राम आकर हम सीताओं का उद्धार करो।
- फिर कहते हैं रघुपति राघव राजा राम... वास्तव में राजा राम की बात नहीं।
- मुख्य भूल है यह, जो शिव के बदले श्रीकृष्ण का नाम डाल दिया है।
- पूछना चाहिए कृष्ण वा राम को काला क्यों दिखाया है?
- सतयुग त्रेता में है ही सुन्दर फिर श्याम होते हैं।
- पहले है गोल्डन एज, सिल्वर एज, फिर कॉपर, आइरन एज।
- इस समय है आइरन एज।
- गोल्डन एज थी तो कितना मान था।
- तो युक्ति से जाकर समझाना चाहिए।
- वह कोई इतना जल्दी अपना हठ नहीं छोड़ेगे।
- झाड़ की आयु बड़ी होती है तो झाड़ जड़-जड़ी भूत अवस्था को पाता है, आयु तो इस दुनिया की भी है ना।
- नई दुनिया और पुरानी दुनिया।
- ओल्ड माना कलियुग, तमोप्रधान दुनिया।
- इसमें एक भी सतोप्रधान हो नहीं सकता।
- अब तमोप्रधान को खलास होना है।
- नई दुनिया कौन स्थापन करेंगे?
- वही बाप।
- ऐसे नहीं कि प्रलय होती है।
- बाप को पुकारते ही तब हैं जब पतित हो जाते हैं।
- फिर कहते हैं आकर पावन बनाओ।
- आयेंगे तो जरूर पुरानी दुनिया में।
- पतित-पावन कहते हैं तो जरूर अन्त में ही आयेंगे।
- खुद कहते हैं मैं कल्प-कल्प, कल्प के संगमयुगे आता हूँ - पावन दुनिया बनाने।
- अभी है संगम।
- अभी बाप सबको सद्गति में ले जाते हैं।
- तो ऐसे बाप की श्रीमत पर चलना चाहिए ना।
- अपनी अवस्था को जमाना है।
- सवेरे उठकर बाप को याद करना चाहिए।
- अपने को आत्मा समझना है।
- यह शरीर के आरगन्स हैं।
- बाप कहते हैं - हे बच्चों मैं तुमको जो सुनाता हूँ, वह सुनो।
- मुक्ति-जीवनमुक्ति के लिए और कोई की बात नहीं सुनो।
- परमधाम से बाप आये हैं पावन बनाने।
- फिर तुम पुराने शास्त्रों को क्यों याद करते हो।
- भक्ति करते ही इसलिए हो कि भगवान मिलेगा।
- वह तो सर्व का सद्गति दाता बाप है ना।
- बाप के सिवाए यह नॉलेज कोई दे न सके।
- इन लक्ष्मी-नारायण को भी यह राज्य कैसे मिला?
- आत्मा के लिए कहते हैं वह बिन्दी है।
- चमकता है अजब सितारा।
- बाप समझाते हैं तुम मुझे कहते हो परमात्मा सुप्रीम सोल।
- लौकिक बाप को कभी परमात्मा कहेंगे क्या?
- परमात्मा जो परमधाम में रहते हैं, उनको कहते हैं सुप्रीम सोल।
- वह तुम्हारा बाप है।
- वह आकर इसमें प्रवेश करेंगे।
- गुरू शिष्य के बाजू में बैठेगा ना।
- यह बातें कोई शास्त्रों में नहीं हैं।
- अभी तुम जानते हो वह हमारा बाप है।
- 5 हजार वर्ष पहले भी बाप ने योग सिखलाया था कि मुझे याद करो और विष्णुपुरी को याद करो तो जरूर संगम में ही कहेंगे।
- सतयुग में था एक धर्म।
- तो जरूर फिर एक धर्म होगा ना।
- इतने धर्म सब विनाश हो जायेंगे।
- यह टाइम वही है।
- बाप कहते हैं - मुझे याद करो तो मैं तुमको विश्व का मालिक बनाऊंगा।
- बाप की याद से ही तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बनेंगे।
- बाप कहते हैं - जो बच्चे अच्छी सर्विस करते हैं, मैं उनको याद करता हूँ क्योंकि मेरे मददगार हैं।
- बहुतों का कल्याण करते हैं तो वह मुझे प्यारे लगते हैं।
- तुमको तो एक बाप ही प्यारा लगता है जिससे वर्सा मिलता है इसलिए तुम बच्चों को अच्छी रीति पुरुषार्थ करना पड़े।
- याद की यात्रा में रहना है।
- बहुत फालतू ख्यालात भी आयेंगे।
- भक्ति मार्ग में अपने को मारते भी हैं, हमको शिव का दर्शन हो, बहुत मेहनत करते हैं दर्शन के लिए।
- यहाँ तुम सगझते हो बाप की याद से पाप कट जायेंगे और 21 जन्मों के लिए वर्सा मिलेगा।
- दर्शन होने से कोई पाप नहीं कट जाते।
- बाप जो विश्व का मालिक बनाते हैं।
- उनको तो बहुत प्रेम से याद करना चाहिए।
- अभी तुम्हारी बुद्धि में है कि हम क्या बन रहे हैं।
- दूसरे जन्म में हम यह जाकर बनेंगे।
- यह कॉलेज ही है सतयुग का प्रिन्स-प्रिन्सेज बनने का।
- बाप आकर धर्म के साथ डीटी किंगडम भी स्थापन करते हैं।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) बाप ने मुक्ति-जीवनमुक्ति के लिए जो भी ज्ञान की बातें सुनाई है, वही सुननी और धारण करनी है, बाकी सब भूल जाना है।
- अपना और अपने लौकिक परिवार का कल्याण करना है।
- 2) व्यर्थ ख्यालातों को समाप्त करने के लिए सवेरे-सवेरे उठ विचार सागर मंथन करना है।
- याद की यात्रा में लगे रहना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- तीनों कालों को सामने रख हर कार्य में सफल होने वाले सदा विजयी भव
- लौकिक रीति में भी जो समझदार होते हैं वह आगे पीछे सोच-समझकर फिर कदम उठाते हैं।
- ऐसे यहाँ भी आप बच्चे जब कोई कार्य करते हो तो पहले तीनों कालों को सामने रखकर फिर करो, सिर्फ वर्तमान को नहीं देखो, बेहद की समझ धारण करो और विजयीपन के निश्चय के आधार पर वा त्रिकालदर्शी पन के आधार पर हर कर्म करो वा हर बोल बोलो तब कहेंगे अलौकिक वा असाधारण।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- हद के किनारों को छोड़ एक बाप को सहारा बना लो तो पार हो जायेंगे।
|