07-09-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

" मीठे बच्चे - तुम गॉड फादरली स्टूडेन्ट हो, तुम्हें सच्चा-सच्चा रूप-बसन्त बन अपने मुख से सदैव ज्ञान रत्न ही निकालने हैं ''

प्रश्नः-

बाबा बच्चों को सुरजीत करने के लए कौन सी संजीवनी बूटी देते हैं?

उत्तर:-

मनमनाभव अर्थात् बाप को याद करो।

नशा रहे - परमात्मा द्वारा हम देवता बनने के लिए अथवा राज्य पद पाने के लिए यह पढ़ाई पढ़ रहे हैं।

यह स्मृति ही संजीवनी बूटी है, जो सुरजीत कर देती है।

उनकी अवस्था कभी मुरझा नहीं सकती।

वे सदा अपनी जांच करते दूसरों को भी सावधान करते रहेंगे।


  • ओम् शान्ति। यह कॉलेज है ना।
  • जैसे स्कूल में स्टूडेन्ट बैठते हैं तो समझते हैं हम टीचर के आगे बैठे हैं।
  • कौन सा इम्तहान पास करने बैठे हैं, वह भी बुद्धि में है।
  • सतसंग आदि में जहाँ वेद शास्त्र आदि सुनाते हैं, वहाँ कोई एम नहीं रहती।
  • वह शास्त्र आदि तुम्हारी बुद्धि से निकल गये हैं।
  • तुम जानते हो कि हम मनुष्य से देवता बन रहे हैं, भविष्य 21 जन्मों के लिए।
  • स्टूडेन्ट घर में बैठा होगा अथवा कहाँ भी जायेगा, बुद्धि में यह रहता है हम फलाना इम्तहान पास करेंगे।
  • तुम बच्चे भी क्लास में बैठे हुए यह जानते हो कि हम देवता बन रहे हैं।
  • तुम भी अपने को विद्यार्थी तो समझते हो ना।
  • हम रूह हैं, इस शरीर द्वारा हम पढ़ रहे हैं।
  • रूह जानती है कि यह शरीर छोड़ भविष्य में हम नया शरीर लेंगे, उनको देवता कहा जाता है।
  • यह तो विकारी पतित शरीर है, हमको फिर नया शरीर मिलेगा।
  • यह समझ अभी मिली है।
  • मैं आत्मा पढ़ रहा हूँ, ज्ञान सागर पढ़ा रहे हैं।
  • यहाँ तुमको गृहस्थ व्यवहार का ओना (चिंता) है नहीं।
  • बुद्धि में यही रहता है कि हम भविष्य के लिए मनुष्य से देवता बन रहे हैं।
  • देवतायें रहते हैं स्वर्ग में।
  • यह घड़ी-घड़ी चिंतन करने से बच्चों को खुशी रहेगी और पुरुषार्थ भी करेंगे।
  • मन्सा-वाचा-कर्मणा पवित्र भी रहेंगे।
  • सबको खुशी का सन्देश सुनाते रहेंगे।
  • ब्रह्माकुमार तो बहुत हैं ना।
  • सब स्टूडेन्ट लाइफ में हैं।
  • ऐसे नहीं कि धन्धे धोरी में जाने से वह लाइफ भूल जायेगी।
  • जैसे यह मिठाई वाला है, समझेगा ना कि हम स्टूडेन्ट हैं।
  • स्टूडेन्ट को कभी मिठाई बनानी होती है क्या?
  • यहाँ तो तुम्हारी बात ही न्यारी है।
  • शरीर निर्वाह के लिए धन्धा भी करना है।
  • साथ-साथ बुद्धि में यह याद रहे कि हम परमपिता परमात्मा द्वारा पढ़ रहे हैं।
  • तुम्हारी बुद्धि में रहता है कि इस समय सारी दुनिया नर्कवासी है।
  • परन्तु यह कोई समझते नहीं हैं कि हम भारतवासी नर्कवासी हैं, हम भारतवासी ही स्वर्गवासी थे।
  • तुम बच्चों को भी सारा दिन यह नशा रहता नहीं है।
  • घड़ी-घड़ी भूल जाता है।
  • भल तुम बी.के. हो, टीचर्स हो, शिक्षा देते हो, मनुष्य को देवता, नर्कवासी को स्वर्गवासी बना रहे हो, फिर भी भूल जाता है।
  • तुम जानते हो इस समय सारी दुनिया आसुरी सम्प्रदाय है।
  • आत्मा भी पतित तो शरीर भी पतित है।
  • अब तुम बच्चों को इन विकारों से ग्लानी आती है।
  • काम, क्रोध आदि सब ग्लानी की चीज़ें हैं।
  • सबसे ग्लानी की चीज़ है विकार।
  • संन्यासियों में भी थोड़ा क्रोध रहता है क्योंकि जैसा अन्न वैसा मन, गृहस्थियों का ही खाते हैं।
  • कोई अनाज नहीं खाते लेकिन पैसे तो लेते हैं ना।
  • पतितों का उस पर प्रभाव तो रहता है ना।
  • पतित का अन्न पतित ही बनायेगा।
  • पवित्रता के ऊपर तुम विशेष ज़ोर देते हो।
  • तुम्हारा यह प्रचार बढ़ता जायेगा।
  • सब चाहेंगे हम पवित्र बनें, यह बात दिल से लग जायेगी क्योंकि पवित्र बनने के बिगर तो स्वर्ग का मालिक बन नहीं सकेंगे।
  • धीरे-धीरे सबकी बुद्धि में आता जायेगा, जो स्वर्गवासी बनने होंगे वही बनेंगे।
  • कहेंगे हम तो पवित्र बन पवित्र दुनिया के मालिक जरूर बनेंगे।
  • यह कल्याणकारी संगमयुग है जबकि पतित दुनिया पावन होती है, इसलिए इसको पुरुषोत्तम युग कहा जाता है।
  • यह कल्याणकारी है।
  • मनुष्य सृष्टि का कल्याण होता है। बाप कल्याणकारी है तो बच्चों को भी बनायेंगे।
  • आकर योग सिखाए मनुष्य से देवता बनाते हैं।
  • तुम जानते हो यह है हमारा हेड स्कूल।
  • यहाँ कोई गोरखधन्धा भी किसको नहीं है।
  • बाहर जाने से धन्धेधोरी में लग जाते हैं तो यह याद नहीं रहता कि हम स्टूडेन्ट हैं।
  • हम नर्कवासी से स्वर्गवासी बन रहे हैं।
  • यह ख्यालात बुद्धि में तब चलते जब फुर्सत हो, कोशिश कर टाइम निकालना चाहिए।
  • बुद्धि में याद रहना चाहिए कि हम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन रहे हैं।
  • एक बाप को ही याद करना है।
  • धन्धे में भी फ्री टाइम मिलता है।
  • बुद्धि में यह याद कोशिश कर लानी चाहिए कि हम गॉड फादरली स्टूडेन्ट हैं।
  • आजीविका के लिए यह धन्धा आदि करते हैं।
  • वह है मायावी धन्धा, यह भी तुम्हारी आजीविका है, भविष्य के लिए सच्ची कमाई तो यह है, इसमें बड़ी अच्छी बुद्धि चाहिए।
  • अपने को आत्मा समझ परमपिता परमात्मा को याद करना है।
  • समझाना है, अब हम आत्माओं को जाना है घर।
  • बाबा हमको लेने के लिए आये हैं।
  • सारा दिन बुद्धि में विचार सागर मंथन चलना चाहिए।
  • जैसे गाय खाना उगारती रहती है, ऐसे उगारना है।
  • बच्चों को अविनाशी खजाना मिलता है।
  • यह है आत्माओं के लिए भोजन।
  • यह याद आना चाहिए हम परमपिता परमात्मा द्वारा पढ़ रहे हैं - देवता बनने के लिए, वा राज्य पद पाने के लिए, यह याद करना है।
  • घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं फिर खुशी के बदले अवस्था मुरझाई रहती है।
  • यह संजीवनी बूटी है जो अपने पास रखनी है और औरों को भी देनी है, सुरजीत करने के लिए।
  • शास्त्रों में तो लम्बी चौड़ी कहानियां लिख दी हैं।
  • बाबा इन सबका रहस्य बैठ बताते हैं।
  • मनमनाभव अर्थात् बाप को याद करो तो तुम स्वर्ग के मालिक बन जायेंगे।
  • अपनी दिल से पूछते रहो, जांच करते रहो, एक-दो को सावधान करते रहो।
  • कोई खिटपिट होती है तो बुद्धि उसमें लग जाने के कारण किसी का कहना मीठा नहीं लगता।
  • माया तरफ बुद्धि लग जाने से फिर वही फिकरात रहेगी।
  • तुम बच्चों को तो खुशी रहनी चाहिए।
  • बाप को याद करो, परन्तु अपनी ही उलझन में होंगे तो वह दवाई लगेगी नहीं, घुटके खाते रहेंगे।
  • ऐसा करना नहीं चाहिए।
  • स्टूडेन्ट पढ़ाई को थोड़ेही छोड़ जाते हैं।
  • तुम बच्चे जानते हो यह हमारी पढ़ाई है भविष्य के लिए, इसमें ही हमारा कल्याण है।
  • धन्धा धोरी आदि करते हुए भी कोर्स लेना है।
  • यह सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है।
  • यह भी नॉलेज बुद्धि में रखनी है।
  • याद है संजीवनी बूटी।
  • एक-दो को याद दिलाना चाहिए।
  • स्त्री-पुरुष एक-दो को याद कराते रहें।
  • शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा यह पढ़ा रहे हैं।
  • शिव-बाबा के रथ का श्रृंगार कर रहे हैं तो शिवबाबा की याद रहनी चाहिए।
  • सारा दिन याद रहना तो मुश्किल है।
  • वह अवस्था तो अन्त में ही होनी है।
  • जब तक कर्मातीत अवस्था हो तब तक रुसतम से माया लड़ती रहेगी।
  • गाया भी है एक-दो को सावधान कर उन्नति को पाओ।
  • ऑफीसर लोग नौकर को भी कह देते हैं कि हमको यह बातें याद कराना।
  • तुम भी एक-दो को याद कराओ।
  • मंजिल बहुत ऊंची है।
  • बाप कहते हैं - मुझे याद करने से पावन बन जायेंगे।
  • यह बाप कोई नई बात नहीं सुनाते।
  • तुमने लाखों करोड़ों बार यह ज्ञान सुना है, फिर यह सुनेंगे।
  • ऐसे कोई भी सतसंग में कहने वाला नहीं होगा कि हमने कल्प-कल्प सुना है।
  • अब सुन रहे हैं फिर सुनेंगे।
  • कल्प-कल्प सुनते आये हैं, ऐसे कोई कह नहीं सकेगा।
  • बाप समझाते हैं तुमने आधाकल्प भक्ति की है।
  • अब फिर तुमको ज्ञान मिला है, जिससे सद्गति होती है।
  • बाप को याद करने से पाप कट जायेगा।
  • यह तो समझने की बात है ना।
  • पुरुषार्थ करना है।
  • जज वा बड़े आदमी का बच्चा कोई उल्टा काम करे तो नाम बदनाम हो जाए।
  • यहाँ तुम भी बाप के बने हो तो ऐसा कोई कर्म नहीं करना है, नहीं तो बाप की निंदा करायेंगे।
  • सतगुरू के निंदक ठौर न पायें अर्थात् ऊंच पद पा न सकें।
  • ईश्वर की सन्तान होकर आसुरी कर्म से डरना चाहिए।
  • श्रीमत पर चलना होता है।
  • अपनी मत पर चलने से धोखा खायेंगे, पद भ्रष्ट हो जायेगा।
  • पूछ भी सकते हैं, आपकी मत पर ठीक चल रहे हैं।
  • बाप की पहली-पहली मत है बाप को याद करो।
  • कोई विकर्म नहीं करो।
  • बाबा कौन से विकर्म करता हूँ, आपको कुछ मालूम हो तो बताओ।
  • मालूम होगा तो बता देंगे।
  • यह-यह तुमसे भूलें होती हैं, उनको विकर्म कहा जाता है।
  • सबसे बड़ा विकर्म है काम विकार का, जास्ती झगड़ा उस पर चलता है।
  • बच्चों को हिम्मत आनी चाहिए, विचार करना चाहिए।
  • कुमारियों का झुण्ड होना चाहिए, जो कहे कि हमको शादी करनी ही नहीं है।
  • अब है कल्प का संगमयुग, जिसमें पुरुषोत्तम बनना है।
  • इस लक्ष्मी-नारायण को पुरुषोत्तम कहा जाता है।
  • विकारी को थोड़ेही पुरुषोत्तम कहेंगे।
  • अब तुम पुरुषोत्तम बन रहे हो।
  • सबको हक है बनने का।
  • पुरुषोत्तम मास पर तुम कितनी सर्विस कर सकते हो।
  • बड़ी धूमधाम मचानी चाहिए।
  • यह पुरुषोत्तम युग ही उत्तम युग है, जबकि मनुष्य नर्क-वासी से स्वर्गवासी बनते हैं।
  • यह कॉमन बात है।
  • तुम बच्चों को अच्छी रीति समझाना है।
  • पुरुषोत्तम होते हैं सतयुग में।
  • कलियुग में कोई उत्तम पुरुष होते ही नहीं।
  • यह है ही पतित दुनिया।
  • वहाँ तो पवित्र ही पवित्र हैं।
  • यह सब बातें बाप बच्चों को समझाते हैं, औरों को समझाने के लिए।
  • मौका देख समझाना चाहिए।
  • तुम यहाँ बैठे हो, समझते हो हमको निराकार बाबा परमपिता परमात्मा राजयोग सिखा रहे हैं, हम स्टूडेन्ट हैं।
  • इस पढ़ाई से स्वर्ग के देवी-देवता बन रहे हैं।
  • सब इम्तहान से बड़ा इम्तहान है, यह राजाई प्राप्त करने का इम्तहान, जो परमात्मा के सिवाए कोई पढ़ा न सके।
  • बाबा खुद परोपकारी है, खुद स्वर्ग का मालिक नहीं बनता।
  • स्वर्ग का प्रिन्स श्रीकृष्ण ही बनते हैं।
  • निष्काम सेवा बाबा करते हैं।
  • कहते हैं मैं राजा नहीं बनता हूँ।
  • तुमको राजाओं का राजा बनाता हूँ।
  • यह बातें किसकी बुद्धि में नहीं हैं।
  • ऐसे बहुत हैं, भल यहाँ साहूकार हैं, वहाँ गरीब बन जायेंगे और जो अभी गरीब हैं, वह बहुत साहूकार वहाँ बनते हैं।
  • विश्व का मालिक बनना - यह बेहद की बात है ना।
  • गाया भी हुआ है - मैं तुमको राजाओं का राजा बनाता हूँ।
  • स्वर्ग का मालिक ही बनायेगा।
  • तुम जानते हो हम स्वर्ग का मालिक बन रहे हैं तो कितना फखुर होना चाहिए।
  • हमको पढ़ाने वाला परमपिता परमात्मा है।
  • हम अब नर्कवासी से स्वर्गवासी देवता बनते हैं, यह भी याद रहने से खुशी का पारा चढ़ा रहेगा।
  • स्टूडेन्ट लाइफ इज़ दी बेस्ट।
  • पुरुषार्थ करके बनना तो राजा रानी चाहिए ना।
  • ऐसे नहीं बताना चाहिए कि हम राजा बनकर फिर रंक बनेंगे।
  • यह नहीं बताना होता है।
  • पूछना है क्या बनना चाहते हो?
  • सब कहेंगे हम विश्व का मालिक बनेंगे।
  • सो तो भगवान बाप ही बना सकते हैं।
  • कहते हैं मामेकम् याद करो तो तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे, कितनी सहज बात है। कोई भी बन सकता है।
  • भल कितना भी गरीब हो, इसमें पैसे की बात नहीं इसलिए बाप को कहते हैं - गरीब निवाज़।
  • बाप को याद करके पापों का घड़ा खाली करना है, जितना जो मेहनत करेंगे सो पायेंगे।
  • सीढ़ी से देखते हो कितना ऊंच चढ़ते हैं।
  • चढ़े तो चाखे राजाई रस, गिरे तो चकनाचूर।
  • विकार में गिरा, फारकती दी तो बाबा कहते हैं एकदम नीचे गिर पड़ते हैं।
  • सपूत बच्चे तो पुरुषार्थ कर अपना हीरे जैसा जन्म बनायेंगे।
  • बच्चों को पुरुषार्थ बहुत करना है।
  • अब जो करेगा... सबको कहते हैं मात-पिता को फॉलो करो, आप समान बनाओ।
  • जितना-जितना रहमदिल बनेंगे उतना तुमको ही फायदा है।
  • टाइम वेस्ट नहीं करना है, औरों को युक्ति बताते रहना है।
  • नहीं तो इतना ऊंच पद पा नहीं सकते।
  • पिछाड़ी में तुमको बहुत साक्षात्कार होंगे फिर उस समय तुम कुछ कर नहीं सकेंगे।
  • इम्तहान में नापास हुआ सो हुआ।
  • ऐसे न हो जो पिछाड़ी में पछताना पड़े।
  • फिर तो पुरुषार्थ कर नहीं सकेंगे इसलिए जितना अपना और दूसरों का कल्याण करना है, उतना करो।
  • अन्धों की लाठी बनो।
  • कल्प-कल्पान्तर स्वर्ग की स्थापना की है, जरूर करेंगे।
  • ड्रामा में नूँध है, अब जो करेगा सो पायेगा।
  • बाबा के लाल छिपे नहीं रह सकते।
  • रूप-बसन्त मिसल मुख से रत्न ही निकलें।
  • धूती नहीं बनना है, दूसरे का नुकसान नहीं करना है।
  • तुमको कोई उल्टा-सुल्टा सुनाये तो समझो धूती है, उनसे सम्भाल रखनी है।
  • अपना बेहद का वर्सा बाप से लेने में पूरा तत्पर रहो।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) अपना और दूसरों का कल्याण करना है।
    • अंधों की लाठी बनना है।
    • कभी कोई उल्टी बातें सुनायें तो उनसे सावधान रहना है।
  • 2) मन्सा-वाचा-कर्मणा पवित्र बनना है।
    • हम स्टूडेन्ट हैं, भगवान हमें देवता बनने की पढ़ाई पढ़ा रहे हैं, इसी खुशी में रहना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • पावरफुल दर्पण द्वारा सभी को स्वयं का साक्षात्कार कराने वाले साक्षात्कारमूर्त भव
  • जैसे दर्पण के आगे जो भी जाता है, उसे स्वयं का स्पष्ट साक्षात्कार हो जाता है। लेकिन अगर दर्पण पावरफुल नहीं तो रीयल रूप के बजाए और रूप दिखाई देता है।
  • होगा पतला दिखाई देगा मोटा, इसलिए आप ऐसे पावरफुल दर्पण बन जाओ, जो सभी को स्वयं का साक्षात्कार करा सको अर्थात् आपके सामने आते ही देह को भूल अपने देही रूप में स्थित हो जायें - वास्तविक सर्विस यह है, इसी से जय-जयकार होगी।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • शिक्षाओं को स्वरूप में लाने वाले ही ज्ञान स्वरूप, प्रेम स्वरूप आत्मा हैं।