06-09-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - पतित-पावन बाप की श्रीमत पर तुम पावन बनते हो इसलिए तुम्हें पावन दुनिया की राजाई मिलती, अपनी मत पर पावन बनने वालों को कोई प्राप्ति नहीं''

प्रश्नः-

बच्चों को सर्विस पर विशेष किस बात का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर:-

जब सर्विस में जाते हो तो कभी छोटी मोटी बात में एक दूसरे से रूठो मत अर्थात् नाराज़ न हो।

अगर आपस में लूनपानी होते, बात नहीं करते तो डिससर्विस के निमित्त बन जाते।

कई बच्चे तो बाप से भी रूठ जाते हैं।

उल्टे कर्म करने लग पड़ते हैं।

फिर ऐसे बच्चों की एडाप्शन ही रद्द हो जाती है।


  • ओम् शान्ति।
  • पतित-पावन बाप, जो बच्चे पावन बनते हैं उन्हों को बैठ समझाते हैं।
    • पतित बच्चे ही पावन बनाने वाले बाप को पुकारते हैं।
    • ड्रामा का प्लैन भी कहते हैं, रावण राज्य होने के कारण सभी मनुष्य पतित हैं।
  • पतित उसे कहा जाता है जो विकार में जाते हैं।
    • ऐसे बहुत हैं जो विकार में नहीं जाते हैं।
    • ब्रह्मचारी रहते हैं।
    • समझते हैं हम निर्विकारी हैं, जैसे पादरी लोग हैं, मुल्लेकाज़ी हैं, बौद्धी भी होते हैं जो पवित्र रहते हैं।
    • उनको पवित्र किसने बनाया?
    • वह खुद बने हैं।
    • दुनिया में बहुत ऐसे धर्मों में हैं जो विकार में नहीं जाते हैं।
    • परन्तु उनको पतित-पावन बाप तो पावन नहीं बनाते हैं ना इसलिए वह पावन दुनिया का मालिक नहीं बन सकते।
    • पावन दुनिया में जा नहीं सकते।
  • संन्यासी भी 5 विकारों को छोड़ देते हैं।
    • परन्तु उनको संन्यास कराया किसने?
    • पतित-पावन परमपिता परमात्मा ने तो संन्यास नहीं कराया ना।
    • पतित-पावन बाप के सिवाए सफलता हो नहीं सकती।
    • पावन दुनिया शान्तिधाम में जा नहीं सकते।
    • यहाँ तो बाप आकर तुमको पावन बनने की श्रीमत देते हैं।
  • सतयुग को कहा जाता है वाइसलेस दुनिया।
    • इससे सिद्ध है, सतयुग में आने वाले पवित्र जरूर होंगे।
    • सतयुग में भी पवित्र थे, शान्तिधाम में भी आत्मायें पवित्र हैं।
    • इस रावणराज्य में हैं ही सब पतित।
    • पुनर्जन्म तो लेना ही है।
    • सतयुग में भी पुनर्जन्म लेते हैं, परन्तु विकार से नहीं।
    • वह है ही सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया।
    • भल त्रेता में 2 कलायें कम होती हैं परन्तु विकारी नहीं कहेंगे।
    • भगवान श्री राम, भगवती श्री सीता कहते हैं ना।
    • 16 कला फिर 14 कला कहा जाता है।
    • चन्द्रमा का भी ऐसे होता है ना।
  • तो इससे सिद्ध होता है
    • जब तक पतित-पावन बाप आकर पावन न बनाये तब तक मुक्ति-जीवनमुक्ति में कोई जा नहीं सकते।
    • बाप ही गाइड है।
    • इस दुनिया में पवित्र तो बहुत हैं।
    • संन्यासियों की भी पवित्रता के कारण मान्यता है।
    • परन्तु बाप द्वारा पवित्र नहीं बनते हैं।
    • अभी तुम बच्चे जानते हो हमको पावन बनाने वाला निराकार परमपिता परमात्मा है।
    • वह तो आपेही अपनी मत पर पवित्र बनते हैं।
    • तुम बाप द्वारा पवित्र बनते हो।
    • पतित-पावन बाप द्वारा ही पावन दुनिया का वर्सा मिलता है।
  • बाप कहते हैं - हे बच्चों काम तुम्हारा महा-दुश्मन है, इन पर जीत पहनो, गिरते भी इसमें हैं।
    • ऐसे कभी नहीं लिखेंगे कि हमने क्रोध किया, तो काला मुँह कर दिया।
    • काम के लिए ही लिखते हैं हमने काला मुँह किया।
    • गिर गया।
    • इन बातों को तुम बच्चे ही जानते हो, दुनिया नहीं जानती।
    • ड्रामा अनुसार जिनको आकर ब्राह्मण बनना है, वह आते जायेंगे।
  • और सतसंगों में तो कोई एम आब्जेक्ट ही नहीं है।
    • शिवानंद आदि के फालोअर्स तो बहुत हैं परन्तु उनमें भी कोई-कोई संन्यास लेते होंगे।
    • गृहस्थी तो लेते ही नहीं।
    • बाकी घरबार छोड़ने वाले बहुत थोड़े निकल पड़ते हैं।
    • संन्यासी बनते हैं फिर भी पुनर्जन्म लेना पड़ता है।
    • शिवानंद के लिए थोड़ेही कहेंगे कि ज्योति ज्योत में समाया।
  • तुम समझते हो तो सर्व का सद्गति दाता बाप ही है, वही गाइड है।
    • गाइड बिगर कोई जा नहीं सकता।
    • तुम बच्चे जानते हो हमारा बाप, बाप भी है, नॉलेजफुल भी है।
    • मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है।
    • सारे मनुष्य सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज तो बीज को ही होगी ना।
    • फादर तो सब कहते हैं ना।
  • बच्चे तो जानते हैं हमारा गॉड फादर एक ही है तो तरस भी उस फादर को ही सब पर पड़ेगा ना।
    • कितने ढेर मनुष्य हैं, कितने जीव-जन्तु हैं।
    • वहाँ मनुष्य थोड़े होते हैं तो जीव-जन्तु भी थोड़े होते हैं।
    • सतयुग में ऐसी किचड़पट्टी होती नहीं।
  • यहाँ तो अनेक प्रकार की बीमारियां आदि कितनी निकलती रहती हैं, जिसके लिए फिर नई दवाइयां निकलती रहती हैं।
  • ड्रामा प्लैन अनुसार अनेक प्रकार के हुनर निकालते रहते हैं।
  • वह सब है मनुष्य के हुनर।
    • पारलौकिक बाप का हुनर क्या है?
    • बाप के लिए कहते हैं हे पतित-पावन आकर हमारी आत्मा को पावन बनाओ, शरीर भी पावन, कहते हैं पतित-पावन, दु:ख हर्ता, सुख कर्ता, एक को ही बुलाते हैं ना।
    • अपनी-अपनी भाषा में याद जरूर करते हैं।
  • मनुष्य मरने पर होते हैं तो भी भगवान को याद करते हैं, समझते हैं दूसरा कोई सहारा नहीं देगा, इसलिए कहते हैं - गॉड फादर को याद करो।
    • क्रिश्चियन भी कहेंगे गॉड फादर को याद करो।
    • ऐसे नहीं कहेंगे - क्राइस्ट को याद करो।
    • जानते हैं क्राइस्ट के ऊपर गॉड है।
    • गॉड तो सबका एक होगा ना।
  • अब तुम बच्चे जानते हो मृत्युलोक क्या है, अमरलोक क्या है!
    • दुनिया में कोई नहीं जानते।
    • वह तो कहते स्वर्ग नर्क सब यहाँ ही है।
    • कोई-कोई समझते हैं सतयुग था, देवताओं का राज्य था।
    • अभी तक भी कितने नये-नये मन्दिर बनते रहते हैं।
  • तुम बच्चे जानते हो सिवाए एक बाप के और कोई भी हमको पावन बनाए वापिस अपने घर ले नहीं जा सकते।
    • तुम्हारी बुद्धि में है कि हम अपने स्वीटहोम में जा रहे हैं।
    • बाप हमको वापिस ले जाने के लिए लायक बना रहे हैं।
    • यह स्मृति में रहना चाहिए।
    • बाप समझाते हैं बच्चे तुमने इतने-इतने जन्म लिए हैं।
  • अभी हम आकर शूद्र से ब्राह्मण बने हैं।
    • फिर ब्राह्मण से देवता बनना है, स्वर्ग में जाना है।
    • अभी है संगम।
    • विराटरूप में ब्राह्मणों की चोटी मशहूर है।
    • हिन्दुओं के लिए भी चोटी निशानी है।
  • मनुष्य तो मनुष्य ही हैं।
    • खालसे, मुसलमान आदि ऐसे बन जाते हैं जो तुमको मालूम भी न पड़े कौन हैं?
    • बाकी चीनी हैं, अफ्रीकन हैं, उनका मालूम पड़ जाता है।
    • उन्हों की शक्ल ही अलग है।
    • क्रिश्चियन का भारत से कनेक्शन है तो यह सीखे हैं।
    • कितनी वैरायटी है धर्मो की।
    • उनकी रसम-रिवाज़ पहरवाइस सब अलग है।
  • अभी तुम बच्चों को ज्ञान मिला है, हम सतयुग की स्थापना कर रहे हैं।
    • वहाँ और कोई धर्म नहीं था।
    • अभी तो सब वैरायटी धर्म वाले हाज़िर हैं।
    • अब अन्त में और क्या धर्म स्थापन करेंगे।
  • हाँ, नई आत्मायें पावन होती हैं इसलिए जो नई आत्मा आती है तो कुछ न कुछ उस आत्मा की महिमा होती रहेगी।
    • विवेक कहता है जो पिछाड़ी में आयेंगे उनको पहले जरूर सुख मिलेगा।
    • महिमा होगी फिर दु:ख भी होगा।
    • है ही एक जन्म जैसे तुम सुखधाम में बहुत रहते हो।
    • वह फिर शान्तिधाम में बहुत रहते हैं।
    • अन्त तक वृद्धि बहुत होती है।
    • झाड़ बड़ा है ना।
  • इस समय मनुष्यों की कितनी वृद्धि होती रहती है इसलिए इनको बन्द करने के उपाय निकालते रहते हैं।
    • परन्तु इससे कुछ हो नहीं सकता।
    • तुम जानते हो ड्रामा प्लैन अनुसार वृद्धि होनी है जरूर।
    • नये पत्ते आते जायेंगे फिर टालियां आदि निकलती रहेंगी।
    • कितनी वैरायटी है।
  • अब बच्चे जानते हैं हम और कोई कनेक्शन में नहीं हैं।
    • बाप ही हमको पावन बनाते हैं और सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का समाचार सुनाते हैं।
    • तुम भी उनको ही बुलाते हो हे पतित-पावन आकर हमको पावन बनाओ तो जरूर पतित दुनिया विनाश को पायेगी।
    • यह भी हिसाब है।
  • सतयुग में थोड़े मनुष्य रहते हैं।
    • कलियुग में कितने ढेर मनुष्य हैं, तुम बच्चों को समझानी भी देनी है।
    • बाप हमको पढ़ाते हैं इस पुरानी दुनिया का अब विनाश होता है।
  • स्थापना बाप ही करेंगे।
    • भगवानुवाच मैं स्थापना कराता हूँ।
    • विनाश तो ड्रामा अनुसार होता है।
    • भारत में ही चित्र भी हैं।
    • ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण, ब्रह्मा मुख वंशावली देखो कितने हैं।
    • वह हैं कुख वंशावली ब्राह्मण।
    • वह तो बाप को जानते ही नहीं।
    • तुमको अब हौंसला आया है।
    • तुम जानते हो अब कलियुग विनाश हो सतयुग आना है।
  • यह है ही राजस्व अश्वमेध अविनाशी रूद्र ज्ञान यज्ञ।
    • इसमें आहुति पड़नी है - पुरानी दुनिया की।
    • दूसरी तो कोई आहुति है नहीं।
    • बाप कहते हैं - मैंने सारी सृष्टि पर यह राजस्व अश्वमेध यज्ञ रचा है।
    • सारी भूमि पर रचा हुआ है।
    • यज्ञ कुण्ड होते हैं ना।
    • इसमें सारी दुनिया स्वाहा हो जायेगी।
    • यज्ञ कुण्ड बनाते हैं।
    • यह सारी सृष्टि यज्ञ कुण्ड बनी हुई है।
    • इस यज्ञ कुण्ड में क्या होगा?
    • सब इसमें खलास हो जायेंगे।
    • यह कुण्ड पवित्र नया हो जायेगा, इसमें फिर देवतायें आयेंगे।
    • समुद्र चारों ओर है ही, सारी दुनिया नई हो जायेगी।
    • उथल-पाथल तो बहुत होगा।
  • ऐसी कोई जगह नहीं है जो किसकी न हो।
    • सब कहते हैं यह मेरी है।
    • अब मेरी-मेरी कहने वाले मनुष्य सब खत्म हो जायेंगे।
    • बाकी मैं जिनको पवित्र बनाता हूँ, वह थोड़े ही सारी दुनिया में रहेंगे।
  • पहले-पहले आदि सनातन देवी-देवता धर्म होगा।
    • जमुना नदी के कण्ठे पर उन्हों का राज्य होगा।
    • यह सब बातें तुम्हारी बुद्धि में बैठनी चाहिए, खुशी रहनी चाहिए।
    • मनुष्य एक दूसरे को कहानी बैठ सुनाते रहते हैं ना।
    • यह भी सत्य-नारायण की कहानी है, ये है बेहद की।
    • तुम्हारी बुद्धि में ही यह बातें हैं।
  • उनमें भी जो अच्छे-अच्छे सर्विस-एबुल हैं, उन्हों की बुद्धि में धारणा होती है, झोली भरेगी, दान देते रहेंगे इसलिए
    • कहते हैं धन दिये धन ना खुटे।
      • समझते हैं दान देने से बरक्कत बढ़ेगी।
      • तुम्हारा तो है अविनाशी धन।
      • अभी धन दिये धन ना खुटे, जितना दान देंगे उतना ही खुशी होगी।
  • सुनते समय कोई-कोई का कांध जैसे झूलता रहेगा।
    • कोई तो तवाई मुआफिक बैठे रहते हैं।
    • बाप इतनी अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स सुनाते हैं।
    • तो सुनते समय आटोमेटिक कांध हिलेगा।
    • यहाँ बच्चे आते ही हैं सम्मुख बाप से रिफ्रेश होने।
    • बाप कैसे बैठ युक्ति से प्वाइंट सुनाते हैं।
  • तुम जानते हो भारत में देवी-देवताओं का राज्य था।
    • भारत को स्वर्ग कहा जाता है।
    • अभी तो नर्क है।
    • नर्क बदलकर स्वर्ग होगा बाकी इतने सबका विनाश हो जायेगा।
    • तुम्हारे लिए तो स्वर्ग जैसे कल की बात है।
    • कल राज्य करते थे, दूसरा कोई ऐसे कह न सके।
  • कहते भी हैं क्राइस्ट के इतने वर्ष पहले पैराडाइज था, तब कोई दूसरा धर्म नहीं था।
    • द्वापर से सब धर्म आते हैं।
    • बड़ी सहज बात है।
    • परन्तु मनुष्यों की बुद्धि इस तरफ है नहीं जो समझ सकें।
  • बुलाते भी हैं पतित-पावन आओ तो आकर जरूर पतित से पावन बनायेंगे ना!
    • यहाँ तो कोई पावन हो न सके।
    • सतयुग को वाइसलेस वर्ल्ड कहा जाता है।
    • अभी तो है विशश वर्ल्ड।
  • मुख्य बात है पवित्रता की।
    • इसके लिए तुमको कितनी मेहनत करनी पड़ती है।
  • तुम जानते हो आज दिन तक जो भी पास्ट हुआ वह ड्रामा अनुसार ही कहेंगे।
    • इसमें हम किसको बुरा भला नहीं कह सकते।
    • जो कुछ होता है, ड्रामा में नूँध है।
  • बाप आगे के लिए समझाते हैं कि सर्विस में ऐसे-ऐसे कर्म नहीं करो।
    • नहीं तो डिससर्विस हो जाती है।
    • बाप ही तो बतायेंगे ना।
    • तुम आपस में लूनपानी हो गये हो।
    • समझते हैं हम लूनपानी हैं, एक दूसरे से मिलते बात नहीं करते फिर किसको कुछ कहो तो एकदम बिगड़ जाते हैं।
    • शिवबाबा को भूल जाते हैं इसलिए समझाया जाता है कि हमेशा शिवबाबा को याद करो।
  • बाप सावधानी देते हैं बच्चों को।
    • ऐसे-ऐसे काम करने से दुर्गति हो जाती है।
    • परन्तु तकदीर में नहीं है तो समझते ही नहीं।
    • शिवबाबा जिनसे वर्सा मिलता है, उनसे भी रूठ पड़ते हैं।
    • ब्राह्मणी से भी रूठते हैं, इनसे भी रूठते हैं।
    • फिर कभी क्लास में नहीं आते हैं।
    • शिवबाबा से तो कभी नहीं रूठना चाहिए ना।
    • उनकी मुरली तो पढ़नी है।
    • याद भी उनको करना है।
    • बाबा कहते हैं ना - बच्चे अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो तो सद्गति होगी।
    • देह-अभिमान में आने से देहधारियों से रूठ पड़ते हैं।
    • वर्सा तो दादे से मिलेगा।
    • बाप का बनें तब दादे का वर्सा मिले।
    • बाप को ही फारकती दे दी तो वर्सा कैसे मिलेगा।
    • ब्राह्मण कुल से निकल शूद्र कुल में चले गये तो वर्सा खत्म।
    • एडाप्शन रद्द हो गया।
    • फिर भी समझते नहीं हैं।
    • माया ऐसी है जो एकदम तवाई बना देती है।
  • बाप को तो कितना प्यार से याद करना चाहिए परन्तु याद करते ही नहीं।
    • शिवबाबा का बच्चा हूँ, जो हमको विश्व का मालिक बनाते हैं।
    • जरूर भारत में ही जन्म लेते हैं।
    • शिव जयन्ती मनाते हैं ना।
    • वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होगी तो पहले-पहले शिवबाबा ही आकर स्वर्ग रचेंगे।
  • तुम जानते हो कि हमको स्वर्ग की बादशाही मिल रही है।
    • बाप ही आकर स्वर्गवासी बनाते हैं।
    • नई दुनिया के लिए राजयोग सिखलाते हैं।
    • तुम जाकर नई दुनिया में राज्य चलाते हो।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बुद्धि रूपी झोली में अविनाशी ज्ञान रत्न भरपूर कर फिर दान करना है।
    • दान करने से ही खुशी रहेगी।
    • ज्ञान धन बढ़ता जायेगा।
  • 2) कभी भी आपस में बिगड़कर लूनपानी नहीं होना है।
    • बहुत प्यार से बाप को याद करना है और मुरली सुननी है।
    • तवाई नहीं बनना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • सदा पुण्य का खाता जमा करने और कराने वाले मास्टर शिक्षक भव
  • हम मास्टर शिक्षक हैं, मास्टर कहने से बाप स्वत: याद आता है।
  • बनाने वाले की याद आने से स्वयं निमित्त हूँ - यह स्वत: स्मृति में आ जाता है।
  • विशेष स्मृति रहे कि हम पुण्य आत्मा हैं, पुण्य का खाता जमा करना और कराना - यही विशेष सेवा है।
  • पुण्य आत्मा कभी पाप का एक परसेन्ट संकल्प मात्र भी नहीं कर सकती।
  • मास्टर शिक्षक माना सदा पुण्य का खाता जमा करने और कराने वाले, बाप समान।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • संगठन के महत्व को जानने वाले संगठन में ही स्वयं की सेफ्टी का अनुभव करते हैं।