03-09-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - आपस में एक दो को बाप की याद में रहने का इशारा देते, सावधान करते उन्नति को पाते रहो''

प्रश्नः-

बाप समान नॉलेजफुल बनने वाले बच्चों के जीवन की मुख्य धारणा सुनाओ?

उत्तर:-

वह सदैव मुस्कराते रहते, कभी भी किसी बात में उन्हें रोना नहीं आ सकता।

कुछ भी होता है नथिंग न्यु।

ऐसे जो अभी नॉलेजफुल अर्थात् रोना प्रूफ बनते हैं, कभी किसी बात में अशान्त नहीं होते, उन्हें ही स्वर्ग की बादशाही मिलती है।

जिन रोया तिन खोया, रोने वाले अपना पद गँवाते हैं।

गीत:- तुम्हें पाके हमने........


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे बच्चों ने अपना ही गाया हुआ गीत सुना।
    • बच्चे जानते हैं हम बेहद के बाप के सामने बैठे हैं, तो बच्चे कहते हैं बाबा आपसे जो विश्व की बादशाही पाई थी, वह अब फिर से पा रहे हैं।
    • सतयुग में तो ऐसे नहीं गायेंगे।
    • यह संगमयुग पर ही तुम गा सकते हो।
  • घर में बैठे अथवा नौकरी करते हुए तुम जानते हो कि हम बेहद के बाप से बेहद का वर्सा फिर से ले रहे हैं।
    • सेन्टर्स पर भी सावधानी मिलती है कि बाप को याद करो और हम विश्व के मालिक बन रहे हैं, यह याद रखो।
    • कोई नई बात नहीं है।
    • हम कल्प-कल्प बाप से विश्व की बादशाही लेते हैं।
    • नया कोई सुनेगा तो समझेगा यह इनको (ब्रह्मा को) शिवबाबा कहते हैं।
  • अब वह तो है निराकार आत्माओं का बाप।
    • आत्मा निराकार है तो परमात्मा बाप भी निराकार है।
    • आत्मा को निराकार तब तक कहेंगे जब तक साकारी रूप नहीं लिया है।
    • तो बच्चे जान गये हैं कि हम बेहद के बाप से यह नॉलेज सुन रहे हैं।
    • रूहानी टीचर पढ़ा रहे हैं, एक दो को सावधानी देने के लिए।
    • पहले यह रूहानी सावधानी मिलती है।
    • बेहद के बाप की याद में ही सब रहते हैं और इशारा देते हैं - बाप की याद में रहो और कहीं बुद्धि नहीं जानी चाहिए इसलिए कहा जाता है - आत्म-अभिमानी भव और बाप को याद करो।
    • वह है पतित-पावन बाप।
    • अब वह सम्मुख बैठ कहते हैं मुझे याद करो।
    • कितनी सहज युक्ति है - मनमनाभव अक्षर भी है, परन्तु जब कोई समझे।
    • याद की यात्रा सिखलाने वाला एक ही बाप है।
  • तुम बच्चे ही जानते हो हम रूहानी यात्रा पर हैं।
    • वह है जिस्मानी यात्रा, अब हम जिस्मानी यात्री नहीं हैं।
    • हम हैं रूहानी यात्री।
  • इस याद से ही विकर्म विनाश होंगे।
    • तुम विकर्माजीत बन जायेंगे।
    • और कोई उपाय नहीं है जो तुम विकर्माजीत बनो।
    • एक है विकर्माजीत संवत, दूसरा है विक्रम संवत, फिर विकर्म शुरू होते हैं।
    • रावण राज्य शुरू हुआ और विकार शुरू हुए।
    • अब तुम विकर्माजीत बनने का पुरूषार्थ कर रहे हो।
    • वहाँ कोई विकर्म होता नहीं, वहाँ रावण ही नहीं।
    • दुनिया में यह कोई नहीं जानते।
  • तुम बाप द्वारा सब कुछ जान गये हो।
    • बाप को ही नॉलेजफुल कहा जाता है तो बच्चों को ही नॉलेज देंगे ना।
    • गॉड फादर का नाम भी चाहिए।
  • नाम रूप से न्यारा थोड़ेही है।
    • पूजा करते हैं, उनका नाम है शिव।
    • वही पतित-पावन, ज्ञान का सागर है।
    • आत्मा याद करती है, उस परमपिता परमात्मा बाप को।
    • आत्मा बाप की महिमा करती है।
    • वह सुख-शान्ति का सागर है।
    • बाप तो जरूर वर्सा ही देंगे बच्चों को।
    • जो होकर जाते हैं, उनका यादगार बनाते हैं।
    • एक शिवबाबा ही है जिनका गायन भी होता है और पूजा भी होती है।
    • जरूर वह शरीर द्वारा कर्तव्य करते हैं तब तो उनका गायन है।
    • वह एवरप्योर है।
    • बाप कब पुजारी बनते नहीं, वह सदैव पूज्य हैं।
  • बाप कहते हैं मैं कभी पुजारी नहीं बनता।
    • मैं पूजा जाता हूँ।
    • पुजारी लोग मेरी पूजा करते हैं।
    • सतयुग में तो मेरी पूजा नहीं करते हो।
    • भक्ति मार्ग में मुझ पतित-पावन बाप को याद करते हो।
    • पहले-पहले अव्यभिचारी भक्ति उस एक की ही होती है फिर व्यभिचारी भक्ति हो जाती है।
    • ब्रह्मा सरस्वती को भी वह शिवबाबा विश्व का मालिक बनाते हैं।
    • भक्ति का कितना विस्तार है।
    • बीज का कोई विस्तार नहीं है।
    • बाप कहते हैं - मुझे याद करो और वर्से को याद करो।
    • बस, जैसे झाड़ का विस्तार होता है वैसे भक्ति का भी बहुत विस्तार है।
  • ज्ञान है बीज।
    • जब तुमको ज्ञान मिलता है तो सद्गति को पाते हो।
    • तुमको कोई माथा नहीं मारना पड़ता।
    • ज्ञान और भक्ति है ना।
    • सतयुग त्रेता में भक्ति का झाड़ होता नहीं।
    • आधाकल्प यह भक्ति का झाड़ चलता है।
    • सब धर्म वालों की अपनी-अपनी रसम-रिवाज है।
    • भक्ति तो कितनी बड़ी है।
    • ज्ञान तो सबके लिए एक है - बस मनमनाभव।
  • अल्फ बाप को याद करो।
    • बाप को याद करेंगे तो वर्सा जरूर याद आयेगा।
    • वर्से का विस्तार हो जाता है ना।
    • वह होती है हद की जायदाद।
    • यहाँ तुमको बेहद की जायदाद याद पड़ती है।
    • बेहद का बाप आकर बेहद का वर्सा भारतवासियों को देते हैं।
    • जन्म भी उनका यहाँ ही गाया जाता है।
    • यह इस ड्रामा में अनादि नूँध है।
  • जैसे भगवान ऊंच ते ऊंच है, वैसे भारत खण्ड भी ऊंच ते ऊंच है, जहाँ बाप आकर सारी दुनिया की सद्गति करते हैं।
    • तो सबसे बड़ा तीर्थ हुआ ना।
    • कहते हैं हे गॉड फादर हमको अपने घर ले चलो।
    • भारत के ऊपर सबका लव है।
    • बाप भी भारत में ही आते हैं।
    • अभी तुम मेहनत कर रहे हो।
  • गोपी-वल्लभ के गोप गोपियाँ तुम हो।
    • सतयुग में गोप गोपियों की बात नहीं रहती।
    • वहाँ तो कायदे अनुसार राजाई चलती हैं।
    • चरित्र कृष्ण के हैं नहीं, चरित्र एक बाप के हैं।
    • उनका चरित्र कितना बड़ा है।
    • सारी पतित सृष्टि को पावन बनाते हैं।
    • यह कितनी चतुराई है।
  • इस समय सब मनुष्य मात्र अजामिल जैसे पापी हैं।
    • मनुष्य समझते हैं यह साधू आदि श्रेष्ठाचारी हैं।
    • बाप कहते हैं इन्हों का भी उद्धार मुझे करना है।
  • जैसे तुम एक्टर्स हो, बाप भी एक्टर है ना।
    • तुम 84 जन्म ले पार्ट बजाते हो।
    • वह भी क्रियेटर, डायरेक्टर मुख्य एक्टर है, करनकरावनहार है ना।
    • क्या करते हैं?
    • पतितों को पावन बनाते हैं।
    • बाप कहते हैं - तुम मुझे बुलाते हो आकरके हमें पावन बनाओ।
  • मैं भी इस पार्ट में बांधा हुआ हूँ।
    • ऐसे कोई कह न सके।
    • यह क्यों बना?
    • कब बना?
    • यह तो अनादि बना बनाया ड्रामा है।
    • इनका आदि-मध्य-अन्त है नहीं, प्रलय होती नहीं।
    • आत्मा अविनाशी है, कभी विनाश नहीं हो सकती।
    • इनको पार्ट भी अविनाशी मिला हुआ है।
  • यह बेहद का ड्रामा है ना।
    • नटशेल में बाप बैठ समझाते हैं, यह ड्रामा का पार्ट कैसे चलता है।
    • बाकी ऐसे नहीं परमात्मा है तो मुर्दे को जिंदा कर सकते हैं।
    • यह अन्धश्रद्धा की, रिद्धि-सिद्धि की बातें यहाँ नहीं हैं।
    • मुझे तो पुकारते ही हैं हे पतित-पावन आओ।
    • आकर हमको पतित से पावन बनाओ सो तो बरोबर आते हैं।
  • गीता सर्वशास्त्रमई शिरोमणी है।
    • भगवान ने ही गीता सुनाई है।
    • अच्छा सहज राजयोग कब सिखाया?
    • यह भी तुम जानते हो।
  • बाप आते ही हैं कल्प के संगमयुग पर।
    • जबकि आकर पावन दुनिया नई राजधानी स्थापन करते हैं।
    • सतयुग में तो नहीं स्थापन करेंगे ना!
    • वहाँ तो है ही पावन दुनिया।
  • कल्प के संगमयुग में ही कुम्भ का मेला लगता है।
    • वह कुम्भ का मेला 12 वर्ष बाद लगता है।
    • यह बड़ा कुम्भ का मेला 5 हजार वर्ष बाद लगता है।
    • यह है आत्माओं और परमात्मा का मेला।
    • जबकि परमपिता परमात्मा आकर सब आत्माओं को पावन बनाकर ले जाते हैं।
    • कल्प की आयु लम्बी करने से ही मनुष्य मूँझ गये हैं।
    • अभी तुम समझते हो।
    • तुम्हारी मैगजीन जो निकलती है उनको भी तुम बच्चे समझ सकेंगे और कोई नहीं समझ सकेंगे।
  • बाप ने कहा लिख दो जो कुछ हुआ 5 हजार वर्ष पहले मिसल, नथिंग न्यु।
    • जो 5 हजार वर्ष पहले हुआ था वही अब रिपीट होता है।
    • किसको भी यह समझना हो तो आकर समझे।
    • ऐसे-ऐसे युक्तियाँ रखनी चाहिए।
    • हम अखबारों में क्या डालें!
  • यह भी तुम लिख सकते हो - यह महाभारत लड़ाई कैसे पावन दुनिया का गेट खोलती है।
    • सतयुग की स्थापना कल्प पहले मिसल कैसे होती है, कैसे देवी-देवताओं की राजधानी स्थापन हो रही है, आकर समझो।
    • गॉड फादर से बर्थ राइट लेना हो तो आकरके लो।
    • ऐसे-ऐसे विचार सागर मंथन करना चाहिए।
    • वो लोग स्टोरी आदि बनाते हैं वह भी ड्रामा में नूँध है, जो पार्ट बजाते हैं।
    • व्यास ने भी ड्रामा प्लैन अनुसार शास्त्र आदि बनाये हैं।
    • पार्ट ही ऐसा मिला हुआ है।
    • अभी तुम ड्रामा को समझ गये हो फिर वही ड्रामा रिपीट होगा।
    • अभी तुम आये हो फिर से ज्ञान सुनते हो।
  • तुम जानते हो फिर से यह लक्ष्मी-नारायण का राज्य होगा।
    • बाकी सब धर्म खलास हो जायेंगे।
    • अभी तुम नॉलेजफुल बन रहे हो।
    • बाबा तुमको आप समान नॉलेजफुल बनाते हैं।
    • तुम जानते हो आधाकल्प हम पीसफुल रहेंगे।
    • कोई प्रकार की अशान्ति नहीं रहेगी।
    • वहाँ बच्चे आदि कभी रोते नहीं, सदैव मुस्कराते रहेंगे।
    • यहाँ भी तुमको रोना नहीं है।
    • गायन भी है अम्मा मरे तो भी हलुआ खाओ...जिन रोया तिन खोया।
    • पद भी भ्रष्ट हो जायेगा।
    • तुमको पतियों का पति मिला है जो स्वर्ग की बादशाही देते हैं।
    • वह तो कभी मरता भी नहीं, फिर रोने की क्या दरकार है, जो रोने प्रूफ बनते हैं वही बादशाही लेते हैं।
    • बाकी तो प्रजा में चले जायेंगे।
    • बाबा से अगर कोई पूछे इस हालत में हम क्या बनेंगे?
    • तो बाबा बता देंगे।
    • बच्चों को पिछाड़ी में सब साक्षात्कार होगा।
    • जैसे स्कूल में सभी को मालूम पड़ जाता है ना।
    • रूद्र माला कौनसी बनती है - वह पिछाड़ी में तुमको मालूम पड़ जायेगा।
  • जब पिछाड़ी के दिन होते हैं तो बहुत पुरुषार्थ करते हैं।
    • समझते हैं हम फलानी सब्जेक्ट में नापास होंगे।
    • तुमको भी मालूम पड़ जायेगा।
  • बहुत कहते हैं हमारा बच्चों में मोह है।
    • वह तो निकालना ही होगा।
    • मोह रखना है एक में, बाकी ट्रस्टी होकर सम्भालना है।
    • कहते भी हैं ना - यह सभी कुछ बाप ने दिया है तो फिर ट्रस्टी होकर चलो।
    • ममत्व निकाल दो।
    • बाप खुद आकर कहते हैं इनसे ममत्व निकाल दो।
    • समझो यह सब उनका है, उनकी मत पर ही चलो।
    • उनके कार्य में ही लग जाओ।
    • अविनाशी ज्ञान रत्न का दान करते रहो।
  • यहाँ कन्याओं के लिए बाप के पास सबसे जास्ती रिगॉर्ड है।
    • कन्या कर्मबन्धन से फ्री रहती है।
    • बच्चों को तो लौकिक बाप के वर्से का नशा रहता है।
    • कन्या लौकिक बाप का वर्सा नहीं पाती है।
    • यहाँ इस बाप के पास मेल-फीमेल का भेद नहीं।
    • बाप आत्माओं को बैठ समझाते हैं।
  • तुम जानते हो हम सब ब्रदर्स हैं, बाप से वर्सा ले रहे हैं।
    • आत्मा पढ़ती है, बाप से वर्सा लेती है।
    • जितना जास्ती वर्सा लेंगे उतना ऊंच पद पायेंगे।
    • बाबा आकर सब बातें समझाते हैं।
  • शिवबाबा है निराकार, उनकी पूजा भी करते हैं।
    • सोमनाथ का मन्दिर बनाया है।
    • यह अभी तुम जानते हो शिवबाबा ने आकर क्या किया!
    • क्यों उनका यादगार मन्दिर बनाया है?
    • यह भी तुम समझते हो।
    • कल्प-कल्प ऐसा ही होगा।
    • ड्रामा में नूँध है, सो रिपीट हो रहा है।
    • बाप को आना ही है।
  • पुरानी दुनिया का विनाश होना है।
    • कोई अफसोस की बात नहीं।
    • यह खूनेनाहेक खेल है।
    • नाहेक सबका खून होगा।
    • नहीं तो कोई किसका खून करे तो उनको फाँसी की सजा मिल जाए।
    • अब किसको पकड़ें।
    • यह तो नेचुरल कैलेमिटीज आनी ही हैं।
    • विनाश तो होना ही है।
    • अमरलोक, मृत्युलोक के अर्थ को भी कोई नहीं जानते हैं।
    • तुम जानते हो आज हम मृत्युलोक में हैं, कल हम अमरलोक में होंगे, इसलिए हम पढ़ते हैं।
    • मनुष्य तो घोर अन्धियारे में हैं।
    • तुम ज्ञान अमृत पिलाते हो, हाँ-हाँ कर फिर सो जाते हैं नींद में।
    • सुनते भी हैं बेहद का बाप वर्सा दे रहे हैं।
    • यह वही महाभारत की लड़ाई है जिससे स्वर्ग के गेट खुलते हैं।
  • लिखते भी हैं बहुत अच्छा है, यह ज्ञान कोई दे नहीं सकते।
    • हम मानते हैं, बस।
    • खुद कुछ भी ज्ञान उठाते नहीं फिर सो जाते हैं, इसको कहा जाता है कुम्भकरण।
    • तुम कह सकते हो कि लिखकर तो देते हो परन्तु ऐसे नहीं फिर जाओ तो घर में जाकर सो जाओ।
    • कुम्भकरण के चित्र के आगे ले जाना चाहिए, इस मुआफिक सो मत जाना।
    • समझाने की बड़ी युक्ति चाहिए ना।
  • बाबा कहते हैं बच्चे, अपनी दुकानों में भी मुख्य-मुख्य चित्र रखो।
    • जो कोई आये उस पर समझाओ।
    • वह भी सौदा कराओ, यह भी सच्चा सौदा है।
    • इससे तुम बहुतों का कल्याण कर सकते हो।
    • इसमें लज्जा की तो कोई बात ही नहीं।
    • कोई कहते हैं बी.के. बने हो।
    • बोलो, अरे प्रजापिता ब्रह्मा के कुमार-कुमारी तो तुम भी हो ना।
  • बाप नई सृष्टि रच रहे हैं।
    • पुरानी को आग लग रही है।
    • तुम भी जब तक बी.के. न बनो तब तक स्वर्ग में जा न सको।
    • ऐसे-ऐसे दुकानों में सर्विस करो तो कितनी बेहद की सर्विस हो जायेगी।
    • आपस में राय करो, दुकान छोटा है तो भी दीवार में चित्र लगा सकते हो।
    • चैरिटी बिगन्स एट होम।
    • पहले-पहले उनका कल्याण करना है।
  • बाप कहते हैं - अब कोई देहधारी को याद नहीं करो।
    • शिवबाबा को याद करो, जिससे वर्सा मिलता है।
  • मनुष्य तो बिचारे मूँझे हुए हैं।
    • बताना है - डीटी वर्ल्ड सावरन्टी पाना है, नर से नारायण बनना है तो आकर बनो।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) एक बाप में ही शुद्ध सच्चा मोह रखना है, उसे ही याद करना है।
    • देहधारियों से ममत्व निकाल देना है।
    • ट्रस्टी होकर सम्भालना है।
  • 2) विकर्माजीत बनना है इसलिए कर्मेन्द्रियों से कोई भी विकर्म न हो, इसका बहुत-बहुत ध्यान रखना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • साक्षीपन की सीट द्वारा परेशानी शब्द को समाप्त करने वाले मास्टर त्रिकालदर्शी भव
  • इस ड्रामा में जो कुछ भी होता है उसमें कल्याण भरा हुआ है, क्यों, क्या का क्वेश्चन समझदार के अन्दर उठ नहीं सकता।
  • नुकसान में भी कल्याण समाया हुआ है, बाप का साथ और हाथ है तो अकल्याण हो नहीं सकता।
  • ऐसे शान की शीट पर रहो तो कभी परेशान नहीं हो सकते।
  • साक्षीपन की शीट परेशानी शब्द को खत्म कर देती है, इसलिए त्रिकालदर्शी बन प्रतिज्ञा करो कि न परेशान होंगे, न परेशान करेंगे।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • अपनी सर्व कर्मेन्द्रियों को आर्डर प्रमाण चलाना ही स्वराज्य अधिकारी बनना है।