02-09-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - तुम अपनी तकदीर भविष्य नई दुनिया के लिए बना रहे हो, यह तुम्हारा राजयोग है ही नई दुनिया के लिए''

प्रश्नः-

तकदीरवान बच्चों की मुख्य निशानियां क्या होंगी?

उत्तर:-

1.तकदीरवान बच्चे कायदेसिर श्रीमत पर चलेंगे। कोई भी कायदे के विरुद्ध कार्य करके अपने को वा बाप को ठगेंगे नही।

2. उन्हें पढ़ाई का पूरा-पूरा शौक होगा। समझाने का भी शौक होगा।

3. पास विद् ऑनर बन स्कॉलरशिप लेने का पुरुषार्थ करेंगे।

4. कभी किसी को दु:ख नहीं देंगे। कभी कोई उल्टा कर्म नहीं करेंगे।

गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ...


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने गीत सुना।
    • नयों ने भी सुना तो पुरानों ने भी सुना, कुमारियों ने भी सुना।
  • यह पाठशाला है।
    • पाठशाला में कोई न कोई तकदीर बनाने जाते हैं।
    • वहाँ तो अनेक प्रकार की तकदीर है, कोई सर्जन बनने की, कोई बैरिस्टर बनने की तकदीर बनाते हैं।
    • तकदीर को एम आब्जेक्ट कहा जाता है।
    • तकदीर बनाने बिगर पाठशाला में क्या पढ़ेंगे।
    • अब यहाँ बच्चे जानते हैं कि हम भी तकदीर बनाकर आये हैं - नई दुनिया के लिए अपना राज्य भाग्य लेने।
  • यह है नई दुनिया के लिए राजयोग।
    • वह पुरानी दुनिया के लिए बैरिस्टर, इन्जीनियर, सर्जन आदि बनते हैं।
    • वह बनते-बनते, अभी पुरानी दुनिया का टाइम बहुत थोड़ा रहा है, वह तो खत्म हो जायेगा।
    • वह तकदीर है इस मृत्युलोक के लिए, इस जन्म के लिए।
      • तुम्हारी पढ़ाई है नई दुनिया के लिए।
    • तुम नई दुनिया के लिए तकदीर बनाकर आये हो।
    • नई दुनिया में तुमको राज्य-भाग्य मिलेगा।
    • कौन पढ़ाते हैं?
    • बेहद का बाप, जिससे ही वर्सा पाना है।
    • जैसे डॉक्टर लोगों को डॉक्टरी का वर्सा मिलता है अपनी पढ़ाई का।
  • अच्छा जब बूढ़े होते हैं तब गुरू के पास जाते हैं।
    • क्या चाहते हैं?
    • कहते हैं हमको शान्तिधाम जाने की शिक्षा दो, हमको सद्गति दो।
    • यहाँ से निकल शान्तिधाम ले जाओ।
    • बाप से भी वर्सा मिलता है - इस जन्म के लिए।
    • बाकी गुरू से तो कुछ नहीं मिलता।
    • टीचर से कुछ न कुछ वर्सा पाते हैं क्योंकि आजीविका तो चाहिए ना।
    • बाप का वर्सा होते हुए भी पढ़ते हैं कि हम भी अपनी कमाई करें।
    • गुरू से कमाई कुछ हुई नहीं।
    • हाँ, कोई-कोई गीता आदि अच्छी पढ़कर फिर गीता पर भाषण आदि करते हैं।
    • यह सब है अल्पकाल सुख के लिए।
  • अब तो इस मृत्युलोक का अन्त है।
    • तुम जानते हो हम नई दुनिया की तकदीर बनाने आये हैं।
    • यह पुरानी दुनिया खत्म हो जानी है।
    • बाप की वा अपनी मिलकियत भी सब भस्म जो जायेगी।
    • हाथ फिर भी खाली जायेंगे।
    • अभी तो कमाई चाहिए नई दुनिया के लिए।
    • पुरानी दुनिया के मनुष्य तो वह कर नहीं सकेंगे।
  • नई दुनिया की कमाई कराने वाला है ही शिवबाबा।
    • यहाँ तुम नई दुनिया के लिए तकदीर बनाने आये हो।
    • वह बाप ही तुम्हारा बाप भी है, टीचर भी है, गुरू भी है।
    • और वह आते ही हैं संगम पर, भविष्य के लिए कमाई सिखलाने।
  • अब इस पुरानी दुनिया में तो थोड़े रोज़ हैं।
    • यह दुनिया के मनुष्य नहीं जानते।
    • तुम बच्चे जानते हो नई दुनिया के लिए यह हमारा बाप टीचर सतगुरू है।
  • बाप आते ही हैं शान्तिधाम, सुखधाम में ले जाने।
    • कोई तकदीर नहीं बनाते हैं, गोया कुछ भी समझते नहीं।
    • एक ही घर में स्त्री पढ़ती है, पुरूष नहीं पढ़ता, बच्चे पढ़ेंगे माँ-बाप नहीं पढ़ेंगे।
    • ऐसे होता रहता है।
  • शुरू में परिवार के परिवार आये।
    • परन्तु माया का तूफान लगने से आश्चर्यवत सुनन्ती, कथन्ती बाप को छोड़ चले गये।
    • गाया हुआ भी है आश्चर्यवत सुनन्ती कथन्ती बाप का बनन्ती, पढ़ाई पढ़ावन्ती फिर भी... हाय कुदरत`, ड्रामा की।
    • ड्रामा की ही बात हुई ना।
    • बाप खुद कहते हैं अहो ड्रामा, अहो माया।
    • किसको फारकती दे दी!
    • स्त्री-पुरूष एक-दो को डायओर्स देते हैं।
    • बच्चे बाप को फारकती देते हैं।
    • यहाँ तो वह नहीं है।
    • यहाँ तो डायओर्स दे न सकें।
  • बाप तो आये हैं बच्चों को सच्ची कमाई कराने।
    • बाप थोड़ेही किसको खड्डे में डालेंगे।
    • बाप तो है ही पतित-पावन, रहमदिल।
    • बाप आकर दु:ख से लिबरेट करते हैं और गाइड बन साथ ले जाने वाला है।
    • ऐसे कोई लौकिक गुरू नहीं कहेंगे कि मैं तुमको साथ ले जाऊंगा।
  • शास्त्रों में है भगवानुवाच - कि मैं तुम सबको ले जाऊंगा।
    • मच्छरों सदृश्य सब जाने हैं।
    • तुम बच्चे अच्छी रीति जानते हो अभी हमको जाना है घर।
    • यह शरीर छोड़ना है।
    • आप मुये मर गई दुनिया।
    • अपने को सिर्फ आत्मा समझ बाप को याद करना है।
    • यह तो पुराना चोला छी-छी है।
  • यह दुनिया भी पुरानी है।
    • जैसे पुराने घर में बैठे होते हैं, नया घर सामने बनता रहता है तो बाप भी समझेगा हमारे लिए, बच्चे भी समझते हमारे लिए बन रहा है।
    • बुद्धि चली जायेगी नये घर तरफ।
    • इसमें यह बनाओ, यह करो।
    • बुद्धि उसमें ही लगी रहेगी फिर पुराना तोड़ देते हैं।
    • ममत्व सारा पुराने से मिटाए नये से जुट जाता है।
    • यह है बेहद दुनिया की बात।
    • पुरानी दुनिया से ममत्व मिटाना है और नई दुनिया से लगाना है।
    • जानते हैं यह पुरानी दुनिया खत्म होनी है।
  • नई दुनिया है स्वर्ग।
    • उसमें हम राजाई पद पाते हैं।
    • जितना योग में रहेंगे, ज्ञान की धारणा करेंगे औरों को समझायेंगे, उतना खुशी का पारा चढ़ेगा।
    • बड़ा भारी इम्तहान है।
    • हम 21 जन्म के लिए वर्सा पा रहे हैं।
    • साहूकार बनना तो अच्छा है ना।
    • बड़ी आयु मिले तो अच्छा है ना।
    • सृष्टि चक्र को जितना याद करेंगे, जितने को आप समान बनायेंगे उतना फायदा है।
  • राजा बनना है तो प्रजा भी बनानी है।
    • प्रदर्शनी में इतने ढेर आते हैं, वह सारी प्रजा बनती जायेगी क्योंकि इस अविनाशी ज्ञान का विनाश नहीं होता।
    • बुद्धि में आयेगा - पवित्र बन पवित्र दुनिया का मालिक बनना है।
    • रामराज्य की स्थापना हो रही है, रावण राज्य का विनाश हो जायेगा।
    • सतयुग में तो होंगे ही देवतायें।
    • बाबा ने समझाया था - लक्ष्मी-नारायण का चित्र जो बनाते हैं, उसमें लिखना चाहिए कि पास्ट जन्म में यह तमोप्रधान दुनिया में थे फिर इस पुरुषार्थ से तमोप्रधान दुनिया से सतोप्रधान विश्व के मालिक बनेंगे।
    • मालिक राजा-प्रजा सब होती है ना।
    • प्रजा भी कहेगी भारत हमारा सबसे ऊंचा है।
  • बरोबर भारत ही सबसे ऊंच था।
    • अभी नहीं है, था जरूर।
    • अभी तो बिल्कुल गरीब हो गया है।
    • प्राचीन भारत सबसे साहूकार था।
    • हम भारतवासी सबसे ऊंच देवता कुल के थे।
    • दूसरे कोई को देवी-देवता नहीं कहा जाता।
    • अब तुम बच्चियां भी पढ़ती हो फिर औरों को समझाना है ना।
  • बाबा ने डायरेक्शन दिया ना।
    • कैसे प्रदर्शनी आदि में तार दी जाये, सो लिखकर आओ।
    • तुम्हारे पास चित्र भी हैं, तुम सिद्ध कर बतला सकते हो कि उन्होंने यह पद कैसे पाया।
  • अब फिर से यह पद पा रहे हैं शिवबाबा से।
    • उनका चित्र भी है।
    • शिव है परमपिता परमात्मा।
    • ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के भी चित्र हैं।
    • परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा स्थापना कर रहे हैं।
    • विष्णुपुरी सामने खड़ी है।
    • विष्णु द्वारा नई दुनिया की पालना।
    • विष्णु है राधे-कृष्ण के दो रूप।
  • अब गीता का भगवान कौन ठहरा?
    • पहले तो यह लिखो कि गीता का भगवान निराकार शिव है न कि कृष्ण।
    • ब्रहमा सो विष्णु, विष्णु सो ब्रह्मा कैसे बनते हैं।
    • एक ही चित्र पर समझाने में कितना टाइम लगाता है।
    • जब बुद्धि में बात बैठे।
    • पहले-पहले तो यह समझाकर और फिर लिखना चाहिए।
  • बाप कहते हैं - ब्रह्मा द्वारा तुमको योगबल से 21 जन्म का अधिकार मिलता है।
    • शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा वर्सा दे रहे हैं।
    • पहले-पहले इनकी आत्मा सुनती है।
    • आत्मा ही धारण करती है।
    • मूल बात है ही यह।
  • चित्र तो शिव का दिखाते हैं।
    • यह है परमपिता परमात्मा शिव फिर प्रजापिता ब्रह्मा तो जरूर चाहिए।
    • यहाँ प्रजापिता ब्रह्मा के ब्रह्माकुमार-कुमारियां ढेर के ढेर हैं।
    • जब तक ब्रह्मा के बच्चे न बनें, ब्राह्मण न बनें तो शिवबाबा से वर्सा कैसे लेंगे।
    • कुख की पैदाइस तो हो न सके।
    • यह भी गाया जाता है मुख वंशावली।
    • तुम कहेंगे हम प्रजापिता ब्रह्मा के मुख वंशावली हैं।
    • वो गुरुओं के चेले अथवा फॉलोअर्स होते हैं।
  • यहाँ तुम एक को ही बाप टीचर सतगुरू कहते हो।
    • सो भी उनको कहते हो जो निराकार शिवबाबा ज्ञान का सागर, नॉलेजफुल है।
    • सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान देते हैं।
    • वह टीचर भी है।
    • निराकार, आकर साकार द्वारा सुनाते हैं।
  • आत्मा ही बोलती है ना।
    • आत्मा कहती है मेरे शरीर को तंग मत करो।
    • आत्मा दु:खी होती है।
    • इस समय है पतित आत्मा।
  • पतितों को पावन बनाने वाला परमपिता परमात्मा है।
    • आत्मा बुलाती है हे पतित-पावन, हे गॉड फादर।
    • अब फादर तो एक बैठा है फिर भी याद किसको करते हैं।
    • आत्मा कहती है यह हमारी आत्मा का फादर है।
    • वह है शरीर का फादर।
    • समझाया जाता है अब आत्माओं का बाप जो निराकार है, वह बड़ा या शरीर का रचयिता साकार बाप है, वह बड़ा?
    • साकार तो निराकार को याद करता है।
    • अब सबको समझानी दी जाती है, जबकि विनाश सामने खड़ा है।
    • पारलौकिक बाप आते ही हैं अन्त में, सभी को वापिस ले जाने।
    • बाकी जो कुछ भी है वह विनाश होने का है, इसको कहा ही जाता है मृत्युलोक।
  • जब कोई मरता है तो कहते हैं फलाना परलोक पधारा, शान्तिधाम गया।
    • मनुष्यों को पता नहीं है कि परलोक सतयुग को कहा जाता है या शान्तिधाम को?
    • सतयुग तो यहाँ ही होता है।
    • परलोक, शान्तिधाम को कहेंगे।
    • समझाने की बड़ी युक्ति चाहिए।
    • मन्दिरों में जाकर समझाना चाहिए।
    • यह शिवबाबा का यादगार है, जो शिवबाबा हमको पढ़ा रहे हैं।
  • शिव है वास्तव में बिन्दी।
    • परन्तु बिन्दी की पूजा कैसे करें।
    • फल फूल आदि कैसे चढ़ाये जायें, इसलिए बड़ा रूप बनाया है।
    • इतना बड़ा रूप कोई होता नहीं।
    • गाया भी जाता है भ्रकुटी के बीच चमकता है अजब सितारा... बड़ी चीज़ हो तो साइंस वाले झट उनको पकड़ लें।
    • बाबा समझाते हैं उनको परमपिता परमात्मा का पूरा परिचय मिला नहीं है।
    • जब तक तकदीर खुले, अभी तकदीर ही नहीं खुली है।
    • जब तक बाप को न जानें, यह न समझें कि हमारी आत्मा बिन्दी समान है।
  • शिवबाबा भी बिन्दी है, हम बिन्दी को याद करते हैं।
    • ऐसे समझ याद करें तब विकर्म विनाश हों।
    • बाकी यह देखने में आता, वह आता... इसे माया का विघ्न कहा जाता है।
    • अभी तो खुशी है कि हमको परमात्मा मिला है, परन्तु ज्ञान भी चाहिए ना।
  • किसको कृष्ण का साक्षात्कार होता है तो खुश हो जाते हैं।
    • बाबा कहते हैं - कृष्ण का साक्षात्कार कर बहुत खुशी में डांस आदि करते हैं परन्तु उनसे कोई सद्गति नहीं होती।
    • यह साक्षात्कार तो अनायास ही हो जाता है।
    • अगर अच्छी रीति नहीं पढ़ेंगे तो प्रजा में चले जायेंगे।
    • थोड़ा भी सुनते हैं तो कृष्णपुरी में साधारण प्रजा आदि जाकर बनेंगे।
  • अभी तुम बच्चे जानते हो शिव-बाबा हमको यह नॉलेज सुना रहे हैं।
    • वह है ही नॉलेजफुल।
    • बाबा का फरमान है कि पवित्र जरूर बनना है।
    • परन्तु कोई पवित्र भी रह नहीं सकते।
  • कभी-कभी पतित भी यहाँ छिपकर आ जाते हैं।
    • वह अपना ही नुकसान करते हैं।
    • अपने को ठगते हैं।
    • बाप को ठगने की बात ही नहीं।
    • बाप से ठगी कर कोई पैसा लेना है क्या!
    • शिवबाबा की श्रीमत पर कायदेसिर नहीं चलते तो क्या हाल होगा।
    • बहुत सजायें खानी पड़ेंगी, दूसरा फिर पद भी भ्रष्ट हो जायेगा।
    • कोई भी कायदे के विरुद्ध काम नहीं करना चाहिए।
    • बाप तो समझायेंगे ना - तुम्हारी चलन ठीक नहीं है।
  • बाप तो कमाई करने का रास्ता बताते हैं फिर कोई करे न करे उनकी तकदीर।
    • सजायें तो खाकर वापिस शान्तिधाम में जाना ही है, पद भ्रष्ट हो जायेगा तो कुछ भी मिलेगा नहीं।
    • आते तो बहुत हैं, परन्तु यहाँ बाप से वर्सा लेने की बात है।
    • बच्चे कहते हैं, बाबा से तो हम स्वर्ग का सूर्यवंशी राजाई पद पायेंगे।
    • राजयोग है ना।
  • स्टूडेन्ट स्कॉलरशिप भी लेते हैं ना।
    • पास होने वालों को स्कॉलरशिप मिलती है ना।
    • यह माला उन्हों की बनी हुई है - जिन्होंने स्कॉलरशिप ली है।
    • जितना-जितना जैसा पास होगा, ऐसी स्कॉलरशिप मिलेगी, वृद्धि होते-होते हजारों बन जाते हैं।
    • राजाई पद है स्कॉलरशिप।
    • जो अच्छी तरह पढ़ाई पढ़ते हैं, वह गुप्त नहीं रह सकते।
  • बहुत नये-नये पुरानों से आगे निकल पड़ेंगे।
    • हीरे जैसा जीवन बनायेंगे।
    • अपनी सच्ची कमाई कर 21 जन्मों के लिए वर्सा पायेंगे, कितना खुशी होती है।
    • जानते हैं यह वर्सा अब नहीं लिया तो फिर कभी नहीं ले सकेंगे।
    • पढ़ाई का शौक होता है ना।
    • कोई को तो जरा भी शौक नहीं है समझाने का।
    • ड्रामा अनुसार तकदीर में नहीं है तो भगवान भी क्या करे।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) कोई भी कार्य श्रीमत के विरुद्ध नहीं करना है।
    • पढ़ाई अच्छी रीति पढ़कर ऊंच तकदीर बनानी है।
    • किसी को भी दु:ख नहीं देना है।
  • 2) इस पुरानी दुनिया से ममत्व मिटा देना है।
    • बुद्धियोग नई दुनिया से लगाना है।
    • खुशी में रहने के लिए ज्ञान को धारण कर दूसरों को धारण कराना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • लाइट हाउस की स्थिति द्वारा पाप कर्मो को समाप्त करने वाले पुण्य आत्मा भव
  • जहाँ लाइट होती है वहाँ कोई भी पाप का कर्म नहीं होता है।
  • तो सदा लाइट हाउस स्थिति में रहने से माया कोई पाप कर्म नहीं करा सकती, सदा पुण्य आत्मा बन जायेंगे।
  • पुण्य आत्मा संकल्प में भी कोई पाप कर्म नहीं कर सकती।
  • जहाँ पाप होता है वहाँ बाप की याद नहीं होती।
  • तो दृढ़ संकल्प करो कि मैं पुण्य आत्मा हूँ, पाप मेरे सामने आ नहीं सकता।
  • स्वप्न वा संकल्प में भी पाप को आने न दो।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • जो हर दृश्य को साक्षी होकर देखते हैं वही सदा हर्षित रहते हैं।