21-08-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - तुम अपने योगबल से इस पुरानी दुनिया को परिवर्तन कर नया बनाते हो, तुम प्रकट हुए हो रूहानी सेवा के लिए''

प्रश्नः-


ईमानदार सच्चे पुरूषार्थी बच्चों की निशानियाँ क्या होंगी?

उत्तर:-

ईमानदार बच्चे कभी भी अपनी भूल को छिपायेंगे नहीं।

फौरन बाबा को सुनायेंगे।

वह बहुत-बहुत निरहंकारी होते हैं, उनकी बुद्धि में सदा यही ख्याल रहता कि जैसा कर्म हम करेंगे....।

2- वह किसी की डिस-सर्विस का गायन नहीं करते।

अपनी सर्विस में लगे रहते हैं।

वह किसी का भी अवगुण देख अपना माथा खराब नहीं करते।

गीत:- धीरज धर मनुवा...


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे रूहानी बच्चों प्रति रूहानी बाप धीरज देते हैं।
    • जैसे लौकिक बाप भी धैर्य देते हैं ना।
    • कोई बीमार होता है तो उनको आथत देते हैं।
    • तुम्हारी बीमारी के दु:ख के दिन बदलकर सुख के दिन आयेंगे।
    • वह हद का बाप हद का धैर्य देते हैं।
    • अब यह तो है बेहद का बाप।
    • बच्चों को बेहद का धैर्य दे रहे हैं।
    • बच्चे अभी तुम्हारे सुख के दिन आ रहे हैं।
    • बाकी यह थोड़े दिन हैं।
    • अब तुम बाप की याद में रह औरों को भी सिखलाओ।
  • तुम भी शिव शक्तियाँ हो ना।
    • शिवबाबा की शक्ति सेना फिर से प्रकट हुई है।
    • यह (गोप) भी आत्मायें हैं।
    • यह सब शिव से शक्ति लेते हैं।
    • तुम भी शक्ति लेते हो।
    • बाप ने समझाया है इसमें कृपा वा आशीर्वाद की कोई बात नहीं है।
    • याद में रह शक्ति लेते जाओ।
    • याद से ही तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे और तुम शक्तिवान बनते जायेंगे।
  • शिव की शक्ति सेना इतनी सर्वशक्तिवान थी जो पुरानी दुनिया को पलट नया बना दिया।
    • तुम जानते हो योगबल से हम इस पुरानी दुनिया को पलटाते हैं।
    • अंगुली से भी मनुष्य ऐसा इशारा करते हैं कि अल्लाह को, गॉड को याद करो।
    • बच्चे अभी समझते हैं - बाप की याद से यह पत्थरों के पहाड़ अर्थात् दुनिया बदल जायेगी।
    • अभी हम परिस्तान स्थापन कर रहे हैं।
  • बाप बच्चों को समझाते हैं - प्रदर्शनी पर खूब सर्विस करो, मेहनत करो जो समय मिले उसमें बैठकर सीखो।
    • है बहुत सहज।
    • बच्चों को हर प्रकार की शिक्षा मिलती रहती है।
    • हर एक के कर्मो का हिसाब है।
  • कन्याओं के कर्म अच्छे हैं।
    • जिनकी शादी की हुई है वह कहती हैं - इस समय हम अगर कन्या होती तो इन सब जंजीरों से छूटी हुई, फ्री बर्ड होती।
    • कन्यायें फ्री बर्डस हैं।
    • परन्तु खराब संग में नुकसान हो जाता है।
    • स्त्री को पुरूष बच्चों आदि की कितनी जंजीरें हैं, इसमें रसम-रिवाज आदि के कितने बन्धन रहते हैं।
    • कन्याओं को कोई बन्धन आदि नहीं है।
  • अभी बाम्बे में भी कन्यायें तैयार हो रही हैं।
    • कहती हैं हम अपने प्रान्त को आपेही सम्भालेंगी।
    • सभी अपने प्रान्त के लिए कितनी मेहनत करते हैं।
    • कहते हैं हमारा गुजरात, हमारी यू.पी.... तुम अभी अपना स्वराज्य लेते हो, इसमें मैं फलाना हूँ, फलाने प्रान्त का हूँ, यह भी न रहे।
  • तुम्हें किसी से भी ईर्ष्या नहीं रखनी चाहिए।
    • कोई का अवगुण आदि देख माथा खराब नहीं होना चाहिए।
    • अपने को देखना चाहिए हमने कितनी आत्माओं को, बहनों भाईयों को सुख का रास्ता बताया है!
    • अगर रास्ता नहीं बताया तो वह कोई काम का नहीं।
    • दिल पर चढ़ नहीं सकता।
    • बापदादा के दिल पर नहीं चढ़ा तो तख्त पर नहीं बैठ सकता।
    • बाबा जानते हैं - कोई-कोई बच्चे को सर्विस का बहुत शौक है।
    • जरा भी देह का अभिमान नहीं है।
    • कोई-कोई तो बड़ा अहंकार में रहते हैं।
    • समझते हैं अपने ऊपर नहीं, बाप पर कृपा की है।
    • कभी भी किसके अवगुण को नहीं देखना चाहिए।
    • फलाना ऐसा है, यह करते हैं।
    • आजकल ऐसे भी सयाने हैं जो एक दो की डिस-सर्विस का गायन करते हैं।
    • फलाना यह करता है, ऐसा है।
    • अरे तुम अपनी सर्विस करो।
    • ब्राह्मण बच्चों का काम है सर्विस में लग जाना।
    • बाप बैठा है, बाप के पास सब समाचार आते हैं।
    • हर एक की अवस्था को बाप जानते हैं।
    • सर्विस देख महिमा भी करते हैं।
    • बच्चों में सर्विस का जोश आना चाहिए।
    • हर एक को अपना कल्याण करना है - इस रूहानी सर्विस से।
  • वह धन्धा आदि तो जन्म-जन्मान्तर करते आये।
    • यह धन्धा कोई विरला व्यापारी करे।
    • बाप तरीका बहुत सहज समझाते हैं सर्विस का।
  • कभी भी दूसरे की निंदा नहीं करो।
    • ऐसे बहुत करते हैं।
    • अच्छे-अच्छे महारथियों को भी माया नाक से पकड़ लेती है।
    • बाबा को याद नहीं किया तो माया पकड़ लेगी।
  • बाप भी कहते हैं ना - मुझे साधारण तन में आया हुआ देख पहचान नहीं सकते हैं।
    • बाबा को भी राय देते हैं ऐसे-ऐसे करना चाहिए।
    • अवस्था ऐसी है जो बाबा थोड़ा भी ऐसे करेंगे तो ट्रेटर बन जायेंगे।
    • बाबा को भी अपनी मत भेज देते हैं।
    • कहावत है ना - चूहे लदी....(चूहे को हल्दी की गांठ मिली तो समझा पंसारी हूँ) यह नहीं समझते कि हम डिस-सर्विस करते हैं।
  • भूलें तो बहुतों से होती रहती हैं।
    • कभी अवस्था ऊंच, कभी नींच, यह चलता आया है।
    • हर एक अपनी अवस्था का देखे।
    • ईमानदार बच्चे अपनी अवस्था झट बतलाते हैं।
    • कोई तो अपनी भूलें छिपा लेते हैं, इसमें बड़ा निरहंकारीपना चाहिए।
    • सर्विस को बढ़ाने में लग जाना चाहिए।
  • हमेशा यह ख्याल रहना चाहिए - जैसे कर्म हम करेंगे हमको देख और करेंगे।
    • मैं किसकी निंदा करूँगा तो और भी करने लग पड़ेंगे।
    • बहुतों को यह ख्याल नहीं आता है।
    • बाप समझाते हैं - तुम अपनी सर्विस में लग जाओ।
    • नहीं तो बहुत पछतायेंगे।
    • दुश्मन भी बहुत बनते हैं।
    • तुम अभी शूद्र से ट्रान्सफर हो ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण हो गये।
  • जिनमें 5 विकार हैं - वह हैं आसुरी सम्प्रदाय, तुम हो दैवी सम्प्रदाय।
    • तुम देवता बनने के लिए विकारों पर विजय पा रहे हो।
    • देवतायें तो यहाँ हैं नहीं।
    • देवतायें होंगे सतयुग में।
    • तुम अभी दैवी सम्प्रदाय बन रहे हो।
  • तुम बच्चों को अभी समझाने के लिए चांस मिलते हैं।
    • प्रदर्शनी में समझाते रहो।
    • प्रदर्शनी, मेले में हर एक की नब्ज का पता पड़ जाता है।
    • प्रोजेक्टर में तो किसको समझा नहीं सकेंगे।
    • सम्मुख समझाने से ही समझ सकेंगे।
    • प्रदर्शनी मेला अच्छी चीज़ है, उसमें लिख भी सकते हैं।
    • प्रदर्शनी मेले का शौक होना चाहिए।
  • रेगुलर पढ़ने से ही नशा चढ़ेगा।
    • बांधेली हो तो घर में रहते बाप को याद करती रहो तो विकर्म विनाश हो जायेंगे।
    • घर में बैठे भी याद करना अच्छा है।
    • परन्तु याद करना - यह बच्चों के लिए बड़ी मुश्किल बात हो गई है।
    • बाप जिससे 21 जन्म का वर्सा मिलता है उनको याद नहीं करते।
    • अच्छे-अच्छे भाषण करने वाले महारथी भी बाप को याद नहीं करते।
    • न सवेरे उठ सकते हैं।
    • उठते हैं तो बैठने से झुटके खाते हैं।
    • याद करने के लिए सवेरे का ही टाइम अच्छा है।
  • भक्ति मार्ग में भी सवेरे उठ याद में लग जाते हैं।
    • उनकी तो उतरती कला है।
    • यहाँ तो है ही चढ़ने की बात।
    • माया कितने विघ्न डालती है।
    • सवेरे उठकर बाप को याद नहीं करेंगे तो धारणा कैसे होगी, विकर्म विनाश कैसे होंगे।
    • बाकी सिर्फ मुरली चलाना - वह तो छोटे बच्चे भी सीखकर समझाने लग पड़ते हैं।
  • यह पढ़ाई बड़ों के लिए है।
    • कितनी बड़ी युनिवर्सिटी है।
    • हमको पढ़ाने वाला कौन है - यह बच्चों को नशा नहीं रहता है।
  • माया किसी को धोखा देती है तो हम उनको न देख अपनी सर्विस में लगे रहें।
    • बाप के पास सब समाचार आते रहते हैं।
    • कोई देह-अभिमान में आकर समझते हैं, यह ऐसे करते हैं, यह करते हैं, औरों की ही निंदा करते टाइम वेस्ट करते हैं।
    • तुम्हारा काम है सर्विस में रहना।
    • कोई भी बात है इशारा बाप को दे दिया बस।
    • परचिंतन नहीं करना चाहिए।
    • सर्विस में बच्चों को दिन रात लगना चाहिए।
    • तुम्हारा धन्धा ही यह है।
  • रोज़ प्रदर्शनी में समझाओ कि यह शिवबाबा, यह प्रजापिता ब्रह्मा।
    • कल्प पहले भी प्रजापिता ब्रह्मा गाया हुआ है।
    • प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा मनुष्य सृष्टि रचते हैं।
    • ऐसे नहीं कि मनुष्य थे ही नहीं।
    • मनुष्य सृष्टि रचते हैं अर्थात् कांटों को फूल बनाते हैं।
    • ब्रह्मा द्वारा सृष्टि रचते हैं तो ऊपर में थोड़ेही सृष्टि रचेंगे।
    • ब्रह्मा तो यहाँ होगा ना।
    • कितना क्लीयर समझाया जाता है।
    • बाप कहते हैं - मैं बहुत जन्मों के अन्त के जन्म में प्रवेश कर मनुष्य को देवता बनाता हूँ।
    • तो बच्चों को सर्विस में रात दिन मेहनत करनी चाहिए।
    • धन्धे आदि से थोड़ा टाइम निकाल इसमें लग जाना चाहिए।
    • ऐसे नहीं कि फुर्सत नहीं मिलती।
    • बीमार पड़ जाओ तो क्या फिर कहेंगे कि फुर्सत नहीं!
    • पुरूषार्थ करना चाहिए।
  • प्रेरणा से कुछ भी नहीं हो सकता है।
    • भगवान से ही प्रेरणा द्वारा काम नहीं हो सकता तो औरों से फिर कैसे होगा।
    • समझते हैं भगवान क्या नहीं कर सकता है।
    • मरे हुए को जिंदा कर सकते हैं।
    • अरे भगवान को तुम कहते हो, हे पतित-पावन आकर हमको पतित से पावन बनाओ, बस दूसरी कोई बात नहीं।
    • ऐसे थोड़ेही कहते आकर मुर्दे को जिंदा बनाओ।
    • वह है ही पतित-पावन।
    • भारत पावन था ना।
  • बाप कहते हैं - मैं कल्प-कल्प आकर पावन बनाता हूँ।
    • माया फिर आकर पतित बनाती है।
    • अब फिर मैं आया हूँ पावन बनाने।
    • कितनी सहज बात बतलाते हैं।
    • हकीम लोग बड़ी बीमारी को भी जड़ी बूटियों से ठीक कर देते हैं फिर उन्हों की महिमा भी होती है।
  • कोई को बच्चा वा धन मिला तो कहेंगे गुरू कृपा हुई।
    • अच्छा, बच्चा मर गया तो कहेंगे भावी।
    • इन सब बातों को अभी तुम बच्चे समझते हो।
  • संन्यासी लोग पवित्र बनते हैं तो उनकी मान्यता होती है।
    • परन्तु वह हैं हठ योगी, वह राजयोग सिखला न सकें।
    • वह संन्यासी, हम गृहस्थी, फिर हम अपने को फालोअर्स कैसे कहला सकते।
    • बाप तो कहते हैं बच्चों को पूरा फालो करना है - मनमनाभव।
  • मुझे याद करो तो तुम पवित्र बन जायेंगे और मेरे साथ चलेंगे।
    • मैं तो एवर पावन हूँ।
    • मनुष्य पतित बनाते हैं, बाप आकर पावन बनाते हैं।
    • वह पवित्रता, शान्ति, सुख का सागर है।
    • तुमको भी ऐसा बना रहे हैं।
    • तुम योगबल से आत्मा को पवित्र बनाते हो।
    • जानते हो हमको फर्स्टक्लास शरीर मिलेगा।
  • मनुष्य को देवता प्रैक्टिकल में बनाना है।
    • ऐसे थोड़ेही सिर्फ देवताई कपड़ा आदि पहन लिया, अपने पर पूरा ध्यान देना है।
    • देह-अभिमान न आये।
    • बाबा हम तो आपसे वर्सा लेकर ही छोड़ेंगे।
  • तुम भी कहते हो हम भारत को श्रेष्ठाचारी बनाकर ही छोड़ेंगे।
    • निश्चय वाले ही कहते हैं ना।
    • कोई तो कहते हैं इतने थोड़े समय में कैसे होगा।
    • वास्तव में कभी भी यह संशय नहीं लाना चाहिए।
    • संशय में आने से फिर सर्विस में ढीले हो पड़ते हैं।
  • टाइम बहुत थोड़ा है।
    • जितना हो सके पुरूषार्थ खूब करना चाहिए।
    • थोड़ा लड़ाई आदि का कहाँ हंगामा होगा तो फिर देखना कितनी मेहनत करने लग पड़ते हैं।
    • समझते हैं ना - हम याद में पूरा नहीं रहते हैं फिर उस समय कशमकशा तो कर नहीं सकेंगे।
    • उस समय तो बहुत आफतें आदि रहती हैं इसलिए बाप कहते हैं जितना हो सके गैलप करते जाओ।
    • यह आत्माओं की रेस है।
    • बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
    • निशाने पर जाकर अर्थात् बाप के घर जाकर फिर चले आना है नई दुनिया में।
    • बड़ी फाइन रेस है।
  • बाप कहते हैं- मेरे को टच कर अर्थात् मूलवतन में जाकर फिर आना है।
    • पहले-पहले वह आयेंगे जो योगयुक्त होंगे।
    • चाहते हैं हम मुक्तिधाम में जायें।
    • तो बाप कहते हैं मुझे याद करो तो चले जायेंगे।
    • मुक्तिधाम तो सबको पसन्द है फिर आयेंगे पार्ट बजाने।
    • मोक्ष किसको मिलता नहीं।
    • ईश्वरीय हिस्ट्री-जॉग्राफी में मोक्ष का अक्षर है नहीं।
    • एक सेकेण्ड में तुमको जीवनमुक्ति मिलती है, बाकी सब मुक्त हो जायेंगे।
    • रावण राज्य से मुक्त होना ही है, जो पुरूषार्थ करेगा वही ऊंच पद पायेगा।
  • बच्चों को बड़ा मीठा बनना है।
    • स्वभाव बड़ा मीठा चाहिए।
    • क्रोधी नहीं बनना है, दुर्वासा का नाम है ना।
    • इन राजऋषियों में भी कोई-कोई ऐसे हैं।
    • हमेशा अपनी दिल पर हाथ रखना चाहिए कि मैं क्या करता हूँ!
    • इससे हमको क्या पद मिलेगा!
    • अगर सर्विस नहीं की, आप समान नहीं बनाया तो क्या पद मिलेगा।
    • थोड़े में राज़ी नहीं होना है।
    • बाप कहते हैं - मैं आया हूँ बच्चों को फुल बादशाही देने।
    • तो हिम्मत रख करके दिखाना चाहिए।
  • सिर्फ कथनी से तो हो नहीं सकता।
    • बाप की सर्विस में तो हड्डियाँ भी देनी हैं।
    • करते भी हैं फिर कहाँ देह-अभिमान आ जाने से नशा आ जाता और गिर पड़ते हैं।
    • माया भी कम पहलवान नहीं है।
    • बाप की श्रीमत पर न चलने से माया वार करती है, तो बाप को फारकती दे देते हैं।
    • बाप सुखधाम का मालिक बनाते हैं तो अपने पर तरस आना चाहिए।
    • बाप राय बड़ी सिम्पल देते हैं।
    • माया के तूफान तो बहुत आयेंगे परन्तु महावीर बनना है।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) सर्विस का शौक रख अपना और दूसरों का कल्याण करना है।
    • किसी की डिस-सर्विस का गायन नहीं करना है।
    • परचिंतन में अपना समय नहीं गँवाना है।
  • 2) ईमानदार और निरंहकारी बन सेवा को बढ़ाना है।
    • सवेरे-सवेरे उठकर बाप को प्यार से याद करना है।
    • कथनी और करनी समान बनानी है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • सन्तुष्टता के त्रिमूर्ति सर्टीफिकेट द्वारा सदा सफलता प्राप्त करने वाले ऊंच पद के अधिकारी भव
    • सदा सफल होने के लिए बाप और परिवार से ठीक कनेक्शन चाहिए।
    • हर एक को तीन सर्टीफिकेट लेने हैं - बाप, आप और परिवार।
    • परिवार को सन्तुष्ट करने के लिए छोटी सी बात याद रखो - कि रिगार्ड देने का रिकार्ड निरन्तर चलता रहे, इसमें निष्काम बनो।
    • बाप को सन्तुष्ट करने के लिए सच्चे बनो।
    • और स्वयं से सन्तुष्ट रहने के लिए सदा श्रीमत की लकीर के अन्दर रहो।
    • ये तीन सर्टीफिकेट ऊंच पद का अधिकारी बना देंगे।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • जो चित्र को न देख चेतन्य और चरित्र को देखते हैं वही श्रेष्ठ चरित्रवान हैं।