04-08-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - याद में रहने से अच्छी दशा बैठती है, अभी तुम्हारे पर ब्रहस्पति की दशा है इसलिए तुम्हारी चढ़ती कला है''

प्रश्नः-

यदि योग पर पूरा अटेन्शन नहीं है तो उसकी रिजल्ट क्या होती? निरन्तर याद में रहने की युक्तियां क्या हैं?

उत्तर:-

अगर योग पर पूरा अटेन्शन नहीं है तो चलते-चलते माया की प्रवेशता हो जाती है, गिर पड़ते हैं।

2- देह अभिमानी बन अनेक भूलें करते रहते हैं।

माया उल्टे कर्म कराती रहती है।

पतित बना देती है।

निरन्तर याद में रहने के लिए मुख में मुहलरा डाल दो, क्रोध नहीं करो, देह सहित सब कुछ भूल, मैं आत्मा, परमात्मा का बच्चा हूँ - यह अभ्यास करो।

योगबल से क्या-क्या प्राप्तियां होती हैं उन्हें स्मृति में रखो।

गीत:- ओम् नमो शिवाए...


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने अपने रूहानी बाप शिवबाबा की महिमा सुनी।
    • जब पाप बढ़ते हैं अर्थात् मनुष्य पाप आत्मायें बन जाते हैं तब ही पतित-पावन बाप आते हैं, आकरके पतितों को पावन बनाते हैं।
    • उस बेहद के बाप की ही महिमा है, उसको वृक्षपति भी कहा जाता है।
    • इस समय बेहद के बाप द्वारा बेहद की दशा, ब्रहस्पति की तुम पर बैठी हुई है।
    • खास और आम दो अक्षर होते हैं ना।
    • इनका भी अर्थ यहाँ ही सिद्ध होता है।
    • ब्रहस्पति की दशा से खास भारत जीवनमुक्त बन जाता है अर्थात् अपना स्वराज्य पद पाते हैं क्योंकि सच्चा बाप जो है, जिसको ट्रूथ कहते हैं, वह आकर हमको नर से नारायण बनाते हैं।
  • बाकी जो हैं वह नम्बरवार अपने-अपने धर्म के सेक्शन में जाकर बैठेंगे और आयेंगे भी नम्बरवार।
    • कलियुग अन्त तक आते रहते हैं।
    • हर एक आत्मा को अपने-अपने धर्म में अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है।
  • राजाई में राजा से लेकर प्रजा तक सबको अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है।
    • नाटक है भी राजा से लेकर प्रजा तक।
    • सबको अपना-अपना पार्ट बजाना होता है।
  • अब बच्चे जानते हैं हमारे ऊपर अभी ब्रहस्पति की दशा बैठी है।
    • ऐसे नहीं एक ही दिन बैठती है।
    • नहीं, तुम्हारी ब्रहस्पति की दशा चल रही है।
    • अभी तुम्हारी चढ़ती कला है।
    • जितना याद करेंगे उतना चढ़ती कला होगी।
    • याद भूलने से माया के विघ्न आते हैं।
    • याद से दशा अच्छी बैठती है।
    • अच्छी रीति याद नहीं करेंगे तो जरूर गिरेंगे ही।
    • फिर उनसे कुछ न कुछ भूलें होगी।
    • बाबा ने समझाया है ड्रामा अनुसार सब धर्म वाले जो भी हैं एक दो के पिछाड़ी पार्ट बजाने के लिए आते हैं।
    • बच्चे जानते हैं स्वर्ग की दशा अर्थात् जीवनमुक्ति की दशा अब हमारे ऊपर बैठी है।
  • यह ड्रामा का चक्र कैसे फिरता है इसको भी डिटेल में समझना है।
    • यह सृष्टि ड्रामा का चक्र खास भारत पर बना हुआ है।
    • बाप भी भारत में ही आते हैं।
  • गाया हुआ है आश्चर्यवत सुनन्ती, कथन्ती, भागन्ती... चलते-चलते माया की प्रवेशता होने के कारण गिर जाते हैं।
    • पूरा अटेन्शन नहीं देते हैं योग पर, फिर बाप आकर संजीवनी बूटी देते हैं अर्थात् सुरजीत करने वाली बूटी देते हैं।
    • हनुमान भी तुम हो।
    • बाप ने समझाया है इस समय रावण को भगाने के लिए यह बूटी सुंघा देता हूँ।
  • बाप तुमको सब सत्य बातें बताते हैं।
    • सत्य है ही एक बाप जो आकर तुमको सत्य नारायण की कथा सुनाए सतयुग की स्थापना करते हैं।
    • इनको कहा ही जाता है ट्रूथ, सत्य बतलाने वाला।
  • तुमको कहते हैं तुम शास्त्रों को मानते हो?
    • बोलो - हाँ, हम शास्त्रों को क्यों नही मानते हैं।
    • जानते हैं यह सब भक्ति मार्ग के शास्त्र हैं।
    • यह तो हम मानते हैं।
  • ज्ञान और भक्ति दो चीज़ हैं।
    • जब ज्ञान मिलता है फिर भक्ति की क्या दरकार है।
    • भक्ति माना उतरती कला।
    • ज्ञान माना चढ़ती कला।
    • इस समय भक्ति चल रही है।
    • अभी हमको ज्ञान मिला है जिससे सद्गति होती है।
    • भक्तों की रक्षा करने वाला एक ही भगवान है।
    • रक्षा दुश्मन से की जाती है ना।
    • बाप कहते हैं - मैं आकर तुम्हारी रावण से रक्षा करता हूँ।
    • देखते हो ना - रावण से कैसे रक्षा होती है।
    • इस रावण पर जीत पानी है।
    • बाप समझाते हैं - मीठे बच्चे इस रावण ने तुमको तमोप्रधान बनाया है।
  • सतयुग को कहा जाता है सतोप्रधान, स्वर्ग।
    • फिर कला कम होती जाती है।
    • अन्त में जब बिल्कुल ही देह-अभिमान में आ जाते हैं तो पतित बन जाते हैं।
    • नया मकान बनता है।
    • मास के बाद अथवा 6 मास के बाद कुछ न कुछ कला कम हो जाती है।
    • हर वर्ष मकान को पोछी लगाते हैं।
    • कला तो कम होती जाती है ना।
    • नई से पुरानी, पुरानी से फिर नई यह शुरू से लेकर हर चीज़ का होता आया है।
    • समझा जाता है यह मकान 100, 150 वर्ष तक चलेगा।
    • बाप समझाते हैं सतयुग कहा जाता है नई दुनिया से।
  • फिर त्रेता 25 प्रतिशत कम कहेंगे क्योंकि थोड़ा पुराना हो जाता है।
    • वह है चन्द्रवंशी।
    • उनकी निशानी देते हैं क्षत्रिय क्योंकि नई दुनिया के लायक नहीं बनें इसलिए कम पोजीशन हो गया।
    • सब चाहते हैं कृष्णपुरी में जायें।
    • ऐसे थोड़ेही कभी कहते - रामपुरी जायें।
    • सब कृष्णपुरी के लिए कहते हैं।
    • गाते भी हैं ना - चलो वृन्दावन भजो राधे-गोविन्द... वृन्दावन की बात है।
    • अयोध्या के लिए नहीं कहेंगे।
  • श्रीकृष्ण के ऊपर सबका बहुत प्यार रहता है।
    • कृष्ण को बहुत प्यार से याद करते हैं।
    • कृष्ण को देखते हैं तो कहते हैं इन जैसा पति मिले, इन जैसा बच्चा मिले, इन जैसा भाई मिले।
    • सेन्सीबुल बच्चे अथवा बच्चियाँ जो होते हैं वह कृष्ण की मूर्ति सामने रखते हैं कि इन जैसा बच्चा मिले।
    • कृष्ण के प्यार में बहुत रहते हैं ना।
    • सब चाहते हैं कृष्णपुरी।
    • अभी तो है कंसपुरी, रावण की पुरी।
    • कृष्णपुरी का बहुत महत्व है।
    • कृष्ण को सब याद करते हैं।
    • तब बाप कहते हैं तुम इतना समय याद करते आये हो।
    • अब कृष्णपुरी में जाने का पुरूषार्थ करो, इनके घराने में तो जाओ।
    • सूर्यवंशी 8 घराने हैं तो इतना पुरूषार्थ करो जो राजाई में आकर राजकुमार से झूलो।
    • यह समझ की बात है ना।
  • बाप कहते हैं - बच्चे जितना हो सके मनमनाभव रहो।
    • याद में न रहने से गिर पड़ते हैं।
    • ज्ञान कब गिराता नहीं।
    • याद में नहीं रहते तो गिर पड़ते हैं।
    • इस पर ही अल्लाह अवलदीन, हातमताई के नाटक भी बने हुए हैं।
    • याद में रहने के लिए ही मुख में मुहलरा डाल देते थे।
  • किसको क्रोध आता है तो बोल पड़ते हैं इसलिए कहते हैं मुख में कुछ डाल दो।
    • बात नहीं करें तो क्रोध आयेगा नहीं।
    • बाप कहते हैं - कभी भी कोई पर क्रोध नहीं करो।
    • परन्तु इन बातों को पूरा न समझकर शास्त्रों में कुछ न कुछ डाल दिया है।
    • बाप यथार्थ बैठ समझाते हैं।
    • बाप जब आये तब तो आकर समझाये।
  • जो होकर जाते हैं, उन्हों की महिमा गाई जाती हैं।
    • टैगोर, झांसी की रानी होकर गई, उनके फिर नाटक बनाते हैं।
    • अच्छा शिव भी होकर गये हैं तब तो शिव जयन्ती मनाते हैं ना।
    • परन्तु शिव कब आया, क्या आकर किया, यह पता नहीं।
    • वह तो सारी सृष्टि का बाप है।
    • जरूर आकर सबको सद्गति दी होगी।
    • इस्लामी, बौद्धी आदि जो भी धर्म स्थापन करके गये हैं उनकी जयन्ती मनाते हैं।
    • तिथि तारीख सभी की है, इनका किसको पता नहीं।
  • कहते भी हैं क्राइस्ट से इतने वर्ष पहले भारत पैराडाइज था।
    • स्वास्तिका जब बनाते हैं तो उसमें पूरे 4 भाग करते हैं।
    • 4 युग हैं।
    • आयु कम जास्ती हो न सके।
    • जगन्नाथ पुरी में चावल का हण्डा बनाते हैं।
    • पूरे 4 भाग हो जाते हैं।
    • बाप कहते हैं - यह भक्ति मार्ग में अगड़म-बगड़म कर दिया है।
  • अब बाप कहते हैं देह सहित यह सब भूल जाओ।
    • मैं आत्मा हूँ, परमपिता परमात्मा का बच्चा हूँ।
    • यह अभ्यास रखो।
  • बाबा स्वर्ग का रचयिता है तो जरूर हमको स्वर्ग में भेजा होगा।
  • नर्क में तो नहीं भेजेंगे।
    • बाप किसको भी नर्क में नहीं भेजते हैं।
    • पहले-पहले सब सुख भोगते हैं।
    • पहले सुख पीछे दु:ख।
    • बाप तो सबका दु:ख हर्ता सुख कर्ता है ना।
    • आत्मा पहले सुख फिर दु:ख देखती है।
    • विवेक भी कहता है - हम पहले सतोप्रधान फिर सतो रजो तमो में आते हैं।
    • मनुष्य भी समझते हैं - विलायत वाले सेन्सीबुल हैं।
  • वहाँ ( विलायत में ) तो बाम्बस ऐसे बनाते हैं जो फट से खलास हो जायेंगे।
    • जैसे आजकल मुर्दें को बिजली पर फट से खत्म कर देते हैं, ऐसे बाम्ब्स फेंकने से आग लग जाती है तो मनुष्य भी झट खत्म हो जायेंगे।
    • भंभोर को आग लगनी है।
    • तूफान ऐसे आते जो गाँव के गाँव खत्म हो जाते हैं।
    • फिर उस समय ऐसा कोई प्रबन्ध नहीं रहता जो बचाव कर सकें।
    • विनाश तो होना ही है।
    • पुरानी दुनिया खत्म होनी है।
    • गीता में भी वर्णन है।
    • बाप ने समझाया - यूरोपवासी बाम्ब्स ऐसे छोड़ेंगे जो पता भी नहीं पड़ेगा।
    • तुम बच्चे जानते हो कल्प पहले भी विनाश हुआ था, अब भी होने वाला है।
  • तुम भी कल्प पहले मुआफिक पढ़ रहे हो।
  • धीरे-धीरे झाड़ वृद्धि को पाता रहेगा।
    • वृद्धि होते-होते फिर स्थापना हो जाती है।
    • माया के तूफान बहुत अच्छे-अच्छे फूलों को भी गिरा देते हैं।
    • योग में पूरा नहीं रहते हैं तो फिर माया विघ्न डालती है।
    • बाप का बच्चा बन पवित्रता की प्रतिज्ञा कर फिर अगर विकार में गिरते हैं तो नाम बदनाम कर देंगे।
    • फिर धक्का बहुत जोर से आ जाता है।
    • बाप कहते हैं- यह काम की चोट कभी नहीं खाना।
  • बच्चे जानते हैं यहाँ रक्त की नदियाँ बहनी हैं।
    • सतयुग में दूध की नदियाँ बहती हैं।
    • वह है नई दुनिया, यह है पुरानी दुनिया।
    • कलियुग में देखो क्या है, नई दुनिया के वैभव तो देखो।
    • यहाँ तो कुछ भी है नहीं।
  • बच्चियाँ साक्षात्कार में जाकर देखकर आती हैं।
    • सूक्ष्मवतन में शूबीरस पिया, यह किया वह सब साक्षात्कार होते हैं।
    • बतलाते हैं हम मूलवतन में जाते हैं।
    • बाबा बैकुण्ठ में भेज देते हैं।
    • यह सब साक्षात्कार आदि की ड्रामा में नूँध है।
    • इनसे कुछ मिलता नहीं है।
    • बहुत बच्चियाँ सूक्ष्मवतन में जाती थी, शूबीरस आदि पीती थी।
    • आज हैं नहीं।
    • अच्छे-अच्छे फर्स्टक्लास बच्चे गुम हो गये।
    • बहुत ध्यान दीदार में जाने वालों ने जाकर शादी की।
  • वन्डर लगता है - माया कैसी है।
    • तकदीर कैसे उल्टी पलट जाती है।
    • बहुतों ने अच्छे-अच्छे पार्ट बजाये।
    • बहुत मदद भी की आईवेल में।
    • तो भी आज हैं नहीं।
    • तब बाप कहते हैं - माया तुम बड़ी जबरदस्त हो।
  • माया से तुम्हारी युद्ध चलती है।
    • इसको कहा जाता है योगबल की लड़ाई।
    • योगबल से क्या प्राप्ति होती है - यह किसको पता नहीं है।
    • सिर्फ भारत का प्राचीन योग कहते हैं।
    • मीठे-मीठे बच्चों को योग के लिए समझाया जाता है - प्राचीन राजयोग गाया हुआ है।
    • जो भी फिलॉसॉफर आदि हैं यह स्प्रीचुअल नॉलेज तो कोई में हैं नहीं।
  • रूहानी बाप ही ज्ञान का सागर है।
    • उनको ही शिवाए नम: गाते हैं।
    • उनकी ही महिमा गाई है।
    • बाप आकर तुमको कितना ज्ञान समझाते हैं।
  • इसको ज्ञान का तीसरा नेत्र कहा जाता है और कोई की ताकत नहीं जो अपने को त्रिकालदर्शी कह सके।
    • त्रिकालदर्शी सिर्फ ब्राह्मण ही होते हैं, जिन ब्राह्मणों द्वारा यज्ञ रचा है।
    • रुद्र ज्ञान यज्ञ है ना।
  • रूद्र शिव को भी कहते हैं।
    • अनेक नाम रख दिये हैं।
    • हर एक देश में नाम अलग-अलग बहुत हैं।
    • सिवाए एक बाप के और किसी के इतने नाम हैं नहीं।
    • बबुलनाथ भी इनको कहते हैं।
    • बबुल उनको कहा जाता - जिसमें काँटे होते हैं।
    • बाबा काँटों को फूल बनाने वाला है, इसलिए उनका नाम बबुलनाथ रखा है।
    • बाम्बे में वहाँ बहुत मेला लगता है।
    • अर्थ कुछ नहीं समझते।
    • बाप बैठ समझाते हैं उनका राइट नाम है शिव।
  • व्यापारी लोग भी बिन्दी को शिव कह देते हैं।
    • एक दो गिनती जब करते हैं, 10 पर आयेंगे तो कहेंगे शिव।
    • बाप भी कहते हैं - मैं बिन्दी हूँ स्टार।
    • बहुत लोग ऐसे डबल तिलक भी देते हैं।
    • माता और पिता।
    • ज्ञान सूर्य ज्ञान चन्द्रमा की निशानी है।
    • वह अर्थ नहीं जानते।
  • तो बाबा योग पर समझा रहे थे।
    • योग कितना मशहूर है।
    • अभी तुम बच्चे योग अक्षर छोड़ दो, याद करो।
    • बाप कहते हैं - योग अक्षर से समझेंगे नहीं, याद से समझेंगे।
    • बाप को बहुत याद करना है।
    • उनको साजन भी कहा जाता है।
    • पटरानी बनाते हैं ना।
    • विश्व की राजधानी का वर्सा बाप देते हैं।
  • सतयुग में एक बाप होता है।
    • भक्ति में दो बाप और ज्ञान मार्ग में अभी तुम्हें तीन बाप है। कितना वन्डर है।
    • तुम अर्थ सहित जानते हो - सतयुग में हैं ही सब सुखी इसलिए पारलौकिक बाप को जानते ही नहीं।
    • अभी तुम तीनों बाप को जानते हो।
    • कितनी सहज समझने की बातें हैं।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) याद में रहने के लिए मुख से कुछ भी बोलो नहीं।
    • मुख में मुहलरा डाल दो तो क्रोध खत्म हो जायेगा।
    • कोई पर भी क्रोध नहीं करना है।
  • 2) इस दु:खधाम को अब आग लगनी है इसलिए इसे भूल नई दुनिया को याद करना है।
    • बाप से जो पवित्र रहने की प्रतिज्ञा की है उसमें पक्का रहना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • पवित्रता के आधार पर सुख-शान्ति का अनुभव करने वाले नम्बरवन अधिकारी भव
  • जो बच्चे “पवित्रता'' की प्रतिज्ञा को सदा स्मृति में रखते हैं, उन्हें सुख-शान्ति की अनुभूति स्वत: होती है।
  • पवित्रता का अधिकार लेने में नम्बरवन रहना अर्थात् सर्व प्राप्तियों में नम्बरवन बनना इसलिए पवित्रता के फाउण्डेशन को कभी कमजोर नहीं करना तब ही लास्ट सो फास्ट जायेंगे।
  • इसी धर्म में सदा स्थित रहना-कुछ भी हो जाए - चाहे व्यक्ति, चाहे प्रकृति, चाहे परिस्थिति कितना भी हिलाये, लेकिन धरत परिये धर्म न छोड़िये।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • व्यर्थ से इनोसेंट बनो तो सच्चे-सच्चे सेन्ट बन जायेंगे।