31-07-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - तुम्हें नशा होना चाहिए कि हमारा बाबा आया है, हमें विश्व का मालिक बनाने, हम उनके सम्मुख बैठे हैं''

प्रश्नः-

कर्मो की गुह्य गति को जानने वाले कौन सा पुरुषार्थ अवश्य करेंगे?

उत्तर:-

याद में रहने का क्योंकि उन्हें पता है कि याद से ही पुराने हिसाब-किताब चुक्तू होने हैं। वे जानते हैं कि आत्मा अगर पुराने हिसाब-किताब, कर्मभोग चुक्तू नहीं करेगी तो उसे सजायें खानी पड़ेंगी और पद भी भ्रष्ट हो जायेगा। पुनर्जन्म भी ऐसा ही होगा।


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चों को अपार खुशी का पारा चढ़ता है जब देखते हो बापदादा सम्मुख आये हैं और यह भी बच्चे जानते हैं कि 5 हजार वर्ष बाद फिर से शिवबाबा ब्रह्मा तन में आया हुआ है।
    • क्या करने?
    • बच्चों को यह नशा चढ़ा हुआ है।
    • सब बच्चे जानते हैं कि स्वर्ग का मालिक बनाने बाप आया हुआ है।
    • हमको लायक बना रहे हैं।
    • हमको तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने की युक्तियां बार-बार बता रहे हैं।
    • युक्ति है बहुत सहज।
    • बिल्कुल सहज याद बच्चों को सिखलाते हैं।
    • अज्ञान काल में बाप को बच्चा होता है तो समझते हैं हमारा वारिस पैदा हुआ।
    • तुम जानते हो इस समय बाप आकर हम बच्चों को एडाप्ट करते हैं।
    • यूँ तो तुम सब शिवबाबा के बच्चे हो।
    • परन्तु बाबा अपना कैसे बनायें, जो हमको सुना सके और हम उनसे सुन सकें।
    • शिवबाबा इस ब्रह्मा तन से कहते हैं मैं तुम्हारा बाप हूँ।
    • तुमको स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ।
    • सिर्फ तुम्हारी आत्मा जो पतित है वह न मुक्ति में, न जीवनमुक्ति धाम में जा सकती है।
  • तुम सब एक बाप के बच्चे हो।
    • सबको बाप की मिलकियत लेनी है।
    • ढेर के ढेर बच्चे हैं, वृद्धि होती जाती है।
    • एडाप्ट करते जाते हैं।
    • हे आत्मायें अब तुम मेरी सन्तान हो।
    • अपने को रूह आत्मा समझो, हमको बाबा मिला है, जिसको आधाकल्प याद करते थे।
    • यह कभी भूलो मत।
  • आधाकल्प आत्मा इस शरीर द्वारा याद करती आई है - हे पतित-पावन, हे दु:ख हर्ता सुख कर्ता क्योंकि रावण राज्य है ना।
    • भल जो अभी समझते हैं हम बहुत सुखी हैं, हमको इतने पदम हैं, इतने मिल्स हैं, कारखाने आदि हैं, यह तो सब अल्पकाल के लिए हैं।
    • अन्त में तो बहुत त्राहि-त्राहि करने लग पड़ेंगे।
    • दु:ख के पहाड़ गिरेंगे।
    • इतनी सारी मिलकियत सेकेण्ड में खलास हो जायेगी।
    • बाप से तुमको सेकेण्ड में वर्सा मिलता है।
    • कहते हैं तुमको सेकेण्ड में स्वर्ग की बादशाही देता हूँ।
  • यह पुरानी दुनिया खत्म हो जायेगी।
    • लड़ाईयां लगेंगी, नेचुरल कैलेमिटीज़ होगी।
    • सफाई तो चाहिए ना।
    • तुम्हारी आत्मा भी अब पवित्र बन रही है।
    • बापदादा दोनों समझ सकते हैं, बच्चे कितनी मेहनत करते हैं।
  • बाप से वर्सा पाने की मेहनत बिल्कुल थोड़ी देते हैं।
    • अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।
    • वह रूहानी बाप है निराकार, हम आत्मायें उनको बुलाते हैं ना।
    • बाप कहते हैं तुम्हारी आत्मा जो पतित है वह पावन कैसे बनें।
  • पतित-पावन तो एक बाप है ना।
    • पानी की नदी पतित-पावनी है तो झट से जाए गोता खाकर चले आना चाहिए।
    • गंगा स्नान बहुत करते हैं फिर भी पतित क्यों?
    • रात-दिन यही धुन लगाते रहते हैं - पतित-पावन सीताराम अर्थात् सब जो भक्तियां हैं अथवा सीतायें हैं, सबका रक्षक एक राम परमपिता परमात्मा है।
    • पतित-पावन, पतियों का पति वही है।
    • वह जब आये तब आकर पावन बनाये।
  • तो अब बाप कहते हैं मेरी श्रीमत पर तुमको चलना है और किसकी मत पर न चलो।
    • वह तो समझते हैं भक्ति से भगवान मिलेगा, जबकि भक्ति से भगवान मिलेगा तो ऐसे क्यों कहते कि भक्तों की रक्षा करने आयेगा।
    • भक्तों पर क्या आपदा पड़ी है जो रक्षा करेगा?
    • रक्षा तब की जाती है जब कुछ आपदा होती है।
    • बाप कहते हैं तुमने कितना दुर्गति को पाया है।
  • यह है रौरव नर्क, सब दु:खी रोगी हैं।
    • घर-घर में देखो क्या लगा पड़ा है।
    • दु:ख ही दु:ख, इसलिए पुकारते हैं बाबा हमारे दु:ख हरो, सुख दो।
    • भारत में ही सदा सुख था, अब दु:ख है।
  • भारत की बात है और खण्ड तो हैं ही अलग।
    • वह तो आते ही बाद में हैं।
    • कोई 60 जन्म, कोई इनसे भी कम जन्म लेते हैं।
    • 84 जन्म देवता धर्म वाले लेते हैं।
    • तो इस हिसाब से आधाकल्प के बाद जो आयेंगे उनको 84 से आधे जन्म लेने पड़ेंगे।
    • ऐसे नहीं कि सब 84 का चक्र खाते हैं।
    • मनुष्यों को तो जो आता है सो बोल देते हैं।
  • अब तुम बच्चे बाप द्वारा अविनाशी ज्ञान रत्नों की झोली भर रहे हो।
    • रत्न तो बहुत वैल्युबुल हैं।
    • बाप समझाते भी बहुत सहज है।
    • बाप कहते हैं तुम बुलाते आये हो हे पतित-पावन आकर हमें पावन बनाओ तो बाप आये हैं।
    • अब तुम समझते हो हम पावन बनेंगे तो स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
  • शिवबाबा हमको पत्थरबुद्धि से पारसबुद्धि, पत्थरनाथ से पारसनाथ बनाने आये हैं।
    • भक्ति मार्ग के चित्र सब पत्थरों के बने हुए हैं।
    • पत्थरों से माथा मारते हैं।
    • बाप कहते हैं - तुम भल कितनी भी मेहनत करो, फायदा कुछ नहीं होना है।
  • आगे तो तुम बलि चढ़ते थे।
    • फिर भी क्या फायदा हुआ?
    • करके देवी का दीदार होगा फिर जैसे के तैसे।
    • पतित-पावन बाप आते हैं - एक बार संगम पर।
    • सतयुग में तो भक्ति मार्ग की बातें होती ही नहीं।
    • बाप तो कहते नहीं कि गला काटो।
      • यह करो।
    • भक्ति मार्ग में अनेक प्रकार से क्या-क्या करते हैं।
    • आगे देवियों पर मनुष्य की बलि चढ़ाते थे।
  • बाप कहते हैं तुम सुधरेले थे तो देवता थे।
    • अब कितने पत्थरबुद्धि बन पड़े हो।
    • तुमको स्वर्ग की बादशाही दी थी।
    • कितने सोने, हीरे-जवाहरों के महल थे, अथाह धन था।
    • वह क्या किया?
    • अब तुम कितने दु:खी हो पड़े हो।
    • तुम असुल देवी-देवता धर्म के थे ना।
    • अब सिर्फ तुम रजो तमो में आये हो।
  • तुम तो देवता धर्म के थे फिर अपने को हिन्दू क्यों कहलाते?
    • और सब धर्म वाले अपने-अपने धर्म को ही मानते हैं।
    • धर्म तो एक ही होता है ना।
    • मुसलमानों का मुस्लिम धर्म, क्रिश्चियन का क्रिश्चियन धर्म चला आता है।
    • तुमको क्या हुआ?
    • तुम बहुत सुखी, पवित्र, सम्पूर्ण निर्विकारी थे।
    • अभी कितने विकारी बन पड़े हो।
  • किसको पता ही नहीं - बरोबर हम सम्पूर्ण निर्विकारी थे फिर सम्पूर्ण विकारी कैसे बनें?
    • 84 जन्म लेते सतो से तमो बनें, अब बिल्कुल ही तमोप्रधान पतित हैं।
    • सतयुग से कलियुग जरूर आना है।
    • सब धर्मो को सतो-रजो-तमो में आना ही है।
    • वृद्धि को पाना है।
    • तुम भी झाड़ में हो ना।
  • झाड़ में देखो - अन्त में ब्रह्मा खड़ा है, झाड़ के ऊपर चोटी में ब्रह्मा ही 84 जन्म ले जाकर अन्त में खड़ा है।
    • तुम भी जो नीचे ब्राह्मण बैठे हो वही फिर अन्त में पतित शूद्र बने हो।
    • फिर नीचे राजयोग सीख रहे हो।
    • तुम भी शूद्र थे, अब ब्राह्मण बने हो।
    • यह बड़ी समझने की बातें हैं।
    • अभी झाड़ में बहुत अच्छी समझानी है।
    • अभी तुम राजयोग की तपस्या कर रहे हो, तुम्हारा ही यादगार खड़ा है।
  • यह चैतन्य देलवाड़ा मन्दिर, वह जड़।
    • सतयुग में यह नहीं था।
    • इस समय तुम अपना यादगार देखते हो।
    • तुम प्रैक्टिकल में सच्चे-सच्चे देलवाड़ा मन्दिर में चैतन्य में बैठे हो।
    • स्वर्ग की स्थापना हो रही है।
    • फिर स्वर्ग में आयेंगे तो यह मन्दिर आदि कुछ होंगे नहीं।
    • यह मम्मा बाबा और हम बच्चे बैठे हैं।
    • हूबहू यह तुम्हारा मन्दिर है।
    • नाम ही रखा है मधुबन, चैतन्य देलवाड़ा मन्दिर।
    • फिर जब भक्ति मार्ग शुरू होगा तो फिर यह मन्दिर बनायेंगे।
  • बाप ने तुमको बहुत धनवान बनाया था तो तुम ही फिर उनका मन्दिर बनाते हो।
    • शिव का मन्दिर एक नहीं बनाते हैं, सब बनाते हैं, यथा योग्य यथा शक्ति।
    • तुम जानते हो हम पूज्य थे फिर द्वापर में पुजारी बने हैं।
    • शिवबाबा जो इतना साहूकार बनाते हैं, भक्ति में फिर तुम ही उनका मन्दिर बनायेंगे।
    • इन बातों को अभी तुम ही जानते हो।
  • तो अब पुरुषार्थ कर फिर राजाओं का राजा बनना चाहिए।
    • सतयुग में कहा जाता है महाराजायें।
    • त्रेता में कहा जाता है राजा।
    • फिर दुनिया पतित बनती है तो महाराजायें भी पतित, राजायें भी पतित होते हैं।
    • वह निर्विकारी, महाराजाओं का मन्दिर बनाकर पूजते हैं।
    • पहले-पहले शिव का मन्दिर बनाते हैं फिर देवताओं का बनाते, खुद ही मन्दिर बनाकर पूजते हैं, 84 जन्म तो भोगते हैं ना।
    • आधाकल्प तुम पूज्य फिर आधाकल्प पुजारी बनते हो।
  • मनुष्य फिर समझते हैं भगवान आपेही पूज्य आपेही पुजारी है।
    • सब कुछ आपेही देते हैं, आपेही छीन लेते हैं।
    • अच्छा जबकि उसने दिया और लिया फिर तुमको क्यों चिंता लगती है।
    • तुम तो ट्रस्टी हो गये।
    • फिर रोने की क्या दरकार है!
    • बाप बैठ आत्माओं को समझाते हैं।
    • अब तुम आत्म-अभिमानी बनते हो, नम्बरवार।
  • कोई तो बिल्कुल बाप को याद करते ही नहीं है।
    • देही-अभिमानी रहते ही नहीं हैं।
    • यहाँ कितना समझाया जाता है - अरे तुम आत्मा हो, परमात्मा तुमको पढ़ाते हैं।
    • आत्मा में ही संस्कार रहते हैं।
    • आत्मा ही बैरिस्टर आदि बनती है, आत्मा मैजिस्ट्रेट बनती है।
    • कल क्या बनेंगे?
    • अगर आत्मा बाप को अच्छी रीति याद करती रहेगी तो फिर अमरलोक में जाकर जन्म लेगी।
    • मृत्युलोक में फिर दूसरा जन्म नहीं लेंगे।
    • अगर कुछ हिसाब-किताब रहा हुआ होगा तो सज़ा खानी पड़ेगी।
    • कर्मभोग, भोग कर चुक्तू करना होगा फिर पद ऊंच नहीं मिलेगा।
    • यह कर्मो की गुह्य गति बाप बच्चों को ही बैठ समझाते हैं।
  • यह भी बच्चे जानते हैं - सतयुग है सतोप्रधान।
    • हर चीज़ वहाँ सतोप्रधान होती है।
  • कहते हैं कृष्ण गऊ सम्भालते थे।
    • राजायें गऊ सम्भालते हैं क्या?
    • ऐसी बात तो हो नहीं सकती है।
    • यह दिखाते हैं - सतयुग में गऊयें भी बड़ी फर्स्टक्लास होती हैं, उनको कामधेनु कहा जाता है।
    • जगत अम्बा सरस्वती भी कामधेनु है।
    • 21जन्म लिए सबकी मनोकामनायें पूरी करती है।
    • तुम भी कामधेनु हो।
    • वही नाम फिर गऊ पर रख दिया है, जो बहुत दूध देती है।
    • राजाओं के घर में बड़ी फर्स्टक्लास गायें होती हैं।
    • जबकि यहाँ भी राजाओं के पास ऐसी अच्छी-अच्छी हैं तो स्वर्ग में कैसी सुन्दर होंगी!
    • वहाँ कोई बांस (बदबू) आदि बिल्कुल नहीं होती है।
  • अब बाप बच्चों को कहते हैं कि मैं आया हूँ तुमको गुल-गुल बनाकर साथ ले जाऊंगा।
    • मुझे बुलाते ही हैं हे पतित-पावन आओ।
    • पतित दुनिया, पतित शरीर में आओ।
    • यह है पतित, वह है पावन फरिश्ता।
    • भेंट दिखलाते हैं।
    • तुम भी पतित से ऐसा पावन फरिश्ता बनेंगे।
    • सतयुगी देवताओं को डीटी कहते हैं।
    • सूक्ष्मवतनवासी हैं फरिश्ते।
    • अब तुम फरिश्ते पवित्र बनते हो।
    • बाप कितनी सहज शिक्षा देते हैं।
  • यहाँ जब आते हैं तो कोई भी बाहर वाले मित्र सम्बन्धी, घरघाट धन्धाधोरी आदि याद नहीं करना है।
    • बाप के सम्मुख आये हो ना।
    • यहाँ आये ही हो - योग की कमाई करने तो इसमें लग जाना चाहिए।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) सजाओं से मुक्त होने के लिए पुराने सब हिसाब-किताब योगबल से चुक्तू करने हैं।
    • ट्रस्टी होकर सब कुछ सम्भालना है।
    • किसी भी बात की चिंता नहीं करनी है।
    • आत्म-अभिमानी बनना है।
  • 2) यह कमाई का समय है, इसमें घरघाट, धन्धाधोरी आदि याद नहीं करना है।
    • फरिश्ता बनने के लिए एक बाप की याद में रहने का पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • अपने शान्त स्वरूप स्टेज द्वारा शान्ति की किरणें फैलाने वाले मास्टर शान्ति सागर भव
  • वर्तमान समय विश्व के मैजारिटी आत्माओं को सबसे ज्यादा आवश्यकता है - सच्चे शान्ति की।
  • अशान्ति के अनेक कारण दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं और बढ़ते जायेंगे।
  • अगर स्वयं अशान्त नहीं भी होंगे तो औरों के अशान्ति का वायुमण्डल, वातावरण शान्त अवस्था में बैठने नहीं देगा।
  • अशान्ति के तनाव का अनुभव बढ़ेगा।
  • ऐसे समय पर आप मास्टर शान्ति के सागर बच्चे अशान्ति के संकल्पों को मर्ज कर विशेष शान्ति के वायब्रेशन फैलाओ।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • बाप के सर्व गुणों का अनुभव करने के लिए सदा ज्ञान सूर्य के सम्मुख रहो।