30-07-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - इस पुरानी दुनिया में जिस प्रकार की आशायें मनुष्य रखते हैं वह आशायें तुम्हें नहीं रखनी है, क्योंकि यह दुनिया विनाश होनी है''

प्रश्नः-

संगमयुग पर कौन सी आश रखो तो सब आशायें सदा के लिए पूरी हो जायेंगी?

उत्तर:-

हमें पावन बन, बाप को याद कर उनसे पूरा वर्सा लेना है - सिर्फ यही आश हो।

इसी आश से सदा के लिए सब आशायें पूरी हो जायेंगी।

आयुश्वान भव, पुत्रवान भव, धनवान भव..... सब वरदान मिल जायेंगे।

सतयुग में सब कामनायें पूरी हो जायेंगी।

गीत:- तुम्हीं हो माता, तुम्हीं पिता हो...


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे रूहानी बच्चों अर्थात् आत्माओं प्रति परमपिता परमात्मा यह समझा रहे हैं।
  • तुम जानते हो बेहद का बाप हमको वरदान दे रहे हैं।
    • वो लोग आशीर्वाद देते हैं - पुत्रवान भव, आयुश्वान भव, धनवान भव।
    • अब बाप तुमको वरदान देते हैं - आयुश्वान भव।
    • तुम्हारी आयु बहुत बड़ी होगी।
    • वहाँ पुत्र भी होगा तो वह भी सुख देने वाला होगा।
  • यहाँ जो भी बच्चे हैं, दु:ख देने वाले हैं।
    • सतयुग में जो बच्चे होंगे, सुख देने वाले होंगे।
    • अभी तुम बच्चे जानते हो बेहद का बाप बेहद सुख का वर्सा दे रहे हैं।
    • बरोबर हम आयुश्वान, धनवान भी बनेंगे।
  • अभी कोई भी कामना दिल में नहीं रखनी है।
    • तुम्हारी सब कामनायें सतयुग में पूरी होनी है।
    • इस नर्क में कोई भी कामना नहीं रखनी है।
    • धन की भी कामना नहीं रखो।
    • बहुत धन हो, बड़ी नौकरी मिले - यह भी जास्ती तमन्ना नहीं रखना है।
    • पेट तो एक पाव रोटी खाता है, जास्ती लोभ में नहीं रहना है। जास्ती धन होगा तो वह खत्म हो जाना है।
    • बच्चे जानते हैं बाबा हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हैं।
  • अब बाप कहते हैं - दे दान तो छूटे ग्रहण।
    • कौन सा दान दो?
    • यह 5 विकार हैं।
    • यह दान में देने हैं तो ग्रहचारी छूट जाए और तुम 16 कला सम्पूर्ण बन जाओ।
    • तुम जानते हो हमको सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण... यहाँ बनना है।
    • 5 विकारों का दान देना पड़ता है।
  • बच्चों को बाप कहते हैं - मीठे बच्चों आश कोई भी नहीं रखो, सिवाए बेहद के बाप से बेहद का वर्सा लेने।
    • बाकी थोड़ा समय है, गाया भी जाता है - बहुत गई थोड़ी रही।
    • बाकी थोड़ा समय इस विनाश में है इसलिए इस पुरानी दुनिया की कोई आश नहीं रखो।
    • सिर्फ बाप को याद करते रहो।
    • याद से बच्चों को सतोप्रधान बनना है।
    • इस दुनिया में मनुष्य जो आश रखते हैं वह कोई भी नहीं रखो।
    • आश सिर्फ रखनी है एक शिवबाबा से हम अपना स्वर्ग का वर्सा लेवें।
  • किसको भी कभी दु:ख नहीं देना है।
    • एक दो के ऊपर काम कटारी चलाना - यह सबसे बड़ा दु:ख है इसलिए संन्यासी लोग स्त्री से अलग हो जाते हैं।
    • कहते हैं इसने छोड़ दिया है।
    • इस समय रावण राज्य में सब पतित, पाप आत्मायें हैं।
    • अभी समय बहुत कम है, तुम अगर बाप की श्रीमत पर नहीं चलेंगे तो श्रेष्ठ नहीं बनेंगे।
  • बच्चों को ऊंच ते ऊंच बनना है इसलिए 5 विकारों का दान देना है तो यह ग्रहण छूट जायेगा।
    • सबके ऊपर ग्रहचारी है, बिल्कुल ही काले बन गये हैं।
    • बाप कहते हैं - अगर मेरे से वर्सा लेना है तो पावन बनो।
    • द्वापर से लेकर तुम पतित बनते-बनते सतोप्रधान से तमोप्रधान बन पड़े हो, तब तो गाते हो पतित-पावन आओ, आकर हमें पावन बनाओ।
  • तो बाप फरमान करते हैं - बच्चे अब पतित नहीं बनो, काम महाशत्रु को जीतो, इससे ही तुमने आदि-मध्य-अन्त दु:ख को पाया है।
    • बाप कहते हैं - तुम स्वर्ग में बिल्कुल पवित्र थे।
    • अब रावण की मत पर तुम पतित बने हो, तब तो देवताओं के आगे जाकर उन्हों की महिमा गाते हो कि आप सर्वगुण सम्पन्न, सम्पूर्ण निर्विकारी और हम विकारी हैं।
    • निर्विकारी होने से सुख ही सुख है।
    • बाप कहते हैं - अब हम आये हैं, तुम बच्चों को निर्विकारी बनाने।
    • अब तुम बच्चों को सब इच्छायें छोड़नी है।
  • अपना धन्धा धोरी आदि भल करो।
    • और एक दो को ज्ञान अमृत पिलाओ।
    • गाया भी जाता है - अमृत छोड़ विष काहे को खाए।
    • बाप कहते हैं कोई भी कामना नहीं रखो।
  • हम याद की यात्रा से पूरे सतोप्रधान बन जायेंगे।
    • 63 जन्म जो पाप किये हैं, वह याद से ही खलास होंगे।
    • अब निर्विकारी बनना है।
    • भल माया के तूफान आयें परन्तु पतित नहीं बनना है।
    • मनुष्य से देवता बनना है।
    • तुम ही सतोप्रधान पूज्य देवता थे फिर तुम ही पूज्य से पुजारी बनते हो।
  • हम निरोगी थे फिर रोगी बनते हैं अब फिर से निरोगी बन रहे हैं।
    • जब निरोगी थे तो आयु बड़ी थी।
    • अब तो देखो बैठे-बैठे मनुष्य मर जाते हैं।
  • तो कोई भी आश नहीं रखनी है।
    • यह सब छी-छी आशायें हैं।
    • कांटे से फूल बनने के लिए तो एक ही फर्स्टक्लास आश है - बाप कहते हैं मुझे याद करो तो पुण्य आत्मा बन जायेंगे।
  • इस समय सबके ऊपर राहू का ग्रहण है।
    • सारे भारत पर राहू का ग्रहण है।
    • फिर चाहिए - ब्रहस्पति की दशा।
    • तुम जानते हो अब हमारे ऊपर ब्रहस्पति की दशा बैठी है। भारत स्वर्ग था ना।
    • सतयुग में तुम्हारे ऊपर ब्रहस्पति की दशा थी।
    • इस समय है राहू की दशा।
    • अब फिर बेहद के बाप से ब्रहस्पति की दशा मिलती है। ब्रहस्पति की दशा में 21 जन्मों का सुख रहता है।
    • त्रेता में हैं शुक्र की दशा।
    • जितना जो याद करेंगे, बहुत याद करेंगे तो ब्रहस्पति की दशा होगी।
  • यह भी समझा दिया है अब सबको वापिस घर जाना है इसलिए बाप को याद करते रहो तो विकर्म विनाश हो और तुम उड़ने लायक बनो।
    • माया ने तुम्हारे पंख काट दिये हैं।
    • अब तुमको मिलती है ईश्वरीय मत, जिससे तुम सदा सुखी बनते हो।
    • ईश्वरीय मत पर तुम स्वर्ग के मालिक बनते हो।
    • विश्व की बादशाही ले रहे हो।
    • ईश्वरीय मत मिलती है कि बाप को याद करो तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।
    • याद से ही विकर्म विनाश हो जायेंगे, पवित्र बन जायेंगे।
    • पवित्र आत्मा ही स्वर्ग के लायक बनेगी।
  • वहाँ तुम्हारा शरीर भी निरोगी होगा, आयु भी बड़ी होगी।
    • धन भी बहुत होगा।
    • वहाँ कभी धर्म का बच्चा नहीं बनाते।
    • बाप कहते हैं - आयुश्वान भव, सम्पतिवान भव।
    • पुत्र भी एक जरूर होगा।
    • इस समय बाप सभी को धर्म का बच्चा बनाते हैं।
    • तो फिर सतयुग में कोई धर्म का बच्चा होता नहीं।
    • एक बच्चा एक बच्ची है योगबल से।
    • पूछते हैं वहाँ बच्चे कैसे पैदा होंगे, वहाँ है ही योगबल।
    • ड्रामा में नूँध है।
    • सतयुग में सब योगी हैं।
  • कृष्ण को योगेश्वर कहा जाता है।
    • ऐसे नहीं कि कृष्ण योग में रहते हैं।
    • वो तो पूरा पवित्र योगी है।
    • ईश्वर ने सबको योगेश्वर बनाया है तो भविष्य में योगी रहते हैं।
    • बाप ने योगी बनाया है।
  • योगियों की आयु बड़ी रहती है।
    • भोगी की आयु छोटी होती है।
    • ईश्वर ने बच्चों को पवित्र बनाए योग सिखाकर देवता बनाया है, इनको कहा जाता है योगी।
    • योगी अथवा ऋषि पवित्र होते हैं।
    • तुमको समझाया है - तुम हो राजऋषि।
    • राजयोग सीख रहे हो, राजाई पद पाने के लिए।
  • इस समय बाप को याद करना है, यहाँ कोई उल्टी आश नहीं रखनी है कि बच्चा पैदा हो।
    • फिर भी विकार में जाना पड़े ना, काम कटारी चलानी पड़े।
    • देह-अभिमानी काम कटारी चलाते हैं।
    • देही-अभिमानी काम कटारी नहीं चलाते हैं।
    • बाप समझाते हैं पवित्र बनो।
    • आत्माओं से बात करते हैं, अब यह काम कटारी नहीं चलाओ।
    • पवित्र बनो तो तुम्हारे सब दु:ख दूर हो जायेंगे।
    • तुमको स्वर्ग का मालिक बनाते हैं।
  • बाप कितना सुख देते हैं।
    • बाप से तो पूरा वर्सा लेना चाहिए।
    • बाप तो गरीब निवाज़ है।
    • गाया भी जाता है सुदामा ने दो चपटी चावल दी तो महल मिल गये।
    • बाबा 21 जन्मों के लिए वर्सा दे देते हैं।
    • यह भी समझते हो - अब सबको वापिस जाना है।
  • शिवबाबा की स्थापना के कार्य में जितना जो मदद करे।
    • घर में युनिवर्सिटी वा हॉस्पिटल खोलो।
    • बोर्ड पर लिख दो, बहनों और भाईयों, 21 जन्म लिए, एवरहेल्दी और वेल्दी बनना है तो आकर समझो।
    • हम एक सेकेण्ड में एवरहेल्दी, वेल्दी बनने का रास्ता बताते हैं।
    • तुम सर्जन हो ना।
    • सर्जन बोर्ड तो जरूर लगाते हैं, नहीं तो मनुष्यों को कैसे पता पड़े।
    • तुम भी अपने घर के बाहर में बोर्ड लगा दो।
    • कोई भी आये उसको दो बाप का राज़ समझाओ।
  • हद के बाप से हद का वर्सा लेते आये हो।
    • बेहद का बाप कहते हैं - मामेकम् याद करो तो बेहद का वर्सा मिलेगा।
    • प्रोजेक्टर, प्रदर्शनी में पहले यह समझाओ।
    • इस पुरुषार्थ से तुम यह बनेंगे।
  • अब है संगम।
    • कलियुग से सतयुग बनना है।
    • तुम भारतवासी सतोप्रधान थे, अब तमोप्रधान बने हो।
    • अब बाप कहते हैं - मुझे याद करो तो तुम स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
  • अक्षर ही दो हैं।
    • अल्फ को याद करो तो बे बादशाही तुम्हारी।
    • इस याद से खुशी में रहेंगे, इस छी-छी दुनिया में कोई भी प्रकार की आश नहीं रखो।
  • यहाँ तुम पुरुषार्थ करते हो - जीते जी मरने के लिए।
    • वह तो मरने के बाद कहते हैं स्वर्गवासी हुआ।
  • तुम सबको कहते हो हम स्वर्गवासी बनने के लिए बाप को याद करते हैं।
    • उससे बेहद का सुख मिलता है।
    • बाप को याद करने से तुम कब रोयेंगे, पीटेंगे नहीं।
    • तूफान माया के आते हैं, उसका ख्याल नहीं करो।
    • माया के तूफान तो आयेंगे।
    • यह है युद्ध।
    • संकल्प-विकल्प आते हैं, तो मुफ्त में टाइम जाता है।
    • तूफान तो पास हो जायेगा, सदैव थोड़ेही रहेगा।
  • सवेरे उठकर बाप को याद करना है, बाप से वर्सा लेना है।
    • यह धुन अन्दर लगी रहे।
    • बाप और कोई तकलीफ नहीं देते हैं।
    • सिर्फ बाप को याद करना है।
    • और सबको भूल जाओ, यह सब मरे हुए हैं।
    • आपस में यही बातें करते रहो।
    • बाबा अब तो सिर्फ आपको ही याद करेंगे।
    • आप से स्वर्ग का वर्सा लेंगे।
    • टाइम रख दो - हम 3-4 बजे जरूर उठकर बाप को याद करेंगे।
    • चक्र भी याद रखना है।
    • बाप ने हमें रचता और रचना की नॉलेज दी है।
  • हम इस मनुष्य सृष्टि झाड़ को जानते हैं।
    • हम 21 जन्म कैसे लेते हैं - यह बुद्धि में है।
    • अभी फिर हम जाते हैं, स्वर्ग में फिर से आकर पार्ट बजायेंगे।
    • हम आत्मा हैं, आत्मा को ही राज्य मिलता है।
  • बाप को याद करने से वर्से के हकदार बन जाते हैं।
    • यह राजयोग है।
    • बाप को याद करते हैं।
    • बेहद के बाप द्वारा अनेक बार विश्व के मालिक बने हैं, फिर नर्कवासी बने हैं।
    • अब फिर स्वर्गवासी बनते हैं - एक बाबा की याद से।
    • बाप की याद से ही पाप भस्म हो जायेंगे इसलिए इसको योग अग्नि कहा जाता है।
    • तुम ब्राह्मण हो राजऋषि, ऋषि हमेशा पवित्र होते हैं, बाप को याद करते और राजाई का वर्सा लेते हैं।
  • अब थोड़ेही विकार के लिए आश रखनी है।
    • यह छी-छी आश है।
    • अब तो पारलौकिक बाप से वर्सा लेना है।
    • बीमार होते भी याद कर सकते हो।
    • बाप को भी बच्चे प्यारे होते हैं।
  • बाबा को कितने बच्चों को पत्र आदि लिखने पड़ते हैं।
    • शिवबाबा लिखवाते हैं।
    • तुम भी पत्र लिखते हो - शिवबाबा केयरआफ ब्रह्मा।
    • हम सब शिवबाबा के बच्चे ब्रदर्स हैं।
  • रूहानी बाप आकर हमको पावन बनाते हैं, इसलिए कहा जाता है - पतित-पावन।
    • सभी आत्माओं को पावन बनाते हैं।
    • कोई को भी छोड़ता नहीं हूँ, प्रकृति भी पावन बनती है।
    • तुम जानते हो सतयुग में प्रकृति भी पावन रहेगी।
    • अभी शरीर भी पतित है तब तो गंगा में शरीर धोने जाते हैं, लेकिन आत्मा तो पावन होती नहीं।
    • वह तो होगी - योग अग्नि से।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) इस कलियुगी दुनिया में कोई भी उल्टी आश नहीं रखनी है।
    • सम्पूर्ण सतोप्रधान बनने के लिए ईश्वरीय मत पर चलना है।
  • 2) पावन बनकर वापिस घर जाना है, यही एक आश रखनी है।
    • अन्त मती सो गति।
    • माया के तूफानों में समय नहीं गँवाना है।
  • वरदान:-
  • निरन्तर बाप के साथ की अनुभूति द्वारा हर सेकण्ड, हर संकल्प में सहयोगी बनने वाले सहजयोगी भव
  • जैसे शरीर और आत्मा का जब तक पार्ट है तब तक अलग नहीं हो पाती है, ऐसे बाप की याद बुद्धि से अलग न हो, सदा बाप का साथ हो, दूसरी कोई भी स्मृति अपने तरफ आकर्षित न करे - इसको ही सहज और स्वत: योगी कहा जाता है।
  • ऐसा योगी हर सेकण्ड, हर संकल्प, हर वचन, हर कर्म में सहयोगी होता है।
  • सहयोगी अर्थात् जिसका एक संकल्प भी सहयोग के बिना न हो।
  • ऐसे योगी और सहयोगी शक्तिशाली बन जाते हैं।
  • स्लोगन:-
  • समस्या स्वरूप बनने के बजाए, समस्या को मिटाने वाले समाधान स्वरूप बनो।