27-07-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - योगबल से ही आत्मा की कट निकलेगी, इसलिए योग में कभी भी ग़फलत नहीं करो''

प्रश्नः-

बाप ने बच्चों को बेहद का वर्सा लेने की कौन सी युक्ति बताई जिसमें माया चारों तरफ विघ्न डालती है?

उत्तर:-

बाबा ने युक्ति बताई बच्चे तुम ब्रह्माकुमार कुमारियां एक बाप के बच्चे आपस में भाई-बहिन हो, तुम कभी क्रिमिनल एसाल्ट नहीं कर सकते। भाई बहिन विकार में नहीं जा सकते, तुम्हें शिवबाबा की मत पर चलकर बेहद का वर्सा लेना है। परन्तु माया कम नहीं है, चारों तरफ इसमें ही विघ्न डालती रहती है। हम भाई बहिन हैं, एक बाप से वर्सा लेते हैं, यह भूल जाते हैं।

गीत:- तुम्हें पाके हमने...


  • ओम् शान्ति।
  • गीत का एक अक्षर ही काफी है।
  • बच्चे जानते हैं बेहद के बाप से बेहद का वर्सा मिलता है और कल्प-कल्प मिलता है।

    • यह भी बच्चे जानते हैं कि बेहद का वर्सा बरोबर भारत को मिला था।
    • अब वह नहीं है फिर से मिल रहा है।
    • देखते हो - अभी तो स्वर्ग का वर्सा नहीं है, रावण द्वारा नर्क का श्राप मिल रहा है।
    • श्राप से मनुष्य दु:खी होते हैं।
    • वर अर्थात् वर्से से सुखी होते हैं।
  • अब ब्राह्मण बच्चे जानते हैं वह है बेहद का निराकार बाप और प्रजापिता ब्रह्मा है बेहद का साकार बाप।

    • बेहद के साकार बाप प्रजापिता ब्रह्मा बिगर कोई होता नहीं।
    • भल गांधी को बापू जी कहते थे परन्तु कायदेसिर सारे मनुष्य सृष्टि का तो वह बापू जी हो न सके।
    • सारी निराकारी वर्ल्ड का बापू जी है शिव।
  • अभी तुम बच्चे जानते हो हम शिवबाबा के बने हैं।
    • शिवबाबा ने आकर हमको अपना बनाया है - वर्सा देने लिए।
    • मधुबन आते हैं किसके लिए?
      • शिवबाबा से मिलने के लिए, परन्तु वह निराकार है।
    • सिर्फ शिवबाबा कहने से समझेंगे नहीं इसलिए कहा जाता है बापदादा।
    • शिवबाबा और ब्रह्मा दादा।
    • दादे का नाम अलग है, बाप का नाम अलग है।
    • वह निराकार सबका बाप भी है, सबका दादा भी है।
  • सब बच्चों को बापदादा से वर्सा मिलता है जरूर।
    • बेहद के बाप से सबको वर्सा मिलता है।
    • वह बाप ही सबका दु:ख हर्ता सुख कर्ता है।
  • सतयुग में कोई भी मनुष्य दु:खी हो न सके।
    • नाम है स्वर्ग, वह है हेविन स्थापन करने वाला गॉड फादर।
    • भारत सबसे पुराना है तो जरूर सबसे नया था तब तो अभी सबसे पुराना हुआ है।
    • सतयुग, कलियुग भारत को ही कहा जाता है।
    • बरोबर भारत स्वर्ग था।
    • यह लक्ष्मी-नारायण राज्य करते थे।
    • यह बुद्धि में है।
  • अभी तुम लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में जायेंगे तो झट बुद्धि में आयेगा कि इन्हों को यह वर्सा कैसे मिला!

    • यह पूज्य कैसे बनें!
    • कब राज्य किया?
    • किस द्वारा राज्य पाया?
    • यह सारा बुद्धि में आयेगा।
    • आगे लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में जाते थे, माला फेरते थे।
    • आक्युपेशन का कुछ भी पता नहीं था।
    • अभी सिर्फ तुम्हारी बुद्धि में है सो भी नम्बरवार।
    • तुम अभी लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में जाकर खड़े होंगे तो हर्षित होंगे।
    • बुद्धि में है इन्होंने यह प्रालब्ध कैसे पाई थी।
      • संगमयुग पर ही पाई क्योंकि संगम पर ही पुरानी दुनिया बदलने वाली है।
      • संगम पर ही बाप ने आकर राजयोग सिखाया था।
    • यह भी जानते हो बहुत जन्मों के अन्त के जन्म में बरोबर यह ब्रह्मा था।
    • ब्रह्मा द्वारा विष्णुपुरी की स्थापना होती है।
    • यह लक्ष्मी-नारायण ही अगले जन्म में बरोबर ब्रह्मा सरस्वती थे।
    • ब्रह्मा के साथ ब्राह्मण ब्राह्मणियां भी होंगे।
    • सतयुग में लक्ष्मी-नारायण की राजधानी थी ना।
    • जरूर प्रजापिता भी होगा।
    • तुम जानते हो हम पुरुषार्थ कर रहे हैं, जिन्होंने कल्प पहले पुरुषार्थ किया है वह हम साक्षी हो देखते हैं।
    • एक होता है राजाई घराना, दूसरा होता है प्रजा घराना।
    • उसमें भी कोई बहुत साहूकार होते हैं कोई कम।
    • राजाओं में भी कोई बहुत साहूकार, कोई कम साहूकार होते हैं।
    • तुम लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में किसको भी समझा सकते हो कि इन्होंने यह राज्य कैसे पाया।
    • अब फिर से वही अपना राज्य भाग्य ले रहे हैं, राजधानी स्थापन हो रही है।
    • कितना सहज है।
  • अम्बा कौन है - यह भी नहीं जानते।

    • तुम कहेंगे यह तो जगत अम्बा है।
    • कल्प पहले भी जगत-अम्बा जगतपिता थे।
    • उन्हों के बच्चे हम थे।
    • संगम पर बाबा राजयोग सिखा रहे हैं।
    • जगत अम्बा के बच्चे भी ढेर हैं।
    • परन्तु इतने सभी को तो बिठा नहीं सकते।
  • अभी तुमको ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है।
    • बाप ज्ञान का सागर है तो जरूर बच्चों को ज्ञान ही देंगे।
    • उनको न मनुष्य, न देवता कहा जाता है।
    • उनको परमात्मा ही कहा जाता है।
  • तुम कोई के भी मन्दिर में जाओ तो उनकी बायोग्राफी बता सकते हो।
    • राम के लिए भी तुम समझा सकते हो।
      • चन्द्रवंशी घराना अभी स्थापन हो रहा है।
  • ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मणों का भी धर्म स्थापन होता है।
    • ब्रह्मा का नाम कितना बाला है।
    • ब्रह्मा द्वारा बाप ब्राह्मणों को रचते हैं।
    • तुम ब्रह्माकुमार कुमारियां होने से जानते हो हम एक बाप के बच्चे आपस में भाई-बहिन हैं।
    • फिर हम क्रिमिनल एसाल्ट कर नहीं सकते।
    • भाई बहिन विकार में जा नहीं सकते।
    • बाप ने यह युक्ति रची है - ड्रामा अनुसार तुम भी ब्रह्माकुमार हम भी ब्रह्माकुमारी।
    • वास्तव में सारी दुनिया बी.के. है।
    • परन्तु जानते नहीं हैं।
    • हम शिवबाबा की मत से बेहद का वर्सा ले रहे हैं।
      • माया भी कम नहीं है।
        • चारों तरफ विघ्न डालती रहती है।
    • हम भाई बहिन हैं, एक बाप से वर्सा लेते हैं, यह भूल जाते हैं।
  • यह तो अच्छी रीति समझते हो, सतयुग में एक ही धर्म रहता है।
    • बाकी सब धर्म खत्म हो जाने हैं।
    • यह भी बच्चे जानते हैं, यह कोई नई बात नहीं है।
    • हर 5 हजार वर्ष बाद यह चक्र फिरता है।
    • तिथि तारीख भी लिखी हई है।
    • यह भी बुद्धि में रहना चाहिए - हम शिवबाबा से इस युक्ति से वर्सा लेते हैं।
    • लक्ष्य तो मिला हुआ है ना।
  • बाप को याद कर बाप से वर्सा लेना है।

    • याद अर्थात् योगबल से ही कट निकलेगी।
    • इसमें कोई गफलत न हो, इसलिए मुरलियां मिलती हैं।
    • निश्चयबुद्धि पक्का है तो भल कहाँ भी चला जाए।
    • समझो मुरली नहीं मिलती तो भी बुद्धि में तो है ना - हम बाबा का बन गया।
    • बाबा ने समझाया है, तुम्हारी आत्मा तमोप्रधान बनी है, अब तुम बाप को याद करो तो तमोप्रधान से सतोप्रधान बनेंगे।
    • यह महामन्त्र एक बाप ही बतलाते हैं और कोई बतला न सके।
    • बाप ही कहते हैं मीठे-मीठे बच्चे याद के बल से ही तुमको तमोप्रधान से सतोप्रधान बनना है।
    • यह अक्षर हैं परन्तु किसकी बुद्धि में नहीं आता।
  • अब तुम समझते हो बरोबर कल्प पहले भी बाबा ने यह अक्षर कहा था कि देह के सब धर्मो को छोड़ अपने को आत्मा समझो।

    • यह सब देह के धर्म हैं ना।
    • सबका बाप एक ही है।
    • सब आत्मायें उस एक बाप को पुकारती हैं।
      • पोप भी गॉड को याद करते हैं।
        • कहते हैं ओ गॉड फादर रहम करो।
        • इन मनुष्यों की क्रोधी बुद्धियों को पलटाओ तो यह आपस में लड़ें नहीं।
        • याद तो बाप को ही करेंगे ना।
        • और कोई को याद नहीं करते।
  • शिवबाबा को ही पुकारते हैं कि आकर पतितों को पावन बनाओ।
    • पावन बनेंगे फिर तो इस छी-छी रावण की दुनिया में रह नहीं सकेंगे फिर जरूर नई दुनिया चाहिए।
  • कलियुग से बदलकर सतयुग तो होगा ही ना।
    • परन्तु इतना भी नहीं समझते हैं।
    • एक डाक्टर आया था - कहता था कलियुग तो कलियुग ही चलेगा।
    • अरे सदैव कलियुग ही कैसे चलेगा।
    • कलियुग कोई अच्छा है क्या!
    • समझते थोड़ेही हैं सिर्फ भावना है औरों को ले आते हैं।
    • उनको तीर नहीं लगता और कोई आने वाले को तीर लग जाए तो भी कुछ न कुछ दलाली मिल जायेगी।
    • हम स्वर्ग में आ जायेंगे।
  • बाप से थोड़ा भी आकर सुनते हैं तो भी स्वर्ग में जरूर चले जायेंगे।
    • फिर भी हेविनली गॉड फादर के सामने आकर बैठे हैं।
    • बाप समझाते हैं - मैं सबका बाप हूँ ना।
  • कोई मानते नहीं कि शिवबाबा कैसे आयेगा।

    • अरे आत्मा आ सकती है तो मैं क्यों नहीं आऊंगा।
    • आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरे में जा सकती तो मैं नहीं आ सकता हूँ।
    • नहीं तो मैं कैसे आऊं।
    • पुकारते भी हैं हे पतित-पावन बाबा आकर पतित से पावन बनाओ।
    • बाप कहते हैं मैं आता ही भारत में हूँ।
    • कल्प-कल्प के संगम पर एक ही बार आता हूँ।
    • तुम जब 84 जन्म पूरे करते हो तो मैं आता हूँ।
    • तुम बच्चों को निश्चय है बाबा आया है फिर से वर्सा देने।
  • बाप कहते हैं मेरा धन्धा ही है - पुरानी दुनिया को बदल नई दुनिया स्थापन करना इसलिए गाया हुआ है नई दुनिया की स्थापना, पुरानी दुनिया का विनाश फिर तुम पालना करेंगे।
    • रोशनी मिली है ना।
    • काली का मन्दिर देखेंगे तो समझेंगे यह झूठा चित्र है।
  • काली बरोबर जगदम्बा है।
    • परन्तु ऐसे भयानक रूप नहीं है।
    • बंगाल में काली के आगे बलि चढ़ाते हैं, परन्तु जानते कुछ नहीं।
    • जगत अम्बा के मन्दिर में लाखों आते हैं।
    • सदैव जैसे मेला ही है।
    • छोटी सी मूर्ति रखी है ना।
    • नाम रख दिया है जगत अम्बा।
    • अब जगत अम्बा तो एक होनी चाहिए।
    • सिन्ध में काली का मन्दिर कैसा बनाया था।
    • एक बार किले में बम फटा तो एक फकीर ने कहा कि काली माता गुस्से हुई हैं, बस उसने जाकर वहाँ काली का मन्दिर बना दिया।
    • अब काली है कौन!
    • कुछ भी नहीं जानते।
    • तुमको अब नॉलेज मिली है, ऐसी कोई चीज़ नहीं जिसको तुम न जानो।
    • समझते हो बाबा से वर्सा ले रहे हैं तो पूरा पुरुषार्थ करना चाहिए ना।
  • पहले नम्बर का दु:ख तब शुरू होता है जब कुमार कुमारी शादी करते हैं।
    • तुम्हें तो शादी करने का कभी ख्याल भी नहीं आना चाहिए।
    • अब बाप कहते हैं यह रावण राज्य खत्म होना है।
    • यह है विकारी गृहस्थ व्यवहार।
    • देवी-देवताओं के लिए गाते रहते हैं।
    • यह किसको पता नहीं कि इन देवताओं को निर्विकारी बनाने वाला कौन है!
  • सतयुग है सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया।
    • शास्त्रों में फिर दिखा दिया है कि वहाँ भी विकार थे।
    • परन्तु वह तो है ही वाइसलेस वर्ल्ड, विकारी दुनिया और निर्विकारी दुनिया में कितना फर्क है।
    • यह बातें और किसकी बुद्धि में नहीं हैं।
    • तुम जानते हो इन लक्ष्मी-नारायण का जब राज्य था तो कितने थोड़े मनुष्य थे।
    • एक ही धर्म था फिर वृद्धि को पाया है।
      • चक्र भी पूरा लगाना पड़े, तब कहेंगे पूरी पृथ्वी पर चक्र लगाया।
      • समुद्र का तो चक्र लगा न सकें।
    • सतयुग में थोड़े हैं तो कितनी थोड़ी जमीन लेते हैं।
  • अब मनुष्य सृष्टि की हद पूरी होनी है।
    • ऊपर में थोड़ी आत्मायें जो हैं - वह भी आती रहती हैं।
    • मनुष्य बढ़ते ही रहते हैं।
    • जब वहाँ से भी आत्मायें आना पूरी हो जायेंगी, तुम कर्मातीत अवस्था को पायेंगे फिर आत्माओं को शरीर छोड़कर जाना है।
    • उनका आना तुम्हारा जाना होगा।
    • थोड़े-थोड़े आते रहते हैं।
    • समझ की बात है ना।
    • हम पहले-पहले जाकर वहाँ रहेंगे।
    • हमारे होते कोई रहना नहीं चाहिए।
    • यह विस्तार की बातें हैं।
  • बच्चों को फिर भी बाप कहते हैं - अच्छा अपने प्यारे बाबुल को याद करो।
    • तुमको फायदा है बाप को याद करने में।
  • यह हिस्ट्री-जॉग्राफी तो मनुष्य बहुत पढ़ते हैं।
    • बहुत दूर-दूर जाते हैं।
    • मून में भी जाते हैं।
    • यह है साइन्स का घमन्ड।
    • अति में जाते हैं।
    • मून में कुछ खड़ा थोड़ेही है।
    • तुम तो सूर्य चांद से भी पार हो जाते हो।
    • यह नॉलेज तुम्हारी बुद्धि में अभी है।
    • समझते हो ड्रामा प्लैन अनुसार बाबा यह सब बतलाते हैं।
  • बाप ही कहते हैं मैं तुमको पतित से पावन बनाता हूँ।
    • यह मेरा पार्ट है।
    • भक्ति मार्ग में भी यह हमारा पार्ट है।
    • है तो ड्रामा ना।
    • जैसे तुम पार्टधारी हो, मैं भी पार्टधारी हूँ।
    • मेरा काम है तुमको पतित से पावन बनाना।
    • जो कुछ करते हैं तो उनकी महिमा होती है ना।
  • इन लक्ष्मी-नारायण की कितनी महिमा है।
    • परन्तु उन्हों को ऐसा लायक किसने बनाया।
    • यह सुखधाम के मालिक थे।
  • अभी तो अनेक प्रकार के कितने दु:ख हैं।
    • आज कोई मरा, झगड़ा हुआ, भल किसके पास लाख करोड़ पदम हैं, परन्तु अगर कोई बीमारी आदि आ जाती है तो क्या करेंगे!
  • बिरला के पास कितने पैसे हैं!
    • एक जन्म में पैसा देखने में आता है, परन्तु ऐसा कोई नहीं है जिसको कोई दु:ख नहीं हो।
    • किसी न किसी प्रकार का दु:ख सभी को होता है।
    • अभी तो यह पैसे आदि सब मिट्टी में मिल जाने हैं।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) कर्मातीत अवस्था को प्राप्त कर वापस घर जाना है परन्तु जायेंगे तब जब आत्माओं का आना बन्द होगा, इस विस्तार को बुद्धि में रख एक बाबुल को प्यार से याद करना है।
  • 2) ज्ञान की रोशनी मिली है इसलिए निश्चयबुद्धि बन बाप से पूरा वर्सा लेना है।
  • कहाँ भी रहते याद के बल से आत्मा को तमोप्रधान से सतोप्रधान बनाने का पुरुषार्थ करना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • अपनी सम्पूर्णता के आधार पर समय को समीप लाने वाले मास्टर रचयिता भव
  • समय आपकी रचना है, आप मास्टर रचयिता हो।
  • रचयिता रचना के आधार पर नहीं होते।
  • रचयिता रचना को अधीन करते हैं इसलिए यह कभी नहीं सोचो कि समय आपेही सम्पूर्ण बना देगा।
  • आपको सम्पूर्ण बन समय को समीप लाना है।
  • वैसे कोई भी विघ्न आता है तो समय प्रमाण जायेगा जरूर लेकिन समय से पहले परिवर्तन शक्ति द्वारा उसे परिवर्तन कर दो - तो उसकी प्राप्ति आपको हो जायेगी।
  • समय के आधार पर परिवर्तन किया तो उसकी प्राप्ति आपको नहीं होगी।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • कर्म और योग का बैलेन्स रखने वाले ही सच्चे कर्मयोगी हैं।