26-07-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

''मीठे बच्चे - याद की यात्रा में कभी थकना नहीं, देह-अभिमान के तूफान थकाते हैं, देही-अभिमानी बनो तो थक दूर हो जायेगा''

प्रश्नः-

कौन सा संस्कार 21 जन्मों की श्रेष्ठ तकदीर को बिगाड़ने वाला है?

उत्तर:-

अगर किसी में रूठने का संस्कार है।

बाप से वा पढ़ाई से रूठ जाते हैं तो 21 जन्मों की तकदीर बिगड़ जाती है इसलिए बाबा कहते - मीठे बच्चे - देह-अभिमान के वश कभी भी यह उल्टा नशा नहीं चढ़ना चाहिए कि मैंने इतनों को समझाया, इतनी मदद की।

देखो, बाबा कितनी बड़ी अथॉरिटी फिर भी कितना निरहंकारी है इसलिए सी फादर।

गीत:- रात के राही थक मत जाना...


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों ने गीत सुना और जो योगयुक्त सर्विसएबुल बच्चे हैं, वह इसका अर्थ झट समझ लेते हैं।
    • हम रात के राही अर्थात् ब्राह्मणों की अब रात पूरी हुई है।
    • भक्ति मार्ग को रात कहा जाता है।
    • आधाकल्प रात का पूरा होता है।
    • हद का भी दिन और रात है।
    • यह फिर ब्राह्मणों का आधाकल्प दिन और आधाकल्प रात होती है।
    • इस समय जबकि बाप आते हैं तो अन्धियारा है।
    • प्रभात होने का पहला पूर है, सवेरा हो रहा है।
    • बच्चे जानते हैं अब बाप कहते हैं, मीठे-मीठे बच्चे याद की यात्रा में थक नहीं जाना।
    • जैसे जिस्मानी यात्रा होती है।
    • आगे पैदल जाते थे।
    • बहुत धीरे-धीरे, बीच-बीच में मंजिल बनी रहती है।
    • मालूम रहता है, हमको फलानी-फलानी मंजिल पर ठहरना है।
    • आगे बहुत श्रधा से पैदल जाते थे, उसमें बड़ी मेहनत है।
    • अब यह तो बहुत सहज है।
    • इसको कहा जाता है सहज याद वा योग।
    • सिर्फ बाप को याद करना है, थकने का मतलब ही है देह-अभिमानी बनना।
    • हाँ इसमें कोई शक्य नहीं, माया के विघ्न पड़ेंगे।
    • परन्तु इसमें थक नहीं जाना है।
    • थक जाने से देह-अभिमान आ जाता है।
  • बाप कहते हैं - बच्चे शरीर निर्वाह के लिए काम तो करना है, उसके लिए छुट्टी है।
    • 8 घण्टा शरीर निर्वाह, 8 घण्टा आराम, बाकी 8 घण्टा इसमें दो।
    • अभी तो पूरा 8 घण्टा कोई देते नहीं।
    • अन्त में 8 घण्टा तक रहेंगे।
    • चार्ट को बढ़ाते रहो।
  • यहाँ जब आकर बैठते हो तो याद दिलाई जाती है, जिसको तुम नेष्ठा कहते हो।
    • बाबा की याद में आकर बैठते हो।
    • इसका मतलब यह नहीं कि सिर्फ यहाँ आकर याद में बैठना है।
    • ऐसे बहुत हैं - समझते हैं 5-10 मिनट योग करके उठें।
    • परन्तु बाप तो कहते हैं धन्धाधोरी करते, कहाँ आते जाते हो तो भी तुम योग में रहो।
    • कहाँ गंगा स्नान आदि करने जाते हैं तो राम-राम जपते हैं ना।
    • यहाँ तुमको कुछ सिमरना नहीं है, सिर्फ बाप को याद करना है।
    • यह बाप बच्चों से ही बात कर रहे हैं।
    • तुम्हारा कल्याण ही है याद की यात्रा में, इसमें थकना नहीं है।
    • इसमें तूफान बहुत आयेंगे।
    • तूफान कोई मिट्टी आदि के नहीं।
    • माया के तूफान आने से बुद्धि का योग टूट जाता है।
    • फिर देह-अभिमान में आने से धन्धाधोरी बच्चे याद आ जाते हैं।
    • बाप कहते हैं - अब तो यह धन्धाधोरी आदि सब खलास हो जाने हैं।
  • तुम्हारे बच्चे वारिस बनने ही नहीं हैं।
    • सब खत्म हो जाने हैं।
    • अभी तो वारिस बेहद के बाप के खड़े हैं।
    • हद का वर्सा मुर्दाबाद होना है।
    • साहूकार लोग समझते हैं अब बच्चा बड़ा होगा, शादी करेगा फिर यह होगा।
    • बाप कहते हैं - अभी इतना टाइम नहीं है इसलिए दुनिया से बिल्कुल मोह हटा दो।
    • यह तो कब्रिस्तान है।
    • धन्धाधोरी बच्चों आदि के चिंतन में मरेंगे तो मुफ्त अपनी बरबादी कर देंगे।
  • शिवबाबा को याद करेंगे तो आबादी बहुत होगी।
    • देह-अभिमान में आने से बरबादी होती है।
    • देही-अभिमानी बनने में आबादी होती है।
    • जितना याद करेंगे उतना भविष्य 21 जन्म वर्सा पायेंगे।
    • याद नहीं करेंगे तो बहुत घाटा पड़ जायेगा।
    • वह फिर कल्प-कल्पान्तर के लिए हो जायेगा।
    • इतनी बड़ी घाटे की बात है।
    • ख्याल करना चाहिए - हम पूरा वर्सा कैसे पायें।
  • धन की भी बहुत लालच नहीं रखनी चाहिए।
    • टू मच में नहीं जाना चाहिए।
    • कोई देवाला मारते हैं तो बहुत फिकरात हो जाती है।
    • शिवबाबा को बिल्कुल भूल जाते हैं।
    • फिर दोष रखते कि ज्ञान में आये हैं तब देवाला मारा है।
    • बीमार हो पड़े हैं।
    • यह कभी नहीं समझना चाहिए।
    • बीमारी आदि होती है, यह तो कर्मभोग है।
    • अच्छा है विकर्म विनाश हो जायेंगे।
    • धर्मराज़ के डन्डे खाने से तो बीमारी अच्छी है ना।
    • कर्मभोग चुक्तू करना है।
    • यह तो महारोगी शरीर है।
    • कितनी सम्भाल की जाती है।
    • चलते-चलते खड़े हो जाते हैं।
    • हार्टफेल हो जाते हैं।
  • ऐसी पुरानी दुनिया को तो बुद्धि से एकदम भूल जाना चाहिए।
    • बच्चे देखते हैं बाप नया घर बना रहे हैं तो पुराने से एकदम दिल हट जाती है।
    • कहते हैं बाबा जल्दी से मकान बनाओ।
    • पुराने मकान में तकलीफ बहुत है।
    • तुम भी जानते हो - यह पुरानी दुनिया तो बहुत गन्दी है।
  • तुम्हारा यह है बेहद का संन्यास।
    • वह संन्यास करते हैं घरबार का।
    • उसको हद का संन्यास कहा जाता है।
    • तुम संन्यास करते हो - विकारों का।
    • बाप कहते हैं - देह सहित देह के जो भी तुम्हारे सम्बन्ध हैं, सबको तोड़ मामेकम् याद करो।
    • यह दुनिया जो इन आंखों से देखते हो, इनको भूल जाओ।
    • अभी तुम्हारी बुद्धि जानती है, हम स्वर्ग की राजधानी के लिए पुरुषार्थ कर रहे हैं।
    • ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है।
    • यह सब कब्रिस्तान हो जाना है, इससे प्यार नहीं रखना है।
  • आजकल मनुष्यों के पास पैसे बहुत हैं तो विकार भी तेज हो गये हैं।
    • काम विकार कितना तेज है।
    • काम बिगर रह नहीं सकते।
    • 4-5 वर्ष पवित्र रह फिर लिखते हैं बाबा आज इनको भूत लगा, काला मुँह कर दिया।
    • कितना धक्का खाया।
    • एकदम 5 मार (मंजिल) से गिरे।
    • पहले-पहले है देह-अभिमान।
    • ऊपर से गिरा ठक पुर्जा-पुर्जा हो गया।
    • खलास, हडगुड बिल्कुल ही टूट जाते हैं।
    • फिर पुरुषार्थ करने में टाइम लगता है।
    • यह है सबसे बड़ी चोट इसलिए बाबा कहते हैं काम महाशत्रु है।
    • विकार को ही पतितपना कहा जाता है।
    • कहते हैं बाबा हमको पतित से पावन बनाओ।
  • भारत में ही सम्पूर्ण निर्विकारी थे ना।
    • भारत ही निर्विकारी था।
    • अब भारत विकारी है।
    • सम्पूर्ण निर्विकारी, सूर्यवंशी को कहेंगे।
    • भल रामचन्द्र के राज्य में भी विकार की बात नहीं रहती।
    • परन्तु कला तो कम हो जाती है।
    • 1250 वर्ष कम हो गये तो वह दुनिया की ताकत तो कम हुई ना इसलिए उनको सतोप्रधान फिर सतो कहा जाता है।
    • तुम चाहते हो हम मम्मा बाबा को फालो कर सूर्यवंशी महाराजा महारानी बनें, इसमें तकलीफ वा खर्चे आदि की तो बात ही नहीं है, इसमें मुख से कुछ बोलना भी नहीं है।
  • सिर्फ याद करना है, इसको ही सहज योग कहा जाता है, इसमें बड़ी मेहनत चाहिए।
    • बाबा के आगे तो सब महारथी हैं।
    • इसमें योग पूरा चाहिए तब कुछ तीर लगे।
    • योगबल है ना।
    • योग की बहुत कमी है।
    • विघ्न भी योग में बहुत पड़ते हैं।
    • बेहद का बाप मीठे-मीठे बच्चों को बैठ समझाते हैं।
  • बाप से वा पढ़ाई से कभी रूठना नहीं है।
    • रूठेंगे तो 21 जन्म तकदीर से रूठेंगे।
    • बड़े अच्छे-अच्छे बच्चे भी रूठ पड़ते हैं।
    • नशा चढ़ जाता है देह-अभिमान का।
  • मैंने इतनों को समझाया है।
    • देह-अहंकार आने से ही फिर गिर पड़ते हैं।
    • इसमें अहंकार नहीं आना चाहिए।
    • शिवबाबा को कोई अहंकार है?
  • कितना निरंहकारी है, और है कितनी बड़ी अथॉरिटी।
    • कहते भी हैं मैं साधारण तन में, साधारण घर में आता हूँ।
    • साहूकार के घर में थोड़ेही आता हूँ।
    • तो अब बच्चों को जागना है।
    • बाबा युक्तियां तो बड़ी अच्छी बतलाते रहते हैं।
    • तुम बच्चों की ही देरी है।
    • ड्रामा अनुसार अजुन अवस्थायें जोर नहीं भरी हैं।
    • आगे चल जोर भरेंगी।
  • हम गवर्मेन्ट को इतला करते हैं कि इतने-इतने वर्षो में स्वर्ग की स्थापना हो जायेगी।
    • यह अखबार आदि में मनुष्य पढ़ेंगे तो आकर तुमसे पूछेंगे।
    • थोड़े वर्ष के अन्दर स्थापना होगी तो विनाश भी जरूर होगा।
    • ढेर आयेंगे।
  • यह प्रापर्टी आदि थोड़े समय के लिए है।
    • इस प्रापर्टी को तुम कोई प्रापर्टी थोड़ेही समझते हो।
    • तुम जानते हो यह तो थोड़े रोज़ के लिए है।
  • यह मकान आदि रहने के लिए बनाये हैं क्योंकि मधुबन में बहुत बच्चे आते हैं रिफ्रेश होने के लिए।
    • हेड आफिस मधुबन है।
  • आज तुम क्या करते हो, कल क्या करेंगे।
    • यहाँ तपस्या करते हो फिर देहली वृन्दावन आदि में जाकर राज्य करेंगे।
    • हमारा यादगार कैसे खड़ा है, यह अच्छी रीति दिखाना है।
    • जो काम हम अभी कर रहे हैं - 5 हजार वर्ष पहले भी किया था।
  • पहले-पहले शिवबाबा के मन्दिर बनाते हैं।
    • बाकी देलवाड़ा मन्दिर आदि तो बाद में बने हैं।
    • बुद्धि से काम लेना होता है।
    • देलवाड़ा मन्दिर का भी हिसाब निकाला जाए तो निकल सकता है।
    • पूरा हमारा यादगार है।
    • तुम जानते हो यह स्थापना का यादगार है।
    • तुम मीठे-मीठे बच्चों को बहुत खुशी होनी चाहिए।
    • यह सब सर्विस बढ़ाने की युक्तियां निकालनी है।
  • राम गयो रावण गयो... जिनका बहु परिवार है।
    • रावण का देखो कितना बड़ा परिवार है।
    • राम का कितना छोटा परिवार है, गायन राइट है।
    • परन्तु कोई समझ नहीं सकते हैं।
    • बाप बैठ समझाते हैं तो भी निश्चय नहीं बैठता है।
  • शरीर निर्वाह अर्थ भी कर्म तुमको जरूर करना है।
    • हाँ जो सर्विसएबुल बच्चे हैं-पाण्डव, वह तो गवर्मेन्ट से पालना ले सकते हैं।
    • उनकी सारी सम्भाल हमको करनी पड़े।
  • अवस्था बच्चों की ऐसी होनी चाहिए, बाबा की याद में इस दुनिया का सब कुछ भुलाना है।
    • याद की यात्रा में जो पक्का मस्त रहेगा उनकी अवस्था भी बहुत मजबूत होगी।
    • जैसेकि शिवबाबा की याद में रह तुम शरीर छोड़ते हो।
  • संन्यासी ब्रह्म की याद में शरीर छोड़ते हैं तो भी वायुमण्डल में बिल्कुल सन्नाटा हो जाता है।
    • बाबा को अनुभव है।
    • मनुष्य मरते हैं तो घर में सन्नाटा हो जाता है ना, इसमें भी ऐसे होता है।
    • पिछाड़ी में जैसेकि सब कुछ भूल जाते हैं।
    • अब हमको वापिस घर जाना है।
    • देह-अभिमान छूटता जाता है।
    • पिछाड़ी में शरीर खुशी से छोड़ना चाहिए, हर्षितमुख।
    • बस।
    • हम कहाँ जा रहे हैं, ऐसी अवस्था जब होगी तब विजय माला में पिरोने लायक बनेंगे।
  • तुम्हारे में शान्ति की करेन्ट है।
    • कोई भी आते हैं तो कहते हैं - यहाँ शान्ति बहुत है।
    • यह है रीयल शान्ति।
    • आत्मा शरीर से डिटैच हो जाती है।
    • तुम जानते हो - हम आत्मा शान्त स्वरूप हैं।
    • हम अपने स्वधर्म में बैठ जाते हैं।
    • कर्म के बिना तो कोई मनुष्य रह नहीं सकते।
    • वो लोग हठयोग से क्या-क्या नहीं करते हैं।
    • तुम अब समझते हो हमारा स्वधर्म ही शान्ति है।
    • यहाँ हम आये हैं पार्ट बजाने।
    • अब वापिस घर जाना है।
  • बाप कहते हैं - मुझे याद करो और घर को भी याद करो।
    • बाप को याद करने से वर्सा मिलेगा।
    • बाप कहते हैं - मुझे भी घर में याद करो।
    • यहाँ तो मैं टैप्रेरी आता हूँ।
    • तुम्हारी बुद्धि शान्तिधाम में टिकनी चाहिए - बाबा की याद में।
    • घर का भी वर्सा लेना है ना।
    • वह है आत्माओं का घर।
    • यह है जीव-आत्माओं का घर।
    • अपने घर को भी नहीं भूलो।
    • बाप को भी नहीं भूलो।
    • बाप को याद करने से ही पवित्र बन घर चले जायेंगे।
    • ज्ञान को धारण करने से फिर राजाई करने आयेंगे नई दुनिया में।
    • जितना हो सके औरों को रास्ता बताते जाओ।
  • आलवेज सी फादर।
    • तुम जानते हो बाप ने क्या किया!
    • सब कुछ माताओं को दे दिया।
    • उसने ही डायरेक्शन दिया कि सब कुछ माताओं की सर्विस में लगाओ।
    • एक को देख दूसरों ने फालो किया।
    • स्वाहा हो गये।
    • परन्तु फिर जब टिक भी सकें ना।
    • ड्रामा-अनुसार भट्ठी भी बननी थी।
    • पाकिस्तान - हिन्दुस्तान हुआ।
    • तुम्हारी भट्ठी पहले शुरू ही हुई पाकिस्तान में।
    • तुमने नदी को क्रास किया - शास्त्रों में तो क्या-क्या बातें लिख दी हैं।
    • प्रैक्टिकल में तो अब तुम सुनते हो ना।
    • फिर कल्प बाद तुम ही सुनेंगे।
    • अब बाप कहते हैं - हियर नो ईविल, धन्धा आदि भल करो, परन्तु हियर नो ईविल।
  • बाप कहते हैं - हर बात में श्रीमत लो।
    • बाबा इस हालत में हम क्या करें तो बाबा सब बता देंगे।
    • कोई भी बात पूछनी हो तो तुम बाबा के पास आओ।
    • तुम डरते क्यों हो।
    • कदम-कदम पर पूछना है।
    • श्रीमत पर चलने से कदम-कदम में पदम हैं।
    • तुम्हारा सेकेण्ड बाई सेकेण्ड जो पास होता है उसमें पदम हैं।
    • तो कितनी कमाई हो रही है।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) विजय माला में पिरोने के लिए इस शरीर से डिटैच होने का पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है।
    • देह-अभिमान को छोड़ते जाना है।
    • इस दुनिया को बुद्धि से भूलना है।
  • 2) टू मच धन की लालच में नहीं जाना है।
    • बाप की याद के सिवाए दूसरा कोई चिंतन न रहे।
    • कभी भी बाप से वा पढ़ाई से रूठना नहीं है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • परिवर्तन शक्ति द्वारा सर्व की शुक्रिया के पात्र बनने वाले विघ्न जीत भव
  • यदि आपका कोई अपकार करे तो आप एक सेकण्ड में अपकार को उपकार में परिवर्तित कर दो, कोई अपने संस्कार-स्वभाव के रूप में परीक्षा बनकर सामने आये तो आप एक की स्मृति से ऐसी आत्मा के प्रति भी रहमदिल के श्रेष्ठ संस्कार-स्वभाव धारण कर लो, कोई देहधारी दृष्टि से सामने आये तो उनकी दृष्टि को आत्मिक दृष्टि में परिवर्तित कर लो, ऐसे परिवर्तन करने की युक्ति आ जाए तो विघ्न जीत बन जायेंगे। फिर सम्पर्क में आने वाली सर्व आत्मायें आपका शुक्रिया मानेंगी।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • अनुभवों का स्वरूप बन जाओ तो चेहरे से खुशनसीबी की झलक दिखाई देगी।