23-07-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - तुम्हें अपना चिंतन करना है, दूसरे का नहीं क्योंकि ड्रामा अनुसार जो करेगा वह पायेगा''

प्रश्नः-

त्रिकालदर्शी बनने से आत्मा को कौन सी स्मृति आई है?

उत्तर:-

आत्मा को स्मृति आई - हम असुल मूलवतन के निवासी इस ड्रामा में पार्ट बजाने आये हैं, हमने मुख्य एक्टर बन 84 जन्मों का पार्ट बजाया।

अभी बाप के सम्मुख हैं फिर साथ में घर जायेंगे।

पावन बनकर घर जाना है फिर सुखधाम में आना है।

यह सारा खेल भारत पर ही बना हुआ है।

यह सारी स्मृति त्रिकालदर्शी बनने से आ गई।

गीत:- मरना तेरी गली में...


  • ओम् शान्ति।
  • यह गीत किसने गाया?
      • बच्चों ने।
      • क्या कहते हैं बच्चे!
      • बाबा अभी तो आपके गले का ही हार बनना है।
      • यह शरीर तो यहाँ ही छोड़ देना है।
  • बच्चे जानते हैं शान्तिधाम वा निर्वाणधाम में बाप और हम बच्चे आत्मायें रहते हैं।

      • अब बाप घड़ी-घड़ी कहते हैं अपने को आत्मा निश्चय करो।
      • तुम जानते हो हम आत्मायें बाप के साथ निर्वाणधाम में रहने वाले थे, फिर यह शरीर धारण कर 84 जन्मों का चक्र लगाया है।
      • बच्चे जानते हैं हम बरोबर परमधाम के निवासी हैं।
      • अब फिर बाबा आये हैं।
  • तुम बैठे हो, देखते हो बाबा सामने बैठे हैं।
      • यहाँ हैं लौकिक शरीर के सम्बन्ध।
      • हम असुल आत्मायें थी फिर लौकिक सम्बन्ध में सुख का और दु:ख का जीवन बिताया।
    • अभी तुम आत्मायें त्रिकालदर्शी बनी हो।
      • बाप भी तीनों कालों, तीनों लोकों को जानने वाला है।
      • तुम भी जानते हो नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार।
      • पढ़ाई की याद तो रहनी चाहिए ना।
      • अभी स्मृति आई है।
      • बाबा ने समझाया है - तुम मूलवतन में रहने वाले हो अभी तुम बापदादा द्वारा त्रिकालदर्शी बने हो।
        • तुम जानते हो - इस ड्रामा के हम मुख्य एक्टर्स हैं।
          • सारे ड्रामा का नॉलेज तुम्हारी बुद्धि में अब है।
          • स्मृति आई है - हम आधाकल्प सुखधाम में रहते हैं।
          • वहाँ रावण होता नहीं।
          • हम आत्मायें पूरे 84 जन्मों का चक्र लगाती हैं।
          • अभी बाप सम्मुख बैठे हैं।
          • आपकी श्रीमत पर चल हम आपके साथ चलेंगे।
          • जितना हो सके आपको याद करेंगे।
          • तुम बच्चों को सारा दिन यही ख्याल में रहना चाहिए, जबकि त्रिकालदर्शी बने हो।
        • ऊंच ते ऊंच है भगवान।
          • उनके साथ तुम बच्चे भी ऊंच ते ऊंच रहने वाले हो।
          • अभी तुम बच्चों को घर की याद आई है।
          • हम पवित्र बन अपने परमधाम घर जायेंगे।
          • बाप शिव की पूजा होती है तो सालिग्रामों की भी पूजा होती है।
        • बाप ही आकर आत्माओं को पावन बनाते हैं।
          • आत्माओं को पवित्र बनाने वाला एक ही बाप है और कोई बना न सके।
        • अभी तुम सारे ड्रामा के खेल को जान चुके हो।
          • समझते हो भारत पर ही खेल बना हुआ है।
          • तो अब तुम बच्चों को बाप सम्मुख बैठ समझाते हैं।
        • हर एक जीव की आत्मा जानती है बाबा ज्ञान का सागर है।
          • उसको भक्तिमार्ग में बुलाते आये हैं और प्रतिज्ञा करते आये हैं।
          • बाबा आप आयेंगे तो जरूर हम आपकी मत पर चलेंगे।
          • यह कोई लौकिक सम्बन्ध की बात नहीं।
        • तुमको देही-अभिमानी बन यह ख्याल रखना है कि हमको एक बेहद के बाप की श्रीमत पर चलना है।
          • उनका ही मानना है।
          • वह तो बहुत सहज समझाते हैं।
          • तुम्हारा अब तीसरा नेत्र ज्ञान का खुल गया है।
          • यह ज्ञान तुमको यहाँ है।
          • मूलवतन में बाप और बच्चे रहते हैं।
          • वहाँ यह किसको पता नहीं रहता।
        • अभी तुम बच्चों को बाप अपना अन्त देते हैं।
          • वही ज्ञान का सागर है और कोई सतसंगों में ऐसे नहीं कहेंगे कि बाबा हम आत्माओं को पढ़ाते हैं।
          • यह तुम जानते हो।
        • घड़ी-घड़ी तुमको कहना पड़ता है, देही-अभिमानी बनो।
          • आत्मा इस ड्रामा में एक्टर है, पार्ट बजाती है।
          • हम आत्मा ने चोला लिया है।
          • वह एक्टर्स कपड़े बदलते हैं।
          • तुम आत्मायें निराकारी दुनिया से यहाँ आकर यह शरीर रूपी चोला लेती हो।
          • वह सिर्फ अपने कपड़े बदलते हैं।
          • हम आत्माओं को बाबा फिर से आकर राजयोग सिखला रहे हैं।
          • अब तुम बच्चे समझते हो - बाबा आया हुआ है तो जरूर हम बाबा के मददगार बनेंगे।
          • पवित्र बन और सारे भारत को पवित्र बनायेंगे।
          • हमको श्रीमत पर ही चलना है।
          • श्रीमत कहती है - बाप को याद करना है।
          • जो करेंगे वह पायेंगे।
          • सब तो नहीं आकर पुरुषार्थ करेंगे।
          • जिन्होंने कल्प पहले पुरुषार्थ किया है, वही करेंगे।
          • अभी वापिस जाना है इसलिए पुरुषार्थ कर पवित्र जरूर बनना है।
          • हम ऊपर मूलवतन में रहने वाले हैं।
          • पहले-पहले हम स्वर्ग में आये थे फिर सीढ़ी नीचे उतरते आये।
        • बाप समझाते भी भारतवासियों को हैं।
          • भारत में ही आते हैं।
          • याद भी भारत में करते हैं कि आकर हमें पावन बनाओ।
          • शरीर धारण कर हमको श्रेष्ठ कर्म सिखलाओ।
          • शरीर का नाम भी गाया हुआ है।
          • यह भाग्यशाली रथ है।
          • बाप भी कहते हैं मैं साधारण तन में प्रवेश करता हूँ।
          • आगे भी कहा था - तुम बच्चों को स्मृति आई है बरोबर 5 हजार वर्ष पहले भी बाबा ने यही कहा था और कोई भी यह बात बता नहीं सकते हैं।
          • बाप ही कहते हैं 5 हजार वर्ष पहले भी मैंने इस शरीर में आकर तुमको समझाया था।
        • अब फिर तुम बच्चों को कहता हूँ - आत्म-अभिमानी बनो।

          • जैसे नाटक वालों को मालूम रहता है ना - हम कौन सा वस्त्र पहनकर, क्या-क्या पार्ट बजाते हैं।
          • परन्तु वह तो हैं देह-अभिमानी।
          • यह है बेहद की बात।
          • देही-अभिमानी बनना है।
          • हम असुल आत्मा ही हैं।
          • अभी हमारा पार्ट पूरा होता है।
          • बाप सम्मुख बैठ सब कुछ तुमको समझाते है, यह भूल नहीं जाना है।
          • माया कितने विघ्न डालती है।
          • बाप समझाते हैं- बच्चे तुमको कोई भी विकर्म नहीं करना है।
          • मन्सा तूफान भल बहुत आयेंगे।
          • अपनी परीक्षा लेनी है।
          • हमारी कर्मेन्द्रियां चलायमान तो नहीं होती हैं?
          • हम काम को जीत सकते हैं?
          • तुम्हारे लिए तो बहुत सहज है।
          • हम आत्मा हैं, एक बाप के बच्चे हैं।
          • बाप से ही योग लगाना है।
          • कर्मेन्द्रियों में चलायमानी होना यह भी देह-अभिमान हुआ ना।
          • तुमको कोई से भी डरना नहीं है।
          • निर्भय बनना है।
          • कभी भी कहाँ जाओ तो साक्षी हो देखना है।
          • हम तो आत्मा हैं।
          • इस खेल को तुम पूरा जान गये हो।
          • ऊंच ते ऊंच बाप है, यह बुद्धि में आया है, उनको बिन्दी कहा जाता है।
          • निराकारी दुनिया में आत्माओं का झाड़ है।
          • बीज से झाड़ निकलता है फिर नम्बरवार पत्ते आते हैं, यह भी ऐसे है।
          • ऊपर से नम्बरवार आत्मायें आती हैं।
          • आत्मा प्रवेश कैसे करती है, निकलती कैसे है, यह कोई देख न सके।
          • अब बाप समझाते हैं तुम्हारी आत्मा पतित हो गई है, उनको पावन बनाओ।
          • इन द्वारा बाप बैठ समझाते हैं।
          • बात तो कर्मेन्द्रियों से करते हैं ना।
          • आत्मा बिन्दी इसमें नहीं होती तो कर्मेन्द्रियां कुछ कर नहीं सकती।
        • इतनी छोटी बिन्दी कितनी पावरफुल है, उनमें सारी नॉलेज है।

          • बाप ज्ञान का सागर है जो तुमको बैठ समझाते हैं।
          • उनमें सारा ज्ञान है।
          • यह भी उनका पार्ट नूँधा हुआ है।
          • तुम्हारी आत्मा में भी 84 जन्मों का पार्ट है।
        • तुम दु:ख-सुख का पार्ट बजाते हो।
          • दु:ख में बहुत तकलीफ लेते हो।
          • बाप कहते हैं - मैं तो पुनर्जन्म में आता नहीं हूँ, तुम 84 जन्म लेते हो।
          • मैं तो नहीं लेता हूँ।
        • मैं आकर तुम बच्चों को सहज युक्ति बताता हूँ कि मुझे याद करो तो पावन बनेंगे।
          • आधाकल्प तुम काम चिता पर बैठ तमोप्रधान बने हो।
          • आत्माओं से ही बाप बात करते हैं।
          • आत्मा के आरगन्स पहले छोटे होते फिर बड़े होते हैं।
          • आत्मा तो छोटी बड़ी होती नहीं।
          • आत्मा ही कहती है हे पतित-पावन आओ।
          • आत्मा बाप को पुकारती है।
          • बाप कहते हैं - मैं कल्प-कल्प आता हूँ, तुम पतितों को पावन बनाने।
        • अभी तुम जानते हो आत्मा कैसे आती जाती है।
          • मनुष्य बहुत माथा मारते हैं।
          • देखें आत्मा कैसे निकलती है, परन्तु किसको पता नहीं पड़ता क्योंकि यह है अति सूक्ष्म।
          • छोटी सी आत्मा में कितना पार्ट है।
          • जैसे बीज में सारा ज्ञान है, वह तो बीज है जड़।
        • बड़ का झाड़ होता है उसका बीज कितना छोटा, उनसे झाड़ कितना बड़ा लम्बा निकलता है।
          • कलकत्ते वाला बड़ का झाड़ कईयों ने देखा होगा।
          • बहुत बड़ा झाड़ है।
          • अब उनका फाउन्डेशन सारा सड़ गया है।
          • बाकी झाड़ खड़ा है।
          • यह भी ऐसे है।
          • देवता धर्म का फाउन्डेशन है नहीं।
          • झाड़ की भी अब जड़जड़ीभूत अवस्था है।
        • यह भी तुम जानते हो तब तो गवर्मेन्ट को भी कहते हो कि हम इतने समय में दुनिया को पावन बनाकर दिखायेंगे।
          • मनुष्य इन बातों को समझते नहीं।
          • तुमको तो निश्चय है कि हम इस भारत को श्रेष्ठाचारी जरूर बनायेंगे, तब तो भ्रष्टाचारी दुनिया का विनाश होगा।
          • यह जो चाहते हैं शान्ति हो जाए।
        • आत्मा पार्ट बजाते-बजाते थक गई है इसलिए पुकारती है - हे शान्ति देवा।
          • यह थोड़ेही समझते हैं आत्मा शान्त स्वरूप है।
          • परन्तु यहाँ आत्मा को कर्मेन्द्रियों द्वारा कर्म तो जरूर करना ही है।
          • शान्ति दो कहते हैं।
        • यह किसको पता नहीं है कि शान्तिधाम अलग है, सुखधाम अलग है।
          • सुखधाम में बहुत थोड़े मनुष्य होते हैं।
          • वह है ही पवित्र दुनिया।
          • वहाँ शान्ति तो कोई मांगते नहीं।
          • कर्म तो वहाँ भी करते हैं, परन्तु वहाँ अशान्ति नहीं होती।
          • जीवनमुक्ति धाम अथवा शान्तिधाम दोनों अलग हैं।
          • सतयुग में जीव आत्माओं को सुख भी है तो शान्ति भी है।
          • एवरहेल्दी वेल्दी रहते हैं।
          • अभी तुम जानते हो स्वर्ग किसको कहते हैं।
          • दुनिया में यह भी किसको पता नहीं है कि स्वर्ग क्या है।
        • यह (लक्ष्मी-नारायण) बच्चे हैं ना।
          • इन बच्चों को भी सुख किसने दिया?
          • कोई तो सुख देने वाला है ना।
          • क्या इन्हों का फिर राज्य आने वाला है?
          • स्वर्ग जरूर फिर रिपीट होगा।
        • स्वर्ग में जब होंगे तो वहाँ ऐसे नहीं कहेंगे कि नर्क फिर से रिपीट करेंगे।
          • अभी कहते हो पवित्रता सुख-शान्ति की नई दुनिया फिर से रिपीट होगी।
          • यह तो पुरानी दुनिया दु:खधाम है, इनको आइरन एज कहा जाता है।
          • नई दुनिया भी तो थी ना!
          • उनको स्वर्ग कहते हैं।
          • यह ज्ञान तुम्हारी बुद्धि में ठहरा हुआ है।
        • बरोबर हम फिर से देवी-देवता बन रहे हैं।
          • तुम्हारी एम आबजेक्ट ही यह है।
          • हम फिर से स्वर्ग की बादशाही लेते हैं।
          • बेहद के बाप से वर्सा जरूर पायेंगे।
          • यह अच्छी रीति याद करना है।
          • हम आत्मायें वहाँ रहती हैं, फिर हम यहाँ आये हैं पार्ट बजाने।
          • अब स्मृति मिली है - 84 जन्म कैसे लेते हैं।
        • बाप समझाते भी तुम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मणों को हैं।
          • ब्राह्मण बनने बिगर, प्रजापिता ब्रह्मा का बच्चा बनने बिगर शिवबाबा से वर्सा कैसे लेंगे।
          • प्रजापिता ब्रह्मा तो मशहूर है ना।
          • ब्रह्मा द्वारा नई दुनिया की स्थापना करते हैं।
          • तो नई दुनिया का राज्य भी जरूर उन्हों को मिला होगा।
          • 5 हजार वर्ष पहले भी ब्रह्मा द्वारा विष्णुपुरी की स्थापना की थी।
          • अब फिर रिपीट होगा।
          • उसके लिए तुम तैयारी कर रहे हो।
        • कई बच्चे पूछते हैं - ड्रामा को बड़ा माने वा पुरुषार्थ को बड़ा मानें?
          • समझाया जाता है पुरुषार्थ तो जरूर करना ही है।
          • पुरुषार्थ बिगर प्रालब्ध कैसे मिलेगी।
          • पूरा पुरुषार्थ करना है।
          • कोई अच्छी रीति पुरुषार्थ करते हैं तो समझाया जाता है ड्रामा अनुसार इनका पुरुषार्थ अच्छा चलता है।
          • पद भी अच्छा पायेंगे।
          • उनका पुरुषार्थ बहुत तीव्र चलता है।
          • फिर चलते-चलते कोई का कम पद भी हो जाता है।
          • ब्राह्मणियां जानती हैं, ब्राह्मणियों के पास आने वाले भी जानते हैं।
          • फलाना बहुत अच्छा चलता था।
          • आजकल आते नहीं हैं।
          • कहते हैं हमारी बुद्धि में पता नहीं क्यों नहीं बैठता है, बाबा को हम याद ही नहीं कर सकते हैं।
          • बस हम नहीं चल सकेंगे।
          • बड़ी मंजिल है।
          • ऐसे-ऐसे लिख देते हैं।
        • मूल बात है ही निर्विकारी बनना।
          • विकारों को छोड़ना बड़ा मुश्किल है, तुम जानते हो ड्रामा अनुसार कल्प पहले मिसल इनकी ऐसी अवस्था चली आ रही है।
        • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
        • धारणा के लिए मुख्य सार:-
        • 1) इस बेहद के खेल को साक्षी हो देखना है।
        • कोई से भी डरना नहीं है।
          • निर्भय बनने के लिए “मैं आत्मा हूँ'' यह पाठ पक्का करना है।
        • 2) अपनी जांच करके स्वयं की परीक्षा लेनी है कि कोई भी कर्मेन्द्रिय चलायमान तो नहीं होती है?
          • काम विकार पर विजय पाई है?
          • देही-अभिमानी कहाँ तक बने हैं?
        • वरदान:-
        • ( All Blessings of 2021)
        • कम्बाइन्ड स्वरूप की स्मृति और पोजीशन के नशे द्वारा कल्प-कल्प के अधिकारी भव
        • “मैं और मेरा बाबा'' - इस स्मृति में कम्बाइन्ड रहो तथा यह श्रेष्ठ पोजीशन सदा स्मृति में रहे कि हम आज ब्राह्मण हैं कल देवता बनेंगे।
        • हम सो, सो हम का मन्त्र सदा याद रहे तो इस नशे और खुशी में पुरानी दुनिया सहज भूल जायेगी।
        • सदा यही खुमारी रहेगी कि हम ही कल्प-कल्प की अधिकारी आत्मा हैं।
        • हम ही थे, हम ही हैं और हम ही कल्प-कल्प होंगे।
        • स्लोगन:-
        • (All Slogans of 2021)
        • स्वयं का स्वयं ही टीचर बनो तो सर्व कमजोरियां स्वत: समाप्त हो जायेंगी।