21-07-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति
"बापदादा" मधुबन


"मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम बच्चों की अविनाशी ज्ञान रत्नों से झोली भरने, यह एक-एक ज्ञान रत्न लाखों रूपयों का है''

प्रश्नः-

गुप्त दान का इतना अधिक महत्व क्यों है?

उत्तर:-

क्योंकि बाप तुम्हें अभी गुप्त ज्ञान रत्नों का दान देते हैं, इसे दुनिया नहीं जानती, फिर तुम बच्चे इन ज्ञान रत्नों का दान करने से विश्व की राजाई ले लेते हो।

यह भी गुप्त है न कोई लड़ाई, न कोई बारूद आदि, न कोई खर्चा।

गुप्त रीति से बाप ने तुम्हें राजाई दान में दी, इसलिए गुप्त दान का बहुत महत्व है।


  • ओम् शान्ति। डबल ओम् शान्ति।
    • एक शिवबाबा कहते हैं, एक ब्रह्मा दादा कहते हैं।
    • दोनों का स्वधर्म है शान्त।
    • दोनों ही शान्तिधाम में रहने वाले हैं।
    • तुम बच्चे भी शान्तिधाम में रहने वाले हो।
  • निराकार देश में रहने वाले आये हो साकारी देश में पार्ट बजाने क्योंकि यह ड्रामा है ना।
    • बच्चों को ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान बुद्धि में भरा हुआ है - ऊपर से लेकर नीचे तक।
    • ऊंच ते ऊंच भगवान, उनके साथ बच्चे।
    • इन बातों को अच्छी रीति समझो।
    • तुम्हारे सिवाए यह ज्ञान कोई में है नहीं।
    • तुम पढ़ते हो - खुदाई स्कूल में।
  • भगवानुवाच, भगवान तो एक ही है।
    • कोई 10-20 भगवान नहीं हैं।
    • जो भी सब धर्म वाले हैं, उनकी जो भी आत्मायें हैं, सबका एक ही बाप है।
    • फिर बाप सृष्टि रचते हैं तो कहा जाता है प्रजापिता ब्रह्मा।
    • शिव को प्रजापिता नहीं कहेंगे।
    • प्रजा तो जन्म-मरण में आती है।
    • आत्मा संस्कार के आधार से जन्म-मरण में आती है।
    • फिर चाहिए प्रजापिता ब्रह्मा।
  • गाया हुआ है - परमपिता परमात्मा प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा रचना रचते हैं।
    • उनको बुलाया ही जाता है - पतित-पावन आओ।
    • जब दुनिया पतित बनती है और उनका अन्त होता है तब ही बाप आते हैं पतित से पावन बनाने।
    • अब तुम जान गये हो - बाप आते भी एक बार हैं और कब आते ही नहीं।
    • अभी तुमको सारी नॉलेज मिली है।
  • तुम ड्रामा के एक्टर्स हो ना।
    • ड्रामा के एक्टर्स को सबकी एक्ट का जरूर पता होना चाहिए कि क्या-क्या पार्ट है।
    • वह होता है छोटा हद का पार्ट (ड्रामा), उनका तो सबको पता पड़ जाता है।
    • तुम भी देखकर आते हो।
    • चाहो तो लिख भी सकते हो, याद कर सकते हो।
    • छोटा सा होता है।
    • यह तो बहुत बड़ा बेहद का ड्रामा है, जिसको तुम सतयुग से लेकर कलियुग अन्त तक जानते हो।
  • अभी तुम बच्चे जानते हो हमको बेहद के बाप से बेहद का वर्सा मिलता है।
    • फिर हद के बाप से हद का वर्सा, हद की प्रॉपर्टी मिलती है।
  • बाबा ने समझाया था राजायें जो बनते हैं वह अगले जन्म में दान-पुण्य आदि करने से एक जन्म के लिए राजा बनते हैं।
    • ऐसे नहीं कि वह दूसरे जन्म में भी बनेंगे!
    • तुम जो सतयुग में राजायें, महाराजायें थे।
    • ऐसे मत समझो कि तुम्हारी राजाई कोई गुम हो जाती है फिर जब भक्ति मार्ग होता है तब भी वह जास्ती दान-पुण्य करते हैं, तो वह भी राजाई में जाते हैं।
    • परन्तु वह फिर हो जाते हैं विकारी राजायें।
    • तुम ही जो पूज्य थे सो फिर पुजारी बने हो।
    • वह होता है अल्पकाल का सुख।
    • दु:ख तो सिर्फ अभी होता है।
    • अभी तमोप्रधान में भी तुमको सुख है, कोई लड़ाई-झगड़े की बात नहीं।
    • यह तो बाद में होता है, जब लाखों की अन्दाज में हो जाते हैं तब लड़ाई आदि शुरू हो जाती है।
    • तुम बच्चों को तो सतयुग त्रेता द्वापर में भी सुख है।
    • जब तमोप्रधान शुरू होता है तब थोड़ा दु:ख होता है।
    • अब तो हैं ही तमोप्रधान।
    • बाप समझाते हैं यह है ही तमोप्रधान दुनिया।
    • तुम जानते हो यह बेहद का ड्रामा है, इनसे कोई भी छूट नहीं सकता है।
  • मनुष्य जब दु:ख में तंग हो जाते हैं तब कहते हैं भगवान ने ऐसा खेल क्यों रचा है।
    • अगर भगवान रचे ही नहीं तो दुनिया ही नहीं होती।
    • कुछ नहीं होता।
    • रचता और रचना तो है ना।
    • उनकी डिटेल भी है, सतयुग से कलियुग अन्त तक बाकी थोड़े रोज़ हैं।
    • तुम भी प्रैक्टिकल में देखेंगे।
    • पहले से ही तो नहीं दिखायेंगे।
    • 5 हजार वर्ष का बाकी थोड़ा चक्र है।
    • वह अभी थोड़ेही दिखा देंगे, जब होगा तब उनको भी साक्षी हो देखेंगे।
    • जो होना होता है, वह कल्प पहले मुआफिक होगा।
  • यह तो देखते ही हो, तैयारियाँ हो रही हैं।
    • विनाश तो होगा जरूर।
    • सबकी तैयारी हो रही है।
    • वह ड्रामा में पहले से ही नूँध है।
    • विनाश जरूर होगा।
  • अब तुम बच्चों को बाप समझाते हैं - तुम्हारी आत्मा जो तमोप्रधान बनी है उनको भी यहाँ सतोप्रधान बनाना है।
    • यह तुम अभी समझते हो।
    • बाप गुप्त आते हैं, गुप्त ही तुमको ज्ञान दे रहे हैं।
    • दुनिया में कोई नहीं जानते।
    • गुप्त रीति तुम विश्व का राज्य लेते हो, कोई भी आवाज नहीं।
    • बिल्कुल ही गुप्त दान कहा जाता है ना।
    • बाप आकर बच्चों को अविनाशी ज्ञान रत्नों का गुप्त दान देते हैं।
    • बाप भी कितना गुप्त है, कोई नहीं जानते हैं।
    • यह सब कहाँ जाते हैं, ब्रह्माकुमार कुमारियां क्या करते हैं, कुछ समझते नहीं।
  • तुम बच्चे जानते हो बाबा कितना गुप्त है।
    • तुम बच्चों को गुप्त विश्व का मालिक बनाते हैं।
    • न कोई लड़ाई, न कोई बारूद, ना कोई खर्चा।
    • यहाँ तो एक छोटा गाँव लेने में ही कितने झगड़े, मारामारी चल पड़ती है।
    • तो बाप आकर गुप्त दान देते हैं।
    • अविनाशी ज्ञान रत्नों से तुम्हारी झोली भरते हैं।
    • कहते हैं भर दो झोली, शिव भोला भण्डारी।
    • तुम जानते हो शिवबाबा हमारी अविनाशी ज्ञान रत्नों से झोली भर रहे हैं।
    • तो एक-एक रत्न लाखों रूपयों का है।
    • तुम कितने रत्न देते हो।
    • फिर तुम कितने दानी बनते हो।
    • वह भी गुप्त है।
  • देवताओं को कितने हथियार भुजायें आदि दे दी हैं।

    • वास्तव में है कुछ भी नहीं।
    • सतयुग में देवताओं को इतनी भुजायें आदि तो होती नहीं।
    • कलियुग में कितने अनेक प्रकार के हथियार दे दिये हैं।
    • विनाश के लिए बाम्बस हैं तो फिर तलवार, बाण आदि क्या करेंगे।
    • तुम कहते हो ज्ञान खडग, ज्ञान तलवार तो उन्होंने हथियार समझ लिये हैं।
    • है कुछ भी नहीं।
    • तुमको तो गुप्त दान मिलता है।
    • तुम फिर सबको गुप्त दान देते हो।
    • तुम जानते हो बाबा हमको श्रीमत दे रहे हैं, श्रीमत है ही भगवान की।
  • तुम जानते हो हम आते हैं नर से नारायण बनने।

    • उनको सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण दैवी गुणधारी कहा जाता है।
    • दैवी गुण सिर्फ उन देवी-देवताओं में होते हैं, फिर कलायें कम होती जाती हैं।
    • जैसे सम्पूर्ण चन्द्रमा की रोशनी अच्छी होती है फिर कम होती जाती है।
    • कम होते-होते बाकी एकदम पतली लीक बच जाती है।
    • सारा गुम नहीं होता।
    • लकीर जरूर होती है जिसको अमावस कहते हैं।
    • अब तुम्हारी है बेहद की बात।
    • तुम 16 कला सम्पूर्ण बनते हो।
    • दिखाते हैं कृष्ण के मुख में मातायें चन्द्रमा देखती हैं।
    • यह है साक्षात्कार की बातें, जिसकी समझानी बाप बैठ देते हैं।
    • अब तुमको सम्पूर्ण बनना है।
    • माया का सम्पूर्ण ग्रहण लगा हुआ है।
    • बाकी जाकर लकीर बचती है, सीढ़ी उतरते आये हैं।
    • सबको सीढ़ी उतरनी है तब ही फिर सबको वापिस जाना पड़े।
  • तुम तो अभी थोड़े हो।
    • आहिस्ते-आहिस्ते वृद्धि होगी।
    • पढ़ाई में बहुत नहीं पास होते।
    • तुम्हारे सेन्टर्स भी धीरे-धीरे वृद्धि को पाते रहते हैं।
    • समय नजदीक आता जायेगा फिर समझेंगे - इन्हों में क्या है?
    • दिन-प्रतिदिन वृद्धि को पाते रहते हैं।
    • अभी कहते हैं हमने समझा था यह कहाँ तक चलेंगे, खत्म हो जायेंगे।
    • शुरू में इस डर से बहुत भाग गये।
    • पता नहीं क्या होगा!
    • न यहाँ के, न वहाँ के रहेंगे, इससे तो भागो।
    • भाग गये फिर उनमें से आते रहते हैं।
  • बाप कितना सहज रीति से बैठ समझाते हैं।
    • इन अबलाओं, अहिल्याओं को कोई तकलीफ नहीं देते हैं।
    • इन्हों का भी उद्धार तो होना है।
    • कहते हैं बाबा हम तो कुछ पढ़ी लिखी नहीं हैं।
    • बाप कहते हैं - कुछ नहीं पढ़ी हो तो बहुत अच्छा है।
    • शास्त्र आदि जो भी पढ़े हो वह सब भूल जाओ।
    • मैं कुछ जास्ती पढ़ाता नहीं हूँ।
    • सिर्फ कहता हूँ - मुझको याद करो तो फिर बादशाही तुम्हारी है।
    • बस तुम्हारा बेड़ा पार हो जायेगा।
  • बच्चा पैदा हुआ और कहेंगे बाबा।
    • बस वर्से का हकदार बन जाते हैं।
    • यहाँ भी तुम हकदार बन जाते हो।
    • बापदादा को याद किया और राजधानी तुम्हारी इसलिए गाया हुआ है - सेकेण्ड में जीवनमुक्ति।
  • साहूकार लोगों का है पिछाड़ी का पार्ट।
    • पहले गरीबों की बारी है।
    • तुम्हारे पास आपेही आयेंगे।
    • दलितों का भी उद्धार होना है।
    • भीलनी का भी गायन है।
  • कहते हैं राम ने भीलनी के बेर खाये।

    • वास्तव में राम भी नहीं है, शिवबाबा भी नहीं है।
    • हाँ हो सकता है इस ब्रह्मा को खाना पड़े।
    • भीलनी आदि आयेंगी।
    • समझो टोली आदि ले आयें तो इन्कार कैसे कर सकते हैं।
    • भीलनी, गणिकायें ले आयेंगी तो तुम भी खायेंगे।
    • शिवबाबा कहते हैं मैं तो नहीं खाऊंगा, मैं तो अभोक्ता हूँ।
    • तुम्हारे पास आयेंगे सभी।
    • गवर्मेन्ट भी मदद करेगी कि इनको उठाओ।
    • तुमको भी आटोमेटिकली प्रेरणा होगी।
    • बाबा गरीब निवाज़ है तो हम भी गरीबों को समझायें।
    • भीलनियों से भी निकलेंगे।
  • इतना बड़ा झाड़ है, इनमें एक भी देवी-देवता धर्म का नहीं रहा और सब धर्मो में कनवर्ट हो गये हैं।
    • अब बाप कहते हैं जो भक्ति करने वाले हैं उनको समझाओ।
    • तुम देख रहे हो - सैपलिंग कैसे लगता है।
    • ब्राह्मण कैसे बनते हैं।
    • जो सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी देवता बनते होंगे वही आते जायेंगे।
    • एक बार भी सुना तो स्वर्ग में जरूर आयेंगे।
  • बाबा ने काशी कलवट का भी मिसाल सुनाया है।
    • शिव पर जाकर बलि चढ़ते थे।
    • उनको भी कुछ तो मिलना चाहिए।
    • तुम भी बलि चढ़ते हो।
    • पुरुषार्थ करते हो राजाई के लिए।
    • भक्ति मार्ग में राजाई तो होती नहीं।
    • वापिस कोई भी जा नहीं सकते।
    • तो क्या होता है, उनके जो पाप किये हुए हैं उनकी सजा भोग चुक्तू कर देते हैं।
    • फिर नये सिर जन्म होता है।
    • नये सिर पाप शुरू होता है।
    • बाकी रहना तो सबको यहाँ ही है।
    • नम्बरवन में तुम ही हो।
    • तुम ही 84 जन्म भोगते हो।
    • सबको सतो रजो तमो में आना होता है।
  • बाप कहते हैं इस समय सारी मनुष्य सृष्टि का झाड़ जड़जड़ीभूत हो गया है।
    • मनुष्य तो बिल्कुल घोर अन्धियारे में कुम्भकरण की नींद में सोये हुए हैं।
    • एक कुम्भकरण नहीं, अनेक हैं।
    • तुम कितना भी समझाते हो, सुनते ही नहीं हैं।
    • जिनका पार्ट है वह पुरुषार्थ करते हैं और वही मात-पिता के दिल पर चढ़ते हैं।
    • तख्तनशीन भी वही बनेंगे।
  • कितनी बच्चियाँ पूछती हैं बाबा बच्चों को डांटना पड़ता है।
    • बाप कहते हैं -इसका इतना कुछ नहीं है।
    • तुम पुकारती हो हम पतितों को पावन बनाओ।
    • बाप भी कहते हैं - काम महाशत्रु है।
    • ऐसे नहीं कहा जाता क्रोध शत्रु है।
    • माताओं में इतना नहीं होता है, पुरूष बहुत लड़ाई करते हैं।
    • अब बाप ने तुम माताओं को आगे किया है।
    • वन्दे मातरम्।
    • नहीं तो माताओं को कहते हैं - तुम्हारा पति गुरू ईश्वर है। उनकी मत पर चलना है।
    • हथियाला बांधा फिर फट से पतित बनें।
    • यह ईश्वर मिला उनको!
  • अभी रामराज्य स्थापन होता है, बाकी सब मरते जायेंगे।
    • बाबा ने समझाया है - विनाश काले विप्रीत बुद्धि।
    • विनाश काले प्रीत बुद्धि।
    • तुम्हारी परमपिता परमात्मा से प्रीत बुद्धि है।
  • तुम्हारी आत्मा जानती है शिवबाबा इनमें आते हैं, इन द्वारा हम सुन रहे हैं।

    • इतनी छोटी बिन्दू है।
  • शिवबाबा का यह टैप्रेरी रथ है, इनके द्वारा यह रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा है, जो बढ़ता ही जायेगा, बच्चों की बूंद-बूंद से तलाब भरता रहता है।
    • बच्चे अपना सफल करते रहते हैं क्योंकि जानते हैं - यह तो सब कुछ मिट्टी में मिल जाना है।
    • कुछ भी रहना नहीं है।
    • इतना तो सफल हो जाए।
    • सुदामा का भी मिसाल है ना।
    • बच्चियाँ बाबा के पास चावल मुट्ठी वा 6-8 रूपया भेज देती हैं।
    • वाह बच्ची!
    • बाप तो गरीब निवाज़ है ना।
    • यह सब ड्रामा में नूँध है, फिर भी होगा।
    • बांधेलियाँ हैं।
    • बाबा कहते हैं भाग्यशाली हो - शिवबाबा का हाथ तो मिला ना।
  • एक दिन आयेगा सब आर्य समाजी आदि भी आयेंगे।
    • जायेंगे कहाँ?
    • मुक्ति-जीवनमुक्ति की हट्टी तो एक ही है।
    • सजायें खाकर सबको मुक्ति में जाना है।
  • यह है कयामत का समय।
    • सब वापिस जायेंगे।
    • यह है साजन की बरात।
    • कैसे बरात जायेगी, वह भी साक्षात्कार होगा।
    • तुम्हारे सिवाए और कोई देख न सके।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप द्वारा ज्ञान का जो गुप्त दान मिला है, उसकी वैल्यू को समझ अपनी झोली ज्ञान रत्नों से भरपूर करनी है।
    • सबको गुप्त दान देते जाना है।
  • 2) इस कयामत के समय जबकि वापिस जाना है तो अपना सब कुछ सफल करना है।
    • प्रीत बुद्धि बनना है।
    • मुक्ति और जीवनमुक्ति का रास्ता सबको बताना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • सत्यता की शक्ति द्वारा प्रकृति वा विश्व को सतोप्रधान बनाने वाले मास्टर विधि-विधाता भव
  • जब आप बच्चे सत्यता की शक्ति को धारण कर मास्टर विधि विधाता बनते हो तो प्रकृति सतोप्रधान बन जाती है, युग सतयुग बन जाता है।
  • सर्व आत्मायें सद्गति की तकदीर बना लेती है। आपकी सत्यता पारस के समान है।
  • जैसे पारस लोहे को पारस बना देता है, ऐसे सत्यता की शक्ति आत्मा को, प्रकृति को, समय को, सर्व सामग्री को, सर्व सम्बन्ध को, संस्कारों को, आहार-व्यवहार को सतोप्रधान बना देती है।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • योगी आत्मायें वह हैं जिन्हें प्रकृति की हलचल भी आकर्षित न करे।