12-07-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति

"बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - बाप जैसा निरहंकारी और निष्काम सेवाधारी कोई नहीं, सारे विश्व की बादशाही बच्चों को देकर खुद वानप्रस्थ में बैठ जाते हैं''

प्रश्नः-

बाप का कौन सा पैगाम तुम्हें सारे विश्व को बताना है?

उत्तर:-

सभी को बताओ कि तुम दु:ख हर्ता सुख कर्ता के बच्चे हो।

तुम्हें कभी भी किसी को दु:ख नहीं देना है।

तुम सुखदाता बाप को याद करो, उन्हें फालो करो तो आधाकल्प के लिए सुखधाम में चले जायेंगे।

यह पैगाम सबको देना है।

जो इस पैगाम को जीवन में धारण करेंगे वह 21 जन्मों के लिए माया की बेहोशी से छूट जायेंगे।

गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं...

 

गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं...


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे रूहानी बच्चे इस गीत का अर्थ तो समझ गये।
  • हम आत्माओं का वह बाप है।
    • मुख्य है ही आत्मा।
    • अभी तुम बच्चे जानते हो - हमारी आत्मा परमपिता परमात्मा के सम्मुख बैठी है।
    • तुम्हारी सोल, सुप्रीम सोल के सामने बैठी है।
    • तुमको तो अपना शरीर है, इनको लोन लिया हुआ शरीर है।
  • गुरू लोग मनुष्यों को यात्रा पर ले जाते हैं।
    • भक्ति मार्ग के ढेर गुरू हैं।
    • भारत में तो स्त्री अपने पति को भी गुरू, ईश्वर समझती है।
  • बाप बच्चों को समझाते हैं - तुम बच्चे हो ना।
    • समझते हो हम बेहद के बाप के बच्चे हैं।
    • बेहद का वर्सा फिर से लेने आये हैं, अभी हमें सद्गति को पाना है।
    • यह तो निश्चय है ना।
  • सारी दुनिया दुर्गति में है, पतित है।
    • पावन होने के लिए बुलाते हैं तो भारत में कितने ढेर के ढेर गुरू हैं।
    • कोई को 100 फालोअर्स, कोई के 500, कोई के 50 भी होते हैं।
    • कोई के लाखों करोड़ों भी होते हैं।
  • जैसे खोजों का आगाखां गुरू है।
    • कितने उनके फालोअर्स हैं, कितना उनको रिगार्ड देते हैं।
    • फिर भल कुछ भी करने वाला हो लेकिन उनका मान कितना है।
    • भक्ति मार्ग में गुरू अनेक हैं, फिर वह भी नम्बरवार होते हैं।
    • कोई की कमाई पदमों की होती है।
    • आगाखां की कमाई बहुत है।
    • उनको हीरों में तौलकर दान किया था, उनके शिष्यों ने।
    • एक तरफ हीरे दूसरे तरफ उनका गुरू।
    • हीरे दान करते हैं, कितने हीरे होंगे।
    • आजकल सोने में तो बहुतों को वज़न कर देते हैं।
    • दूसरा प्लेटेनियम होता है, वह सोने से भी ज्यादा कीमती होता है।
    • वह भी वज़न कर दिया था।
    • गुरू का मर्तबा देखो कितना है... ऐसे गुरू लोग तो ढेर हैं।
    • अब इस सतगुरू को तुम क्या देंगे?
    • उनको वज़न करेंगे?
    • हीरे वज़न कर देंगे?
    • उनका वज़न हो सकता है?
    • उनका खुद का ही वज़न नहीं है।
  • शिव तो है ही बिन्दी, उनका वज़न तुम क्या कर सकेंगे।
    • यह तुम्हारा गुरू कितना वन्डरफुल है, सबसे हल्का।
    • बिल्कुल ही सूक्ष्म है।
    • तुम्हारा गुरू एक है।
    • तुम जानते हो शिवबाबा तो दाता है।
  • भगवान कभी कुछ ले नहीं सकते, वह तो देते हैं।
    • ईश्वर अर्थ दान सब करते हैं तो समझते हैं - दूसरे जन्म में इसका एवज़ा मिलेगा।
    • कामना तो रखते हैं।
    • अब यह तो है बेहद का बाप।
  • इन जैसी निष्काम सेवा कोई कर नहीं सकता।
    • निष्काम सेवा भी कैसी है।
    • बच्चों को विश्व का, सुखधाम का मालिक बनाते हैं।
    • बाबा खुद थोड़ेही विश्व का मालिक बनते हैं।
    • उनको कहा जाता है - सुख का सागर, शान्ति का सागर, पवित्रता का सागर।
    • बच्चों को हर एक बात अच्छी रीति समझाई जाती है।
    • एक ही बाप से तुमको जीवनमुक्ति मिल जाती है।
  • बाबा से स्वर्ग का वर्सा मिलता है।
    • निश्चय किया, बस।
    • बाबा और वर्से को याद करना है।
  • इनको कहते हैं - ज्ञान का सागर।
    • सारा सागर मस (स्याही) बनाओ।
    • सारा जंगल कलम बनाओ.. तो भी इन्ड नहीं हो सकती।
    • तुम शुरू से लेकर लिखते जाओ तो तुम्हारी ढेर पुस्तकें हो जाएं।
  • यह नॉलेज तो बहुत वैल्युबुल है जो धारण करने की है।
    • जानते हो यह कोई परम्परा तो चलती नहीं।
    • अभी तुमको तन्त मिलता है।
  • बाप आकर बच्चों को अपना परिचय देते हैं, वही काफी है।
    • बाप का परिचय देने से, रचता को जानने से रचना का भी ज्ञान आ जाता है।
    • बुद्धि कहती है जो सतयुग में आते होंगे, उनके पुनर्जन्म जास्ती होंगे।
  • चक्र में जो पहले आये होंगे, वहीं आयेंगे।
    • इस चक्र को भी अच्छी रीति समझना है।
  • गीत में भी सुना, हमारे तीर्थ न्यारे हैं।
    • वह तो जन्म-जन्मान्तर तीर्थ यात्रायें आदि करते आये हैं।
    • यह सिर्फ तुम्हारी एक जन्म की यात्रा है।
    • इस रूहानी यात्रा में जरा भी कोई तकलीफ नहीं।
  • ज्ञान देने वाला एक ही सतगुरू है।
    • सद्गति तो किसी की भी होती नहीं।
    • वह है सुप्रीम ज्ञान का सागर, सर्व की सद्गति हो जाती है।
    • बाकी क्या चाहिए!
    • तत्व भी सतोप्रधान हो जाते हैं।
  • यहाँ तमोप्रधान हैं तो वायु आदि भी ऐसी ही तमोप्रधान होती है।
    • कितने अर्थक्वेक आदि होते हैं।
    • सतयुग में तो कोई भी दु:ख देने वाली चीज़ नहीं होगी।
  • बाप है ही दु:ख हर्ता सुख कर्ता।
    • तुम उनके बच्चे हो, किसको भी दु:ख नहीं देना है।
    • सबको यह रास्ता बताना है - सुख का वर्सा पाने का।
    • अब बाप कहते हैं - तुमको सुख ही देना है।
    • बाबा तुमको आधाकल्प के लिए ऐसा सुख देते हैं - जो वहाँ दु:ख का नाम नहीं रहता।
    • तुम जानते हो - बाप से 21 जन्मों का वर्सा पाने हम यहाँ आये हैं।
    • तुम स्टूडेन्ट हो ना।
    • तुम्हारी दिल में है कि शिवबाबा से स्वर्ग का सुख लेते हैं तो सब दु:ख दूर हो जायेंगे।
  • बाबा हमको संजीवनी बूटी देते हैं - सुरजीत होने के लिए।
    • फिर 21 जन्म कभी मूर्छित नहीं होंगे।
    • वह संजीवनी बूटी है - मनमनाभव।
  • सर्व का सद्गति दाता एक ही बाप है, उनको निराकार निरहंकारी कहा जाता है।
    • जिस तन में आते हैं वह भी साधारण है।
    • बाप कहते हैं - डियर चिल्ड्रेन, आई एम योर ओबीडियेन्ट फादर।
    • बड़े आदमी हमेशा ऐसे लिखते हैं।
    • आई एम ओबोडियन्ट सर्वेन्ट।
    • अपने को श्री कभी नहीं लिखेंगे।
    • आजकल तो लिखते हैं श्री-श्री फलाना।
    • आपेही अपने को श्री-श्री लिखते रहते हैं।
    • वह बाप है निराकारी, निरहंकारी।
  • अब तुम उनके सम्मुख बैठे हो।
    • जानते हो वह हमारा बाप, टीचर, सतगुरू है, बाकी तो सब भक्ति मार्ग के अनेक गुरू हैं।
    • गुरूओं के भी गुरू होते हैं।
    • इनका कोई गुरू नहीं।
    • यह सत बाबा, सत टीचर, सतगुरू है।
  • तुम जानते हो - आत्मा ही संस्कार धारण कर रही है।
    • बाबा भी आत्मा है ना, उनमें भी गुण हैं।
    • तुम्हारे गुण अलग-अलग हो जाते हैं।
    • इस समय जो गुण तुम्हारे में हैं वही बाप के हैं।
    • फिर सतयुग में तुम्हारे दैवी गुण हो जायेंगे।
  • बाप ज्ञान का सागर, प्यार का सागर है।
    • कृष्ण की महिमा अलग है।
    • शिवबाबा को 16 कला सम्पूर्ण नहीं कह सकते।
    • वह तो स्थिर है ही।
    • बाप कहते हैं - यह टाइटिल तुम मुझे नहीं दे सकते हो।
    • मैं थोड़ेही विकारी बनता हूँ, जो फिर सर्वगुण सम्पन्न बनूँ।
    • मेरी महिमा इन जैसी थोड़ेही करेंगे।
  • इस नॉलेज को जिन्होंने कल्प पहले सुना है वही आयेंगे, आकर बाप से सुनेंगे और बाप को याद करेंगे।
    • पिछाड़ी को हाय-हाय कर रोते हैं फिर जय-जय कार हो जाती है।
  • अभी तुमने यात्रा का भी राज़ समझा है।
    • इस यात्रा से फिर तुम कभी मृत्युलोक में लौटते नहीं हो।
    • उन यात्राओं से फिर घर लौट आते हैं।
    • कितने मनुष्य स्नान करने जाते हैं।
  • भक्ति का विस्तार देखो कितना है।
    • जैसे झाड़ कितना बड़ा अथाह होता है, बीज तो बिल्कुल छोटा होता है।
    • वैसे भक्ति का भी विस्तार कितना है।
    • ज्ञान का एक टुबका भी सद्गति कर देता है।
    • भक्ति में उतरते-उतरते आधाकल्प लग जाता है।
    • यहाँ तुमको सीढ़ी चढ़ने में एक सेकेण्ड लगता है - लिफ्ट कितनी अच्छी है।
    • नीचे से एकदम ऊपर, अपने घर ले जाती है।
    • इसको कहा जाता है चढ़ती कला सर्व का भला।
    • सर्व का सद्गति दाता एक बाप ही है।
    • अब ज्ञान, भक्ति का फ़र्क देखा।
  • ज्ञान, भक्ति, वैराग्य है ना।
    • संन्यासियों का है हद का वैराग्य।
    • बाप ने समझाया है - वैराग्य दो प्रकार का है - एक है हद का वैराग्य जिससे कोई सद्गति नहीं होती।
    • दूसरा है बेहद का वैराग्य - जिससे तुम्हारी सद्गति हो जाती है।
  • अभी सद्गति के लिए तुम बच्चों को श्रीमत मिलती है - श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनने की।
    • अब श्रेष्ठ दुनिया की स्थापना हो रही है श्रीमत पर।
    • यह भ्रष्ट दुनिया रावण की मत पर बनी है।
    • हम श्रेष्ठ बन रहे हैं - यह बातें तुम ही जानो।
    • दुनिया बिल्कुल नहीं जानती है।
  • तुम्हारे लिए तो कहते हैं यह ब्रह्माकुमारियाँ विनाश कराने वाली हैं।
    • सचमुच विनाश तो होना ही है।
    • इससे ही तो कल्याण होना है।
    • कल्याणकारी बाप आते हैं तो महाभारी लड़ाई लगती है।
    • कहेंगे हमने कहा था ना कि ब्रह्माकुमारियाँ विनाश करेंगी।
    • बरोबर विनाश तो होना ही है, पुरानी दुनिया विनाश होगी।
    • हम नई दुनिया स्थापन करते हैं।
    • पुरानी के बाद नई जरूर है ही।
    • कल्प-कल्प विनाश होता है तब ही भारत में स्वर्ग के द्वार खुलते हैं।
    • परन्तु वे लोग समझें कैसे?
    • आगे चलकर बहुत समझेंगे।
    • बाप जब आते हैं तो पुरानी दुनिया सारी स्वाहा हो जाती है।
    • तुम्हारा यह यज्ञ तो वन्डरफुल है, जिसमें आहुति पड़नी है।
    • यह भी तुम जानो और न जाने कोई।
    • विजय तो पाण्डवों की होनी है और सब खत्म हो जायेंगे।
    • बाकी तुम पाण्डव रहते हो फिर नई दुनिया में राज्य करते हो।
    • यह नॉलेज बड़ी वन्डरफुल है।
  • सबका दु:ख-हर्ता, सुख-कर्ता, सद्गति देने वाला एक ही बाप है।
    • कितना मीठा, कितना प्यारा बाप है।
    • कहते आये हो मीठे बाबा, आप जब आयेंगे तो आप पर हम वारी जायेंगे।
    • मेरा तो आप दूसरा न कोई।
    • इसका मतलब यह नहीं कि घरबार छोड़ यहाँ आकर बैठेंगे।
    • नहीं, गृहस्थ व्यवहार में भल रहो।
    • 7 रोज़ का कोर्स ले फिर कहाँ भी जाओ - मनमनाभव।
  • बाप को याद करना है और वर्सा पाना है।
    • बस याद की यात्रा में रहना है, इससे ही बेड़ा पार है।
    • यह भी तुम जानते हो - पवित्र रहना है।
    • छी-छी खाना आदि नहीं खाना है।
  • मुरली तो मिलती ही है।
    • कोई समय मुरली नहीं भी मिलेंगी, आफते आयेंगी, हंगामा आदि हो जायेगा तो मुरली मिल नहीं सकेंगी।
  • तुम इन आंखों से जो कुछ देखते हो वह नहीं रहेगा, सब भस्म हो जायेगा।
    • प्रलय तो होती नहीं।
    • दुनिया तो एक ही है, नई सो पुरानी होती है।
    • न्यू वर्ल्ड, ओल्ड वर्ल्ड कहा जाता है।
    • अब तो कहेंगे यह ओल्ड वर्ल्ड है, बाकी थोड़ा समय है।
  • वह कहते हैं कल्प की आयु लाखों वर्ष है।
    • कलियुग के लिए कहते 40 हजार वर्ष पड़े हैं।
    • वास्तव में 5 हजार वर्ष का चक्र है।
    • तुम्हारी बुद्धि में सारी नॉलेज है।
    • मनुष्य तो बिल्कुल पत्थरबुद्धि हैं।
    • एक्टर्स होकर ड्रामा के क्रियेटर, डायरेक्टर को न जानें तो उनको क्या कहेंगे।
    • वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी कैसे रिपीट होती है, यह तो जानना चाहिए ना।
    • जो अच्छी रीति जानते हैं, बुद्धि में धारण कर औरों को धारण कराते हैं, वह ऊंच ते ऊंच पद पाते हैं।
  • बाप कहते हैं - जो नॉलेज मेरे में थी वह अब तुमको दे रहा हूँ।
    • ड्रामा प्लैन अनुसार मैं रिपीट करता हूँ।
    • मेरा भी ड्रामा में पार्ट है।
    • भक्ति मार्ग में भी पार्ट बजाया, अब तुमको आकर अपना और रचना के आदि-मध्य-अन्त का परिचय देता हूँ।
    • मैं भी ड्रामा के बन्धन में हूँ।
    • मैं आता ही एक बार हूँ।
    • अपना परिचय देने और रचना के आदि-मध्य-अन्त का नॉलेज सुनाने।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) बाप समान ओबीडियन्ट बनना है।
    • कभी भी किसी बात में अपना अहंकार नहीं दिखाना है।
    • निराकारी और निरहंकारी होकर रहना है।
  • 2) बाप, टीचर और सतगुरू के कान्ट्रास्ट को समझ निश्चयबुद्धि बन श्रीमत पर चलना है।
    • रूहानी यात्रा पर रहना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • व्यक्त में रहते अव्यक्त फरिश्ते रूप का साक्षात्कार कराने वाले सफेद वस्त्रधारी और सफेद लाइटधारी भव
  • जैसे अभी चारों ओर यह आवाज फैल रहा है कि यह सफेद वस्त्रधारी कौन हैं और कहाँ से आये हैं!
  • ऐसे अब चारों ओर फरिश्ते रूप का साक्षात्कार कराओ - इसको कहा जाता है डबल सेवा का रूप।
  • जैसे बादल चारों ओर छा जाते हैं, ऐसे चारों ओर फरिश्ते रूप से प्रगट हो जाओ, जहाँ भी देखें तो फरिश्ते ही नज़र आयें।
  • लेकिन यह तब होगा जब शरीर से डिटैच होकर अन्त:वाहक शरीर से चक्र लगाने के अभ्यासी होंगे।
  • मन्सा पावरफुल होगी।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • सर्व गुणों वा सर्व शक्तियों के अधिकारी बनने के लिए आज्ञाकारी बनो।