02-07-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति
"बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - अभी तक तुम सुनी सुनाई बातों पर चलते आये, अब बाप तुम्हें डायरेक्ट सुनाकर आपसमान नॉलेजफुल बनाते हैं''
प्रश्नः-
अच्छे पुरुषार्थी बच्चों की निशानी तथा उनकी अवस्था का गायन क्या है?
उत्तर:-
अच्छे पुरुषार्थी बच्चे - मदर, फादर को पूरा-पूरा फालो करेंगे।
अपनी जीवन पर तरस खायेंगे।
पूरा-पूरा अटेन्शन रखेंगे।
थोड़ा भी समय निकाल बाबा की याद में जरूर बैठेंगे।
उनकी अवस्था का गायन है - अचल, अडोल, स्थिर।
उन्हें ही महावीर कहा जाता है।
गीत:- भोलेनाथ से निराला...
|
-
ओम् शान्ति।
- भक्ति मार्ग में दुनिया सिर्फ गाती है।
- तुम बच्चे अभी समझते हो - भक्ति मार्ग में हम भी गाते थे।
- अब वही भोलानाथ सम्मुख है, भोलानाथ अक्षर भक्ति मार्ग का है।
- ज्ञान मार्ग का अक्षर है शिवबाबा।
- तुम समझते हो अनादि बने बनाये ड्रामा-प्लैन अनुसार अब संगमयुग पर बाप को आकर हमसे यह पुरुषार्थ कराना ही है।
- कल्प-कल्प पुरुषार्थ कराते आये हैं।
- कितना समय तुम बच्चों ने भक्ति की है, यह भी सिद्धकर बतलाते हैं।
- जिन्होंने पहले-पहले भक्ति शुरू की है वही आकर ज्ञान लेंगे और फिर सूर्यवंशी बनेंगे।
- सतयुग में सिर्फ एक लक्ष्मी-नारायण तो नहीं आते।
- उनकी डिनायस्टी भी है ना।
- उसको कहा जाता है दैवी वर्ण।
- भारत में दैवी वर्ण था।
- अब आसुरी वर्ण है। यह है संगम।
- अब आसुरी से दैवी वर्ण में जाना है।
- बरोबर यह महाभारत लड़ाई भी वही है जो गाई हुई है।
- सिर्फ नाम शिव के बदले कृष्ण का डाल दिया है।
- एक गीता खण्डन हुई तो सब शास्त्र खण्डन हो जाते हैं।
- मूल बात गीता की है।
- गीता पाठशालायें वा गीता भवन कितने हैं!
- गीता ज्ञान सुनने की पाठशाला।
- खुद सुनाने वाला है नहीं।
- जो होकर जाते हैं वह फिर गायन चलता है।
- बच्चों को तो रोज़ बाप बहुत प्यार से समझाते हैं।
- बच्चे जानते हैं - बाबा प्यार का सागर है।
- सबको प्यार से सिखलाते हैं।
- बाबा कभी गुस्सा नहीं करते, सदैव प्यार से समझाते हैं।
- बच्चे तुम सतोप्रधान थे फिर पुनर्जन्म लेते आये हो।
- तुम भारतवासी ही असुल देवी-देवता धर्म के हो।
- यह भी बतलाते हैं।
- पहले-पहले वर्सा लेने कौन आयेंगे?
- जिन्होंने कल्प पहले लिया है, वही कहेंगे बाबा आपके सिवाए हमारा सहायक और कोई नहीं।
- बाप क्षमा भी तब करेंगे जब संगमयुग होगा।
- यह तो बच्चे जानते हैं कि रावण राज्य और रामराज्य यहाँ ही होता है।
- रावणराज्य है तब तो रामराज्य चाहते हैं।
- तुम जब शिवबाबा कहते हो तो बुद्धि निराकार तरफ ही जाती है।
- निराकार ही याद आता है।
- आत्मा ही बाप को पुकारती है।
- ऐसे भी नहीं कि परमात्मा कोई बैठ सुनते हैं।
- बाप समझाते हैं ड्रामा प्लैन अनुसार पतितों को पावन बनाने के लिए तो मैं शरीर में आता हूँ।
- ऐसे नहीं कि पुकार सुनकर आता हूँ।
- भक्ति जब पूरी होती है तब मुझे आना ही है।
- यह समझने की बातें हैं।
- वह समय आता है, बच्चे पुकारने लगते हैं।
- यह तो कहाँ लिखा हुआ नहीं है कि कब आयेंगे?
- उन्होंने कल्प की आयु रांग लिख दी है।
- यह चित्र घर-घर में होने चाहिए।
- जो रोज़ देखें और याद करें कि यह बाबा, यह दादा, यह वर्सा।
- बाप कहते हैं बच्चे सतोप्रधान बनने के लिए मुझे याद करो तो खाद निकल जायेगी।
- यह युक्ति बाप ही समझाते हैं।
- यह बाप भी कहते हैं मैं भी पुरुषार्थ करता हूँ।
- बच्चे एक दो को सावधान कर उन्नति को पाना है।
- यह चित्रों की समझानी बहुत अच्छी है।
- शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा स्थापना कर रहे हैं।
- सामने महाभारी महाभारत लड़ाई खड़ी है।
- इतने अनेक धर्म विनाश होंगे, उसके लिए लड़ाई जरूर चाहिए।
- यह बातें बच्चों को भूलनी नहीं चाहिए।
- बरोबर अब कलियुग घोर अन्धियारा है।
- कितने ढेर मनुष्य हैं, जरूर विनाश होना है।
- सतयुग में एक धर्म होगा।
- जरूर 84 जन्म का चक्र भी उन्होंने ही लगाया है।
- यह तो सहज है।
- बाकी इतने सब धर्मो का जरूर विनाश होगा।
- फिर एक धर्म की स्थापना बरोबर हो रही है।
- सर्व का सद्गति दाता बाप है।
- बाप से ही बच्चों को वर्सा मिलता है।
- बच्चे जानते हैं - हम जो यह पढ़ाई पढ़ते हैं वह भविष्य 21 जन्मों के लिए पढ़ते हैं।
- भगवानुवाच - मैं तुमको पढ़ाकर 21 जन्मों के लिए स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ।
- सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी घराने की बरोबर स्थापना होती है।
- जो जितना पुरुषार्थ करेगा, उतना ऊंच पद पायेगा, तो शिवबाबा कहते हैं इन मदर-फादर को फालो करो।
- इन्हों को सूक्ष्मवतन, वैकुण्ठ में भी देखते हो।
- अपने को भी देखते हो, हम भी महाराजा, महारानी बनते हैं।
- वैकुण्ठ का भी साक्षात्कार होता है।
- मानते भी हैं बरोबर भारत वैकुण्ठ था, श्रीकृष्णपुरी थी।
- आज कंसपुरी है, कल कृष्णपुरी होगी।
- रात बदल दिन होना है।
- यह है आधाकल्प बेहद का दिन और आधाकल्प बेहद की रात।
- अन्धियारे में ठोकरें ही खाते रहते हैं।
- ब्रह्मा की रात सो ब्राह्मणों की रात।
- फिर तुम ब्राह्मण से देवता बनते हो।
- सतयुग में ब्राह्मण होते नहीं, देवता होते हैं।
- यह भी बच्चे जानते हैं भारत पवित्र राजस्थान था फिर अपवित्र राजस्थान बना है।
- भारत सदैव राजस्थान रहा है।
- राजाई चलती आती है और धर्म वालों की शुरू से ही राजाई नहीं चलती है।
- भगवान ही राजाई स्थापन करते हैं।
- भगवान ही आकर राजयोग सिखलाते हैं।
- वह है निराकार ज्ञान का सागर, सुख का सागर... तुम जानते हो बाबा से हमको वर्सा मिल रहा है।
- जरूर हमारे पुरुषार्थ की देरी है।
- जितना जो पुरुषार्थ करेंगे, जितना रास्ता बतायेंगे।
- बाप कहते हैं - मुझ बाप को याद करो तो तुम पतित से पावन बन पावन दुनिया के मालिक बन जायेंगे, कितना सहज है।
- लौकिक माँ बाप ज्ञान में अगर हैं तो बच्चों को भी आप समान बनाना पड़े।
- मां बाप सच्ची कमाई करते हैं तो बच्चों को सच्ची कमाई करानी चाहिए।
- कोई-कोई बच्चे अच्छे होते हैं।
- कहते हैं हम रूहानी पढ़ाई पढ़कर घर-घर में यह पैगाम देते रहेंगे।
- बाप भी कहते हैं कि पैगम्बर और मैसेन्जर मैं हूँ, तुमको मैसेज देता हूँ कि घर चलो और धर्म स्थापक तो सिर्फ आकर अपना-अपना धर्म स्थापन करते हैं।
- मैं सबको मैसेज देता हूँ कि अब वापिस चलना है।
- यह दुनिया अब रहने के लायक नहीं है।
- मुझे याद करो तो पावन बन जायेंगे।
- तुम पावन थे फिर रावण ने पतित बनाया है।
- मैं फिर पावन बनाने आया हूँ।
- थोड़े समय में ही यह बाम्बस आदि चलेंगे तो समझेंगे यह वही महाभारत लड़ाई है।
- तो जरूर भगवान भी होगा।
- परन्तु वह समझते हैं गीता का भगवान कृष्ण है।
- कितनी मूँझ है।
- मूँझे नहीं होते तो भगवान को आने की क्या दरकार।
- भक्ति मार्ग को भूल-भुलैया का खेल कहा जाता है।
- अब बाप कहते हैं मुझे याद करने से सब भूलें खत्म हो जायेंगी।
- आगे अपने को देह समझते थे।
- अब अपने को देही समझते हो।
- यह सावधानी बाप ही देते हैं कि बच्चों देही-अभिमानी बनो।
- यहाँ तुम बाप के सम्मुख बैठे हो।
- वहाँ सेन्टर्स पर बच्चियाँ बैठ समझायेंगी कि शिवबाबा ऐसे कहते हैं।
- यहाँ तो डायरेक्ट बाप कहते हैं मैं आत्माओं से बैठ बात करता हूँ।
- तुम बच्चे जानते हो बाबा इन द्वारा हमको समझा रहे हैं।
- यह बड़ा कल्याणकारी मेला है।
- बाप कहते हैं निरन्तर मुझे याद करो।
- बाबा से हमको स्वर्ग का वर्सा लेना है।
- बाप और स्वर्ग को याद करना है।
- कोई भी विकर्म नहीं करना है।
- अगर विकर्म करेंगे तो सौगुणा बन जायेगा।
- विकर्म कराने वाली है माया, उस पर जीत पानी है इसलिए हनुमान महावीर की कथा है।
- तुम हनुमान महावीर हो ना।
- हम तो बाबा के बन गये।
- माया से हार नहीं सकते।
- तो बाबा को याद करते-करते सतोप्रधान, विकर्माजीत बन जायेंगे।
- नहीं बनेंगे तो अपना पद भ्रष्ट करेंगे।
- पुरुषार्थी बच्चे जो होते हैं वह अपनी जीवन पर तरस खाते हैं।
- कुछ भी हो जाए, याद की यात्रा में रहेंगे, अचल-अडोल-स्थिर रहेंगे।
- विनाश तो होना ही है।
- सबके काका, चाचा, मामा, गुरू, गोसाई आदि सब खत्म हो जाते हैं।
- सतगुरू कहते हैं मैं तुमको साथ ले जाने वाला हूँ।
- मनुष्य तो बिल्कुल अन्धियारे में है, तुम जानते हो शिवबाबा हमको साथ ले जायेंगे।
- कहते हैं ना - काल खा गया।
- परन्तु मैं तो तुमको शान्तिधाम में ले जाता हूँ।
- आत्मा शरीर छोड़ चली जाती है।
- काल नहीं ले जाते हैं, आत्मा को निकलना होता है।
- अब तो मैं खुद आया हूँ - तुमको वापिस ले जाने।
- बाबा कोई मारने आया है क्या? नहीं।
- तुमको पुराना शरीर छोड़ना है।
- आत्मा तमोप्रधान से सतोप्रधान होनी है।
- अब 5 तत्व भी तमोप्रधान हैं, इसलिए शरीर भी ऐसे बनते हैं।
- वहाँ सतोप्रधान तत्वों से तुम्हारे शरीर भी गोरे बनेंगे।
- बाप कहते हैं मैं फिर से सतयुगी आदि सनातन देवी-देवता धर्म स्थापन करता हूँ।
- तुमने ही 84 जन्म भोगे हैं।
- तुम अपने धर्म को भूल गये हो और कोई अपने धर्म को भूले नहीं हैं।
- तुम अभी जानते हो हम असुल में देवी-देवता धर्म वाले इतने ऊंच से फिर नीच कैसे बने हैं।
- बाप बैठ कल्प-कल्प तुमको ही समझाते हैं।
- तुम फिर औरों को समझाते रहेंगे।
- अब 84 का चक्र पूरा होता है, विनाश सामने खड़ा है।
- स्वर्ग का मालिक बनने के लिए अपने को लायक बनाना है।
- वह बनना है याद से।
- सुबह को उठ बाबा को याद करो।
- बाबा वन्डर है - आप कैसे आते हो।
- गीता में कृष्ण का नाम दे दिया है परन्तु यह तो अब जानते हैं - आप सम्मुख बात कर रहे हो।
- वह है सुनी सुनाई भक्ति मार्ग की बातें।
- अब तो हम आत्माओं को आप बाप मिले हो, आत्मा को बाप मिलता है तो उस प्यार में आकर मिलते हैं।
- बच्चे बाप के साथ बहुत प्यार से मिलते हैं।
- यहाँ तो वह निराकार बाप है गुप्त इसलिए बाबा हमेशा कहते हैं इनसे मिलते हो तो शिवबाबा को याद कर मिलो।
- मनुष्य तो कुछ भी नहीं जानते हैं।
- तुम्हारे में भी जो कोई जानते हैं, मेरा बनकर फिर भूल जाते हैं।
- देह-अभिमान में आ जाते हैं।
- प्रतिज्ञा भी करते हैं - बाबा मैं आपका हो चुका हूँ।
- मेल, चाहे फीमेल, दोनों की आत्मा कहती है।
- परन्तु शरीर में है तो मेल कहता है - आपका बन चुका हूँ।
- फीमेल कहेगी - मैं बन चुकी हूँ।
- बाबा हम आपसे पूरा वर्सा लेंगे।
- पूरा याद करेंगे।
- याद बिगर कट निकल नहीं सकती, तमोप्रधान से सतोप्रधान बन नहीं सकते।
- सतयुग में तुमको अखण्ड अटल, सुख-शान्ति, सम्पत्ति का 21 जन्म राज्य मिलता है।
- स्वर्ग का रचयिता बाप जरूर अपना वर्सा देंगे।
- गाते भी हैं परवाह है पार ब्रह्म में रहने वाले परमपिता परमात्मा की।
- वह तो एक ही बार आते हैं।
- यह भी समझने की बातें हैं ना।
- कई तो समझते ही नहीं, आगे चल आंख खुलेगी।
- थोड़ी बड़ी लड़ाई लगे।
- वास्तव में यह यज्ञ रचा हुआ है।
- लड़ाई भी है।
- इस यज्ञ का किसको पता ही नहीं है।
- रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा ही था कि विनाश हो।
- वह फिर यज्ञ रचते हैं कि विनाश न हो, शान्ति हो जाए।
- यह यज्ञ फिर भी रचेंगे।
- उनको यह पता नहीं है कि विनाश होगा फिर क्या रहेगा?
- अभी तुम बच्चे सारे विश्व के आदि-मध्य-अन्त को जानते हो।
- सबकी बेहद की जन्म कहानी को जानते हो।
- ऐसे कोई नहीं, जो कहे कि परमपिता परमात्मा की हम जीवन कहानी बताते हैं।
- परमात्मा को ही सब बुलाते हैं ना।
- घड़ी-घड़ी याद करते हैं।
- कहते हैं ना - भगवान ने यह बच्चा दिया, यह किया।
- कोई-कोई यह समझते हैं - जिसकी वस्तु थी, उसने ले ली।
- ऐसे भी कोई समझदार पुरुष होते हैं।
- अनेक प्रकार के मनुष्य हैं।
- अब तुमको बाप मिला है तो बाप को ही याद करना है।
- याद से ही कमाई होती है।
- तुम विष्णुपुरी के मालिक बन जायेंगे।
- तुम सतयुग से लेकर कलियुग अन्त तक सारे चक्र को जानते हो।
- तुम्हारी बुद्धि में हूबहू ऐसा है, जैसे बाप की बुद्धि में है इसलिए उनको ज्ञान का सागर, नॉलेजफुल कहा जाता है।
- अभी तुम बाप से वर्सा ले रहे हो।
- तुम बच्चों को अचल स्थिर रहना चाहिए।
- ऐसे नहीं कि माया घड़ी-घड़ी आकर डोलायमान करे।
- शर्मबूटी (छुईमुई) नहीं बनना चाहिए।
- बाप को याद नहीं करने से मुरझा जाते हैं।
- बाप को याद करने का पुरुषार्थ तुम कर रहे हो।
- समय नजदीक आयेगा, फिर तुम देखेंगे हमारा पुरुषार्थ अब पूरा हुआ।
- अन्त आ गई।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) रूहानी पढ़ाई पढ़कर सच्ची कमाई करनी और करानी है।
- घर चलने का मैसेज सबको देना है।
- अब कोई भी विकर्म नहीं करना है।
- 2) सवेरे उठकर प्यार से बाप को याद करना है।
- छोटी-मोटी बातों में छुईमुई नहीं बनना है।
- अवस्था को अचल-अडोल बनाना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- चेकिंग करने की विशेषता को अपना निजी संस्कार बनाने वाले महान आत्मा भव
- जो भी संकल्प करो, बोल बोलो, कर्म करो, सम्बन्ध वा सम्पर्क में आओ सिर्फ यह चेकिंग करो कि यह बाप समान है!
- पहले मिलाओ फिर प्रैक्टिकल में लाओ।
- जैसे स्थूल में भी कई आत्माओं के संस्कार होते हैं, पहले चेक करेंगे फिर स्वीकार करेंगे।
- ऐसे आप महान पवित्र आत्मायें हो, तो चेकिंग की मशीनरी तेज करो।
- इसे अपना निजी संस्कार बना दो - यही सबसे बड़ी महानता है।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- सम्पूर्ण पवित्र और योगी बनना ही स्नेह का रिटर्न देना है।
|