29-06-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति

"बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - तुम हो रूहानी पण्डे, तुम्हें गृहस्थ व्यवहार सम्भालते हुए, कमल फूल समान बन याद की यात्रा करनी और करानी है''

प्रश्नः-

बाप बच्चों का कौन सा श्रृंगार करते हैं? किस श्रृंगार के लिए मना करते हैं?

उत्तर:-

बाबा कहते मीठे बच्चे - मैं तुम्हारा रूहानी श्रृंगार करने आया हूँ, तुम कभी भी जिस्मानी श्रृंगार नहीं करना।

तुम बेगर हो, तुम्हें फैशन का शौक नहीं होना चाहिए।

दुनिया बहुत खराब है इसलिए जरा भी शरीर का फैशन नहीं करो।

गीत:- आखिर वह दिन आया आज....

 

गीत:- आखिर वह दिन आया आज....


  • ओम् शान्ति।
  • बेहद का बाप बैठ बेहद के बच्चों को समझाते हैं।
    • बेहद माना कोई हद नहीं।
    • कितने ढेर बच्चे हैं।
    • इतने बेशुमार बच्चों का एक ही बाप है जिसको रचयिता कहा जाता है।
    • वह हैं हद के बाबायें, यह है बेहद के रूहों का बाप।
    • वह हैं हद के जिस्मानी बाप, यह है बेहद के रूहों का एक ही बाप।
    • जिसको भक्ति मार्ग में सब रूहें याद करती हैं।
  • तुम बच्चे जानते हो भक्ति मार्ग भी है, साथ-साथ रावण राज्य भी है।
    • अब मनुष्य पुकारते हैं कि हमको रावण राज्य से रामराज्य में ले जाओ।
  • बाप समझाते हैं - देखो देवी-देवता जो भारत के मालिक थे, अब नहीं हैं।
    • वह कौन थे, यह भी अब तुम जानते हो।
    • हम ही सतयुगी सूर्यवंशी घराने के मालिक थे।
    • राजा, रानी तो होते हैं ना।
    • तुम बच्चों को अब स्मृति आई है।
    • बाबा आया हुआ है - हम बच्चों को राज्य-भाग्य का वर्सा देने, विश्व का मालिक बनाने।
  • बाप कहते हैं अब सब भक्ति मार्ग में हैं, भक्ति मार्ग को ही रावण राज्य कहा जाता है।
    • ज्ञान मार्ग सिर्फ एक बाप ही सिखाते हैं तुम बच्चों को।
    • उस बेहद के बाप को भक्ति मार्ग में सब याद करते हैं।
  • अभी तुमको 21 जन्म के लिए ज्ञान की राजधानी मिलती है।
    • फिर आधाकल्प तुम पुकारेंगे ही नहीं।
    • हाय राम... हाय प्रभू कहने की दरकार ही नहीं रहेगी।
    • हाय राम तब करते हैं जब दु:खी होते हैं।
    • तुमको वहाँ दु:ख होता ही नहीं।
  • अभी तुम जानते हो यह भी खेल बना हुआ है।
    • आधाकल्प है ज्ञान का दिन, आधाकल्प है भक्ति की रात।
    • भक्ति हमको नीचे उतारती है।
    • तुम बच्चों की बुद्धि में सीढ़ी का नॉलेज जरूर चाहिए।
    • बाप समझाते हैं कि यह 84 जन्मों का चक्र है, इस चक्र को जानने से तुम चक्रवर्ती राजा बनेंगे, इसलिए बाबा चित्र भी बनवा रहे हैं जिससे सिद्ध हो कि हम इस चक्र को जानने से 21 जन्म के लिए राज्य भाग्य लेते हैं।
  • अभी तुम बहुत हो गये हो।
    • बड़ी रूहानी शक्ति सेना बनी है।
  • तुम सब पण्डे हो।
    • बाबा भी पण्डा है।
    • उनको कहा जाता है - गाइड।
    • पण्डा अक्षर शुभ है।
    • यात्रा पर ले जाने वाले पण्डे होते हैं।
    • यात्री जाते हैं तो उनको एक गाइड मिलता है कि इनको यह सब दिखाओ।
    • तीर्थ यात्रा पर भी पण्डे मिलते हैं।
  • बाप कहते हैं - जन्म जन्मान्तर तीर्थ यात्रा करते आये हो।
    • अमरनाथ पर जाते हैं, तीर्थों पर जाते हैं।
    • परिक्रमा लगाते हैं।
    • वहाँ जाने समय फिर वही याद रहता है।
    • घरबार धन्धे धोरी सबसे दिल हट जाती है।
  • यहाँ तुमको समझाया जाता है अपने घर गृहस्थ में रहते हुए धन्धा धोरी भी करते रहो और फिर गुप्त यात्रा पर रहो।
    • यह कितना अच्छा है।
    • जितना बड़ा धन्धा करना है उतना करो।
    • किसी को मना भी नही है।
    • भल अपनी राजाई भी सम्भालो।
    • राजा जनक को भी सेकण्ड में जीवनमुक्ति मिली।
    • तुमको कोई बाहर की यात्रा आदि तरफ धक्के खाने की दरकार नहीं है।
  • अपने घरबार की भी पूरी सम्भाल करनी चाहिए।
    • जो सेन्सीबुल अच्छे बच्चे हैं, वह समझते हैं हमको घर गृहस्थ में रहते कमल फूल समान रहना है।
    • गृहस्थ व्यवहार में तंग नहीं होना चाहिए।
  • कुमार, कुमारियाँ तो जैसे संन्यासी हैं, उनमें विकार हैं नहीं।
    • 5 विकार से दूर हैं।
  • अभी तुम बच्चे जानते हो हमारा श्रृंगार ही और प्रकार का है, उनका और है।
    • उनका है तमोप्रधान श्रृंगार, तुम्हारा है सतोप्रधान श्रृंगार, जिससे तुमको सतोप्रधान सूर्यवंशी राजाई में जाना है।
    • बाप तुम बच्चों को समझाते हैं - तमोप्रधान जिस्मानी श्रृंगार जरा भी नहीं करो।
    • दुनिया बहुत खराब है।
    • गृहस्थ व्यवहार में रहते फैशनबुल मत बनो।
    • फैशन कशिश करता है।
    • इस समय खूबसूरती अच्छी नहीं है।
    • काले हो तो अच्छा है।
    • कोई पंजा नहीं मारेगा।
    • खूबसूरत पिछाड़ी तो फिरते रहते हैं।
    • कृष्ण को भी सांवरा दिखाते हैं।
    • तुमको गोरा बनना है शिवबाबा से।
    • वह गोरे बनते हैं पाउडर आदि से।
    • कितना फैशन है, बात मत पूछो।
    • साहूकारों की तो सत्यानाश है।
    • गरीब अच्छे हैं।
    • गॉवड़े में जाकर गरीबों का कल्याण करना है, परन्तु आवाज करने वाले बड़े आदमी भी चाहिए।
    • तुम सब गरीब हो ना।
    • कोई साहूकार है क्या?
    • तुम देखो कैसे साधारण बैठे हो।
    • बम्बई में फैशन देखो तो क्या लगा पड़ा है।
    • बाबा पास मिलने आते हैं तो कहता हूँ तुमने यह जिस्मानी श्रृंगार किया है, अब आओ तो तुमको ज्ञान श्रृंगार करायें, जिससे तुम स्वर्ग की परी 21 जन्मों के लिए बन जायेंगी।
    • सदा सुखी बन जायेंगे।
    • ना कभी रोयेंगे, ना दु:ख होगा।
    • अभी यह जिस्मानी श्रृंगार तुम छोड़ दो।
    • तुमको हम ज्ञान रत्नों से ऐसा फर्स्ट क्लास श्रृंगार करायेंगे जो बात मत पूछो।
  • अगर मेरी मत पर चलेंगे तो तुमको पटरानी बनाऊंगा।
    • यह तो अच्छा है ना।
    • तुम सब भारतवासियों को इस तमोप्रधान आसुरी दुनिया नर्क से भगाए स्वर्ग की महारानी बनाता हूँ।
    • तुम बच्चे समझते हो आज हम सफेद पोश में हैं, दूसरे जन्म में स्वर्ग में सोने के चम्मच से दूध पियेंगे।
    • यह तो बहुत छी-छी दुनिया है।
    • स्वर्ग तो स्वर्ग है, बात मत पूछो।
    • यहाँ तुम बेगर हो।
    • भारत बेगर है।
    • बेगर टू प्रिन्स गाया हुआ है।
    • इस भारत में ही फिर जन्म लेंगे।
    • बाप ने हमको स्वर्ग का मालिक बनाया था, रात-दिन का फर्क है।
    • महान गरीब जिनको खाने के लिए कुछ नहीं होता है, उनको ही दान दिया जाता है।
    • भारत ही महान गरीब है।
    • बिचारों को यह पता भी नहीं है कि इस समय सब तमोप्रधान हैं।
  • दिन-प्रतिदिन सीढ़ी नीचे ही उतरते रहते हैं।
    • अभी कोई सीढ़ी चढ़ नहीं सकते।
    • 16 कला से 14 कला फिर 12 कला... नीचे उतरते ही आते हैं।
    • यह लक्ष्मी-नारायण भी पहले 16 कला सम्पूर्ण थे फिर 14 कला में उतरते हैं ना।
    • यह भी अच्छी रीति याद करना है।
    • सीढ़ी उतरते-उतरते बिल्कुल ही पतित बने हैं।
    • फिर स्वर्ग के मालिक कौन बनाये?
    • यह वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होती है।
    • यह भी सब कहते हैं परन्तु अब कौन सी हिस्ट्री रिपीट होगी, यह कोई नहीं जानते।
  • शास्त्रों में तो लिख दिया सतयुग की आयु लाखों करोड़ों वर्ष है।
    • पूछो सतयुग कब आयेगा?
    • कहेंगे अभी 40 हजार वर्ष पड़े हैं।
    • तुम सिद्ध कर बतलाते हो कल्प की आयु ही 5 हजार वर्ष है।
    • वह फिर सिर्फ सतयुग को ही लाखों वर्ष दे देते हैं।
    • घोर अन्धियारा है ना।
    • तो मनुष्य कैसे मानें भगवान आया होगा।
    • वह समझते हैं भगवान तब आयेंगे जब कलियुग का अन्त होगा।
    • अभी तुम बच्चे इन सब बातों को समझते हो।
  • विनाश सामने खड़ा है।
    • बच्चों को समझाया जाता है कि विनाश के पहले बाप से वर्सा ले लो, परन्तु कुम्भकरण की नींद में सोये पड़े हैं।
    • तो बिचारे हाय-हाय कर मरेंगे।
    • तुम्हारी जय-जयकार हो जायेगी।
    • विनाश में होती ही है - हाय-हाय।
    • विपरीत बुद्धि हाय-हाय ही करेंगे।
    • अभी तुम हो सच्चे की औलाद सच्चे।
    • नर्क का विनाश होने बिगर स्वर्ग कैसे बनेगा।
    • तुम कहेंगे यह तो महाभारत लड़ाई है।
    • उनसे ही स्वर्ग के द्वार खुलने हैं।
    • मनुष्य तो कुछ नहीं जानते हैं।
  • तुम्हारी बुद्धि में है हमको अभी दैवी स्वराज्य का माखन मिलता है।
    • वह आपस में लड़ते रहेंगे।
    • हैं वह भी मनुष्य, तुम भी मनुष्य परन्तु वह हैं आसुरी सम्प्रदाय, तुम हो दैवी सम्प्रदाय।
    • बाप बच्चों को सम्मुख समझाते हैं।
    • तुम बच्चों के अन्दर में खुशी रहती है।
    • अनेक बार तुमने ऐसी राजधानी ली है, जैसे अभी तुम ले रहे हो।
    • वह आपस में दो बिल्ले लड़ते हैं।
    • माखन तुमको मिलता है - सारे विश्व की बादशाही का।
    • तुम यहाँ आते ही हो विश्व का मालिक बनने।
    • तुम जानते हो हम बाबा से योग लगाए कर्मातीत अवस्था को पायेंगे।
    • वह आपस में लड़ेंगे, हम विश्व की बादशाही पा ही लेंगे।
    • यह तो कॉमन बात है।
    • वह बाहुबल वाले विश्व की बादशाही ले न सकें।
    • तुम योगबल से विश्व के मालिक बनते हो।
  • तुम्हारा है ही अहिंसा परमो दैवी धर्म
    • दोनों हिंसायें वहाँ होती नहीं।
    • काम कटारी की हिंसा सबसे खराब है जो तुमको आदि-मध्य-अन्त दु:ख देती है।
    • यह किसको पता नहीं, रावण राज्य कब होता है।
    • अभी पुकारते हैं - आकर हमको पावन बनाओ तो जरूर कभी पावन थे ना।
    • भारतवासी बच्चे ही पुकारते हैं - दु:ख से लिबरेट करो, शान्तिधाम ले जाओ।
    • दु:ख हरकर सुख दो।
  • कृष्ण को हरि भी कहते हैं।
    • बाबा हमको हरि के द्वार ले चलो।
    • हरि का द्वार है कृष्णपुरी। यह है कंसपुरी।
    • यह कंसपुरी हमको पसन्द नहीं हैं।
    • माया मच्छन्दर का खेल दिखाते हैं।
    • यह तो तुम जानते हो रावण का राज्य द्वापर से शुरू होता है।
    • देवतायें जो पावन थे वह पतित होने शुरू होते हैं, इसकी भी निशानियाँ जगन्नाथ पुरी में हैं।
  • दुनिया में बड़ा गन्द लगा हुआ है।
    • अब हम तो उन सब बातों से निकल परिस्तान में जाते हैं।
    • इसमें बड़ी हिम्मत, महावीरपना चाहिए।
    • बाबा का बनकर पतित थोड़ेही बनना है।
  • वह समझते हैं स्त्री-पुरूष इकट्ठे रहें और आग न लगे, यह हो नहीं सकता इसलिए ही हंगामा करते हैं कि यहाँ स्त्री-पुरूष को भाई-बहिन बनाया जाता है।
    • ऐसा तो कहाँ लिखा हुआ नहीं है।
    • पता नहीं यहाँ कौनसा जादू है।
    • अरे तुम ब्रह्माकुमारियों के पास जायेंगे और बस तुमको वहाँ बांध रखेंगी।
    • ऐसे-ऐसे वहाँ बहकाते रहते हैं।
    • यह भी ड्रामा में नूँध है।
    • जिनका पार्ट होगा वह कैसे भी आ जायेंगे, इसमें डरने की बात ही नहीं।
  • शिवबाबा तो ज्ञान का सागर, पतित-पावन सर्व का सद्गति दाता है।
    • ब्रह्मा द्वारा पतित से पावन बनाते हैं।
    • यह अक्षर ऐसे बड़े लिखे हों जो कोई भी आकर पढ़े।
    • पवित्रता पर ही कितने विघ्न डालते हैं।
  • बाबा कहते हैं - बच्चे किसी भी देहधारी में मोह की रग नहीं चाहिए।
    • अगर कहाँ मोह की रग होगी तो फँस पड़ेगे।
    • यहाँ तो अम्मा मरे तो भी हलुआ खाना...।
    • बाबा सामने बिठाकर पूछते हैं कल तुम्हारा कोई मर जाए तो रोयेंगे तो नहीं।
    • आसूँ आया तो फेल हुए।
    • एक शरीर छोड़ दूसरा लिया इसमें रोने की बात क्या है।
    • दूसरा कोई सुने तो कहे, मुख से अच्छा तो बोलो।
    • अरे अच्छा ही बोलते हैं।
    • सतयुग में रोना होता ही नहीं, यह जीवन तुम्हारा उनसे भी ऊंच है।
    • तुम हो सबको रोने से बचाने वाले फिर तुम कैसे रायेंगे?
    • हमको पतियों का पति मिला जो हमको स्वर्ग में ले जाते हैं।
    • फिर नर्क में गिराने वाले लिए हम क्यों रोयें!
    • बाबा कितनी मीठी-मीठी बातें सुनाते हैं, वर्सा लेने के लिए।
  • इस समय भारत का कितना अकल्याण हुआ पड़ा है।
    • बाप आकर कल्याण करते हैं।
    • भारत को मगध देश कहते हैं।
    • सिन्ध जैसे फैशनबुल कोई होते नहीं।
    • विलायत से फैशन सीखकर आते हैं।
    • बाल बनाने पर आजकल लड़कियाँ कितना खर्चा करती हैं।
    • उनको कहा जाता है नर्क की परियाँ।
    • बाप तुमको स्वर्ग की परियाँ बनाते हैं।
    • कहते हैं हमारे लिए तो यहाँ ही स्वर्ग है, यह सुख तो ले लेवें।
    • कल क्या होगा - हम क्या जानें।
    • ऐसे अनेक विचार वाले आते हैं।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) सच्चा-सच्चा रूहानी पण्डा बन सबको घर का रास्ता बताना है।
    • शरीर निर्वाह अर्थ धन्धा करते याद की यात्रा में रहना है।
    • कार्य-व्यवहार में तंग नहीं होना है।
  • 2) ज्ञान श्रृंगार कर स्वयं को स्वर्ग की परी बनाना है।
    • इस तमोप्रधान दुनिया में जिस्मानी श्रृंगार नहीं करना है।
    • कलियुगी फैशन छोड़ देना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • न्यारे और प्यारे पन की योग्यता द्वारा लगावमुक्त बनने वाले सहजयोगी भव
  • सहजयोगी जीवन का अनुभव करने के लिए ज्ञान सहित न्यारे बनो, सिर्फ बाहर से न्यारा नहीं बनना लेकिन मन का लगाव न हो।
  • जितना जो न्यारा बनता उतना प्यारा अवश्य बन जाता है।
  • न्यारी अवस्था प्यारी लगती है।
  • जो बाहर के लगाव से न्यारे नहीं वह प्यारे बनने के बजाए परेशान होते हैं इसलिए सहजयोगी अर्थात् न्यारे और प्यारे पन की योग्यता वाले, सर्व लगावों से मुक्त।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • स्व पुरुषार्थ और सेवा के बैलेन्स द्वारा बंधन, सम्बन्ध में बदल जायेगा।