26-06-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति

"बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - बाप की श्रीमत है, इस पुरानी दुनिया से अपना मुख मोड़ लो, जीवनमुक्ति के लिए तुम दैवी मैनर्स धारण करो''

प्रश्नः-

कौन से मैनर्स बाप के सिवाए कोई भी सिखला नहीं सकता है?

उत्तर:-

पवित्र बनना और बनाना - यह है सबसे बड़ा दैवी मैनर्स।

तुम घर-गृहस्थ में रहते पवित्र रहो, यह शिक्षा एक बाप ही देते हैं, दूसरा कोई दे नहीं सकता।

तुम बच्चों का बेहद का संन्यास है।

तुम इस पुरानी दुनिया को ही बुद्धि से भूलते हो।

तुम जानते हो पवित्रता की धारणा से बाकी सब मैनर्स स्वत: आ जाते हैं।

गीत:- आज अन्धेरे में हैं हम इंसान....

 

गीत:- आज अन्धेरे में हैं हम इंसान....


  • ओम् शान्ति।
  • बच्चों ने गीत की एक लाइन सुनी।
  • एक तरफ है सारी दुनिया - भक्ति मार्ग वाले और दूसरे तरफ हो तुम बच्चे ज्ञान मार्ग वाले।
    • वह भक्ति की सीढ़ी चढ़ते रहते हैं और तुम बच्चे फिर ज्ञान की सीढ़ी चढ़ते हो।
    • भक्ति की सीढ़ी उतरते हो।
    • बच्चे जानते हैं - आधाकल्प से भक्ति की सीढ़ी चढ़नी होती है।
    • भक्ति भी पहले अव्यभिचारी होती है, पीछे व्यभिचारी बनती है।
    • बिल्कुल ही अन्धश्रद्धा में आ जाते हैं।
    • कुछ भी नहीं समझते।
    • गाते भी हैं - हम अन्धियारे में हैं।
  • सतगुरू बिगर घोर अन्धियारा।
    • गुरू तो यहाँ बहुत हैं।
    • अब सच्चा गुरू कौन है?
    • साधू-सन्त, महात्मा, भगत आदि सब साधना करते हैं अथवा याद करते हैं।
    • शास्त्र, वेद, उपनिषद आदि पढ़ते हैं फिर भी कहते हैं, भगवान जब आये तब ही आकर हमारी सद्गति करे।
    • सद्गति दाता को ही पतित-पावन कहा जाता है।
  • अभी तुम बच्चे घोर अन्धियारे में नहीं हो।
    • तुम ज्ञान की रोशनी में आये हो।
    • पतित-पावन बाप को जानते हो और उनको याद करते हो।
    • जितना जो बच्चा याद करता है और ज्ञान की धारणा करता है उतना उसका अज्ञान अन्धियारा विनाश हो जाता है।
    • अब रोशनी में ले जाने वाला एक ही बाप है।
  • ज्ञान अंजन सतगुरू दिया...कोई शुरमा नहीं है।
    • यह ज्ञान की बात है।
    • ज्ञान के साथ योग भी रहता है।
    • जरूर जो मनुष्य भक्ति सिखलाते हैं, तो उससे भी योग रहता है।
  • अब तुम बच्चों का बुद्धियोग लगा हुआ है, निराकार परमपिता परमात्मा के साथ।
    • तुम्हारे में भी नम्बरवार हैं।
    • और कोई मनुष्य मात्र का परमपिता परमात्मा सर्वशक्तिमान् के साथ योग है ही नहीं सिवाए तुम बच्चों के।
    • तुमको बाप से और मुक्ति, जीवनमुक्तिधाम से योग लगाना पड़ता है।
  • जीवनमुक्ति के लिए दैवी मैनर्स भी बहुत अच्छे चाहिए।
    • इस समय तो सबके मैनर्स आसुरी हैं।
  • परमपिता परमात्मा के भी गुण गाये जाते हैं ना।
    • मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है, सत है, चैतन्य है, आनंद का सागर, ज्ञान का सागर है।
    • पवित्रता का सागर है फार एवर।
    • उनका यह पद अविनाशी है और कोई मनुष्य का यह अविनाशी पद हो न सके।
  • भल अभी तुम ज्ञान का सागर, पवित्रता का सागर बनते हो, परन्तु लिमिटेड बनते हो।
    • बाप कहते हैं - मैं अनलिमिटेड हूँ।
    • तुमको अनलिमिटेड बना नहीं सकता।
    • नहीं तो फिर सृष्टि का खेल कैसे चले?
    • 84 जन्म कैसे भोगेंगे?
    • तुम फार एवर बन नहीं सकते।
    • तुमको लिमिटेड बनाता हूँ, 21 जन्मों के लिए तुम बनते हो।
    • 21 पीढ़ी भी लिखा हुआ है।
    • तुम फार एवर बनो, यह ड्रामा में कायदा नहीं।
    • मैं तो हूँ ही एवर प्योर।
    • मैं रहता हीं हूँ परमधाम में।
    • मेरे पास ज्ञान, पवित्रता आदि है ही है।
  • तुम भूल जाते हो तो इस समय बाप आकर बच्चों को घोर अन्धियारे से निकाल ज्ञान और योग से पवित्र बनाते हैं और कोई ऐसे कह न सके कि मैं परमधाम से आया हूँ, अब मुझे याद करो।
    • यह मेरे महावाक्यों की कोई कॉपी नहीं कर सकते।
    • मैं आता ही हूँ तुम बच्चों को 21 जन्मों के लिए राजाओं का राजा बनाने।
    • तो बनना चाहिए ना।
    • बनेंगे भी वह जो कल्प पहले बने हैं।
  • तुम जानते हो - कितने बच्चे पवित्र बनते हैं, कितने अजामिल जैसे पापी बन जाते हैं।
    • कितने अशुद्ध मैले बन जाते हैं।
    • बाप को आकर मैले कपड़े साफ करना पड़ता है।
    • आत्मा ही मैली बनती है।
    • आत्मा को समझाते हैं तुमको माया ने कितना मैला बनाया है, सिर्फ एक इस जन्म की बात नहीं।
    • यह तो जन्म-जन्मान्तर की बात है, जो आत्मा को साफ करने के लिए लक्ष्य-सोप देता हूँ।
  • मुझे याद करो तो तुम्हारी आत्मा जो बुझी हुई है, वह इस योग से जग जायेगी - जितना-जितना मुझ बाप को याद करेंगे।
    • स्मृति दिलाते हैं, तुमको हमने स्वर्ग में भेजा था फिर माया ने मैला बना दिया है।
    • अब फिर मैं तुमको स्वर्ग का मालिक बनाने आया हूँ।
    • मैं इस ब्रह्मा तन से शिक्षा दे रहा हूँ।
    • आत्मा से बात करते हैं, हे बच्चे लौकिक बाप की विस्मृति करो।
    • देह सहित देह के सब सम्बन्धी भूलकर मुझ अपने बाप को याद करो तो तुम्हारी आत्मा साफ होती जायेगी।
    • फिर तुमको शरीर भी भविष्य में नया मिलेगा।
    • फिर तत्व आदि सब नये सतोप्रधान हो जाते हैं।
  • बाप कहते हैं - अब इस पुरानी दुनिया को भूलते जाओ।
    • मुझे याद करो तो तुम मेरे पास आकर फिर स्वर्ग में जायेंगे।
    • यह पुरानी दुनिया है।
    • इसमें कोई चीज़ बनाते हैं तो उस पर नया नाम रख देते हैं।
    • जैसे नई देहली, पुरानी देहली कहते हैं।
    • परन्तु दुनिया तो पुरानी है ना।
    • अब तुम बच्चों का इस पुरानी दुनिया से बुद्धियोग बिल्कुल हट जाना चाहिए।
    • हम आत्माओं का स्वीट होम वा निर्वाणधाम है, वहाँ जाना है।
    • अपने को आत्मा निश्चय करना पड़े।
  • बाप कहते हैं - मुझे याद करो तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।
    • मनुष्य जो अनेकों को याद करते हैं।
    • कोई किसी गुरू को, कोई कृष्ण को।
    • कृष्ण आदि कहाँ गये?
    • यह कोई नहीं जानते।
    • यह नहीं समझते - पुनर्जन्म में सबको आना है।
    • यह रसम-रिवाज सृष्टि के आदि से चली आती है।
    • सतयुग आदि में देवी-देवतायें हैं, जरूर पुनर्जन्म वहाँ से ही शुरू हुआ होगा।
  • पहले-पहले है श्रीकृष्ण फर्स्ट पवित्र मनुष्य, उनकी महिमा जास्ती है।
    • लक्ष्मी-नारायण की इतनी नहीं है क्योंकि बच्चे पवित्र सतोप्रधान होते हैं तो महिमा बच्चों की गाई जाती है।
    • कृष्ण की बहुत महिमा है।
    • परन्तु यह नहीं जानते कि कृष्णपुरी है कहाँ।
  • वैकुण्ठ कहते भी हैं सतयुग को फिर पता नहीं कृष्ण को द्वापर में क्यों कह दिया है।
    • वही चीज़ दूसरे कोई नाम, रूप, देश में आ न सके।
    • वही नाम रूप दूसरे जन्म में हो नहीं सकता।
    • कृष्ण तो सतयुग में था।
    • तुम जानते हो, यह जगत अम्बा, जगतपिता जाकर लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
  • सतयुग को कृष्णपुरी कहा जाता है।
    • अब है कंसपुरी।
    • यह सब आसुरी नाम हैं।
    • वहाँ थे दैवी सम्प्रदाय, यहाँ हैं आसुरी सम्प्रदाय।
    • बाप बैठ बच्चों को संगम पर समझाते हैं, वह बाप है रचयिता।
    • उनको कहा जाता है, मनुष्य सृष्टि का बीजरूप।
    • तो जरूर नई मनुष्य सृष्टि रचेंगे।
    • तुम गाते भी हो - बाबा आप पतित-पावन हो।
    • इस पतित सृष्टि को आकर पावन बनाओ।
    • पावन सृष्टि रच पतित सृष्टि का विनाश कराओ।
    • बरोबर ब्रह्मा द्वारा पावन सृष्टि रच शंकर द्वारा पतित सृष्टि का विनाश कराते हैं।
    • यह बातें और कोई नहीं जानते हैं।
    • अभी तुम बच्चे बाप के साथ योग लगाते हो।
  • तुम देखते हो बाबा मैले कपड़ों को सटका लगाते हैं।
    • कोई तो फट जाते हैं, कोई टूट पड़ते हैं।
    • कोई तो बहुत मैले, अजामिल जैसे पापी हैं, जो बिल्कुल धारणा नहीं होती है।
    • बाप कितनी अच्छी बातें समझाते हैं।
  • मीठे लाडले बच्चे - मुझ मोस्ट बिलवेड बाप को याद करो।
    • मोस्ट बिलवेड सुखधाम को याद करो।
    • यह भी तुम अब जानते हो।
    • दुनिया में कोई को पता नहीं।
    • यह तो अब है अति दु:खधाम।
    • मनुष्य त्राहि-त्राहि करते रहते हैं, एक दो को मारते रहते हैं।
    • फिर कहते हैं भगवान रक्षा करो, यह जरूर मुख से निकलेगा।
    • बाप तो लिब्रेटर है।
  • तुम जानते हो - बाप आये हैं हम बच्चों को इनपर्टीकुलर और सबको इनजनरल सुखधाम में ले चलने के लिए।
    • तुम बच्चों में भी नम्बरवार हैं जिनको यह नशा है।
    • यह पढ़ाई कोई कम नहीं, पढ़ाते भी देखो किसको हैं।
    • अजामिल जैसी पाप आत्माओं को पढ़ाकर स्वर्ग का मालिक बना देते हैं।
    • तमोप्रधान तो सब हैं, उनको सतोप्रधान दुनिया में ले जाना पड़ता है।
    • बच्चों को बार-बार समझाते हैं कि यहाँ दैवीगुण धारण करने हैं।
    • यहाँ तुमको एम-आब्जेक्ट बुद्धि में है।
    • यह पवित्रता के मैनर्स और कोई नहीं सिखाते।
  • संन्यासी तो घरबार छुड़वाते हैं।
    • यहाँ बाप कहते हैं - तुमको घरबार नहीं छोड़ना है।
    • तुमको तो इस पुरानी दुनिया को छोड़ना है।
    • वह है हद का संन्यास, यह है बेहद का संन्यास।
    • उन संन्यासियों को भी कितना मान मिलता है।
    • साधू समाज गवर्मेन्ट को भी मत (राय) देते हैं।
    • आगे चलकर यह संन्यासी आदि भी तुम माताओं के चरणों में गिरेंगे।
    • माताओं बिगर उन्हों का उद्धार नहीं हो सकता क्योंकि तुम नॉलेज देते हो।
    • बाकी चरणों में गिरने की बात नहीं है।
    • हाँ कोई नमस्ते वा राम-राम करते हैं तो रेसपान्ड तो देना होता है।
    • बाबा भी कहते हैं, बच्चे नमस्ते।
  • मैं तुम बच्चों को अपने से भी ऊंच बनाता हूँ।
    • तुमको ब्रह्माण्ड और सृष्टि दोनों का मालिक बनाता हूँ और मैं वानप्रस्थ में चला जाता हूँ।
    • परन्तु तुम्हें श्रीमत पर भी चलना पड़े।
    • इस पुरानी दुनिया से मुख मोड़ना पड़े।
    • राम, रावण और सीता का खिलौना है ना।
    • सीता रावण को पीठ कर देती है, राम को मुँह कर देती है।
    • कृष्ण का भी चित्र है - नर्क को लात मार रहा है और स्वर्ग का गोला हाथ में हैं।
  • बाप बहुत अच्छी रीति समझाते हैं परन्तु विरला व्यापारी यह व्यापार करे।
    • बाप को अपना पुराना तन-मन-धन दे नया ले।
    • यह बड़ा फर्स्टक्लास इनश्योरेन्स हैं।
    • बाप कहते हैं - तुम अपनी आत्मा पवित्र बनायेंगे तो फिर शरीर भी पवित्र मिलेगा।
    • फिर तुम स्वर्ग की राजाई करेंगे इसलिए उनको सौदागर, जादूगर कहते हैं।
    • पतित को पावन बनाना - यह ईश्वरीय जादूगरी कहेंगे ना।
    • बाप कहते हैं नर्कवासियों को स्वर्ग-वासी बनाओ, कैसा फर्स्टक्लास जादू है।
    • इसमें प्राप्ति बहुत है।
  • बाप कहते हैं - राजाओं का राजा बनो, फालो करो।
    • बाप बैठे हैं ना।
    • यह अधरकुमार है, मम्मा कुँवारी कन्या है।
    • तो फालो करना पड़े।
    • वर्सा बाप से मिलना है।
    • तुम कहेंगे हम भाई-बहिन बाप से वर्सा लेते हैं।
    • वैसे तो लौकिक रीति बहन को वर्सा नहीं मिलता है, भाई को वर्सा मिलता है।
    • यहाँ तो तुम सबको मिलना है क्योंकि तुम सब आत्मायें हो ना।
    • बाप कहते हैं - तुम सबको मेरे पास आना है।
    • फिर तो यह भाई-बहिन का नाता भी टूट जायेगा।
    • वहाँ है बाप और बच्चों का नाता, निर्वाणधाम में इसलिए कहते हैं वी आर ऑल ब्रदर्स।
  • अगर ईश्वर को सर्वव्यापी कहें तो फिर फादरहुड हो जाता है।
    • इस सर्वव्यापी के ज्ञान ने कितना नुकसान किया है।
    • अब तुम बच्चों पास बाप की याद है।
  • बाप को याद करने में ही मेहनत जास्ती है।
    • ऐसे भी नहीं कि तुमको कोई नेष्ठा में बिठाये।
    • तुमको तो लक्ष्य मिला हुआ है।
    • यहाँ तो तुम मुरली सिर्फ बैठ सुनाते हो।
    • योग तो तुम्हारा सदैव रहता है।
    • मुरली सुना फिर चलते-फिरते याद में रहना है।
    • हम यात्रा पर जा रहे हैं।
    • जितना हो सके याद में रहना है।
    • 8 घण्टा सर्विस करो, वह भी छूट है।
    • बाकी टाइम देना है।
    • मूल बात है ही पवित्रता की।
  • तुम जानते हो यह है काँटों का फॉरेस्ट।
    • एक दो को काँटा लगाते रहते हैं।
    • अब बाप कहते हैं - श्रीमत पर चलो।
  • शिवबाबा भी बात करते हैं।
    • ब्रह्मा भी बात करते हैं परन्तु तुम जानते हो शिवबाबा हमको पढ़ाते हैं, तुम स्टूडेन्ट्स हो।
    • तुम कहते हो वह हमारा बाप भी है, टीचर और सतगुरू भी है।
    • गैरन्टी करते हैं तुमको वापिस ले जाऊंगा।
    • ऐसे कोई गैरेन्टी कर न सके।
  • यह बाप ही कहते हैं - गॉड फादर ही सुख देने वाला धर्म स्थापन करते हैं।
    • उस बाप को कोई जानते नहीं हैं।
    • अगर बाप को जानें तो बाप की प्रापर्टी को भी जान जायें।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) एम ऑब्जेक्ट को सदा सामने रख दैवीगुण धारण करने हैं।
    • सतोप्रधान दुनिया में चलने के लिए पवित्रता के मैनर्स अपनाने हैं।
    • बुद्धि से बेहद का संन्यास करना है।
  • 2) मोस्ट बिलवेड बाप को और अपने सुखधाम को याद करना है।
    • इस दु:खधाम से बुद्धि का योग निकाल देना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • एक बाप से योग रख सर्व का सहयोग प्राप्त करने वाले सच्चे योगी व सहयोगी भव
  • जो जितना योगी है उतना उसे सर्व का सहयोग अवश्य प्राप्त होता है।
  • योगी का कनेक्शन अथवा स्नेह बीज से होने के कारण स्नेह का रिटर्न सबका सहयोग प्राप्त हो जाता है।
  • तो बीज से योग लगाने वाला, बीज को स्नेह का पानी देने वाला सर्व आत्माओं द्वारा सहयोग रूपी फल प्राप्त कर लेता है क्योंकि बीज से योग होने के कारण पूरे वृक्ष के साथ कनेक्शन हो जाता है।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • पुराने संस्कारों को मेरा कहना अर्थात् पुरूषार्थ को ढीला करना।