-
ओम् शान्ति।
- बच्चे सब सम्मुख बैठे हैं तो जानते हैं हम जीव आत्मायें हैं।
- यहाँ तो
जीव आत्मायें होंगी ना।
- जब आत्मा को शरीर नहीं है तो नंगी है, उसको अशरीरी कहा
जाता है।
- तुम तो शरीर के साथ बैठे हो।
- आत्मा वा परमात्मा जब तक शरीर में न
आये तो बोल न सके।
- तुम जीव आत्मायें जानती हो, अब बाप के सम्मुख बैठे हैं।
- हूबहू जैसे 5 हजार वर्ष पहले सम्मुख आये थे।
- बच्चे जरूर बाप से वर्सा ही लेंगे।
- जानते हैं हम अपने परमपिता परमात्मा बेहद के बाप के सम्मुख बैठे हैं।
- क्यों बैठे हैं?
- बाप से बेहद का वर्सा लेने।
- जैसे स्कूल में समझते हैं हम टीचर द्वारा इन्जीनियरी,
बैरिस्टरी सीखते हैं।
- यह एम ऑब्जेक्ट रहती है।
- तुम बच्चे समझते हो परमपिता
परमात्मा हमको ब्रह्मा के तन से बैठ राजयोग सिखलाते हैं।
- भगवानुवाच - यह तो
बच्चों को समझाया है कि भगवान निराकार को कहा जाता है।
- जीव आत्मायें पुनर्जन्म
जरूर लेती हैं।
- कोई भी संन्यासी से तुम पूछो - मनुष्य पुनर्जन्म लेते हैं?
- तो ऐसे नहीं
कहेंगे कि नहीं लेते हैं।
- नहीं तो 84 लाख जन्म कैसे कहते?
- पूछो - तुम पुनर्जन्म को
मानते हो?
- यह तो बरोबर है, आत्मा संस्कार अनुसार एक शरीर छोड़ फिर दूसरा लेती
है।
- ऐसे कोई-कोई मनुष्य 84 जन्म लेते हैं।
- 84 लाख जन्म की तो बात ही नहीं।
- पहला जन्म जरूर बहुत अच्छा सतोप्रधान होगा।
- लास्ट छी-छी तमोप्रधान होगा।
- 16
कला से फिर 14 कला, 12 कला होती जायेंगी, पुनर्जन्म जरूर लेते हैं।
- पूछना चाहिए
अच्छा परमपिता परमात्मा पुनर्जन्म लेते हैं वा पुनर्जन्म रहित हैं?
- देखो यह प्वाइंट
बहुत सूक्ष्म है।
- अगर कहेंगे जन्म-मरण रहित है तो फिर शिव जयन्ती सिद्ध नहीं
होती।
- कहेंगे शिव जयन्ती तो मनाई जाती है।
- समझाया जाता है हाँ शिव जयन्ती है
परन्तु जन्म के साथ फिर मरना जिसे कहा जाता है वह नहीं है।
- अगर मरे तो फिर
पुनर्जन्म ले।
- बाप कभी पुनर्जन्म नहीं लेते।
- वह इस तन में एक ही बार आते हैं, बस
फिर पुनर्जन्म में नहीं आते।
- परमपिता परमात्मा पुनर्जन्म रहित है, वह कभी
सतोप्रधान से तमोप्रधान नहीं बनते हैं।
- आत्मायें तो सब जन्म-मरण में आते-आते
पतित बन जाती हैं फिर बाप आते हैं पावन बनाने।
- इससे सिद्ध होता है आत्मा ही
पतित होती है, आत्मा घर से पावन आती है फिर माया पतित बना देती है।
- बाप तो
कभी पतित नहीं बनायेंगे।
- बाप कभी भी बच्चों को गन्दी मत नहीं दे सकते।
- इस
समय के मनुष्य पतित मत ही देते हैं।
- अब पावन बाप कहते हैं कि पतित नहीं बनो
अर्थात् विकार में नहीं जाओ।
- रावण की मत से दु:खधाम बन गया। पहले सुखधाम
था।
- ऐसे नहीं बाप ही सुख दु:ख देते हैं।
- नहीं, बाप कभी बच्चों को दु:ख की मत दे
नहीं सकते।
- माया ही दु:ख देती है।
- उस माया पर जीत पाने से तुम जगतजीत बनते
हो।
- मनुष्य माया का अर्थ नहीं समझते।
- वह धन को माया कह देते हैं।
- कहते हैं ना
इनको माया का नशा बहुत है।
- परन्तु माया का नशा होता नहीं।
- वहाँ रावण का बुत
बनाकर जलाते नहीं।
- बुत तो दुश्मन का बनाया जाता है।
- रावणराज्य शुरू होता है
आधाकल्प से।
- देह अहंकार आने से फिर और विकार आ जाते हैं।
- शास्त्रों में लिखा
हुआ है देवतायें वाम मार्ग में अर्थात् विकारों में जाते हैं।
- माया के वश होने से परवश
बन जाते हैं।
- परमत पर चलते रहते हैं।
- अभी तुम चलते हो श्रीमत पर।
- परमत माना
माया की मत।
- श्री अर्थात् श्रेष्ठ मत है बाप की।
- वह है रावण की मत, परमत इसलिए
बाप ने कहा है आसुरी सम्प्रदाय सब रावण की जंजीर में बंधे हुए दु:खी हैं।
- मनुष्यों ने सतयुग की आयु लाखों वर्ष समझ ली है।
- तुम तो हिसाब बताते हो - 5
हजार वर्ष कैसे हैं।
- क्राइस्ट को 2 हजार वर्ष हुआ, बुद्ध को 2250 वर्ष हुआ फिर
इस्लामी को 2500 वर्ष हुआ।
- सबको मिलाकर आधाकल्प हुआ।
- उनके पहले तो
देवताओं का राज्य था फिर देवताओं को लाखों वर्ष कैसे कह सकते हैं।
- इतने मनुष्य
होते फिर तो मनुष्य बहुत हो जाते।
- इतने तो हैं नहीं।
- 5 हजार वर्ष में ही करोड़ों
मनुष्य हो जाते हैं।
- कहते भी हैं क्राइस्ट के 3 हजार वर्ष पहले भारत में आदि सनातन
देवी-देवता धर्म था।
- 5 हजार वर्ष पूरे हो जाते हैं।
- नाटक पूरा तो होता है ना।
- इन बातों
को कोई जानते नहीं।
- मैं जो हूँ, जैसा हूँ, यह चक्र फिरता है, कोई जान न सकें।
- बाप
ही समझाते हैं - यह है गीता एपीसोड।
- बाप ने आकर सहज राजयोग सिखाया था।
- बाबा बुढ़ियों को भी समझाते हैं कि यह बहुत सहज बात है।
- सिर्फ बाप और वर्से को
याद करना है।
- बच्चा पैदा हुआ, गोया वारिस पैदा हुआ।
- तुम समझते हो हम बाबा के
वारिस हैं।
- 5 हजार वर्ष बाद फिर से मिलने आये हैं।
- यह बड़ी गुप्त बातें हैं।
- बाबा
पूछते हैं आगे कभी मिले हो?
- कहते हैं हाँ बाबा।
- आत्मा इस मुख द्वारा कहती है -
हम 5 हजार वर्ष पहले आपसे मिले थे।
- आप इस तन द्वारा शिक्षा देने आये थे।
- जो
पक्के-पक्के बच्चे हैं समझते हैं हम बाबा से बेहद का वर्सा लेने बैठे हैं।
- हम बेहद के
बाप के बने हैं, ब्रह्मा द्वारा।
- बाप कहते हैं - मुझे पहचानते हो, मैं तुम्हारा बाप हूँ।
- तुम कहेंगे हाँ बाबा, हम आत्माओं के आप परमपिता परमात्मा बाप हो।
- बाप भी कहते
हैं - तुमको हमने स्वर्ग में भेजा था, वर्सा दिया था फिर माया ने छीन लिया फिर अब
मैं देता हूँ।
- माया वर्सा छीनती है, बाप दिलाते हैं।
- यह अनेक बार खेल हो चुका है,
होता रहेगा।
- अन्त नहीं है।
- बाप के बनते हैं फिर कोई सगे, कोई लगे।
- कोई सौतेले,
कोई मातेले बनते हैं।
- कच्चे-पक्के तो हैं ना।
- पक्कों को भी कभी माया एकदम जीत
लेती है।
- बच्चे कहते हैं बाबा हम जब तक जियेंगे, आपसे वर्सा लेते रहेंगे।
- विकर्मो का
बोझा सिर पर बहुत है।
- तो जितना तुम याद में रहेंगे उस योग अग्नि से तुम
पाप-आत्मा से पुण्य-आत्मा बनते जायेंगे।
- आग चीज़ को पवित्र करती है।
- तुम्हारी है
योग अग्नि।
- यह बेहद का यज्ञ है।
- बेहद के सेठ ने बेहद का यज्ञ रचा है।
- इतने वर्ष
कोई भी यज्ञ चलता नहीं है।
- 7-8 रोज़ वा एक मास के लिए यज्ञ रचते हैं।
- तुम्हारा
यह यज्ञ तो कितने वर्षों से चल रहा है।
- बाप तो सुनाते रहते हैं।
- कहते हैं भूल मत
जाना, सिर्फ मुझे याद करो तो तुम्हारे जन्म-जन्मान्तर के विकर्मो का बोझा कटता
जायेगा।
- भगवानुवाच - मुझ अपने बाप को याद करो।
- जरूर आया हुआ है तब तो
कहते हैं ना।
- बाप कहते हैं - अब तुमको वापिस जाना है।
- तुम्हारी आत्मा इस समय बहुत पतित है।
- अब तुम जानते हो योग से हम पावन बनते जायेंगे।
- तुम्हारी तो प्रतिज्ञा है कि आप
जब आयेंगे तो और संग तोड़ तुम संग जोड़ेगे।
- तुम पर वारी जायेंगे।
- स्त्री, पुरूष पर
और पुरूष, स्त्री पर बलिहार होते हैं।
- यहाँ है बाप पर बलिहार जाना।
- शादी में एक
दूसरे पर बलिहार जाते हैं ना।
- अब बाप कहते हैं - तुमको कोई मनुष्य पर बलिहार
नही जाना है।
- तुम्हारी प्रतिज्ञा है - आप पर बलिहार जाऊंगी।
- आप हमारे पर बलिहार
जाओ तो 21 जन्म तुमको सदा सुखी बनाऊंगा।
- कितना भारी वर्सा है।
- श्रीमत से तुम
श्रेष्ठ बनेंगे, यह भूलो मत।
- लक्ष्मी-नारायण का चित्र भी घर में रख दो।
- हम बाप से
यह वर्सा ले रहे हैं।
- बाप परमधाम से आये हुए हैं।
- परन्तु माया चील भी कम नहीं है।
- सबकी बात नहीं है परन्तु नम्बरवार हैं।
- कोई तो एकदम भूल जाते हैं कि हम बाप से
वर्सा लेते हैं।
- यहाँ बैठे हैं तो नशा चढ़ता है।
- यहाँ से बाहर निकला और भूला फिर
सुबह को रिफ्रेश होते हैं फिर सारा दिन भूल जाते हैं।
- 4-5 वर्ष रहकर अच्छी सर्विस
करने वाले भी आज देखो नहीं हैं।
- कुछ अवज्ञा की है तो माया ने जोर से थप्पड़ मारा
और चले गये।
- बाबा कह देते हैं - चढ़े तो चाखे प्रेम रस, गिरे तो चकनाचूर।
- देखते हो
कैसे चकनाचूर हो जाते हैं।
- बैकुण्ठ में तो जरूर चलेंगे।
- परन्तु पद तो नम्बरवार है ना।
- भल वहाँ सब सुखी रहते हैं फिर भी मर्तबे तो हैं ना।
- स्कूल में मर्तबे पाने के लिए ही
तो पुरूषार्थ करते हैं।
- ऐसे नहीं प्रजा ही सही, जो तकदीर में होगा।
- नहीं, इसको
तमोप्रधान पुरूषार्थ कहा जाता है।
- सतोप्रधान उनको कहेंगे जो बाप से पूरा वर्सा लेने की
प्रतिज्ञा करते हैं।
- यह घुड़दौड़ है।
- सभी नम्बरवन तो नहीं जायेंगे।
- यह ह्यूमन रेस है।
- तुम चाहते हो हम जल्दी शिवबाबा के गले में पिरो जाएं तो उनको याद करना पड़े।
- सारा मदार याद पर है।
- माया विघ्न ऐसा डालती है जो एकदम रेस से निकाल देती है।
- तुम्हारी ह्युमन रेस है।
- आत्मा कहती है हम बहुत दु:खी हुए हैं।
- शरीर लेते-लेते बहुत
तंग हुए हैं।
- कहते हैं अब जायें बाबा के पास।
- बाबा ने युक्ति तो बतलाई है।
- कहते हैं
बाबा हम आपकी याद में ही रहेंगे।
- जितना टाइम निकाल सको उतना अच्छा है।
- गवर्मेन्ट की सर्विस में भी 8 घण्टा देते हो, ऐसे याद में भी 8 घण्टे तो रहो।
- सृष्टि को
स्वर्ग बनाना यह कितनी भारी सर्विस है।
- सिर्फ बाप को याद करो और सुख-धाम को
याद करो।
- बस, यह 8 घण्टा सर्विस करेंगे तो तुम पूरा वर्सा पायेंगे।
- ऐसे-ऐसे याद
करते-करते तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
- 8 घण्टा इस सर्विस में दो बाकी 16 घण्टा तुम
फ्री हो।
- जितना हो सके तुम घड़ी-घड़ी याद करो।
- याद तो कहाँ भी बैठ कर सकते हो।
- सबसे अच्छा टाइम तुमको सवेरे मिलेगा।
- सिन्धी में कहावत भी है सवेरे सोना, सवेरे
उठना...वही मनुष्य बड़ा गुणवान है।
- यह गायन भी अभी का है।
- बाप कहते हैं रात को
जल्दी सो जाओ और फिर सवेरे-सवेरे उठो।
- अज्ञानी लोग 8 घण्टा नींद करते हैं,
तुम्हारी नींद आधी होनी चाहिए।
- 4-5 घण्टा नींद बस।
- तुम कर्मयोगी हो ना।
- रात को
10 बजे सो जाओ 2 बजे उठो।
- शिवबाबा को याद करने से तुम्हारी कमाई बहुत है।
- तुमको हेल्थ वेल्थ दोनों ही मिलेगी।
- अच्छा 2 बजे नहीं तो 3 बजे उठो, 4 बजे उठो।
- फर्स्टक्लास समय वह है।
- शान्ति रहती है, सब अशरीरी बन जाते हैं।
- उस समय
सन्नाटा बहुत होता है।
- अमृतवेले की याद अच्छा असर करती है।
- बाबा बहुत करके रात
को जागते रहते हैं।
- सूक्ष्म सर्विस में थकावट नहीं होती।
- कमाई से तो खुशी होगी।
- तुम
बच्चे सवेरे उठ अपनी अविनाशी कमाई करते रहो।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) 21 जन्म सदा सुखी बनने के लिए एक बाप पर पूरा-पूरा बलिहार जाना है।
- श्रीमत
से श्रेष्ठ बनना है।
- मनमत वा परमत को त्याग देना है। कोई अवज्ञा नहीं करनी है।
- 2) सवेरे-सवेरे उठकर याद में बैठ कमाई करनी है।
- सृष्टि को स्वर्ग बनाने की सर्विस
कम से कम 8 घण्टा जरूर करनी है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- देह के भान को अर्पण कर समर्पण होने वाले योगयुक्त, बंधनमुक्त भव
- जो देह-अभिमान को अर्पण करता है उनका हर कर्म दर्पण बन जाता है।
- जैसे कोई
चीज़ अर्पण की जाती है तो वह अर्पण की हुई चीज़ अपनी नहीं समझी जाती है।
- तो
देह के भान को भी अर्पण करने से जब अपनापन मिट जाता है तो लगाव भी मिट
जाता है।
- उन्हें ही सम्पूर्ण समर्पण कहा जाता है।
- ऐसे समर्पण होने वाले सदा योगयुक्त
और बन्धनमुक्त होते हैं।
- उनका हर संकल्प, हर कर्म युक्तियुक्त होता है।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- सर्वशक्तिमान् को साथी बना लो तो सफलता आपके चरणों में आ जायेगी।
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