18-06-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति

"बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम बच्चों की खिदमत (सेवा) करने, तुम भी बाप समान बन सबकी खिदमत (सेवा) करो''

प्रश्नः-

ब्रह्मा बाप का कौन सा एक विचार चलता, जिस पर शिवबाबा कहते वेट एण्ड सी, फिकर मत करो?

उत्तर:-

बाबा का विचार चलता, समय बड़ा नाज़ुक होता जाता, बच्चों को अविनाशी ज्ञान रत्न लेने बाप के पास आना ही है, इतने ढेर बच्चे कहाँ आकर रहेंगे।

कितने मकान बनाने पड़ेंगे। शिवबाबा कहते वेट एण्ड सी।

कल्प पहले जैसे आकर रहे थे वैसे ही रहेंगे।

तुम फिकर मत करो, तुम सिर्फ पढ़ते रहो, मनमनाभव।

तुम्हें कर्मातीत बनने का पुरूषार्थ करना है।

गीत:- तुम्हें पाके हमने....

 

गीत:- तुम्हें पाके हमने....


  • ओम् शान्ति।
  • बाप भी कहते हैं बच्चे ओम् शान्ति।
      • और क्या कहेंगे!
      • बच्चों को कहते हैं - बच्चे ओम् शान्ति, तत्त्वम्।
    • हे बच्चों तुम भी शान्त स्वरूप हो।
    • तुम भी मास्टर पतित-पावन हो।
      • ऐसे और कोई कह नहीं सकेंगे।
  • कहा जाता है - जैसे काग वैसे बच्चे।
    • तुम बच्चे भी जानते हो जैसे बाबा वैसे हम।
    • बाप कहते हैं मैं ज्ञान का सागर हूँ।
    • तुम बच्चे भी समझेंगे हम मास्टर ज्ञान सागर हैं, गोया नदियाँ ठहरे।
    • सागर के बाल-बच्चे भी होंगे ना।
    • बड़ी-बड़ी नदियाँ भी हैं।
    • बड़े-बड़े तलाव, बड़े-बड़े सरोवर भी हैं।
    • वह हैं जड़, तुम हो चैतन्य।
    • सागर से ही निकले हुए हैं।
  • कई बच्चे भी इन बातों को समझते नहीं हैं क्योंकि पढ़ी लिखी तो बच्चियाँ हैं नहीं।
    • बाबा ने एक बार पूछा था - चीनी किससे बनती है?
    • गुड़ किससे बनता है?
    • तो बोला लाल गन्ने से गुड़ बनता है, सफेद गन्ने से चीनी बनती है।
    • बिचारी पढ़ी हुई तो हैं नहीं।
    • अब तुमको कितनी बड़ी बातें समझाते हैं।
    • पानी के सागर से पानी की ही नदियाँ निकलती हैं।
  • मनुष्य बहुत बढ़ते जाते हैं तो पानी भी बहुत चाहिए ना।
    • कितने कैनाल्स आदि बनाते रहते हैं।
  • तो तुम बच्चों को उठते-बैठते, चलते-फिरते यही ख्याल रखना है कि हम इस पतित दुनिया को पावन बनाते हैं।
    • गीत में भी कहते हैं बाबा हम आपसे विश्व की बादशाही का वर्सा लेते हैं।
    • यह हमसे कोई छीन नहीं सकेगा।
    • 21 जन्म यह राजाई कायम रहेगी।
    • बेहद का बाप आकर बेहद का राज्य भाग्य देते हैं।
    • राज्य भाग्य चलाने के लायक बनाते हैं, पवित्र बनाते हैं।
  • बुलाते भी हैं, हे पतित-पावन आओ।
    • यह कोई कृष्ण को नहीं बुलाते हैं।
    • निराकार भगवान को बुलाते हैं।
    • जब कहते हैं, हे पतित-पावन, तो कृष्ण बुद्धि में याद नहीं आता है, परमात्मा याद आता है।
    • बाप आकर हर एक बात समझाते हैं।
    • अभी तुम बच्चे सम्मुख बैठे हो।
    • यह कोई साधू-सन्त नहीं है।
    • तुम जानते हो निराकार शिवबाबा इस ब्रह्मा तन में प्रवेश कर हमको पढ़ाते हैं।
    • गायन भी है - परमपिता परमात्मा, ब्रह्मा तन द्वारा आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना करते हैं।
    • विनाश, स्थापना के बाद ही हुआ है।
    • इससे सिद्ध है कि पुरानी दुनिया में आते हैं।
    • ब्रह्मा द्वारा स्थापना नई दुनिया की, शंकर द्वारा अनेक धर्मो का विनाश कराते हैं।
  • सतयुग में एक धर्म था, अभी तो अनेक धर्म हैं।
    • एक धर्म वाले देवी-देवताओं की निशानी चक्र आदि है।
    • इन लक्ष्मी-नारायण को कहते ही हैं विश्व का मालिक।
    • स्वर्ग का मालिक सो विश्व का मालिक हो गया।
    • यह बातें अभी तुम बच्चों की बुद्धि में बैठी हैं।
  • बाप कहते हैं - बच्चे, मनमनाभव।
    • यह बच्चों को घड़ी-घड़ी सावधानी मिलती है।
    • बाप को और वर्से को याद करो।
    • यह भूलो मत और प्वाइंट्स भूल जाती हैं, यह तो मुख्य हैं ना।
    • बाप ही पतित-पावन है।
    • यह युक्ति बताते हैं पावन होने की।
    • बाप कहते हैं, तुम सतोप्रधान थे।
    • अब तमोप्रधान पतित बन गये हो।
    • 84 जन्म पूरे लिए हैं।
    • अब तुमको फिर सतोप्रधान बनना है।
    • सतोप्रधान बनो तब ही तुम चल सकेंगे पवित्र दुनिया में।
    • निराकारी दुनिया भी पवित्र है, साकारी दुनिया भी पवित्र है।
  • अपवित्र पतित दुनिया यह है।
    • आत्मा भी तमोप्रधान तो शरीर भी तमोप्रधान है।
    • यह तो सृष्टि का नाटक है, इसमें ब्रह्माण्ड और सूक्ष्मवतन भी आ जाता है।
    • सृष्टि का चक्र यहाँ फिरता है।
    • सतयुग त्रेता यहाँ है।
    • यह कोई सूक्ष्मवतन वा मूलवतन में नहीं होते।
    • यह यहाँ ही हैं।
    • इनको मनुष्य सृष्टि कहा जाता है।
    • वह है आत्माओं की निराकारी दुनिया।
    • वह है ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की आकारी दुनिया।
    • यह साकारी सृष्टि कितनी बड़ी है।
  • सतयुग में कितनी छोटी सृष्टि होती है।
    • वहाँ है ही एक धर्म।
    • बाकी मनुष्य जो कहते हैं कि वहाँ भी दैत्य आदि थे, यह सब है झूठ।
    • तुम समझते हो कि नई दुनिया की स्थापना, पुरानी दुनिया का विनाश गाया हुआ है।
    • सबका विनाश होगा और सतयुग हेवन की स्थापना होगी।
  • तुम भी बाप के साथ खिदमत कर रहे हो।
    • बाप भी आते ही हैं बच्चों की खिदमत करने।
    • यह है बेहद का बाप।
    • देखते हैं हमारे बच्चे बहुत दु:खी हैं तो जरूर तरस पड़ेगा ना।
    • वह है ही रहमदिल बाप।
  • अभी तो सारी दुनिया में अशान्ति है।
    • एक बाप के सिवाए और कोई शान्ति दे न सके।
    • हठयोगी भी अथाह हैं।
    • आत्मा के लिए कह देते वह निर्लेप है।
    • मनुष्यों को उल्टी बातें सुना देते हैं।
  • वास्तव में आत्मा की सफाई चाहिए।
    • आत्मा में ही खाद पड़ी है और किसको पता नहीं है।
    • कहते भी हैं यह पाप आत्मा है।
    • बहुत पाप करते हैं।
    • यह महात्मा है, पुण्यात्मा है।
    • ऐसे नहीं कहेंगे महान परमात्मा है।
    • संन्यासियों के लिए कहेंगे पवित्र आत्मा है क्योंकि संन्यास किया हुआ है।
    • अब बाप समझाते हैं - आत्मा को पवित्र बनाने वाला सिवाए एक परमात्मा बाप के और कोई हो नहीं सकता।
    • पतित दुनिया में पावन आत्मा कोई हो न सके।
  • अभी सैपलिंग लगता है।
    • धीरे-धीरे वृद्धि होती जायेगी।
    • यह तो छोटे-छोटे मठ, पंथ आदि टाल टालियाँ है।
    • उनमें कोई मेहनत थोड़ेही लगती है।
    • अनेक प्रकार के मन्त्र देते हैं।
    • किसम-किसम के मन्त्र देते हैं।
    • यह भी वशीकरण मन्त्र है, जिससे तुम 5 विकारों पर जीत पाते हो।
    • राम-राम का मन्त्र जपते हैं, इससे फायदा तो कुछ भी नहीं है।
  • यहाँ तो बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम्हारे पाप नाश हो जायेंगे।
    • तुम पवित्र आत्मा बन जायेंगे।
    • याद को ही योग कहते हैं।
    • भारत का प्राचीन योग बहुत मशहूर है।
    • इस योग से ही तुम विश्व पर जीत पाते हो।
    • भारत का राजयोग बहुत नामीग्रामी है।
    • यह बाप के सिवाए और कोई सिखा न सके।
  • तुम हो ब्रह्माकुमार, कुमारियाँ।
    • बी.के. तो यहाँ ही होंगे ना।
    • प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे तो जरूर ब्रह्मा के साथ ही होंगे।
    • ब्राह्मण कुल भी जरूर चाहिए।
    • इसको कहा जाता है - सर्वोत्तम ऊंचे ते ऊंचा ब्राह्मण कुल।
    • अभी तुम ब्राह्मण हो फिर उथल खायेंगे।
    • बाजोली खेलते हैं ना।
    • शूद्र से ब्राह्मण बने हो फिर देवता, क्षत्रिय...
  • तो अब बाप समझाते हैं मीठे-मीठे बच्चों - बहुत थोड़ी बात है, बाप की याद में रहो।
    • यह भी तो बुद्धि में है - बाबा हमको 84 जन्मों का राज़ बता रहे हैं।
    • 84 लाख अथवा 84 जन्मों का हिसाब तो चाहिए ना।
    • कोई को पता नहीं।
    • 84 लाख का तो हिसाब कोई बता न सके।
    • मनुष्य 84 जन्मों का चक्र लगाते हैं।
  • आत्मायें ऊपर से आती हैं पार्ट बजाने के लिए।
    • सतयुग से लेकर कलियुग अन्त तक आती ही रहती हैं।
    • हर एक अपना-अपना पार्ट बजाते रहते हैं।
    • इन बातों को मनुष्य मात्र नहीं जानते।
    • एक बाप ही जान सकते हैं।
  • मनुष्य को कभी परमपिता, गॉड फादर नहीं कहा जाता।
    • गॉड फादर कहने से फिर निराकार शिव तरफ बुद्धि जाती है।
    • जीव आत्मा का बाप तो होगा ना।
    • आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है।
    • निराकार बाप का नाम शिव है।
    • तुम्हारा भी एक ही नाम है, आत्मा।
    • फिर शरीर में भिन्न-भिन्न नाम पड़ते हैं।
  • परमपिता परमात्मा भी शरीर में आकर ज्ञान सुनाते हैं।
    • शरीर बिगर थोड़ेही सुनायेंगे।
    • तो बाप समझाते हैं कि इनका तो अपना नाम है, मेरा शरीर का कोई नाम नहीं है, न मैं पुनर्जन्म में आता हूँ।
    • मैं इनमें प्रवेश करता हूँ, इनको भी मालूम नहीं पड़ता है।
    • कोई तिथि तारीख नहीं।
    • हाँ मैं कल्प के अन्त अर्थात् रात में आता हूँ।
    • अभी रात है ना।
    • यह है ही पतितों की दुनिया।
  • मैं आता हूँ पावन दुनिया अर्थात् दिन बनाने।
    • यह भी नहीं जानते कि बाबा ने कब प्रवेश किया।
    • हाँ विनाश साक्षात्कार किया।
    • बहुत ध्यान में जाते थे, वह कोई तिथि तारीख वेला नहीं निकाल सकते।
    • कृष्ण को भी पूजते हैं, उनका रात्रि को जन्म दिखाते हैं।
    • किस समय, कितने मिनट आदि सारा निकालते हैं।
    • बाप कहते हैं - मैं तो हूँ ही निराकार।
    • जैसे और मनुष्य जन्म लेते हैं वैसे मेरा जन्म थोड़ेही होता है।
    • मेरा तो दिव्य अलौकिक जन्म है।
    • मैं इनमें प्रवेश करता हूँ फिर चला जाता हूँ।
    • बैल पर सारा दिन सवारी थोड़ेही करते हैं।
    • मुझे जिस समय बच्चे याद करते हैं, मैं हाज़िर हूँ।
  • बाप आकर बच्चों से मिलते हैं, गुडमार्निंग करते हैं।
    • जैसे मनुष्य एक दो में मिलते हैं, राम-राम वा नमस्ते कहते हैं।
    • यह तो रूहानी बेहद का बाप समझाते हैं।
    • मैं तुम सब बच्चों का बाप हूँ।
    • तो शिवबाबा की सन्तान तुम सब आत्मायें भाई-भाई हो।
  • यह खुशी का पारा चढ़ना चाहिए।
    • बेहद का बाप आया हुआ है, हमको बेहद का वर्सा दे रहा है।
    • बच्चों को देख बाप को भी खुशी होती है, ढेर बच्चे हैं।
    • बच्चे जानते हैं हमको बाबा स्वर्ग का मालिक बना रहे हैं, राजाई देते हैं।
    • प्रजा भी तो कहेगी - हमारा राज्य है।
    • जैसे भारतवासी कहते हैं यह हमारा भारत देश है।
    • राजा प्रजा दोनों कहते हैं हमारा देश है।
    • तुम बच्चे नर्कवासी हो फिर स्वर्गवासी बनेंगे।
  • बाप को और वर्से को याद करना है और कोई तकलीफ बाबा नहीं देते हैं।
    • रहना भी है गृहस्थ व्यवहार में।
    • यहाँ आकर थोड़ेही रहना है।
  • सब यहाँ भागकर आयें तो इतने सबको बाबा कहाँ रख सकते हैं।
    • इतने सब ढेर बच्चे एक ही बार कैसे इकट्ठे हो सकते हैं।
    • सब सेन्टर्स के बच्चे एक ही बार इकट्ठे मिल कैसे सकते हैं।
    • कहाँ ठहर सकेंगे।
    • मुश्किल है ना।
    • दिन-प्रतिदिन बच्चे वृद्धि को पाते रहते हैं, इसकी भी कुछ युक्ति रचनी पड़े।
    • यह सब आस-पास वाले मकान लेने पड़ेंगे।
    • मकान वालों से पूछेंगे, कितना मांगते हैं।
    • समय पर तो लेना पड़ेगा ना।
    • पैसे की तो कोई बात नहीं।
    • समय बड़ा नाज़ुक होता जाता है।
    • बाप और बच्चे दोनों अविनाशी हैं।
    • अविनाशी खजाना बच्चों को देते हैं।
    • बहुत ढेर बच्चों को आना होगा।
  • बाबा विचार करते हैं इतने ढेर कहाँ आकर रहेंगे।
    • बाबा कहते हैं तुम फिकर क्यों करते हो - “वेट एण्ड सी''।
    • तुम पढ़ते रहो, मनमनाभव।
  • तुम बच्चों को यह ख्याल में रखना है कि अभी हमको कर्मातीत अवस्था में जाना है, सतोप्रधान बनना है।
    • याद से ही पावन बनेंगे।
    • बाबा बात तो बहुत सहज बताते हैं।
    • अति सहज है सिर्फ बाबा को याद करना है।
  • देखो गाय के बच्चे को जब माँ याद आती है तो चिल्लाता है ना।
    • वह तो है जानवर।
    • तुम बच्चों ने भी रड़ियाँ मारी ना।
    • आगे चल बहुत चिल्लायेंगे, बहुत याद करेंगे।
  • तुम बच्चे तो अब जानते हो कि बाबा आया हुआ है, विनाश तो होना ही है।
    • नेचुरल कैलेमिटीज आनी है।
    • सब आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं।
    • कितना खर्चा कर बाम्ब्स बनाते हैं, बहुत पैसा जाता है।
    • खर्चा तो होता है ना।
    • इतना खर्चा कहाँ से लायें।
    • डरते भी हैं - मौत से।
    • फिर भी बाम्ब्स बनाना तो बन्द नहीं करते।
    • बाम्ब्स की लड़ाई चलेगी।
    • अभी बनाते ही ऐसे हैं - जो बम गिरे और मनुष्य मर जायें।
    • चीज़ बनाने में पहले टाइम लगता है फिर तो मिनटमोटर।
    • जल्दी-जल्दी बनाते जाते हैं।
    • बाम्ब्स भी कोई थोड़े बनेंगे क्या?
    • तुम बच्चे जानते हो इस पुरानी सृष्टि का विनाश होना है।
    • अब बेहद के बाप से वर्सा लेना है।
  • गीता है तुम भारतवासियों का, देवी-देवता धर्म का शास्त्र।
    • बाकी तो छोटे-छोटे हैं, उनका कोई गायन नहीं।
    • ब्राह्मण धर्म है सबसे ऊंच।
    • ब्राह्मणों का काम है कथा सुनाना।
    • तुम कह सकते हो हम ब्रह्माकुमार कुमारियाँ हैं ब्रह्मा के बच्चे, हमको डाडे का वर्सा मिल रहा है।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) ड्रामा के हर राज़ को जानते हुए किसी भी बात की फिकर नहीं करनी है।
    • पढ़ाई पढ़ते रहना है।
    • मनमनाभव होकर कर्मातीत बनने का ख्याल रखना है।
    • स्वयं को सतोप्रधान बनाना है।
  • 2) हम आत्मायें शिवबाबा की सन्तान आपस में भाई-भाई हैं।
    • शिवबाबा से वर्सा ले रहे हैं।
    • इस खुशी में रहना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • हर शिक्षा को स्वरूप में लाकर सबूत देने वाले सपूत वा साक्षात्कार मूर्त भव
  • जो बच्चे शिक्षाओं को सिर्फ शिक्षा की रीति से बुद्धि में नहीं रखते, लेकिन उन्हें स्वरूप में लाते हैं वह ज्ञान स्वरूप, प्रेम स्वरूप, आनंद स्वरूप स्थिति में स्थित रहते हैं।
  • जो हर प्वाइंट को स्वरूप में लायेंगे वही प्वाइंट रूप में स्थित हो सकेंगे।
  • प्वाइंट का मनन अथवा वर्णन करना सहज है लेकिन स्वरूप बन अन्य आत्माओं को भी स्वरूप का अनुभव कराना - यही है सबूत देना अर्थात् सपूत वा साक्षात्कार मूर्त बनना।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाओ तो मन-बुद्धि का भटकना बंद हो जायेगा।