15-06-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति

"बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करने के लिए सदा इसी स्मृति में रहो कि हम किसके बच्चे हैं, अगर बाप को भूले तो सुख गुम हो जायेगा''

प्रश्नः-

बाप के मिलने की स्थाई खुशी किन बच्चों को रहती है?

उत्तर:-

जिन बच्चों ने एक से अपने सर्व सम्बन्ध जोड़े हैं, जो एक बाप की याद में रहने की ही मेहनत करते हैं, किसी देहधारी को याद नहीं करते उन्हें ही स्थाई खुशी रहती है।

अगर देहधारी की याद है तो बहुत रोना पड़ेगा।

विश्व का मालिक बनने वाले कभी रोते नहीं।

गीत:- बचपन के दिन भुला न देना........

 

गीत:- बचपन के दिन भुला न देना........


  • ओम् शान्ति।
  • बाप कहते हैं मीठे बच्चों - हम बेहद के बाप के बच्चे हैं, यह भूलो मत।
    • यह भूले तो अपने को रुला देंगे।
    • छी-छी दुनिया में बुद्धि चली जायेगी।
  • बाप की याद रहने से अतीन्द्रिय सुख भासता है।
    • वह सुख, बाप को भूल जाने से गुम हो जायेगा।
    • हरदम याद रहना चाहिये कि हम बाबा के बच्चे हैं, नहीं तो अपने को रुला देंगे।
  • सब भगवान के बच्चे हैं, सब कहते हैं हे बाबा, हे परम पिता परमात्मा रक्षा करो।
    • परन्तु बाप से रक्षा कब होती है - यह किसको भी पता नहीं है।
    • साधू-सन्त आदि कोई भी नहीं जानते कि बाप से हमको मुक्ति-जीवनमुक्ति कब मिलनी है क्योंकि भगवान को ही कण-कण में कह दिया है।
    • अब तुम बच्चे बेहद के बाप को जान गये हो।
  • मोस्ट बिलवेड बाप है, उससे प्यारी वस्तु और कोई होती नहीं।
    • ऐसे बाप को न जानना बड़ी भारी भूल है।
    • शिव जयन्ती क्यों मनाते हैं, वह कौन है?
    • यह भी कोई नहीं जानते।
    • बाप कहते हैं तुम कितने बेसमझ बन गये हो।
    • माया रावण ने तुमको क्या बना दिया है!
    • अभी तुम बच्चे जानते हो यह हमारी जन्म भूमि है।
    • मैं हर 5 हज़ार वर्ष के बाद आता हूँ।
    • वह फिर कह देते 40 हज़ार वर्ष बाद जब यह कलियुग पूरा होगा तब आयेंगे।
  • चित्र भी दिखाया जाता है त्रिमूर्ति का।
    • त्रिमूर्ति मार्ग नाम भी रखा है परन्तु तीन मूर्ति ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को कोई नहीं जानते।
    • ब्रह्मा क्या करके गया?
    • विष्णु और शंकर क्या करते हैं, कहाँ रहते हैं, कुछ भी नहीं जानते।
    • बिल्कुल ही घोर अन्धियारे में हैं।
  • बाप है रचयिता।
    • उनकी यह कितनी बड़ी रचना है।
    • कितना बेहद का नाटक है।
    • इसमें बेहद के मनुष्य रहते हैं।
    • आज से 5 हज़ार वर्ष पहले जब सतयुग था, भारत में जब इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था तो और कोई राज्य नहीं था।
    • भगवती श्री लक्ष्मी, भगवान श्री नारायण को कहा जाता है।
    • राम-सीता को भी भगवान राम, भगवती सीता कहते हैं।
    • अब यह भगवान नारायण, भगवती लक्ष्मी कहाँ से आये?
    • राज्य करके गये हैं।
    • परन्तु उनकी जीवन कहानी तो एक भी नहीं जानते।
  • सिर्फ गाते रहते हैं हे भगवान दु:ख हर्ता सुख कर्ता।
    • परन्तु यह किसकी बुद्धि में नहीं आता - वह दु:ख हर्ता, सुख कर्ता कैसे है।
    • कौन-सा सुख सबको दिया?
    • और कब सबका दु:ख हरा?
    • कुछ भी नहीं जानते।
  • तुम बच्चे अभी यहाँ राजयोग सीख रहे हो - भगवती लक्ष्मी, भगवान नारायण बनने के लिए।
    • जानते हैं भगवती सीता, भगवान राम भी बनने का है।
    • 8 जन्म सतयुग में पूरे करके फिर राम-सीता के राज्य में आने वाले हैं।
    • 21 जन्म के लिए बेहद की राजाई तुम यहाँ स्थापन कर रहे हो।
    • तुम भगवती भगवान स्वर्ग के मालिक बन रहे हो।
  • स्वर्ग कोई आसमान में नहीं है।
    • यह भी किसको पता नहीं है।
    • बिल्कुल ही तुच्छ बुद्धि हैं।
    • कहते हैं फलाना स्वर्ग पधारा।
    • परन्तु समझते कुछ भी नहीं हैं।
  • अच्छा क्या क्रिश्चियन, बौद्धी सब हेविन में जायेंगे?
    • वह बाद में आकर अपना धर्म स्थापन करते हैं।
    • तो फिर वह स्वर्ग में कैसे आ सकते?
    • स्वर्ग किसको कहा जाता, यह भी उनको पता नहीं है।
  • संन्यासी लोग कहते ज्योति ज्योत समाया।
    • कोई फिर कहते निर्वाणधाम गया।
    • निर्वाण भी तो लोक है ना।
    • वह तो निवास स्थान है।
    • ज्योति ज्योत में लीन होने की बात ही नहीं।
    • ज्योति में मिल जाए तो फिर तो आत्मा ही खत्म हो जाए।
    • खेल ही खत्म हो जाता है।
    • इस ड्रामा से कोई भी आत्मा छूट नहीं सकती।
    • कोई भी मोक्ष को पा नहीं सकते।
  • गीत का अर्थ भी कोई समझते नहीं हैं।
    • न जीवनमुक्ति का अर्थ समझते हैं, न आत्मा-परमात्मा का अर्थ समझते हैं।
  • बाप कहते हैं - तुम्हारी शक्ल तो मनुष्य की है, जो इन देवताओं की भी थी।
    • सतयुग आदि में देवतायें थे।
    • उन्हों का 2500 वर्ष राज्य चला।
    • बाकी 2500 वर्ष की बात है, जिसमें और सब धर्म आते हैं।
    • 5 हज़ार वर्ष के बदले मनुष्य कह देते लाखों वर्ष कल्प वृक्ष की आयु है।
    • परन्तु तुम्हारी बात समझने के लिए भी नहीं आयेंगे।
    • हाँ, आयेंगे भी वही, जिन्होंने कल्प पहले आकर समझा होगा।
  • पहले तो समझाना है - एक है हद का संन्यास, जो संन्यासी लोग घरबार छोड़ जाए जंगल में रहते हैं, पहले-पहले वह सतोप्रधान थे।
    • फिर अब तमोप्रधान बने हैं तो जंगलों से लौटकर आए बड़े-बड़े महल बनाये हैं।
    • इन संन्यासियों ने भी पवित्रता के आधार पर भारत को थमाया जरूर है।
    • भारत की सेवा की है।
    • यह संन्यास धर्म नहीं होता तो भारत एक-दम विकारों में जल मरता, पतित बन जाता।
    • यह भी ड्रामा बना हुआ है।
    • उन्हों में पहले पवित्रता की ताकत थी, जिससे भारत को थमाया है।
  • इन देवताओं का जब राज्य था तो भारत कितना साहूकार था।
    • इन्हों के इतने बड़े-बड़े हीरे-जवाहरों के महल थे।
    • वह सब कहाँ गये?
    • सब नीचे चले गये।
    • लंका और द्वारिका के लिए कहते हैं - समुद्र के नीचे चली गई।
    • अभी तो है नहीं।
    • सोने के महल आदि सब थे ना।
    • जब मन्दिरों आदि में हीरे-जवाहरात लगा सकते हैं, तो वहाँ क्या नहीं होगा!
  • कितनी तुम बच्चों को खुशी होनी चाहिए।
    • बाबा फिर से आया हुआ है।
    • कहते हैं बाप को याद करो।
    • याद एक को ही करना है, जिससे विकर्म विनाश होते हैं।
    • परन्तु वह भूल जाते हैं और देहधारी की याद आ जाती है।
    • देहधारी की याद से तो कुछ भी फायदा नहीं।
    • बाप कहते हैं - मामेकम् याद करो।
    • किसी भी देहधारी को याद नहीं करो।
    • अम्मा मरे तो भी हलुआ खाना....
  • एक बाप की याद से ही कमाई है।
    • हम शिवबाबा के बच्चे हैं, उनसे वर्सा लेना है।
    • इस समय बाप को याद नहीं किया तो फिर बहुत पछताना पड़ेगा, रोना पड़ेगा।
    • विश्व के मालिक बनने वालों को रोने की क्या दरकार है।
    • तुम बाप को भूलते हो तब ही माया थप्पड़ लगाती है इसलिए बाबा बार-बार समझाते हैं कि बाप को और वर्से को याद करो।
  • अमरनाथ ने अमरपुरी में एक पार्वती को तो बैठ अमरकथा नहीं सुनाई होगी।
    • जरूर बहुत होंगे।
    • जो भी मनुष्य मात्र हैं सबको बाप समझाते हैं कि अब पतित मत बनो, यह अन्तिम जन्म पवित्र बनो।
    • वहाँ स्वर्ग में कोई विकार नहीं होते।
    • अगर वहाँ भी विकार होता तो फिर स्वर्ग और नर्क में फर्क क्या हुआ?
    • देवी-देवताओं की महिमा गाते हैं - सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण... हैं।
    • भगवान आकर भगवान-भगवती ही बनायेंगे, सिवाए भगवान के कोई बना न सके।
    • भगवान तो एक ही है।
    • गाया भी जाता है - भगवान-भगवती की राजधानी।
    • यथा राजा-रानी तथा प्रजा भी वही होगी।
    • परन्तु भगवान-भगवती कहा नहीं जाता इसलिए कहा जाता है आदि सनातन देवी-देवता धर्म।
    • यह किसको पता नहीं है।
  • इनकी (ब्रह्मा की) आत्मा को भी बाप समझाते हैं।
    • एक बाप की, एक दादा की - दो आत्मायें हैं ना।
    • एक आत्मा 84 जन्म लेती है, दूसरी आत्मा पुनर्जन्म रहित है।
    • बाप कभी पुनर्जन्म नहीं लेते हैं।
    • एक ही बार आकर सारे विश्व को पवित्र बनाने के लिए हमको राजयोग सिखाते हैं।
    • बाप तुमको समझाते हैं - मैंने इनमें प्रवेश किया है।
    • यह 84 जन्म भोग आये हैं।
    • अब इनके बहुत जन्मों का यह अन्तिम जन्म है।
    • अब मैं निराकार हूँ तो कैसे आकर बच्चों को राजयोग सिखलाऊं?
    • प्रेरणा से तो कुछ हो न सके।
  • कृष्ण भगवानुवाच तो हो न सके।
    • वह कैसे आ सकता है?
    • वह तो है ही सतयुग का प्रिन्स, 16 कला सम्पूर्ण... फिर त्रेता में होते हैं 14 कला सम्पूर्ण, फिर द्वापर में कृष्ण को क्यों ले गये हैं?
    • उनको तो पहले आना चाहिए।
  • बाप समझाते हैं - पहले, बाप को याद करो।
    • नहीं तो माया एकदम थप्पड़ मार देगी।
    • छुईमुई का एक झाड़ होता है।
    • हाथ लगाओ तो मुरझा जाये।
    • तुम्हारा भी ऐसा ही हाल होता है, बाप को याद नहीं किया और खलास।
    • गीत में भी सुना - बचपन के दिन भुला नहीं देना।
    • बाप को भूले तो कहाँ न कहाँ चोट लग जायेगी।
  • बाप कहते हैं - तुम हमारे बच्चे हो ना।
    • यह शरीर तो विष से पैदा हुआ है।
    • वह इनके लौकिक माँ-बाप हैं।
    • यह तो है पारलौकिक बाप और इनको फिर अलौकिक बाप कहा जाता है।
    • यह हद का था, फिर बेहद का बन गया।
    • अभी देखो यह लौकिक बच्ची (निर्मलशान्ता) बैठी है।
    • यह लौकिक भी है, अलौकिक भी है, पारलौकिक भी है।
    • बाकी शिवबाबा के तो भाई-बहिन है नहीं।
    • न लौकिक, न अलौकिक, न पारलौकिक।
    • कितना फ़र्क है।
  • एक बाप का बनना मासी का घर नहीं है।
    • ऐसे बाप से सम्बन्ध जोड़ना है, टाइम लगता है।
    • शिवबाबा की याद में रहना बड़ी मेहनत है।
    • कई 50 वर्ष से रहने वाले भी सारा दिन शिवबाबा को याद भी नहीं करते, ऐसे भी हैं।
    • और सबको भूल एक को याद करना बहुत-बहुत मेहनत है।
    • कोई 1 परसेन्ट याद करते हैं, कोई 2 परसेन्ट, कोई 1/2 परसेन्ट भी मुश्किल याद करते हैं।
    • यह बड़ी भारी मंजिल है।
    • तो बाप समझाते हैं - बचपन को नहीं भूलना।
    • बाप से स्वर्ग का वर्सा मिलता है।
  • तुम जानते हो हम जीते जी मरकर बाप के आकर बने हैं - नई दुनिया में जाने के लिए।
    • तो तुम्हें स्थाई खुशी रहनी चाहिए, ओहो! हम डबल सिरताज बनेंगे!
    • मनुष्य थोड़ेही जानते हैं कि सतयुग में इन देवताओं को 16 कला सम्पूर्ण और 14 कला सम्पूर्ण क्यों कहते हैं?
    • कुछ भी नहीं जानते हैं।
  • यह भक्ति मार्ग के शास्त्र आदि फिर भी बनेंगे।
    • यह हठयोग, तीर्थ यात्रा आदि सब फिर भी होंगे।
    • परन्तु इससे क्या होगा?
    • क्या हेविन में जायेंगे?
    • नहीं, बहुत रिद्धि-सिद्धि से काम करते हैं।
    • रिद्धि-सिद्धि वाले बहुत हैं।
    • हज़ारों मनुष्य उनके पिछाड़ी पड़ते रहते हैं।
    • रिद्धि-सिद्धि से बहुत घड़ियाँ आदि चीज़ें निकालते हैं।
    • यह थोड़ेही समझते कि यह अल्पकाल के लिए सब हैं।
    • इसमें बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
    • यह रिद्धि-सिद्धि आदि सीखने की भी किताब होती है।
    • कितने लाखों मनुष्य उनके पिछाड़ी पड़ते हैं।
  • तुम बच्चे जानते हो हमको बाबा से स्वर्ग का वर्सा मिलता है।
    • इन आंखों से जो कुछ देखते हो वह नहीं रहेगा।
    • बाप समझाते हैं - तुम अशरीरी आये थे फिर शरीर साथ पार्ट बजाया।
    • अगर 84 लाख का हिसाब-किताब बतायें तो 12 मास लग जायें।
    • हो ही नहीं सकता।
    • 84 जन्मों का हिसाब-किताब बताना तो बिल्कुल सहज है।
    • तुम 84 का चक्र लगाते रहते हो।
    • सूर्यवंशी हैं तो चन्द्रवंशी नहीं।
    • सूर्यवंशी घराना पूरा हुआ फिर चन्द्रवंशी.... बनें।
    • अभी तुम जानते हो हम हैं ब्राह्मण वंशी फिर देवता वंशी बनना है, इसलिए हम पढ़ाई पढ़ रहे हैं।
    • फिर सीढ़ी नीचे उतरते-उतरते वैश्य, शूद्र वंशी बनेंगे।
    • अभी अपने 84 जन्मों की स्मृति आई है।
  • यह चक्र भी याद करना पड़े।
    • बाप को याद करने से एवर हेल्दी, एवर वेल्दी बनेंगे।
    • पाप कट जायेंगे।
    • चक्र को जानने से चक्रवर्ती बन जायेंगे।
  • तुम जानते हो यह पुरानी दुनिया कब्रिस्तान बननी है।
    • कुछ भी नहीं रहेगा।
    • खत्म हो जायेगा।
    • राम गयो, रावण गयो.... राम का कितना छोटा परिवार होगा सतयुग में।
    • अभी रावण का कितना बड़ा परिवार है।
    • बच्चे जानते हैं कि यह राजधानी स्थापन हो रही है।
  • हर बात में पुरुषार्थ फर्स्ट है।
    • बाप पुरुषार्थ कराते हैं - बच्चे मुझे याद करो।
    • जिस बाप से अथाह स्वर्ग की बादशाही मिलती है, क्या उनको याद नहीं करेंगे?
    • बाप स्मृति दिलाते हैं कि तुम स्वर्ग के मालिक थे।
    • अब फिर से पुरुषार्थ कर स्वर्ग के मालिक बनो।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) कभी भी किसी बात में छुई-मुई नहीं बनना है।
    • ईश्वरीय बचपन को भूल मुरझाना नहीं है।
    • इन आंखों से जो कुछ दिखाई देता है, उसे देखते भी नहीं देखना है।
  • 2) एक बाप की याद में ही कमाई है इसलिए देहधारियों को याद कर रोना नहीं है।
    • बाप और वर्से को याद कर विश्व की बादशाही लेनी है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • नॉलेज की लाइट माइट द्वारा कमजोर संस्कारों को समाप्त करने वाले शक्ति सम्पन्न भव
  • नॉलेज से अपने कमजोर संस्कारों का मालूम तो पड़ जाता है और जब उस बात की समझानी मिलती है तो वे संस्कार थोड़े समय के लिए अन्दर दब जाते हैं लेकिन कमजोर संस्कार समाप्त करने के लिए लाइट और माइट के एकस्ट्रा फोर्स की आवश्यकता है।
  • इसके लिए मास्टर सर्वशक्तिवान, मास्टर नॉलेजफुल के साथ-साथ चेकिंग मास्टर बनो।
  • नॉलेज द्वारा स्वयं में शक्ति भरो, मनन शक्ति को बढ़ाओ तो शक्ति सम्पन्न बन जायेंगे।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • जहाँ सर्व प्राप्तियां हैं वहाँ प्रसन्नता है।