09-06-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति

"बापदादा" मधुबन

"मीठे बच्चे - बाप आये हैं सारी दुनिया से विकारों की तपत बुझाए सबको शीतल बनाने, ज्ञान बरसात शीतल बना देती है''

प्रश्नः-

कौन सी तपत सारी दुनिया को जला रही है?

उत्तर:-

काम विकार की तपत सारी दुनिया को जला रही है।

सब काम अग्नि में जलकर काले हो गये हैं।

बाप ज्ञान वर्षा से उन्हें शीतल बनाते हैं।

जैसे बरसात पड़ने से धरती शीतल हो जाती है तो इस ज्ञान वर्षा से 21 जन्मों के लिए तुम शीतल बन जाते हो।

किसी भी प्रकार की तपत नहीं रहती।

तत्व भी सतोप्रधान बन जाते हैं।

कोई भी तपते नहीं हैं।

 

  • ओम् शान्ति।
  • रूहानी बच्चे किसकी याद में बैठे हैं?
  • जरूर अपने रूहानी बाप की याद में बैठे हैं।
  • रूह अपने परमपिता परमात्मा की याद में बैठी है कि हमको रूहानी बाप आकर रिफ्रेश कर शीतल बनायें, क्योंकि काम चिता पर बैठ भारत जल मरा है।
  • गाते भी हैं तपत बुझाये।
  • तपत काहे की?
  • काम चिता की।
  • बहुत तपत होती है तो मनुष्य मर पड़ते हैं।
  • इस काम चिता की तपत में भारत एकदम जल मरा है इसलिए बाप को याद करते हैं कि आकर शीतल बनाओ।
  • बरसात पड़ने से शीतलता हो जाती है।
  • धरती शीतल हो जाती है।
  • यह तो बरसात है ज्ञान की।
  • एक ही बार आकर इतना शीतल बनाते हैं।
  • इतना सब कुछ दे देते हैं जो सतयुग में कोई भी चीज़ की उत्कण्ठा नहीं रहती है।
  • आधाकल्प उत्कण्ठा में रहते आये हो - बाबा आकर शीतल बनाओ।
  • पतित-पावन बाप आकर हमको शीतल बनाये।
  • इस ज्ञान वर्षा से भारत अथवा सारी दुनिया शीतल हो जाती है।
  • तुम स्वर्ग के मालिक बन जाते हो।
  • मनुष्य मरते हैं तो कहते हैं स्वर्गवासी हुआ।
  • वह तो सिर्फ मुख मीठा करते हैं।
  • तुम जानते हो स्वर्ग की अब स्थापना हो रही है।
  • बाबा आया हुआ है, यह ज्ञान वर्षा कर रहे हैं।
  • शीतलता का असर 21 जन्म रहता है।
  • वहाँ न बरसात, न किसी भी चीज़ की इच्छा रहती है।
  • सदैव बहार ही बहार रहती है।
  • वहाँ कोई भी प्रकार का दु:ख नहीं रहता।
  • सूर्य भी सतोप्रधान बन जाता है।
  • कभी तपत नहीं दिखाते हैं।
  • तुम सारे विश्व के मालिक बन जाते हो।
  • अभी तो गुलाम हैं ना।
  • गाते हैं मैं गुलाम, मैं गुलाम तेरा..., बाप को याद करते हैं।
  • अब बाप कहते हैं - तुम्हारी सेवा में मैं तुम्हारा गुलाम आकर बना हूँ।
  • तुम बच्चों की सेवा करता हूँ।
  • पराये, पतित देश, पतित शरीर में मैं आता हूँ।
  • इस पतित दुनिया में एक भी पावन हो नहीं सकता।
  • सतयुग को पावन, कलियुग को पतित कहा जाता है क्योंकि सब विकारी हैं।
  • भारतवासी ही इस नॉलेज को समझेंगे।
  • जिन्होंने 84 जन्म लिए हैं वही यह नॉलेज सुनेंगे वा जो सतयुग-त्रेता में आने वाले हैं वही आकर ब्राह्मण बनेंगे, नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार।
  • बाप ने समझाया है अभी तुम ब्राह्मण वर्ण में हो फिर वही देवता वर्ण में आयेंगे।
  • ब्राह्मण वर्ण अर्थात् ब्राह्मण धर्म स्थापन करने बाप आते हैं।
  • ब्रह्मा, ब्राह्मण धर्म स्थापन करते हैं।
  • ऐसे नहीं कहेंगे कि परमपिता परमात्मा आकर शूद्रों को ब्राह्मण बनाते हैं।
  • यह तुम्हारी बाजोली चलती है।
  • यह तो बहुत सहज है।
  • तुम जानते हो यह चक्र कैसे फिरता है?
  • विराट रूप में ब्राह्मणों की चोटी (choti) और शिवबाबा को भूल गये हैं।
  • कहते हैं देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र...फिर शूद्र से देवता।
  • अब ब्राह्मण कहाँ गये?
  • ब्राह्मण लोग गाते भी हैं ब्राह्मण देवताए नम:।
  • तब प्रजापिता ब्रह्मा की वंशावली कहाँ गये?
  • प्रजापिता ब्रह्मा का नाम कितना बाला है।
  • चित्रों में भी कितनी भूल कर दी है।
  • प्रजापिता ब्रह्मा की औलाद का कोई नाम-निशान नहीं है।
  • स्कूल में टीचर पढ़ाते हैं।
  • वह फिर भी सोर्स ऑफ इनकम है।
  • एम आब्जेक्ट तो जरूर चाहिए।
  • तुम बच्चे जानते हो उस पढ़ाई से ही मर्तबा मिलता है।
  • पतित दुनिया में भगवान आकर पतितों को पढ़ाते हैं।
  • बाप कहते हैं - मैं तुम बच्चों को पढ़ाकर पावन बनाता हूँ।
  • इस पढ़ाई से इनकम देखो कितनी भारी है।
  • आधाकल्प के लिए तुम तकदीर बनाते हो।
  • भारत में गाया हुआ है 21 पीढ़ी, अब तुम बेहद के बाप से 21 पीढ़ी बेहद का वर्सा पाते हो।
  • लौकिक बाप का है अल्पकाल क्षण भंगुर का वर्सा।
  • इस बाप से तुम ऐसा वर्सा पाते हो जो पीढ़ी बाई पीढ़ी तुमको दु:ख नहीं रहेगा।
  • भारत में ही बेहद का सुख था।
  • यह ज्ञान और किसकी बुद्धि में नहीं है।
  • यह ज्ञान देने वाला बाप जाने और जिनको देते हैं वह जाने, और न जाने कोई।
  • ग्रंथ में भी उनकी महिमा गाई हुई है।
  • एकोअंकार...निराकार, निरअहंकार। इसका अर्थ भी अभी तुम समझते हो।
  • वह तो सिर्फ गाते हैं निरहंकारी।
  • इतनी बड़ी अथॉरिटी होते हुए भी उनको कोई अहंकार नहीं है।
  • यहाँ थोड़ी भी पोजीशन वाले होते हैं तो कितना नशा उन्हों को रहता है।
  • वह है अल्पकाल वाले मर्तबे का नशा कि मैं फलाना हूँ... अब तुमको इस रूहानी पढ़ाई का नशा है।
  • तुम्हारी आत्मा अभी जानती है - आत्म-अभिमानी बनना है तब ही बाप को याद कर सकेंगे।
  • बाप के साथ योग टूटने से माया का गोला लग जाता है, मुरझा जाते हैं।
  • याद करते रहें तो खुशी का पारा चढ़ा रहे।
  • कोई बड़ा इम्तहान पास करते हैं तो खुशी होती है।
  • समझते हैं बस इसके ऊपर कोई और पढ़ाई नहीं है।
  • तुम भी जानते हो हमारी इस पढ़ाई से ऊंच और कोई पढ़ाई है नहीं।
  • इन लक्ष्मी-नारायण ने पास्ट में जरूर ऐसी पढ़ाई की है।
  • राजयोग सीखे हैं तब महाराजा महारानी बने हैं।
  • राजयोग तो मशहूर है।
  • परमपिता परमात्मा आकर राजयोग सिखाते हैं - स्वर्ग के लिए।
  • कहते भी हैं पास्ट में ऐसे कर्म किये हैं तब यह बने हैं।
  • तुम जानते हो - इस जन्म में हम ऐसे कर्म सीखते हैं जो भविष्य 21 जन्म के लिए राज्य करेंगे वा स्वर्ग में विराजमान होंगे।
  • यथा राजा, रानी तथा प्रजा भी है ना।
  • राजधानी है ना।
  • बाप आया है - राजधानी स्थापन करने।
  • फिर तुम जाकर 21 जन्म पालना करेंगे।
  • 63 जन्म तो दु:ख भोगा है।
  • वह सब खत्म हो जायेंगे।
  • भारत को स्वर्ग कहा जाता है, अभी तो नर्क है।
  • सृष्टि कितनी बदल गई है।
  • वह राजाई कहाँ चली गई?
  • रावण राज्य शुरू होने से फिर तुम पतित बन जाते हो।
  • बाप कहते हैं तुम अपने 84 के चक्र को नहीं जानते हो।
  • अभी तुम बच्चों को बार-बार समझाया जाता है।
  • तुमने 84 जन्मों का चक्र पूरा किया है।
  • अभी तुम्हारा यह अन्तिम जन्म है।
  • अब फिर से अपना वर्सा लेना है।
  • तुमको मुक्तिधाम में बैठ नहीं जाना है।
  • तुम्हारा आलराउन्ड पार्ट है।
  • ऐसे बहुत हैं जो सतयुग से लेकर द्वापर कलियुग तक भी मुक्तिधाम में रहते हैं।
  • ऐसे नहीं कहेंगे यहाँ आने से मुक्तिधाम अच्छा है।
  • वह तो मच्छरों सदृश्य हो गया।
  • आया और यह गया।
  • मनुष्यों की महिमा गाई जाती है।
  • यह मन्दिर किसके हैं?
  • जो शुरू से लेकर पार्ट बजाते आये हैं, उन्हों के ही यादगार बनते आये हैं।
  • पिछाड़ी में जो आते हैं उन्हों का यादगार है क्या?
  • कुछ भी नहीं।
  • तुम्हारा कितना भारी यादगार है।
  • सबसे जास्ती तुम पार्ट बजाते हो।
  • तुम अपनी प्रालब्ध का टाइम पूरा कर जब भक्ति मार्ग में आते हो तब फिर तुम्हारा यादगार तथा शिवबाबा के मन्दिर बनने शुरू होते हैं, फिर और धर्म आते हैं।
  • उन्हों का धर्म स्थापन होता है।
  • तुम अपनी हिस्ट्री-जॉग्राफी भी जानते हो और सब धर्म वालों की भी जानते हो।
  • 84 जन्मों की सीढ़ी है।
  • पहले हम स्वर्ग में आते हैं फिर उतरते कैसे हैं - यह तुम्हारी बुद्धि में है।
  • हर एक जन्म में भिन्न नाम रूप वाले मित्र-सम्बन्धी आदि मिले हैं।
  • यह सब ड्रामा में तुम्हारा पार्ट पहले से ही नूँधा हुआ है।
  • यह बेहद का ड्रामा है, जो हूबहू रिपीट होता है।
  • तुम जानते हो हम सो देवी-देवता थे जो 84 जन्म ले शूद्र बनें।
  • फिर हम सो देवी-देवता बनते हैं।
  • मनुष्य तो कह देते आत्मा सो परमात्मा।
  • वास्तव में हम सो का अर्थ यह है।
  • वह फिर कह देते आत्मा सो परमात्मा, परमात्मा सो आत्मा।
  • रात-दिन का फ़र्क है ना।
  • तुम अभी इन सब बातों को जानते हो।
  • तुम अभी पाण्डव बने हो।
  • कौरव पाण्डव भाई-भाई थे ना।
  • अभी बाप मिला है तो तुम कौरव से पाण्डव बने हो।
  • बाप तुमको दु:ख से लिबरेट कर गाइड बन ले जाते हैं।
  • घर का तो किसको पता नहीं है।
  • वह कहते हैं आत्मा ब्रह्म में लीन हो जायेगी।
  • तो घर थोड़ेही ठहरा।
  • घर में तो रहा जाता है।
  • उनको इनकारपोरियल वर्ल्ड कहा जाता है।
  • अभी तुम बच्चे जानते हो - हम निराकारी आत्मा निराकार वर्ल्ड में बिन्दी मिसल निवास करते हैं।
  • वहाँ भी निराकारी झाड़ है।
  • यह ड्रामा बना हुआ है।
  • बीज और झाड़ को जानना है।
  • इसका नाम ही है वैराइटी धर्मो का झाड़, यह मनुष्य सृष्टि है।
  • इनका बीजरूप बाप है, कितनी वैराइटी है।
  • हर एक धर्म वाले के फीचर्स न्यारे फिर यहाँ भी एक की शक्ल न मिले दूसरे से।
  • यह भी ड्रामा बना हुआ है।
  • कल्प वृक्ष की आयु 5 हजार वर्ष है - यह बाप ही समझाते हैं।
  • मनुष्य एक्टर्स हैं, यहाँ पार्ट बजाने आते हैं।
  • यह माण्डवा है, रोशनी के लिए सूर्य चांद आदि हैं।
  • यह कोई देवता थोड़ेही हैं, यह तो बत्तियां हैं।
  • परन्तु सर्विस करते हैं, इसलिए देवता कह देते हैं।
  • वास्तव में देवतायें कोई सर्विस नहीं करते हैं, सर्विस तो तुम बच्चे करते हो।
  • बाप ओबीडियन्ट सर्वेन्ट है।
  • बच्चे दु:खी होते हैं, तो बाप को तरस पड़ता है।
  • बाप आये हैं समझाने।
  • तुम बच्चों को फिर से सो देवी-देवता पद प्राप्त कराने आता हूँ।
  • चढ़ती कला, उतरती कला हर चीज़ की होती है।
  • पुरानी दुनिया को तमोप्रधान, नई दुनिया को सतोप्रधान कहा जाता है।
  • हर एक चीज़ नई सो पुरानी होती है।
  • आत्मा कहती है - यह शरीर भी तमोप्रधान पतित है।
  • यह सतयुग में आत्मा और शरीर सतोप्रधान थे।
  • माथा नहीं खपाते थे।
  • आत्मा को अब ज्ञान मिला है।
  • स्मृति आई है, हम 84 जन्म लेते हैं।
  • यह राज़ बेहद का बाप समझाते हैं।
  • दु:ख में बाप को ही पुकारते रहते हैं।
  • रहम करो हे दु:ख हर्ता सुख कर्ता.. भारत ही सबसे सुखी था ना।
  • भारत जैसा पवित्र खण्ड और कोई हो नहीं सकता।
  • अभी बाप तुम बच्चों की झोली अविनाशी ज्ञान रत्नों से भरते हैं।
  • कभी ऐसा बाप देखा है।
  • कहते हैं बच्चों, मैं तुम्हारे लिए बैकुण्ठ सौगात मे लाया हूँ।
  • तुम स्वर्गवासी थे, अब पतित नर्कवासी बन पड़े हो।
  • पावन उनको कहा जाता है जो विकार में नहीं जाते हैं।
  • सतयुग में हैं सम्पूर्ण निर्विकारी।
  • इस समय हैं - सम्पूर्ण विकारी।
  • बाप कहते हैं तुम भी सम्पूर्ण निर्विकारी थे।
  • अब सम्पूर्ण विकारी बने हो, फिर सम्पूर्ण निर्विकारी देवता पद पाना है - बाप को याद करने से।
  • अक्षर देखो कितने अच्छे हैं - मनमनाभव।
  • मुझ बाप को याद करो तो तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे।
  • मैं सर्वशक्तिमान् हूँ ना।
  • मुझे याद करो।
  • याद को ही योग अग्नि कहा जाता है, जिससे तुम्हारे पाप दग्ध होंगे।
  • तुम पवित्र बन जायेंगे।
  • अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) रूहानी पढ़ाई के नशे में रहना है।
    • बाप समान निरहंकारी बनना है।
    • पोजीशन आदि का अंहकार नहीं रखना है।
  • 2) अपनी झोली ज्ञान रत्नों से भरनी है।
    • सम्पूर्ण निर्विकारी बन देवता पद पाना है।
    • कभी भी मुरझाना नहीं है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • सर्व आत्माओं के पतित संकल्प वा वृत्तियों को भस्म करने वाले मास्टर ज्ञान सूर्य भव
  • जैसे सूर्य अपनी किरणों से किचड़ा, गंदगी के कीटाणु भस्म कर देता है।
  • ऐसे जब आप मास्टर ज्ञान सूर्य बनकर कोई भी पतित आत्मा को देखेंगे तो उनका पतित संकल्प, पतित वृत्ति वा दृष्टि भस्म हो जायेगी।
  • पतित-पावनी आत्मा पर पतित संकल्प वार नहीं कर सकता।
  • पतित आत्मायें पतित-पावनियों पर बलिहार जायेंगी।
  • इसके लिए माइट हाउस अर्थात् मास्टर ज्ञान सूर्य स्थिति में सदा स्थित रहो।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • अपने धारणा स्वरूप से योगी जीवन का प्रभाव डालना - यह बहुत बड़ी सेवा है।